Sanjana Kirodiwal

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शाह उमैर की परी -7

Shah Umair Ki Pari -7

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Shah Umair Ki Pari

Love Story By Shama Khan

परी के शहर धनबाद में :-
” परी बेटा तुम भी वहा जाकर अपने पापा के साथ मैच देखने लगी थी क्या ?” नादिया जी ने परी और हसन जी को घर में आते देख पूछती है।
‘’नहीं मम्मी वो आसिफ ज़िद करने लगा तो थोड़ी देर उससे बात कर रही थी और पापा थोड़ी देर और मैच देखना चाहते थे इसलिए मैं रुक गयी थी ! आप लोग खाना खा लेना मेरा मन नहीं है मैं सोने जा रही हु !” परी कहते हुए अपने कमरे में चली जाती है !


‘क्या हुआ है इसे और आज इसने अपना टिफ़िन भी नहीं खाया है ? आप ने कुछ बोला है क्या ? !” नदियाँ जी सवालिया नज़रों से हसन जी को देखते हुए कहती है !


“मैंने कुछ नहीं कहा और ना ही रफ़ीक़ के घर कोई ऐसी बात हुई है बस ऐसे ही मन नहीं होगा खाने का उसका या हो सकता है ऑफिस की किसी बात को लेकर टेंशन में होगी ! चलो कम से कम मुझे तो खाना दे दो ! ” कहते हुए हसन जी डाइनिंग टेबल के पास अपनी व्हील चेयर लगा कर बैठ जाते है !


”आप को तो बस खाने की पड़ी रहती है, बच्ची किन बातों से परेशान है? उससे जाकर आप को पूछना चाहिए। जाइये उसे खाने के लिए बुला कर लाए मैं खाना लगा रही हूँ !” नादिया जी हसन जी को डांटते हुए कहती है !
”अच्छा जाता हूँ, तुम नाराज़ न हो, थोड़ा खामोश रहो !” हसन जी कहते हुए परी के कमरे में जाते है जहां परी खिड़की के पास खड़ी बाहर की ओर देखती रहती है !

Love Story By Shama Khan


‘परी बेटा क्या हुआ है? तुम ऐसे क्यों खड़ी हो चलो खाना खा लो। आज तुमने दोपहर में टिफ़िन भी नहीं खाया? अगर कोई बात है तो तुम मुझसे शेयर कर सकती हो बेटा!’’ हसन जी परी के पास आकर कहते है !
”कुछ नहीं पापा बस ऐसे ही ऑफिस में काम ज्यादा था इसलिए टाइम नहीं मिला लंच करने का। आप चलो, मैं फ्रेश होकर आती हूँ !” परी अपने आँखो के आंसू को अपने पापा से छुपाते हुए कहती है !
” ठीक है बेटा, जल्दी आना वरना तेरी मम्मी मेरी क्लास लगा देगी !’’ हसन जी कहते हुए हॉल रूम की तरफ चले जाते है !”


”परी बेटा आज तुम इतनी खामोश क्यों हो? कोई बात हो तो बता दो बेटा। कुछ परेशानी है क्या? बोलो बेटा? ” नादिया जी परी से खाना खाने वक़्त उसकी परेशानी देखते हुए पूछती है !
“प्लीज मम्मी। अब क्या मैं थोड़ी देर चुप नहीं रह सकती? हर वक़्त बक- बक करती रहूँ? थक गयी हूँ आज थोड़ा। क्या थोड़ी देर मुझे थोड़ा सुकून मिल सकता है? ” परी गुस्से में कहती है और खाना छोड़ कर उठने लगती है !

Love Story By Shama Khan


”अरे बेटा बस ऐसे ही पूछ लिया! तुम आज इतना गुस्सा क्यों हो रही हो? ऐसे नाराज नही होते। खाने से तो बिल्कुल भी नही। चलो खाना पूरा खा कर ही उठना।” नादिया जी कहती है तो परी अपने गुस्से को कण्ट्रोल कर के वापस चेयर पर बैठ कर चुप चाप खाना खाने लगती है !


“मम्मी थोड़ा थक गई हूं। मुझे ऐसे बात नही करनी चाहिए। माफ कीजियेगा।” परी ने मम्मी को परेशान देखा तो बोली। फिर खाना ख़ामोशी से खा कर परी अपने कमरे में आ जाती है तो उसके व्हाट्सप्प पे आसिफ के भेजे हुए ढ़ेरो मैसेज रहते है !
” परी, मेरी चांद। आज जो मैं कहना चाहता हूँ, वो मैं ना जाने कब से कहना चाह रहा था! आज जब तुम मेरे सामने आयी तो मेरा बचपन वाला प्यार फिर से जाग गया। बहुत मुश्किल से हिम्मत जुटा कर तुम्हे अपने दिल की बातें लिख रहा हूँ।”


”जब से तुम हमारे यहां मेरे घर पर किराये से रहने आयी हो, तब से तुम मुझे पसंद हो और मैं तुमसे शादी भी करना चाहता हूँ। बस कभी कह नही पाया ! पर आज तुम्हें परेशान देख कर कहने का मन किया। यक़ीन करो, तुम्हे कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दूंगा। सुनो परी, प्लीज रिप्लाई जरूर देना। तुम्हारा जो भी जवाब हो। मैं इंतजार कर रहा हूँ।”

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परी आसिफ का मैसेज पढ़ कर बिना रिप्लाई किये मोबाइल साइड में रख देती है और वापस खिड़की के पास जाकर खड़ी हो जाती है ! परी का रिप्लाई ना पाकर आसिफ उसे बार बार कॉल करता है ! जब फ़ोन आना बंद नही होते तो थक कर परी कॉल रिसीव करती है उसे पता था कि अगर वो कॉल रिसीव नहीं करेगी तो आसिफ कॉल करता ही रहेगा, या घर ही आ जायेगा।
परी – ” हेल्लो क्या हुआ तुम मुझे बार-बार कॉल क्यों कर रहे हो? मैं खाना खा रही थी।”
आसिफ – ” परी तुमने मेरे मैसेजस के जवाब नहीं दिये? तुमने पढ़े न?”


परी- “क्या जवाब दू आसिफ ? तुमसे कभी कुछ छिपा तो नही है। मेरी ज़िन्दगी में कितनी सारी परेशानिया है तुम सब जानते हो। मेरी परेशानियों को और मत बढ़ाओ। तुम एक अच्छे दोस्त हो मेरे लिए, उससे ज्यादा कुछ नही।”
आसिफ – ” मगर परी मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हूँ और मैं तो तुम्हारी परेशानिया ख़त्म करना चाहता हूँ। तुम्ही बताओ क्या कभी मैंने तुम्हारे साथ कोई गलत सुलूक किया है? क्या दो दोस्त हमसफ़र नहीं बन सकते? क्या तुम्हें, मुझ में अपना हमसफ़र नही दिखता? अगर नहीं तो ये तो बता दो कि मुझमे कमी क्या है? ऐसे बिन बात मना मत करो। सोच लो थोड़ा सा और क्या वजह है, जो तुम मना कर रही हो ?”

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परी ” आसिफ फिलहाल मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना है और ना ही मैंने कभी ऐसा तुम्हारे बारे में सोचा है! तुम बहुत अच्छे इंसान हो। तुममें कोई कमी नही आसिफ, लेकिन मैं। मैं तुमसे क्या किसी से भी शादी नहीं करना चाहती। खुदा के लिए मुझे माफ़ कर दो और प्लीज दुबारा कॉल या मैसेज मत करना। तुम्हें हमारी दोस्ती का वास्ता।”
परी कहते हुए कॉल काट कर मोबाइल बेड पर फ़ेंक देती है ! आंसुओ की लड़ी उसकी आँखों से बहती ही जा रही है। आज जो भी उसके साथ हुआ इसे वो अपने आंसुओ के साथ बहा कर भुला देना चाहती है।


” क्या समझती है ये परी खुद को एक तो इतनी हिम्मत जुटा कर मैंने इसको अपने दिल की बात बताई। हमेशा एक अच्छा दोस्त बन कर रहा, हर बार मदद करनी चाही और इसने आज इतनी आसानी से मना कर दिया। मेरे प्यार की तौहीन। तुमने ठीक नही किया परी। ” आसिफ गुस्से में कमरे में इधर से उधर टहलते हुए खुद से ही कहता है !
‘’ बस आसिफ कुछ दिन का इंतज़ार फिर देखता हूँ परी, तुम मुझसे शादी कैसे नहीं करोगी? परी तुम्हे पाने के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकता हूँ। पागल आशिक कह लो या तुम्हारा मजनू।” आसिफ शैतानी मुस्कराहट होठों पर लिए कहता है !

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दुसरी दुनियाँ ‘’ ज़ाफ़रान क़बीला : –
उमैर अचानक अमाइरा के सामने आकर खड़ा हो जाता है और उसे डरा देता है अमाइरा जैसे ही चीखने के लिए मुँह खोलती है उमैर अमाइरा के मुँह पर हाथ रख देता है और कहता है !
” अमाइरा चिल्लाना नहीं, मैं उमैर हूँ। ” और अपने हाथ को अमाइरा के मुँह पर से हटा देता है !
” उमैर भाई आपने ने तो मेरी जान निकाल दी थी ! ऐसे छुप कर आप किचन में क्या कर रहे थे ? आप यहां? आप को तो इस वक़्त महल में होना चाहिए था ? ” अमाइरा पूछती है !


“क्या बताऊं मैं तुझे? बस तुम सब की बहुत याद आ रही थी, मुझे इसलिए चला आया मिलने। कुछ खाने को दो। है भी कुछ खाने के लिए या नहीं? बहुत भूख लगी है।” उमैर कहता है !
“हाँ है। आप अपने कमरे में चलिए, मैं खाना लेकर आती हूँ।” अमाइरा कहती है और खाना गरम करने के लिए चढ़ा देती है !


“अमाइरा बेटा, तुम इस वक़्त खाना क्यों गरम कर रही हो? खाना नहीं खाया था क्या तुमने?” शाह ज़ैद किचन में आकर कहते है !
“अब्बा वो मुझे दोबारा भूख लग रही थी तो सोचा के कुछ खा लूँ। आप कुछ लेंगे क्या? ” अमाइरा घबरा कर कहती है !

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“अच्छा घबराओ मत आराम से खा कर सो जाना। मुझे कुछ नही चाहिए। मैं जा रहा हूँ इबादत करने अपने कमरे में।”
शाह ज़ैद कह कर अपने कमरे में चले जाते है !
“भाई जान आज तो पकड़े जाते अब्बा आ गये थे मगर अब वो अपने कमरे में घंटो इबादत में मसगूल रहेंगे।” अमाइरा उमैर के बेड पर खाना लगाते हुए कहती है मगर उमैर खोया-खोया सा आईने में देखता रहता है !
“उमैर भाई कहा खोए है ? क्या हुआ सब ठीक है ना ? ” अमाइरा कहते हुए उमैर के कंधो को हिलाती है !


” कुछ नहीं अमाइरा बस सोच रहा हूँ, पता नहीं आगे क्या होगा ? आईने के सामने बैठे हुए सालों गुज़र गए मगर वो चेहरा मुझे आज तक नहीं दिखा और शायद कभी दिखे भी नहीं। अब तो अब्बा ने महल के कामो में मुझे फसा भी दिया है। घर भी नहीं आने देते वो मुझे, ये जरुरी थोड़ी है कि हम आम जिन है तो शहशांह की खिदमत करे? क्यों हम उनके महल में नौकर बन कर रहे? हमारी अपनी भी ज़िन्दगी होती है। लेकिन नहीं। ” उमैर उदास होकर कहता है !


“भाई आप परेशान ना हो, सब अच्छा होगा वो जरूर दिखेगी आप को और हो सकता है आज या कल ही दिख जाये। पहले आप खाना खा ले, मायूसी अच्छी बात नहीं। अल्लाह की जात पर भरोसा रखे और मेरे भाई आप किसी शहजादे से कम थोड़ी है। चलिए अब खाना खाये वरना अब्बा आ गये तो गज़ब हो जाएगा। ” अमाइरा खाने के पास उमैर को बैठाते हुए कहती है !
” तुम मुझसे छोटी जरूर हो मगर तुमने हम सब को अम्मी की तरह संभाला है। काश के अम्मी आज ज़िंदा होती। उनकी बहुत याद आती है। ” उमैर की आँखों में आंसू भर आते है कहते हुए !


” हाँ भाई मुझे भी बहुत याद आती है अम्मी की। मगर जो इस दुनिया से एक बार चला जाता है कभी वापस नहीं आता। उनके जाने के बाद से अब्बा भी कितने चीड़ चिड़े हो गये है, वरना अम्मी के होते हुए कभी उन्होंने आप के साथ इतनी सख्ती नहीं की थी ! ” अमाइरा के भी आँखों में आंसू आ जाते है कहते हुए !
‘’ अब्बा की डांट में भी प्यार है। पागल, मुझे तो अच्छा लगता है उनका चिल्लाना मुझ पर।” उमैर खाना खाते हुए कहता है।
” तू बर्तन उठा कर रख दे मैं जा रहा हु महल अगर अब्बा को पता चला तो वो गुस्सा करेंगे।” उमैर कहते हुए एक नज़र प्यार से आईने पर डालता है !


“चलो अब भाई को बता ही देते है आईने वाली लड़की के बारे में खुश हो जाएंगे वो छुपा कर रखना अच्छी बात नहीं।”
” उमैर भाई सुनो कुछ बताना है तुम्हे आईने के बारे में ।” अमाइरा जैसे ही बोलती है तब तक उमैर अमाइरा की नज़रो के सामने से गायब हो जाता है !
“अमाइरा आपी आप इतनी देर से कहा थी कौन था किचन में ? बिल्ली ही थी न?” नफीशा अमाइरा को अपने कमरे में आते देख कर कहती है !


“अब नींद खुली तेरी? उमैर भाई आये थे और चले भी गए खाना खाकर। कोई बिल्ली नही थी।” अमाइरा पलंग पर लेटते हुए कहती है !
“क्या सच में भाई आए थे और आप ने मुझे क्यों नहीं उठाया? मुझे उनको बताना था आईने के बारे में। खैर आप ने तो बता दिया ना उन्हें ?” नफीसा उठ कर बैठते हुए कहती है !
” नहीं मैंने सोचा के पहले भाई को खाना खिला लू। तब बताउंगी पर जैसे ही मैं बताना चाह रही थी, तब तक वो मेरे सामने से गायब हो गए ! ” अमाइरा कहती है!


अचानक नफिशा के ऊपर एक काला बिल्ला गुर्राते हुए कूदता है तो वो उछल कर बैठ जाती है ! “उमैर भाई ये आप हो ना? आप हमेशा इस तरह हमारे सामने क्यों आते है? ये गलत बात है !” नफिशा नाराज़ हो कर कहती है !
“माफ़ कर देना मेरी प्यारी गुड़िया मैं जा ही रहा था कि मुझे ख्याल आया, मैं तुमसे मिला ही नहीं इसलिए बिल्ला बन कर वापस आ गया। वैसे तुम लोग आईने के बारे में क्या बातें कर रही थी? जल्फ़ी बताओ समय कम है।” उमैर हसंते हुए कहता है।


” उमैर भाई बात ही कुछ ऐसी है अगर आप सुन ले तो ख़ुशी से नाच उठेंगे मगर हमें क्या मिलेगा बदले में ? पहले बताओ?” अमाइरा कहती है।
“तुम जो चाहो ले लेना मगर खुदा के लिए बताओ क्या बात है ?” उमैर उत्सुकता से पूछता है !
“जिस दिन आप महल में गए थे” उसी दिन आईने में हमें आप की परी दिखी।” अमाइरा कहती है !
“क्या कहा? सच में? अमाइरा, क्या ये सच है? कैसी दिखती है वो और क्या उसने भी तुम लोगों को देखा? ” उमैर पूछता है।


“बहुत ही काली सी है वो, जैसे आप बने थे अभी काला बिल्ला । मुझे तो लगता है, उसे देख कर आप के सर से मोहब्बत का भूत उतर जाएगा। भाई चलिए आप खुद ही देख लीजिये।” नफिशा शरारती अंदाज़ में चिढ़ाते हुए कहती है !
“मोहब्बत को रंग से क्या मतलब? वो तो दिल और रूह से होती है ! ” उमैर कहता है और फिर अपने कमरे में जाकर आईने के सामने खड़ा होजाता है !


“आप को अभी कुछ नहीं दिखेगा भाई, मैंने हिसार बांध दिया है इस नफिशा की वजह से। ये मुझसे छुप कर उस लड़की को देखती थी ! रुकिए पहले मैं हिसार तोडू ! ” अमाइरा कहती हुई आईने के सामने आती है और कुछ पढ़ कर फूँक मारती है !


‘’ लीजिये भाई। अब आप उसको देख सकते है। उसके अलावा दूसरा कोई इधर नहीं देख सकता और वो भी तब इधर देख पायेगी जब आप की ख्वाहिश होगी मगर आप जब चाहो खुद को उसके सामने ज़ाहिर कर सकते हो ! ‘’ अमाइरा पिछे हटते हुए कहती है !
उमैर आईने के सामने मुस्कुराता हुआ खड़ा उसमे झांकता है ! उसके पीछे एक तरफ नफिशा और दूसरी तरफ अमाइरा खड़ी हो जाती है !

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Wrriten By- Shama Khan

Shah Umair Ki Pari

अचानक नफिशा के ऊपर एक काला बिल्ला गुर्राते हुए कूदता है तो वो उछल कर बैठ जाती है ! “उमैर भाई ये आप हो ना? आप हमेशा इस तरह हमारे सामने क्यों आते है? ये गलत बात है !” नफिशा नाराज़ हो कर कहती है !
“माफ़ कर देना मेरी प्यारी गुड़िया मैं जा ही रहा था कि मुझे ख्याल आया, मैं तुमसे मिला ही नहीं इसलिए बिल्ला बन कर वापस आ गया। वैसे तुम लोग आईने के बारे में क्या बातें कर रही थी? जल्फ़ी बताओ समय कम है।” उमैर हसंते हुए कहता है।

”वो सालों की तलाश मेरी , वो हर वक़्त की तड़प मेरी
लगता है अब यह आईना भी समझ गया है बेकरारी अपनी !
आँखे बंद करलू या खुले रखु , धड़कने थाम लू या चलने दूँ
दिखने वाली है शाह उमैर की परी अभी !”

SHAMA KHAN

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