रांझणा – 56
Ranjhana – 56
Ranjhana – 56
शिवम् सारिका और मुरारी बनारस पहुंचे l मुरारी टूट चूका था पर शिवम् के सामने वह ये जताना नहीं चाहता था l शिवम् और सारिका इतनी मुश्किलों के बाद एक हुए थे और मुरारी अब उनकी जिंदगी में कोई दर्द या तकलीफ नहीं चाहता था l गाड़ी घर के दरवाजे के सामने आकर रुकी बाबा उस वक्त दुकान पर थे l जैसे ही मुरारी गाड़ी से उतरा बाबा ख़ुशी से उसकी तरफ आये और कहा,”अरे मुरारी , तुम ! शिवम् कहा है ?”
“शिवम् भी आया है बाबा और आपकी बहू भी”,मुरारी ने चेहरे पर मुस्कान लाते हुए कहा
“का बहू भी , अरे तो गाड़ी में का कर रहे हो निचे उतरो , हम अभी कावेरी को आरती की थाली लेकर आने को कहते है”,कहते हुए बाबा घर के अंदर गए और आई से आरती की थाली सजाने को कहा l आई ने जल्दी से आरती की थाली तैयार की , घर के पुश्तैनी तांबे के कलश में चावल भरे और राधिका के साथ बाहर चली आयी l ख़ुशी आई के चेहरे से साफ झलक रही थी पर जैसे ही दरवाजे पर पहुंची चेहरे से सारी ख़ुशी जाती रही l दरवाजे पर शिवम् मुरारी के साथ खड़ा था और सारिका बेजान सी व्हील चेयर पर बैठी थी l
आई को बिच में रुके हुए देखकर मुरारी ने कहा,”अरे आई वहा काहे रुक गयी , आओ और आरती उतारो अपने बेटे बहू की”
आई असमझ के भाव चेहरे पर लिए उनके सामने आयी और शिवम् से कहा,”शिवम् , गलत मत समझना पर का सारिका ऐसी हालत में चावल के कलश को गिरा पायेगी”
आयी की बात सुनकर शिवम् मुस्कुराया और राधिका से कलश सामने रखने को कहा l
वह झुका और सारिका को अपनी गोद में उठा लिया l सब हैरानी से उसे देख रहे थे तो शिवम् ने आई से कहा,”अब तो कोई परेशानी नहीं है न आई ?” l सारिका के लिए शिवम् का प्यार देखकर आई की आँखों में नमी उतर आयी उन्होंने ना में गर्दन हिलायी और शिवम् और सारिका की आरती उतारने लगी l आयी ने शिवम् और सारिका के सर पर कुमकुम का तिलक लगाया और शिवम् से कलश का अन्न जमीं पर गिराने को कहा l शिवम् ने सारिका को गोद में उठाये हुए अपना दाहिना पैर आगे बढ़ाया और कलश के चावल निचे गिरा दिये l
सारिका को सम्हाले हुए शिवम् और राधिका अंदर चले गए l बाबा गाड़ी से सामान निकालने लगे l शिवम् के पीछे पीछे जब मुरारी भी जाने लगा तो आई ने उसे रोककर कहा,”उह कहा है ?”
“कौन ?”,मुरारी जानता था आई किसके बारे में पूछ रही है लेकिन फिर भी अनजान बन रहा था
“अरे वो ही तुमरी मैग्गी , उह नहीं आयी तुमरे साथ !”,आई ने बेचैनी से कहा
“उह काहे आएगी हमरे साथ ?”,मुरारी ने पूछा
“काहे मतबल का ? तुम पियार करते हो उस से , बताया के नहीं बताया ?”,आई ने मुरारी की आँखों में देखते हुए कहा तो मुरारी ने आई से आँखे चुराई और कहा,”हम कोई प्यार वयार नहीं करते किसी से , तुम चलके खाना लगाओ बहुते भूख लगी है” मुरारी वहा से निकल गया ताकि आई उस से ज्यादा सवाल जवाब ना कर सके l आई अंदर आयी उसने राधिका की मदद से शिवम् और मुरारी के लिए खाना बनाया l शिवम् ने सारिका को अंदर अपने बेड पर लेटा दिया , उसे दवाईया दी और सारिका को आराम करने का कहकर खुद बाहर आ गया l
सफर की वजह से सभी बुरी तरह थक चुके थे l आई ने शिवम् और मुरारी के लिए गर्म पानी कर दिया l नहाने के बाद दोनों बरामदे में आकर बैठ गए l बाबा और राधिका भी आकर बैठ गए l दोपहर का 1 बज रहा था आई ने सबके लिए खाना परोसा l सभी खाने लगे कुछ देर बाद आई ने कहा,”सारिका की तबियत कैसी है अब ?”
“पहले से ठीक है आई !”,शिवम् ने धीरे से कहा पर वह जानता था सारिका ठीक नहीं है l
आई ने उसकी आँखों में देखा तो कहने लगी,”ऐसा कब तक चलेगा , हमरा मतलब सारिका ऐसे हाल में कब तक रहेगी l उसे देखकर तुम्हे , और हम सबको तक़लीफ होगी l” l शिवम् खाते खाते रुक गया और कहने लगा,”जितनी भी तकलीफ हो आई हम उफ़ तक नहीं करेंगे l शादी करके लाये है सरु को इस घर में अब उनकी सारी जिम्मेदारी हमारी है l दिन रात मेहनत करेंगे लेकिन सारिका जी को ठीक करके ही दम लेंगे l
हमे अपने महादेव पर पूरा भरोसा है देखना एक दिन वो जरूर ठीक होगी ! बस आप में से कभी किसी को सारिका जी से नफरत नहीं होनी चाहिए l आपमें से किसी को भी लगे उह आप सबके लिए परेशानी या मुसीबत बन गयी है तो हमसे कह दीजियेगा हम उन्हें लेकर कही दूर चले जायेंगे” l “इह कैसी बाते कर रहे हो ? एक चमाट लगाएंगे खींचकर , बहुते बड़े हो गए हो जो अइसन बात कर रहे हो ? तुमको जहा जाना है हुआ जाओ हमरी बहू तो हमरे पास ही रहेंगी l”,आई ने बिफरते हुए कहा l
“शिवा तू चिंता काहे कर रहा है हम सब है ना बेटा और सारिका बिटिया इतनी प्यारी और इतनी अच्छी है , हम से कोई भी उह से नफरत करने की सोच भी नहीं सकता l हम सब मिलकर सारिका बिटिया को ठीक कर देंगे”,बाबा ने बड़े प्यार से शिवम् के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा l शिवम् ने महसूस किया की आई बाबा भी सारिका से उतना ही प्यार करते है जितना वह करता है उसकी आँखों में ख़ुशी के आंसू आ गए l पर कोई और भी था जिसकी आँखों में ख़ुशी के भाव थे वो थी बरामदे से लगे शिवम् के कमरे में लेटी सारिका l
सारिका बहुत खुश थी की ऐसे वक्त में शिवम् के आई बाबा शिवम् के साथ थे l आज पहली बार सारिका मुस्कुराई थी पर शिवम् उसे नहीं देख पाया l बाहर खाना खाते हुए बाबा ने शिवम् से कहा,”तुम्हारे यहाँ आने से पहले मैंने बड़े पंडित जी से बात कर ली थी , उन्हें सारिका के साथ हुए हादसे के बारे में भी बताया था उन्होंने कहा है जड़ी बूटियों और आध्यात्मिक तरीके से सारिका का इलाज संभव है l तुम आज शाम जाकर उनसे एक बार मिल लो”
“ठीक है बाबा हम मिल लेंगे , सरु को ठीक करने के लिए जो भी करना पड़े हम करेंगे”,शिवम् ने आँखों में विश्वास भरकर कहा l इस सारे वक्त में मुरारी बस चुपचाप खाता रहा , आज ना वह ज्यादा बोल रहा था ना ही उसके चेहरे पर ख़ुशी थी l सामने बैठी आई को धीरे धीरे सब समझ आ रहा था पर इस वक्त सबके बिच पुछ्कर वह मुरारी को परेशान करना नहीं चाहती थी l खाना खाने के बाद मुरारी ने गाड़ी को शिवम् के घर के अंदर पार्क किया और खुद पैदल ही घर चला गया l
घर आकर मुरारी सीधा अपने कमरे में चला आया और दरवाजा अंदर से बंद करके पीठ के बल बिस्तर पर जा गिरा l उसकी आँखों के किनारे से आंसू निकलकर बेडशीट को भीगाने लगे l मुरारी जिस दर्द से गुजर रहा था वो किसी को बता नहीं सकता था अगर बताता तो लोग उसका मजाक उड़ाते या फिर उसे बेचारा समझते जिस प्यार में हार नसीब हुई हो और मुरारी ये दोनों ही नहीं चाहता था l अनु से उसका प्यार एकतरफा नहीं था ये बात मुरारी भी जानता था पर अनु को कभी उसके प्यार का अहसास होगा ये उस नहीं पता था l
अनु उसकी जिंदगी में पहली लड़की थी जिसके लिए मुरारी के दिल में इतनी भावनाये थी l बनारस में वह कई लड़कियों के साथ फ्लर्ट करता था पर अनु के आने के बाद उसके जहन में कभी किसी और लड़की का ख्याल आया ही नहीं l मुरारी खामोश लेटा अनु के साथ बिताये वक्त के बारे में सोचता रहा l नींद कब आयी उसे पता भी नहीं चला l l
मुंबई , सारिका का घर !!
सारिका के जाने के बाद घर बिल्कुल वीरान हो चला था l सारिका का घर , ऑफिस और काम सब फैला हुआ था l अधिराज जी ने कुछ वक्त के लिए ऑफिस को अनिश्चित काल के लिए बंद करवा दिया l स्टाफ को परेशानी ना हो इसके लिए अधिराज जी ने सबको एक मुश्त रकम देनी चाही जिससे सारिका के ठीक होने तक उन्हें आर्थिक परेशानियों से ना जूझना पड़े लेकिन सारिका का स्टाफ सारिका से इतना प्यार करता था की उन्होंने वो एक मुश्त रकम लेने से इंकार कर दिया l
जो शेयर्स जरुरी थे वो रखे और बाकि सब अधिराज जी ने बेच दिए l शेयर्स का सारा रुपया उन्होंने सारिका के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया l सारिका ने शिवम् के लिए जो फ्लेट बुक किया था उसका सारा सामान पैक करवा कर अधिराज जी ने उसे भी बंद करवा दिया l बचा सारिका का घर अधिराज जी ने अपना , अम्बिका और अनु का सामान लिया और अगले दिन इंदौर के लिए निकल गए l
मुंम्बई में सारिका का अब कुछ नहीं बचा था बचा था तो बस वो समंदर जहा बैठकर वह अपने प्यार को महसूस किया करती थी l सारिका के साथ हुए हादसे के बाद अनु का मुंबई में रुकना शायद मुमकिन नहीं था और इसलिए उसने अपने कॉलेज से भी नाम रद्द करवा लिया l l
बनारस , मुरारी का घर !!
शाम 5 बजे मुरारी नींद से उठा l कमरे से बाहर आया चाचा कुछ लोगो के साथ आँगन में बैठे बात कर रहे थे l मुरारी वहा से निकलकर रसोई की तरफ गया l चाची ने मुरारी को देखा तो कहा,”तुम हाथ मुंह धोई ल्यो हम तुमरे लिए चाय बना देते है l ” मुरारी ने गर्दन हिलायी और बाथरूम की तरफ बढ़ गया l वाशबेसिन के सामने आकर मुरारी ने शीशे में खुद को देखा कितना बदल गया था वो इन कुछ दिनों में , दाढ़ी बढ़ी हुई , आँखों में उदासी और चेहरा मुरझाया हुआ l
मुरारी ने मुंह धोने के लिए पानी हाथ में लिया और जैसे ही अपने मुंह पर मारा बारिश की वो शाम याद आ गयी जब अनु उसके साथ थी l अनु का चेहरा मुरारी की आँखों के आगे आने लगा साथ ही आने लगा अनु के साथ बिताया हुआ पल l मुरारी ने मुंह धोया और वहा टंगे तोलिये से पोछते हुए वापस किचन की और आया l चाची ने चाय का कप मुरारी को पकड़ा दिया l मुरारी वही किचन के प्लेटफॉर्म पर बैठकर चाय पिने लगा l
मुरारी को सोच में डूबा देखकर चाची ने कहा,”का बात है ? आज बहुते उदास दिख रहे हो l कोनो बात है का ?” l चाची की आवाज से मुरारी की तंद्रा भंग हुयी उसने ना में गर्दन हिला दी और चाय ख़त्म करके वापस अपने कमरे में आ गया l कमरे में आकर मुरारी शीशे के सामने आकर खड़ा हो गया और खुद से ही कहने लगा,”इह का कर रहा है मुरारी ? ऐसे रहेगा तो सबक पता चल जाएगा ! अनु तुमरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा है और उह तुमरी जिंदगी में हमेशा रहेगी ,,
उह के चक्कर में तुम सबको काहे परेशान कर रहे l तुमरी शक्ल देखकर आई और चाची ने तो पूछ भी लिया है l कही ऐसा ना हो पुरे बनारस को खबर हो जाये l खुद को बाहर निकालो अनु की यादो से अगर तुमरा पियार सच्चा है तो उह जरूर समझेगी l “
मुरारी ने हाथो को चेहरे पर घुमाया और कबर्ड खोलकर कपडे निकालने लगा l हलके हरे रंग का कुरता और जींस निकाली l मुंबई में जाने के बाद मुरारी अपना बनारस वाला स्वेग तो भूल ही गया था और पेंट शर्ट पहनने लगा था l
उसने जींस और कुरता पहना , कुर्ते की बाजु मोड़कर फोल्ड कर ली l शीशे के सामने आकर बाल बनाये और अच्छा सा परफ्यूम लगाया l मुरारी ने देखा उसका नारंगी गमछा कमरे में कही नजर नहीं आ रहा है तो वह उसे ढूंढने लगा l साथ में लाये सामान को भी बिखेर लिया पर गमछा कही नहीं था l मुरारी को याद आया गमछा तो मुंबई में ही रह गया है , उस दिन जब वह अनु को खाना खिला रहा था तो उसका मुंह पोछने के लिए उसने अपना गमछा ही तो दिया था l
एक प्यार सी मुस्कान मुरारी के होंठो पर आ गयी उसने मन ही मन कहा,”चलो कोई तो निशानी है हमरी उह के पास !” मुरारी उठा और कबर्ड खोलकर नया गमछा निकाल लिया और शीशे के सामने आकर जब अपने गले में डाला तो उसे आईने में पुराने वाला मुरारी नजर आया l मुरारी खुद को देखते हुए सोचने लगा,”हमने उनसे पियार किया अब अगर उह नहीं करती तो उसके लिए साला हम काहे दुखी रहे ! नहीं रहेंगे , और काहे रहेंगे कोनसा गलती किये है ,,
एक अच्छे आशिक़ की तरह इंतजार करेंगे उनके आने का और आना तो उसको हमरे पास ही है क्योकि हमरे अलावा ऐसा कोनो नाही है जो उनके थप्पड़ भी खाये , उनके नखरे भी झेले और उह को इतना पियार भी करे !! इतना याद करेंगे ना उनको की हिचकियो से जीना हराम हो जाना है उनका !”
कहकर मुरारी ने ड्रेसिंग पर रखा अपना चश्मा उठाया और आँखों पर लगा लिया l उसकी पुराणी मुस्कराहट वापस लौट आयी l कमरे से बाहर आया तो चाची तो बस देखते ही रह गयी l
चाचा के साथ आये आदमियों की नजर भी जब मुरारी पर गयी तो उनमे से एक ने कहा,”विधायक जी अगले चुनावो में आप अपने भतीजे को काहे नहीं टिकट दिलवा देते , उह की जीत पक्की है l लौंडा जवान है , गर्म खून है और तो और विधायकी के सारे गुर भी जानता है” चाचा ने पलटकर जाते हुए मुरारी को देखा और कहा,”कहा सादी की उम्र में लौंडे को राजनीती में फंसा रहे हो चौधरी , बाकि जब वक्त आएगा इह सम्हालेगा हमरी कुर्सी”
चाचा की आँखों में विश्वास झलक रहा था l
मुरारी ने अपनी जीप निकाली l उस पर कपड़ा मारा और स्टार्ट करके शिवम् के घर की और बढ़ा दी l बनारस की गलियों में कितने दिन बाद अपनी जीप में सवार होकर निकला था मुरारी l बनारस की गलियों में इतने दिनों बाद मुरारी को देखकर हर कोई हैरान था l आदमी इसलिए की मुरारी वापस आ गया था अब फिर से उसके चाचा विधायक है के किस्से सुनने को मिलेंगे और लड़किया इसलिए की मुंबई जाकर मुरारी पहले से कुछ ज्यादा स्मार्ट दिखने लगा था l
पहले दुबला पतला था और अब शरीर भरा भरा लगने लगा था l पर मुरारी ने किसी को पलटकर भी नहीं देखा l मुरारी सीधा शिवम् के घर आया शिवम् पहले से तैयार खड़ा था l मुरारी को इस अंदाज में देखकर शिवम् मुस्कुरा उठा और कहा,”अरे वाह का बात है मुरारी ? जच रहे हो !”
“उह सब बाद में पहले हम भाभी से मिलके आते है”,कहकर मुरारी ने शिवम् को साइड किया और गमछा सम्हाले हुए अंदर चला गया l
सारिका कमरे में व्हील के सामने आकर मुरारी ने कहा,”भाभी तुम ही बताओ , ठीक है न इह गेटअप ! उह का है पेंट शर्ट पहिन पहिन के थक गए l ऐसा लगता था जैसे कोनो पुतला को कपडा पहिना के खड़ा किये हो l अब तुम बताओ यह ठीक है की चेंज करके आये , ठीक है ना ?”
सारिका ने पलके झपका दी तो मुरारी उसके पास आया और उसको जैसे ही गले लगाने के लिए आगे बढ़ा शिवम बिच में आ गया और कहा,”का बाबू ! प्राइवेट है सरकारी नाही !”
“का भैया सरकारी हो चाहे प्राईवेट भाभी पर तो देवर का हक़ बनता है ना , और वैसे भी भाभी माँ समान होती है”,मुरारी ने आगे बढ़ते हुए कहा l “इह पियार कही और जाकर दिखाना !”,कहते हुए शिवम् मुरारी को धकियाते हुए बाहर ले आया l “अरे कमसे कम भाभी को बाय तो बोल लेंन दो !”,मुरारी ने सारिका को देखते हुये कहा l
“चलो पंडित जी के पास जाना है न वापस आकर जितना बतियाना हो बतिया लेना भाभी संग !”,शिवम ने शर्ट के बटन लगाते हुए कहा l
“अरे हां इह बात तो भूल ही गए , चलो चलते है”,कहकर मुरारी जैसे ही जाने लगा शिवम् ने उसकी बांह पकड़कर रोकते हुए कहा,”अरे उधर किधर जा रहे हो आई ने अभी अभी गार (गोबर और चिकनी मिटी का मिश्रण) से फर्श लीपा है , शाम को किसी पूजा के लिए”
“अरे भैया आई अब पहले वाली आई नहीं रही , हम दोनों की बॉन्डिंग बहुते अच्छी हो गयी है , देखना है , देखना है तुमको l रुको अबे दिखाते है “,कहकर मुरारी लिपे हुए फर्श पर आया और चहलकदमी करने लगा l
दूर से आई ने देखा तो गुस्से से फुंफकारती हुयी आयी और कहा,”अबे ऐ मुरारी , अँधिया गए हो का ? दिखता नहीं तुमको अभी अभी फर्श को गार से लिपे थे और तुम अपने पेरो से कैसे इसपे कलाकारी बना दिए हो !! अरे सत्यानाश जाये मुरारी तुमरा , अब तुमरी कोनसी अम्मा हमको फिर से गोबर देगी बोलो”
“अरे आई वो तो हम…………………!!”
“जियादा बोले ना तो जबान काट के नदी में बहा देंगे , अरे कइसन घोड़े नहीं गधे, गधे जैसे हो रखे हो अक्ल नहीं तुम में l
ऐसा कोनो करता है का ? बोलो ………… पता नहीं कोनो अशुभ घडी में तुमरा पहला पैर इह घर मा पड़ा और तुम परमानेंट मुसीबत बनके चिपक गए यहाँ l अरे शनि भी 7 साल तक रहता है पर तुमको देख के समझ नहीं आय रहा की 26 साल तक कोनसा शनि रहता है ! अब खड़े खड़े मुंह का फाड् रहे हो निकलो”,आई ने कहा और फिर से गार लीपने लगी l बेचारा मुरारी उसने जैसे ही शिवम् की और देखा शिवम् हंस पड़ा l मुरारी उसके पास आया और धीरे से कहा,”तुमरे बाबा कैसे झेलते होंगे इनको ?”
“जैसे हम झेल रहे है तुमको सालो से !”,आई ने पीछे से चप्पल फेंककर कहा
“मिल गया जवाब !”,शिवम् ने अपनी हंसी रोकते हुए कहा l
“बहुते जोर का !”,मुरारी ने पीठ सहलाते हुए कहा
“अब चले या और जलील होना है”,शिवम् ने घूरते हुए कहा तो मुरारी वहा से निकलकर जीप की और बढ़ गया l शिवम् भी जीप में आकर बैठा और दोनों अस्सी घाट की और निकल गए l
घाट के बाहर पहुंचकर मुरारी ने गाड़ी साइड में लगायी शिवम् और मुरारी दोनों निचे उतरे और सीढ़ियों की और बढे l जैसे जैसे शिवम् सीढिया उतरता जा रहा था वैसे वैसे उसे एक सुकून का अहसास हो रहा था l कुछ निचे आकर शिवम् ने चारो और नजर दौड़ाई सब वैसा ही था , घाट का पानी भी वैसा ही था , लोग आ जा रहे थे शिवम् ने एक गहरी साँस ली और मुरारी की और देखकर कहा,”कुछ भी कहो यार मुरारी , जिंदगी का असली सुकून तो बस इस घाट पर है”
“हां भैया ये बात तो है , मुंबई जाकर तो जैसे बनारस को भूल ही चुके थे वो तो आई की चप्पल ने याद् दिलाया की हम बनारस में है”,मुरारी ने थोड़ा नाराज होकर कहा
“का अभी तक नाराज हो आई से ?”,शिवम् ने कहा
“अरे नहीं हम तो बस बताय रहे है , अब तुम जाकर पंडित जी से मिल ल्यो तब तक हम पुराने पासवर्ड देख लेते है”,मुरारी ने घाट के पार नजर दौड़ाते हुए कहा l
शिवम् को मुरारी की बात समझ नही आयी l शिवम् पंडित जी से मिलने चला गया और मुरारी वही घाट की सीढ़ियों पर बैठ गया l मुरारी सीढ़ियों पर बैठा घाट के पानी को निहार ही रहा था कि तभी एक लड़की अपने 5 साल के बेटे का हाथ पकडे आयी और मुरारी से कहा,”अरे मुरारी ! बड़े दिनों बाद दिखे हो ! कैसे हो ?”
मुरारी ने देखा बगल में 30-32 साल की एक लड़की मांग में सिंदूर हाथो में चूड़ियां कानो में झुमके , गले में लटका मंगलसूत्र बता रहा की वो शादीशुदा है l
मुरारी उठा और उसके चेहरे को गौर से देखने लगा तो लड़की ने कहा,”अरे पहचाना नही का , हम तुमरी स्कूल में थे तुमरी हिंदी की मेडम स्नेहलता !”
“अच्छा हां याद आया कैसी है आप ?”,मुरारी ने याद करते हुए कहा और मन ही मन कहने लगा,”तुमको भला भूल सकते है का तुम ही तो थी हमरा पहिला प्यार हम 16 के थे और तुम 22 की !”
“यहाँ कैसे ? और क्या चल रहा है जिंदगी में , कछु करते हो या हु ही बनारस की गलियों में घूमते रहते हो”,स्नेहलता ने मुस्कुराते हुए कहा
“बस कट रही है जिंदगी , इह साथ में कौन है ?”,मुरारी ने बात बदलते हुए कहा l
“ये हमारा बेटा है पुलकित , बेटा मामा को नमस्ते करो “,स्नेहलता ने अपने बेटे से कहा
“नमस्ते मामाजी !”,बच्चे ने तुरंत आज्ञा का पालन करते हुए कहा l
मुरारी को लगा जैसे किसी ने ताजा ताजा गाली दी है वह स्नेहलता की और देखकर मन ही मन कोसते हुए बोला ,”जलील ही करना था तो दो थप्पड़ मार लेती पगली , यु बेटे से मामा कहलवाना जरुरी था क्या ?
अच्छे खासे मूड की माँ बहन खैर जाने दो ,, अपनी जानू का खून है बुरा नही मानते”
“नमस्ते मामाजी”,बच्चे ने अपनी तुतलाती जबान में फिर से कहा तो मुरारी की तन्द्रा टूटी उसने मुस्कुराकर बच्चे को गोद में उठा लिया और गाल चूमकर मन ही मन कहा,”तुमरी अम्मा ने तो कभी दी नहीं तुम ही सही”
“अच्छा मुरारी चलती हु ! फिर कभी मिलेंगे”,कहकर स्नेहलता अपने बच्चे के साथ वहा से चली गयी l
मुरारी उसे जाते हुए देखता रहा l l कुछ देर बाद परेशान सा शिवम् आया उसे देखते ही मुरारी उसके पास आया और कहा,”का बात है कछु परेशानी है का ?”
“मुरारी पंडित जी ने जो उपाय बताया है बहुते मुश्किल है’,शिवम् ने सोचते हुए कहा l l
“का उपाय है बताओ जरा , कितना भी मुश्किल हो हम करेंगे”,मुरारी ने कहा l
“मुरारी वो सब हम कर लेंगे , पर सबसे पहले नोकरी ढूंढनी होगी ताकि इलाज जितना पैसा जूटा सके !”,शिवम् ने कहा l
“इह लो कर दी ना छोटी बात , हमारे अकाउंट का जितना पैसा चाहिए इस्तेमाल कर लो l सब तुमरा और भाभी का ही है”,मुरारी ने आँखों से चश्मा उतारकर शर्ट में टांग लिया l
“मुरारी तुम जानते हो ना हम ऐसा कुछ नही करेंगे , हम बाबा से भी मदद नहीं लेना चाहते l हमारी वजह से पहले ही उनके पास पैसे कम है और फिर कल को राधिका की शादी भी करनी है l सरू के इलाज में जो भी पैसा खर्च होगा वो हम खुद कमाएंगे”,शिवम् ने कहा
“हां हां जानते है बहुते खुदगर्ज इंसान हो तुम ! नहीं लोगे हमारी मदद पर नोकरी तो करोगे ना”,मुरारी ने कुछ सोचते हुए कहा l
“हां करेंगे ! बताओ का करना है ?”,शिवम् ने कहा
“देखो चचा जबसे विधायकी में आये है उनके सीमेंट वाले गोदाम का काम एकदम ए ठप हो गया है l अगर हम मिलके उह काम सम्हाल ले तो चाचा को भी फायदा और तुमरा काम भी हो जायेगा l तुम चाहो तो एडवांस भी दिला देंगे तुमको वही से”,मुरारी ने कहा
शिवम् मुरारी के गले लगा और कहा,”बस कर पगले रुलायेगा क्या ? कबसे शुरू करना है फिर ?”
“कल सोमवार है महादेव का दिन है कल से ही शुरू करते है का कहते हो ?”,मुरारी ने कहा
“नेकी और पूछ पूछ !”,शिवम् मुस्कुरा दिया और फिर हाथ जोड़कर महादेव से प्रार्थना की l
दोनों वहा से घर जाने के लिए निकलने लगे चलते चलते शिवम् ने कहा,”अच्छा तुम उह पासवर्ड की बात कर रहे थे , कैसा पासवर्ड ?”
मुरारी ने इधर उधर नजर दौड़ाई और सामने से आती एक लड़की की और इशारा करके कहां,”उह सामने से आ रही है , फेसबुक का पासवर्ड थी कभी हमरा”
शिवम् हँसने लगा और कहा,”तुम ना कभी नही सुधरोगे !
मुरारी ने शर्ट से चश्मा निकाला और आँखों पर लगाते हुए कहा,”अरे भैया हम सुधर गये तो उनका का होगा जिनको हमारे पागलपन से प्यार है !”
Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56
Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56Ranjhana – 56
Continue With Part Ranjhana – 57
Read Previous Part Here रांझणा – 55
Follow Me On facebook
संजना किरोड़ीवाल
Mam next episode please