शाह उमैर की परी – 30
Shah Umair Ki Pari-30
Shah Umair Ki Pari-30
( पिछले भाग में आप लोगों ने पढ़ा के शहजादी मरयम अपनी दोस्ती निभाते हुए उमैर और परी की मंगनी की रस्म उमैर के घर पर करती है ! तभी महल के गुलाम उन सब को महल में हाज़िर होने का कहते है उमैर परी को वापस उसकी दुनिया में छोड़ कर, सभी महल चल देते है अब आगे )
Shah Umair Ki Pari-30
शहर धनबाद में :-
”सलाम आंटी यह परी और अंकल कहा चल दिए ?” आसिफ घर के अंदर आते हुए कहता है !
“वालेकुम असलाम बेटा आओ आओ। अब क्या कहे अपने पापा के लिए टीवी लेने गयी है पता नहीं इनको भी कब अक़ल आएगी बच्ची ने कह दिया तो वो मना करने के बजाए साथ चले गए !” नदिया जी ने कहा !
“अरे! तो क्या हो गया आंटी? अच्छा है ना वैसे भी आप दोनों बोर होते रहते हो, अगर घर पर टीवी रहेगा तो आप सब का मन लगेगा !” आसिफ ने कहा !
“वो सब तो ठीक है बेटा यह बताओ तुम्हारे और परी के बीच कुछ बात आगे बढ़ी के नहीं ?” नादिया जी ने कहा !
“अब क्या बताऊँ आंटी आप को? आप की बेटी ने तो मुझे फ्रेंड जोन में डाल रखा है उसे मुझमे जरा सा भी इंट्रेस्ट नहीं, मगर मैं भी आसानी से हार मानने वालों में से नहीं हूँ । एक ना एक दिन तो उसे मेरा होना ही है बस मैं किसी अच्छे लम्हे का इंतज़ार कर रहा हूँ !” आसिफ ने कहा !
“बस मेरी दुआ तुम्हारे साथ है मैं तो बस अपनी बेटी को दुल्हन बनते देखना चाहती हूँ !” नदिया जी ने कहा !
“जरूर आंटी मैं यह ख्वाहिश जरूर पूरी करूँगा आप की !” आसिफ ने कहा !
“कुछ खाओगे या बस चाय बना दूँ !” नदिया जी ने पूछा !
“नहीं नहीं कुछ नहीं आंटी वो मैं बस थोड़ा सा परी का लैपटॉप देखना चाहता था कुछ काम है ! अगर आप की इजाजत हो तो मैं परी के कमरे में जाकर देख लूँ !” आसिफ ने कहा !
“अरे इसमें पूछने वाली क्या बात है बेटा? जाओ जो काम है कर लो !” नदिया जी ने कहा तो आसिफ अपने जीन्स के पॉकेट में हाथ डाल कर गाना गुनगुनाते हुए परी के रूम में जाता है ! यह पहली बार था जब वो अकेले परी के रूम में आया होता है वो उछलता हुआ परी के बेड पर लेट जाता है और करवट लेकर परी के बेड पर हाथ फेरते हुए कहता है !
” आह। …. कितना सुकून लग रहा है परी तुम्हारे बेड पर लेट कर यही पर सोती हो ना तुम ? इस कमरे की हर चीज़ से तुम्हारी खुश्बू आ रही है !” आसिफ कभी परी की टॉवेल कभी उसके तकिये तो कभी उसके नाईट ड्रेस को हाथों में लेकर उसे सूंघता है ऐसा करते हुए वो उस वक़्त एक पागल प्रेमी की तरह लग रहा होता है तभी अचानक उसकी नज़र आईने पर पड़ती है वो सब कुछ छोड़ कर आईने के पास आकर खड़ा हो जाता है ! उसे यह आईना थोड़ा अजीब लगता है इससे पहले के वो आईने के शीशे को छू कर देखता पीछे से नदिया जी आकर कहती है !
” लो बेटा चाय पिलो और देख लिया तुमने, जो देखना था तुम्हे परी के लैपटॉप में ?”
“वो आंटी मैं बस लैपटॉप ही ढूंढ रहा था मिल नहीं रहा मुझे कही पर भी !” आसिफ थोड़ा सा घबराते हुए नदिया जी के हाथ से चाय लेते हुए कहता है !
“अरे मैं भी पागल हूँ बेटा लैपटॉप तो डाइनिंग टेबल पर ही पड़ा है चलो वही पर बैठ कर काम कर लेना और मुझसे भी बातें करते रहना इससे मेरा भी दिल लगा रहेगा !” नदिया जी ने कहा !
“हाँ आंटी चलिए ना !” आसिफ कहता है फिर बे वजह का परी के लैपटॉप को खोल कर बैठ जाता है !
इधर सारी बातों से अनजान दोनों बाप बेटी शॉपिंग करने में लगे होते है !
“पापा चलो मैं आप को धनबाद के सब से बेस्ट इलेक्ट्रॉनिक्स शॉप Ramsons में लेकर चलती हूँ वहाँ हम को बजट में led मिल जाएगा !” परी ऑटो से बैंक मोड़ में उतरते हुए कहती है !
“पर बेटा यह Ramsons है कहा ?” हसन जी ने कहा !
“बस पापा यही सामने उर्मिला टावर में है शॉप !” परी कहती है फिर अपने पापा का हाथ थामे शॉप में जाती है जहाँ उनका वेलकम सेल्स executive गुलफ्शा बहुत ही अच्छे से करती है फिर सही रेट लगा कर LG ब्रांड का 43 इंच का led उन्हें देती है ! परी ऑटो वाले को अड्रेस बता कर सारे पेमेंट्स कर के वही पर बगल की मोबाइल की शॉप से अपने पापा के लिए मोबाइल लेती है ! फिर वापस ऑटो लेकर पुराना बाजार से कुछ कपड़े अपने और अपने पापा मम्मी के लिए लेती है !
“चलो अब हो गयी शॉपिंग! पापा अब हमे चलना चाहिए !” परी ने कहा !
“बेटा तुम्हे यह नहीं लगता के हमने कुछ ज्यादा पैसे खर्च कर दिये? ” हसन जी परेशान होते हुए कहते है !
“ओफ्फो पापा आप परेशान क्यों हो रहे ? आप को पता भी है आप ने सालों बाद आज इतनी शॉपिंग की है अब उदास ना होये। कुछ खाने का ले लेते है फिर घर चलते है ऑटो वाला हमारा LED लेकर पहुँचता ही होगा घर पर !” परी ने कहा !
“ठीक है चलो बेटा !” हसन जी कहते है फिर दोनों घर की तरफ निकल जाते है !
दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला ” :-
“पता नहीं क्यों मगर अमाइरा और नफिशा मुझे ऐसा लगता है मेरी शामत आने वाली है, जरा शहंशाह को तो देखो कितने गुस्से में हमे ही घूर रहे है और तो और पूरे क़बीले को भी बुला लिया है !” उमैर महल के अंदर शहंशाह के दरबार में आते हुए कहता है !
“उमैर भाई आप से अगर कुछ पूछा जाये तो सोच समझ कर जवाब दिजिएगा !” अमाइरा ने कहा !
“तुम दोनों फिक्र मत करो मैं किसी से नहीं डरता !” उमैर ने कहा !
“उमैर भाई वो तो अभी पता चल जायेगा !” नफिशा ने कहा !
“अब्बा हुज़ूर सब खैरयत तो है? आप ने हम सब को अचानक महल आने का कहा !” शहजादे इरफ़ान ने तख़्त पर बैठे शहंशाह के पास जाते हुए कहा ! उनके साथ शहजादी मरयम भी जाती है
“हमारे पहरेदारों ने मुझे यह खबर दिया है के कल शाह उमैर किसी लड़की के साथ पहाड़ी पर घूम रहा था, उन्होंने उनकी बातें सुनी जिससे उन्हें ये पता चला के वो एक इंसानी लड़की थी, क्या ये सच है? अगर है तो मैं यह बात खुद उससे दरयाफ्त करना चाहता हूँ। कि क्या यह बात वाकई सच है ? एक और बात यह भी के क्या मरयम ने इन्ही वजहों से शादी से इंकार किया है ! ” शहंशाह ने कहा तो सब के गले डर से सूखने लगते है !
“शाह ज़ैद अपने बेटे से कहो के मुझे सारी बातें सच सच बताये वरना तुम सब को क़बीले के क़ानून तोड़ने की सजा मिलेगी !” शहंशाह ने गुस्से में कहा !
“हुज़ूर ऐसी कोई बात नहीं है आप के पहरेदारों को गलत फहमी हुई होगी मेरा बेटा तो कल महल में ही था !” शाह ज़ैद ने अपनी सफाई में कहा !
“नहीं अब्बा वो सच कह रहे है कल मेरे साथ एक इंसानी लड़की थी और मैं उससे बेइन्तेहाँ मोहब्बत करता हूँ !” उमैर ने हिम्मत से कहा !
“यह सुनते ही शाह ज़ैद उमैर के गालों पर जोर से थपड़ मारते है और रोते हुए कहते है, आज तक मैंने तुम पर जितनी भी सख्तियाँ की उनकी वजह यही थी के कही तुम कोई ऐसा काम ना कर दो जिससे तुम्हारी जान खतरे में पड़ जाए और आज तुमने वही कर दिया जिसका मुझे डर रहता था।”
“शाह ज़ैद तुम खामोश रहो मुझे बात करने दो ! शाह उमैर तो क्या तुम क़बीले के कानून भूल चुके हो? हम इंसान से रिस्ता नहीं रख सकते है ! खास कर यह प्यार मोहब्बत वाला ! तुम्हे इंसानी दुनिया में जाने की जरुरत ही क्यों पडी ? तुम अपनी सफाई में क्या कहना चाहते हो ?” शहंशाह ने कहा !
सभी सामने खड़े एक दूसरे को सवालियां नज़रों से देख रहे होते है ! न जाने अब कौन सा तूफ़ान उमैर की ज़िन्दगी में आने वाला होता है !
”नहीं हुज़ूर मैं कोई कानून नहीं भुला हूँ, मगर हुज़ूर दिल पर किसका जोर चला है ? मोहब्बत है वो मेरी और मुझे उससे इश्क़ हो चला है ! ”उमैर ने मुस्कुराते हुए कहा !
“आपी यह उमैर भाई तो शायरी कर रहे वो भी शहंशाह के सामने !” नफीशा अमाइरा के कान में फुसफुसाती है !
“बदतमीज़ शान से अपनी गलतियां बता रहा? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई क़ुदरत के खिलाफ जाने की? जिन इंसान से मोहब्बत नहीं कर सकते यह क़ुदरत के कानून के खिलाफ है। इनको ऐसी सजा मिलनी चाहिए जिस से इस क़ाबिले के हर जिन परिवार को सबक मिले। अभी के अभी इसका सर धड़ से अलग कर दिया जाये और इसके पुरे परिवार को काल कोठरी में हमेशा के लिए सड़ने के लिए डाल दिया जाए !!” शहंशाह ने गरजते हुए कहा !
अमाइरा शहजादे इरफ़ान के पास जाकर कहती है !
” खुदा के लिए मेरे उमैर भाई को बचा ले सजा से वो मासूम है भोले है ! हम सब सजा के लिए तैयार है उन्हें छोड़ दे। ”
“अमाइरा मैं जनता हूँ मगर इस वक़्त मैं मजबूर हूँ , तुम अब्बा को जानती हो ना? जब उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा जबकि मैं उनका एकलौता बेटा था तो उमैर तो एक मुलाजिम है !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
“तो क्या शहशांह मेरे उमैर भाई को मार देंगे ?” अमाइरा ने भरे गले से कहां !
“तुम घबराओ मत मैं हूँ ना मैं बात करता हूँ अब्बा से !”शहजादे इरफ़ान ने अमाइरा का हाथ अपने हाथों में थामते हुए कहा तो अमाइरा को थोड़ी देर के लिए सुकून आया !
“अब्बा आप यह क्या कर रहे है माफ़ करदे इन्हे ?” शहजादे इरफ़ान ने इल्तिजा करते हुए कहा !
“हाँ अब्बा हुज़ूर इश्क़ करने की सजा मौत दी जाए तो दोनों जहान से मोहब्बत का वजूद ही मिट जायेगा , किसी भी दिल पे यह इख्तियार नहीं के वो सोच समझ के किसी के लिए धड़के अब्बा मोहब्बत ना जात देखती है ना धर्म ना जिन ना इंसान , बस नज़रो को कोई भा जाये तो ये वही पर हो जाती है ! आप उमैर को मौत की सजा ना दे खुदा के वास्ते वरना मैं भी जी नहीं पाऊँगी !” शहजादी मरयम ने कहा !
“मरयम और इरफ़ान तुम दोनों खामोश रहो गलती की है उन्होंने तो सजा तो मिलेगी ही! तुम भी बाज आ जाओ वरना मैं भूल जाऊंगा के तुम मेरे बच्चे हो !” शहशांह ने गुस्से में गरजते हुए कहा !
नफिशा अमाइरा चींख चींख कर रोने लगती है !
जल्लाद उमैर के हाथ पैर बांध कर उसकी गर्दन तख्ते पर रखता है फिर उसे सजा देने के लिए तलवार उठाता है ! उमैर आँखे बंद कर के परी को तसव्वुर करता है जो उसी छोटे छोटे फूलों से भरे हरे भरे घांसो वाले मैदान में अपना दुपट्टा लहराते हुए उसकी तरफ दौड़ती आ रही होती है ! उमैर उसका हाथ थामते हुए कहता है !
” आखिर के नज़र लग गयी हमारे प्यार को देखो मुझे सजा दी जा रही ! मैं जा रहा हूँ परी तुम अपना ख्याल रखना मर भी जाऊँ तो तुम्हे कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होगी बस मैं नहीं रहूँगा !” तभी तलवार की तेज़ धार उमैर को अपने गर्दन पर महसूस होती है ! उसके आँखों के किनारे से आँसुओ की लड़ी बहने लगती है
“रुक जाओ…… ” शाह ज़ैद चींख कर बोलते है तो जल्लाद रुक जाता है !
”हुज़ूर मैं सालों से आप के खानदान का मुलाजिम हूँ कभी भी मेरी तरफ से आप को कोई शिकायत का मौका नहीं मिला खुदा के लिए आप उमैर को जो भी सजा देना चाहते है दे दे मगर उसे जान से ना मारे उसे कुछ हुआ तो मैं जीते जी मर जाऊँगा !” शाह ज़ैद शहंशाह के पैरों को पकड़ कर रो रो कर बोलते है !
शहंशाह जल्लाद को रुकने का इशारा करते है फिर कहते है इन “सब को ले जाकर काल कोठरी में फ़ेंक दो ! “
“मगर अब्बा अमाइरा मेरी होने वाली बीवी है आप उसे सजा नहीं दे सकते ? इन सब में उसका और नफिशा का कोई दोष नहीं !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
“वो इस महल की होने वाली मलका थी मगर अब नहीं जब मरयम की शादी उमैर से नहीं हो सकती तो तुम्हारी भी अमाइरा से नहीं होगी। बहतर यही होगा के तुम उसका ख्याल अपने दिल से निकाल दो !” शंहशाह ने शहजादे इरफ़ान को ऊँगली दिखाते हुए कहा !
“मैं शादी करूँगा तो सिर्फ अमाइरा से वरना पूरी ज़िन्दगी यूँ ही रहूँगा !” शहजादे इरफ़ान गुस्से से कहते हुए वहां से चले जाते है !
कुछ पहरेदार आकर सब को पकड़ कर महल के पिछले हिस्से में एक दरवाज़े के पास लेकर जाते है जैसे ही दरवाज़ा खुलता है नीचे की तरफ जाती सीढ़ियां बनी होती है जो उनको सुरंग नुमा जगह पर लेकर जाते है जहाँ चारों तरफ अँधेरा ही अँधेरा फैला हुआ होता है !
“आपी यह लोग हमें कहाँ लेकर जा रहे है !” नफिशा खौफ्फ़ से कहती है !
“तुम परेशान ना हो अब सजा मिली है तो काटनी ही होगी !” अमाइरा ने कहा !
“मुझे माफ़ कर देना अमाइरा , नफिशा और अब्बा आप भी मुझे माफ़ कर दे! मेरे वजह से आप सब भी मुश्किल में फस गए हो !” उमैर ने चलते हुए कहा !
शाह ज़ैद शर्मिंदगी से सर झुकाये चल रहे होते है !
गुलाम उन्हें एक अँधेरे कोठरी में डाल कर बाहर से दरवाज़ा बंद कर के चला जाता है ! उस कोठरी में इतना अंधरे होता है के आँख को हाथ तक नहीं दिख रहा होते है !
“या अल्लाह! अब्बा यहाँ कितना अँधेरा है अब हम क्या करेंगे ?” अमाइरा ने कहाँ !
“अब्बा क्या हम यहाँ से निकल नहीं सकते !” नफिशा ने घबराते हुए कहा !
“नहीं यह काल कोठरी की सजा है उम्र भर के लिए मिलती है यह अब हम सब बाकी बची ज़िन्दगी यही गुजरने वाली है !” शाह ज़ैद उदास शब्दों में कहते है !
“ऐसा ना बोले अब्बा हुज़ूर अगले महीने मेरी शादी है ! क्या हम सब कुंवारे ही मर जाएंगे कोई नहीं बचाएगा हमे ?” नफिशा ने कहा !
“नफिशा बंद कर अपनी नौटंकी तुझे अभी तक अपने शादी की पड़ी है ! ज़िंदा बच जाए वही काफी है !” अमाइरा ने उसे समझाते हुए कहा !
“चलो सब यही पर एक साथ बैठ जाते है बाकी अल्लाह ही हमारी मदद का कोई रास्ता निकलेगा !” शाह ज़ैद ने दिवार को पकड़ते हुए बैठते हुए कहा ! उमैर एक साइड होकर खामोश बैठ जाता है और कहता है !
” जीने की ज़रा सी ख्वाहिश क्या हुई ,
ज़माने को यह बात बुरी लग गयी !
वैसे तो फिरता रहता था आवारा हरदम
जरा सी ठहरने की ख्वाहिश क्या हुई
ज़माने को यह बात बुरी लग गयी !
कभी कभी तो खुशियाँ नसीब होती है
हम गरीबों को ,
उनसे मोहब्बत क्या हुई !
ज़माने को यह बात बुरी लग गयी !”
सभी ख़ामोशी से उसके यह श्यारना अंदाज़ को सुन रहे होते है ! तभी अचानक एक आवाज़ आती है !
“मजलूम बन कर क्या हासिल कर लेगा तू ज़माने से ?
अपने हक़ के लिए तुझे खुद ही ”शमा ” जलानी होगी !”
शेर के खतम होते ही एक मसाल जलने लगती है ! जिससे पुरे कोठरी में उजाला हो जाती है ! सभी को कोठरी के कोने में चादर ओढ़े बैठे एक बुजुर्ग दिखते है !
“जी बुजुर्गवार आप कौन है और यहाँ इस हाल में किस बात की सजा मिली है आप को ?” उमैर कोने में बैठे बुजुर्ग से कहता है !
“शाह उमैर क्या तुम मुझे नहीं पहचान रहे ?” कहते हुए बुजुर्ग जिन अपने चेहरे से चादर हटाते है ! उमैर , अमाइरा , और नफिशा सभी उन्हें हैरत से देखते है !
क्रमशः shah-umair-ki-pari-31
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Written By – Shama Khan
“इश्क़ करने वालों के भी अंदाज़ निराले है ,
जख्म लेकर दिल में हज़ारों
मुस्कुरा कर कहते है हम मोहब्बत करने वाले है !“