और प्यार हो गया – 19

Aur Pyar Ho Gaya – 19

Aur Pyar Ho Gaya
Aur Pyar Ho Gaya by Sanjana Kirodiwal

कार्तिक से थप्पड़ की उम्मीद नहीं थी सोफिया को l उसने कुछ नहीं कहा और चुपचाप वहा से निकल गई l कार्तिक फिर से बिस्तर के कोने पर आ बैठा उसका उदास चेहरा नंदिनी को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था l एक तरफ जहा नंदिनी को कार्तिक का दर्द देखकर दुःख हो रहा था वही दूसरी और उसे सोफिया के सच का पता चलने की ख़ुशी भी थी
“सॉरी नंदू , मैंने सोफिया को समझने में बहुत बड़ी भूल कर दी l”,कार्तिक ने उदासी भरे स्वर में कहा
“bunny जो होता है अच्छे के लिए होता है , सोफिया ने जो किया उसकी सजा उसे मिल चुकी तुम खामखा अपना मन छोटा मत करो”,नंदिनी ने प्यार से कहा
कार्तिक उठा और आकर नंदिनी के सामने बैठ गया और कहने लगा,”मैं सच में गधा हु नंदू , किसी पर भी भरोसा कर लेता हु l पर तुमने भी तो मुझे नहीं कहा की सोफिया मेरे लिए अच्छी लड़की नहीं है l”
“bunny मैं क्या कहती उस वक्त ?”,नंदिनी ने कहा
“कहती क्या कान पकड़कर ले आती”,कार्तिक ने कहा
नंदिनी ने कुछ नहीं कहा वह ख़ामोशी से कार्तिक को देखती रही उसने देखा उसके होठ से खून निकल रहा है तो उसने कार्तिक से कहा,”bunny वो दवाई वाला बॉक्स यहाँ लेकर आना”
कार्तिक उठा और दवाई वाला बॉक्स लाकर नंदिनी को दे दिया l नंदिनी ने कार्तिक को बैठने को कहा कार्तिक बैठ गया तो नंदिनी ने डिब्बा खोला और उसमे से स्पिरिट और कॉटन निकालकर कार्तिक के मुंह पर लगे घाव को साफ करने लगी तो कार्तिक ने उसे रोकते हुए कहा,”नंदू मामूली सी चोट है ये सब रहने दो”
“bunny खामोश रहो , हालत देखो अपनी लॉफर लग रहे हो”,नंदिनी ने उसके घाव को साफ करते हुए कहा
कार्तिक चुपचाप नंदिनी को देखने लगा l नंदिनी बड़े प्यार से कार्तिक की चोट को साफ करके उस पर दवा लगाने लगी l जलन से कार्तिक ने अपनी आँखे बंद कर ली तो नंदिनी धीरे से फूंक मारने लगी l एक ठंडा महकती सांसो का अहसास कार्तिक को अपने चेहरे पर महसूस हुआ उसने अपनी आँखे खोली और नंदिनी की आँखों में देखा कितनी परवाह थी उसकी आँखों में , कितना प्यार कितनी बेचैनी से वह कार्तिक के जख्मो पर दवा लगा रही थी l कार्तिक उन आँखों में डूब सा गया
“हो गया अब जाकर नहा लो”,नंदिनी ने कहा
नंदिनी की आवाज से कार्तिक अपने ख्यालो से बाहर आया l वह उठा और बाथरूम की और बढ़ गया l कार्तिक के जाने के कुछ देर बाद ही रंजना जूस का ग्लास लिए कमरे में आई l उसने ग्लास नंदिनी को दिया और खुद उसके पास ही बैठ गयी l
“अब कैसी तबियत है बेटा तुम्हारी ?”,रंजना ने प्यार से नंदिनी के गाल को छूकर कहा
“अब ठीक हु आंटी , थैंक्यू आप मुझे यहाँ लेकर आई बिल्कुल अपने घर जैसा फील हो रहा है”,नंदिनी ने मुस्कुरा कर कहा
“लो कर दिया ना एक पल में पराया थेंक्यू कहकर , बेटा मैंने तुम्हे कभी अपने कार्तिक से अलग नहीं समझा है l”,रंजना ने कहा
“तभी तो आप दुनिया की सबसे अच्छी माँ है”,नंदिनी ने रंजना के गाल खींचते हुए कहा
“बातें बनाना तो कोई तुमसे सीखे , ये बताओ तुमने अपनी दवाईया ली के नहीं”,रंजना ने कहा
“अरे ! दद्दा वो तो मैं भूल गयी”,नंदिनी ने कहा
“रुको मैं लाती हु तब तक तुम ये जूस पीओ”,कहकर रंजना सामने टेबल की और बढ़ गयी नंदिनी ने जूस पीया और ग्लास साइड टेबल पर रख दिया l रंजना नंदिनी की दवाईया ले आयी और खुद अपने हाथ से खिला दी l दवा खाने के बाद नंदिनी पीठ के पीछे तकिये लगाकर आधा लेट गयी l रंजना कार्तिक के बिखरे कमरे को समेटने लगी और बड़बड़ाने लगी,”ये लड़का भी ना पता नहीं कब बड़ा होगा , इसका बचपना जाता ही नहीं है l कमरे की क्या हालत बना रखी है इसने ऐसा लगता है जैसे अभी अभी घोड़े दौड़ कर गये हो”

रंजना की बात सुनकर नंदिनी मंद मंद मुस्कुराने लगी और सोचने लगी,”आप चिंता मत कीजिये आंटी , मैं हु ना मैं उसे सुधार दूंगी और बिल्कुल वैसा बना दूंगी जैसा आप चाहेगी”
रंजना कपडे तह करते हुए बड़बड़ाये जा ही रही थी की तभी बाथरूम से कार्तिक के तेज तेज गाने की आवाजे आने लगी
“याहू चाहे कोई मुझे जंगली कहे , कहने दो जी कहता रहा”
“किसी के कहने की जरूरत क्या है बेटा तुम पहले से ही हो”,रंजना ने भी अपनी आवाज को थोड़ा ऊँचा करके कहा l
नंदिनी जोर जोर से हसने लगी कार्तिक वैसे ही अपनी मस्ती में गाता रहा l रंजना की नजर नंदिनी पर पड़ी वो हंसती हुई कितनी प्यारी लग रही थी l कमरे में दो बेपरवाह लोग थे एक बेपरवाही से गाये रहा था और दूसरी हँसे जा रही थी l रंजना ने कमरे में बिखरा सामान समेटा और नंदिनी से कहा,”नंदिनी खाने में लोगी बेटा ?”
“प्यार से कुछ भी खिला दीजिये आंटी , सब खा लुंगी”,नंदिनी ने मासूमियत से कहा
“अच्छा प्यार से थप्पड़ खिलाये तो चलेगा ?”,रंजना ने मुस्कुरा कर कहा
“आप अपनी होने वाली बहू को थप्पड़ खिलाएगी ?”,नंदिनी ने शरारत से कहा
“धत्त बदमाश ! कुछ चाहिए हो तो आवाज लगा देना”,कहकर रंजना मुस्कुराते हुए वहा से चली गयी
नंदिनी मुस्कुराते हुए उन्हें देखती रही l कार्तिक नहाकर बाहर आया उसने सिर्फ तौलिया लपेटा हुआ था उसे देखते ही नंदिनी न अपनी आँखों पर हाथ रखते हुए कहा,”तुम फिर से मेरे सामने ऐसे , तुम्हे जरा भी शर्म नहीं है”
“तो तुम अपनी आँखे बंद रखो ना अपने कमरे में तो मैं ऐसे ही आऊंगा”,कार्तिक ने कबर्ड खोलते हुए कहा
“ओह हेलो आज से ये कमरा एक महीने के लिए मेरा है , तुम बाहर का रास्ता देखो”,नंदिनी ने आँखों पर हाथ रखे रखे कहा
“मिस नंदू आप शायद भूल रही है , कमरा मेरा है मैंने रहने के लिए दिया है ज्यादा हक़ मत जताओ तुम समझी”,कार्तिक ने टीशर्ट पहनते हुए कहा l
नंदिनी ने अपना हाथ आँखों से हटाया और कार्तिक की तरफ देखा तो उसकी हंसी निकल गयी
“क्या हुआ हंस क्यों रही हो ?”, कार्तिक ने हैरानी से कहा
“ये क्या टीशर्ट पहनी है , इसमें तो तुम पूरे गुलदस्ते लग रहे हो”,कहकर नंदिनी हसने लगी l कार्तिक ने खुद को शीशे में देखा सच में वो वैसा ही लग रहा था उसने कबर्ड खोली और दूसरी टीशर्ट निकाल कर पहन ली l पर नंदिनी को वो भी अच्छी नहीं लगी तो नंदिनी ने ना में गर्दन हिला दी l अब तो कार्तिक एक टीशर्ट निकालता , पहनता , नंदिनी को दिखाता , नंदिनी ना में गर्दन हिलाती और कार्तिक टीशर्ट निकालकर सोफे पर डाल देता , पहले टीशर्ट फिर शर्ट की बारी आई लेकिन नंदिनी को कुछ पसंद नहीं आया l कबर्ड के सारे कपडे सोफे पर थे l
“नंदू कुछ तो बोल यार अब तो सब ख़त्म हो चुके”,कार्तिक ने कहा
नंदिनी मुस्कुराई और जोर से कहा,”आंटी जी “

कुछ ही देर बाद रंजना वहा थी l कार्तिक कुछ समझ पाता इस से पहले नंदिनी ने ऊँगली से सोफे की तरफ इशारा किया l कपड़ो का ढेर देखते ही रंजना के चेहरे के भाव बदल गए वह गुस्से से कार्तिक के पास आयी और उसे लताड़ने लगी,”ये सब क्या है कार्तिक ? कब अकल आएगी तुम्हे ? इतने सारे कपड़ो का ढेर लगा दिया तुमने अभी अभी मैं सब साफ करके गयी थी पर नई तुम्हे तो इस कमरे को तबेला बनाने में मजा आता है ना l कब बेटा कब सुधरोगे तुम ऐसी हालत रही ना तो कोई लड़की दो दिन नहीं रुकेगी तेरे साथ l मैं तुम्हे ये सब क्यों कह रही हु तुम्हे कोनसा मेरी बात माननी होती है करोगे तो तुम वही जो तुम्हे करना है l हम सबकी नाक में दम करना है , है ना”
कार्तिक अवाक् सा खड़ा अपनी मॉम की बात सुन रहा था सामने बैठी नंदिनी अपनी हंसी नहीं रोक पा रही थी कार्तिक की नजर जब उस पर पड़ी तो वह सब समझ गया नंदिनी ने जानबूझकर कबर्ड के सारे कपडे उस से बाहर निकलवाए ताकि मम्मी की डांट खिलवा सके l
“नंदू की बच्ची तुझे मैं बताता हु”,कहते हुए कार्तिक जैसे ही उसकी तरफ बढ़ा रंजना ने उसका कान पकड़ा और रोकते हुए कहा,”उसे बाद में बताना पहले मुझे बता ये सब ठीक करेगा कौन ?
“अरे मॉम मैं कर दूंगा”,कार्तिक ने दर्द से तड़पकर कहा
“बाद में करना पहले चलकर अपने पापा की कुछ फाइल्स उन्हें उनके ऑफिस में देकर आओ”,रंजना ने उसका कान पकडे पकडे उसे ले जाते हुए कहा
“मॉम मेरा कान तो छोड़ दीजिये दर्द हो रहा है”,कार्तिक ने कहा
“नहीं आंटी बिल्कुल नहीं छोड़ना , बचपन में इसके कान खींचे होते ना तो ये इतनी शरारते नहीं करता”,नंदिनी ने आग में घी डालने का काम करते हुए कहा l
“तुझे तो मैं देख लूंगा नंदू”,कार्तिक ने प्यार भरे गुस्से से कहा
“हां हां जीभर के देख लेना एक महीने यही हु”,नंदिनी ने मुस्कुराते हुए कहा
बेचारा कार्तिक रंजना के पीछे पीछे चलते हुए सोचने लगा,”ये तो बड़ी खतरनाक चीज है यार , एक महीना रहेगी मुझे तो घर से बाहर निकलवा देगी ये l सम्हल के रहना पड़ेगा बेटा कार्तिक”
कार्तिक रंजना के साथ कमरे से बाहर निकल गया l दवाईयों का असर होने से नंदिनी को नींद आने लगी वह लेट गयी और आँखे मुंद ली l कुछ देर बाद नींद ने उसे अपने आगोश में ले लिया l

दोपहर में कार्तिक बाहर से आया उसने देखा रंजना प्लेट में खाना लेकर नंदिनी के कमरे की और जा रही है तो कार्तिक उनके पास आया और कहा,”लाईये मॉम मैं ले जाता हु” l कार्तिक की आँखों में नंदिनी के लिए परवाह देखकर रंजना को बहुत अच्छा लगा l वह तो खुद चाहती थी की कार्तिक जल्दी से जल्दी अपनी फीलिंग्स को समझे और नंदिनी हमेशा हमेशा के लिए उनके घर आ जाये l
“लाईये ना मॉम कहा खो गई आप भी ?”,कार्तिक ने फिर से कहा
“ये लो , और हाँ प्यार से खिलाना उसे”,रंजना ने प्लेट कार्तिक को देते हुए कहा और कह वापस किचन की और चली गयी
कार्तिक प्लेट हाथो में लिए कमरे में आया उसने देखा नंदिनी सो रही है उसने खाने की प्लेट पास पड़ी टेबल पर रखी और नंदिनी के पास जाकर उसके कान में जोर से कहा,”नंदू !! नंदिनी डर गयी और हड़बड़ाकर उठ बैठी l कार्तिक को वहा देखकर वह उसे मारने लगी और कहा,”पागल हो गए हो क्या तुम , ऐसे भी कोई किसी को नींद से उठाता है भला”
“बदला !!”,कार्तिक ने इतराते हुए कहा
“कैसा बदला ?”,नंदिनी ने अपने कान को खुजाते हुए कहा
“सुबह जो तूने किया था उसी का”,कार्तिक ने कहा
“तू ना बहुत कमीना है”,नंदिनी ने गुस्से से कहा
“जानता हु नंदू”,कहते हुए कार्तिक खाने की प्लेट लिए नंदिनी के सामने बैठ जाता है और कहता है,”चल आजा खाना खाते है”
“मुझे नहीं खाना”,नंदिनी ने कहकर मुंह फेर लिया
“तू नहीं खायेगी तो फिर मुझे भी नहीं खाना”,कार्तिक ने धीरे से कहा
“तुमने अभी तक खाना नहीं खाया ?”,नन्दिनी ने फ़िक्र करते हुए पूछा
कार्तिक ने मसुमियत से गर्दन हिला दी नंदिनी ने एक निवाला तोड़कर कार्तिक की तरफ बढ़ा दिया l कार्तिक ने खाया और फिर नंदिनी को खिलाने लगा l तभी रंजना पानी का ग्लास लिए कमरे में आई कार्तिक को फिर से खाते देखकर कहने लगी,”कार्तिक ये खाना मैंने नंदिनी के लिए भिजवाया था , तू अभी अभी तो खाकर आया है”
कार्तिक का झूठ पकड़ा गया तो वह इधर उधर देखने लगा और नंदिनी उसे घूरने लगी फिर मुस्कुरा उठी उसके प्यारे से झूठ पर

रंजना वहा से चली गयी l शाम को श्रुति , त्यागी , स्वाति और चंदन भी नन्दिनी से मिलने आ पहुंचे l सभी साथ बैठकर बातें करने लगे l नंदिनी को बिलकुल नहीं लग रहा था की वह किसी अजनबी घर में है l चंदन और त्यागी तो नंदिनी का एंटरटेनमेंट करने के लिए उसे कपल डांस करके भी दिखा रहे थे l सबको बहुत मजा आ रहा था आज कितने दिनों बाद फिर से सब साथ में थे l कार्तिक भी आज बहुत खुश था l और इस सब की वजह थी – नंदिनी l
अँधेरा होने से पहले सभी अपने अपने घर चले गए और जल्दी ही वापस आने का नंदिनी से वादा कर गए l रात के खाने के बाद कार्तिक कुछ देर के लिए किसी काम से घर से बाहर चला गया l नंदिनी कार्तिक के कमरे में बैठी कोई किताब पढ़ रही थी की तभी दरवाजे पर दस्तक हुई l
“अंदर आजाईये दरवाजा खुला है”,नन्दिनी ने कहा
अखिलेश जी अंदर आये उन्हें देखते ही नंदिनी ने मुस्कुराकर कहा,”अरे अंकल आप , आईये ना वहा क्यों खड़े है ?
अखिलेश जी आकर नंदिनी के सामने रखी कुर्सी पर बैठ गए और कहा,”हां बेटाजी , सबसे पहले तो ये बताओ तबियत कैसी है अब आपकी ? सुबह क्या है की जल्दी में था इसलिए बात नहीं कर पाया l “
नंदिनी – तबियत अब बिल्कुल ठीक है अंकल
अखिलेश जी – बढ़िया , देखो बेटा इसे अपना ही घर समझना , किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक कहना l
नंदिनी – आपने इतना कह दिया बस और क्या चाहिए मुझे
अखिलेश जी – आप बातें बहुत अच्छी करती हो
नंदिनी – क्या अंकल आप हमे आप आप कहकर क्यों बुला रहे है ? आप हमे तुम कहकर भी बुला सकते है l अपने से छोटो को आप बुलाना पराये होने का अहसास दिलाता है
अखिलेश जी – अच्छा बाबा ठीक है आजसे मैं आपको……………मेरा मतलब तुम्हे तुम कहकर ही बुलाऊंगा अब ठीक है
नदिनी – ये हुई ना बात चलिए दीजिये इसी बात पर हाई फाइव
नंदिनी ने इतना कहकर अपना हाथ हवा में लहरा दिया l अखिलेश जी ने मुस्कुराते हुए उसके हाथ पर ताली दी
अखिलेश जी – अच्छा बेटा घर में कौन कौन है ?
नंदिनी – मैं , पापा , मम्मी और एक कजिन भैया वो भी हमारे साथ ही रहते है लखनऊ में
अखिलेश जी – लखनऊ तो बहुत खूबसूरत शहर है
नंदिनी – हां जब आप वहा आएंगे ना मैं आपको और आंटी को पूरा लखनऊ घूमा दूंगी , वहा बहुत चलती है मेरी
अखिलेश जी – कही लखनऊ की गुंडी वुन्डी तो नहीं हो न तुम (हँसते हुए)
नंदिनी – क्या अंकल आप भी , हम आपको गुंडे लगते है ?
अखिलेश जी – अरे नहीं बेटा तुम तो बहुत प्यारी हो l
दोनों बैठकर कुछ देर बातें करते रहे फिर अखिलेश जी ने घडी की और देखा जो की रात के 9 बजा रही थी l अखिलेश जी उठे और नंदिनी को गुड़ नाईट बोलकर जाने लगे l सहसा ही उनकी नजर दिवार पर टंगे उस टूटे हुए गिटार पर गयी जिसे धागो से जोड़कर सेट किया हुआ था l उन्हें याद आया एक बार गुस्से में उन्होंने ही वो गिटार तोड़ दिया था l कुछ सोचकर उनका दिल भर आया l नंदिनी उनके चेहरे पर आये हर भाव को बड़े गौर से देख रही थी l
“अंकल आप बुरा न माने तो आपसे एक बात पुछु ?”,नंदिनी ने धीरे से कहा
“हां बेटा पूछो”,अखिलेश जी ने कहा
“कार्तिक के इतना अच्छा गाने के बाद भी आपने उसे गिटार बजाने से मना क्यों किया ? जबकि उसका सबसे बड़ा सपना गिटारिस्ट बनना ही है”,नंदिनी ने सधी हुई आवाज में कहा

अखिलेश जी ने एक लम्बी सी साँस ली और कहने लगे,”कार्तिक बहुत छोटा था जब उसके चाचा यानि मेरा छोटा भाई मिथिलेश गुजर गया l आम लोगो की तरह वो सामान्य मौत नहीं मरा था बल्कि उसकी हत्या की गयी थी l मिथिलेश को गाने का बहुत शौक था और अपने इसी शौक को उसने अपना करियर बना लिया l उसका नाम होता गया और जैसे जैसे नाम हुआ उसके दुश्मन भी बढ़ने लगे l और इसी शौक के चलते किसी ने उसकी जान ले ली l किसी ने उसका बेरहमी से क़त्ल कर दिया मैं आज भी वो हादसा भुला नहीं पाया हु l जैसे जैसे कार्तिक बड़ा हुआ उसने भी म्यूजिक को अपना करियर चुना l वही जूनून वही जोश मैंने कार्तिक की आँखों में देखा जो कभी मिथिलेश की आँखों में था l मैं कार्तिक को खोना नहीं चाहता बेटा भले वो इस बात के लिए मुझसे जिंदगीभर खफा रहे मैं बर्दास्त कर लूंगा लेकिन कम से कम वो मेरी आँखो के सामने तो रहेगा l एक बार मैं वो हादसा देख चूका हु फिर से नहीं देख सकता l एक छोटी सी बात बताता हु तुमको ‘कामयाबी जब आती है ना बेटाजी तो वो अकेले नहीं आती बल्कि अपने साथ 100 मुसीबते लेकर आती है” l आज तक मैंने ये बात सिर्फ अपने दिल में दबाकर रखी कार्तिक को भी नहीं बताई l तुम्हे बताने का मन किया इसलिए खुद को रोक नहीं पाया , कुछ गलत कह गया हो तो माफ़ करना बेटा “
“आपने कुछ गलत नहीं कहा अंकल , कार्तिक बहुत लकी है जो उन्हें आप जैसे पापा मिले जो उस से इतना प्यार करते है l देखना वो भी ये बात एक दिन जरूर समझेगा की आप दुनिया के सबसे अच्छे पापा हो”,नंदिनी ने नम आँखों के साथ कहा
“पगली , देखो रुला दिया ना मुझे”,अखिलेश जी ने आँखों के किनारे आये आंसुओ को साफ कर मुस्कुराते हुए कहा
“सॉरी “,कहकर नंदिनी मुस्कुरा दी
“गुड़ नाईट बेटा”,कहकर अखिलेश जी तेज कदमो से वहा से चले गए l दरवाजे पर खड़ा कार्तिक सारी बाते सुन रहा था उसकी आँखों से आंसू बहकर गालो को भिगाने लगे l आज अपने पिता के लिए उसके दिल में जगह और बढ़ गयी l उसने अपने आंसू पोछे और अंदर आया
“अरे ! कहा चले गए थे तुम ?”,नंदिनी ने कार्तिक को देखते ही कहा
“तुम्हारा सामान लेने गया था , स्वाति ने पैक कर दिया हॉस्टल से लेकर आ रहा हु , इसमें तुम्हारे , कपडे और तुम्हारी बुक्स है”,कार्तिक ने उदास स्वर मे कहा और बेग साइड में रख दिया
“bunny यहाँ आओ”,नंदिनी ने प्यार से कहा
कार्तिक आकर नंदिनी के सामने नजर झुकाकर बैठ गया l नंदिनी ने गौर से कार्तिक का चेहरा देखा उसके चेहरे से उदासी टपक रही थी नंदिनी ने धीरे से कहा,”क्या हुआ bunny ?”
“कुछ नहीं”,कार्तिक ने अपने आंसुओ को रोकने की कोशिश करते हुए कहा
“तुम्हे पता है आज मुझे बहुत इम्पोर्टेन्ट बात पता चली , जानना चाहोगे क्या ?”,नंदिनी ने खुश होते हुए कहा
“हम्म्म्”,कार्तिक ने कहा
“मुझे पता चला की तुम दुनिया के सबसे लकी बेटे हो , जानते हो क्यों ? क्योकि तुम्हारे पापा तुमसे बहुत प्यार करते है और तुम्हे खोने से डरते है”,नंदिनी ने उसी लहजे में कहा
“मुझे भी आज पता चला”,कहते हुए कार्तिक ने नंदिनी की तरफ देखा उसकी आँख आंसुओ से लबालब भरी हुई थी l उसने अपने निचले होंठ को दांतो तले दबा लिया l कार्तिक के अंदंर जो तूफ़ान था वो नंदिनी उसकी आँखों में साफ साफ दिखाई दे रहा था l उसने आगे बढ़कर कार्तिक को गले लगा लिया l कार्तिक को इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत इसी की थी l आंसू उसकी आँखों से बहकर बाहर आ गए l वह नंदिनी को गले लगाए रहा और कहने लगा,”मैं आज बहुत खुश हु नंदू ! पापा मुझसे कितना प्यार करते है ये मैंने आज जाना l मैं हमेशा सोचता था की वो मेरे सपने के खिलाफ है , मुझसे नफरत करते है मैं कितना गलत था नंदू ,, मैंने ऐसे इंसान को गलत समझा जिन्होंने मेरे लिए इतना सब किया l अपने पापा पर मैं ऐसे 100 सपने हँसते हँसते कुर्बान कर सकता हु”
नंदिनी उस वक्त कार्तिक का दर्द समझ रही थी l वह कार्तिक की पीठ को सहलाती रही और उसे हिम्मत देती रही l जब दिल का सारा दर्द आंसुओ में बह गया तो कार्तिक नंदिनी से दूर हुआ l नंदिनी ने अपने दोनों हाथो से उसके आंसू पोछे और कहा,”पता है bunny लड़के रोते हुए बिल्कुल अच्छे नहीं लगते”
“जानता हु”,कार्तिक ने सुबकते हुए कहा
नंदिनी ने कार्तिक का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा,”bunny एक वादा करोगे मुझसे ?”
“हम्म्म”,कार्तिक ने कहा
“तो आज के बाद इन आँखों में आंसू नहीं आने चाहिए , मैं सब देख सकती हु पर तुम्हारी आँखों में आंसू नहीं l”,नंदिनी ने धीरे से कहा
“तूने सही कहा की मैं बहुत लकी हु जानती है क्यों ? क्योकि मेरे पास तू है”,कार्तिक ने सुबकते हुए कहा
“तो फिर एक वादा और करोगे मुझसे”,नंदिनी ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा
“हम्म्म”,कार्तिक ने धीरे से कहा
“फिर से मुझे पवन जैसे लोगो के पास मत छोड़ना”,नन्दिनी ने कहा
उस वक्त उसकी आवाज में जो दर्द था वो कार्तिक महसूस कर सकता था l उसे खुद पर शर्म आने लगी थी की उसने नंदिनी के लिए ऐसे घटिया लड़के को चुना l कार्तिक ने आँखों ही आँखों में नंदिनी को आश्वासन देते हुए कहा,”मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा”
कार्तिक के दिमाग में सेंकडो सवाल आने जाने लगे l उसने नंदिनी से गुड़ नाईट कहा और वहा से बाहर आ गया l अँधेरे में सोफे पर बैठा कार्तिक नंदिनी के बारे में सोचने लगा l पवन ने जो बर्ताव उसके साथ किया उसके घाव नंदिनी के दिल पर लगे थे और इस सब के लिए कार्तिक खुद को दोषी मान रहा था l ना वह सोफिया की बातो में आता और ना ही नंदिनी को इस दौर से गुजरना पड़ता l नंदिनी जैसी मासूम लड़की के साथ जब उसने बदतमीजी की थी तब कैसा महसूस किया होगा उसने l वो गन्दी छुअन और गिरी हुई नज़रे कैसे बर्दास्त कर पाई होगी l उसका दोस्त होकर भी वह क्यों उसे समझ नहीं पाया , उसकी फीलिंग्स नहीं समझ पाया , उसका दर्द नहीं समझ पाया और नंदिनी उसने इतना सब होने के बाद भी उस से एक बार भी शिकायत तक नहीं की l
कार्तिक घंटो बैठा इसी बारे में सोचता रहा l फिर उठा और नंदिनी के कमरे की और बढ़ गया अंदर आया देखा नंदिनी सो रही थी l खिडकी से आती चाँद की रौशनी से कमरे में हल्का उजाला था जिसमे कार्तिक नंदिनी को साफ देख पा रहा था l वह उसके पास आया निचे गिरी चददर उठाई और नंदिनी को ओढ़ा दी l चाँद की रौशनी से उसका चेहरा दमक रहा था l कार्तिक ने धीरे से नंदिनी का सर सहलाया और फिर उसके पेरो की तरफ आकर खड़ा हो गया उसने नंदिनी के दोनों पेरो को हाथो से छूते हुए कहा,”अनजाने में मुझसे जो गलती हुई उसके लिए मुझे माफ़ कर देंना नंदू” आँख से बहकर एक आंसू निचे जमीन पर जा गिरा l कार्तिक बाहर आया और हौले से दरवाजा बंद करके वापस सोफे पर आकर लेट गया l नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी l खुली खिड़की से वह चाँद को निहारने लगा l अधूरा होकर भी वह चाँद पूरा था और शांत था
चाँद की ही तरहा अब शांत था कार्तिक का मन !!

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संजना किरोड़ीवाल

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