साक़ीनामा – 4
Sakinama – 4
Sakinama – 4
अगले दिन शाम में ऑफिस से आने के बाद मैं बार बार अपना फोन चैक कर रही थी। ऐसा मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ था , एटलीस्ट किसी के फोन का इंतजार मैंने कभी नहीं किया था। मैं इसे अपनी किस्मत कहू या इत्तेफाक कि कुछ था जो मुझे राघव की तरफ खींच रहा था। रात के खाने के बाद मैं किसी काम से घर के बाहर खड़ी थी कि तभी फोन बजा। स्क्रीन पर राघव का नंबर देखकर धड़कने एकदम से तेज हो गयी। मैं अंदर आयी सभी घरवाले नीचे थे इसलिए अपना फोन लेकर मैं छत पर चली आयी। मैंने फोन उठाया और कान से लगाते हुए कहा,”हेलो !!”
“हाँ जी”,दूसरी तरफ से आवाज आयी
राघव के मुंह से “हाँ जी” सुनकर एक पल के लिए मैं खामोश हो गयी। उस आवाज में एक कशिश थी , बिल्कुल वैसी ही जैसी मैं अपनी कहानियो के किरदारों के लिए लिखा करती थी।
“कैसे है आप ?”,मैंने सवाल किया
“मैं ठीक हूँ आप बताईये ?”,राघव ने उसी कशिश के साथ कहा
“मैं बढ़िया , आप बताईये क्या कर रहे हो ?”,मैंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा
“कुछ नहीं बस अभी ऑफिस से घर आया हूँ। आपने खाना खा लिया ?”,राघव ने एकदम से पूछ लिया
“हाँ कब का ही ?”,मैंने झिझकते हुए कहा
“क्या खाया ?”,राघव ने फिर नपा तुला सा सवाल किया
अमूमन मुझे ऐसे सवाल हमेशा से अजीब ही लगते आये है कि क्या खाया ? इसलिए मैंने राघव के सामने थोड़ा फ्रेंक होते हुए कहा,”देखिये बेहतर होगा हम दोनों ये फॉर्मेलिटी न ही करे कि क्या खाया ? कैसे खाया ? सबको पता है खाने में दाल चावल रोटी सब्जी ही होता है और कभी कभार कुछ स्पेशल”
मेरी इस बात पर शायद वह मुस्कुरा उठा और “वैसे मैं भी यही कहने वाला था , ये सब पूछना मुझे भी थोड़ा अजीब लगता है”,राघव ने कहा
“जी , सो क्या सोचा आपने ?”,मैंने पूछ लिया
“आपको बड़ी जल्दी है हाँ सुनने की”,राघव ने मुझे छेड़ते हुए कहा
“अरे नहीं ऐसा नहीं है , मैंने बस ऐसे ही पूछ लिया। घरवालों को तो आप जानते ही है जब तक हम दोनों जवाब नहीं देंगे वो जीने नहीं देंगे। वैसे अगर आपकी तरफ से ना है तो आपको प्रेशर में आकर हाँ बोलने की जरूरत नहीं है”,मैंने झेंपते हुए कहा
“अगर ना होती तो मैं आपको फोन करने के लिए नहीं कहता”,राघव ने सधी हुई आवाज में कहा
एक बार फिर मेरा दिल धड़क उठा। मुझे खामोश देखकर उसने आगे कहना शुरू किया,”मैं जब मैं आपको देखने आया था तब घरवालों के प्रेशर में ही आया था और सोचा लड़की से मिलकर रिजेक्ट कर दूंगा। फिर आपसे मिला , आपसे बातें की तो फील किया कि हमारी सोच काफी सेम है और हमे एक दूसरे को समझने में भी आसानी होगी तो लगा की इस बारे में आगे सोचा जा सकता है। अभी मैंने घर में हाँ नहीं बोला है। एक दो दिन बात करके देखते है फिर मैं उन्हें जवाब दे दूंगा”
“हम्म्म ठीक है।”,मैंने धीरे से कहा
“वैसे आपने तो उसी दिन हाँ बोल दिया होगा”,राघव ने एक बार फिर मुझे छेड़ते हुए कहा
“नहीं ! ऐसा कुछ भी नहीं है मुझे भी सोचने के लिए थोड़ा टाइम चाहिए”,मैंने हड़बड़ाकर कहा
“सोचना क्या है , मैं हाँ कह दूंगा फिर अगले महीने शादी कर लेते है”,राघव ने कहा
इतनी जल्दी शादी का सोचकर मैं थोड़ा परेशान हो गयी और घबराहट भरे स्वर में कहा,”अरे नहीं इतनी जल्दी शादी नहीं करनी”
“जब दोनों तरफ से हाँ है तो फिर क्या दिक्कत है अभी करे या बाद में करे”,राघव ने सधी हुई आवाज में कहा
“हाँ पर इतनी जल्दी नहीं”,मेरी घबराहट अभी भी कायम थी। राघव कुछ देर खामोश रहा और फिर हसने लगा। उसकी हंसी ने मुझे थोड़ा और परेशान कर दिया और कुछ देर बाद उसने कहा,”परेशान मत होईये , मैं बस मजाक कर रहा था। आप आराम से सोचकर जवाब दे देना”
राघव की बात सुनकर मुझे थोड़ी तसल्ली मिली और उसके बाद हम दोनों में बातें शुरू हुई जिसमे एक दूसरे को जानने को लेकर , पसंद नापसंद को लेकर बातें हुयी जिसमे हम दोनों की कुछ बातें भी सिमिलर थी। राघव ने बताया की उसे चॉकलेट्स बहुत पसंद है।और मुझे चॉकलेट्स बिल्कुल पसंद नहीं थी।
राघव से बात करते हुए मैंने महसूस किया कि मेरे बात करने का तरिका एकदम से नरम हो चूका है और मैं हर बात में काफी जी जी करके बात कर रही थी। वो लड़की जो बिंदास बोलती है और साफ बोलती है आज एकदम से बहुत कम और सलीके से बोल रही थी। मेरे बदलने की ये शुरुआत थी।
बातो बातो में राघव ने एकदम से कहा,”तेरे को मैं एक बात बताता हूँ”
“तेरे को ?”,मैंने उसकी बात को बीच में काटते हुए कहा क्योकि मुझे तू तड़ाके से बात करने वाले लोग बिल्कुल पसंद नहीं , सिवाय अपने दोस्तों और करीबी लोगो के और राघव शायद ये बात नहीं जानता था इसलिए अपने शब्दों को बदलकर कहा,”मेरा मतलब आपको,,,,,,,,,,,,,!!”
“हम्म्म बेटर,,,,,,,,,!”,मैंने कहा और एक बार फिर हमारी बातें शुरू हो गयी। मैं भले कितना भी बदल जाऊ लेकिन मेरे अंदर की सख्त पर्सनालिटी कभी कभी बाहर आ जाती थी।
राघव से बात करने के बाद मैंने फोन काट दिया और अपनी करीबी दोस्त मरियम को फोन लगाया। करीबी इसलिए क्योकि दोस्तों मे एक मरियम ही थी जिस से मैं कभी कुछ छुपाती नहीं थी। एक रिंग के बाद ही मरियम ने फोन उठाया और एक्साइटेड होकर कहा,”हो गयी लड़के से बात ? क्या बातें की ? ये छोड़ ये बता कैसा लगा ? वो वैसा है ना जैसा लड़का तुझे चाहिए ? कुछ बोल बहन चुप क्यों है ?”.
“हाँ अभी थोड़ी देर पहले ही बात हुई , ठीक है लड़का पर अभी ज्यादा कुछ समझ नहीं आ रहा”,मैंने बहुत ही धीमी आवाज में नरम लहजे में कहा
मरियम ने जैसे ही मेरा बदला हुआ लहजा सूना एकदम से बोल पड़ी,”वाह वाह क्या बात है जिस जबान से धड़ाधड़ गालियां बरसती थी आज उस से जबान से इतना प्यार से बोल रही है। तेरा तो टोन ही चेंज हो गया भाई,,,,,,,,,,,,,,,,बेटा पिघल रही है”
“शट अप ऐसा कुछ भी नहीं है , पता नहीं उसके सामने एकदम से टोन चेंज कैसे हो गया ? खैर मेरी उस से बात हुई उसने कहा वो जल्दी अपना फैसला घरवालों को बता देगा”,मैंने छत की दिवार पर बैठते हुए कहा
“हम्म्म सही है , वैसे तूने उस से सब पूछा ना क्लियर ? और उसे अपने काम के बारे में बताया ना , वो बाद में कोई प्रॉब्लम तो नहीं करेगा ना ?”,मरियम ने चिंता जताते हुए कहा जैसे वह हमेशा करती थी
“हाँ मैंने बताया उसे और उसने कहा कि उसे कोई प्रॉब्लम नहीं है। यार सब इतनी जल्दी हो रहा है थोड़ा अजीब लग रहा है , मैं ठीक तो कर रही हूँ ना ? मेरा मतलब ऐसे मैं बहुत समझदार हूँ दुसरो के मामले में लेकिन अपनी जिंदगी से जुड़े फैसले मैंने हमेशा गलत ही लिए है।”,मैंने थोड़ा सीरियस होते हुए कहा
“ऐसा कुछ भी नहीं है , तू ज्यादा मत सोच सब ठीक होगा। वैसे भी तेरी लाइफ एक सही इंसान की एंट्री होनी थी और क्या पता ये सही इंसान राघव ही हो। तू उस से बात कर , उसे समझ और फिर सोच समझ कर फैसला लेना। जितना तूने राघव के बारे में बताया है उस से तो वह मुझे ठीक ही लग रहा है बाकि सब उपरवाले पर छोड़ दे”,मरियम ने कहा
मरियम से बात करके मुझे थोड़ा अच्छा लगा। मैं नीचे अपने कमरे में चली आयी।
फोन देखते हुए मैंने व्हाट्सएप देखा। राघव के प्रोफाइल पर नजर चली गयी तो मैंने उसकी फोटो को देखा। वह आँखों पर धुप वाला चश्मा लगाए , लॉन में पड़ी बेंच पर बैठा दांयी तरफ देख रहा था। वह इतना भी अजीब नहीं था जितना मैंने उसे पहली बार देखकर समझा था। ना चाहते हुए भी मेरे होंठो पर मुस्कराहट तैर गयी। ये कुछ नए से अहसास थे जिन से होकर मैं गुजर रही थी। मैंने फोन साइड में रख दिया और सोने चली गयी।
सुबह आँख खुली तो आदतन मैंने अपना फोन उठाया।
स्क्रीन पर आये मैसेज नोटिफिकेशन को देखकर मेरी आँखे चमक उठी। मैंने मैसेज खोलकर देखा
“गुड मॉर्निंग” मैसेज राघव का था।
आज से पहले इस फ़ोन में सिर्फ सोशल मीडिआ या मेल्स से जुड़े नोटिफिकेशन आते थे आज पहली बार किसी का “गुड मॉर्निंग” मैसेज था।
“गुड मॉर्निंग”,मैंने भी लिखकर भेज दिया और ऑफिस जाने की तैयारी करने लगी।
आज मेरे चेहरे पर रोजाना से थोड़ी ज्यादा चमक थी। आज का दिन भी रोजाना से अच्छा गुजर रहा था। कहते है कि अगर आपकी सुबह की शुरुआत अच्छी हो तो पूरा दिन अच्छा जाता है और ये बात आज थोड़ी सही साबित हो रही थी। बीते कुछ सालो में मैं अपने काम और सपनो में इतना बिजी थी कि कभी अपने लिए वक्त निकाला ही नहीं।
उसी शाम एक बार फिर राघव का फोन आया।
उससे बात करने के लिए फिर से छत पर जाना पड़ा हालाँकि घरवालों को पता था कि मेरी उस से बात हो रही है इसलिए किसी ने मुझे रोका भी नहीं क्योकि उन्हें राघव पसंद था। मैंने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से राघव ने कहा,”वैसे आज मैंने आपको दिन में फोन करने का सोचा था फिर नहीं किया , आप कब फ्री होती है पता नहीं था”
“10-6 मैं ऑफिस में होती हूँ , अर्जेन्ट कॉल्स उठा लेती हूँ बाकि आप चाहो तो शाम में 7 के बाद कर सकते हो”,मैंने कहा
“हम्म्म ठीक है , वैसे कैसा रहा आज का दिन ?”,राघव ने पूछा
“ठीक था,,,,,,,,,,,,रोजाना से अच्छा था”,मैंने अपनी ख़ुशी छुपाते हुए कहा
“मम्मी पापा बार बार पूछ रहे है”,राघव ने पहेलियाँ बुझाते हुए कहा
“किस बारे में ?”,मैंने ना समझने का नाटक करते हुए कहा
“वही हाँ या ना के बारे में”,राघव ने सधी आवाज में कहा
“तो आप बता दो जो आपका डिसीजन हो”,मैंने भी सहजता से कहा
“मैं फैसला ले चुका हूँ बस उन्हें अभी नहीं बताऊंगा”,राघव ने अजीब सी बात कही क्योकि ये अरेंज मैरिज थी और इसमें छुपाने जैसा कुछ भी नहीं था।
“आप शायद अभी भी कन्फ्यूज हैं , अगर आपको ठीक नहीं लग रहा तो आप ना बोल सकते है मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगेगा”,मैंने राघव के लिए सिचुएशन को आसान करते हुए कहा
“क्या आप मुझे ना बोल सकती है ?”,राघव ने जवाब ना देकर उलटा सवाल किया
“मुझे इस रिश्ते से कोई परेशानी नहीं है लेकिन मैं ऐसे आपको फ़ोर्स भी नहीं करना चाहती , शादी एक जिंदगीभर निभाने वाला रिश्ता है इसलिए आप जो भी फैसला लो सोचकर लेना”,मैं अब थोड़ा सीरियस हो चुकी थी
राघव ने इन बातो को साइड करने के लिए कहा,”मैं जल्दी ही उन्हें बता दूंगा”
“हम्म्म”,मैंने धीरे से कहा राघव को समझना थोड़ा मुश्किल हो रहा था उसके मन में क्या चल रहा था ये बस वही जानता था। कुछ देर बातें होती रही और फिर मैं नीचे चली आयी।
मम्मी और जिया से बातें करते हुए मैं अपनी उलझन भूल गयी और सोने चली गयी।
राघव से बात करते हुए एक दो दिन यू ही निकल गए और फिर एक शाम उसने मैसेज करके बताया कि उसने इस रिश्ते के लिए हाँ कर दी है। मैं फोन हाथ में लिए अभी उस मैसेज को देख ही रही थी कि इतने में राघव का फोन आ गया।
Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4Sakinama – 4
Continue With Part Sakinama – 5
Read Previous Part Here साक़ीनामा – 3
Follow Me On facebook
संजना किरोड़ीवाल
Mrunal aur Raghav dono ek dusre ko janne ke liye ph per baate karne lage aur Mrunal ne keh diya ki usse is riste se koi apadi nahi hai aur usse yeah bi samaj nahi araha ki voh Jab Raghav se baad karti ko ek dam badal kyu jarahi thi uska voice tone etc aur ek din Raghav me msg karke bata diya ki usne is riste ke liye haa keh di hai…interesting part Maam♥♥♥♥