Sanjana Kirodiwal

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रांझणा – 4

Ranjhana – 4

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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Ranjhana – 4

घाट के मंदिर में , भोलेनाथ की बड़ी सी मूर्ति के सामने शिवम् हाथ जोड़े आँखे बंद किये खड़ा मन ही मन कह रहा था

“आपका बहुत बहुत शुक्रिया भोलेनाथ हम जानते थे आप हमारी प्रार्थना जरूर सुनेंगे और देखिये आपने सुन ली , हमे हमारी मैडम जी से मिलाने के लिए आपका बहुत बहुत बहुत शुक्रिया l हम नहीं जानते हमारा उनसे क्या रिश्ता है पर कुछ तो है जो हमे उनसे जोड़े हुए है l वो आखरी मुलाकात आज भी हमे याद है l कभी कभी तो लगता है वो घाट वाली लड़की ही हमारी मैडम जी है l जब 14 साल पहले वो यहाँ आई थी

तब उनकी छोटी सी डायरी यही छूट गयी थी जो उनके जाने के बाद उस होटल के मालिक ने हमे सौंप दी थी ये कहकर की जब वो आये तो तुम ही उसे लौटा देना l कसम से हमने आज तक उसे खोलकर देखा भी नहीं है l किसी और की अमानत को सम्हालकर रखा है l जब उनसे मिलेंगे तो लौटा देंगे l अभी हम चलते है हमारी मैडम जी से पहली बार मिलेंगे उनके लिए कोई तोहफा भी खरीदना है”

शिवम् मंदिर से बाहर आया और घर के लिए निकल गया l बनारस में विश्वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर उसका घर था शिवम् के बाबा की मिठाईयों की दुकान थी उनकी दुकान की जलेबी और कचोरी पुरे बनारस में मशहूर थी l सुबह सुबह ही दुकान पर लोगो की भीड़ लग जाती जो की दिनभर ऐसी ही चलती थी l शिवम् ने कॉलेज पास करने के बाद उसके बाबा ने उसे दुकान सम्हालने को कहा लेकिन शिवम् उसके सपने कुछ और ही थे l

बाबा की डांट खाकर अकसर वह दुकान पर आ भी जाता लेकिन उसका ध्यान काम में नहीं होता था और इसी वजह से उसे बाबा से डांट सुननी पड जाती l छोटी सी दुकान से इतना मुनाफा हो जाता की शिवम् का परिवार अपनी आर्थिक जरूरते पूरी कर सके l शिवम की अम्मा घर में रहकर घर के काम काज किया करती थी l शिवम् की एक छोटी बहन भी है जिसका नाम है राधिका उसने इसी साल 12वी पास करके कॉलेज में एडमिशन लिया है l

शिवम् की अम्मा कावेरी को हमेशा एक ही चिंता सताती वो थी शिवम् के भविष्य की वह दिन रात इसी चिंता में खटती की कब वह अपने लिए सोचेगा l शिवम् एक अच्छे दिल का सबकी ख़ुशी चाहने वाला , सबकी परवाह करने वाला लड़का था कावेरी उसे हमेशा समझाती थी की दुसरो को खुश रखते रखते वह अपनी ख़ुशी नहीं देख पायेगा लेकिन शिवम् उसे कोई परवाह नहीं थी l बनारस को वह अपना घर मानता था और यहाँ के हर घाट को अपनी महबूबा जिसकी बांहो में जाकर ही उसे सुकून मिलता था l

हर रोज सुबह शाम वह घाट पर आरती में शामिल होता फिर अपने बाबा की मदद करता था , इन सबके अलावा शिवम् बनारस के ही डी.ए.वी. कॉलेज में अकाउंट्स का काम देखता था l कॉलेज की कितनी ही लड़किया उस पर जान छिड़कती और उसके करीब आने की कोशिश करती लेकिन उसके मन में तो उसकी मेडम जी बसी थी लेकिन शिवम का दिल इतना साफ था न की जब भी कोई लड़की उससे प्यार या दोस्ती का इजहार करती वह हाथ जोड़कर सहजता से मना कर देता l

अब तो पूरा कॉलेज जानने लगा था शिवम की मैडम जी को , खाली समय में जब स्टूडेंट्स उसके पास आकर बैठ जाते तो वह उन्हें अपनी मैडम जी की नज्मे , गजले और कविताये सुनाया करता था शिवम् के साथ साथ वे सब भी उन कविताओं के दीवाने हो गए थे l

शिवम् घाट से घर की तरफ आया वह बाबा से छुपता छुपाता घर में जा ही रहा था की तभी बाबा की नजर उस पर पड़ गई उन्होंने उसे आवाज देते हुए कहा,”शिवम् अरे जरा इधर तो आना !

“इनको भी अभी देखना था”,भुनभुनाता हुआ वह उनके सामने आकर खड़ा हो गया

“ये मिठाईयों के डिब्बे मास्टर साहब के घर भिजवा देना आज उनकी लड़की की सगाई है , और ध्यान रहे वक्त से पहुँच जाये”,बाबा ने डिब्बे शिवम् को थमाते हुए कहा

शिवम् ने डिब्बे लिए और बेमन से मास्टर जी के घर के लिए निकल गया l मास्टर जी बनारस के जाने माने व्यक्ति थे सब उनकी बहुत इज्जत किया करते थे l शिवम् बचपन में उन्ही के स्कूल से पढ़ा था इसलिए वह उनकी किसी भी बात को ना नहीं कहता l मास्टर जी की इकलौती लड़की सुमन की आज सगाई थी l सुमन स्कूल के समय से ही शिवम् को चाहती थी लेकिन शिवम् ने कभी उसे कोई खास भाव नहीं दिया l कितनी ही बार सुमन ने उस से अपने प्यार का इजहार किया था लेकिन वह जब भी सुमन को देखता भाग खड़ा होता जैसे वह इंसान न होकर कोई भूत हो l

आज सुमन की सगाई है और वह उसी के घर अपने दुकान की मिठाई देने जा रहा है उसे बहुत अजीब लग रहा था l बाबा की बात भी नहीं टाल सकता था l अभी वह धीरे धीरे चलता हुआ आगे बढ़ ही रहा था की तभी पीछे से गाड़ी के हॉर्न की आवाज आई शिवम् ने पलटकर देखा मुरारी अपनी जीप में सवार था l उसने गाड़ी शिवम् के बराबर रोककर कहा,”का भैया किधर जा रहे ? पैदल थक जाओगे आजाओ हम ले चलते है” शिवम् डिब्बों को सम्हाले गाड़ी में आ बैठा l

“तो कहा चलना है ?”,मुरारी ने गाड़ी आगे बढाकर कहा

“मास्टर जी के घर”,शिवम् ने धीरे से कहा

“अरे आज तो उनकी लोंड़िया की सगाई है ना , तुमको न्योता दिए है का ?”,मुरारी ने चौंकते हुए कहा

“नहीं , मिठाई के डिब्बे पहुँचाने जा रहे है”,शिवम् ने कहा

“ओह्ह बेटा , ये तो वही है ना जिसने तुमको परपोज़ किया था और तुमने साफ साफ न कर दी थी”,मुरारी ने एकदम से गाड़ी को ब्रेक लगाते हुए कहा l

“हम्म्म्म”,शिवम् ने धीरे से कहा

शिवम् का चेहरा देखकर मुरारी जोर जोर से हसने लगा और कहा,”तुमरी किस्मत भी ना जाने क्या क्या दिखाएगी तुमको ? जिसने तुमको चाहा तुम उसी के ब्याह में मिठाई देने जा रहे हो l सोच के ही हंसी आ रही है हमको तो”

“देखो ऐसा है , तुम ना पहिले ये दाँत निपोरना बंद करो और चलो l साला दोस्त हो फिर भी आदत नहीं जाएगी तुमरी जले पे नमक डालने की”,शिवम् ने थोड़ा चिढ़कर कहा

“अरे तो भैया गुस्सा काहे हो रहे हो , चलते है ना”,मुरारी ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए कहा लेकिन हंसी अभी भी नहीं रुक रही थी बेचारा शिवम् ये सोच रहा था की बाबा को भी उसे ही भेजना था l

कुछ देर बाद गाड़ी मास्टर जी के घर के सामने जाकर रुकी l मुरारी को वही रुकने का कहकर शिवम् अंदर गया और डोरबेल बजा दी l मुरारी भी पीछे पीछे चला आया वो ये सीन कैसे मिस कर सकता था l दरवाजा मास्टर जी की लड़की ने ही खोला लेकिन शिवम् को सामने देखकर उसकी भँवे तन गयी उसने गुस्से से शिवम् को देखा और कहा,”अब का लेने आये हो यहां ?

“मिठाई के डिब्बे देने आये है , तुम्हरे चक्कर में अब का काम भी छोड़ दे”,शिवम् ने भी थोड़ा तनते हुए कहा

“तुम हो भी इसी लायक , हूंन्ह”,कहकर सुमन अंदर चली गयी l

पीछे खड़ा मुरारी पेट पकड़ कर हसने लगा l शिवम् को इस वक्त सुमन से ज्यादा मुरारी पर गुस्सा आ रहा था पर चुप रहा उसे चुप देखकर मुरारी आया और अपनी हंसी रोकते हुए कहां,”तुमको देखकर लगता है आने वाले दिनों में तूम बनारस के फेमस मिठाईवाले बनने वाले हो , तुमरे बाप का सपना तो पूरा हो जाइ l जब भी नया बिजनेस शुरू करो हमको न भूल जाना”

शिवम् मुस्कुराया और कहा,”तो आज से ही शुरू हो जाओ और इह जो मिठाई का डिब्बा है ना वो जाके मास्टर जी के घर में रख दो” उसने सारे डिब्बे मुरारी के हाथो में थमा दिए

“मास्टर जी या तुम्हारे ना होने वाले ससुर”,कहते हुए मुरारी एक बार फिर हसने लगा

“मुरारी हम बता रहे है पीट जाओगे तुम”,शिवम् ने तुनककर कहा

“अच्छा बाबा जाते है , तुम यही रुकना”, कहकर मुरारी अंदर चला गया और डिब्बे रखकर वापस आ गया लेकिन जब वापस आया तो शिवम वहा नहीं था l मुरारी इधर उधर देख ही रहा था की तभी उसके फोन पर मेसेज आया l मेसेज शिवम् का था

“तुम घर निकल लो हम कॉलेज जा रहे”

मुरारी वहा से चला गया

डी.ए.वी. कॉलेज , प्रिंसिपल का कमरा

कॉलेज की प्रिंसिपल अनुराधा बजाज किसी फाइल को देखने में व्यस्त थी l शिवम् काफी देर वही खड़ा रहां और फिर धीरे से कहा,”मेडम !!

“अरे शिवम , तुम कब आये ? सॉरी वो ध्यान नहीं रहा , बैठो”,अनुराधा ने फाइल बंद करते हुए कहा

“its ok मेडम !”,शिवम् ने बैठते हुए कहा

“बताओ कैसे आना हुआ ? क्लास की लड़किया फिर से लड़किया परेशान कर रही है”,अनुराधा ने मुस्कुराते हुए कहा

“नहीं मेडम ऐसी कोई बात नहीं है वो दरअसल हमे एक हफ्ते की छुट्टी चाहिए”,शिवम् ने हिचकिचाते हुए कहा

“एक हफ्ते की छुट्टी ? क्या हुआ कोई समस्या”,अनुराधा ने हैरान होते हुए कहा

“नहीं नहीं मेडम वो हम बनारस से बाहर जा रहे है”,शिवम ने कहा

“तुम्हारी मेडम जी मिल गयी क्या ?”,अनुराधा ने चहकते हुए कहा

“मिली नहीं मिल जाएँगी , दो दिन बाद वो आगरा आ रही है , अगर भोलेनाथ ने चाहा तो उनसे मुलाकात जरूर होगी”,शिवम् ने होंठो पर मुस्कान लाते हुए कहा l

“मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करुँगी l तुम्हे जितने दिन की छुट्टी चाहिए ले सकते हो और हां जब अपनी मैडमजी से मिलो तो उन्हें अपने साथ बनारस लेकर जरूर आना , हम भी तो देखे आखिर कौन है वो जिसके पीछे बनारस का ये लड़का इतना पागल हुआ घूम रहा है”,अनुराधा ने कहा

अनुराधा की बात सुनकर शिवम् मुस्कुराने लगा और कहा,”थैंक्यू मेडम , अब हम चलते है आज काम नहीं कर पाएंगे l “

शिवम् जाने लगा तो अनुराधा ने कहा,”अरे शिवम् ,

“जी मेडम”,शिवम् पलटा

“अपनी मैडम जी के लिए कोई तोहफा लिया या यु ही खाली हाथ जाने का इरादा है”,अनुराधा ने कहा

“धत तेरे की ये तो हम भूल ही गए , हम क्या लेकर जाये उनके लिए ?”,शिवम् ने अपने सर पर हाथ से चपत लगाते हुए कहा

“याद रहेगा भी कैसे आज तक कभी किसी लड़की के लिए कोई तोहफा ख़रीदे हो”,अनुराधा ने कहा

शिवम् ने ना में गर्दन हिलाई और कहा,”आप बताईये ना हम क्या लेकर जाये उनके लिए ?”

“हम क्यों बताये ? तुम्हे जो अचछा लगे वो लेकर जाना किसी और की पसंद का नहीं”,अनुराधा ने प्यार से कहा

“हम्म्म ठीक है , अभी चलते है”,कहकर शिवम् वहा से निकल गया l

अनुराधा मैडम ने तो उसे और ज्यादा उलझन में डाल दिया l उसने कभी किसी के लिए तोहफा नहीं खरीदा था तो अपनी मैडम जी लिए क्या खरीदता l चलते चलते वह सोचने लगा,” क्या तोहफ लू उनके लिए l वो इतनी बड़ी हस्ती है उनके पास तो सब कुछ होगा फिर हमारा दिया तो कोई भी तोहफा मामूली सा लगेगा l एक काम करता हु बाबा की दुकान की जलेबिया और कचौरी ले जाता हु l धत तोहफे में कोई जलेबी कचोरी देता है , तो फिर क्या लेकर जाऊ ? …………… जूते , हां जूते लेकर जाता हु l

लेकिन अगर पसंद नहीं आये तो वो ही जूते आकर सीधे तुम्हारे सर पर पड़ेंगे ,,, नहीं नहीं हम ये रिस्क नहीं ले सकते l मुरारी से पूछता हु,,,,,,,,,, नहीं उस से पूछूंगा तो वो चिढ़ाएगा हमे और उसके पास है ही क्या बताने को फिर से कुछ उटपटांग ही बताएगा वो ………………………….. भोलेनाथ की ठंडाई ले जाता हु !! अरे नहीं तुमने क्या उसको नशेड़ी समझ लिया है l तो किस से पुछु ?……………..आई ? हां आई से जाकर पूछता हु “

सोचते हुए वह घर पहुंचा कावेरी उस वक्त आँगन में कपडे सूखा रही थी शिवम् उसके पास गया और उसके पीछे पीछे चलने लगा और कहा,”आई , आई सुन ना !

कावेरी – क्या है ?

शिवम् – किसी लड़की को अगर पहली बार कोई तोहफा देना हो तो क्या देते है ?

कावेरी – लड़की को तोहफा (सोचते हुए हाथ में पकडे कपडे वापस बाल्टी में डाल देती है और खुशी से उछलकर कहती है) मतलब तुझे लड़की पसंद आ गयी , कहा है ? कैसी है ? नाम क्या है ? दिखती कैसी है ? अरे तूने देखा है तो अच्छी ही दिखती होगी l उसे खाना पकाना तो आता है ना , मेरे बेटे को लड़की पसंद आ गयी उसके लिए तोहफा लेना चाहता है वो , अरे रे कोई पण्डित्त को बुलाओ ! कितने सारे काम करने है , मेहमानो को बुलाना है l

लड़की को घर का काम काज तो आता है ना ? नहीं भी आता तो मैं सिखा दूंगी वैसे भी काम ही क्या है मुझे ? लड़की मांगलिक तो नहीं है ना , देख मुझे तो एक साल में ही जुड़वाँ चाहिए एक लड़का और एक लड़की !! “
शिवम् – आई ब्रेक लगाओ , ये सब क्या बोलने लगी आप ? आप जो सोच रही हो वैसा कुछ भी नहीं है
कावेरी – हैं , ऐसा नहीं है तो कैसा है ? तोहफे के लिए काहे पूछ रहे फिर ?


शिवम् – आई , हमे अपनी मैडम जी के लिए कुछ लेना है !
कावेरी – क्या ? तुम अभी तक उनके ख़यालात से बाहर नहीं आये हो , हटो परे खामखा हम तो कुछ और ही समझ बैठे , चलो निकलो यहाँ से
शिवम् – आई , वो इतने सालों बाद मिलेंगी हमसे l एक मौका मिला है उनसे मिलने का , खाली हाथ जायेंगे तो अच्छा नहीं लगेगा ना


कावेरी – शिवम् , जिस लड़की के लिए तू इतना सब कर रहा है क्या वो पहचानेगी तुझे ? इतने सालो में कभी एक बार आकर तेरी खबर तक ना ली उसने और तू उसके वास्ते इतनी दूर जा रहा है l
शिवम् – आई हो सकता है उनकी कोई मज़बूरी हो
कावेरी – शिवम् तू बड़ा भोला है रे , वो शहर की लड़की है उसे कहा कमी होगी ऐसे प्यार की


शिवम् – आई हमे नही पता क्यों पर हमारा दिल कहता है वो भी हमसे मिलने के लिए बेताब जरूर होगी , अगर उन्होंने अपनी जिंदगी में किसी और को जगह दे भी दी होगी तो हम उन्हें सिर्फ देखकर और उनकी अमानत लौटाकर वापस आ जायेगे l बस एक बार जाने की इजाजत दे दीजिये l
कावेरी – मुझे नहीं पता अपने बाबा से पूछ
शिवम् – आई


कावेरी – तेरी वजह से वो पहले ही इतना नाराज है तू चाहता है ये बात करके मैं उन्हें और गुस्सा दिलाऊ हमसे ना होगा
शिवम् कुछ नहीं कहता और चुपचाप वहा से निकल जाता है l अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेटा उदास सा आगरा जाने के बारे में सोचने लगता है l बाबा को मनाना इतना आसान नहीं है l लेकिन अपनी मैडम जी के लिए वह इतना तो जरूर करेगा शिवम् अपनी आँखे मूंद ली बचपन का वह मुस्कुराता हुआ चेहरा उसकी आँखो के सामने आ गया l


शाम को शिवम अपने बाबा के पास गया और उन्हें आगरा जाने के बारे में बताया पहले तो उन्होंने मना कर दिया फिर आखिर में जाने की इजाजत दे दी l कावेरी को पता चला तो वह उदास हो गयी और अपने पति से कहा,”ऐसा कब तक चलेगा जी ?
बाबा – कावेरी शिवम् जब तक उस लड़की से मिल नहीं लेता वो चैन से नहीं बैठेगा ना ही अपने बारे में सोचेगा l भोलेनाथ भी शायद यही चाहते है इसलिए तो इतने सालो बाद उसे मौका मिला है उस से मिलने का , तुम घबराओ मत सब अच्छा होगा


कावेरी – कैसे नहीं घबराऊ जी , पिछले 14 सालो से पल पल मरते , तड़पते देखा है अपने बच्चे को l अगर वो उसे नहीं मिली तो टूट जाएगा वो अपने बच्चे का दिल टूटते नहीं देख सकती मैं
बाबा – इस बात की फ़िक्र तो मुझे भी है कावेरी 14 साल में ना जाने कितना कुछ बदल गया होगा l वो इसे पहचान पायेगी भी या नहीं मालूम नहीं l भोलेनाथ पर भरोसा रख वो सब ठीक करेंगे l

शिवम् को जाने की परमिशन तो मिल ही चुकी थी पर अभी भी उसके सामने एक बहुत बड़ी समस्या थी वो थी अपनी मैडम जी के लिए तोहफा l थक हारकर शिवम् मुरारी के पास जा पहुंचा और उसे अपनी समस्या बताई l मुरारी उसे लेकर बनारस के बाजार गया वहा उन्होंने सब गलियों की खाक छान ली पर उन्हें कोई तोहफा नहीं मिला l

अंत में दोनों एक शोरूम में पहुंचे जहा ढेर साडी बनारसी साड़िया थी उन्हें देखते ही मुरारी ने तपाक से कहा,”गुरु बनारस का सबसे अच्छा तोहफा बनारसी साड़ी के अलावा और क्या हो सकता है भला”
“बात तो तुम्हारी सही है , पर क्या साड़ी उनको पसंद आएगी”,शिवम् ने पूछा
“अरे बिल्कुल आएगी और अगर रंग उनकी पसंद का हो तो काहे नहीं आएगी”,मुरारी ने कहा
“हम्म्म चलो देखते है”,कहकर शिवम् मुरारी के साथ काउंटर की और बढ़ गया l


दुकानवाले ने एक से बढ़कर एक खूबसूरत साडिया दिखाई आखिर में शिवम् ने सफेद रंग की लाल बॉर्डर वाली साड़ी पसंद की चूँकि सफेद उनकी मैडम जी का पसंदीदा रंग था l शिवम् ने दुकानदार से वो साड़ी देने को कहा और शोरूम से बाहर आते हुए मुरारी से कहा,”सच कह रहे है तुम ना हमारे सबसे अच्छे दोस्त हो , हमारी हर समस्या का समाधान होता है तुम्हारे पास लव यू मुरारी
“लभ जू टू बाबू , अगर तुम्हरी मैडम जी ना मिले ना तो हमसे ही शादी कर लेना”,मुरारी ने कहा


“तुमसे काहे करेंगे बे ?”,शिवम् ने हैरानी से उसके चेहरे की तरफ देखते हुए कहा
“वो का है ना इस उम्र में अब कोई लड़की तो तुमसे प्यार करने से रही और हमसे साला कोई पट नहीं रही है तो सोचा मिलके एक दूसरे का दर्द बाँट ले , बोलो का कहते हो”,मुरारी ने खींसे निपोरते हुए कहा
“भक साले , इतने भी बुरे दिन नहीं आये है अभी ,, बनारस की लड़किया जिन्दा है अभी का समझे”,शिवम् ने चिढ़ते हुए कहा


“अरे भैया मजाक कर रहे इतना गरम काहे हो रहे हो , वैसे तुम इजाजत दो तो हम भी चले तुम्हारी मैडम जी से मिलने”,मुरारी ने फिर शिवम् को छेड़ते हुए कहा l
“नहीं सबसे पहल उनसे हम मिलेंगे , अगर वो चाहेंगी तो उन्हें बनारस लेकर आएंगे”,शिवम् ने मुस्कुराते हुए कहा
“कब जा रहे हो ?”,मुरारी ने कहा
“आज शाम निकलेंगे , कल सुबह तक वहां पहुँच जायेंगे”,शिवम् ने खुशी से चहककर कहा


“भोलेनाथ तुम्हे तुम्हारी मैडम जी से मिला दे ऐसी दुआ करेंगे”,मुरारी ने कहा
“अच्छा अब हम चलते है , हमे बैग भी जमाना है और फिर समय से निकलना भी तो है”,शिवम् ने कहा और जाने लगा
“हां हां सब समझते है हम दुरी बर्दास्त नहीं ना हो रही अब”,मुरारी ने दांत दिखाते हुए कहा
“क्या मुरारी तुम भी”,कहते हुए शिवम् मुस्कुराता हुआ वहा से चला गया l

इंदौर स्तिथ अपने घर में सारिका अपना बैग जमा रही है l अम्बिका उसके कमरे में कॉफी का मग लेकर आती है सारिका को बैग जमाते देखकर कहती है,”सारिका आप इतनी जल्दी वापस जा रही है ?
“हम कुछ दिनों के आगरा जा रहे है , किसी जरुरी काम से”,सारिका ने बिना अम्बिका की और देखे बैग बंद करते हुए कहा और फिर आकर बेड पर बैठ गयी l


“लेकिन आप अपने पापा से नहीं मिली अभी तक , इस तरह बिना उनसे मिले जाएँगी तो उन्हें बुरा लगेगा”,अम्बिका ने सारिका के पास बैठते हुए कहा
“किस बात का बुरा , हम दो दिन से यहाँ है उन्हें फर्क तक नहीं पड़ता , अब तक हमने उनसे मिलने के लिए इंतजार किया अब कुछ दिन वो कर लेंगे ,, क्या फर्क पड़ता है……………..है ना माँ !”,सारिका ने व्यंग कसते हुए कहा


“समझ नहीं आता ये कैसी जंग है आप दोनों के बिच जिसमे बस हम पिसते जा रहे है l इतना गुस्सा , इतनी नफरत लेकर कैसे जी पाएंगी आप ?”,अम्बिका ने तड़पकर कहा
“जी लेंगे माँ , अब इस सब की आदत हो चुकी है l”,सारिका ने सहजता से कहा वह खुद को अम्बिका के सामने कमजोर दिखाना नहीं चाहती थी
कुछ देर की ख़ामोशी के बाद अम्बिका ने कहा,”कब जा रही है आप ? हम रमन से कहकर आपके लिए फ्लाइट की टिकट बुक करवा देते है”


“नहीं उसकी जरूरत नहीं ही है हम बस से जायेंगे”,सारिका ने कहा
“बस से क्यों ?”,अम्बिका ने हैरानी से कहा
“मुंबई में हमेशा भीड़ में घिरे रहते है , काम में बिजी रहते है l वो कर ही नहीं पाते जो पसंद था हमे l यहाँ इंदौर आने का सिर्फ एक ही मकसद होता है की कुछ दिनों के लिए ही सही हम हमारी पुरानी जिंदगी जी सके l बस में खिड़की वाली सीट हमे आज भी पसंद है माँ बस इसलिए जाना चाहते है”,सारिका ने शून्य में तांकते हुए कहा
“आप आज भी नहीं बदली है सारिका”,अम्बिका ने प्यार से सारिका के चेहरे को निहारते हुए कहा


“आपके लिए कुछ लाये थे देना याद नहीं रहा,कहते हुए सारिका उठी और दूसरे बैग से बनारसी साड़ी निकालकर अम्बिका की और बढ़ा दी
साड़ी देखते ही अम्बिका की आँखों में चमक आ गयी उन्होंने साड़ी को छूकर देखा और कहा,”आपको अब भी याद है हमे ये साड़ी पसंद है”
“हाँ और ये भी याद है की आप ये पापा की वजह से नहीं पहनती है”,सारिका ने थोड़ा गंभीर होकर कहा


“उन्हें ये पसंद है लेकिन…………………………….!!”,अम्बिका ने बात अधूरी छोड़ दी
“लेकिन उन्हे हम पसंद नहीं है , बनारस नाम सुनते ही उन्हें गुस्सा आता है , नफरत हो जाती है उस शब्द से ना जाने क्यों ?”,सारिका ने तड़पकर कहा
“ऐसा नहीं है सारिका , वे आपसे बहुत प्यार करते है बस कहते नहीं है”,अम्बिका ने कहा
“जाने दीजिये ना मैं अब हम बच्चे नहीं रहे ऐसी बातो से बड़ो को नहीं बहलाया जाता l

साड़ी कैसी लगी ? पसंद आयी आपको ?”,सारिका ने बात आगे ना बढ़ाते हुए कहा
“हां बहुत अच्छी है और हमे बहुत पसंद भी आई पर इस साड़ी में हम आपको देखना चाहते है”,अम्बिका ने अपने दिल के जज्बातो को उजागर करते हुए कहा
“आप जो चाहती है वो मुमकिन नहीं है माँ , आप हमसे बंधन में बधने के लिए कह रही है जबकि हम पहले से किसी की यादो से बंधे हुए है”,सारिका ने बेचैनी से कहा


“लेकिन कब तक ? कब तक आप इन बातो को यु ही टालती रहेंगी ? हर माँ बाप की तरह हमारा भी एक सपना है एक फर्ज बनता है , एक जिम्मेदारी है जो हम निभाना चाहते है”,अम्बिका ने सारिका की आँखों में देखते हुए कहा
“वो सारी जिम्मेदारियां आप छोटी के साथ निभा लीजिये”,सारिका ने सहजता से कहा
“इस घर की बड़ी बेटी आप है सारिका , आपसे पहले”,अम्बिका ने तड़पकर कहा
“जब तो हम उन्हें ढूंढ नहीं लेते हम किसी और के बारे में नहीं सोच सकते माँ”,सारिका ने बेचैनी से कहा


“इतनी बड़ी दुनिया में किसी एक सख्स को ढूंढना पागलपन है सारिका”,अम्बिका ने समझाने की कोशिश की
“मोहब्बत की पहली निशानी पागलपन ही है माँ , मानते है दुनिया बहुत बड़ी है पर हमारे इंतजार और सब्र के आगे ये दुनिया हमे बहुत छोटी नजर आती है l 14 साल का इंतजार ऐसे जाया नहीं होने दे सकते है l हम एक बार फिर बनारस जायेंगे माँ जहा से बिछड़े थे वही से शुरुआत करेंगे l वो जरूर मिल जायेंगे”,सारिका ने शून्य में तांकते हुए कहा


“पागल हो गयी है आप ? आपके पापा को पता चला तो…………………..आप ऐसा कुछ नहीं करेंगी ?”,अम्बिका ने घबराते हुए कहा
“उनके लिए हम सबसे बगावत करने को तैयार है , वैसे भी आज तक नफरत के सिवा क्या मिला है थोड़ी और सही”,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा
अम्बिका को उस मुस्कराहट में चुभन का अहसास हुआ , ऐसी चुभन जो किसी का भी मन छलनी कर दे l

घडी शाम के 6 बजा रही थी 7 बजे सारिका की बस थी l सारिका ने अपना बैग उठाया और अम्बिका के पैर छूकर वहा से निकल गयी l उसकी आँखों में बगावत साफ नजर आ रही थी l सारिका बस स्टेण्ड पहुंची और अपनी टिकट कन्फर्म की l खिड़की वाली सीट पर आकर बैठ गयी l उसने मेसेज करके रश्मि को बताया की वह आगरा जा रही है और वहा से बनारस जाएगी l रश्मि ने जब मेसेज देखा तो उसे बहुत ख़ुशी हुई और उसने अपनी फेवरेट राइटर की कविता सारिका को भेज दी l

सारिका ने देखते ही रश्मि को फोन लगाया और कहा,”ये क्यों भेजा है ?
“ये तुम्हारे सफर को और खूबसूरत बनाएगी , बेस्ट ऑफ़ लक सारिका लॉट्स ऑफ़ लव यू और प्लीज़ जल्दी आ जा मिस यू बेड़ली”,रश्मि ने कहा
“मिस यू टू हम जल्दी ही आएंगे !!”,कहकर सारिका ने फोन काट दिया l


सारिका को पढ़ना बिल्कुल पसंद नहीं था लेकिन ना चाहते हुए उसकी उंगलिया फोन की स्क्रीन पर चलने लगी और उसने रश्मि के मेसेज को ओपन किया और कविता पढ़ने लगी l
“मेरे सफर की शुरुआत तुम से है
मेरा है एक सवाल तुम से है
क्या चलोगे मेरे साथ उस डगर पे ?
जहा तुम और मैं एक दूसरे का हाथ थामे चलते जाये बिना थके , निरंतर


क्या तुम चलोगे मेरे साथ एक ऐसे रास्ते पर
जहा रात के सन्नाटे में सुनाई दे हमारी धड़कने
जहा ठंडी बहती हवाएं छूकर गुजरे हमे और भीगा दे अपने प्रेम में
जहा बारिश की बूंदे ठहर जाये हमारे होंठो पर किसी सींप के मोती सी
क्या ठहरोगे तब तुम मेरा हाथ थामे उस घने नीम के पेड़ के नीचे ,


एक नाकाम सी कोशिश बारिश में भीगने से बचने की
अपनी हथेलियों को आपस में घिसते हुये हम बार बार झांकना चाहेंगे एक दूसरे की आँखो में
उबड़ खाबड़ , कीचड़ से सने , पत्थरो से अटे रास्ते
पार कर लेंगे हम एक दूसरे के सहारे
कभी झरने , कभी चट्टानें


तो कभी गहरी नदी के किनारे !!
थककर सुस्ता लेंगे किसी पेड़ की ठंडी छाया मे
तुम्हारे माथे पर आई पसीने की बुँदे तब मैं अपने आँचल के एक कोने से पोंछ दूंगी !!
तुम पूछोगे मुझसे की ‘थक तो नहीं गयी’ ये जानते हुए भी की मेरे पांवो में अब छालो ने जगह बना ली है
तब मैं मुस्कुराते हुए ना में सर हिला दूंगी l


तुम पूछोगे मुझसे की “भूख लगी है” ये जानते हुए भी की तुम्हारे पास इस वक्त खिलाने को कुछ नहीं है
मैं तब भी ना में सर हिला दूंगी , जबकि भूख से बेहाल मेरे पेट की आंते बाहर झलकने लगी है
जानते हो ऐसा क्यों होगा ?
क्योकि उस वक्त हम दोनों एक दूसरे की मोहब्बत में होंगे l
हमे एक दूसरे की परवाह खुद से ज्यादा होगी l


पर ऐसे सफर में हमारी समझ और एक दूसरे पर भरोसा ही सर्वोपर्री होगा
ये सफर शायद हमारी मंजिल से भी खूबसूरत होगा l
और एक बार फिर मजबूती से एक दूसरे का हाथ थामे हम आगे बढ़ जायेंगे
कभी ना रुकने के लिए l!! “

सारिका ने जब पढ़ा तो बस उसमे खोकर रह गयी l बस अपने सफर की और चल पड़ी और सारिका ने फोन बेग में रखकर सर सीट से लगा लिया और आँखे मूँद ली l उस कविता की तरह वो भी अब एक सफर में थी और ये सफर उसे कहा लेकर जायेगा ये कोई नहीं जानता था l

मिलो दूर शिवम् अपना बैग लिए बस में चढ़ा l किस्मत से उसे भी खिड़की वाली ही सीट मिली उसने अपना बैग रखा और आकर बैठ गया l बरसो का ये इन्तजार आज ख़त्म होने जा रहा था l ख़ुशी उसकी आँखों से झलक रही थी l धीरे धीरे बस में सवारिया आकर बैठने लगी l सभी सीटे फूल थी बस इक्का दुक्का सीट खाली थी l शिवम् की बगल में बनारस का ही एक लड़का आकर बैठ गया उसने अपने मुंह में पान दबाया हुआ था और बालो को मोगरे के तेल से चोपड़ा हुआ था

जिसकी महक शिवम् के नाक से होती हुई खिड़की के बाहर जा रही थी l शिवम् उस डायरी को अपने हाथ में थामे खिड़की के बाहर देखता रहा l बस चलने लगी ड्राइवर ने गाना लगा दिया l
“ये धोखे प्यार के धोखे , मैंने बरसो सहे है रो रो के ,, किसी से कोई प्यार ना करे “
अच्छा ये दुनिया का सबसे बड़ा सच है की जितना अच्छा गानो का कलेक्शन बस और ट्रक वालो के पास होता है उतना अच्छा तो किसी म्यूजिक डायरेक्टर के पास भी नहीं होता है


शिवम् के पास बैठे लड़के ने जैसे ही गाना सूना वह सीट से उछल पड़ा और कहा,”अरे इह का भौकाल गाना चलाय दिए हो , अभी 4 दिन पहिले तो ब्याह करके आये है अभी से ऐसे गाने सूना सूना के काहे डरा रहे हो यार l अरे ओह कंडक्टर साहब हाथ जोड़ के बिनती है गाना बंद करि दयो”
कंडक्टर ने गाना बंद कर दिया तो लड़का आगे कहने लगा,”साला जमाना हो गया कुछ अच्छा सुने”
शिवम् ने उसकी तरफ देखा उसने शिवम् के हाथ में पकड़ी डायरी को देखकर कहा,”इसमें का है ?


“किसी की लिखी नज्मे है”,शिवम् ने धीरे से कहा
“तो पढ़के सूनाओ यार , रस्ता इतना लंबा है कैसे कटेगा ?”,लड़के ने पान की पीक खिड़की से थूकते हुए कहा l
“किसी और की डायरी हम कैसे पढ़ सकते है ?’,शिवम् ने उलझन भरे स्वर में कहा
“अरे कमाल करते हो यार सबके सामने पढोगे चोरी थोड़ी कर रहे हो , चलो सूना दो ,, अरे माफ़ी मांग लेना बाद में”,लड़के ने कहा


लड़के के साथ साथ आस पास बैठे लोगो ने भी शिवम से कविता सुनाने को कहने लगे l शिवम् ने हामी में सर हिलाया तो सब उसकी और मुखातिब होकर बैठ गए l शिवम् ने एक नजर सबको देखा और कांपते हाथो से डायरी को खोला पहले ही पन्ने पर खूबसूरत शब्दों में लिखा हु था वेलकम
शिवम ने पन्ना पलटा और पढ़ने लगा -:
“मेरे सफर की शुरुआत तुम से है
मेरा है एक सवाल तुम से है


क्या चलोगे मेरे साथ उस डगर पे ?
जहा तुम और मैं एक दूसरे का हाथ थामे चलते जाये बिना थके , निरंतर
क्या तुम चलोगे मेरे साथ एक ऐसे रास्ते पर
जहा रात के सन्नाटे में सुनाई दे हमारी धड़कने
जहा ठंडी बहती हवाएं छूकर गुजरे हमे और भीगा दे अपने प्रेम में


जहा बारिश की बूंदे ठहर जाये हमारे होंठो पर किसी सींप के मोती सी
क्या ठहरोगे तब तुम मेरा हाथ थामे उस घने नीम के पेड़ के नीचे ,
एक नाकाम सी कोशिश बारिश में भीगने से बचने की
अपनी हथेलियों को आपस में घिसते हुये हम बार बार झांकना चाहेंगे एक दूसरे की आँखो में


उबड़ खाबड़ , कीचड़ से सने , पत्थरो से अटे रास्ते
पार कर लेंगे हम एक दूसरे के सहारे
कभी झरने , कभी चट्टानें
तो कभी गहरी नदी के किनारे !!
थककर सुस्ता लेंगे किसी पेड़ की ठंडी छाया मे


तुम्हारे माथे पर आई पसीने की बुँदे तब मैं अपने आँचल के एक कोने से पोंछ दूंगी !!
तुम पूछोगे मुझसे की ‘थक तो नहीं गयी’ ये जानते हुए भी की मेरे पांवो में अब छालो ने जगह बना ली है
तब मैं मुस्कुराते हुए ना में सर हिला दूंगी l
तुम पूछोगे मुझसे की “भूख लगी है” ये जानते हुए भी की तुम्हारे पास इस वक्त खिलाने को कुछ नहीं है
मैं तब भी ना में सर हिला दूंगी , जबकि भूख से बेहाल मेरे पेट की आंते बाहर झलकने लगी है


जानते हो ऐसा क्यों होगा ?
क्योकि उस वक्त हम दोनों एक दूसरे की मोहब्बत में होंगे l
हमे एक दूसरे की परवाह खुद से ज्यादा होगी l
पर ऐसे सफर में हमारी समझ और एक दूसरे पर भरोसा ही सर्वोपर्री होगा


ये सफर शायद हमारी मंजिल से भी खूबसूरत होगा l
और एक बार फिर मजबूती से एक दूसरे का हाथ थामे हम आगे बढ़ जायेंगे
कभी ना रुकने के लिए l!! “

शिवम् जैसे ही रुका सब वाह वाह करने लगे l सभी शिवम् की तारीफ किये जा रहे थे लेकिन वह हक्का बक्का सा डायरी को थामे बैठा था l जो नज्म उसने बस में बैठे लोगो को सुनाई थी वह आज सुबह अपने फोन में पहले ही पढ़ चुका था जो की उसकी मेडम जी ने पोस्ट की थी l शिवम् एक एक कर पन्ने पलटने लगा l हैरानी से उसकी आँखे फैलती गयी और दिल सामान्य से तेज धड़कता रहा l उस डायरी में लिखी सारी नज्मे वह एक एक करके पढता रहा l

जैसे जैसे वह पढता रहा उसका दिल बैठता रहा और वह एक असहनीय पीड़ा से गुजरता रहा l उस डायरी में वही सब नज्मे थी जो उसकी मैडम जी लिखा करती थी l जिसे वह ढूंढ रहा था वह उसके पास ही थी , उसके दिल के बेहद करीब l ना जाने कितनी ही राते उसने उस डायरी को अपने सीने से लगाकर गुजारी थी l वह जान ही नहीं पाया की उसकी मैडम जी कोई और नहीं बल्कि घाट वाली लड़की ही थी l शिवम् उन्हें पढता गया आखरी पन्ना पलटा तो उस पर लिखा था – “तुम्हारी हीर”


शिवम् का गला रुंध गया और आँख से आंसू छलककर डायरी पर आ गिरा उसने कांपते होंठो से डायरी में लिखे उस आखरी नाम को चुम लिया l पास बैठे लड़के ने शिवम की आँखों में नमी देखी तो कहां,”का हुआ भाई तूम तो इमोशनल हो गए”
“ये डायरी हमारी मैडम जी की है”,शिवम् ने रुंधे हुए गले से कहा l


“तुम्हारी मैडम जी , कोनो इश्क़ विश्क का मामला है का ? देखो अगर ऐसा है तो हम बताय रहे है तुम्हारी और तुम्हारी मैडम जी की कहानी सुने बिना पीछा नहीं छोड़ेंगे तुम्हरा”,लड़के ने कहा l
“सुनाओगे ना ?”,लड़के ने आसभरे शब्दों में कहा

शिवम् ने आँखों की नमी पोंछी और फिर बस में सवार लोगो को अपनी मैडम जी के बारे में बताने लगा l सभी उसे दिल थामे सुन रहे थे l उनके बनारस वाले इश्क़ की कहानी ने सफर को और रोमांचक बना दिया था

वो कहते है कुछ सफर मंजिल से भी खूबसूरत होते है ………………………….!!

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संजना किरोड़ीवाल

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