Manmarjiyan Season 3 – 16

Manmarjiyan Season 3 – 16

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

मिश्रा जी मिलकर गोलू उनके घर से निकल गया। इस बार वह पैदल ही था बाइक उसने घर में गुड्डू के लिए छोड़ दी। गोलू के सामने मुसीबतो का पहाड़ खड़ा  था। ठेले वाले को पैसे चुकाकर उस से अपनी सोने की चेन लेनी थी , फूफा को ससुराल से निकालकर मिश्रा जी से मिलवाना था , पुलिस का शक गोलू पर जाये इस से पहले फूफा को घर पहुँचाना था , मिश्रा जी सबसे जो छुपा रहे है उसका पता लगाना , बाबू को चुप रखना ताकि अनजाने में वह किसी के सामने फूफा का जिक्र ना कर दे,,,,,,,,,,,और सबसे बड़ी टेंशन गुड्डू और शगुन को इन सबसे दूर रखना”


चलते चलते गोलू के जहन में ये सारी बाते एक साथ चल रही थी। बेचारा समझ नहीं पा रहा था कैसे सब सही करे ? और करे भी कैसे गोलू ने गुंडई करने के चक्कर में मुसीबत को गले भी तो खुद ही लगाया था। सूरज सर चढ़ आया था सुबह के 10 बज रहे थे , गोलू को भूख का अहसास होने लगा बीती रात से ही उसने कुछ नहीं खाया था।
“एक ठो काम करते है घर चलकर पहिले खाना खाते है ओह्ह्ह के बाद सब सुलटायेंगे,,,,,,!!”,गोलू खुद में बड़बड़ाया और सीधा घर के लिए निकल गया

गोलू से फूफा के बारे में बात करके गुड्डू नीचे चला आया। बाहर कही जाना नहीं था दादी के दिनों में घर पर ही रहना था इसलिए गुड्डू शगुन के लिए चाय नाश्ता लेकर उसके कमरे में चला आया। कमरे में वेदी शगुन के पास ही बैठी। गुड्डू को देखकर वेदी ने कहा,”भैया आप बैठिये हमहू आते है,,,,,!!”
गुड्डू ने नाश्ते की प्लेट लाकर शगुन के सामने रखते हुए कहा,”अभी ठीक हो न तुम ?”
“हाँ मैं बिलकुल ठीक हूँ गुड्डू जी , आप खामखा मेरी इतनी परवाह कर रहे है”,शगुन ने कहा


गुड्डू ने एक निवाला तोडा और शगुन की तरफ बढाकर कहा,”अरे तुम्हायी कहा ? हमहू तो नए मेहमान की परवाह कर रहे है। कब जे बाहर आएंगे ? कब जे बड़े होंगे , कब हमरे साथ खेलेंगे , शरारते करेंगे ?”
“गुड्डू जी अभी इसमें बहुत टाइम है,,,,,,,,!”,शगुन ने हँसते हुए कहा
“अरे हमहू कर लेंगे इंतजार , और तब तक खूब ख्याल रखेंगे तुम्हरा”,गुड्डू ने दुसरा निवाला शगुन को खिलाना चाहा लेकिन शगुन ने गुड्डू का हाथ पलटकर निवाला गुड्डू को ही खिलाया और कहा,”सुबह से आपने भी कुछ नहीं खाया है ना , चलिए खाइये”


शगुन को अपनी परवाह करते देखकर गुड्डू को अच्छा लगा उसने निवाला खाया और कहा,”थैंक्यू !”
“थैंक्यू ? किसलिए ?”,शगुन ने कहा
“हमे रंगबाज गुड्डू से अच्छा गुड्डू बनाने के लिए,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने नजरे झुकाकर मुस्कुराते हुए कहा
“पर मुझे तो नहीं लगता आप रंगबाज है,,,,,,,और मैंने आपको कोई अच्छा नहीं बनाया है आप पहले से अच्छे है बस कभी कभी भूल जाते है”,शगुन ने कहा


“हम अच्छे है ये अहसास दिलाने वाली भी तो तुम ही हो ना”,कहते हुए गुड्डू ने निवाला शगुन की तरफ बढ़ा दिया और फिर आगे कहा,”पता है शगुन तुमहू पहली इंसान होगी जिसने हमारे अंदर अच्छाइयाँ देखी , वरना हम तो हमेशा गलती ही किये है , पर जबसे तुमहू हमाये जीवन मा आयी हो तब से सब ठीक हो गया , हमहू अल्हड गुड्डू मिश्रा से जिम्मेदार गुड्डू मिश्रा बन गए,,,,,,,,,,,,

सही कहते थे पिताजी कि “गुड्डू जब कोनो सही औरत तुम्हरे जीवन मा आही है तो तुमहू जे सब रंगबाजी , अल्हड़पन छोड़कर आप ही समझदार बन जाही हो” और देखो अब तो हमे पिताजी से ज्यादा डांट सुनने को भी नहीं मिलती और इसका पूरा श्रेय जाता है हमायी धर्मपत्नी शगुन गुड्डू मिश्रा यानि हमायी मास्टरनी को,,,,,,,,,,,,,,!!”
शगुन ने सुना तो प्यार भरी नजरो से गुड्डू को घूरकर हुए कहा,”ये आप जब देखो तब मुझे मास्टरनी कहकर क्यों बुलाते है ?”


गुड्डू मुस्कुराया शगुन की आँखों में देखते हुए कहा,”क्योकि जीवन के सबसे सही सबक हमहू तुम्ही से सीखे है”
“अच्छा कौनसे सबक ?”,शगुन ने पूछा
गुड्डू फिर मुस्कुराया और शगुन हर बार उसकी प्यारी सी मुस्कान में बस खो सी जाया करती थी। इन दिनों गुड्डू को मुस्कुराते हुए देखना शगुन की आदत जो बन चुका था।


गुड्डू ने शगुन को देखा और कहने लगा,”तुमने हमे खुद का करना सिखाया , तुमने सिखाया जब तक हम खुद अपना सम्मान नहीं करेंगे , खुद को अहमियत नहीं देंगे तब तक दूसरे हमारा फायदा उठाएंगे,,,,,,,,,तुमने हमे काबिल बनना सिखाया , आज तुम्हायी वजह से ही हमहू अपना सपना पूरा कर पाये है और अपने काम के साथ खुश है,,,,,,,,,,,तुमने हमे लोगो को माफ़ करना और जाने देना सिखाया , पिंकिया के आकर्षण को हमहू प्रेम समझ बैठे जबकि उह तो प्रेम था ही नहीं हमहू बस उसके पीछे भाग रहे थे ,,

आखिर में हमने उन्हें और गोलू को माफ़ करके अपना लिया,,,,,,,,,,तुम्हाये साथ की वजह से ही हमे अपने घर , तुम्हारे पिताजी के घर और समाज में मान सम्मान मिला और,,,,,,,,,,!!”
कहते कहते गुड्डू रुक गया तो शगुन ने कहा,”और ?”
गुड्डू अब तक शगुन को देखकर सब कह रहा था लेकिन अब उसने नजरे नीची कर ली शायद उसे आगे बोलते हुए शर्म आ रही थी , उसने धीरे से कहा,”और तुमहू हमका सिखाई सच्चा प्यार का होता है ? ,

हमहू तो कबो सोचे भी नहीं थे कि हमका तुमसे इतना प्रेम हो जाएगा,,,,,,,,,बेशक तुम हमायी जिंदगी मा प्रेमिका बनकर नाही बल्कि हमायी पत्नी बनकर आयी पर तुमहू हमेशा हमाये साथ खड़ी रही हम सही थे तब भी और गलत थे तब भी,,,,,,,,,,,सबको सादी से पहिले प्रेम होता है हमको सादी के बाद हुआ,,,,,,,,,,,उह्ह भी तुमसे,,,,,,,फर्क नहीं पड़ता शगुन हमरा पहला प्यार कौन था पर हाँ हमहू यकीन के साथ कह सकते है कि हमरा आखरी प्यार तुम हो,,,,,,,,,,,हम तुमसे बहुत प्यार करते है शगुन,,,,,,,,,,,,,,इतना कि कबो बोलकर बता नहीं पाएंगे,,,,,,,,पर करते है”


शगुन प्यार से गुड्डू को देखते हुए उसकी बातें सुनती रही , गुड्डू उसका पति था लेकिन इस वक्त शगुन को अपने सामने बैठा गुड्डू कॉलेज में पढ़ने वाला मासूम लड़का लग रहा था जो शरमाते हुए किसी लड़की से अपने प्यार का इजहार करता है। शगुन मुस्कुराने लगी,,,,,,,,,,,,गुड्डू ने सामने बैठी शगुन को  मुस्कुराते देखा तो वापस नजरे नीची कर ली और कहा,”बस इसलिए हमहू तुम्हरे सामने अपने दिल की बात नहीं कहते , हमे नहीं समझ आता हमहू का कहे तो बस जो मुंह में आता है बोल देते है और तुमहू हसने लगती हो,,,,,,,,,,!!”


“आप मुझे बहुत पसंद करते है ना ?”,शगुन ने शरारत से पूछा
“हाँ करते है , बहुत ज्यादा,,,,,,,,,,,और ये हमारा हक़ है,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा
शगुन ने सामने पड़ी प्लेट से एक निवाला तोड़कर गुड्डू को खिलाते हुए कहा,”और आपको इस बात का अहसास दिलाते रहना मेरा हक़ है,,,,,,,,!!”
गुड्डू ने निवाला खा लिया और कहा,”देखा फिर मास्टरनी के जैसे बात की ना तुमने,,,,,,,,,,,!!”


शगुन हसने लगी , गुड्डू भी मुस्कुराया और एक निवाला शगुन को खिलाते हुए कहा,”पर जे मास्टरनी से हमहू जिंदगी भर सबक सीखने के लिए तैयार है”
शगुन ने मुस्कुराते हुए निवाला खाया लेकिन खाते खाते शगुन के गले में अटक गया और वह खांसने लगी। गुड्डू ने पास रखा पानी का गिलास उठाया और शगुन के बगल में खड़े होकर उसे पिलाते हुए कहा,”तुमहू भी ना शगुन खाते बख्त इतनी बाते कौन करता है ? अटक गया ना खाना गले में,,,,,,,,,,आराम से पीओ” कहते हुए गुड्डू बड़े प्यार से शगुन का सर सहला रहा था।


शगुन ने गर्दन हिलायी तो गुड्डू ने गिलास साइड में रख दिया और शगुन के बगल में ही खड़ा रहा और शगुन को डाँटने लगा,”ऐसे रखोगी तुमहू अपना ख्याल ?
ऐसा कबो हुआ है कि कुछो खाया हो और गले में ना अटका हो,,,,,,,सच बता रहे है शगुन हमहू ना हो ना तो तुमहू तो अपना,,,,,,,,,!!”


गुड्डू की डाँट सुनकर शगुन ने मासूमियत से सर उठाकर गुड्डू को देखा और मासूमियत से मुस्कुरा दी। आगे के शब्द गुड्डू के गले में ही रह गए , वह शगुन की मासूमियत देखकर ही पिघल गया और कुछ बोल नहीं पाया। दोनों प्यार भरी नजरो से एक दूसरे को देखते रहे और कोई बहुत ही प्यारा सा गाना दोनों के कानो से होकर गुजरने लगा।

आती है बहारे फूल खिलते है
 इश्क़ में जब दो दिल मिलते है
खवाब आँखों में कई पलते है
इश्क़ में जब दो दिल मिलते है
बेचैनिया , बेताबियाँ , है इश्क़ में , गुस्ताखियाँ


दिल अब किसी की सुने ना
मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ , कैसी ये मार्जियाँ,,,,,,,,,,,,,,!!
मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ , मनमर्जियाँ , कैसी ये मार्जियाँ,,,,,,,,,,,,,,!!

मिश्रा जी के घर से निकला गोलू सीधा अपने घर पहुंचा। आँगन में खड़ी पिंकी तार पर धुले हुए कपडे सूखा रही थी। गोलू उधर ही चला आ रहा था पिंकी ने देखा तो कहा,”गोलू ! कल से कहा गायब हो तुम ? रात में भी घर नहीं आये,,,,,,,,,,,,,!!”
“उह्ह्ह सब हमहू तुमका बाद मा बताएँगे , पहिले हमरे लिए खाना बनाय दयो तब तक हमहू स्नान करके आते है,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने पानी से भरी बालटी उठाकर  बाथरूम की तरफ जाते हुए कहा।


बेचारी पिंकी गोलू को देखते रही और फिर बचे हुए कपडे सुखाकर अंदर चली आयी। पिंकी पेट से थी और उसे भी 5वा महीना चल रहा था इसलिए गुप्ताइन उस से ज्यादा काम नहीं करवाती थी। गोलू ने पिंकी को खाने बनाने को कहा था पिंकी हाथ धोकर किचन में चली आयी। गोलू की अम्मा दोपहर अरहर की दाल , लौकी की सब्जी और चावल बना चुकी थी , और आटा गूंध रही थी। पिंकी को किचन में देखकर उन्होंने कहा,”का हुआ पिंकिया ?

भूख लग आयी का ? सब तैयार है बस चपाती सेंक दे ओह्ह के बाद तुमहू खाना खाय लयो,,,,,,,,,,,,,और उह्ह्ह गोलू आया कि नाही ? उह्ह बताये रहय कि रात मा आया था घर पर सबेरे बापस चला गवा ,, जे इसकी और गुडडुआ की दोस्ती भी ना , सादी के बाद भी दोनों एक दूसरे मा घुसे रहते है”
गुप्ताइन ने हँसते हुए कहा तो पिंकी मुस्कुरा दी और उनके पास आकर कहा,”लाईये चपाती हम बना लेते है,,,,,,,,,!!”


“अरे काहे ? हमहू है ना हम बनाते है तुमहू आराम करो”,गुप्ताइन ने कहा
“कितना आराम करेंगे माजी ,, ऐसे तो हमारा होने वाला बच्चा आलसी पैदा होगा,,,,,,,,,,हमे भी कुछ काम करने दीजिये न इसी बहाने हमारा भी मन लग जायेगा “,पिंकी ने कहा
गुप्ता जी अभी अभी बाहर से घर आये थे वे चाय के लिए कहने किचन की तरफ आये थे कि पिंकी के आखरी शब्द उनके कानों में पड़े और उन्होंने कहा,”अरे सही तो कह रही है बहु , थोड़ा काम इनका भी कर लेन दयो,,,,,,,,,,,,का है कि हमका दुसरा गोलू नाही चाहिए इह घर मा”

गुप्ताइन ने सुना तो पिंकी से चपाती बनाने का इशारा किया और खुद गुप्ता जी के लिए चाय बनाने लगी। गुप्ता जी जैसे ही कुछ कहने लगे उनके कानो में गोलू की आवाज पड़ी,”अरे पिंकिया ! अरे यार तौलिया दो ना , हमहू रखना भूल गए”
पिंकी जैसे ही जाने को हुई गुप्ता जी ने कहा,”तुमहू अपना काम करो बिटिया तौलिया हम दे देते है,,,,,,,,,,,!!”


पिंकी चपाती बनाने लगी और गुप्ता जी गोलू के कमरे की कमरे की तरफ बढ़ गए। उन्होंने तौलिया लिया और गोलू को देने चल पड़े। उन्होंने अधखुले दरवाजे में अपना हाथ अंदर कर दिया। गोलू को लगा पिंकी ही उसे तौलिया देने आयी है तो उसने तौलिये के साथ साथ गुप्ता जी का हाथ भी पकड़ लिया और कहा,”जे तुम्हारा नाजुक इतना सख्त कैसे हो गया पिंकिया ?”


“पिंकिया ?”,बाहर खड़े गुप्ता जी बड़बड़ाये अगले ही पल उन्हें समझ आया कि गोलू उन्हें पिंकी समझ रहा है तो उनकी भँवे तन गयी वे कुछ कहते इस से पहले गोलू ने उन्हें पिंकी समझकर अंदर खींच लिया लेकिन जैसे ही दोनों ने एक दूसरे को देखा दोनों की चीख़ निकल गयी।

 गुप्ता जी ने वक्त बर्बाद ना करते हुए 2-4 मुक्के तो गोलू की पीठ पर अंदर ही जमा दिए और फिर उसका कान पकड़कर उसे बाथरूम से बाहर धकेलकर खुद भी बाहर आते हुए बोले,”अबे ठरकी , हबसी , असल जिंदगी के शक्ति कपूर ! बाप की ही इज्जत पे हाथ डाल लिए,,,,,,,,,,,,लाज ना आयी तोपे ?”


“अरे पिताजी आप गलत समझ रहे है हमहू सोचे,,,,,,,,!!”,गोलू ने इतना ही कहा कि गुप्ता जी बीच में ही बोल पड़े,”का सोचे तुमहू ? हमहू सोचे नाही थे गोलू तुम्हरे अंदर इतनी ठरक भरी है , साला अब समझ आ रहा सादी से पहिले पिंकिया पिरेग्नेंट,,,,,,,,,,,,,!!”
गोलू ने सुना तो अपना हाथ गुप्ता जी के सामने करके कहा,”बस पिताजी , अब और नाही सुनेंगे,,,,,,,,,,!!”
“काहे ? कानों में सरसो का तेल डाल लिए हो ?”,गुप्ता जी ने कहा


“अरे का अंट शंट बक रहे है आप ? और पिरेग्नेंट नहीं प्रेग्नेंट होता है”,गोलू ने गुप्ता जी तरफ आते हुए कहा
बस फिर क्या था गुप्ता जी ने गोलू को धर लिया और दो लात और लगाते हुए कहा,”तुमहू मास्टर लगे हो अंग्रेजी के,,,,,,,,,एक तो इतनी शर्मनाक हरकत किये ऊपर से बाप की अंग्रेजी सुधारने चले है,,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी ने गोलू की गर्दन दबोच ली ताकि गोलू भाग ना पाए। अपनी सफाई में कुछ कहता इस पहले सामने वाले घर में रहने वाले यादव जी ने आकर कहा,”अरे गुप्ता जी ! उह पिरेमप्रकाश वैद जी का नंबर है का ? उह्ह का है ना हमायी भैसिया पेट से है”


यादव जी की बात सुनकर गुप्ता जी ने जैसे ही गोलू को देखा गोलू ने गर्दन छुड़वाई और दूर होकर कहा,”माँ कसम पिताजी इह बार हमहू कुछो ना किये है”
“करेंगे तो बेटा हम,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा और जैसे ही पैर से अपना चप्पल निकाल कर हाथ में लिए गोलू महाराज गायब

 गोलू भागकर घर के बाहर आया और हाँफते हुए जैसे ही सामने देखा यादव जी की भैस नजर आयी। गोलू ने उसे देखा और कहा,”साला पिताजी को लगता है हमहू इतना गिर गए है कि तुम्हरे साथ चक्कर चलाएंगे,,,,,,,,छी सकल देखी है अपनी”
देखो अब इंसान हो या जानवर सबकी अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट होती है और ये बात गोलू को समझ तब आयी यादव जी की भैंस रस्सी तुड़वाकर उसके पीछे भागी। अब कानपूर की सड़को पर आगे गोलू और पीछे यादव जी की भैंस,,,,,,,,,,,नजारा देखने लायक था

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संजना किरोड़ीवाल  

Manmarjiyan - Season 3
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अरे का अंट शंट बक रहे है आप ? और पिरेग्नेंट नहीं प्रेग्नेंट होता है”,गोलू ने गुप्ता जी तरफ आते हुए कहा
बस फिर क्या था गुप्ता जी ने गोलू को धर लिया और दो लात और लगाते हुए कहा,”तुमहू मास्टर लगे हो अंग्रेजी के,,,,,,,,,एक तो इतनी शर्मनाक हरकत किये ऊपर से बाप की अंग्रेजी सुधारने चले है,,,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी ने गोलू की गर्दन दबोच ली ताकि गोलू भाग ना पाए। अपनी सफाई में कुछ कहता इस पहले सामने वाले घर में रहने वाले यादव जी ने आकर कहा,”अरे गुप्ता जी ! उह पिरेमप्रकाश वैद जी का नंबर है का ? उह्ह का है ना हमायी भैसिया पेट से है”

अरे का अंट शंट बक रहे है आप ? और पिरेग्नेंट नहीं प्रेग्नेंट होता है”,गोलू ने गुप्ता जी तरफ आते हुए कहा
बस फिर क्या था गुप्ता जी ने गोलू को धर लिया और दो लात और लगाते हुए कहा,”तुमहू मास्टर लगे हो अंग्रेजी के,,,,,,,,,एक तो इतनी शर्मनाक हरकत किये ऊपर से बाप की अंग्रेजी सुधारने चले है,,,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी ने गोलू की गर्दन दबोच ली ताकि गोलू भाग ना पाए। अपनी सफाई में कुछ कहता इस पहले सामने वाले घर में रहने वाले यादव जी ने आकर कहा,”अरे गुप्ता जी ! उह पिरेमप्रकाश वैद जी का नंबर है का ? उह्ह का है ना हमायी भैसिया पेट से है”

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