Manmarjiyan Season 3 – 25

Manmarjiyan Season 3 – 25

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गोलू चैन लेकर सुनार के पास आया लेकिन सुनार की ख़ामोशी ने गोलू को और उलझन में डाल दिया। नाक पर टिके चश्मे से झांकती सुनार की आँखे एकटक गोलू को देखे जा रही थी ये देखकर गोलू ने कहा,”अरे कुछो बोलोगे भी या हमको देखते रहोगे,,,,,,,,इत्ते भी सुन्दर नाही है हम”
“बबुआ या तो तुमहू भोले हो या फिर हमका बेवकूफ बना रहे हो,,,,,,,,,,!!”,सुनार ने गोलू से नज़रें हटाकर कहा
“का मतलब ?”,गोलू ने पूछा


“मतलब इह कि तुम्हरी जे चैन नकली है , किसी भंगार वाले को बेची हो तो 10-12 रूपये मिल जा ही है”,सुनार ने चैन गोलू के सामने पटक कर कहा
जैसे ही चैन गोलू के सामने पटकी गोलू को लगा जैसे उसके कलेजे पर किसी ने पत्थर पटका हो। चैन नकली है सुनकर तो बेचारे के होश ही उड़ गए। उसने चैन को उठाया और देखकर मन ही मन खुद से कहा,”वाह शर्मा जी का मस्त चुना लगाए हो हमका,,,,,,,,,

दामाद को सादी मा ढाई तोले की चैन दी है बोल बोल कर पुरे कानपूर मा ढोल पीट दिए थे , पर सच्चाई तो जे है,,,,,,,,,,पिंकिया जे बदला लिए है तुम्हरे बाप हमसे तुमसे ब्याह रचाने का,,,,,,,,,,!!”
“अरे बबुआ लेकर जाओ इसे यहाँ से वरना नकली माल बेचने के जुर्म मा अंदर करवा देंगे,,,,,,,,,,पता नहीं कहा कहा से बख्त खोटी करने आ जाते है”,सुनार ने कहा तो गोलू उसे घूरते हुए दुकान से बाहर निकल गया

गोलू दुकान के बाहर आया और चैन को देखते हुए कहा,”अरे हम कोनसा सादी मा दहेज़ मांगे रहे पिंकिया के पिताजी से जो बदले में हमका जे नकली चैन थमा दी,,,,,,,एक भसड़ से निकलते नाही कि दूसरी मा फंस जाते है,,,,,,,,,,ऐसा लगता है पिंकिया से नाही बुरी किस्मत से ब्याह हवो है हमाओ जब देखो तब हमरी बत्ती बनी रहती है”
“देखा है पहली बार साजन की आँखों में प्यार,,,,,,,,,,,!!”


गोलू अभी बड़बड़ा ही रहा था कि उसका फोन बजा और गोलू ने झल्ला कर फोन निकाला और बिना स्क्रीन पर नाम देखे ही उठाकर कान से लगाकर कहा,”कौन बोल रहा है बे ?”
“हम बोल रहे है तुम्हाये बाप,,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कठोरता से कहा
“कौन बाप ?”,गोलू ने कहा वह गुप्ता जी की आवाज सुनकर भी उन्हें पहचान नहीं पाया


“हमरे अलावा और कितने बाप बना रखे हो तुमहू गोलू गुप्ता ? अरे हम बोल रहे है गज्जू गुप्ता तुम्हरी अम्मा के वन एंड ओनली करवाचौथ वाले पति,,,,,,,,,और पुरे कानपूर मा हमायी एक ही नालायक औलाद है और उह हो तुम,,,,,,,,,,अब अपना मनहूस शरीर उठाओ और घर पहुंचो”,गुप्ता जी ने गोलू को हड़काते हुए कहा तो गोलू को होश आया उसने कान से फोन हटाकर स्क्रीन देखी ,  स्क्रीन पर नाम देखा और अपने फोन को अपने ही ललाट पर दे मारा। उसने फोन कान से लगाया और कहा,”बस दुई मिनिट मा पहुँचते है पिताजी,,,,,,,,!!”


गोलू ने फोन काटा और आसमान की तरफ देखकर चिल्लाया,”हमरी फील्डिंग लगाना बंद कर दयो अब कसम से जिंदगी मा कबो गुंडई नाही करेंगे,,,,,,,,पर आप थोड़े सुनेंगे हमायी , अब तक तो बत्ती लगा चुके होंगे हमरी,,,,,,,,,,करो फिर इंजॉय”
गोलू सीधा घर के लिए निकल गया और चैन को जेब में रख लिया जिसका हिसाब उसे पिंकी के पापा से बाद में करना था।

मिश्रा जी का घर , कानपूर
सोनू की बातो से चिढ़कर गुड्डू नीचे चला आया , वह अपने कमरे में आया लेकिन वहा भी उसे चैन नहीं मिला तो वह उठा और जैसे ही कमरे से बाहर जाने लगा सामने से आती शगुन से टकरा गया। शगुन को अपने सामने देखकर गुड्डू को फूफा वाली बात याद आ गयी तो वह मुंह बनाकर शगुन के सामने से जाने लगा लेकिन शगुन ने गुड्डू का हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”गुड्डू जी”


“हमरा हाथ छोडो शगुन हमका तुमसे कोई बात नाही करनी है”,गुड्डू ने कहा
“गुड्डू जी ! किस बात पर इतना नाराज है आप ?’,शगुन ने गुड्डू का हाथ छोड़कर कहा ,अब तक वह भी गुड्डू के इस बर्ताव से परेशान हो चुकी थी।

गुड्डू ने सुना तो वह शगुन के सामने आया और कहा,”तुमको नाही पता हमहू किस बात पर नाराज है,,,,,,,,,?”
“फूफाजी की बात मान ली तो क्या हो गया आखिर वो भी इस घर के सदस्य है ?”,शगुन ने कहा
“सदस्य ? फूफा अगर जे घर को अपना मानते ना शगुन तो इत्ता बड़ा तमाशा ना किये होते घर मा , और तो और बूढ़ा को गुजरे दुइ दिन नाही हुए कि पिताजी को पुलिस स्टेशन तक दिखा दिए,,,,,,,,शर्मा के घर से सब जगह छीछा-लेदर करवाई सो अलग और जब इत्ते मा भी मन नहीं भरा तो तुम्हरे साथ बदतमीजी पर उतर आये।

अरे उनको इत्ता भी होश नाही है कि घर की बहू बेटियों से कैसे बात की जाती है ? और तुम , का जरूरत थी उनकी बात मानने की ? पिताजी नहीं ना होते वहा तो बताते उनको हम,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने गुस्से में आकर शगुन के सामने अपने मन की सारी भड़ास निकाल दी
“इसलिए आप मुझसे गुस्सा है,,,,,,,,!!”,शगुन ने प्यार से पूछा
“हाँ , और फूफा हो चाहे मौसा हम अपनी पत्नी के लिए किसी के मुंह से कुछो गलत नाही सुन सकते”,गुड्डू ने कहा


गुड्डू को मुंह से ये सुनकर शगुन मुस्कुराते हुए प्यार भरी नजरो से उसे देखने लगी ,  शगुन को मुस्कुराते देखकर गुड्डू ने अपनी भँवे उचकाई तो शगुन ने बड़े प्यार से कहा,”क्या कहा आपने कि आप अपनी पत्नी के लिए किसी से कुछ गलत नहीं सुन सकते ?”


“हाँ तो का गलत कहे ? हमायी पत्नी है तो हमायी जिम्मेदारी बनती है ना हम उनके मान सम्मान की रक्षा करे,,,,,,,,,,,,ऐसे कोई भी कुछ आके बोलेगा और हमहू सुन लेंगे अरे मजाक है का ? शादी के बख्त वचन दिए है सबके सामने कि अपनी पत्नी के मान सम्मान की रक्षा करेंगे तो कर रहे है पर साला जब पत्नी ही हमरे खिलाफ हो जाये तो हम का करे ? मतलब नाराज होने का हक़ भी ना है हमको ,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा
शगुन ने अपने दोनों हाथो को आपस में बांधकर गुड्डू को देखा और कहा,”बिल्कुल हक़ है और आपको तो ये भी हक़ है कि आप मुझे इस गलती के लिए डांट भी लगा दे,,,,,,,,,,!!”


“पक्का ना ? पक्का हमहू तुमका डाँट दे ना शगुन ?”,गुड्डू ने कहा
“अगर आपको लगता है मैंने कुछ गलत किया है तो बिल्कुल आप मुझे डाँट सकते है गुड्डू जी”,शगुन ने प्यार से कहा


गुड्डू ने शगुन को देखा और अपने शर्ट की बाजू को ऊपर चढ़ाकर शगुन को डांटते हुए कहा,”हाँ तो बात ऐसी है शगुन गुप्ता , हर जगह ना अपना जे बड़प्पन दिखाना बंद करो। हर कोई तुम्हरी दया और प्रेम के लायक नाही है फिर चाहे वो बाहर का कोई हो या इह घर का कोनो मेहमान , और हमहू तुम्हरे पति है थोड़ी रेस्पेक्ट हमरी भी कर ल्यो यार मतलब हमहू कबो किसी चीज के लिए मना करे तो मान रख ल्यो हमरा पर नाही मास्टरनी ठहरी ना हमरी बात की कोनो वेल्यू थोड़े ना है”


गुड्डू ने शगुन को इतनी जोर से डांटा की शगुन की आँखों में आँसू भर आये , उसका चेहरा उतर गया और वह एकटक गुड्डू को देखने लगी। गुड्डू को लगा जैसे वह शगुन को डांटने का नाटक कर रहा है वैसे ही शगुन भी उसके सामने इमोशनल होने का नाटक कर रही होगी। गुड्डू ने शगुन को देखा और कहा,”हाँ अब आँखों में आँसू भर ल्यो और इमोशनल ड्रामा शुरू कर दयो पर इक ठो बात हमरी कान खोलकर सुन ल्यो शगुन आइंदा से ऐसा कुछो किया तो हमहू बर्दास्त नाही करेंगे,,,,,,,,,,,,पिरेम करते है ठीक है पर हमरी भी कोनो इज्जत,,,,,,,,,!!”


गुड्डू आगे कहता इस से पहले ही मिश्रा जी चप्पल आकर गुड्डू को लगी और गुड्डू चौंका। उसने पलटकर देखा तो कुछ ही दूर पर मिश्रा जी खड़े थे , गुस्सा उनकी आँखों से साफ़ झलक रहा था। मिश्रा जी दरअसल किसी काम से ऊपर आये थे लेकिन गुड्डू को जब शगुन को डाँटते सुना तो रुक गए बस फिर क्या था ये चप्पल तो गुड्डू को पड़नी ही थी।

मिश्रा जी ने गुड्डू की तरफ आते हुए गुस्से से कहा,”ससुर का नाती , तुम्हरी इतनी हिम्मत की तुमहू इह घर की बहू से ऐसे बात करो , भूल गए शगुन पेट से है ओह्ह का ख्याल रखने के बजाय तुमहू अंट शंट बके जा रहे हो,,,,,,,,,,हमरी दूसरी चप्पल कहा है ? साला पूरा खानदान सुधर सकता है पर तुम और गोलू कबो ना सुधरी हो,,,,,,,,,तुम्हरी अकल तो हमहू ठिकाने लगाते है”


“अरे पिताजी माफ़ कर दयो हमहू शगुन को सच्ची मा नाही डांट रहे थे हमहू तो बस मजाक,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा
मिश्रा जी ने गुड्डू का हाथ पकड़ा और मोड़कर पीठ से लगाते हुए कहा,”पति पत्नी का मजाक कमरे की चार दीवारों में शोभा देता है बेटा खुले आँगन मा नाही , और हमने मजाक शुरू किया ना तो बिलबिला के रो पड़ोगे अभी,,,,,,,,,,माफ़ी मांगो शगुन से,,,,,,,!!”
“पापा जी गुड्डू जी तो बस,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा


“तुम चुप रहो शगुन , तुमने ही हर बार पक्ष लेकर इनको सर चढ़ाया है इह लिए आज जे तुम्हरे ही सर पर तांडव कर रहे है,,,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने कहा तो शगुन ने सर झुका लिया
“मुंह मा दही जमा लिए हो , माफ़ी मांगो”,मिश्रा जी ने गुड्डू से कहा लेकिन गुड्डू कुछ कहता इस से पहले गुड्डू का फोन बजा तो मिश्रा जी ने दूसरे हाथ से गुड्डू की जींस के पीछे वाले पॉकेट में रखा फोन निकाला और स्क्रीन पर गोलू का नाम देखकर कहा,”ल्यो दामन फटने लगा तो चोली भी पीछे पीछे आ पहुंची”


गुड्डू और शगुन कुछ समझते इस से पहले मिश्रा जी ने फोन उठाया और कान से लगाया , वे कुछ बोलते उस से पहले गोलू बोल पड़ा,”हेलो ! हाँ गुड्डू भैया का कर रहे हो ?”
“तुम्हरे गुड्डू भैया हमरे हाथ की पंजीरी खाय रहे है कहो तो तुम्हरे लिए भी भिजवाय दे ?”,मिश्रा जी ने कहा
“अरे प्रणाम मिश्रा जी,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू की जगह मिश्रा जी आवाज सुनकर गोलू ने हड़बड़ाकर कहा  
“फोन रखो बावलचंद वरना फोन मा घुस कर ऐसा कंटाप मारेंगे कि धरती चाटोगे”,मिश्रा जी ने कहा तो गोलू ने फोन काट दिया


मिश्रा जी ने गुड्डू को देखा और कहा,”पुरे कानपूर मा दोस्त बनाने के लिए जे ही मुर्ख मिला रहा तुमको,,,,,,,!!”
“अरे पिताजी जाने दीजिये ना उह बिचारा पहले ही परेशान है”,गुड्डू ने कहा
“परेशान ? उड़ता तीर छाती मा लेने की आदत है ओह्ह की,,,,,,,,,,,कहो तो माफ़ी हमहू मांग ले , का है कि तुमहू तो बोलोगे नाही”,मिश्रा जी ने गुड्डू को ताना मारते हुए कहा


“हमका माफ़ कर दयो शगुन,,,,,,,,,आगे से तुम पर ऐसे नाही चिल्लायेंगे”,गुड्डू ने मरे हुए स्वर में कहा तो मिश्रा जी ने उसका हाथ छोड़ा और अपने सामने
 करके कहा,”आखरी बार समझा रहे है गुड्डू आइंदा से हमहू तुमको बहु पर ऐसे चिल्लाते देखे ना तो तुम्हरे 30 बुशर्ट और 12 पेंट के साथ इह घर से निकालकर बाहिर फेंक देंगे,,,,,,,,,,,सुधर जाओ”
कहकर मिश्रा जी वहा से चले गए , गुड्डू को अपनी गलती का अहसास हुआ कि वह बहुत छोटी से बात पर शगुन से इतना नाराज हो गया था।

वही शगुन को अहसास हुआ कि एक पत्नी होने के नाते उसे गुड्डू की भावनाओ का ख्याल रखना चाहिए। शगुन और गुड्डू दोनों मिश्रा जी को जाते हुए देखते रहे जैसे ही मिश्रा जी गए गुड्डू अपने दोनों कानो को अपने हाथो से पकडे शगुन की तरफ पलटा लेकिन हैरान रह गया , उसके सामने खड़ी शगुन भी अपने दोनों कान पकडे खड़ी थी। गुड्डू कुछ कहता उस से पहले शगुन ने कहा,”मुझे माफ़ कर दीजिये गुड्डू जी मेरी वजह से पापाजी ने आपको,,,,,,,,,,,!!”


“अरे उह तो पिताजी का प्यार है हमरे लिए,,,,,,,,,पर हमहू खुश है कि पिताजी हमसे भी जियादा तुमसे पियार करते है,,,,,,,,,बाकी हमहू भी माफ़ी चाहते है हमको इत्ती छोटी सी बात पर तुम पर गुस्सा नाही करना चाहिए था.,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने प्यार से कहा
“मैं आपसे कभी नाराज नहीं हो सकती,,,,,,,!!”,शगुन ने कहा
“काहे ?”,गुड्डू ने हैरानी से पूछा


“आप इतने सीधे है ना गुड्डू जी कि आपसे कोई नाराज हो ही नहीं सकता,,,,,,,,!!”,शगुन ने मुस्कुरा कर कहा
“बस तुम्हरी जे ही मीठी मीठी बातो के सामने हमहू हार जाते है,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने मासूमियत से कहा
शगुन ने सुना तो गुड्डू को देखते हुए मुस्कुराने लगी गुड्डू भी मुस्कुरा उठा और वहा से चला गया। शगुन भी अपने कमरे में चली आयी और सामान लेकर वापस नीचे चली गयी।

सुनार की दुकान से निकलकर गोलू पहुंचा सीधा अपने घर , गुप्ता जी आँगन में ही बैठे थे। गोलू घर के अंदर आया और कहा,”का हुआ इत्ती जल्दी मा काहे बुलाये रहय , आदमी को कोनो इम्पोर्टेन्ट काम भी हो सकता है पर नाही फोन करके “गोलू तुरंत घर पहुंचो” जैसे गोलू इंसान ना होकर बोतल से निकला जिन्न हो। अब बताओगे काहे बुलाये रहय ?”


गुप्ता जी ने गोलू को देखा और कहा,”मिश्रा से चप्पल खाने और उड़ते तीर लेने के अलावा और कोनसा इम्पोर्टेन्ट काम आ गवा तुम्हरे पास”
“का मतलब मिश्रा की चप्पल खाते है ,, खाना भी खाये है आज उनके घर हर बार चप्पल ही नहीं खाते है,,,,,,,,,,और कौनसा उड़ता तीर लिए हम ,उह तो हमरी
किस्मत थोड़ी खराब है इहलीये कुछो सही भी करने जाए तो गलत हो जाता है,,,,,,,,!!!”,गोलू ने गुप्ता जी के सामने नीचे जमीन पर ही उकडू बैठते हुए कहा


“किस्मत खराब है तो जे हाल है , किस्मत अच्छी होती तो कौनसा झंडे गाड़ लेते,,,,,,,,,हमका जे बताओ उह साला शर्मा के साथ का चक्कर है तुम्हरा ? उह काहे हाथ धो के पीछे पड़ा है तुम्हरे ?”
“चक्कर का चक्कर ? हमहू लौंडिया है जो चक्कर चलाएंगे ओह्ह के साथ,,,,,,!”,गोलू ने कहा


“एक तो जे साला पूरा सिस्टम बिगाड़ रखे है आजकल के लौंडे , अबे जे औरतन के चक्कर से बाहिर निकलो तब ना कुछो समझ आयी है। अभी दुइ कंटाप धर दिए न तो पता चली है पंजीरी कहा बट रही है,,,,,,,,,,चक्कर से हमरा मतलब है उह शर्मा तुम्हरे पीछे काहे पड़ा है ?”,गुप्ता जी ने गोलू को हड़काते हुए कहा
“अरे हमे का पतो ? ओह्ह तो जबसे हमहू उनकी बिटिया ब्याहे है तबही से यमराज बनके हमरी छाती पर चढ़े हुए है”,गोलू ने चिढ़ते हुए कहा


गुप्ता जी को चाय देने आयी पिंकी ने सुना तो कहा,”हमारे पापा के बारे में कुछो गलत ना कहो गोलु”
गोलू ने सुना तो पिंकी की तरफ पलटा और कहा,”तुम्हरे उन्ही आदरणीय पिताजी ने बत्ती बना रखी है हमायी,,,,,,,,,साला अपने ही दामाद की जिंदगी मा चरस कौन बोता है ? कसम से पिंकिया बताय रहे है बहुते ही जलील आदमी है तुम्हरे पिताजी,,,,,,,,,!!”


“अपनी गलतियों का टोकरा हमरे पापा के सर पर ना रखो तुम,,,,,,,,!!”,पिंकी ने भी गुस्से में आकर कहा
“अरे टोकरा ठहरेगा भी कहा उनके सर पर,,,,,,,,,,,,गिनती के चार तो बाल है उनको भी जब देखो तब पुष्प हिना से रंगते रहते है,,,,,,,,,,जैसे मोहल्ले के शाहरुख़ खान वही हो,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा तो पिंकी का गुस्सा और बढ़ गया और वह वहा से चली गयी


गोलू को लगा पिंकी डरकर अंदर चली गयी है तो वह गुप्ता जी को देखकर मुस्कुराया और कहा,”देखा पिताजी , लब मैरिज किये है फिर भी बीवी के सामने खौफ है हमरा,,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी ने कुछ नहीं कहा वे बस ख़ामोशी से गोलू को देख रहे थे जैसे वे जानते हो कि आगे क्या होने वाला है ?

गोलू बाहर चौड़ में खड़ा था कि अगले ही पल पिंकी अपना बैग लेकर आयी और जैसे ही जाने को हुई गोलू ने कहा,”अरे जे बैग लेकर तुमहू कहा जा रही हो ?”
“जा रहे है अपने पापा के घर,,,,,,!!”,कहते हुए पिंकी ने गोलू को साइड किया और जैसे ही दरवाजे की तरफ बढ़ी गोलू उसके आगे जमीन पर लेट गया और कहा,”ए पिंकिया , अगर तुमको जाना ही है ना तो हमरी लाश से गुजर के जाना पड़ी है”


पिंकी रुक गयी तो गोलू मुस्कुराया और कहा,”ए बाबू हमहू बस मजाक,,,,,,,,!!”
गोलू अपनी बात पूरी करता इस से पहले पिंकी घर के दूसरे गेट की तरफ बढ़ गयी। 
गुप्ता जी ख़ामोशी से गोलू और पिंकी का तमाशा देख रहे थे। पिंकी को जाते देखकर गोलू उठा और गुप्ता जी को देखकर कहा,”कुछो बोलोगे ?”


गुप्ता जी उठे और अफ़सोस भरे स्वर में कहा,”और करो लब मैरिज,,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी ने सिर्फ कहा ही नहीं बल्कि जाते जाते गोलू पर अपने शब्दों से गर्म तेल के छींटे डालकर चले गए

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संजना किरोड़ीवाल 

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Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
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