Pasandida Aurat – 5
Pasandida Aurat – 5

शादी के मंडप में खड़े मुकुल ने ऐसी मांग रख दी जिसे सुनकर सब हैरान थे। विश्वास जी ने तो अपनी छाती ही पकड़ ली। मयंक और कौशल ने उन्हें पकड़कर कुर्सी पर बैठाया। शादी में आये सभी मेहमान आपस में खुसर पुसर करने लगे। कौशल ने मयंक से विश्वास जी का ध्यान रखने का इशारा किया और खुद मुकुल के पापा की तरफ आकर कहा,”समधी जी ! मुकुल जी को समझाइये ऐसे बीच शादी में फेरे रोक देना , एक बार भाईसाहब की इज्जत का तो सोचिये।
घर रिश्तेदारों से भरा पड़ा है आप लोग ऐसे करेंगे तो हम सबकी क्या इज्जत रह जाएगी,,,,,,,,,मैं हाथ जोड़कर आपसे प्रार्थना करता हूँ , मुकुल से कहिये शादी की रस्मे पूरी करे”
“आप भी कैसी बच्चो जैसी बाते कर रहे है कौशल जी ? अरे जब शादी में मांग पूरी करने की औकात नहीं थी तो क्या जरूरत थी इतने बड़े खानदान में अपनी बेटी का रिश्ता करने की ? तब तो बड़ा घर बड़ा खानदान देखकर रिश्ता तय कर दिया और अब देने के नाम पर बातें बना रहे है,,,,,,,,
शादी तो अब तभी होगी कौशल जी जब गाडी की चाबी मुकुल के हाथ में आएगी वरना ये शादी नहीं होगी,,,,,,,!!”,चौधरी साहब ने नफरत भरे शब्दों में कहा उनकी बातो से लालच की बू आ रही थी।
अवनि ने सुना तो उसकी मुट्ठी भिंच गयी लेकिन वह अपनी जगह खड़ी रही क्योकि बड़ो के बीच में बोलने के संस्कार उसे इस घर में नहीं मिले थे। मुकुल मंडप में पड़ी कुर्सी पर बैठा ख़ामोशी से सब देख रहा था।
त्रिवेणी जी ने सुना तो वे आगे आयी और चौधरी साहब से कहा,”ये कैसी बाते कर रहे है आप ? इतने बड़े है और ऐसी छोटी सोच,,,,,,,,,,दहेज़ ही चाहिए था तो फिर अपने बेटे के लिए कोई पैसेवाला घर देखते,,,,,,,,आप लड़के के बाप है , लालच भरी ऐसी लज्जाजनक बाते करते आपको शरम नहीं आती”
त्रिवेणी की बाते सुनकर चौधरी साहब गुस्से से आग बबूला हो गए और कहा,”अरे मुझे क्या पता था आपका भाई अंदर से इतना खोखला निकलेगा , इनकी नियत का पहले पता होता तो ऐसे भूखे नंगे खानदान में मैं अपने बेटे का रिश्ता कभी नहीं करता,,,,,,,,,,एक तो इन्होने झूठ बोलकर ये रिश्ता किया और अब यहाँ सबके बीच हमे नीचा दिखा रहे है , अब तो ये शादी हरगिज नहीं होगी”
विश्वास जी ने सुना तो अपनी जगह से उठे और चौधरी साहब के सामने आये और हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते हुए कहा,”ऐसा मत कहिये चौधरी साहब , मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ अगर ये शादी नहीं हुई तो समाज में हमारी क्या इज्जत रह जाएगी ? मैं , मैं आपको वचन देता हूँ विदाई होने से पहले मैं गाड़ी मंगवा दूंगा आप बस इस शादी को मत रोकिये , मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी,,,,,,,,,,ये शादी हो जाने दीजिये”
“ये शादी नहीं होगी , तूने हमे यहाँ बुलाकर जो अपमान किया है उसके बाद तो ये शादी हरगिज नहीं होगी,,,,,,,,मुकुल चलो यहाँ से”,चौधरी साहब ने गुस्से से कहा उनकी बात सुनकर मयंक और कौशल के चेहरों पर भी परेशानी के भाव उभर आये
मंडप के एक तरफ खड़े अवनि के परिवार वाले ख़ामोशी से सब देख रहे थे। सीमा और मीनाक्षी के चेहरे पर उदासी के भाव थे तो वही दीपिका का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था।
कार्तिक ने गुस्से से भरकर जैसे ही अपने कदम बढ़ाये उसकी माँ सीमा ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”कहा जा रहा है देख रहा है ना वहा घर के सब बड़े मौजूद है”
“लेकिन माँ ये लोग ताऊजी को कैसे बेइज्जत कर रहे है और ये लोग एक गाडी के लिए शादी कैसे रोक सकते है ?”,कार्तिक ने तकलीफ भरे स्वर में कहा
“चुप रहो तुम और चुपचाप खड़े रहो तुम्हे वहा जाने की इजाजत नहीं है”,सीमा ने कहा तो कार्तिक बेबस होकर वही खड़ा रह गया। उसने मंडप में सर झुकाये खड़ी अवनि को देखा तो उसका चेहरा उदासी से भर गया जो कुछ हो रहा था उसमे अवनि की भला क्या गलती थी।
झगड़ा देखकर अंशु रोने लगी तो सलोनी उसे चुप करवाते हुए लेकर अंदर चली गयी।
मुकुल और चौधरी साहब कुछ सुनने समझने को तैयार ही नहीं थे ये देखकर मीनाक्षी ने दबी आवाज में सीमा से कहा,”मैंने तो पहले ही कहा था भाईसाहब से कि इतने बड़े घर में अवनि की शादी तय मत कीजिये लेकिन उस वक्त तो मेरी बातें भाईसाहब को बहुत चुभी थी , अब नतीजा खुद देख ले रह गयी ना अवनि बिन ब्याही,,,,,,,,,रिश्तेदारी में नाम खराब होगा सो अलग”
पास खड़ी दीपिका ने सुना तो गुस्से से लेकिन धीमे स्वर में कहा,”चाची आप इतनी पत्थर दिल कैसे हो सकती है ? अवनि दी और ताऊजी पर इस वक्त क्या गुजर रही है सिर्फ वही लोग समझ सकते है और आप ऐसी जली कटी बाते कर रही है। शर्म आनी चाहिए आपको,,,,,,,,!!”
दीपिका की बातें सुनकर मीनाक्षी ने मुंह बनाया और दूसरी तरफ चली गयी। कार्तिक दीपिका की तरफ चला आया और दोनों बहन भाई बेबसी से सब देखने लगे क्योकि चाहकर भी दोनों कुछ नहीं कर सकते थे तो वही अवनि अपने पापा के अपमान का एक एक घूंठ पिये जा रही थी। आँसू उसकी आँखों में भर आये और बाहर आने को बेताब थे अवनि ने पलकें उठाकर अपने पापा का लाचारी और बेबसी से भरा चेहरा देखा तो उसके दिल में एक टीस उठी।
चौधरी साहब किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थे ये देखकर विश्वास जी ने काँपते हाथो से अपने सर पर रखी पगड़ी उतारी और जैसे ही चौधरी साहब के पैरों में रखने को हुए एक हाथ ने आकर उनके हाथो को थाम लिया। विश्वास जी ने अपने बगल में खड़ी अवनि को देखा। अवनि की आँखों में आँसू थे और चेहरे पर गुस्सा , विश्वास जी कुछ कहते इस से पहले अवनि ने कहा,”आपको इन जैसे घटिया लोगो के सामने हाथ जोड़ने और इस शादी के लिए भीख माँगने की कोई जरूरत नहीं है पापा,,,,,,,,,,,,!!”
अवनि की बात सुनकर चौधरी साहब ने गुस्से से कहा,”ए लड़की ! तेरी इतनी हिम्मत तू हमे घटिया बताये,,,,,,,,,,,!!”
“बस,,,,,,,,,!!”,अवनि ने चीखकर गुस्से से कहा और जलती आँखों से चौधरी साहब को देखा तो वे सहमकर पीछे हट गए लेकिन अवनि के लिए गुस्सा और नफरत अब भी उनकी आँखों से साफ झलक रही थी।
अवनि ने चौधरी साहब की आँखों में देखा और गुस्से से कहा,”बस कीजिये आप लोग , तब से आप लोग मेरे पापा को सुनाये जा रहे है और वो सुने जा रहे है क्योकि उन्होंने अपनी बेटी का रिश्ता आपके खानदान में किया जो कि इतना घटिया और गिरा हुआ है कि एक गाड़ी के लिए मेरे पापा को सबके सामने बेइज्जत किये जा रहा है,,,,,,,,,,,,कोई हक़ नहीं है आपको मेरे पापा से ये सब कहने का , इस तरह उनका अपमान करने का , रिश्ता लेकर आप लोग यहाँ आये थे मेरे पापा आपके घर नहीं गए थे,,,,,,,,,,,
बेचारे मेरे पापा आज तक इन्होने किसी के सामने हाथ नहीं जोड़े और तुम घटिया लोगो ने इन्हे अपने पैरों पर झुकने को मजबूर कर दिया,,,,,,,,,,,अरे आप कौन होते है ये कहने वाले कि ये शादी नहीं हो सकती ? मैं खुद ये शादी तोड़ती हूँ आपके बेटे से शादी करने से बेहतर है मैं जिंदगीभर कंवारी रह जाऊ,,,,,,!!”
अवनि की बाते सुनकर सभी मेहमानो के बीच एक बार फिर खुसर फुसर होने लगी।
विश्वास जी ने सुना तो अवनि की बाँह पकड़कर उसे अपनी तरफ किया और कहा,”अवनि ये क्या कह रही हो तुम ? तुम तुम यहाँ से जाओ मैं इनसे बात करता हूँ। सीमा सुनो ! अवनि को लेकर जाओ”
“मैं कही नहीं जाउंगी पापा , बहुत बेइज्जत कर लिया इन लोगो ने आपको सबके सामने अब मैं इन्हे आपको और बेइज्जत नहीं करने दूंगी,,,,,,,,,,!!”,अवनि ने सुबकते हुए कहा और इसके बाद वह चौधरी साहब की तरफ पलटी और अपने हाथो में पहने कंगन निकालकर चौधरी साहब पर फेंकते हुए कहा,”सम्हालिए अपने कंगन और चले जाईये यहाँ से , मैं खुद ये शादी तोड़ती हु,,,,,,,,,,!!”
चौधरी साहब का चेहरा गुस्से से लाल हो गया उन्होंने अपने पीछे खड़े अपने बेटे को देखा और कहा,”खड़े खड़े मेरा मुंह क्या देख रहा है नालायक,,,,,,,,!!”
मुकुल ने सुना तो गुस्से से अवनि की तरफ आया और जैसे ही कुछ कहने को हुआ अवनि ने खींचकर एक तमाचा मुकुल के गाल पर जड़ दिया और कहा,”खबरदार जो मुझे छुआ , तुम जैसे घटिया और दहेज़ के लालची लड़के से रिश्ता करके मेरे पापा पहले ही एक गलती कर चुके है लेकिन तुम से शादी करके मैं उस गलती को नहीं दोहराऊंगी समझे,,,,,,,,,,ये चुडिया लो और पहन लो और पहन लो इन्हे”
कहते हुए अवनि ने अपनी कलाई में पहनी चूडियो को भी उतारा और मुकुल के मुँह पर फेंक दिया। इतने अपमान के बाद चौधरी साहब मुकुल की बारात लेकर वापस लौट गए। विश्वास जी ने जब ये देखा तो उनके सीने में हल्का दर्द उठा और वे धड़ाम से कुर्सी पर आ गिरे,,,,,,,,,,,,,,!!
मयंक और कौशल ने आये हुए सभी मेहमानो के सामने हाथ जोड़कर उनसे जाने का आग्रह किया। शादी के मंडप में अब बस विश्वास जी और उनका पूरा परिवार ही मौजूद था। अग्निकुंड में जल रही फेरो की आग अब धीरे धीरे लुप्त होने लगी थी। विश्वास जी कुर्सी पर बैठे खाली आँखों से जमीन देख रहे थे। पास ही कौशल और मयंक हाथ बांधे खड़े थे। कुछ दूर सीमा और मीनाक्षी खड़ी थी , कार्तिक , दीपिका , सलोनी और नितिन भी वही एक तरफ खड़े थे और त्रिवेणी भुआ भी वही मौजूद थी।
विश्वास जी के सामने दुल्हन के जोड़े में खड़ी अवनि की आँखों में आँसू भरे थे और मन की पीड़ा चेहरे पर साफ़ दिखाई दे रही थी। दीपिका से अवनि को ऐसे देखा नही गया तो वह उसके पास आते हुए रुंधे गले से कहा,”अवनि दी,,,,,,!!
अवनि की नजरे अपने पापा पर थी उसने दीपिका की तरफ हाथ करके उसे अपने पास आने से रोक दिया और खुद विश्वास जी की तरफ बढ़ गयी। अवनि उनके सामने चली आयी और घुटनो के बल बैठकर कहा,”पापा,,,,,,,,,!!!”
अवनि की आवाज सुनकर विश्वास जी ने सर उठाकर उसे देखा और रोआँसा होकर कहा,”तुमने सब बर्बाद कर दिया अवनि , सब बर्बाद कर दिया। अपने पापा को कही मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा तुमने अवनि,,,,,,,!!”
“मैंने कुछ गलत नहीं किया पापा , वो लोग सबके सामने आपको कितना बेइज्जत कर रहे थे , बुरा बोल रहे थे अपमान कर रहे थे आपका”,अवनि ने रोते हुए कहा और जैसे ही विश्वास जी के हाथ को थामा उन्होंने अवनि के हाथ को झटक दिया और गुस्से से लेकिन तकलीफ भरे स्वर में कहा,”और वही अपमान तुमने हमे जिंदगीभर के लिए दे दिया अवनि,,,,,,विश्वास मलिक अपनी बेटी को अच्छे संस्कार नहीं दे पाया। शादी के मंडप से उठकर तुमने सही नहीं किया अवनि , कौन करेगा अब तुमसे शादी ?”
कहकर विश्वास जी ने अपना चेहरा अपने हाथो में छुपा लिया और फूट फूट कर रोने लगे।
अपने पापा को रोते देखकर अवनि का दिल टूट गया। उसकी आँखों में भरे आँसू गालों पर लुढ़क आये और वह विश्वास जी को देखती रही। कौशल ने अपने बड़े भाई को इस तरह रोते देखा तो पलटकर अपनी पत्नी से कहा,”सीमा ! अवनि को अंदर लेकर जाओ,,,,,,,!!”
कौशल विश्वास जी को तरफ पलटा और उन्हें सम्हालने लगा।
सीमा अवनि के पास आयी और उसकी बाँह पकड़कर उसे वहा से ले जाने लगी। अवनि बदहवास सी उनके साथ चल पड़ी हलाकि उसकी आँखे अब भी विश्वास जी को रोते हुए देख रही थी। मीनाक्षी ने बाकी सबको अंदर चलने को कहा और खुद भी अंदर चली आयी। सीमा अवनि को अंदर लेकर आयी तो अवनि ने वापस बाहर जाने के लिए कदम बढ़ाते हुए कहा,”मैंने पापा का कोई अपमान नहीं किया चाची मैंने इस शादी से इंकार करके कोई गलती नहीं की मैं पापा को बताकर आती हूँ”
सीमा ने अवनि की बाँह पकड़कर उसे वापस पीछे किया और कहा,”अवनि तुम कही नहीं जाओगी यही रुको,,,,”
“पापा मुझे गलत समझ रहे है उन्हें लगता है मेरी वजह से ये शादी टूटी है,,,,,,,मैं मैं पापा को समझाकर आती हूँ”,अवनि ने बदहवास सी हालत मे कहा क्योकि आज से पहले उसने विश्वास जी को ऐसे रोते हुए नहीं देखा था
“होश में आओ अवनि,,,,,,,,,तुम्हारी वजह से पहले ही इतना सब तमाशा हो चुका है घर में अब और तमाशा मत करो,,,,,,,,,,तुम बाहर नहीं जाओगी मतलब नहीं जाओगी समझी”,सीमा ने तेश में आकर कहा तो अवनि फ़टी आँखों से उन्हें देखने लगी।
मीनाक्षी अंदर चली आयी और कहा,”अब तो तुम खुश हो ना अवनि , पुरे घरवालों और मेहमानो के सामने अपने बाप की इज्जत उछालकर , उन्हें बेइज्जत करवाकर मिल गयी तुम्हरे कलेजे को ठंडक,,,,,,,,,,अरे क्या मुंह लेकर निकलेंगे वो घर से बाहर , उनकी इकलौती बेटी ने उन्हें कही मुँह दिखाने लायक जो नहीं छोड़ा,,,,,,,,,क्या जरूरत थी तुम्हे बड़ो के बीच बोलने की ? थोड़ी देर के लिए अपना मुंह बंद रख लेती तो कौनसा पहाड़ टूट जाता या आसमान फट जाता तुम पर,,,,,,,,,,
माँ को तो बचपन में ही खा गयी बचा एक बाप तो उसे भी ये दिन दिखाया तुमने,,,,,,,,आखिर क्या कमी रह गयी थी उनके प्यार में ? तुम्हरे जैसी औलाद होने से तो अच्छा था वो बेऔलाद ही रहते”
सीमा का कहा एक एक शब्द अवनि के कानो में गर्म लोहे की तरह गिर रहा था। सब उसे गलत समझ रहे थे जबकि वह जानती थी कि उसने कुछ गलत नहीं किया था,,,,,,,,,,,,!!”
अवनि का दिल तेजी से धड़क रहा था और आँखों से आँसू बहते जा रहे थे लेकिन वह कुछ बोल नहीं पायी। तभी त्रिवेणी अंदर आयी और गुस्से से कहा,”मीनाक्षी ! अपनी जबान को थोड़ा लगाम दो , अरे जो हुआ उसमे बेचारी इस बिन माँ की बच्ची की क्या गलती है ? ऐसे दहेज़ के लालची लोगो के घर में शादी करने से तो अच्छा है कि अवनि पूरी जिंदगी इस घर में बैठी रहे,,,,,,,,,,,,!!”
“बेटिया अपने ससुराल में ही अच्छी लगती है भुआजी , बेटी कितनी भी प्यारी और लाड़ली हो मायके में उसकी बसर नहीं होती है।
हम भी किसी की बेटिया है और सही उम्र में शादी करके इस घर में बहू बनकर आयी है वैसे ही अवनि , दीपिका , सलोनी और अंशु को भी जाना ही है”,सीमा ने सहजता से कहा
“अरे तो क्या किसी से भी ब्याह दोगी बेटियों को , अरे जिस लड़के ने एक गाड़ी के लिए फेरे रुकवा दिए वह लड़का जीवनभर अवनि का साथ क्या निभाता , जिंदगीभर इसे परेशान करता। अवनि ने इस शादी से इंकार करके कुछ गलत नहीं किया ऐसे,,,,,,,,,,!!”,त्रिवेणी ने अवनि का साथ देते हुए कहा
“अरे पुरे घर परिवार और समाज में तो नाक कटवा दी इसने हमारी और आप कह रही है कुछ गलत नहीं किया , कही मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा इसने हम सबको ,, आज अगर ये चुपचाप ये शादी कर लेती तो क्या हो जाता ? एक गाडी की ही तो बात थी भाईसाहब दे देते”,मीनाक्षी ने फिर जहर उगला
“अवनि की जगह अगर तुम्हारी बेटी होती तब भी क्या तुम यही कहती सीमा ? अरे सुधर जाओ सुधर जाओ इतने साल क्या कम जुल्म किये है इस पर जो आज के दिन भी जहर उगल रही हो इसके लिए,,,,,,!!”,त्रिवेणी ने मीनाक्षी को लताड़ते हुए कहा
शोर शराबा सुनकर अंदर सो रही अंशु उठी और आँखे मसलते हुए बाहर चली आयी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि घर में क्या हो रहा है लेकिन उसने जब अवनि को देखा तो उसके पास आयी और कहा,”अवनि दीदी ! क्या अब आपकी शादी कभी नहीं होगी ?”
अंशु के मुंह से ये बात सुनकर अवनि का दिल दुःख और पीड़ा से भर उठा उसने रोते हुए अपना हाथ अपने मुँह पर रखा और सीढ़ियों की तरफ भागते हुए ऊपर चली गयी। वह भागते हुए अपने कमरे में गयी और दरवाजा बंद कर लिया।
मीनाक्षी को इस से कोई फर्क नहीं पड़ा उसने आँखे घुमाई और अंशु को सुलाने चली गयी वही सीमा को अवनि से थोड़ी हमदर्दी थी इसलिए वह त्रिवेणी के पास चली आयी। सुबह जिस घर में खुशिया थी अब उसी घर में मातम और मनहूसियत फ़ैल चुकी थी।
( क्या विश्वास जी अवनि को माफ़ कर पाएंगे ? क्या अवनि सम्हाल पायेगी खुद को या उठा लेगी कोई गलत कदम ? आखिर क्यों है मीनाक्षी को अवनि से इतनी नफरत ? जानने के लिए पढ़े “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )
Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5
Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5Pasandida Aurat – 5
- Continue With Pasandida Aurat – 6
- Visit https://sanjanakirodiwal.com
- Follow Me On http://instagram.com/sanjanakirodiwal/
संजना किरोड़ीवाल