रांझणा – 12
Ranjhana – 12
Ranjhana By Sanjana Kirodiwal
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Ranjhana – 12
घाट की सीढ़ियों पर लेट शिवम् ने जब अपनी मैडम जी की नज्म पढ़ी तो उसके बेचैन मन को थोड़ी तसल्ली हुई l मुरारी वहा से जा चुका था l शिवम् वही लेटा रहा ठंडी हवा के झोंके उसे गालो को सलहाते रहे l लेटे लेटे शिवम् सोचने लगा
“ये क्या हो गया है तुझे ? जबसे सारिका जी तुम्हारी जिंदगी में आई है सब बदल सा गया है l अचानक से तुम्हे किसी लड़की की इतनी परवाह क्यों होने लगी ? उसके साथ रहकर ऐसा क्यों महसूस होता है की जैसे बरसो से जानता है तू उसे , हां सारिका जी अच्छी लड़की है लेकिन तू अपनी मैडम जी को कैसे भूल सकता है ? उस बचपन के वादे को कैसे भूल सकता है? उस सालो के इंतजार को कैसे भूल सकता है ? ,
उन्होंने कहा था वो आज भी तेरा इंतजार कर रही है तो फिर भोलेनाथ ने सारिका को हमारी जिंदगी में क्यों भेजा ? जब भी वो हमारे आस पास होती है एक जाना पहचाना अहसास होता है ,, ये सब क्या है कुछ समझ नहीं आ रहा ?”
शिवम् उठकर बैठ जाता है इतना उलझन में वह आज से पहले कभी न रहा था l कुछ देर बाद घूमते घामते मुरारी वहा आ पहुंचा और शिवम् के पास आकर बैठ गया l खयालो में डूबे शिवम् को इस बात का पता भी नहीं चला की कब मुरारी आकर उसकी बगल में बैठ गया l शिवम् को खोया हुआ देखकर मुरारी जोर जोर से गाने लगा,”हो आज फिर जीने की तमन्ना है , आज फिर मरने का इरादा है “
शिवम् – अरे तुम कब आये और ये ऐसा गाना क्यों गा रहे हो ?
मुरारी – हमको आये काफी वक्त हो गया तुम न जाने किस सोच में गुम हो , और गाना तो तुम्हारी हालत पर गाय रहे है जिस तरह तुम सोचने में लगे हो लगता है मर ही जाओगे ,
शिवम् – का बताये मुरारी मन बहुते ही बैचैन है
मुरारी – हम बताये क्यों बैचैन है ?
शिवम् – क्यों ?
मुरारी – अरे भैया चाहने लगे हो तुम सारिका जी को इसलिए बैचैन है
शिवम् – भक्क साला कुछ भी बोलते हो बोलते हो तुम मुरारी , हम ऐसा काहे सोचेंगे उनके बारे में ?
मुरारी – अरे भैया साफ दिख रहा है , जिस तरह से तुम ओकी परवाह कर रहे हो , उनको ताड़ते हो इस से साफ साफ पता चलता है तुमको उनको से प्यार हो गया है
शिवम् – कैसी बात करते हो मुरारी ? एक जिंदगी में सिर्फ एक बार प्यार होता है और वो हमे उनसे हुआ है बचपन वाली लड़की से , सारिका जी से काहे होगा ? तुम कुछ भी बके जा रहे हो यार
मुरारी – अरे गुरु अब इह किसने कहा की प्यार एको बार ही होता है हमको देखो महादेव की इतनी कृपा है हम पर , साला हर हफ्ते किसी न किसी से सच्चा वाला प्यार हो ही जाता है
शिवम् – मुरारी उसे प्यार नहीं कहते है , तुम्हारी उम्र हो गयी है इसलिए अब हर लड़की में तुमको अपनी सजनी नजर आती है (मुस्कुराते हुए कहता )
मुरारी – हमरी उम्र हो गयी है , तुम तो साला जैसे अभी दूध पीते बच्चे हो नई ,, और हम बताय रहे है इस साल या तो तुमरा ब्याह होगा या फिर हम गंगा में कूद के जान दे देइ
शिवम् – तो दे दो ,
मुरारी – वाह साला दोस्त हो तो ऐसा हमको मरने को कह रहे है , अरे तुमरी शादी के चक्कर में दरजी के पास 4 बार शेरवानी का नाप दे आये है अपना , अब तो दरजी भी कहने लगा है की भैया जल्दी से शादी कर लो बाद में शेरवानी सिलावे का कोनो फायदा नाही है l
शिवम – मुरारी तुम चिंता न करो जल्दी ही तुमरे लिए एक कंटाप लड़की ढूंढ के देहि है हम
मुरारी – अरे भैया हमको नहीं लगता हमारी जिंदगी में कौनो लड़की है ,
शिवम् – मुरारी सबके हाथो में एक प्रेम की रेखा होती है
मुरारी – भैया हमको तो लगता हमार प्रेम की रेखा तो खैनी (जर्दा) रगड़ते रगड़ते मिट चुकी है
मुरारी की बात सुनकर शिवम् जोर जोर से हसने लगा l
मुरारी – हाँ हाँ हस ल्यो तुम भी आज हमारे माँ बाबूजी जिन्दा होते तो हमरे लिए भी सोचते कुछ , एक चाचा है उसको अपनी विधायकी से फुर्सत नाही (कहते कहते उदास हो जाता है)
शिवम् – ऐ मुरारी दोबारा ऐसा कहा तो जान ले लेंगे तुम्हारी , अरे हम मर गए है का ? और हमरे आई बाबा का तुमरे नाही है l मुरारी – जानते है बे तभी तो रुके है बनारस में वरना कब के निकल लिए होते
शिवम् – कहा निकल लिए होते ? (आँखे दिखाते हुए)
मुरारी – पहाड़ो पर तपस्या करने ,,
शिवम् – कोई तपस्या नहीं करनी है , भाई कहते हो न हमको तो बस हमे अपने भाई होने का फर्ज निभाने दो कल से तुमरे लिए लड़की ढूंढने की जिम्मेदारी हमरी , अब खुश
मुरारी – अरे भैया इह का कह दिए हो ? दिल में गुदगुदी सी होन लगी है हमरे
शिवम् – ऐसे नौटंकी करोगे ना तो लड़की आस पास भी ना फटकेगी तुमरे
दोनों बैठकर बाते कर ही रहे थे की तभी मुरारी की पीठ पर आकर चप्पल लगी l दूर सीढ़ियों पर आई खडी थी मुरारी और शिवम् उन्हें वहा देखते ही उठ खड़े हुए l तभी दूसरी चप्पल आकर भी मुरारी को ही लगी तो उसने गुस्से से शिवम् से कहा,”यार तुमरी अम्मा को न ओलम्पिक में होना चाहिए था , निशाना बिलकुल सीधा लगता है इनका हम पर”
गुस्सा बाद में दिखाना पहले निकल लो यहाँ से वरना धोये जायेंगे बुरी तरह से दोनों l आई उन तक पहुँचती तब तक वे दोनों वहा से भाग खड़े हुए चूँकि काफी देर हो चुकी थी इसलिए मुरारी सीधा अपने घर की और प्रस्थान कर गया l शिवम् घर आया तो देखा बाबा अभी भी दुकान पर ही है और अकेले काम कर रहे है l उन्हें देखकर शिवम् उनके पास आया और कहा,”बाबा आप इतनी रात को यहाँ ? सोये नहीं !
“भूल गए त्रिपाठी जी का आर्डर पहुंचाना है , अभी से काम शुरू करेंगे तभी तो कल रात तक सारा आर्डर तैयार हो पायेगा”,बाबा ने बिना शिवम् की और देखे कड़ाही में करछी घुमाते हुए कहा
“लाईये हम करते है , आप जाकर आराम कीजिये”,शिवम् ने उनके हाथ से करछी लेकर कहा
“अरे बेटा हम कर लेंगे”,बाबा ने कहा
“बाबा हमे करने दीजिये , वैसे भी नींद तो आ नहीं रही है हमे l आप दिनभर इतना काम करते है थक गए होंगे , जाईये आराम कीजिये”,शिवम् ने कहा
बाबा मुस्कुराते हुए वहा से उठे और जैसे ही जाने लगे शिवम् ने कहा,”हमे माफ़ कर दीजिये बाबा”
बाबा हैरानी से शिवम् की और पलटे और कहा,”माफी पर किसलिए ?
शिवम् उनके पास आया उनके दोनों हाथो को अपने हाथो में लिया और कहने लगा,”बाबा उम्र के इस पड़ाव में जहा हमे आपका सहारा बनना चाहिए वहा हम कुछ न करके आपकी परेशानिया और बढ़ा रहे है l हम कभी एक जिम्मेदार बेटे नहीं बन पाए बाबा l “
शिवम् की बात सुनकर बाबा की आँखे नम हो गयी लेकिन उन्होंने उस नमी को छुपाते हुए कहा,”तुम मेरे सबसे अच्छे बेटे हो शिवा , अगले जन्म में अगर कभी मौका मिला तो मैं तेरा ही बाबा बनकर आना पसंद करूंगा l तुझसे मुझे कुछ नहीं चाहिए बेटा मुझे पूरा भरोसा है एक न एक दिन तू अपनी जिंदगी के साथ बेहतर कर ही लेगा l”
बाबा का अपने लिए भरोसा देखकर शिवम् के मन को सुकून मिला l वह ख़ामोशी से बाबा की आँखों में अपने लिए प्यार और उनकी नमी देखने लगा l उसे अपनी और देखता पाकर बाबा ने कहा,”जा काम कर , बावला कही का l इमोशनल कर देता है
बाबा वहा से चले गए और शिवम् काम में लग गया l
होटल के कमरे में बैठी सारिका ख़ामोशी से खिड़की के बाहर दिखाई दे रहे खुले आसमान को निहार रही थी l कमरे में बिल्कुल शांति थी l घडी की टिक टिक की आवाजे भी साफ साफ सुनाई दे रही थी l घडी की लय में चल रही थी सारिका के दिल की धड़कने l फोन की रिंग बजने से सारिका की तंद्रा टूटी उसने फोन उठाकर देखा l
फोन इंदौर से था उठाये या ना उठाये इसी कश्मकश में फोन कट गया l फ़ोन एक बार फिर बजा इस बार सारिका ने फोन उठा लिया दूसरी तरफ से अम्बिका की आवाज उभरी ,”हेलो ! सारिका , कैसी है आप ? इतने दिनों से आपने कोई फोन किया , सब ठीक तो है न ?
सारिका – जी सब ठीक है , आपने इतनी रात को फोन किया
अम्बिका – हां वो आपके पापा बात करना चाहते है (कहकर फोन अधिराज जी को थमा देती है)
“हेलो सारिका, कैसी है आप ?”,एक रौबदार आवाज उभरी
सारिका – जी ठीक है (आवाज में एक कम्पन था)
अधिराज – अम्बिका ने बताया आप बनारस गयी है , क्या हम वहा जाने की वजह जान सकते है ?
सारिका – वजह आपको पता होनी चाहिए
अधिराज – आप इंदौर आयी दो दिन रुकी भी और हमसे मिलना भी जरुरी नहीं समझा
सारिका – आपने भी तो कोशिश नहीं की (रूखे स्वर में कहती है)
अधिराज – हम काम में थोड़ा व्यस्त थे बताया नहीं आपको अम्बिका ने
सारिका – बताया था , जैसे आपके वक्त नहीं था वैसे हमारे पास भी नहीं था
अधिराज – हम देख रहे है इन दिनों आप कुछ ज्यादा ही तमीजदार हो गयी है
सारिका – आप ही से सीखा है ……………..
दोनों तरफ कुछ देर के लिए ख़ामोशी छा जाती है और फिर अधिराज जी कहते है – अगले हफ्ते अमित न्यूयार्क से आ रहा है
सारिका – हम्म्म्म
अधिराज – हम चाहते है आप उनसे मिले
सारिका – हम्म्म्म
अधिराज – बनारस में रूककर अपना वक्त जाया मत कीजिये
सारिका – इतने साल बर्बाद हुए एक हफ्ता और सही , हो सकता है अमित से मिलने की जरूरत न पडे
अधिराज – आपको अभी भी लगता है की वह लड़का आपको मिलेगा
सारिका – ढूढ़ने पर तो ईश्वर भी मिल जाते है फिर वो क्यों नहीं मिलेंगे ? इस वक्त हम उन्ही के शहर है वो हमे निराश नहीं करेंगे जानते है
अधिराज – आप बेवकूफी कर रही है सारिका
सारिका – हम इंतजार कर रहे है (सधी हुई आवाज में)
अधिराज – आखिर कब तक ?
सारिका – जब तक हम जिन्दा है , जब तक ये बनारस है , जब तक इस बनारस में ये हवा बहेगी हमारी साँस का एक एक कतरा उनका इंतजार करेगा (दर्द से तड़पकर)
अधिराज – आप जानती है आपके इस तरह वक्त बर्बाद करने से आपकी कम्पनी और काम पर असर पडेगा
सारिका – परवाह नही है
अधिराज – आपकी रेपुटेशन का क्या जो आपने इतने सालो में बनाई है ?
सारिका – उसकी भी परवाह नहीं है
अधिराज – लोग हसेंगे हम पर जब वो ये जानेंगे की इतने बाद एम्पायर की मालकिन , बनारस जैसे छोटे शहर के लड़के के लिए सबकुछ छोड़कर बैठी है
सारिका – बनारस भले ही छोटा हो पापा पर इसका दिल बहुत बड़ा है , ना जाने कितनी ही कहानिया यहाँ के घाटों , गलियों में समाई है l आप एक बार यहाँ आएंगे तो सब भूलकर यही के हो जायेंगे l जो अपनापन यहाँ है वो शहर की चकाचौंध में नहीं है l
अधिराज – बड़े दिल और अपने पन से जिंदगी नहीं जी जाती है उसके लिए चाहिए होता है , पैसा , रूतबा और स्टेटस और आप अपने हाथो अपना स्टेटस बर्बाद कर रही है ,, बड़े से बड़े घर के लड़के आपसे शादी करने के लिए तैयार है फिर ना जाने क्या देख लिया है आपने बनारस के उस गंवार में (गुस्से से)
सारिका – जिंदगीभर आप स्टेटस , पैसा और रुतबे के पीछे भागते आये है l जिस से आपको सिर्फ गुरुर मिला अपनों का प्यार और साथ नहीं
अधिराज – सारिका ……………………” (गुस्से से चिल्लाकर)
सारिका – चिल्लाइये मत पापा , सच बात हमेशा कड़वी लगती है l रखते है ,, शुभ रात्रि
अधिराज – हमने जो कहा वो याद रहे !!
सारिका – यही न की अगले हफ्ते अमित आ रहा है , चिंता मत कीजिये आपकी बाते इतनी कड़वी होती है की भूलना आसान नहीं होता l
कहकर सारिका ने फोन काट दिया l इस से आगे बोल पाने की हिम्मत उसमे नहीं थी l उसने बहुत कोशिश की पर आखिर में उसकी आँखों से आंसू बह निकले l सारिका ने फोन साइड में रख दिया और चेहरा हाथो में छिपाकर रोने लगी l दिल में जितना भी दर्द था वो आंसुओ में बह गया l उसने फोन उठाया और गेलेरी में जाकर उस आखरी तस्वीर को भीगी आँखों से देखते हुए कहने लगी,” आपको इस तरह हमे अकेले छोड़कर नहीं जाना चाहिए था माँ , आप जानती है आपके जाने के बाद कितने अकेले हो गए है l
हजारो लोग जानते है हमे , खुद को हमारे शुभचिंतक बताते है लेकिन ऐसा कोई नहीं है जिसके कंधे पर सर रखकर हम अपना दर्द कम का सके l जाते जाते आपने हमें सबसे बड़ा सबक सीखा दिया और वो था ‘अकेले जीने का’ l आपके जाने के बाद हमारे पास अपना कहने के लिए कुछ नहीं बचा है , कोई नहीं है जो ये समझ सके या जान सके की इस सख्त दिखने वाले चेहरे के अलावा एक दिल भी है जिसमे बहुत सारा दर्द , गुस्सा और बेबसी शामिल है l
आपके जाने के बाद पापा हमे अपना ही नहीं पाए माँ , उन्हें लगता है हम उनके लायक नहीं , उनके स्टेटस के लायक नहीं और फिर ये नफरत दूरियों में तब्दील हो गयी l साल में एक आध बार उनसे मिलने चले जाते है और अब तो वो भी कम हो गया है l नई माँ अच्छी है लेकिन हमारा खून खोल जाता है जब उन्हें आपकी जगह देखते है …………………………… हमे पापा से नफरत नहीं है माँ लेकिन हम चाहकर भी कभी उन्हें प्यार नहीं कर पाएंगे l उन्होंने हमे कभी नहीं समझा और शायद कभी समझ भी नहीं पाएंगे l अब बस इतना ही ज्यादा कहेंगे तो रो पड़ेंगे l “
सारिका ने फोन बंद कर दिया और साइड में रखकर बाथरूम की और बढ़ गयी l मुंह धोकर बाहर आई रोने का बाद अब उसे कुछ अच्छा महसूस हो रहा था l न जाने कितनी ही बातें उसके दिल में दबी थी जिन्हे चाहकर भी वह किसी से बाँट नहीं सकती थी l कितना बुरा होता है ना बड़ा आदमी बनना भी अपने स्टेटस और अपनी पहचान बनाये रखने के लिए लोगो के सामने खुश दिखने का दिखावा करना पड़ता है l चाहकर भी वे अपने दिल के जज्बातो को बयान नहीं कर पाते है l
सारिका ने घडी में समय देखा रात के 11 बज रहे थे उसने फोन करके अपने लिए खाना रूम में ही मंगवा लिया l मुंबई में रहते हुए उसे देर से खाने की आदत थी l वेटर खाना देकर चला गया खाना खाने के बाद सारिका कुछ देर खिड़की के पास आकर खड़ी हो गयी और सामने बहते पानी को देखने लगी l चांदनी रात थी और नदी का पानी भी बिलकुल शांत था जो की सारिका की आँखों को ठंडक पहुंचा रहा था l वहा खड़े खड़े सारिका को अचानक से अधिराज जी की कही अमित के आने वाली बात याद आ गयी l एक बार फिर उसका मन बेचेन हो उठा और वो सोचने लगी
“हमें जल्दी ही उन्हें ढूंढना होगा !! पर कैसे कुछ समझ नहीं आ रहा , हम यहाँ सिर्फ शिवम् जी को जानते है पर उनसे भी मदद नहीं मांग सकते पहले ही उनसे एक बार झूठ बोल चूके है बार बार झूठ बोलना सही नहीं होगा l हमे अकेले ही उन्हें ढूंढना होगा l कुछ समझ नहीं आ रहा है”,कहते हुए सारिका ने अपनी आँखे मूंद ली
“शुरू से शुरुआत करो सारिका”
सारिका के कानो में ये आवाज उभरी , ये आवाज उसके अंतर्मन की थी जिसे सारिका ने महसूस किया l
खिड़की से हटकर सारिका बिस्तर पर जाकर लेट गयी अगली सुबह के इंतजार में ………………………………..!!
अगली सुबह सारिका उठी और नहाने चली गयी l उसने हलके गुलाबी रंग का चूड़ीदार सूट पहना और कानो में बड़े से झुमके जो सूट से ही मैच हो रहे थे l बालो को खुला छोड़ने के बजाय उसने चोटी गूँथ ली l आँखो में काजल लगाया और ललाट पर गुलाबी रंग की छोटी सी बिंदी लगाकर अपना पर्स उठाये वहा से निकल गयी l
सारिका बनारस के अब तक 10-12 घाट घूम चुकी थी l सारिका अस्सी घाट पर बने उस मंदिर में आई जहा 14 साल पहले उस से मिली थी मंदिर के एक कोने में खड़ी वह भीड़ के छटने का इंतजार करने लगी जब भीड़ कम हुई तो सारिका वहा से पुजारी जी के पास गई और उन्हें नमस्ते कहा
पुजारी – नमस्ते बिटिया !
सारिका – पंडित जी आपसे कुछ पूछना चाहते है ?
पुजारी – हां बिटिया पूछो
सारिका – पंडित जी कुछ सालो पहले यहाँ एक लड़का महादेव की आरती मे शामिल हुआ करता था , उसने हमे बताया था की वो अक्सर यही रहता है , वो इस वक्त कहा मिल सकता है क्या आपको इस बारे में कुछ पता है
पुजारी – माफ़ करना बिटिया , इह मंदिर मा तो हजारो लोग आते है दर्शन के लिए , ऐसे कितनो का चेहरा याद रखी है हम
सारिका – याद करने की कोशिश कीजिये पंडित जी , हमारा उनसे मिलना बहुत जरुरी है l
पुजारी – बिटिया उनका कोई नाम , कोई पहचान , पता कुछ है आपके पास
सारिका – हमारे पास कुछ नहीं है पंडित जी (उदास हो जाती है)
पुजारी – तो तुम्हे ही बताओ बिटिया , अईसन कैसे ढूंढे उसको ?
सारिका – हम उनसे 14 साल पहले मिले थे l वो यहाँ बहुत आया जाया करते थे उन्होंने कहा भी था की यहाँ के पुजारी जी उसे जानते है अच्छे से
पुजारी – क्या 14 साल ? अरे बिटिया उह बख्त तो हम यहा के पंडित नहीं थे , दूसरे थे
सारिका – वो इस वक्त कहा है ? (बेसब्री से कहती है)
पुजारी – वो दूसरे शहर गए है किसी काम से दो चार दिन में लौट आएंगे l हो सकता है वो तुमरी कछु मदद कर दे
सारिका – शुक्रिया पंडित जी (फिर से उदास हो जाती है , उसे अब दो चार दिन का इन्तजार और करना पड़ेगा पर इसके अलावा उसके पास और कोई चारा भी नहीं था)
पुजारी ने सारिका का उदास चेहरा देखा तो कहने लगे,”दिल छोटा ना करो बिटिया , जिसे तुम ढूंढ रही हो वो तुमको जरूरे मिलेगा भोलेनाथ पर भरोसा रखो , सब ठीक होगा”
पुजारी ने कटोरी में रखा कुमकुम ऊँगली पर लगाया और सारिका के ललाट पर लगाते हुए कहा,”यहा आने वाला कभी खाली हाथ नहीं जाता है बिटिया”
सारिका ने पर्स से एक कागज और पेन निकाला और उस पर अपना नंबर लिखकर पुजारी जी को देकर कहा,”जब वो दूसरे पंडित जी आये तो आप मुझे सुचना कर दीजियेगा”
“ठीक है बिटिया”,कहकर पुजारी अपने काम में लग गया
सारिका हताश सी मंदिर से वापस लौट आयी l आखिर और कितनी परीक्षा लेने वाले थे उसकी महादेव जो वह मिलकर भी उस से नहीं मिल पा रही थी l महादेव ने तो सारिका के इंतजार का फल उसे पहले ही दिन अदा कर दिया था पर वही उसे नहीं पहचान पाई l चलते हुए सारिका सीढ़ियों पर आई और घाट के पानी को देखकर आँखे बंद कर हाथ जोड़ते हुए कहा,”हमारे पास अब ज्यादा वक्त नहीं है गंगा मैया , हमे उनसे मिला दीजिये l”
तभी किसी ने सारिका के कंधे को टक्कर मारी l सारिका ने अपनी आँखे खोली तो उसका कलेजा धक् से रह गया सामने प्रताप खड़ा था और उसे खा जाने वाली नजरो से घूर रहा था l सारिका जब वहा से जाने लगी तो प्रताप उसके सामने आ गया और उसका रास्ता रोक लिया l
“ये सब क्या है ?”,सारिका ने आवाज मजबूत करते हुए कहा
“हाय तुम्हारी इसी अदा पर तो मैं दिल हार गया , कल जब तुमसे मिला तो सोचा तुम्हारे साथ खेलूंगा और बात ख़त्म लेकिन बाद में तुम्हारे बारे में सोचने पर मजबूर हो गया l रात भर मैं बस तुम्हारे बारे में ही सोचता रहा और तब मुझे ख्याल आया की सिर्फ एक बार क्यों आने वाली हर रात मैं तुम्हारे साथ रंगीन कर सकता हु”,प्रताप ने बेशर्मी से कहा
सारिका ने जब सुना तो उसका खून खौल गया उसने खींचकर एक थप्पड़ प्रताप के गाल पर मारा और गुस्से से कहा,”अपनी हद में रहकर बात कीजिये आप , आईन्दा से अगर आपने हमारा रास्ता रोकने की कोशिश की या फिर किसी भी तरह की बदतमीजी की तो हमसे बुरा कोई नहीं होगा l याद रखियेगा “
सारिका की बात सुनकर वहा आस पास भीड़ जमा होने लगी l प्रताप अपने गाल पर हाथ लगाए सारिका को घूरे जा रहा था आज से पहले किसी लड़की ने उसे इस तरह सबके सामने थप्पड़ नहीं मारा था l प्रताप के आदमी सारिका की और बढे तो प्रताप ने हाथ आगे कर उन दोनों को रोक लिया और सारिका के पास आकर कहा
“ये थप्पड़ तुमको बहुते महंगा पड़ने वाला है , शादी तो तुमसे हम करेंगे चाहे मर्जी से हो या फिर जबरदस्ती”
कहकर प्रताप अपने आदमियों के साथ तेज कदमो से वहा से निकल गया l
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