“पिया बावरे”
Piya Bawre
Disclaimer -: ये कहानी एक काल्पनिक रचना है और इसे सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से लिखा गया है। कहानी में लिखे जाने वाले सभी किरदार , घटनाये और संवाद काल्पनिक है इनका किसी अन्य कहानी या फिल्म/थियेटर से मिलना मात्र संजोग हो सकता है। ये रचना लेखिका की मौलिक रचना है और इसके सभी अधिकार लेखिका के पास सुरक्षित है। अपनी रचना में लेखिका द्वारा किसी भी विसंगति (शराब , सिगरेट , गाली-गलौच , हिंसा) को बढ़ावा नहीं दिया गया है। इस कहानी में लेखिका द्वारा लिखे गए कुछ संवाद किसी भी सरकारी महकमे की भावनाओं को आहत करने के लिए अपितु किरदारों द्वारा अपनी बात समझाने के लिए लिखे गए है।
“पिया बावरे”
“हम साले कहे थे तुमसे ये मोपेड लेकर ना आओ बीच रास्ते धोखा देगी पर तुम हमारी बात नहीं सुने। इस से अच्छा बस से चलते तुरंत पहुँच जाते”,केशव के बचपन के दोस्त मुरली ने कहा
“सुबह तक तो ठीक थी अब अचानक इसे क्या हो गया रुको हम देखते है ?”,कहते हुए केशव अपनी मोपेड को देखने लगा।
“इतनी मुश्किल से फिल्म की दो टिकटे मिली है लेकिन तुम्हारी इस खटारा मोपेड की वजह से लगता है पैसा बेकार जाएगा। पिताजी के आगे हाथ पैर जोड़कर हमने भागलपुर जाकर पिक्चर देखने की परमिशन ली लेकिन तुम्हारी इस मोपेड ने सब गुड़-गोबर कर दिया है”,मुरली ने कुढ़ते हुए सड़क पर यहाँ वहा चक्कर काटते हुए कहा
“अरे यार थोड़ा सब्र करो हम देख रहे है”,केशव ने मोपेड को देखते हुए कहा
मुरली देर होने की वजह से एक तो पहले से गुस्से में ऊपर से मोपेड बीच में बंद हो गयी देखकर उसे और गुस्सा आ गया। वह केशव के पास आया और मोपेड को एक लात मारते हुए कहा,”इसे बेचकर एक साइकिल ले लो कम से कुछ काम तो आएगी”
“हमको लगता है इसमें तेल खत्म हो गया है , एक काम करते है यहाँ से पैदल चलते है क्या पता रस्ते में मदद मिल जाये”,केशव ने कहा।
मुरली ने सूना तो घूरकर उसे देखने लगा और कहा,”तूम दोस्त नहीं होते ना तो अभी यही कूट देते हम तुम्हे , अब हमारी शक्ल क्या देख रहे हो चलो”
केशव् और मुरली मोपेड को घसीटते हुए पैदल ही चल पड़े। केशव ने अपनी कलाई पर बंधी घडी में समय देखते हुए कहा,”अभी तो 2 बजे है और पिक्चर 3.30 बजे शुरू होगी , मतलब डेढ़ घंटा है हमारे पास ,, पहुँच जायेंगे”
“हमको एक बात बताओ केशव तुम इस मोपेड को बेच काहे नहीं देते , इतनी पुरानी हो चुकी है की कभी भी इसके प्राण निकल जाये फिर काहे इसे अपने गले का हार बनाये घूमते हो ?”,मुरली ने केशव के साथ साथ चलते हुए कहा
“ये हमारे दादा की आखरी अमानत है ऐसे कैसे बेच दे इसको ? हमारे गाँव में हम इकलौते है जिसके पास ये मोपेड है”,केशव् ने इतराते हुए कहा
“हाँ भाई इकलौते ही हो तुम क्योकि बाकी सबके पास बाइक है और किसी किसी के पास तो बड़ी बाइक भी”,मुरली ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा तो केशव ने मुंह बना लिया।
मुरली और केशव सुल्तानगंज के रहने वाले थे। दोनों बचपन से साथ साथ खेलकर बड़े हुए थे। यू तो दोनों के और भी कई दोस्त थे लेकिन इन दोनों की दोस्ती थोड़ी ज्यादा गहरी थी। मुरली केशव के बिना कही आता जाता नहीं था फिर चाहे वह किसी के यहाँ दावत हो या मैदान में कुश्ती दोनों हर जगह साथ साथ ही नजर आते थे। आज भी दोनों भागलपुर फिल्म देखने जा रहे थे टिकट का इंतजाम मुरली ने किया क्योकि केशव की माली हालत अच्छी नहीं थी।
मुरली ने देखा केशव शांत हो गया तो उसने कहा,”अच्छा हमे एक बताओ ऐसा कब तक चलेगा ? ऐसी फटेहाल जिंदगी कब तक जियेंगे क्यों ना शहर चले वहा चलकर कुछ काम धंधा शुरू करेंगे”
“मुरली गांव छोड़कर शहर जाने से क्या होगा ? हम कोशिश कर तो रहे है अगले महीने ही SSC के इम्तिहान है , हमे लगता है इस बार हमारा सलेक्शन पक्का हो जाएगा , उसके बाद हालत भी सुधर ही जायेंगे”,केशव् ने कहा
“पिछले 3 साल से SSC के इम्तिहान दे रहे हो तुम अब तक तो कुछ ना हुआ”,मुरली ने तंज कसते हुए कहा
“अब असफलता के डर से हम कोशिश करना तो नहीं छोड़ सकते ना मुरली”,केशव ने कहा
“हमको पता है तुम काहे नहीं छोड़ना चाहते ये गाँव ? तुम्हारी जान जो बसती है यहाँ,,,,,,,,,,,,,,,”अनुराधा”,,,,,,,,,,,,,,!!”,मुरली ने शरारत से कहा
“चलो पेट्रोल पम्प आ गया , मोपेड में तेल भरवा लेते है”,केशव ने मुरली की बात टालते हुए कहा
मोपेड में तेल भरा गया और दोनों भागलपुर के लिए निकल गए। दोनों “दीपप्रभा सिनेमा हॉल” के सामने पहुंचे। मुरली की तो आँखे चमकने लगी। केशव के चेहरे पर भी मुस्कान थी। मोपेड को लेकर जैसे ही अंदर जाने लगे चौकीदार ने रोक दिया और कहा,”पार्किंग का बीस रुपया लगेगा”
केशव ने जेब टटोली 50 रूपये थे उसकी जेब में 20 पार्किंग का दे देगा तो बचेगा क्या सोचकर उसने चौकीदार से कहा,”हम इसको बाहर ही कही लगा देते है”
“हां हां जाओ”,चौकीदार ने अपने हाथ में जर्दा मलते हुए कहा
केशव बाहर साइड में अपनी मोपेड को लगाकर आया और फिर मुरली के साथ अंदर चला आया।
दोनों अंदर चले आये फिल्म शुरू होने में अभी आधा घंटा बाकि था इसलिए दोनों वही खड़े होकर इंतजार करने लगे। केशव के पास 50 रूपये थे और मुरली के पास भी 50 , दोनों ने ही अपने अपने मतलब के लिए पैसे बचा रखे थे। केशव ने वहा घूमते लोगो को देखा। एक लड़का लड़की हाथो में हाथ डाले घूम रहे थे , एक कोने में खड़े बाते कर रहे थे। एक पति पत्नी अपने बच्चो को सम्हाले हुए थे। उन्हें देखकर केशव मुस्कुराने लगा और मुरली से कहा,”जब हमारा SSC में सेलेक्शन हो जाएगा तब हम अनुराधा के साथ यहाँ जरूर आएंगे , पता है एक बार वो हमसे कही थी की उसने आज तक कभी सिनेमा नहीं देखा। उसका ये सपना हम पूरा करेंगे”
“भाई एक SSC की नौकरी में क्या क्या करोगे ? अपने पिताजी का कर्जा चुकाओगे , बहन की शादी करोगे , अपना घर बनवाओगे क्या क्या ?”,मुरली ने कहा तो केशव ने भरोसे के साथ कहा,”अरे करेंगे ना सब करेंगे”
बातो बातो में आधा घंटा निकल जाता है और सभी अंदर चले जाते है। केशव भी मुरली के साथ अंदर चला आता है। दोनों अपनी अपनी सीट ढूंढकर बैठ जाते है। पूरा सिनेमा हॉल भीड़ से खचाखच भरा था। सामने बड़े से परदे पर फिल्म शुरू हुई “रांझणा”
केशव और मुरली बड़े ध्यान से फिल्म देखने लगे क्योकि कभी कभी तो उन्हें ये मौका मिलता था। इंटरवेल में दोनों अंदर ही बैठे रहे किसी ने भी खाने के लिए कुछ नहीं खरीदा। फिल्म एक बार फिर शुरू हुई और दोनों पूरी दिलचस्पी के साथ फिल्म देखने लगे।
फिल्म खत्म होने के बाद दोनों बाहर आये। अब जैसा की हर फिल्म के बाद होता है उसके बारे में डिस्कशन तो केशव और मुरली भी वही कर रहे थे। चलते चलते मुरली ने कहा,”हीरो के दोस्त ने क्या सही बात बोली “मोहल्ले का प्यार अक्सर डाक्टर और इंजिनियर उठाकर ले जाते है”
“हाँ लेकिन फिल्म में तो हीरो का प्यार एकतरफा ही था ना , दो तरफा प्यार हो तब ऐसा नहीं होता फिर चाहे इंजिनियर या डाक्टर”,केशव् ने कहा
“कौनसी दुनिया में केशव बाबू ? दोतरफा प्यार में तो लड़के का पहले कटता है। हम तो अब भी कह रहे है छोडो जे SSC का चक्कर कोनो काम धंधा शुरू करो और अनुराधा के पिताजी से उसका हाथ मांग लो। वरना किसी दिन पता चले की शहर से बारात आई है”,मुरली ने कहा तो केशव उसके चेहरे की तरफ देखने लगा और फिर कहा,”ऐसा कुछ नहीं होगा अनुराधा हमसे बहुत प्यार करती है , वो हमारे अलावा किसी और से शादी नहीं करेगी”
“इतिहास गवाह है केशु लड़की पूरी दुनिया के खिलाफ जाएगी लेकिन बाप के खिलाफ ना जा पायेगी , खैर छोडो इन बातो को हम जरा हल्के होकर आते है तुम चलो मोपेड निकालो”,कहकर मुरली वहा से चला गया
केशव बाहर आया अपनी मोपेड को निकाला और बैठकर मुरली का इंतजार करने लगा। मुरली की कही बातो से केशव कही ना कही परेशान था उसने इधर उधर नजर दोड़ाई सामने ही एक ठेले पर ढेर सारी रंगीन चूडिया रखी थी। केशव मोपेड लेकर उसकी ओर चला आया। उस ठेले पर बहुत ही खूबसूरत चूडिया रखी हुई थी। उसने लाल और हरे रंग की चूडियो का एक सेट उठाकर ठेले वाले से पूछा,”ये कैसे दिया भैया ?”
“35 रूपये दर्जन है”,ठेलेवाले ने कहा
केशव के पास 50 रूपये ही थे और उसे दो दर्जन चाहिए थी। उसने धीरे से कहा,”थोड़ा कम कीजिये ना भैया”
“30 रूपये से एक रुपया कम नहीं लगेगा लेना हो तो बोलो”,आदमी ने कहा
“दरअसल हमे दो जोड़े चाहिए और हमारे पास सिर्फ 50 रूपये है”,केशव ने कहा
आदमी सोचने लगा , केशव को लगा वह अभी उसे डांटकर भगा देगा इसलिए वह वापस जाने के लिए मूड गया। आदमी ने उसे आवाज दी तो रुक गया
“ठीक है ले लो दो जोड़े”,आदमी ने कहा तो केशव का चेहरा खिल उठा। उसने ख़ुशी ख़ुशी दो जोड़े उठाकर आदमी की और बढ़ा दिए। आदमी ने उन्हें लाल रंग की पन्नी में लपेटा और केशव की तरफ बढ़ा दिया। केशव ने म मोपेड के हेंडल में लगे थैले में उन्हें डाल लिया और पैसे आदमी की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”शुक्रिया भैया”
जवाब में आदमी मुस्कुरा दिया।
केशव मुरली को लेने वापस आया तो मुरली ने कहा,”कहा चला गया था ?”
“कही नहीं चल आ बैठ चलते है”,केशव ने कहा उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी। उसने मोपेड सुल्तानगंज जाने वाले रास्ते की तरफ बढ़ा दी।
“अच्छा तूने इतना वक्त कहा लगा दिया ?”,केशव ने मोपेड चलाते हुए पूछा
“ये लाने गए थे”,कहते हुए उसने एक सीडी की कैसेट निकाली और हवा में लहराते हुए कहा
“इसका क्या करेगा ?”,केशव ने हैरानी से पूछा
“इसमें सभी नए गाने है पूरी 120 और अभी जो फिल्म देखकर आ रहे है ना उसके भी सारे गाने इसमें है”,मुरली ने खुश होकर कहा
“ये तो बहुत बढ़िया है हमे भी सुनने को देना”,केशव ने कहा
“10 रूपये लगेंगे”,मुरली ने कहा
“कमीने दोस्त से पैसे लेगा”,केशव ने कहा तो मुरली हसने लगा और कहा,”अच्छा ठीक है ले लेना” और फिर जोर जोर से गाने लगा,”रांझणा हुआ मैं तेरा कौन तेरे बिन मेरा ?”
गाना मुरली गा रहा था लेकिन केशव की आँखो के आगे अनुराधा का चेहरा आ रहा था।
“अनुराधा” गांव में रहने वाली एक लड़की सुंदर सुशील होने के साथ साथ गुणों से परिपूर्ण , घर परिवार सब सम्पन्न , पढ़ने में अव्वल , अपने माँ-पिताजी की इकलौती बेटी , माँ गृहणी , पिताजी वही गांव के सरकारी स्कूल में मास्टर। केशव की छोटी बहन चित्रा अनुराधा के साथ ही पढ़ती थी और वही से दोनों की दोस्ती भी हो गयी घर आना जाना होने लगा और इसी बीच अनुराधा केशव को पसंद करने लगी। केशव अपना अधिकतर समय पढाई में दिया करता था लेकिन मन के एक कोने में कही ना कही अनुराधा के लिए भावनाये पनपने लगी थी। दोनों एक दूसरे को चाहने लगे और देखते ही देखते कब दोनों एक दूसरे से प्रेम करने लगे पता ही नहीं चला। अनुराधा के घर में थोड़ी थोड़ी इस बात की खबर पड़ी तो उसका चित्रा के घर जाना बंद करवा दिया। केशव एक बहुत समझदार लड़का था उसने अनुराधा से कहा की नौकरी लगते ही वह अनुराधा के पिताजी से उसका हाथ मांगेगा और शादी कर लेगा। बस तब से दोनों केशव के नौकरी लगने का इंतजार कर रहे थे लेकिन किस्मत भी शायद केशव से रूठकर बैठी थी , कभी वह बेचारा इम्तिहान नहीं दे पाता , तो कभी वेकेंसी कम पड़ जाती , कभी इम्तिहान होते तो रिजल्ट आने में साल गुजर जाता लेकिन केशव अभी भी इसी उम्मीद में था की एक दिन वह सफल जरूर होगा।
शाम 7 बजे दोनों सुल्तानगंज पहुंचे। मुरली अपने घर चला गया और केशव अपने घर चला आया। उसके पिताजी मजदूरी करते थे अभी तक घर नहीं आये थे। चित्रा को खाना बनाते देखकर केशव ने डिब्बे से नीली चूडिओ वाला गुच्छा निकाला और चित्रा के सामने लहराते हुए कहा,”देखो हम तुम्हारे लिए क्या लाये है ?”
चित्रा ने देखा तो ख़ुशी से उसका चेहरा खिल उठा। उसने तुरंत गैस बंद किया और केशव के हाथ से चूडिया लेकर अपने हाथो में पहन ली। उसने अपने हाथो को केशव के सामने करके कहा,”कितनी अच्छी लग रही है ना”
“हाँ बहुत सुंदर , पिताजी नहीं आये अभी तक”,केशव ने हाथ मुंह धोते हुए पूछा
“वो पास के गांव गए है कहा काम ज्यादा है कल सुबह ही आएंगे , आप बैठो मैं खाना लगा देती हूँ”,चित्रा ने कहा
“हम आते है फिर साथ ही खाएंगे”,खाकर केशव अपने कमरे में चला आया उसने थैले में रखा चूडियो का दुसरा गुच्छा निकाला और आहिस्ता से उसे ऊपर रख दिया। कुछ देर बाद बाहर आया और खाना खाकर फिर पढ़ने बैठ गया।
अगले दिन केशव सुबह सुबह चौपाल की तरफ चला आया। गाँव के अधिकतर लड़के वही बैठकर केशव के साथ SSC के एग्जाम्स के लिए तैयारी किया करते थे वह खुद भी पढता और उन्हें भी पढ़ाता। चौपाल पर आने का एक कारण और था रोज सुबह अनुराधा अपने चाचा के बच्चो को स्कूल छोड़ने जाया करती थी और इसी चौपाल जे सामने से गुजरती थी। ये कुछ पल केशव के पुरे दिन के लिए काफी होते थे। अनुराधा की एक झलक से ही उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ जाया करती थी। वही अनुराधा भी नजरे बचाकर उसे देखते हुए वहा से गुजर जाती थी पर मजाल है दोनों एक दूसरे से बात कर ले। महीने में एक बार कभी कभी मिलना हो जाता था उसमे भी आधा वक्त तो सिर्फ एक दूसरे को देखने में गुजर जाता। हमेशा की तरह आज भी केशव चौपाल पर चला आया लड़के भी आ चुके थे केशव उन्हें पढाने लगा। बार बार उसकी नजरे उस रस्ते की तरफ चली जाती जहा से अनुराधा आती थी। कुछ देर बाद उसे अनुराधा आती दिखी तो उसने लड़को से कहा,”तुम सब ये हल करो हम थोड़ी देर में आते है”
कहकर केशव चौपाल से नीचे आया और उस तरफ चला गया जिस तरफ स्कूल थी। वह आकर स्कूल के गेट के पास हाथ बांधकर खड़ा हो गया जैसे ही अनुराधा बच्चो को छोड़कर जाने लगी केशव ने नजरे झुकाकर धीरे से कहा,”आज शाम नदी किनारे मिलने आओगी हमसे , तुमसे कुछ जरुरी बात करनी है”
“हम्म्म”,कहकर अनुराधा वहा से चली गयी वह नहीं चाहती थी उसे और केशव को कोई साथ देखे। केशव भी वापस चौपाल की तरफ चला आया।
उसी शाम नदी किनारे केशव अनुराधा का इंतजार करने लगा। वह बार बार रस्ते की तरफ जाता और परेशान सा वापस आ जाता। अनुराधा अभी तक आयी नहीं थी। मुरली भी वही मौजूद था उसने हाथ में पकडे कंकरो में से एक कंकर नदी में दूर तक फेंकते हुए कहा,”अबे आ जाएगी इतना क्यों परेशान हो रहे हो ?”
“तुम्हे समझ नहीं आएगा मुरली , इस बार पुरे 41 दिन बाद उस से मिल रहे है”,केशव ने कहा
“हम कैसे समझेंगे हमसे मिलने कोई आया ही नहीं ? और हमे साला एक बात बताओ ये दिन कौन गिनता है ऐसे”,मुरली ने दुसरा कंकर फेंकते हुए कहा
लेकिन तब तक केशव एक बार फिर रास्ते की तरफ चला गया इस बार उसे अनुराधा आती दिखाई दी। केशव मुरली के पास आया और कहा,”वो आ रही है अब तुम जाओ”
“हम क्यों जाये ? और हम कौनसा तुम्हे रोक रहे है उस से बात करने को तुम करो ना अपनी बातें , हम डिस्टर्ब कर रहे है क्या ?”,मुरली ने कहा
“मुरली समझा करो ना , अच्छा ये लो 20 रूपये तुम झाल मुड़ी खाकर आओ तब तक हम उस से बात करके आते है”,केशव ने 20 का नोट मुरली को देते हुए कहा। मुरली ने नोट जेब में रहा और कहा,”क्या बात है बड़े पैसे आ रहे है तुम्हारे पास”
“कोई पैसा नहीं है महीना मिला था आज चौपाल वाले लड़को से बस , अब जाओ”,केशव ने मुरली को धकियाते हुए कहा
अनुराधा तब तक वहा आ चुकी थी , केशव ने अपने बाल ठीक किये और उसके पास चला आया। अनुराधा केशव को देखकर मुस्कुराई और फिर नदी किनारे नीचे जमीन पर ही बैठ गयी। उनसे पलटकर देखा केशव अभी भी वही खड़ा था अनुराधा ने उसे बैठने का इशारा किया तो केशव अनुराधा से कुछ दूरी बनाकर बैठ गया। 4 साल होने को आये लेकिन 4 सालो में केशव ने कभी अनुराधा के करीब आने की कोशिश नहीं हमेशा उसे सम्मान भरी नजरो से देखा और अपनी मर्यादा में रहा। दोनों ख़ामोशी से बैठे नदी के पानी को देखते रहे। सूरज ढलने में अभी वक्त था शाम का मौसम था और आसमान लालिमा ओढ़े हुए था। केशव बगल में बैठा प्यारभरी नजरो से अनुराधा को देखता रहा कुछ देर की ख़ामोशी के बाद अनुराधा ने ही कहा,”आज ऐसे अचानक क्यों बुलाया मुझे ?”
“हम भागलपुर गए थे वहा से तुम्हारे लिए कुछ लाये है”,केशव ने कहा
“तो दो”,अनुराधा ने अपनी दोनों हथेलियों को केशव के सामने करके कहा उसकी कलाई में पड़ी सोने की चूडिया देखकर केशव् का मन ठिठक गया। वह जो चूडिया लेकर आया था वे कांच की थी उन्हें अनुराधा को दे या ना दे यही सोचने लगा। अनुराधा ने देखा तो कहा,”क्या हुआ दो ना ?”
अनुराधा की आँखों में अपने लिए प्यार देखकर उसने अपने साथ लायी चूड़ियों का गुच्छा अनुराधा की हथेलियों पर रख दिया। हरे और लाल रंग की उन चूडियो को देखते ही अनुराधा के होंठो पर मुस्कान तैर गयी। उसने केशव की तरफ देखा और कहा,”चलो पहनाओ इन्हे”
“तुम्हे अच्छी लगी ?”,केशव ने पूछा
“बहुत , अब पहनाओ ना”,अनुराधा ने मचलते हुए कहा
केशव एक एक करके उसके हाथो में चूडिया पहनाने लगा , ऐसा करते हुए बरबस ही उसके हाथ काँप रहे थे। उसके कांपते हाथो को देखकर अनुराधा ने कहा,”तुम्हारे हाथ क्यों काँप रहे है ?”
“पहली बार किसी लड़की को छू रहे है इसलिए”,केशव ने नज़रे नीचे किये कहा
अनुराधा फिर मुस्कुराने लगी और बाकि की बची हुई चूडिया खुद ही पहनते हुए कहा,”तुम्हारी SSC की तैयारी कैसी चल रही थी ?”
“अगले महीने इम्तिहान है। इस बार खूब मेहनत किये है , हमे भरोसा है इस बार हमारा सलेक्शन हो जाएगा”,केशव ने कहा तो अनुराधा ने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया और कहा,”मुझे तुम पर भरोसा है तुम जरूर सफल होंगे”
दोनों एक दूसरे के साथ बैठे बाते करते रहे , सूरज अब ढलने लगा था अनुराधा ने अपनी घडी में वक्त देखा और कहा,”अब मुझे जाना चाहिए”
“हम्म्म”,केशव ने बुझे मन से कहा। अनुराधा ने उसकी तरफ देखा और फिर उसके सर को अपने होंठो से छूकर कहा,”मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करुँगी की इस बार तुम जरूर सफल हो , और फिर मेरे पिताजी से आकर शादी के लिए मेरा हाथ मांगों”
केशव मुस्कुराने लगा अनुराधा वहा से चली गयी केशव उसे जाते हुए देखता रहा तब तक जब तक वह आँखों से ओझल ना हो गयी। मुरली घूमते-घामते वापस आया और कहा,”यही रहने का इरादा है या घर भी चलोगे ?”
केशव पलटा और कहा,”मुरली इस बार हमारा सेलेक्शन हो जाएगा”
“ये तो बहुत ख़ुशी की बात है यार चल इस बात पर पार्टी करते है”,मुरली ने कहा
“नहीं यार सेलेक्शन के हमे खूब मेहनत करनी होगी , हम चलते है अब तुमसे एक महीने बाद ही मिलेंगे”,कहकर केशव वहा से चला गया। घर की जिम्मेदारियों के साथ साथ उसे अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान देना होता था।
1 महीने केशव ने खूब मेहनत की , चौपाल पर भी नहीं आया और ना ही अनुराधा से मिला दिनभर बस पढाई में ही लगा रहा। एग्जाम सेंटर भागलपुर ही आया था एग्जाम वाले दिन वह जाने से पहले अनुराधा से मिलना चाहता था इसलिए चौपाल पर आकर बैठ गया। मुरली ने घडी देखी और कहा,”तुझे अब निकलना चाहिए”
“जाने से पहले एक बार उसे देख लेते तो,,,,,,,,,,,एक महीने से उसे देखा तक नहीं है”,केशव ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
“कुछ दिनों से वो बच्चो स्कूल छोड़ने भी नहीं आयी है , तू अभी पेपर देने जा हम जाकर पता करते है क्या बात है ?”,मुरली ने केशव को समझा बुझाकर वहा से भेज दिया।
केशव भागलपुर पहुंचा और अपना पेपर दिया। पुरे ध्यान से उसने सभी प्रश्नो के उत्तर दिए। एग्जाम खत्म होने के बाद वह सेंटर से बाहर आया। उसके चेहरे की ख़ुशी बता रही थी की उसका पेपर बहुत अच्छा हुआ है। चित्रा ने कुछ पैसे दिए थे और कुछ पैसे उसके पास थे उन्ही पैसो से उसने दोपहर का खाना खाया। खाना खाकर वह जैसे ही मोपेड की तरफ आया तेज बारिश शुरू हो गयी , उसे वही रुकना पड़ा। बारिश से बचने के लिए केशव पास ही के एक दुकान पर रुक गया। बारिश भी जोरो शोरो से बरस रही थी केशव की मोपेड आधी पानी में डूब चुकी थी। शाम से रात हो गयी केशव अपने गाँव ना जा सका उसे रातभर वही रुकना पड़ा। सुबह जब बारिश रुकी और पानी का बहाव कुछ काम हुआ तो केशव पैदल ही अपनी मोपेड लेकर गांव की और चल पड़ा। केशव अपने घर आया चित्रा और उसके पिताजी उसी का इंतजार कर रहे थे। उसे देखते ही चित्रा ने कहा,”इम्तिहान कैसा रहा भैया ?”
“लगता है इस बार सलेक्शन हो जाएगा चित्रा , पेपर बहुत अच्छा गया”,केशव ने खुश होकर कहा
“मैं बहुत खुश हूँ भैया , अच्छा वो मुरली आया था आपके बारे में पूछ रहा था”,चित्रा ने कहा
“शायद वो अनुराधा के बारे में बात करने आया हो”,मन ही मन सोचते हुए केशव ने चित्रा से कहा,”ठीक है हम उस से मिलकर आते है”
चौपाल के पास मुरली केशव को मिल गया। केशव ने उसे बुलाया और मोपेड पर बैठने का इशारा किया मुरली उसके पीछे आ बैठा और दोनों वही पास ही के शिव मंदिर की ओर चल पड़े “अजगैबीनाथ मंदिर” बिहार के सुल्तानगंज में बहुत ही चर्चित मंदिर है। दोनों वहा पहुंचे दोनों ने दर्शन किये और फिर मंदिर के प्रांगण में चले आये। प्रांगण में लगे खम्बे के पास खड़े मुरली ने कहा,”तू हमे यहाँ क्यों लेकर आया है ?”
केशव ने उसे देखा और मुस्कुराते हुए कहा,”इस बार हमारा पेपर बहुत अच्छा गया है मुरली , बस अब जल्दी से सब ठीक करके मास्टर जी से अनुराधा का हाथ मांग लेंगे। तुम आओगे ना हमारी शादी में,,,,,,,,,,,,,,हम भी कैसी बातें कर रहे है तुम तो हमारे जिगरी दोस्त हो तुम क्यों नहीं आओगे ?”
“केशव हमे तुम्हे कुछ बताना है”,मुरली ने कहा
“यही ना की अनुराधा हमसे इसलिए नहीं मिली क्योकि उसने हमारी सफलता के लिए एक महीना प्रार्थना की और वो हमसे इम्तिहान के बाद ही मिलेगी”,केशव ने खुश होकर कहा
“नहीं हम कुछ और,,,,,,,,,,!!”,मुरली ने कहना चाहा लेकिन केशव ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा,”हमे पता है मुरली वो बहुत अच्छी है , हमसे बहुत प्यार करती है। उस दिन जब हम उस से मिले थे तब पहली बार उसने हमारा हाथ थामकर कहा की वह हमेशा हमारा साथ देगी”
“बस कर ये सब जबसे आया है अनुराधा , अनुराधा , अनुराधा लगा रखा है ,, जानता भी है क्या किया है उसने तेरे साथ ?”,मुरली ने गुस्से से चिल्लाकर कहा। मुरली की बात सुनकर केशव ने हैरानी से उसे देखा और कहा,”क्या किया उसने ?”
“काटकर जा चुकी है वो , 4 हफ्ते पहले शहर से एक इंजिनियर का रिश्ता आया था उसके लिए अगले हफ्ते उसी के साथ शादी है उसकी”,मुरली ने दाँत पीसते हुए कहा। मुरली की बात सुनकर केशव को धक्का सा लगा , उसके कदम सहसा ही पीछे हट गए उसे यकीन ही नहीं हो रहा था की ऐसा कुछ हुआ है केशव के दिल की धड़कने इस वक्त जैसे सीना चीरकर बाहर आने को बेताब थी , उसकी आँखों के आगे बस अनुराधा और उसके साथ बिताये पल आ रहे थे और उसके चेहरे पर उदासी नजर आने लगी।
अनुराधा ने केशव का दिल तोड़ दिया ये देखकर मुरली को अच्छा नहीं लगा वह गुस्से और दुःख भरे स्वर में कहने लगा,”मैंने कहा था तुझसे ये लड़किया बेवफा होती है , प्यार के वादे हमसे और शादी करती है किसी बड़े घर के लड़के से। गाँव की लड़किया हमारे लिए नहीं बनी , तुमसे पहले भी ना जाने कितनो के दिल टूटे है और शहर से बारात आकर हम लड़को की मोहब्बत को लेकर चली गयी। तू दिनभर अनुराधा के बारे में बात करता था , उसकी ख़ुशी के लिए तू हमेशा उस से दूर रहा , उसके लिए कभी ये गांव छोड़कर नहीं गया और उसने क्या किया ? उसने उस इंजिनियर से शादी करने के लिए हाँ कह दी , एक बार भी तेरे बारे में नहीं सोचा”
केशव ने मुरली की बात सुनी कुछ नहीं कहा और वहा से भाग गया। वह जितना तेज भाग सकता था भागा और अनुराधा के घर के सामने आकर खड़ा हो गया। 4 साल में पहली बार वह अनुराधा के घर के सामने खड़ा था उसकी आँखों में गुस्सा था और चेहरे से दर्द छलक रहा था। अनुराधा उस वक्त घर के आंगन में ही थी जब उसने गेट के सामने खड़े केशव को देखा तो उसका दिल धड़क उठा। वह गेट की तरफ आयी जैसे ही कुछ कहने को हुई केशव ने कहा,”एक आखरी बार हमसे मिल सकती हो ?”
अनुराधा ने केशव के चेहरे को देखा जिस से बेइंतहा दर्द झलक रहा था उसने धीरे से कहा,”आज शाम मैं तुमसे मिलने आउंगी”
कहकर अनुराधा ने दरवाजा बंद किया और चली गयी। थके कदमो से केशव अपने घर की ओर चल पड़ा। दिमाग सुन्न हो चुका था एक पल में ही उसकी खुशिया छीन ली गयी। अनुराधा जिस से वह बेइंतहा मोहब्बत करता था किसी और की होने जा रही थी। उसकी आँखो में आंसू भर आये उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या करे ? वह बस चले जा रहा था। चलते हुए वह घर से आगे निकल गया दरवाजे पर खड़ी चित्रा ने देखा तो उसने केशव को आवाज दी। केशव घर चला आया और आकर अपने कमरे में बिस्तर पर लेट गया। आँखों में रुके हुए आँसू बहते हुए कनपटी को भिगाने लगे। अनुराधा को खो देने के डर और दुःख से गुजर रहा था केशव। नींद ने कब उसे आ घेरा उसे पता ही नहीं चला।
उसी शाम केशव अनुराधा के आने की राह देख रहा था। आज केशव ने मुरली को साथ आने से मना कर दिया क्योकी वह नहीं चाहता था मुरली अनुराधा से कुछ उल्टा सीधा न कह दे। कुछ देर बाद अनुराधा वह आयी उसे देखते ही केशव का दिल किया की जाकर उस से पूछे की उसने ऐसा क्यों किया ? लेकिन केशव् ने बहुत मुश्किल से अपने दिल को मजबूत किया और कहा,”कैसी हो अनुराधा ?”
“ठीक हूँ , तुम कैसे हो ?”,अनुराधा ने मरे हुए स्वर में कहा और ये कहते हुए उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे
“ठीक हूँ”,केशव ने कहा जबकि वह ठीक नहीं था उसके अंदर बहुत सारी उथल पुथल मची थी लेकिन उसने खुद को सामान्य कर रखा था
“तुमने ये क्यों कहा की आखरी बार मिलना है ?”,अनुराधा ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
“अगले हफ्ते तुम्हारी शादी है , उसके बाद शायद मिलने के लिए तुम्हे हमसे मिलने के लिए अपने पति से इजाजत लेनी पड़े”,केशव ने व्यंग्यभरे स्वर में मुस्कुराते हुए कहा
अनुराधा ने सूना तो उसके चेहरे पर उदासी छा गयी। वह केशव के व्यंग के साथ साथ उसकी मुस्कराहट के पीछे छुपे उसके दर्द को भी महसूस कर रही थी।
केशव् ने अनुराधा को देखा और कहना शुरु किया,”वैसे शादी मुबारक हो ! लड़का इंजिनियर है अब तो बड़ी गाडी में घूमोगी तुम , हमारी मोपेड तो वैसे भी काफी पुरानी हो चुकी थी आधे रस्ते में बंद हो जाती है (मुस्कुराने लगता है लेकिन आँखों में दर्द मौजूद था) बड़े शहर जाओगी , वैसे भी यहाँ गांव में क्या रखा है ? असली जिंदगी तो शहरों में होती है।
अनुराधा ख़ामोशी से उसकी बात सुनती है और उदास स्वर में कहती है,”ये रिश्ता पापा ने तय किया है”
केशव उसकी इस बात को नजरअंदाज कर देता है और आगे कहने लगता है,”इंजिनियर है तो अच्छा कमाता भी होगा , हम तो तुम्हे दो वक्त का खाना भी ठीक से नहीं खिला पाते क्या करे बेरोजगार है ना। शहर के लोगो को बाहर का खाना ज्यादा पसंद आता है क्या कहते है उसे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ पिज्जा , तुम्हारे इंजीनियर साहब को भी पिज्जा बर्गर खाना पसंद होगा रोज रोज बाहर का खाएंगे तो बीमार हो जायेंगे , तुम एक काम करना बनाना सीख लेना,,,अब हर कोई तो तुम्हारे हाथ से बनी जली हुयी रोटिया खानी पसंद नहीं करेगा ना (कहते हुए हॅस पड़ता है लेकिन उस हंसी से भी उसका दर्द साफ झलक रहा था)
“मैं मजबूर हूँ केशव”,अनुराधा ने सिसकते हुए कहा
पर अनुराधा की बातें जैसे केशव् को अपने सीने में चुभती हुई महसूस हो रही थी उसने अनुराधा की बात का जवाब ना देकर खोये हुए स्वर में आगे बोलना शुरू किया,”शादी के बाद कभी हमारी याद आये तो तकिये में मुंह छुपाकर रोने के बजाय हमारी पसंद की बिंदी अपने माथे पर सजा लेना , हाँ वही काली वाली ,, क्या है ना उसमे बहुत सुंदर दिखती हो तुम , बिल्कुल हमारी गुजरी हुई माँ जैसी”
“मेरे बाद तुम भी शादी कर लेना केशव”,अनुराधा ने अपना दिल कडा करते हुए कहा
केशव मुस्कुराया और कहने लगा,”घबराओ मत दूसरे लड़को की तरह शादी के बाद हम तुम्हे परेशान नहीं करेंगे। तुम सोच रही होगी कही तुमसे दूर जाने के गम में हम शराब पीना या नशा करना शुरू कर देंगे,,,,,,,,,नहीं हम ऐसा नहीं करेंगे क्योकि हमारे कंधो पर अभी घर की जिम्मेदारियां है। इत्तेफाक से अगर कभी तुमसे सामना भी हुआ तो नजरे झुकाकर गुजर जायेंगे लेकिन पलटेंगे जरूर इस उम्मीद में की तुम भी हमे पलटकर देखोगी। तुम्हे बुरा भला कहने या कोसने के बजाय ईश्वर से तुम्हारे लिए प्रार्थना करेंगे की तुम जहा भी रहो जिसके साथ बस खुश रहो”
कहते हुए केशव की आँखे भर आती है लेकिन वह अपने आंसुओ को अपनी आँखों में ही रोक लेता है
अनुराधा की आँखों में भी नमी उतर आती है सच जानने के बाद केशव उस पर गुस्सा करने के बजाय उस से इस तरह की बातें कर रहा था। वो समझ रही थी की केशव जितना प्यार उसे जिंदगी में कोई नहीं कर सकता लेकिन इस वक्त वह कुछ ना कह पाने की हालत में थी। उसने अपनी आँखों के किनारे साफ किये और कहा,”मुझे माफ़ कर दो केशव मैं तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर पाई”
अनुराधा की बात सुनकर केशव उसकी ओर पलटा और कहने लगा,”जाने से पहले एक वचन दोगी हमे “की जिंदगी में कभी भी खुद को हमारा गुनहगार नहीं समझोगी , तुमने हमे जितना भी प्यार दिया वो हमारे जीने के लिए काफी है। हम इंसानो की जिंदगी में घटने वाली कुछ चीजे हमारे हाथ में नहीं होती है और इसलिए हमे तुमसे कोई शिकायत नहीं है अनु”
अनुराधा की आँखों में ठहरे हुए आंसू गालों पर लुढ़क आये और उसने दर्दभरे स्वर में कहा,”लेकिन मुझे है , खुद से , अपने पापा से और अपनी किस्मत से,,,,,,,,,,!!”
अनुराधा की आँखों में आंसू देखकर केशव का दिल पिघल गया। वह सब भूलकर अनुराधा के पास आया और उसके हाथो को अपने हाथो में थामकर दर्दभरे स्वर में कहा,”तो मत करो ना ये शादी”
अनुराधा ने सूना तो अपनी आँखे मूँद ली आँखों से बहकर आँसू फिर गालों पर आ गए और उसने काँपते होंठो से कहा,”पापा नहीं मानेंगे”
केशव ने सूना तो एक झटके में उसके हाथ छोड़ दिए। सीने में दर्द और चुभन का अहसास हुआ इसके आगे वह कुछ कह ही नहीं पाया। उसने अनुराधा के आँसू पोछे और कहा,”ये आँसू बहुत कीमती होते है अनुराधा इन्हे यू बेवजह ना बहाया करो , प्रार्थना करेंगे ईश्वर तुम्हे दुनिया की सारी खुशिया दे”
अनुराधा ने सूना तो रोते हुए वहा से चली गयी। इस आखरी मुलाकात के बाद केशव अनुराधा से नहीं मिला।
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शादी वाली शाम केशव मुरली और अपने कुछ दोस्तों के साथ नदी किनारे बैठा था। केशव को छोड़कर उसके बाकि दोस्त शराब सिगरेट पी लिया करते थे लेकिन केशव इन से कोसो दूर था। गम में डूबा केशव हाथ मे रखे कंकड़ एक एक करके नदी में फेंक रहा था। एक दो घूट के बाद मुरली ने कहा,”मैंने तो पहले ही कहा था इस से गाँव की लड़कियों के चक्कर में मत पड़ ये हम जैसे बेरोजगार लड़को के प्यार को कहा समझती है ? लेकिन केशव नहीं माना और आज देखो वह लड़की आराम से ख़ुशी ख़ुशी उस इंजिनियर से शादी करके शहर जा रही है”
“इसमें लड़कियों का क्या दोष अगर हमारे पास अच्छी नौकरी होती तो क्या वो ऐसा करती ? कोई लड़की किसी लड़के से कितना भी प्यार करे अपने माँ बाप के सामने उसे झुकना ही पड़ता है। अनुराधा ने भी वही किया”,केशव ने कहा
“तू अभी भी उस से प्यार करता है ? वो लड़की दो मिनिट में तेरी जिंदगी उजाड़ कर चली गयी , तेरा दिल तोड़ गयी और तू उसी की तरफदारी कर रहा है ,, वाह आशिक़ हो तो ऐसा”,मुरली ने नशे में धुत्त होकर कहा
केशव ने देखा मुरली को चढ़ गयी है इसलिए उसने उस से बहस करना ठीक नहीं समझा। दुःख तो उसे भी बहुत था लेकिन अपने इस दुःख की वजह वह अनुराधा को बनाना नहीं चाहता था। कुछ ही वक्त गुजरा था की गांव से एक लड़का भागते हुए केशव के पास आया और कहा,”केशव , वो मास्टर है ना जिनकी लड़की की आज शादी है उन के घर कोई समस्या हो गयी है ,, तू जल्दी चल”
“कही अनुराधा ने कुछ,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,लड़के की बात सुनकर मुरली का नशा एक पल में उतर गया। केशव ने सूना तो किसी अनहोनी के डर से उसका दिल धड़क उठा। वह तेजी से उठा अपनी चप्पल पहनी और घर की तरफ भागने लगा। पीछे पीछे मुरली और बाकी सब लोग भी।
डरा देने वाले ख्याल केशव के दिमाग में चल रहे थे। क्या हुआ होगा वहा ? कही अनुराधा ने तो अपने साथ कुछ गलत नहीं कर लिया ? कही उसके और अनुराधा के प्रेम के बारे में इंजिनियर साहब को पता न चल गया हो ? ऐसे ही कई ख्याल केशव के मन में आ जा रहे थे। वह मास्टर जी के घर के सामने पहुंचा वहा लगी भीड़ देखकर केशव का दिल किसी धोकनी सा तेज तेज चलने लगा। माथे से पसीने की बुँदे टपक रही थी और आँखों में एक डर भीड़ को साइड करके वह आगे आया तो देखा मास्टर जी अपना सर पकड़े एक तरफ बैठे है और वही उनके बगल में दुल्हन के जोड़े में खड़ी है सजी संवरी अनुराधा। अनुराधा को सही सलामत देखकर केशव के मन को तसल्ली मिली। भीड़ में मौजूद लोगो की बातो से केशव को पता चला की इंजिनियर साहब ने पुरे 10 लाख रूपये दहेज़ की माँग रखी है और इस वजह से ये शादी रुक गयी है। केशव ने अनुराधा को देखा उसने बांये हाथ की मुट्ठी को कसकर बंद कर रखा था शायद गुस्से की वजह से सोचकर केशव ने दूसरी तरफ खड़े इंजिनियर साहब को देखा और उनकी तरफ चला आया। केशव उनके सामने आया और हाथ जोड़कर कहने लगा,”अनुराधा बहुत अच्छी लड़की है सर , अपने गुणों और अपने आदर्शो से वो आपके घर को स्वर्ग बना देगी। ये शादी कर लीजिये। अपनी बेटी की शादी में मास्टर जी ने अपने जीवन की सारी जमा पूंजी लगा दी है आपको इतना बड़ा दहेज़ वो नहीं दे पाएंगे। गांव , परिवार के सब लोग यहाँ जमा है अगर ये शादी नहीं हुई तो मास्टर जी को बहुत आघात पहुंचेगा और अनुराधा,,,,,,,,,,,,उसकी जिंदगी खराब हो जाएगी। हम हाथ जोड़कर आपसे प्रार्थना करते है ये शादी होने दीजिये”
केशव ने हाथ जोड़े मिन्नते की लेकिन वो टस से मस नहीं हुए। केशव का दिल टूट चुका था लेकिन अब वो अपनी आँखों के सामने अनुराधा की जिंदगी बर्बाद होते नहीं देख सकता था उसने अपने सारे आदर्शो को परे रख इंजिनियर साहब के पैर पकड़ लिए और कहा,”अनुराधा से शादी कर लीजिए सर”
इंजिनियर ने केशव को धकियाते हुए कहा,”जब इनके पास देने को दहेज़ था ही नहीं तो शादी क्यों तय की ? इनकी औकात नहीं है शहर के इतने बड़े इंजिनियर से रिश्ता करने की”
“सटाक,,,,,,,,,,,!!!”,एक झन्नाटेदार थप्पड़ आकर इंजिनियर साहब के गाल पर पड़ा और ये चाटा किसी और ने नहीं बल्कि खुद अनुराधा ने मारा था। अपनी आँखों के सामने वह केशव और अपने पिता का अपमान होते भला कैसे देख सकती थी ? मास्टर जी ने देखा तो अनुराधा को रोकने की कोशिश की लेकिन अनुराधा ने उनका हाथ झटककर कहा,”बस पापा बहुत सुन ली इनकी बकवास ऐसे दहेज़ के लालची आदमी से शादी करने से अच्छा है आप मेरा गला दबाकर मुझे मार दीजिये”
इंजिनियर साहब बारात लेकर वापस चले गए मास्टर जी ने अपना सर पकड़ लिया उनकी आँखों से आंसू बहने लगे। गाँव बिरादरी में उनकी नाक कट चुकी थी अनुराधा ने देखा तो मास्टर जी के पास आयी और कहने लगी,”मुझे माफ कर दीजिये पापा लेकिन ऐसे इंसान से शादी करके मैं कभी खुश नहीं रहती। इस शादी के लिए आपने अपनी जिंदगी की सारी कमाई लगा दी”
“सरकारी अफसर से शादी करने का मतलब जानती हो ना बेटी जिंदगीभर तुम्हे उस घर में कोई परेशानी नहीं होती ,, लेकिन अब क्या हो सकता है ? तुमने सब बर्बाद कर दिया , सब बर्बाद कर दिया तुमने”,कहते हुए मास्टर जी रो पड़े। वहा खड़ी भीड़ में मौजूद कुछ लोग उनके बारे में खुसर फुसर कर रहे थे
केशव ने मास्टर जी की बात सुनी तो वह उनके सामने आया और कहने लगा,”माफ़ करना मास्टर जी पर क्या जिनके पास सरकारी नौकरी नहीं होती वो इंसान नहीं होते , उनकी शादी नहीं होती। एक सरकारी नौकरी वाला लड़का अगर दहेज़ की माँग करे तो वो भी जायज है सिर्फ इसलिए की वो सरकारी नौकरी में है उस हिसाब तो आप भी अनुराधा के लिए दहेज़ ले रहे है ना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उसके लिए सरकारी नौकरी वाला लड़का ढूंढना भी तो दहेज़ ही हुआ ना। मानते है की सरकारी नौकरी वालो को फायदे ज्यादा मिलते है , उनका रुतबा होता है , पहचान होती है लेकिन हर सरकारी नौकरी वाला आपके आदर्शो का भी मान रखे जरुरी तो नहीं है ना मास्टर जी। हम जैसे पढ़ने वाले लड़के एक सरकारी नौकरी के लिए कितनी मेहनत करते है ये बात आपसे बेहतर कौन जान सकता है , एक वक्त में आपने भी की थी। वो वक्त और था आज वक्त और है 1000 सरकारी पोस्ट के लिए एक लाख फॉर्म भरे जाते है , इम्तिहान दिए जाते है कुछ इम्तिहान देने से पहले ही स्थगित हो जाते है तो कुछ इम्तिहानो का रिजल्ट ही नहीं आता है फ़िर भी हम लगे रहते है क्योकि बचपन से हमे एक बात सिखाई जाती है की सरकारी नौकरी होगी तो अच्छी लड़की से शादी होगी , सरकारी नौकरी होगी तो अपना नाम होगा , सरकारी नौकरी होगी तो जिंदगीभर सरकार के फायदे मिलते रहेंगे,,,,,,,,,,और इसी लालच में हम लड़के लगे रहते है , अपने सपने , अपनी इच्छाएं , अपने असली हुनर को मारते हुए। इंजीनयर साहब से शादी करके भले अनुराधा जीवनभर सरकार से मिली सुविधा का फायदा उठाती लेकिन जरा सोचिये क्या पैसा ही सब कुछ है ? अच्छी नींद के लिए अच्छा बिस्तर नहीं मन का सुकून जरुरी है , अच्छे जीवन के लिए सरकारी नौकर नहीं बल्कि अच्छा हमसफ़र होना जरुरी है , इस गाँव में कितने ही नौजवान होंगे जो सिर्फ इसलिए सरकारी नौकरी का सपना देखते है क्योकि वो नहीं चाहते की कोई शहर का डाक्टर इंजिनियर आये और उनके गाँव की लड़की को ब्याहकर ले जाये।
आज जो कुछ हुआ उसमे इंजिनियर साहब से ज्यादा गलती कही ना कही आपकी भी है मास्टर जी। सरकारी नौकरी देखी पर क्या आपने अनुराधा से पूछा वो क्या चाहती है ? अपने पिता के फैसले की इज्जत रखते हुए इसने उस लड़के से रिश्ता तोड़ दिया जिस से ये बहुत प्यार करती थी क्योकि वो लड़का अभी बेरोजगार था ,,, आप गांव के स्कूल में मास्टर है स्कूल के सबक के साथ साथ गांव के लड़को को ये बात भी जरूर सिखाईयेगा की बेरोजगार आदमी को किसी से प्रेम करने की अनुमति नहीं होती है , किसी से प्रेम करने के लिए सरकारी नौकरी होना बहुत जरुरी है। हमारा इरादा आपको ठेस पहुँचाने का नहीं है मास्टर जी हमारी कही बातो से अगर आप आहात हुए है तो हम हाथ जोड़कर माफ़ी चाहते है”
केशव की बाते सुनकर सब खामोश हो गए केशव अनुराधा की तरफ आया और कहा,”हमे माफ़ कर देना तुम जैसी लड़किया ऐसे दहेजलोभियों के लिए नहीं होती है अनुराधा , चलते है”
अनुराधा ने कुछ नहीं कहा उसके बाँये हाथ की मुट्ठी अभी भी बंद थी। केशव वहा से जाने लगा तो मास्टर जी ने कहा,”केशव रुको”
केशव रुक गया मास्टर जी उसके पास आये और कहने लगे,”हर बाप का एक सपना होता है की उसकी बेटी का ब्याह किसी अच्छे घर में हो। एक अच्छा लड़का मिले जो उनकी बेटी को हमेशा खुश रखे , सम्हाल कर रखे। हमने भी वही सपना देखा , अनुराधा हमारी इकलौती बेटी है उसके लिए सरकारी नौकरी वाला लड़का मिलना ख़ुशी की बात थी लेकिन जैसा तुमने अभी कहा की असली ख़ुशी पैसे में नहीं बल्कि सच्चे हमसफ़र में होती है। बातें बहुत बड़ी बड़ी करते हो तुम पर सब सच कहा,,,,,,,,,,,इस सरकारी नौकरी वाले दबाव से हम भी निकले है बेटा लेकिन आज तुमने हमे ये अहसास दिलाया की अगर सरकारी नौकरी वाले का दहेज़ मांगना गलत है तो हमारा भी अपनी बेटी के लिए सिर्फ सरकारी नौकरी वाला लड़का ढूंढना गलत है।”
‘हम आपको आहत करना नहीं चाहते थे मास्टर जी हम बस ये कहना चाहते है की बिना सरकारी नौकरी के भी लोग खुश रह सकते है , अपने माँ-बाप अपने परिवार को सब सुख सुविधाएं दे सकते है , लेकिन कुछ होते है हमारे जैसे जिन्हे मज़बूरी में इस सरकारी नौकरी के पीछे भागना पड़ता है ताकि अपने प्रेम को बचा सके !!”,कहते हुए केशव की आँखे भर आयी
मास्टर जी ने केशव का हाथ थामा और अनुराधा को अपनी और आने का इशारा किया। उन्होंने केशव का हाथ अनुराधा के हाथ में देकर कहा,”तो फिर बचा लो अपने प्रेम को और सरकारी नौकरी वाली दामाद से अच्छे दामाद बनकर दिखाओ।”
केशव को अपनी आँखों और कानो पर जैसे विश्वास ही नहीं हुआ। उसने भरी आँखों से अनुराधा को देखा तो अनुराधा मुस्कुरा उठी। मास्टर जी ने अनुराधा के सर पर अपना हाथ रखा और अपने आंसू पोछकर शहनाई वालो से शादी की शहनाई बजाने को कहा। माहौल एक बार फिर खुशनुमा हो गया। केशव के पिताजी और चित्रा भी चली आयी। केशव अनुराधा के साथ मंडप में आ बैठा। धूमधाम से दोनों की शादी हुई , शादी के वक्त भी अनुराधा के बांये हाथ की मुट्ठी बंद थी। शादी के बाद सभी रिश्तेदार और बिरादरी वाले चले गए। केशव और अनुराधा की विदाई सुबह होनी थी इसलिए सभी घरवाले वही रुक गए। घर की छत पर अनुराधा और केशव एक दूसरे के सामने खड़े थे। केशव ने प्यारभरी नजरो से उसे देखा और कहा,”अगर हम नहीं आते तो तुम इंजिनियर साहब से शादी कर लेती”
अनुराधा ने कोई जवाब नहीं दिया बस केशव के सामने अपने बांये हाथ की मुट्ठी खोल दी जिसमे जहर की छोटी शीशी थी। केशव ने कुछ नहीं कहा बस आगे बढ़कर अनुराधा को गले लगा लिया और कुछ देर बाद उसका सर सहलाते हुए कहा,”ये कैसा कदम उठाने जा रही थी तुम ?”
“सब लड़किया बेवफा नहीं होती है केशव बस कुछ लड़किया अपने माँ-बाप की ख़ुशी के लिए अपने प्यार की क़ुरबानी दे देती है”,अनुराधा ने आंसू बहाते हुए कहा। केशव ने उसे गले लगाए रखा।
केशव ने गांव में ही रहकर मुरली के साथ मिलकर नया काम शुरू किया और खूब मेहनत करने लगा और ख़ुशी ख़ुशी अपने परिवार के साथ रहने लगा। कुछ महीनो बाद ही एक शाम उसे एक लेटर मिला। मुरली ने लाकर दिया। केशव ने लेटर खोला और कागज निकाला उसे पढ़ते हुए केशव मुस्कुराने लगा। उसने बड़ी ही सहजता से लेटर को फाड़कर फेंक दिया तो मुरली ने कहा,”उस लिफाफे में क्या था ?”
“हमारा SSC में सेलेक्शन हो चुका है , इंटरव्यू के लिए बुलाया है यही लिखा था उसमे”,केशव ने बिना किसी भाव के कहा
“अबे फाड़ा क्यों वो तो तेरा सपना था ना ?”,मुरली ने कहा
“अब नहीं है,,,,,,,,,,,,चल घर चलते है”,केशव ने उठते हुए कहा
“हां अब अनुराधा मिल गयी अब क्या चाहिए तुझे जिंदगी में ?”,मुरली ने उसके साथ चलते हुए कहा
केशव मुस्कुराया और कहा,”प्यार दोनों तरफ से हो ना मुरली तो शहर से डाक्टर आये चाहे इंजिनियर मोहल्ले का प्यार कही नहीं जाता”
मुरली केशव की बात समझ गया और गाते हुए उसके पीछे चल पड़ा,”पिया बावरे,,,,,,,,,,,,,चले,,,,,,,,,,,,,,प्रेम राह रे” “पिया बावरे”
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समाप्त
Read Another Story – मोहल्ला 24 बट्टे 7
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संजना किरोड़ीवाल
sirf or sirf woww jitna tarif kare kam hoga 😊
Bahot hi mast store h maam ye maja aa gya ye padh kar to ma’am and happy independence day ma’am
Bahut aachi story ha di bahut hi aachi I loved it ❤❤ & also Happy Independence Day.
Bht achi story thi aapki di 😍 itni achi ki bht achi and keshav jaise sacche aur dil ke ache ldke ho imandar hi toh aur ladki ko ky chahiye and usne kitne achese smjhaya unke papa ko and kitna patience se kaam kiya bht acha and aap aise hi acha likhte rhe keep going 🤩😃💞
Bahut hi badia
बहुत ही सुंदर 👌👌👌👌👌👌❤️❤️❤️❤️❤️❤️👏👏👏👏 रचना
Ma’am ye aachi hai par iski audio bhi daliye aapki aawaj me maja aa jayga😘🥰🥰
Nice and very love story👌👌👌. Bhagalpur aur sultanganj jagah ka naam likha hai story m. Kiya aap yaha gayi h nahi na. Phir kise pata ed jagah ka. Usse bhi m bhagalpur bihar ka hi rahne wala . Jagah bhi aapne sahi likha h. Cinema hall bhi sahi h m ya kaye baar cinema dekne gaya hu. 🙏👍👍👍👌👌👌👌
Amazing bhout hi piyari story thi 😘😘 Shi kha har cheez ke lite sakarri nokri zrori nhi hoti bas piyar succha hona Chahiye 😘😘😘🥰. LOVE WHAT YOU DO 🥰🥰….
wow ver very very interesting story mazaa agya.
Very nice story mam
बहुत ही बड़िया कहानी थी…..❤️🍁
Excellent mam
Hamesha ki tarah ye kahani bhi bahut koobsurat tha aur ek nayi seek bhi diya hai iss kahani se jo log sarkari naukari karne wali damad ko dunde ne ki sapne dekhte hai😁
Dii bhaut he khubsurat love story hai . muhja bhaut Pasand hai yeh story hai ♥️♥️♥️♥️♥️