साक़ीनामा – 1
Sakinama – 1
Sakinama – 1
कानपुर , उत्तर-प्रदेश
शाम के 7 बज रहे थे , अपनी बाइक पर सवार “सागर” किसी गहरी सोच में डूबा चला जा रहा था । ट्रैफिक में आकर बाइक रुकी तो सागर की नजर पास ही खड़े रिक्शा पर लगे पोस्टर पर चली गयी जो कि हिंदी फिल्म की किसी पुरानी हेरोइन की तस्वीर थी जिसे देखते ही सागर को अपनी कही बात याद आ गयी
“इस तस्वीर में तुम बिल्कुल पुरानी फिल्मों की हेरोइन जैसी दिखती हो”
गाड़ियों के हॉर्न से सागर की तन्द्रा टूटी उसने देखा कि ट्रैफिक क्लियर हो चुका है वह भी अपनी बाइक लेकर आगे बढ़ गया ।
“सागर मिश्रा” अपने माँ-बाप का इकलौता बेटा जो कि लखनऊ के एक छोटे से गांव में अपने परिवार के साथ रहता था । सागर ने अपनी स्कूल की पढ़ाई और कॉलेज उदयपुर से किया था लेकिन आई.टी. कंपनी में नौकरी मिलने के कारण उसे कानपुर आना पड़ा । पिछले 2 साल से वह इसी शहर में था । महीने में एक बार अपने घर जरूर जाता था । शहर की भीड़ भाड़ से दूर सागर ने 2BHK का एक फ्लैट लिया था ।
जिसमे वह अकेला ही रहता है। सांवला रंग , गहरी भूरी आँखे , बड़ी बड़ी पलकें , सुंदर नैन नक्श , 5’8 हाइट , सलीके से बने घने बाल और बांये गाल पर बना तिल 28 साल का सागर दिखने मे स्मार्ट और खूबसूरत था लेकिन अभी तक सिंगल था और ऐसा क्यों था ये कोई नही जानता था ?
सागर एक मेहनती और दूर की सोच रखने वाला लड़का था । ऑफीस में उसकी सबसे अच्छी बनती थी लेकिन कोई ख़ास नही था । वह अक्सर अपनी दुनिया मे खुश रहता था और अपने काम से काम रखता था ।
उसकी इसी पर्सनालिटी के कारण कई लड़कियां उस के करीब आना चाहती थी लेकिन सागर किसी को ज्यादा भाव नही देता । जिस बिल्डिंग में सागर रहता था उसी बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर “हर्ष” रहता था जो कि सागर का एकमात्र दोस्त था । हर्ष भी एक फार्मा एजेंसी में अकाउंट्स का काम करता था
सागर अपनी बाइक लिए सीधा बिल्डिंग के अंदर चला आया और जैसे ही पार्किंग की ओर जाने लगा हर्ष एकदम से उसके सामने आ गया । सागर ने ब्रेक लगाया और कहा,”क्या कर रहे हो ? अभी तुम्हें चोट लग जाती”
“लग जाती तो अच्छा होता , मैं मर जाता और भगवान को प्यारा हो जाता कम से कम इस रोज रोज की चिकचिक से छुटकारा मिलता”,हर्ष ने चिढ़ते हुए कहा
“क्या हुआ ? आज फिर तेरे पापा ने कुछ कहा क्या ?”,सागर ने अपनी बाइक साइड में लगाते हुए कहा और हर्ष के पास चला आया ।
“कभी कभी तो लगता है मेरा बाप ही मेरा सबसे बड़ा दुश्मन है”,हर्ष ने सागर के साथ चलते हुए कहा
“इस दुनिया मे सिर्फ माँ-बाप ही है जो कभी हमारा बुरा नही सोचते”,सागर ने कहा
“हाह तुझे क्या पता , एक दिन मेरे बाप के साथ रहकर देख पता चल जाएगा । माँ-बाप के अलावा भी बहुत लोग है जो हमारा अच्छा सोचते है”,हर्ष ने कहा
“और वो कौन है ?”,सागर ने पूछा
“मेरी जूली , वो मेरे माँ-बाप से भी ज्यादा खयाल रखती है मेरा”,हर्ष ने जूली के ख्यालों में खोकर कहा
“मुझे लगता है तुम्हें जाकर किसी डॉक्टर से मिलना चाहिये”,कहते हुए सागर लिफ्ट की तरफ बढ़ गया क्योकि उसे जूली और हर्ष की लव स्टोरी सुनने में कोई दिलचस्पी नही थी ।
“हाँ हाँ जाओ तुम्हें ये सब सुनना बोरिंग लग रहा होगा , वैसे भी तुम्हें क्या पता प्यार क्या होता हैं ?”,हर्ष ने कहा और वहां से चला गया ।
सागर ने सुना तो उसके कदम रूक गए । प्यार का नाम सुनते ही एक चेहरा एकदम से उसकी आँखों के सामने आ गया और उसका दिल धड़क उठा । लिफ्ट जो कि नीचे आयी थी वापस चली गयी और इस बार सागर को सीढ़ियों से जाना पड़ा उसका फ्लैट 3rd फ्लोर पर जो था ।
सागर अपने फ्लैट के सामने आया और जेब से चाबी निकालकर दरवाजा खोला । वह अंदर चला आया । फ्लैट काफी खूबसूरत था और सलीके से जमा था । एंट्री गेट से आगे आकर सामने कॉमन बाथरूम था । दांयी तरफ हॉल जिसमे L डिजाइन का सोफा लगा था ।
हॉल से लगकर शीशे के गेट की दीवार थी और उसके आगे बालकनी । हॉल में सफेद औऱ नीले रंग के पर्दे लगे थे । पिछली दीवार पर एक आध्यात्मिक तस्वीर लगी थी । उसी दीवार से लगकर सागर का बैडरूम था और दूसरा कमरा भी उसके बगल में था जो कि अक्सर बंद ही रहता था । 2nd रूम से लगकर ऑपन किचन था । कुल मिलाकर वो घर काफी खूबसूरत था । सागर अपने कमरे में आया , कपड़े चेंज किये और बाहर चला आया । वाशबेसिन के सामने आकर उसने हाथ-मुंह धोया और मुँह पोछते हुए किचन की ओर जाने लगा ।
तौलिए को उसने किचन के बाहर पड़ी कुर्सी पर डाल दिया । साथ ही वहाँ पड़े म्यूजिक सिस्टम को ऑन कर दिया । सागर किचन में आकर अपने लिए चाय बनाने लगा । सिस्टम पर चलता गाना उसे सुकून पहुंचा रहा था ।
चाय लेकर सागर बालकनी में चला आया । वह रेलिंग के पास खड़ा हो गया और सामने सड़क पर चलती गाड़ियों को देखते हुए चाय पीने लगा । सागर किसी गहरी सोच में डूबा हुआ चाय के घूँट पिये जा रहा था कि सहसा ही गाने की लाइन ने उसका ध्यान अपनी तरफ खींचा
“राह चलते हुए अक्सर ये गुमा होता है , वो नजर चुपके मुझे देख रही हो जैसे”
सागर अपने आप मे ही बड़बड़ाने लगा,”1 साल हो गया दोबारा कभी उसे देखा ही नही ना उसकी आवाज सुनी । कितनी बार msg भी किया लेकिन कोई जवाब नही आया । उसने कभी किसी को अपनी जिंदगी के बारे में बताया भी तो नही था बस एक शाम अचानक से अपनी शादी की एक तस्वीर पोस्ट की और गायब हो गयी । पता नही वो ठीक भी होगी या नही , क्या शादी के बाद वो सच मे इतनी बिजी हो गयी है ? और मैं आज भी उसके लिए इतना बैचैन क्यो हूं ?
वो तो मुझे ठीक से जानती तक नही फिर मुझे बार बार ये ख्याल क्यो आता है कि वो ठीक नही है ?”
सागर खुद से सवाल कर ही रहा था कि उसका फोन बजा और उसकी तन्द्रा टूटी । उसने जेब से फोन निकाला और देखा फ़ोन उसके पापा का था । सागर ने अंदर आकर म्यूजिक सिस्टम बंद किया और फोन उठाकर कहा,”जी पापा”
“हाँ हेलो सागर , कैसे हो बेटा ?”,सागर के पापा ने पूछा
“मैं ठीक हूं पापा आप और माँ कैसी है ?”,सागर ने पूछा
“मैं और तुम्हारी माँ दोनों बिल्कुल ठीक है । अच्छा बेटा तुम घर कब आ रहे हो ?”,सागर के पापा ने पूछा लेकिन तब तक उनके हाथ से फोन सागर की माँ ले चुकी थी
“घर ? क्यो कुछ जरूरी था क्या पापा ?”,सागर ने पूछा
“क्यो बेटा कुछ जरूरी होगा तभी तुम घर आओगे ऐसे नही ?”,सागर की माँ ने कहा
“अरे नही माँ ऐसी बात नही है । आप बताइए क्या बात है ?”,सागर ने कहा
“ये बता तू घर कब आ रहा है ? कितना टाइम हो गया तुझे देखे हुए और इस बार आये तो पुरे 1 हफ्ते की छुट्टी लेकर आना”,सागर की माँ ने कहा
“एक हफ्ते की छुट्टी किसलिए ?”,सागर ने सवाल किया
“सागर तुझे सब पता है , कितने महीनो से तू अपनी शादी को टाल रहा है लेकिन इस बार नहीं।
मैंने नीमा से हाँ कह दिया है और फिर तू और प्रिया तो बचपन में साथ पढ़े हो। प्रिया और उसके घरवालो को तू पसंद है और इस बार मैंने भी हाँ बोलकर ये रिश्ता पक्का कर दिया है। अब बस तू यहाँ आ जाये तो सगाई कर दे तुम दोनों की”,सागर की माँ बस बोलते ही चली गयी।
सागर ने सूना तो उसके मन में एक टीस उठी प्रिया उसकी बचपन की दोस्त जरूर थी लेकिन सागर ने कभी उसे दोस्त से ज्यादा नही समझा। कुछ देर खामोश रहने के बाद सागर ने धीमी आवाज में कहा,”माँ मुझे शादी नहीं करनी”
“देखो बेटा पिछले 2 साल से तुम यही कहते आ रहे हो , अगर तुम्हे कोई और पसंद है तो तुम बताओ मैं तुम्हारे पापा से बात करुँगी। तुम हमारे इकलौते बेटे हो और हर माँ की तरह मेरा भी सपना है मैं अपने बेटे का घर बसते देखू , उसे शादी करते देखू। तुम बताओ मुझे आखिर तुम्हे शादी क्यों नहीं करनी ?”,सागर की माँ ने आत्मीयता से कहा
“बस ऐसे ही माँ मेरा मन नहीं है और अभी मुझे अपने काम को भी देखना है”,सागर ने बहाना बनाते हुए कहा जबकि उसके दिमाग में घूम रही थी वो लड़की जिसे सागर पिछले एक साल से ढूंढ रहा था।
“ये कोई बात नहीं हुयी बेटा , वैसे भी शुरू शुरू में ऐसा लगता है बाद में सब अच्छा लगने लगता है।”,सागर की माँ ने कहा
“आप समझ नहीं रही है माँ”,सागर ने बेचारगी से कहा
“अच्छा ठीक है अभी शादी मत करो , प्रिया से सगाई कर लो शादी कुछ महीनो बाद कर लेना जब तुम दोनों को ठीक लगे।”,सागर की माँ ने कहा
सागर ने सूना तो सोच में पड़ गया। सही तो कह रही थी उसकी माँ आखिर क्यों सागर पिछले कुछ सालों से खुद को एक अनजाने रिश्ते में कैद किये हुए है। ये सब सोचते हुए सागर ने कहा,”ठीक है घर आकर इस बारे में बात करेंगे , अभी मैं फोन रखता हूँ माँ। अपना ख्याल रखियेगा”
“ठीक है बेटा , तुम भी अपना ख्याल रखना और इस हफ्ते घर चले आना। मैं इंतजार करुँगी”,सागर की माँ ने कहा और फोन काट दिया
सागर ने फोन टेबल पर रखा और अपने बैडरूम के बगल वाले कमरे में चला आया। वो कमरा सागर के बैडरूम से भी ज्यादा खूबसूरत था। कमरे की एक दिवार पर बनारस के दशास्वमेध घाट की बड़ी सी तस्वीर लगी हुई थी। कमरे के एक कोने में बड़ी खिड़की जिस से लगकर एक सिंगल बेड था। बिस्तर के बगल में कबर्डस थे और उन्ही से अटैच ड्रेसिंग का शीशा था जिसकी डिजाइन काफी खूबसूरत थी। बिस्तर के बगल में खिड़की के पास एक टी टेबल रखा था जिस पर एक छोटा सा पॉट रखा था और उसमे बड़े पत्तो वाला एक बहुत ही प्यारा सा पौधा लगा हुआ था।
बिस्तर के ठीक सामने एक बुक रेंक था जिसमे कुछ किताबे रखी हुई थी। उन किताबो में दो बातें ख़ास थी जो उस बुक रेंक को दिलचस्प बना रही थी।
पहली ये की उस रेंक में रखी सभी किताबों के राइटर का नाम एक ही था “मृणाल” और दूसरी उस रेंक का डिजाइन ऐसा था की उसे दांयी तरफ खड़े होकर देखे तो “M” दिखता था और बांयी तरफ से देखे तो “S” दिखता था और यही एक चीज उस कमरे को खास बनाती थी।
कमरे की चौथी दिवार भी अपने आप में ख़ास थी जो की बिस्तर के बिल्कुल सामने थी और एक बड़े सफ़ेद नीले रंग के परदे से ढकी हुयी थी। सागर उस दिवार के सामने आ खड़ा हुआ और परदे को हाथ से साइड कर दिया। दिवार पर किसी लड़की की कुछ तस्वीरें थी और उन तस्वीरों के साथ कुछ केप्शन भी लिखे थे जो कि उन तस्वीरों को बंया कर रहे थे। सागर खामोश खड़ा उन तस्वीरों को एकटक देखता रहा। दिवार का रंग काला था जिसकी वजह से वे सब तस्वीरें काफी अच्छी दिखाई दे रही थी।
उसकी निगाहे एक तस्वीर पर जाकर उसकी नजर ठहर सी गयी। वह तस्वीर ब्लेक & वाइट थी जिसमे लड़की किसी पुरानी हिंदी फिल्म की हेरोईन जैसी दिख रही थी। उसे देखते हुए सागर को अपनी ही कही बात फिर याद आ गयी। उस दिवार को देखते हुए सागर को सहसा ही अपनी माँ की कही बातें याद आने लगी और उसका मन भारी होने लगा। ना चाहते हुए भी आँखों में नमी उतर आयी और वह उस तस्वीर को देखते हुए कहने लगा,”मैं नहीं जानता तुम कहा हो ? और मैं क्या शायद कोई भी नहीं जानता तुम कहा हो ?
तुम इतनी लापरवाह कैसे हो सकती हो ? क्या तुम कभी अपना फोन चेक नहीं करती , सोशल मिडिया पर हमेशा एक्टिव रहने वाली तुम एटलीस्ट एक पोस्ट तो कर सकती हो कि तुम ठीक हो। जानता हूँ तुम्हे कोई फर्क नहीं पड़ता मुझ जैसे ना जाने कितने ही लोगो के मेसेज तुम्हे मिलते होंगे पर ना जाने क्यों ये दिल नहीं मानता , क्यों हर वक्त ये महसूस होता है कि तुम ठीक नहीं हो।
तुम अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी हो पर मैं अब भी वही हूँ। कभी कभी सोचता हूँ क्या हम कभी मिलेंगे ? तुमसे जुड़े ये जो अहसास है वो बस मैं महसूस कर सकता हूँ और शायद मैं ये तुम से कभी कह भी ना पाऊ।
सागर ने महसूस किया उसकी आँख में ठहरा आँसू आँसू उसके गाल पर लुढ़क आया। सागर कमरे से बाहर चला आया। उसे अजीब सी बेचैनी होने लगी वह अपने कमरे में आया और बिस्तर पर लेट गया। उसने आँखे मूँद ली , धड़कने सामान्य से तेज थी और मन में काफी उथल पुथल मच रही थी।
ये कैसे अहसास थे जिन्होंने सागर को इस कदर बांध रखा था।
पिछले कुछ सालो से सागर इस तस्वीर वाली लड़की को सोशल मिडिया के जरिये जानता था। वह उसे हर जगह फॉलो करता था। ऐसी कोई तस्वीर या पोस्ट नहीं थी जिसे सागर ने ना देखा और लाइक किया हो। वह कभी उस से मिला नहीं था लेकिन हमेशा उस से मिलने का ख्वाब जरूर देखता। वह लड़की को पसंद करने लगा था लेकिन कभी कुछ कहने की हिम्मत उस में नहीं हुई। उस लड़की से जुडी हर चीज से सागर को मोहब्बत होने लगी।
हालाँकि ये अहसास एकतरफा थे लेकिन सागर इन एकतरफा अहसासों के साथ भी खुश था। अपने दिल के साथ साथ सागर ने उस लड़की के अहसासों को अपने घर में भी जगह दे दी। “मृणाल” यही तो नाम था उसका और वो एक राइटर थी। सागर ने मृणाल की तस्वीरों और उसकी लिखी किताबो के साथ साथ उस से जुडी हर चीज को उस घर में बसा लिया और यही वजह थी की वह हमेशा उस कमरे को बंद रखता जो “मृणाल” से जुड़ा था।
एक फैन के तौर पर मृणाल सागर को जानती थी , कभी कभार दोनों के बीच बहुत कम बातें भी हुई लेकिन सागर ने कभी उसे अपनी फीलिंग्स के बारे में नहीं बताया और फिर एक शाम सागर का दिल टूट गया जब उसने मृणाल के सोशल अकाउंट पर उसकी शादी की एक तस्वीर देखी। मृणाल ने एकदम से सबको हैरानी में डाल दिया क्योकि हमेशा अपने काम में बिजी रहने वाली मृणाल ने कभी अपने फेन्स के सामने अपने सगाई या रिश्ते का जिक्र तक नहीं किया।
वो मृणाल की आखरी पोस्ट थी उसके बाद सागर ने कभी मृणाल को ना तो ऑनलाइन देखा ना उसकी कोई पोस्ट दिखाई दी।
उस दिन के बाद से ही सागर उदास रहने लगा। साल निकल गया लेकिन सागर उन अहसासों से बाहर नहीं निकल पाया। मृणाल के फैसले की उसने इज्जत की और उसे कभी अपनी भावनाओ के बारे में ना बताने का फैसला कर लिया पर एक अहसास अब भी उसे बार बार होता था जैसे “मृणाल” ठीक नहीं है। सागर ने बहुत कोशिश की लेकिन वह उसके बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं कर पाया।
उसकी धड़कने अब सामान्य हो चुकी थी उसने अपनी आँखे खोली और उठकर बिस्तर पर बैठ गया। खिड़की की तरफ देखा तो पाया सूरज ढल चुका है और अन्धेरा हो चुका। सागर उठा और घर की सभी लाइट्स जला दी। उसने एक बार फिर मुंह धोया और अपने लिए खाना बनाने किचन में चला आया। सागर ने खाना बनाया और बेमन से खाकर सोने चला गया। बिस्तर पर लेटे हुए वह एक बार फिर मृणाल के बारे में सोचने लगा और देर रात नींद के आगोश में चला गया
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संजना किरोड़ीवाल
Bhoht Bhoht Bhoht interesting story please daily upload sakinama episode 🙏 agr book bhi hoto me purchase krugi please reply 🥰
Thankyou Dear !!
iska book abhi available nahi hai , and haa ye roj publish hogi even sunday ko bhi so enjoy this story 🙂
Bhot achi lgi apki rachna….or har ek rachna kafi achi hoti h….but m Teri heer achanak se ruk ku gai….. kya hua????
Mujhe pratilipi se zayda yaha padhne m mazza aata hai… isliye yeh story main yahi par padh rahi hoon…. Sagar aur Mrinal ko imagine kar rhi hoon… But Sahar k liye bura lag rha hai…writer sahiba se he one sides love…kamaal ka hota hai yeh one sides love…quki isme khushi aur gum dono m hee aap hote ho…aur dusre Wale ko iska ehsas Tak nhi hota hai…I know this
Very beautifully written ❤️❤️
Interesting Story Maam♥♥♥, Sagar abhi Shaadi na karne ka reason Mrunal hai pehle voh uske barre me janna chahata hai ki voh tikh hai yaha nahi usse aisa feelings arahi jaise ki voh tikh nahi nahi aur voh usse hi dhoontne ki koshish kar raha pichele ek saal se..Sagar ko Mrunal socail Media per mili aur voh usse har jagah follow karna laga aur pata nahi chala kab uske man me uske liye feelings jag gayi per yeah usne apne tak ki rakha Mrunal se uski baad hoti thi per kabhi usse apni feelings ek baare me nahi bataya aur ek din Mrunal ki achanak Shaadi ki post dekha aur phir kabhi usse online nahi dekha usdin se bi voh udaas rehne laga…interesting part Maam♥♥♥