Pasandida Aurat – 9

Pasandida Aurat – 9

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

गिरिजा ने जब सिद्धार्थ को सोनिया और उसके घरवालों के आने के बारे में बताया तो वह धीरे से मुस्कुराया और कहा,”नहा लूंगा लेकिन उस से पहले मुझे एक कप चाय चाहिए”

“बन रही है तुम बाहर बैठो मैं लेकर आती हूँ”,गिरिजा ने कहा और गैस पर उबलती चाय की तरफ चली आयी
सिद्धार्थ बाहर चला आया और सोफे पर बैठकर अपना फोन देखने लगा। सोशल मिडिया स्क्रॉल करते हुए उसकी नजर एक तस्वीर पर पड़ी और सिद्धार्थ की नजरे उस पर ठहर गयी।

नारंगी रंग की पोशाक में खड़ी एक लड़की जो कि बला कि खूबसूरत लग रही थी , सलीक़े से कंधे पर ठहरी ओढ़नी , गले में बारीक़ मोतियों से सजा हार , कानो में उन्ही बारीक़ मोतियों से बने झुमके , सलीके से बने बाल और उन पर सजी माथा पट्टी , ललाट पर भोंहो से काफी ऊपर लगी बिंदी जो राजपूती पोशाक के साथ लगायी जाती है , आँखों में गहरा काजल , होंठो में हलकी लेकिन होंठो को निखारती लिपस्टिक उसे और खूबसूरत बना रही थी। लड़की मुस्कुराते हुए घर की रेलिंग के पास खड़ी आसमान में चमकते चाँद को निहार रही थी और उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थी उसके नाक में पहनी गोल बाली,,,,,,,,,,,,,,!!”


सिद्धार्थ तो जैसे उस तस्वीर में खोकर ही रह गया , वह अपलक बस उसे देखता रहा और अपने
ख्यालों में डूबे बड़बड़ाया,”अह्ह्ह्ह कितनी खूबसूरत लड़की है काश ये मेरी होती,,,,,,,,,,!!”
“क्या हुआ ? फोन में देखकर अकेले में क्या बड़बड़ा रहे हो ?”,गिरिजा ने चाय का कप सिद्धार्थ के सामने रखते हुए कहा
गिरिजा की आवाज से सिद्धार्थ की तंद्रा टूटी और उसने जल्दी से स्क्रोल करके फोन रखा और चाय का कप उठाते हुए कहा,”किसी से नहीं पापा कही दिखाई नहीं दे रहे ?”


“लो तुमने पूछा और वो आ गए”,गिरिजा ने दरवाजे से अंदर आते अपने पति को देखकर कहा
सिद्धार्थ ने अपनी चाय पीता रहा , जगदीश जी अंदर हॉल में आये लेकिन जो उत्साह उनके चेहरे पर घर से जाते वक्त था वह उत्साह अब उदासी और परेशानी बनकर चेहरे पर झिलमिला रहा था।
गिरिजा ने देखा तो परेशान सी उनके पास आयी और हाथो से सामान लेकर कहा,”क्या बात है जी ? आप इतना परेशान क्यों है ? सुबह तो आप ख़ुशी ख़ुशी अपने दोस्त के लिए नाश्ता लेने गए थे और अब ये चेहरे पर ये उलझन ? क्या हुआ बताईये ना ?”


“श्रीवास्तव् और उसके घरवाले नहीं आ रहे गिरिजा , उन्होने इस रिश्ते से इंकार कर दिया है”,जगदीश ने बुझे स्वर में कहा
सिद्धार्थ ने सुना तो चाय का कप थामे उसका हाथ होंठो के पास आकर रुक गया। उसने अपने पापा की तरफ देखा तो उन्होंने सिद्धार्थ की तरफ देखा और गुस्से से लेकिन धीमे स्वर में कहा,”तुम्हारे बेटे ने अपना प्रेम हम से तो छुपा लिया लेकिन दुनियावालो से नहीं छुपा पाया , श्रीवास्तव को कही से सिद्धार्थ और नंदिनी के रिश्ते का पता चला और उसने इस रिश्ते को करने से इंकार कर दिया।”


गिरिजा ने सुना तो जगदीश जी के चेहरे की परेशानी अब उनके चेहरे पर झिलमिलाने लगी। गिरिजा को वही छोड़कर जगदीश जी अपने कमरे की तरफ बढ़ गए उन्हें देखकर सिद्धार्थ समझ गया था कि वे उस से बहुत नाराज है लेकिन रिश्ते से इंकार होने से सिद्धार्थ को रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ा।

उसने चाय पी और अपना फोन लेकर अपने कमरे में चला आया और सोशल मीडिआ खोला लेकिन कुछ देर पहले जो तस्वीर उसकी आँखों के सामने थी वो अब फीड से गायब हो चुकी थी , सिद्धार्थ ने काफी देर एक ढूंढा लेकिन वह तस्वीर उसे वापस नहीं मिली और सिद्धार्थ फोन साइड में रखकर बिस्तर पर लेट गया। उसकी आँखों के सामने वही तस्वीर घूम रही थी और वह तस्वीर थी “अवनि मलिक” की।

एक हफ्ते बाद 

मौर्या Pvt. Ltd. , नवी मुंबई
“पृथ्वी ! क्या हुआ है तुम्हे ? तुम ठीक हो न मैं पिछले एक हफ्ते से देख रहा हूँ तुम्हारी बनाई हर डेटा रिपोर्ट में गड़बड़ है , क्लाइंट्स प्रोजेक्ट को लेकर रोज शिकायत कर रहे है। कल मैंने तुम्हे क्लाइंट के साथ एक मीटिंग अटेंड करने को कहा था तुम वहा भी नहीं गए , मिस्टर जोसेफ ने पूरा एक घंटे तुम्हारा इंतजार किया और उसके बाद वे चले गए। ऐसे ही चलता रहा तो सब क्लाइंट्स टूट जायेंगे और जल्दी ही मुझे ये कम्पनी बंद करनी पड़ेगी

पृथ्वी , पृथ्वी , मैं तुम से बात कर रहा हूँ ,,पृथ्वी”,पृथ्वी के बॉस जयदीप ने अपने केबिन में खड़े पृथ्वी से शिकायती लहजे में कहा लेकिन पृथ्वी का ध्यान खिड़की के पास टेबल पर रखे  पिजंरे में कैद पक्षियों के जोड़े पर था।
जयदीप ने आखिर में जब पृथ्वी का नाम लिया तब पृथ्वी ने पिंजरे को देखते हुए जयदीप की तरफ हाथ किया और पिंजरे की तरफ बढ़ गया। जयदीप को कुछ समझ नहीं आ रहा था पृथ्वी क्या करना चाहता है ? वह बस चेहरे पर हैरानी वाले भाव लिए आँखे फाड़े पृथ्वी को देख रहा था।

पृथ्वी ने पिंजरे का दरवाजा खोला और उसमे कैद दोनों पक्षियों को बाहर निकाला , उनमे से एक तुरंत उड़ गया और दूसरी जो कि मादा पक्षी थी वही खिड़की की पाल पर बैठी रही
“ये तुमने क्या किया ? ये मुझे मेरी वाइफ से गिफ्ट में मिले थे और तुमने , तुमने उड़ा दिया,,,,,!!”,जयदीप अपनी कुर्सी पर उछलते हुए चिल्लाया।


“इन मासूमो को कैद करके रखने का हक़ आपको किसने दिया सर ? ये आसमान में उड़ने के लिए बने है पिंजरे में कैद होने के लिए नहीं,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने जयदीप की तरफ आते हुए कहा
“ओह्ह्ह शट-अप पृथ्वी , अगर ऐसा है तो वो दोनों क्यों नहीं उड़े ? उनमे से एक अभी भी यही है,,,,,,,,,सी”,जयदीप ने कहा
पृथ्वी ने गर्दन घुमाकर देखा लेकिन अगले ही पल दूसरा पक्षी आया और फिर दोनों एक साथ वहा से उड़ गए। पुरे एक हफ्ते के बाद पृथ्वी के होंठो पर मुस्कुराहट थी। वह जयदीप की तरफ पलटा और बहुत ही सदे हुए स्वर में कहा,“मर्द अपनी पसंदीदा औरत को कभी अकेला नहीं छोड़ता सर”

पृथ्वी की बात जयदीप के सर के ऊपर से गयी वह अपनी कुर्सी पर आराम से बैठा और अपनी टाई ढीली करते हुए कहा,”फाइन ! लेकिन तुम बताओ कि तुम्हे क्या हुआ है ? तुम्हारी इतनी शिकायते क्यों आ रही है पृथ्वी , आखिर तुम कर क्या रहे हो ?”
पृथ्वी ने कुर्सी खींची और उस पर बैठते हुए कहा,”चाय पीते हुए बात करे”
पृथ्वी की मनमानी देखकर जयदीप को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन वह जानता था इस पुरे ऑफिस में उस से भी बेहतर काम अगर कोई कर सकता है तो वो सिर्फ पृथ्वी है।

पृथ्वी की बात मानने के अलावा उसके पास कोई दुसरा रास्ता भी नहीं था इसलिए उसने रिसीवर उठाया और दो केबिन में दो कप चाय भिजवाने को कहा। किसी गहरी सोच में डूबा पृथ्वी टेबल पर पड़े पेज होल्डर को गोल गोल घुमा रहा था और जयदीप उसे एकटक देख रहा था। दरअसल जयदीप पृथ्वी के चेहरे पर आये भाव पढ़ने की नाकाम कोशिश कर रहा था। होल्डर घूमाते हुए पृथ्वी ने सहज भाव से कहा,”आप मेरा चेहरा नहीं पढ़ सकते , मेरी आई कहती है मेरे दिल में जो होता है वो कभी मेरे चेहरे पर नजर नहीं आता। मैं अपनी फीलिंग्स छुपाने में माहिर हूँ”


जयदीप ने सुना तो हैरानी से पृथ्वी को देखने लगा क्योकि उसने देखा पिछले 2 मिनिट से पृथ्वी ने उसकी तरफ देखा तक नहीं और उसका पूरा ध्यान पेज होल्डर पर है फिर पृथ्वी को कैसे पता चला कि वह उसे देख रहा है ?
जयदीप ने पृथ्वी से नजरें हटाई और कहा,”मैं तुम्हारा चेहरा नहीं पढ़ पाया लेकिन तुमने मेरा मन कितनी आसानी से पढ़ लिया , इसका मतलब तुम किसी का भी मन पढ़ सकते हो”
पृथ्वी ने सुना तो हाथ बढाकर घूमते होल्डर को एकदम से रोका और उसकी आँखों के सामने रुषाली का चेहरा आ गया।

पिछले 6 साल से मन ही तो नहीं पढ़ पाया था पृथ्वी रुषाली का , अगर पढ़ पाता तो क्या उसे ये अनचाहा दर्द मिलता ? पृथ्वी को खोया देखकर जयदीप ने कहा,”देखा तुम फिर कही खो गए , पृथ्वी तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है क्या ? देखो अगर ऐसा है तो तुम एक दो दिन की छुट्टी ले लो , आराम करो उसके बाद ऑफिस ज्वाइन करो”
जयदीप की आवाज से पृथ्वी की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”मैं ठीक हूँ सर,,,,,,,,,,!!”


जयदीप कुछ कहता इस से पहले ऑफिस बॉय चाय लेकर आया और टेबल पर रखकर चला गया। पृथ्वी ने चाय का एक कप जयदीप की तरफ बढ़ाया और दुसरा खुद लेकर कहा,”अब बताईये आपको क्या कहना था ?”
जयदीप ने पिछले एक हफ्ते काम में हुई सब गलतिया , क्लाइंट्स की शिकायत , अधूरे प्रोजेक्ट फाइल्स की सभी जानकारी पृथ्वी के सामने रख दी और पृथ्वी ख़ामोशी से सब सुनता रहा।

जयदीप ने अपनी बात खत्म की तो पृथ्वी ने कहा,”मैं आपकी परेशानी समझ रहा हूँ और अपनी गलती भी , पहली बार ऐसा है सर जब मैंने मेरी प्रोफेशनल लाइफ पर मेरी पर्सनल लाइफ का असर पड़ने दिया। मुझे एक हफ्ता दीजिए मैं सब ठीक कर दूंगा एंड आपके क्लाइंट मिस्टर जोसेफ से मैं पर्सनली मिलकर माफ़ी मांग लूंगा”
पृथ्वी की बात सुनकर जयदीप को थोड़ी तसल्ली मिली और उसने थोड़ा नरम होकर कहा,”क्या हुआ तुम्हारी पर्सनल लाइफ में , अन्य प्रॉब्लम ? घर में सब ठीक है ना ?”


पृथ्वी अब तक अपनी चाय खत्म कर चुका था इसलिए कप साइड में रखा और उठकर कहा,”हम इतने अच्छे दोस्त भी नहीं है कि मैं आपसे अपनी पर्सनल  प्रॉब्लम शेयर करू,,,,,,,,आपकी शिकायते खत्म हो गयी हो तो मैं जाऊ ?”
जयदीप ने सुना तो पृथ्वी को घूरने लगा और कहा,”क्या तुम बाकी स्टाफ की तरह मेरे साथ नार्मल पेश नहीं आ सकते ? जस्ट लाइक अ गुड फ्रेंड”
“मेरी सैलेरी बढ़ा दीजिये बाकि सबकी तरफ मैं भी आपके गुणगान गाना शुरू कर दूंगा”,पृथ्वी ने पलटकर कहा
“तो फिर कल से वक्त पर ऑफिस आना शुरू कर दो मैं तुम्हारी सैलरी 10% बढ़ा दूंगा”,जयदीप ने कहा


पृथ्वी जानता था वह कभी वक्त से ऑफिस नहीं आ सकता इसलिए अपने दोनों हाथो को टेबल पर रखा और जयदीप की आँखों में देखते हुए कहा,”35 काफी है और मेरा एक रूल है जिस से तनख्वाह लो उस से कभी दोस्ती मत करो,,,,,,,,,!!”
जयदीप कुछ और कहे या पृथ्वी से बहस करे इस से पहले पृथ्वी वहा से चला गया और जयदीप ने उसे जाते देखकर कहा,”क्या होगा इस लड़के का ?”


“ओह्ह्ह्हह मेरे प्यारे पक्षी,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए जयदीप खाली पिंजरे की तरफ आया और उदास होकर उसे देखने लगा तभी दोनों पक्षी जो काफी वक्त से जयदीप के साथ थे उड़कर आये और खिड़की के पास बैठकर अपनी प्यारी प्यारी आँखों से जयदीप को देखने लगे। उन्हें देखते ही जयदीप खुश हो गया लेकिन इस बार उन्हें पिंजरे में कैद करने के बजाय वह खिड़की के पास खड़ा उन्हें देखता रहा।    

सुख विलास भवन , उदयपुर , राजस्थान
सुख विलास में उस घटना को घटे पूरा एक हफ्ता गुजर चुका था। इस एक हफ्ते में बहुत कुछ बदल चुका था। विश्वास जी ने अवनि से कोई बात नहीं की , उलटा अवनि जब भी उनसे बात करने आती वे उठकर चले जाती। पुरे हफ्ते अवनि अपने कमरे में कैद रही , नीचे रसोई में आती तो मीनाक्षी उसे देखते ही ताने मारने लगती , मीनाक्षी के सीमा भी अवनि के लिए ज्यादा हमदर्दी नहीं दिखा पाती थी और दिखाना चाहती भी तो मीनाक्षी उसे रोक देती।

विश्वास जी की तरह मयंक भी अवनि से नाराज था , सलोनी को लगने लगा था कि अवनि की वजह से घरवाले अब उस पर भी पाबंदिया लगाने लगे है। नितिन और अंशु छोटे बच्चे थे इसलिए उनकी माँ मीनाक्षी ने उन्हें भी डांट डपटकर अवनि से दूर रहने और उसके पास ना जाने को कहा , भुआजी दो दिन रुकी और फिर उन्हें भी अपने घर जाना पड़ा , जाते जाते वे अवनि को मजबूत रहने और अपना ख्याल रखने को कहकर गयी।

भुआजी के शब्दों ने इस वक्त अवनि को बहुत हिम्मत दी थी। एक हफ्ते बाद भी घर में सब अवनि से नाराज थे बस एक कौशल चाचा थे जो सबके सामने तो नहीं पर हाँ जब कोई आस पास नहीं होता था तब अवनि से हाल चाल पूछ लिया करते थे। पिछले एक हफ्ते से अवनि हँसना तो दूर मुस्कुराना तक भूल चुकी थी। दिनभर अपने कमरे में बैठी अवनि अपने लेपटॉप में कुछ ना कुछ लिखती रहती , सुरभि का फोन आता तो उस से बात करके अपना मन हल्का कर लेती बाकि उसकी जिंदगी और कोई नहीं था।

एक शाम अवनि उदास सी कमरे की खिड़की के पास बैठी सोच में डूबी थी तभी उसका फोन बजा। अवनि ने आकर बिस्तर पर पड़े अपने फोन को उठाया और देखा तो पाया कि फोन सुरभि का था। अवनि ने जैसे ही फोन उठाकर कान से लगाया दूसरी तरफ से सुरभि ने चहकते हुए कहा,”अवनि , तुम अभी कहा हो ?”
“मैं घर पर हूँ सुरभि अपने कमरे में , क्या हुआ तुम इतनी खुश क्यों हो ?”,अवनि ने पूछा


“अरे मेरी जान बात ही ऐसी है कि तुम भी ख़ुशी से झूम उठोगी,,,,,,,,,सबसे पहले तो तुम आस पास कोई स्टूल या बिस्तर है तो उस पर बैठ जाओ”,सुरभि ने उसी खुशीभरे स्वर में कहा
अवनि बिस्तर पर आ बैठी और कहा,”हम्म्म ! बताओ क्या बात है ?”
“मुबारक हो अवनि तुमने जो बैंक क्लर्क की एग्जाम दी थी उसमे तुम्हारा सेलेक्शन हो गया है , थोड़ी देर पहले ही मेरे पास अनुज सर का फोन आया था। तुम सरकारी कर्मचारी बन गयी हो अवनि,,,,,,,,मैं तुम्हारे लिए बहुत खुश हूँ”,सुरभि ने ख़ुशी से उछलते हुए कहा


अवनि ने सुना तो आज पुरे एक हफ्ते बाद मुस्कुराई , उसकी आँखों में नमी तैर गयी और ख़ुशी के मारे दिल धड़कने लगा। उसे याद आया जब उसके आगे पढ़ने की बात पर घर में सबने कैसे आपत्ति जताई थी तब उसके पापा ने ही आगे आकर सबको चुप करवाया था और कहा “अवनि मेरी बेटी है उसका जो मन होगा वो करेगी , अगर वो आगे पढ़ना चाहती है तो मुझे इस से कोई आपत्ति नहीं है और ना ही तुम सबको होनी चाहिए”


“आपने ही कहा था ना पापा कि मेरा जो मन होगा मैं वो कर सकती हूँ फिर मेरा शादी के मंडप से उठ जाना आपको गलत क्यों लग रहा है ? इतना नाराज हो गए मुझसे कि मुझसे बात तक नहीं करना चाहते,”अवनि ने मन ही मन खुद से कहा और उसकी आँखो में भरे आँसू गालों पर बह गए।  
अवनि को खामोश पाकर सुरभि ने कहा,”क्या हुआ मैंने तुझे इतनी अच्छी खबर सुनाई और तेरा कोई रिएक्शन नहीं , अवनि ज़रा सोचो तुम्हारे घर में तुम पहली हो जिसके पास गवर्मेंट जॉब होगी,,,,,,,तुम्हारे पापा सुनेंगे तो खुश हो जायेंगे”
“वो खुश नहीं होंगे सुरभि,,,,,,,,,!!”,अवनि ने रोते हुए कहा


सुरभि ने सुना तो अवनि को रोते पाकर उसका मन भी उदास हो गया और उसने कहा,”अवनि,,,,,,,,,,तुम फिर रो रही हो , और अंकल खुश क्यों नहीं होंगे ? उनकी वजह से ही तो आज तुमने ये मुकाम हासिल किया है,,,,,,,,!”
“पापा अब भी मुझसे नाराज है सुरभि , मैंने जो गलती की उसके लिए उन्होंने मुझे अभी तक माफ़ नहीं किया है ,, वो मुझसे बात तक नहीं करते है घर में कोई मुझसे बात नहीं करता है सब मुझसे नाराज है , सबको लगता है मेरे एक फैसले की वजह से उनकी जिंदगी में दिक्कते आ गयी है,,,,,,,अगर घर में मैंने किसी को बताया भी तो कौशल चाचा के अलावा खुश नहीं होगा”,अवनि ने सुबकते हुए कहा  


“कोई खुश हो या न हो पर इस पुरे ब्रह्माण्ड में कोई तो है जो आज तुम्हारे लिए बहुत खुश है ,बल्कि हम सब से भी ज्यादा खुश है”,सुरभि ने प्यार से कहा
“तुम किस की बात कर रही हो ?”,अवनि ने पूछा
“अरे तुम्हारे महादेव ! तुम ही कहती हो ना कि पूरी दुनिया तुम से नाराज हो जाये लेकिन तुम्हारे महादेव तुम से कभी नाराज नहीं होंगे , तो फिर चलो उन्ही को बताने चलते है,,,,,,,,फटाफट तैयार हो जाओ मैं 20 मिनिट बाद तुम्हे तुम्हारे घर पर मिलूंगी”,सुरभि ने कहा


“हम लोग कहा जा रहे है ?”,अवनि ने पूछा
“तुम्हारी पसंदीदा जगह “महाकालेश्वर मंदिर” , चलो अब अपने आँसू पोछो और फटाफट तैयार हो जाओ और सुनो वो सफ़ेद रंग वाला सूट पहनना उस में तुम बहुत अच्छी लगती हो”,सुरभि ने कहा और फोन काट दिया।
“महाकालेश्वर मंदिर”,अवनि बड़बड़ाई और फोन अपने होंठो से लगा लिया  

क्या सिद्धार्थ फिर टकराएगा अवनि से या उसका काश रह जाएगा अधूरा ? क्या पृथ्वी रुषाली को भूलकर अपने काम पर ध्यान दे पायेगा ? क्या अवनि का रिजल्ट जानकर पिघल जाएगा विश्वास जी का दिल और वे कर देंगे अवनि को माफ़ ? जानने के लिए पढ़ते रहे “पसंदीदा औरत”

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संजना किरोड़ीवाल 

Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

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