Shah Umair Ki Pari – 15 दुसरी दुनियाँ – ज़ाफ़रान क़बीला :“बच्चो आज मेरी तबीयत बहतर लग रही.। चलो हम सब मिल के बगीचे में टहलते है, थोड़ा ताजी हवा के साथ कूछ वक़्त बच्चो तुम दोनो के साथ भी गुज़र...
Shah umair ki pari -13 heart a broken broken heart a Shah umair ki pari -13 शहर धनबाद में :- “ओफ्फो! परी बेटा ऑफिस नहीं जाओगी तो क्या दिन भर सोती ही रहोगी? कितनी देर हुई तुम्हें सोते। चलो अब, उठो...
Shah Umair Ki Pari – 9 शहर धनबाद में :-”इतना बड़ा और खूबसूरत लाल गुलाब मेरे आईने के पास कैसे आया? आज से पहले तो मैंने ऐसा गुलाब का फूल पहले कभी नहीं देखा है, इस एक फूल से ऐसी खुश्बू...