Sanjana Kirodiwal

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Tere Ishq Me

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हमारी जिंदगी में दो इंसान अचानक आते है पहला दोस्त और दूसरा महबूब और ये कब हमारी जिंदगी बन जाते है हमे पता ही नहीं चलता , पर दिक्कते तब आती है जब हमे दोस्त या महबूब में से किसी एक को चुनना पड़े। यकीन मानिये जिंदगी का सबसे मुश्किल फैसला होता है वो , उस इंसान के लिए जिसकी दोनों में जान बसती हो ! ये कहानी भी कुछ ऐसी है दोस्ती और मोहब्बत की जंग में किसकी होती है जीत ? आईये पढ़ते है

बरेली , उत्तर-प्रदेश
सुबह से मुदित कौशिक के घर में चहल पहल का माहौल था। उनकी इकलौती बेटी प्रिया की दो दिन बाद शादी जो थी और कौशिक साहब अपनी बेटी की शादी में किसी भी तरह की कमी नहीं चाहते थे उन्होंने काफी अच्छा इंतजाम किया हुआ था। मुदित जी अपने बेटे और भाई के लड़को को काम समझा रहे थे और सभी हाथ बांधे खड़े उनकी बात पर सहमति जता रहे थे। कुछ देर बाद ही प्रिया आयी और कहा,”पापा मैंने कहा था शादी में गुलाब के फूलो की लड़िया लगेगी फिर आपने ये मोगरे के फूल क्यों लगवाए है ?”
“बेटा गुलाब के फूल अभी मार्किट में आ नहीं रहे थे तो हमे यही आर्डर करने पड़े , सॉरी बेटा लेकिन शादी वाले दिन पक्का गुलाब के फूलो की ही लड़िया लगेगी”,कौशिक जी ने कहा तो प्रिय ने उन्हें साइड से हग किया और कहा,”थैंक्यू पापा”
“अच्छा तुमने अपने दोस्तों को इन्वाइट कर दिया ना शादी के लिए”,कौशिक जी ने पूछा


“हां पापा बरेली वाली सारी दोस्तों के घर मैंने कार्ड भिजवा दिया और जो दिल्ली में मेरे साथ होस्टल में थी उन दोस्तों को फोन कर दिया वो आज आएँगी”,प्रिया ने कहा
“ठीक है , उनके रुकने का इंतजाम मोनू से कहकर करवा देना”,कौशिक जी ने कहा
“पापा वो सब मेरे साथ मेरे कमरे में ही रहेंगी”,प्रिया ने कहा
“ठीक है , मैं जरा गार्डन का काम देखकर आता हूँ शाम में संगीत का फंक्शन वही रखेंगे”,कहते हुए कौशिक जी चले गए।

प्रिया का फोन बजा उसने देखा उसके होने वाले पति (मेहुल) का फोन था तो उसने फोन उठाकर कान से लगाया और बाते करती हुयी वही घूमने लगी। कुछ देर बाद घर के मेन गेट के बाहर आकर गाड़ी रुकी। प्रिया की आँखे चमक उठी उसने कहा,”मेहुल मैं आपको बाद में फोन करती हूँ , बाय”
“मोनू गेट खुलवा दे”,प्रिया ने दूर से ही अपने चचेरे भाई को आवाज लगायी मोनू ने मेन गेट खुलवा दिया गाड़ी अंदर आ गयी और साइड आकर रुक गयी। गाड़ी से एक लड़का उतरा जिसने फॉर्मल पेंट शर्ट पहना हुआ था और वह काफी हेंडसम लग रहा था। दूसरी तरफ से हलके आसमानी रंग का लॉन्ग अनारकली सूट पहने , हाथो में चूड़ा , कानो में झुमके , खुले बाल , होंठो पर लाली , आँखों में काजल , एक हाथ में अपना पर्स और दूसरे हाथ से अपने 4 साल के बेटे का हाथ पकड़े गाड़ी से नीचे उतरी। लड़का लड़की और बच्चा तीनो प्रिया की तरफ बढे , प्रिया का चेहरा ख़ुशी से चमक उठा।

जैसे ही लड़की प्रिया के पास आयी प्रिया ने उसे कसकर गले लगाते हुए कहा,”मुझे पता था तुम जरूर आओगी , शादी के बाद कितना बदल गयी हो यार ? तुम्हे देखकर तो आज भी ऐसा लग रहा है जैसे कल ही शादी हुई हो”
“शादी तो तेरी है मेरी जान तभी तो तेरे एक फोन पर दौड़ी चली आयी”,पल्लवी ने कहा
“थैंक्यू सो मच ये मेरे लिए सबसे बड़ा गिफ्ट है की मेरी शादी पर मेरे दोस्त मेरे साथ है”,प्रिया ने कहा
“अरे भई अगर तुम दोनों का भरत मिलाप खत्म हो गया हो तो कोई हमपर भी ध्यान दे दो”,पास खड़े पल्लवी के पति अश्विनी ने कहा


“अरे जीजू आप तो हमेशा की तरह टिपटॉप लग रहे हो”,प्रिया ने उनकी तरफ पलटकर कहा और फिर नजर पल्लवी के बेटे पर गयी जो की उसकी बगल में खड़ा चुपचाप सबको देख रहा था , प्रिया नीचे बैठी और उसके दोनों गाल खींचते हुए कहा,”हाय मेरा ध्रुव कितना बड़ा हो गया है अच्छा चलो चलो सब अंदर चलो घरवाले तुम्हे देखकर बहुत खुश होंगे”,कहते हुए प्रिया सबको लेकर अंदर चली आयी।

चलते हुए वह अश्विनी से बाते करती हुई जा रही थी। बाते कम वह उसे छेड़ ज्यादा रही थी। पीछे ध्रुव अपनी मम्मी के साथ चल रहा था उसकी आँखों पर लगा चश्मा बार बार नाक पर आ रहा था और वह अपने नन्हे नन्हे हाथो से उसे सही करते हुए जा चला रहा था। अंदर आकर पल्लवी और अश्विनी सबसे मिले उन दोनों के आने से सभी बहुत खुश थे। अश्विनी कुछ देर रुका फिर बाहर चला गया ऐसा नहीं था वह पहली बार आया था , इस से पहले भी एक बार आ चूका था प्रिया की सगाई में। पल्ल्वी प्रिया की मम्मी और चाची से बाते करने में लगी हुई थी पास में ही ध्रुव बैठा था। वह इतना क्यूट है की हर कोई उसके गाल खिंच रहा था अब तक वह बेचारा इन सब से परेशान हो चुका था उसने पल्ल्वी से कहा,”मम्मा मुझे यहाँ नहीं रहना”
“ध्रुव अभी देखना थोड़ी देर में यहाँ कितने सारे लोग आएंगे फिर बहुत मस्ती करने वाले है हम”,पल्ल्वी ने ध्रुव को बहलाते हुए कहा। कुछ देर बाद अश्विनी आया तो ध्रुव उसके साथ चला गया। सभी बैठकर बाते कर ही रहे थे की पल्ल्वी की नजर दरवाजे पर पड़ी सामने रुबीना और लक्ष्य खड़े थे।

उन्हें देखते ही पल्ल्वी और प्रिया का चेहरा खिल उठा। रुबीना और लक्ष्य अपना अपना बैग सम्हाले अंदर चले आये प्रिया आकर रुबीना के गले मिली और कहा,”ये कोई वक्त है आने का सबसे नजदीक होकर भी सबसे लेट पहुँच रही हो”
“या अल्लाह साँस तो लेने दे एक तो बस इतनी खराब मिली ना मुझे की क्या बताऊ ? ऊपर से इस लक्ष्य के बच्चे ने देर कर दी ,, पीट इसे”,रुबीना ने कहा
“अरे अरे सारा इल्जाम मुझपे , इसने मेकअप करने में दो घंटे लगा दिए तब भी इतनी अच्छी तैयार नहीं हुई ये”,लक्ष्य ने मुंह बनाकर कहा
“अच्छा बाबा झगड़ना बंद करो , आओ पल्ल्वी भी आ चुकी है”,प्रिया ने कहा


“आह्ह उसी से तो मिलने आयी हु और अपने भांजे से भी किधर है छोटा अश्विनी ?”,कहते हुए रुबीना ने एक बार फिर ध्रुव के गालो को पकड़कर खिंच दिया और फिर पल्ल्वी से गले मिलकर कहा,”कैसी हो पल्ल्वी ?”
“मैं ठीक हूँ तू कैसी है ? और ये लक्ष्य तेरे साथ क्या कर रहा है ?”,पल्ल्वी ने शक भरे स्वर में पूछा।
“अरे यार क्या बताऊ मैं नए ऑफिस में इतना बिजी हूँ ना की टाइम ही नहीं मिलता। प्रिया की शादी के लिए मुश्किल से 4 दिन का टाइम निकाला है , फिर सोचा तुम सब से भी मिल लुंगी इसलिए चली आयी ,, आते वक्त उसी बस में ये चिरकुट मिल गया पुरे रास्ते मुझे पकाता आया है ,, प्रिया यार एक कप चाय पीला दे बहुत जरूरत है मुझे”,रुबीना एक साँस में सब कह गयी

पल्ल्वी ने सूना तो मुस्कुराने लगी और कहा,”तू कॉलेज में भी ऐसी ही थी बकलोल और आज भी वैसी ही है,,,,,,,,,,,,,और लक्ष्य तू ? तू कहा रहता है कोई फोन नहीं मैसेज नहीं ?”
“तुम्हे तो पता ही है प्राइवेट नौकरी में जाने का मतलब ,, जिन्दा छोड़ते नहीं मरने देते नहीं , दिन रात कंप्यूटर के सामने बैठकर बस टक टक करते रहो”,कहते हुए लक्ष्य पल्ल्वी की तरफ आया और उसे साइड हग करके वहा पड़े सोफे पर बैठ गया
“वैसे अच्छा हुआ प्रिया की शादी के बहाने तुम सब आ गए वरना पता नहीं कब किस से मिलना होता ?”,पल्ल्वी ने कहा
“अच्छा वैसे तू कहा रह रही है आजकल सूना था जीजू की जॉब ट्रांसफर हो गयी”,रुबीना ने बैठते हुए कहा


“हां उनकी जॉब आगरा में शिफ्ट हो गयी है अच्छा है ना अपने ही शहर में वापस आ गयी मैं , अब जब मन करता है माँ पापा से भी मिल लेती हूँ”,पल्ल्वी ने कहा
“अरे उनको भी फोन किया है मैंने अंकल आंटी ने कहा है शादी वाले दिन आएंगे”,प्रिया ने चाय के कप सबको थमाते हुए कहा। पल्ल्वी , रुबीना और प्रिया तीनो दिल्ली यूनिवर्सिटी में साथ पढ़ती थी हॉस्टल में भी तीनो एक ही कमरे में रहती थी। लक्ष्य भी उसी कॉलेज में पढता था और दिल्ली में ही रहता था।
“बाकि सब तो ठीक है ये वरूण कहा रह गया ?”,लक्ष्य ने कहा


“हम यहा है मेरी जान”,सामने से वरुण ने आते हुए कहा तो लक्ष्य उठा और उसके गले लगते हुए कहा,”ये हमेशा देर से आने की आदत जाएगी नहीं तेरी है ना ?”
“क्या करू यार ट्रेन में एक खूबसूरत लड़की से नजरे टकरा गयी और तेरा भाई उसी के चक्कर में दो स्टेशन आगे निकल गया”,वरुण ने कहा जो की थोड़ा फ्लर्टी टाइप का था लेकिन दिल का अच्छा था। पल्लवी , प्रिया और रुबीना भी वरुण से मिली और सब वही हॉल में रखे सोफे पर आ बैठे
वरुण बरैली से ही था और पल्ल्वी के घर से 10 किलोमीटर दूर रहता था।

पल्ल्वी भी बरैली से कुछ ही दूर एक गांव से थी और उसकी शादी अश्विनी से हुई थी जो की आगरा में रहता था लेकिन ट्रांसफर की वजह से कभी लखनऊ तो कभी दिल्ली रहता था। उनके साथ उनका 4 साल का बेटा ध्रुव भी था।
रुबीना भी बरेली के नजदीक एक गाँव से थी और इन दिनों लखनऊ में रहकर नौकरी कर रही थी और लक्ष्य भी वही लखनऊ में ही था। प्रिया बरेली में थी सारे दोस्त एक ही शहर में थे लेकिन अलग अलग। पल्ल्वी , प्रिया , रुबीना और लक्ष्य ने कॉलेज एक साथ ही पूरा किया था जबकि वरुण इन सबका दोस्त पल्ल्वी की शादी में बना था और तबसे इन पांचो की दोस्ती और गहरी हो गयी। वरुण की शादी हो चुकी थी और लक्ष्य अभी अपना करियर बनाने में लगा हुआ था।


सभी बैठकर बाते कर ही रहे थे की अश्विनी के बुलाने पर पल्ल्वी उठकर चली गयी। पल्ल्वी के जाते ही लक्ष्य ने कहा,”हे प्रिया तुमने “साहिबा” को इन्विटेशन भेजा ?”
“तुम्हे तो पता है ना लक्ष्य पिछले 4-5 सालो से वो हम में से किसी के भी कॉन्टेक्ट में नहीं है , फिर भी मैंने उसे उसके सोशल मिडिया अकाउंट्स में हर जगह टैग करके मेसेज छोड़ा है उम्मीद है वो देखेगी”,प्रिया ने उदास होकर कहा
“टेंशन मत ले यार वो हमारी दोस्त है देखना तेरी शादी में जरूर आएगी”,रुबीना ने उसके बगल में बैठकर अपनी बांह उसके कंधे पर रखते हुए कहा
“अगर वो आती भी है तो पल्ल्वी को देखकर उसका रिएक्शन क्या होगा यार ? कही फिर से दोनों में,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,वरुण ने सीरियस होकर कहा


“पल्ल्वी आ रही है चुप रह”,रुबीना ने दबी आवाज में कहा तो वरुण ने आगे की बात मुंह में ही रख ली और पल्ल्वी से कहा,”अरे पल्ल्वी मैडम अपने मिस्टर राईट से तो मिलवा दो यार , यहाँ लड़कियों में बैठे बैठे बोर हो गया हूँ”
“अच्छा,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए रुबीना ने वरुण को एक पिलो खींचकर मारा तो वरुण झुक गया और वह जाकर लगा लक्ष्य को ,, बस फिर क्या था रुबीना और लक्ष्य जिनकी आपस में बिल्कुल नहीं बनती थी उनमे बहस होने लगी। वरुण तो उठकर अश्विनी से मिलने चला गया। पल्ल्वी ने उन दोनों को दूर करते हुए कहा,”गाईज 5 साल हो चूके है हमे कॉलेज छोड़े हुए ऐसे लड़ना बंद करो”
रुबीना लक्ष्य से दूर हटी और चली गयी।

लक्ष्य भी चला गया उसके साथ पल्लवी भी जाने लगी तो प्रिया ने कहा,”पल्ल्वी”
“हां”,पल्ल्वी ने प्रिया की तरफ पलटकर कहा
“मैंने “साहिबा” को भी अपनी शादी में आने को कहा है , तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा ना ?”,प्रिया ने पल्ल्वी की आँखो में देखते हुए कहा जिनमे साहिबा का नाम सुनकर बेचैनी और उदासी घिर आयी थी। कुछ देर खामोश रहने के बाद पल्ल्वी ने कहा,”नहीं प्रिया मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगेगा , तुम सब की तरह वो भी मेरी दोस्त है अगर वो यह आती है तो मुझे ख़ुशी होगी”
कहकर पल्ल्वी चली गयी लेकिन प्रिया मुस्कुरा उठी ये सोचकर की आज भी पल्ल्वी और साहिबा के बीच वो रिश्ता कायम था जिसे लोग दोस्ती कहते है।

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“या अल्लाह साँस तो लेने दे एक तो बस इतनी खराब मिली ना मुझे की क्या बताऊ ? ऊपर से इस लक्ष्य के बच्चे ने देर कर दी ,, पीट इसे”,रुबीना ने कहा

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