रांझणा – 11
Ranjhana – 11
Ranjhana By Sanjana Kirodiwal
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Ranjhana – 11
महादेव तुम दोनों की जोड़ी बनाये रखे”
पुजारी के मुंह से ये बात सुनकर सारिका और शिवम् ने एक दूसरे की तरफ हैरानी से देखा l अनजाने में पुजारी जी के मुंह से ये बात सुनकर शिवम् ने कहा,”अरे इह का बोल रहे हो पंडित जी ! हमारी शादी नहीं हुई है इनसे “
शिवम की कही बात सारिका के लिए और चौकाने वाली थी l उसने देखा वहा मौजूद सभी लोग उन्ही दोनों कि और देख रहे है तो सारिका ने बात सम्हालते हुए कहा,”रहने दीजिये उन्होंने अनजाने में कह दिया , आईये चलते है”
सारिका ने देहरी पर रखा दीपक वाला दोना उठाया और बिना एक पल रुके वहा से बाहर निकल गयी शिवम् भी उसके साथ साथ बाहर चला आया l पुजारी जी ने जो बात कही थी उसे लेकर शिवम् को बड़ा असहज महसुस हो रहा था उसने सीढिया उतरते हुए सारिका से कहा,”माफ़ कीजियेगा वो पंडित जी ने…….!!
“कोई बात नहीं आप माफ़ी मत मांगिये !!”,सारिका ने प्यार से कहा तो शिवम् के दिल को राहत मिली l दोनों निचे पानी के पास आये दूर सीढ़ियों पर बैठा मुरारी फोन पर किसी को लतिया रहा था l सारिका नीचे झुकी और उसने दीपक से जगमगाता वह दोना पानी के घाट में बहा दिया l शिवम् कुछ दूर खड़ा घाट के पानी में तैरते उस दीपक को देखता रहा l सारिका कुछ देर वही बैठी उन सैकड़ो जलते दियो को देखती रही l दियो की लौ की भांति ही उसकी आँखे चमक रही थी l अर्चना का समय हो चला था सारिका वहा से उठकर शिवम के साथ आगे बढ़ गयी
तब तक मुरारी भी उनके पास आया और फिर तीनो घाट की आरती में शामिल हो गए l माहौल एकदम धार्मिक हो चला था , शंख नगाड़ो की ध्वनि , आरती का मधुर गुंजन जो कानो को सुखद अनुभूति का अहसास करवा रहा था l सारिका आँखे मूंदे हाथ जोड़े खड़ी थी उसके पास ही शिवम खड़ा था और नीचे वाली सीढ़ी पर मुरारी खड़ा था l सारिका के पास खड़े शिवम् को ना जाने क्यों अपनेपन का अहसास हो रहा था l लग रहा था जैसे वह पहले भी यहाँ सारिका के साथ खड़ा होकर आरती में शामिल हो चूका है ,
पुजारी जी की कही बात से वह पहले से ही परेशान था और अब ये अहसास वह समझ ही नहीं पा रहा था l हाथ जोड़े हुए उसने सारिका के चेहरे की तरफ देखा बंद आँखों में उसके चेहरे पर कितना सुकून था l उसके सुर्ख लब हौले से कुछ बुदबुदा रहे थे , हवा से उड़कर जब बालो की एक लट आकर उसके गालो पर लहराने लगी तो शिवम् का हाथ यकायक ही उसके चेहरे की और उठ गया और फिर रुक भी गया l
“ये तू क्या कर रहा है , किसी को उसकी मर्जी के बिना छूना पाप है l ये आज तुझे हो क्या गया है शिवम् घाट पर आकर भी तेरा मन इतना बेचैन क्यों है ?इन कुछ दिनों में सब जैसे बदल सा गया है लेकिन तुम्हे नहीं बदलना है ,, सारिका जी बहुत भरोसा करती है तुम पर अनजाने भी तुम्हे ऐसी कोई बात या हरकत नहीं करनी जिस से उन्हें ठेस पहुंचे”,शिवम् ने सारिका से हटाकर सामने घाट के पानी को देखते हुए मन ही मन खुद से कहा l
सारिका ने अपनी आँखे खोली और अपनी खाली आँखों से घाट के दृश्य को निहारने लगी l सारिका ने देखा इस घाट पर भीड़ बहुत ज्यादा था इतनी की लोग एक दूसरे से सटकर चलने को मजबूर थे l तो वहा से निकल गया लेकिन सारिका और शिवम् उसी भीड़ का हिस्सा बन चुके थे l भीड़ की वजह से सारिका और शिवम् दूर होते गए और फिर सारिका वही भीड़ में कही खो गयी l शिवम् उसे ढूंढने लगा सारिका भीड़ के साथ बस आगे चलती जा रही थी जब कुछ समझ नहीं आया तो सारिका वही एक सीढ़ी के पास रुक गयी l
शिवम् का नंबर भी नहीं था उसके पास इसलिए वह परेशान सी वही सीढियो पर बैठकर भीड़ के छटने का इन्तजार करने लगी l भीड़ जब कम हुई तो सारिका ने इधर उधर नजर दौड़ाई पर शिवम् कही दिखाई नहीं दिया , वह परेशान हो गयी l “हो सकता है वो हमे ढूंढते हुए यहाँ आये हमे कुछ देर यही रुकना चाहिए”,सारिका ने मन ही मन खुद से कहा
घाट पर घूमते हुए ३ लड़के सारिका के सामने से गुजरे जिनमे से दो लड़के तो बातो में लगे रहने के कारण आगे निकल गए लेकिन तीसरे लड़के की नजर सारिका पर पड़ गयी l लड़का सारिका को देखता ही रह गया और फिर आगे जाते लड़को को पीछे खींचकर कहा,”अबे कहा जा रहे हो ? ये देखो बनारस में का भौकाल आया है l बाकि दो लड़को की नजर जैसे ही सारिका पर पड़ी उनके होंठो पर मुस्कान तैर गयी l
सारिका उन लड़को को वहा देखकर एक बारगी तो घबरा गयी और फिर उसने अपना बैग उठाया और जाने लगी l एक लड़के ने सारिका के सामने आकर कहा,”अरे ! अकेले अकेले कहा चली , हमे भी साथ ले चलो l
लड़के की बात सुनकर बाकि दो लड़के बेशर्मी से हसने लगे l
सारिका ने उनके मुंह लगाना ठीक नहीं समझा और दूसरी तरफ से निकलकर आगे बढ़ गयी लेकिन लड़को को वहा किसका डर था वे तीनो भी सारिका पर फब्तियां कसते हुए उसके पीछे पीछे आने लगे l सारिका ने हिम्मत से काम लिया और पलटकर गुस्से से कहा,”हमारे पीछे मत आईये वरना
“वरना क्या मैडम जी ?”,लड़के ने दाँत दिखाते हुए बड़े ही बेशर्मी से कहा
“अरे भाई इनके तो गुस्से से भी प्यार झलक रहा है , प्यार से बात करेंगी तो कितनी कातिल लगेगी”साथ खड़े दूसरे लड़के ने कहा तो बाकि दोनों हसने लगे
सारिका ने महसूस किया की अब लड़के बेशर्मी पर उतर आये है उसने मदद के लिए इधर उधर देखा सामने से आते वही मंदिर वाले पुजारी जी दिखे तो सारिका दौड़कर उनके पास गयी और कहा,”देखिये ना ये सब हमारे साथ बदतमीजी कर रहे है , प्लीज़ आप हमारी मदद कीजिये “
“घबराओ मत बेटी , हम अभी देखते है “,कहकर पुजारी जी उन लड़को की तरफ बढे और कहा,”ऐ प्रताप (पहले वाला लड़का) इह का लगा रखा है इह पवित्र घाट पर ! वो बिटिया दूर शहर से आई है तुम लोगन ओको परेशान काहे कर रहे हो ?”
“देख पुजारी ये तेरे घर का मामला नहीं है चुपचाप निकल यहाँ से”,प्रताप ने गुस्से से पुजारी को घूरते हुए कहा l
“देखो प्रताप इह बनारस है , यहाँ औरत का सम्मान किया जाता है समझे , और वैसे भी ये बिटिया शिवम् के साथ यहां आई रही अगर उसे पता चला तुम्हो ऐसी कोई हरकत किये हो तो तुमरी खैर नहीं बताय रहे है”
“ओहो जे बात फिर तो आज दुगुना मजा आएगा , उस शिवम से बदला लेने का इस से अच्छा मौका और भला क्या हो सकता है”,प्रताप ने निचला होंठ अपने दांतो तले दबाते हुए सारिका को देखा
“गुरु वो तो ठीक है पर इतनी खुबसूरत लड़की शिवम् के खाते में कैसे ? का लगती होगी ये उनकी ? , दोस्त , माशूका या फिर जोरू “,दूसरे लड़के ने कहा तो प्रताप ठहाका लगाकर हंस पड़ा l
सारिका को इस बात पर गुस्सा आया वैसे वह हमेशा से अहिंसावादी रही है लेकिन आज खुद को रोक नहीं पाई और उस दूसरे लड़के के गाल पर एक थप्पड़ रसीद कर दिया
सारिका के थप्पड़ मारते ही लड़का तिलमिला गया और कहा,”अब देख तेरा क्या हाल करते है ?”
“ऐ प्रताप बनारस में मेहमान है वो और हिया मेहमानो के साथ ऐसा बर्ताव नहीं करते उन्हें जाने दे”,पुजारी ने प्रताप से विनती करते हुए कहा
“पुजारी बहुते हो गया लेक्चरबाजी अभी निकलो तुम”,प्रताप ने कहा l
“प्रताप हम तुमसे विनती करते है जाने दो उनको “,पुजारी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
प्रताप में पिछली जेब से कट्टा (छोटी बन्दुक) निकाली और पुजारी की जी कनपटी से लगाते हुए कहा,”तुमको एक बार कहे से समझ ना आता , यहाँ से निकलो नहीं तो 6 की 6 गोलिया तुम्हारे भेजा में डाल देंगे जिंदगीभर बजते रहोगे का समझे”
कट्टा देखकर पुजारी घबरा गया और भाग खड़ा हुआ l अब सामने सिर्फ सारिका थी और बाकि वो तीन सारिका ने मन ही मन भोलेनाथ को याद किया और अपने बेग को मजबूती से पकड़ वहा से भागने लगी
“अबे पकड़ उसे भागने ना पाए”,प्रताप ने कट्टा अपनी पेण्ट में छुपाते हुए दोनों लड़को से कहा l
इतना बड़ा घाट। रात का समय पर सारिका की मदद करने वाला वहा कोई नहीं था l दूसरी तरफ शिवम् बदहवास सा सारिका को ढूंढ रहा था l उसे लगा शायद सारिका घाट से बाहर चली गयी हो वह गली में आया जहा मुरारी की गाड़ी खड़ी थी
“मुरारी तूने सारिका जी को कही देखा ?”,शिवम् ने परेशानी भरे शब्दों में कहा
“पर वो तो तुमरे साथ थी ना”,मुरारी ने बोनट से निचे उतरते हुए कहा
“हां थी लेकिन भीड़ की वजह से उनका साथ छूट गया और वो पता नहीं कहा चली गयी”,शिवम् ने कहा
“हां तो परेशान काहे हो रहे हो , फोन लगाओ उनको”,मुरारी ने कहा
“हमारे पास उनका नंबर नहीं है “,शिवम् ने धीरे से कहा
“का , नंबर नहीं है l यार तुम ना सच में टोपा किस्म के आदमी हो कह रहे है हम l मतलब इतने दिन से जानते हो उनको पर नंबर तक नहीं है”,मुरारी ने शिवम् को लतियाते हुए कहा l
“गुस्सा बाद में कर लेना पहले उनको ढूंढते है कही हमारी वजह से वो किसी परेशानी में ना फंस जाये”,शिवम् ने कहा
“ठीक है तुम फिर एक्को बार घाट पर जाकर देखो हम यहाँ आस पास देखते है , मिल जाये तो फोन कर दियो”,कहकर मुरारी वहा से चला गया
भागते भागते सारिका एक दिवार के सामने आकर रुक गयी l
“अब कहा भागोगी मेडम जी आगे तो रास्ता ही नहीं है”,कहते हुए प्रताप सारिका की और बढ़ा सारिका की आँखों में डर साफ साफ नजर आ रहा था l प्रताप ने सारिका के कंधे की तरफ हाथ बढ़ाया लेकिन उसका हाथ उसे छू भी ना पाया l प्रताप अपनी गर्दन पर खिंचाव और दर्द साफ महसूस कर सकता था l
सारिका की नजर जैसे ही प्रताप के पीछे गयी उसकी आँखों में आंसू आ गए l पीछे शिवम् खड़ा था प्रताप की गर्दन दबोचे l शिवम् ने प्रताप को निचे फेंका और दो तीन घुसे उसके चमचो को मारे डरकर वे तीनो वहा से भाग गए l सारिका की आँख से आंसू बहकर निचे आ गिरा l
प्रताप अपने आदमियों के साथ वहा से जा चुका था l सारिका ने भीगी पलके उठाकर जैसे ही सामने देखा बस देखती ही रह गयी शिवम् कान पकडे सर झुकाकर खड़ा था l सारिका को कुछ नहीं सुझा इस वक्त वह इतना डर गयी थी की उसके मुंह से बोल नहीं फूटे शिवम् ने जब सारिका को देखा तो उसकी आँखों में आंसू देखकर उसे अंदर ही अंदर बहुत बुरा महसूस हुआ l
आज अगर वह वक्त पर नहीं पहुँचता तो सारिका के साथ कुछ भी हो सकता था l सारिका को खामोश देखकर शिवम् आगे आये और अपने हाथो से उसके आंसू पोछते हुए कहा,”माफ़ कर दीजिये , हमारी वजह से ये सब”
सारिका ने कुछ नहीं कहा बस भीगी आँखों से शिवम् को देखती रही l
“घर चले”,शिवम् ने धीरे से कहा
सारिका ने अपना बैग उठाया और शिवम् के साथ साथ चलने लगी दोनों के बिच एक गहरी ख़ामोशी पसरी थी l चलते हुए शिवम् ने अपने कांपते हाथो से सारिका की कलाई मजबूती से थाम ली l सारिका ने शिवम् की तरफ देखा तो शिवम् ने धीरे से कहा,”फिर से आपको खोना नहीं चाहते”
सारिका को शिवम् के उन चंद लफ्जो में अपनापन महसूस हुआ , एक जाना पहचाना सा अहसास , एक अनछुई छुअन जिसे हमेशा महसूस करती आयी थी वो l शिवम् की छुअन ने उसे बैचैन नहीं किया बल्कि अपनेपन का अहसास करवाया l चलते चलते शिवम् ने मुरारी को फोन लगाया और उसे गाड़ी के पास मिलने को कहा l गाड़ी के पास पहुंचकर शिवम् ने सारिका से बैठने को कहा और खुद ड्राइवर सीट पर आ बैठा
उसके चेहरे को देखकर मुरारी समझ गया की बात जरूर कोई गंभीर है इसलिए उसने चुप रहना ही बेहतर समझा और आकर पिछली सीट पर आकर बैठ गया l शिवम् ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी l सारिका को चुप देखकर मुरारी उसे हँसाने की कोशिश कर रहा था लेकिन सारिका अब भी कुछ देर पहले घटी घटना को लेकर घबराई हुई थी l वही शिवम् के दिमाग में भी वही सब घूम रहा था वह मन ही मन कहने लगा,”प्रताप सारिका जी के बारे में कुछ नहीं जानता और सारिका हमारे और प्रताप के झगडे के बारे में कुछ नहीं जानती ,,
ये दोनों एक दूसरे से जितना दूर रहे उतना ही अच्छा है वरना हमसे बदला लेने के चक्कर में वो सारिका जी को जरूर नुकसान पहुचायेगा l हम भी कितने बड़े बेवकूफ है उन्हें अकेला छोड़ दिया , आज के बाद ऐसा कभी नहीं करेंगे l “
“भैया ! चाय पीने का मन हो रहा है गाड़ी घुमाय लो ना , सारिका जी ने भी कुछ नहीं खाया है”,मुरारी ने जानबूझकर सारिका का नाम लेकर कहा जिससे शिवम् ना न कह पाए
शिवम् ने गाड़ी चाय की टपरी की और मोड़ दी l दुकान के पास पहुंचकर शिवम् ने गाड़ी साइड में लगायी और सारिका से वही रुकने को कहा क्योकि वह नहीं चाहता था सारिका दुकान तक आये l इस वक्त दुकान पर लड़को का जमाव ज्यादा जो होता था l दुकान पर आकर शिवम् ने दुकान वाले से तीन कुल्हड़ चाय बनाने को कहा l उसने वहा से एक बोतल पानी लिया और मुरारी को वही छोड़कर खुद सारिका की तरफ बढ़ गया l
उसने बोतल सारिका की तरफ बढ़ा दी सारिका ने पानी पीया और फिर बचे हुए पानी से मुंह धो लिया l उसे अब थोड़ा अच्छा महसूस हो रहा था l शिवम् ने जेब से रुमाल निकालकर सारिका की और बढ़ा दिया l सारिका ने मुंह पोछा और सर सीट से लगा लिया उसकी आँखों में पसरे खालीपन को शिवम् साफ साफ देख सकता था उसने धीरे से कहा,”आप ठीक है न ?
“हम्म्म “,सारिका ने कहा
“कुछ खाएंगी आप ? हम ले आते है “,शिवम् ने कहा
सारिका को भूख तो लगी थी पर उसने मना कर दिया l उसका उतरा हुआ चेहरा देखकर शिवम् ने कहा,”जो कुछ भी हुआ उसे बुरा सपना समझकर भूल जाईये l जितना ज्यादा सोचेंगी उतना ज्यादा परेशान होंगी आप”
‘लेकिन वो लोग थे कौन ? और आपसे डरकर क्यों भागे ?”,सारिका ने पूछा
शिवम् मुस्कुरा उठा और कहा,”आप जितना सीधा हमे समझ रही है उतने सीधे हम है नहीं”
“मतलब ?”,सारिका ने पूछा
“धीरे धीरे सब समझ आ जाएगा , आप आराम से बैठिये हम आपके लिए कुछ लेकर आते है”,कहकर शिवम् वहा से चला गया
दुकान वाला चाय तैयार कर चुका था l शिवम् ने चाय ली और साथ में एक चिप्स का पैकेट लेकर गाड़ी की तरफ बढ़ गया l पीछे पीछे मुरारी भी चला आया l शिवमं ने जब सारिका को चाय का कुल्हड़ पकड़ाया तो वह असमझ की स्तिथि में उसे देखने लगी l कॉफी पिने वाली लड़की जिसने कभी चाय देखी भी नहीं वह उसे पीनी पड़ रही है l सारिका को परेशान देखकर शिवम् ने कहा,”पीजिये !
सारिका ने कुल्हड़ मुंह से लगाया और एक घूंठ चाय पि l चाय बहुत अच्छी बनी थी l सारिका फूंक मारती हुयी धीरे धीरे चाय पीने लगी शिवम् ने देखा तो बस देखता ही रह गया l ठंडी हवा चल रही थी जिससे सारिका के बाल उड़कर उसके चेहरे पर आ रहे थे सारिका इस से बेखबर चाय पीने में लगी थी l चाय पिते हुए सारिका ने जैसे ही पलके उठाकर शिवम् को देखा उसे लगा उसका दिल बाहर आ गिरेगा l
इतनी गहरी आँखे उसने आज से पहले शायद कभी नहीं देखी थी l शिवम् ने नजरे घुमा ली मुरारी ने चिपस का पैकेट खोलकर सारिका की तरफ बढ़ा दिया और उसके साथ साथ खुद भी खाने लगा l सारिका और मुरारी तो अपनी चाय ख़त्म कर चुके थे पर शिवम् की चाय का कुल्हड़ अब भी वैसे ही भरा हुआ था और चाय ठंडी भी हो चूकी थी
“भैया हम दूसरी ले आते है “,कहकर मुरारी जैसे ही जाने लगा शिवम् ने उसे रोकते हुए कहा,”तुम रुको हम ले आते है”
शिवम् वापस दुकान की तरफ बढ़ गया l मुरारी सारिका फिर से हसांने की जदोजहद में लग गया और अंत में सारिका मुस्कुरा उठी उसे मुस्कुराता देखकर शिवम् के दिल को जो सुकून मिला उसे सिर्फ वो ही समझ सकता था l चाय ख़त्म कर तीनो वापस गाड़ी में सवार हो गए शिवम् ने खाने का कहा तो सारिका ने कहा की वह होटल जाकर खा लेगी l
शिवम् ने गाड़ी उसके होटल की और जाने वाले रस्ते पर मोड़ दी l गाड़ी चलाते हुए शिवम् ने म्यूजिक स्टार्ट कर दिया लेकिन म्यूजिक शिवम् की भावनाओ पर भारी पड़ने वाला था गाना बजने लगा
“तेरी काली अखियो से जींद मेरी जागे
धड़कन से तेज दोडू सपनो से आगे
अब जा लूट जाये
ये जहा छूट जाये
संग प्यार रहे मैं रहु , न रहु
सजदा तेरा सजदा , करू मैं तेरा सजदा। . . . . . . . . . .. ..!
जैसे ही गाना शुरू हुआ शिवम की नजरे गाड़ी में लगे मिरर पर चली गयी जिसमे सारिका की काजल से सनी आँखे नजर आ रही थी l शिवम् उन आँखों में डूब गया और फिर हुआ यु की शिवम् ब्रेक लगाना भूल गया और गाड़ी सामने पड़ी रेत के ढेर से जा टकराई l गनीमत ये रही की किसी को नुकसान नहीं पहुंचा
“अरे भैया ध्यान कहा है तुम्हारा ? अभी तो सीधा ऊपर डायरेक्ट भोलेनाथ के साथ डिनर कर रहे होते”,मुरारी ने कहा
शिवम् होश में आया l ये क्या हो गया है उसे ? इतना लापरवाह वो पहले तो कभी न था l शिवम् ने सॉरी कहा और गाड़ी वहा से निकाली कुछ देर बाद गाड़ी सारिका के होटल के सामने पहुंची l सारिका जैसे ही गाड़ी से उतरी शिवम ने कहा,”जरा अपना फोन दीजिये”
सारिका ने अपना फोन शिवम् की और बढ़ा दिया l शिवम् ने फोन लिया और उसमे एक नंबर ऐड करते हुए कहा,”आपके फोन में हमने हमारा नंबर ऐड किया है जब भी जरूरत हो फोन कर लीजियेगा l “
सारिका ने कुछ नहीं कहा और ख़ामोशी से शिवम के चेहरे की और देखती रही l आज उसने बनारस के दो चेहरे देखे थे एक “प्रताप” और दूसरा “शिवम्”
“अब हमे चलना चाहिए , अपना ख्याल रखियेगा”,शिवम् ने कहा और जाने लगा
“कल सुबह नाश्ते में क्या है ?”,सारिका ने कहा
“जो आप खाना चाहे”,शिवम् ने पलटकर कहा
“हमे सूजी का हलवा पसंद है”,कहकर सारिका वहा से चली गयी l
शिवम् मुस्कुराते हुए आकर गाड़ी में आ बैठा उसे मुस्कुराता देखकर मुरारी ने कहा,”ये सब चल क्या रहा है ?
“क्या चल रहा है ? तुम ना ज्यादा दिमाग ना लगाओ समझे”,शिवम् ने थोड़ा गुस्से से कहा और गाड़ी की चाबी मुरारी की और बढ़ा दी l मुरारी ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी l कुछ देर खामोश रहने के बाद मुरारी ने कहा,”अच्छा ये तो बता दो इतना गुस्साय काहे रहे हो , कोई बात हुई का घाट पे ?
मुरारी के पूछने पर शिवम् ने उसे सारी बात बता दी l अब तो मुरारी का गुस्सा भी सांतवे आसमान पर था उसने कहा,”लगता है इह प्रताप के बच्चे को सबक सिखाना होगा , बहुते दिन हो गए हाथ साफ नहीं किये लगता है शुभारभ यही से करना होगा l
“हां मुरारी सबक तो उसे सिखाना है सारिका जी के साथ उसे ऐसा नहीं करना था”,शिवम् ने कहा
“तुझे हो क्या गया शिवम् , उनको लेकर इतना बैचैन क्यों हो रहा है तू ?”,मुरारी ने शिवम् के चेहरे पर आते जाते भावो को देखते हुए कहा
“नहीं जानते मुरारी ये सब क्या हो रहा है हमारे साथ ? आज से पहले ऐसा कुछ नहीं हुआ , कुछ महसूस नहीं किये है हम फिर अचानक से ये सब नहीं समझ पा , क्यों उनकी आँखों में आंसू नहीं देख पा रहे ? , क्यों जब प्रताप ने उनके साथ बदतमीजी की तो हमे अच्छा नहीं लगा , उनकी आँखों में देखते है तो सब भूल जाते है , सही गलत कुछ समझ नहीं आता है। हमे बहुत डर लग रहा है मुरारी , ये बेचैनी ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही है “,शिवम् एक साँस में सब कह गया
मुरारी ने महसूस किया शिवम् सच में आज बहुत परेशान था उसने गाड़ी “अस्सी घाट” की और मोड़ दी जहा अकसर शिवम् जाया करता था और कहा,”तेरी सारी परेशानियों का इलाज है मेरे पास”
घाट पहुंचकर शिवम् और मुरारी सीढ़ियों पर आ बैठे मुरारी ने शिवम् के हाथ से उसका फोन लिया और उसमे कुछ देखने लगा l उसने एक साइट ओपन किया जिसमे एक बड़ी सी नज्म थी उसने फोन शिवम् की और बढ़ा दिया और कहा,”इसे पढ़ो तुम्हारे मन को शांति मिलेगी और हो सके तो कुछ देर यही रुको जब मन अच्छा हो तब घर चले जाना”
“पर आई ?”,शिवम् ने कहा
“उनकी चिंता तुम ना करो 4 गालिया , दो जूते और 10-12 ताने सुन लेंगे तुम्हारे लिए , तुम चिंता ना करो आखिर इतना तो कर ही सकते है तुमरे लिए”,मुरारी ने मुस्कुराते हुए कहा और वहा से उठकर चला गया l
शिवम् ने स्क्रीन पर देखा उसकी मेडम जी की ही लिखी कोई नज्म थी वही मैडम जी जिसे इन दिनों भूल चुका था वो !! शिवम् ने एक लम्बी साँस ली और फिर उस नज्म को पढ़ने लगा
मेरा इश्क़ बनारस है
मेरी रूह है बनारस
मेरा किस्सा बनारस का
मेरा तू है बनारस
मेरी रग रग में बहता है तू
मेरी आदतों में रहता है तू
तुझे ना सोचु तो बैचैन रहु
ये बेबसी अब किस से मैं कहु
तेरी गलियों में भटका सा फिरे ,ये इश्क़ मेरा ये इश्क़ मेरा
तेरे घाटों पर बहता सा रहे , ये इश्क़ मेरा ये इश्क़ मेरा
बस नजर तुझको देखो , सब खाक करू तेरी सूरत पे
बस एक दफा तुझको सोचु , सब राख करू तेरी जिद पे
मैं तुझमे ऐसे घुल जाऊ , जैसे रंग घुले है पानी में
मैं तुझमे ऐसे जिन्दा रहु , जैसे रहे है रांझे कहानी में
तेरे इश्क़ की मैं हक़दार रहु , मैं पहला सा तेरा प्यार रहु
तेरी हां मैं रहू , तेरी ना में रहू , तेरे बिन फिर मैं बेकार रहु
जिसे भूल ना पाए जग में कोई मैं ऐसी कहानी बन जाऊ
तू बन जा घाट बनारस का , मैं तेरी दीवानी बन जाऊ
तू बन जा घाट बनारस का , मैं तेरी दीवानी बन जाऊ
तुझसे मेरा आसमा है
तुझसे ही मेरा जहा
तुझसे ही मेरी हर दुआ है
तुझसे ही मेरा खुदा
तुझमे ही अब मैं जगु , तुझमे ही अब मैं ढलु
तू चले जिन रास्ते , उन रास्तो पर मैं चलू
तुझसे ही पूरी हु मैं तेरे बिन अधूरी मैं रहू
तेरे बिना कुछ भी नहीं , तुझसे जो किस्से मैं कहुँ
इश्क़ तेरा बहता है रग रग अब मेंरे साथिया
भूल कर ना भूल पाए प्यार तेरा माहिया
तेरे संग रहु अब मैं सदा , तेरी आँखों का पानी बन जाऊ
तू बन जा घाट बनारस का , मैं तेरी दीवानी बन जाऊ
तू बन जा घाट बनारस का , मैं तेरी दीवानी बन जाऊ
दूर सीढ़ियों पर खड़े मुरारी ने हाथ जोड़कर शिवम् को देखते हुए कहा ,”हे , महादेव अब फैसला तुम ही करना शिवम् की जिंदगी में कौन जरुरी ही उसकी बेचैन रातो सा सुकून – मैडम जी या फिर उसमे आये बदलाव की वजह – सारिका
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संजना किरोड़ीवाल
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