Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

साक़ीनामा – 8

Sakinama – 8

Sakinama
Sakinama by Sanjana Kirodiwal

Sakinama – 8

मैं जैसे ही ऑफिस पहुंची मेरे साथ काम करने वाले लड़के मुझे देखने लगे। गलती उनकी नहीं थी आज से पहले किसी ने मुझे ऐसे अवतार में देखा भी तो नहीं था। कुछ ने तो कॉम्प्लिमेंट तक दे दिया। मैं अपने चेंबर में आकर बैठ गयी और काम करने लगी। आज ऑफिस में काम कम था। मुझे ऑफिस आये अभी कुछ ही वक्त हुआ था कि तभी राघव का फोन आया।

स्क्रीन पर राघव का नाम देखते ही मेरे होंठो पर मुस्कराहट तैर गयी मैंने फोन उठाया और कहा,”हेलो !!”
“हाँ जी ! ऑफिस पहुँच गए आप ?”,राघव ने पूछा
“हाँ अभी थोड़ी देर पहले ही पहुंची हूँ , आप तो अभी रास्ते में होंगे”,मैंने कहा
“हाँ ! आप बिजी तो नहीं है ?”,राघव ने पूछा
“नहीं आज ऑफिस में काम कम है , आप कहिये”,मैंने चेंबर से निकल कर बाहर आते हुए कहा और साइड में पड़े सोफे पर आ बैठी।


“वो गांव जा रहा था तो सब खाली खाली लग रहा था , सोचा आपको फोन कर लेता हूँ”,राघव ने कहा
“ये तो अच्छा किया आपने , वैसे भी आपसे ज्यादा बात नहीं हो पायी”, मैंने कहा
“हम्म्म !”,राघव ने कहा
“तो कैसा लगा मिल के ?”,मैंने सवाल किया
“अच्छा लगा , और आपकी तो शक्ल बता रही थी कि आपको कुछ ज्यादा ही अच्छा लगा”,राघव ने कहा तो मैं फिर मुस्कुरा उठी क्योकि वह सही बोल रहा था


“हाँ ! वैसे एक बात कहे”,मैंने कहा
“हाँ कहिये”,राघव ने कहा
“आप बहुत अच्छे इंसान है ! आपके साथ आज काफी कम्फर्टेबल थी मैं , अच्छा लगा आपसे मिलकर”,मैंने कहा
“एक लड़के के लिए ये सुनने से ज्यादा ख़ुशी और क्या हो सकती है भला कि एक लड़की उसके साथ खुद को सेफ फील करे”,राघव ने सहजता से कहा
“जी ! तो अब क्या ख्याल है आपका शादी को लेकर ?”,मैंने सवाल किया


“मेरे फ्रेंड सर्कल में कुछ दोस्तों की शादी हो चुकी है और कुछ सिंगल है , तो जब भी मैं दोस्तों में होता हूँ तो वो लोग अक्सर कहते रहते है कि शादी एक समझौता है , इसमें एडजस्ट करना पड़ता है। काफी चीजों को इग्नोर करना होता है। पर आज अब आपसे मिलने के बाद मुझे नहीं लगता हमारे बीच कभी ऐसा कुछ होगा। मैं नहीं चाहता इस शादी में समझौता होगा”,राघव ने कहा
“बिल्कुल नहीं होगा ! अगर हम दोस्त की तरह एक दूसरे को समझेंगे ,

एक दूसरे की इज्जत करेंगे , एक दूसरे की परवाह और फीलिंग्स का ख्याल रखेंगे तो एडजस्ट करने की जरूरत ही नहीं है”,मैंने अपना पॉइंट रखा
“हाँ यही तो मैं कहना चाह रहा हूँ”,राघव ने कहा
“चिंता मत करो हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं होगा , बल्कि अगर हमारे बीच अच्छी अंडरस्टेंडिंग रही तो हमारे आस पास वाले लोग देखेंगे की एक रिश्ता ऐसा भी हो सकता है जिसमे एडजस्टमेंट या समझौता नहीं है”,मैंने राघव को समझाते हुए कहा


“आप राइटर हो ना”,राघव ने कहा
“हाँ !”,मैंने थोड़ा हैरानी से कहा
“तो एक काम करना शादी के बाद हमारी कहानी लिखना”,राघव ने एकदम से कहा
राघव की बात सुनकर मैं मुस्कुरा उठी , मैंने कभी सोचा नहीं था कि काल्पनिक कहानिया लिखने वाली मैं कभी अपनी कहानी भी लिखूंगी और वो भी इतने खूबसूरत अहसासों के साथ।

उस वक्त राघव के बारे में सोचते हुए मैंने महसूस किया की हमारी कहानी भी लिखी जा सकती है।
“हाँ क्यों नहीं ? बल्कि हमारी कहानी तो मेरे पाठकों के लिए प्रेरणा बनेगी। कैसे अरेंज मैरिज एक सक्सेजफुल लव मैरिज बनती है। मैं हमारी कहानी जरूर लिखूंगी और पता है हमारी कहानी की सबसे खूबसूरत बात क्या होगी ?”,मैंने एक्साइटेड होकर कहा
“क्या ?”,राघव ने पूछा


“हमारी कहानी मेरी अब तक की लिखी कहानियो में से सबसे खूबसूरत होगी , क्योकि उसमे आप होंगे”,मैंने थोड़ा भावुक होते हुए कहा।
“मैंने आपकी लिखी कोई किताब नहीं पढ़ी है लेकिन ये मैं जरूर पढूंगा , तो कब लिख रही है आप ?”,राघव ने खुश होकर कहा
“अरे अभी कहा , अभी तो शुरुआत है। मैं इसे शादी के बाद लिखूंगी”,मैंने कहा
“अच्छा और इसका नाम क्या रखेंगी ? मेरे ख्याल से “अरेंज मैरिज” रखना चाहिए”,राघव ने हँसते हुए कहा


“नहीं कुछ यूनिक सा रखेंगे,,,,,,,,,,,,अभी टाइम है”,मैंने कहा
जब तक राघव घर नहीं पहुंचा तब तक हमारे बीच बातें चलती रही। घर पहुंचकर उसने कहा,”ठीक है अभी मैं रखता हूँ , थोड़ी देर बाद मुझे भाभी और बच्चो के साथ निकलना है। मुझे ड्राइव करना होगा इसलिए आपको कॉल मैसेज नहीं कर पाऊंगा। फ्री रहूंगा तो खुद कर लूंगा”
“ठीक है ध्यान से जाईयेगा”,मैंने कहा


“ठीक है , रखता हूँ”,कहकर राघव ने फोन रख दिया। मैंने मुस्कुराते हुए फोन अपने होंठो से लगा लिया और सोच में पड़ गयी। राघव मेरी रायटिंग को लेकर कितना पॉजिटिव था। वह खुद चाहता था कि मैं उसकी और मेरी कहानी लिखू। आज राघव के लिए मेरे मन में इज्जत और बढ़ गयी।
कुछ देर बाद मैं वापस अपने चेंबर में चली आयी और काम में लग गयी। शाम में घर आते ही मम्मी और जिया मुझसे राघव के बारे में पूछने लगी। मैंने उन्हें राघव से मिलने के बारे में बताया और अपने कमरे में चली आयी।

राघव का कोई मैसेज नहीं था , शायद ड्राइव करने में बिजी होगा सोचकर मैंने फोन वापस रख दिया और अपने लेपटॉप पर काम करने लगी।
मैंने महसूस किया राघव से मिलने के बाद मेरे लिखने में काफी बदलाव आ चुका है। मैं शायरी करने लगी थी , कविताये लिखने लगी थी। ऐसा नहीं था कि मैं पहले ये सब नहीं लिखती थी , लिखती थी लेकिन अब पहले से ज्यादा अच्छे भाव और शब्द होते थे क्योकि उन शब्दों को अब मैं राघव से जोड़कर लिखने लगी थी।

राघव के मेरी जिंदगी में आने से बदलाव तो हो रहा था। दुनिया के लिए मैं एक शख्त राइटर “मृणाल शर्मा” थी लेकिन राघव के लिए सिर्फ ‘मृणाल’ उसके सामने मैं हमेशा विनम्र रहती थी और यही मुझे अच्छा लगता था। मेरा एटीट्यूड , मेरी सख्ती उसके सामने कभी नहीं आयी और हमारे रिश्ते में यही बात सबसे अच्छी थी।    
खाना खाने के बाद राघव का मैसेज आया “खाना खाने के लिए रुके है”
“ठीक है आराम से खा लीजिये” मैंने लिखकर भेजा


“ड्राइव करते करते थक गया हूँ यार” राघव ने भेजा
“तो रूककर थोड़ा आराम कर लीजिये” मैंने भेजा
तभी राघव ने एक तस्वीर भेजी। वो तस्वीर मेरी ही थी जो आज सुबह राघव ने चुपके से ली थी। उस तस्वीर में मैं बहुत ही प्यारी सी स्माइल के साथ अपने फोन में देख रही थी और मेरे सामने कॉफी का ग्लास रखा था।
“ये फोटो आपने कब ली ?” मैंने लिख भेजा


“क्या कह रही थी आप कि आप टी लवर है पर आपके सामने तो कॉफी रखी है” राघव ने भेजा
“अच्छा जी ! एक मिनिट मेरे पास भी कुछ है” मैंने लिखकर भेजा और फिर राघव को वो तस्वीर भेज दी जो मैंने चुपके से ली थी जब वो अपने फोन में बिजी था
राघव ने उस तस्वीर को देखा और लिखकर भेजा “अरे वाह आपने ये कब ली ?”


“हम दोनों कितने पागल है एक दूसरे के सामने बैठकर एक दूसरे की तस्वीरें ले रहे थे जबकि साथ में एक भी फोटो नहीं ली” मैंने लिख भेजा
“बातो बातो में याद ही नहीं रहा। कोई बात नहीं अगली बार ले लेना” राघव ने लिखकर भेजा
मैंने दोनों तस्वीरों को देखा दोनों काफी अच्छी थी और दोनों तस्वीरों में चेहरे पर ख़ुशी और होंठो पर मुस्कराहट थी। मैंने गौर किया कि हम दोनों ने एक ही वक्त पर एक साथ एक दूसरे की ये तस्वीर ली थी।

कुछ देर बाद राघव ऑफलाइन हो गया। मैं बैठकर उन दोनों तस्वीरों को देखने लगी और फिर उन्हें एक साथ जोड़कर एक नयी फोटो बना ली और मुझे यकीन था कि मेरे फोन में अब तक की ये सबसे खूबसूरत तस्वीर रही होगी।
मैं अभी तस्वीर देख ही रही थी कि मरियम का फोन आ गया वो जानने को उतावली हो रही थी कि मेरी राघव के साथ मुलाकात कैसी रही ?
मैंने फोन उठाया और कहा,”हेलो !!”


“और बेटा राघव से मिली आज ? कैसा रहा सब ? क्या क्या बाते हुयी ? हाथ वाथ पकड़ा के नहीं उसने ?”,मरियम ने सवालो की झड़ी लगा दी
मैंने मरियम को सब बातें बताई तो उसने कहा,”यार तेरा बंदा तो बहुत सीधा निकला , वरना लड़के तो ऐसा मौका बिल्कुल नहीं छोड़ते”
“हम्म्म लेकिन वो बहुत डिसेंट है , पता है उसके साथ मुझे बिल्कुल भी अनकम्फर्टेबल नहीं लगा”,मैंने खुश होकर कहा


“मैं अल्लाह मिया से दुआ करुँगी कि तू बस ऐसे ही हमेशा खुश रहे। तुझे बहुत सही बंदा मिला है उसे सम्हाल के रखना। देखना वो तेरी जिंदगी में सब ठीक कर देगा”,मरियम ने थोड़ा भावुक होते हुए कहा
वह जितना मुझे छेड़ती थी उतना ही मुझसे प्यार भी करती थी और हमेशा मेरी अच्छी जिंदगी के लिए दुआ करती थी क्योकि उसने मेरी जिंदगी को बहुत करीब से जो देखा था।

मैं घंटो मरियम से बात करती रही और उन बातों में सबसे ज्यादा जिक्र सिर्फ राघव का था,,,,,,,,,,,,,,,,,, राघव जो मेरी जिंदगी के साथ साथ मेरी बातों का भी हिस्सा बन चुका था। देर रात मैं सोने चली गयी।  

अगली सुबह मेरी आँख खुली फोन देखा राघव का कोई मैसेज नहीं था इसलिए मैंने ही उसे गुड मॉर्निंग लिखकर भेज दिया और कमरे से बाहर चली आयी। तैयार होकर मैं ऑफिस जाने लगी तो राघव का मैसेज आया “गुड मॉर्निंग”
“घर पहुँच गए आप ?” मैंने लिखकर भेजा
“हाँ 8 बजे ही पहुँच गया , फिर थोड़ा सो गया था अब ऑफिस जा रहा हूँ” राघव ने लिखकर भेजा


“ऑफिस क्यों ? थोड़ा रेस्ट कर लेते फिर चले जाते” मैंने लिखकर भेजा
“अरे नहीं ऑफिस में काम बहुत पेंडिंग पड़ा है। 1 हफ्ते की छुट्टी हो गयी थी भैया गुस्सा करेंगे” राघव ने लिखकर भेजा
“एक मिनिट आप ड्राइव करते हुए मैसेज कर रहे है ?” मैंने भेजा
“हाँ !!” राघव ने भेजा


उनकी इस हरकत पर मुझे थोड़ा गुस्सा आया और फ़िक्र भी हुई इसलिए मैंने लिख भेजा “फोन साइड में रखिये और ड्राइव कीजिये और आज के बाद आप ड्राइव करते हुए मैसेज नहीं करेंगे”
“ठीक है , ऑफिस जाकर करता हूँ” राघव ने लिख भेजा और फिर ऑफलाइन हो गया
मैं अपने ऑफिस चली आयी और अपना काम करने लगी। दोपहर होने को आयी लेकिन राघव का कोई मैसेज नहीं था शायद बिजी होगा सोचकर मैंने ही उसे मैसेज कर दिया “खाना खाया आपने ?”


“हाँ बस अभी खाया , आप बताओ ?” राघव ने भेजा
मैं टाइप कर ही रही थी कि तभी राघव का फोन आ गया और फिर उस से बात होने लगी।
सुबह गुड मॉर्निंग और दोपहर में राघव से खाने के लिए पूछना मेरी आदत बन चुका था। अक्सर पहला मैसेज मेरा ही होता था। दिनभर मैसेज में कुछ ना कुछ बातें होती रहती थी फिर शाम में ऑफिस से आने के बाद फ़ोन पर बात होती थी।

हम दोनों के पास एक दूसरे से कहने को बहुत कुछ होता था और यही अहसास था जो धीरे धीरे हमे एक दूसरे के करीब ला रहा था।
एक सुबह मैं ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रही थी। रोजाना की तरह ही फोन में गाने चल रहे थे कि तभी एक बहुत ही प्यारे से गाने की लाइन्स पर मेरा ध्यान गया
“दिल ये मेरा तेरे , दिल से जा मिला है ! रब से जिसको मांगा तू वो हौंसला है”


ये लाइन्स सुनते ही जहन में राघव का ख्याल आ गया और मैं मुस्कुराने लगी लेकिन आगे की लाइन सुनते ही मेरे चेहरे से ख़ुशी गायब हो गयी
“ये इश्क़ तुम ना करना , ये रोग ही लगाए ! दफ़न खुद करे है , फिर शौक भी मनाये”
मैंने गाने की आवाज धीमी कर दी और मन ही मन खुद से कहने लगी,”कितना अजीब गाना है।

एक ही गाने में ख़ुशी और गम दोनों शामिल है। लिखने वाले ने इसे क्या सोचकर लिखा होगा ? कुछ शब्द सच में हमारे मन में वहम पैदा कर देते है।  
मैंने फोन बंद किया और दोबारा इस गाने को ना सुनने का सोचकर अपने ऑफिस के लिए निकल गयी।

Continue With Part Sakinama – 9

Read Previous Part साक़ीनामा – 7

Follow Me On facebook

संजना किरोड़ीवाल

Sakinama
Sakinama by Sanjana Kirodiwal
Sakinama Poetry
Sakinama Poetry by Sanjana Kirodiwal

Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8 Sakinama – 8

2 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!