Pasandida Aurat – 40

Pasandida Aurat – 40

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

आनंदा निलय अपार्टमेंट , मुंबई
लक्षित और लता के जाने के बाद नकुल पृथ्वी की तरफ पलटा और कहा,”वैसे तुमने खामखा उस बेचारे को पिटवा दिया , तुम्हे अपने छोटे भाई के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था”
“अच्छा और उसने जो मेरे साथ किया वो,,,,,,,,,!!”पृथ्वी ने चिढ़कर कहा
“क्या किया उसने ?”,नकुल ने पूछा


“उसने वो किताब,,,,,,,,,!”,जल्दी जल्दी में पृथ्वी के मुंह से सच निकल गया और अगले ही पल उसने दाँत भींच लिए। नकुल जिसे हर बात थोड़ी देर से समझ आती थी वह पृथ्वी की बात समझता इस से पहले पृथ्वी ने अपनी बात बदल दी और कहा,”अरे बाबा से कॉलेज की किताबो के लिए पैसे लेकर उन्हें दोस्तों पर खर्च कर दिया और अब उसे किताबे चाहिए”
“ओह्ह्ह ऐसा है क्या ? फिर तो तुम्हे उसकी मदद करनी चाहिए”,नकुल ने कहा


“हाँ कर दूंगा , अब तुझे जाना चाहिए”,पृथ्वी ने टेबल पर रखे चाय के खाली कप उठाकर कहा
“हाँ मैं निकलता हूँ , वैसे मैं तुम्हे कुछ बोलने वाला था”,नकुल ने अपना सर खुजाते हुए कहा
“तुम मुझे बाय बोलने वाले थे , अब जाओ यहा से”,कहते हुए पृथ्वी ने लगभग उसे फ्लेट से बाहर कर दिया और दरवाजा उसके मुंह पर बंद कर दिया।
“हाह ! बच गए,,,,,,,,,,,और घर भी साफ हो गया”,पृथ्वी ने एक गहरी साँस ली और साफ सुथरे घर को देखकर कहा।


वह टेबल की तरफ आया और अवनि की किताब को हाथ में उठाकर उस पर अपनी सख़्त हथेली घुमाकर कहा,”कितनी अजीब बात है , एक किताब के लिए मैं लक्षित पर गुस्सा हो गया , नकुल से झूठ कहा और अपने ऑफिस का काम छोड़कर रातभर इसके फ़टे पन्ने जोड़ता रहा,,,,,,,,चंद पन्नो की ये मामूली सी किताब आखिर मेरे लिए इतनी ख़ास क्यों बन गयी ? और अगर एक किताब के मैं ये कर सकता हूँ तो फिर इसे लिखने वाली के लिए,,,,,,,,,,

अह्ह्ह्ह ये तू क्या सोच रहा है पृथ्वी ? जिसे जानता नहीं , जिस से मिला नहीं , जिस से कभी बात नहीं की उसके लिए ऐसी भावनाये रखना गलत है,,,,,,,,,,पर जाना जा भी तो सकता है , अह्ह्ह तेरे लिए ये सब बहुत मुश्किल होने वाला है,,,,,,!”
कहते हुए पृथ्वी ने हाथ में पकड़ी अवनि की उस किताब को टेबल के दराज में रख दिया। इस घर में आने वाली ये पहली किताब थी जिसे पृथ्वी ने सहेजकर रखा था। उसने हॉल में लगी घडी में वक्त देखा और घर के लिए निकल गया। तैयार होने और नाश्ता करने के बाद पृथ्वी अपने ऑफिस चला आया।

बीती रात किताब के चक्कर में उसने जिस प्रोजेक्ट को अधूरा छोड़ा था उसी को पूरा करने लगा। काम करते करते करते अवनि के ख्यालों ने पृथ्वी को फिर घेर लिया। पृथ्वी ने लेपटॉप बंद किया और इन ख्यालों से बचने के लिए ऑफिस केंटीन की तरफ चला आया उसने अपने लिए एक चाय ली और खिड़की के पास खड़े होकर पीने लगा। पृथ्वी आया तो अवनि के ख्यालों से बचने था पर और ज्यादा उलझ गया। चाय पीते हुए उसे लक्षित के जरिये किताब फाड़ने और रातभर किताब को जोड़ने वाली बात याद आ गयी।

पृथ्वी धीरे से मुस्कुराया और उसी वक्त जयदीप की नजर उस पर पड़ गयी जो कि अपनी कॉफी लेकर पृथ्वी की तरफ आ रहा था। जयदीप पृथ्वी के सामने आया और कहा,”मैंने अभी देखा तुम मुस्कुराये”
जयदीप को वहा देखकर पृथ्वी की तंद्रा टूटी और उसने चेहरे पर गंभीर भाव लाकर कहा,”मुझे आपकी तरह बेवजह मुस्कुराने की आदत नहीं है,,,,,,,,!!”


“मैं दिनभर मुस्कुराता रहता हूँ क्योकि मैं अपनी वाइफ के प्यार में हूँ लेकिन मैंने अभी तुम्हे अकेले में मुस्कुराते देखा , अह्ह्ह ये बिल्कुल वैसा ही था जैसे तुम किसी पसंदीदा इंसान के बारे में सोच रहे हो,,,,,,,,है न ?”,जयदीप ने कहा
“आपकी और मेरी सोसायटी की आंटियो की सोच कितनी मिलती है”,पृथ्वी ने बिना किसी भाव के जयदीप को देखकर कहा
“कैसे ?”,जयदीप ने पूछा


“उन्हें भी आपकी तरह मेरी पर्सनल लाइफ में दिलचस्पी जो है,,,,,,,,,,,,,अब क्या मैं मुस्कुरा भी नहीं सकता ?”,पृथ्वी ने पहले बहुत ही प्यार से कहा और फिर गुस्से से लेकिन जयदीप को इस से कोई फर्क नहीं पड़ा उलटा उसने पृथ्वी को छेड़ते हुए कहा,”अहा ! तुम ये इसलिए कह रहे हो ताकि मैं सच ना जान जाऊ,,,,,,,,,देखो इस कम्पनी में हम दोस्त जैसे है तुम मुझसे अपने दिल की बात शेयर कर सकते हो,,,,,,,मैं उम्र में तुम से बड़ा हूँ और मेरा एक्सपीरियंस भी तुम से ज्यादा है क्या पता मैं तुम्हारी हेल्प कर दू एक अच्छी एडवाइज देकर”  


पृथ्वी ने बड़ी सी स्माइल दी और फिर एकदम से गंभीर स्वर में कहा,”मुझे आपकी कोई एडवाइज नहीं चाहिए स्पेशली अपनी पर्सनल लाइफ में तो बिल्कुल नहीं,,,,,,,,और हाँ हम दोस्त नहीं है आप मेरे बॉस ही रहे तो बेहतर है”
पृथ्वी ने कहा और वहा से चला गया जयदीप को उसकी बात का बुरा नहीं लगा वह जाते हुए पृथ्वी को देखकर मुस्कुराया और कहा,”ओह्ह्ह पृथ्वी तुम्हे इतना कठोर भी नहीं होना चाहिए , आई विश तुम्हारी लाइफ में कोई ऐसी लड़की आये जो तुम्हे खुलकर मुस्कुराना सिखाये”


“जयदीप सर ! मिस्टर घोष और उनकी टीम आ चुकी है , वे लोग मीटिंग रूम में आपका इंतजार कर रहे है”,जयदीप के PA ने आकर कहा तो जयदीप ने अपनी कॉफी खत्म की और उसके साथ चला गया।

सुख विलास , उदयपुर 

कौशल हॉल में बैठे अख़बार पढ़ते हुए अपनी चाय पी रहे थे , मयंक अपने कमरे में ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था। मीनाक्षी और सीमा रसोई में थी आज उनके साथ दीपिका भी थी। आज सुबह का नाश्ता वही बना रही थी जिसकी वजह थे विश्वास जी , दीपिका अपने घरवालो के खिलाफ तो नहीं जा सकती थी लेकिन वह खामोश रहकर विश्वास जी के लिए वो सब कर सकती थी जो अवनि किया करती थी। उसने एक प्लेट में मूंग दाल से बने दो चीले , हरी चटनी और चाय का कप रखा और लेकर जाने लगी तो सीमा ने टोक दिया।


“अरे दीपू ! ये किसके लिए ? पहले सबके लिए नाश्ता बना लो फिर मैं सब लोगो के लिए सारा नाश्ता एक साथ डायनिंग पर लगा दूंगी”,मीनाक्षी ने नितिन और अंशु के लिए दूध बनाते हुए कहा
दीपिका पलटी और बहुत ही शांत स्वर में कहा,”ये नाश्ता घर के लोगो के लिए नहीं बल्कि ताऊजी के लिए जा रहा है जो कि इस घर के लोगो में सबसे बड़े है,,,,,,,,,और मैंने आपसे और मम्मी से ही सीखा है चाची कि नाश्ता और खाना हमेशा घर के बड़ो को ही पहले परोसा जाता है”


मीनाक्षी ने सुना तो हैरानी से दीपिका को देखने लगी और फिर अपने शब्दों में चाशनी घोलकर कहा,”अरे तो मुझसे कहना था ना और ये चाय तो अब तक ठंडी हो चुकी होगी , भाईसाहब को गर्म चाय पीने की आदत है तुम नाश्ता लेकर जाओ चाय मैं लेकर आती हूँ”


मीनाक्षी ने प्लेट से चाय का कप उठाया और प्लेटफॉर्म की तरफ बढ़ गयी। दीपिका की हैरानी का ठिकाना नहीं रहा , कल तक यही घरवाले विश्वास जी के साथ बुरा बर्ताव कर रहे थे और अब अचानक से इतना प्यार और परवाह दिखा रहे थे। दीपिका को वही खड़े देखकर सीमा ने कहा,”क्या हुआ ? लेकर जाओ वरना नाश्ता भी ठंडा हो जायेगा”
दीपिका चुपचाप प्लेट लेकर बाहर चली आयी।

सुबह घूमने निकले विश्वास जी आज देर से घर आये थे वे नाश्ता करने बाहर नहीं आये बल्कि अपने कमरे में ही थे। दीपिका उनका नाश्ता लेकर उनके कमरे में आयी और प्लेट उनके सामने पड़ी टेबल पर रखकर कहा,”ताऊजी ! मैं आपके लिए नाश्ता लेकर आयी हूँ , आज का नाश्ता मैंने खुद बनाया है खाकर बताईये कैसा बना है ?”
विश्वास जी ने सुना और अपनी कुर्सी पर आ बैठे। सामने पड़ी टेबल पर प्लेट में मूंग दाल के चीले और छोटी कटोरी में हरी चटनी रखी थी। सहसा ही उनकी आँखों के सामने बिता हुआ पल आ गया।

!! “ये क्या पापा डॉक्टर अंकल ने आपसे क्या कहा था आपको सिर्फ 2 चीले खाने है”,अवनि ने कहा
“अरे वो डॉक्टर तो पागल है , अपनी पसंदीदा चीज खाने में भी भला कोई गिनती रखता है,,,,,,,,तुम्हारे हाथो से बनी ये धनिये पुदीने की चटनी तो खाने के लिए मैं तेरी और उस डॉक्टर दोनों की डांट सुन लूंगा”,विश्वास जी ने कहा


“हर पसंदीदा चीज और इंसान ज्यादा करीब हो तो तकलीफ देते है और देखिये आपने फिर अपनी सफ़ेद शर्ट पर हरी चटनी गिरा ली ना , अब ये दाग बिल्कुल नहीं जायेगा,,,,,,!!”,अवनि ने नाराज होकर कहा और गरमागरम चीला विश्वास जी की प्लेट में रख दिया।
विश्वास जी मुस्कुराये और कहा,”तुम बिल्कुल अपनी माँ की तरह डाँट लगाती हो अवनि , अब छोडो ये गुस्सा और लो ये खाओ”,कहते हुए विश्वास जी ने एक निवाला तोड़कर हरी चटनी के साथ अवनि की तरफ बढ़ाया और अवनि ने उसे खा लिया। विश्वास जी और अवनि ने एक दूसरे को देखा और दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े !!

विश्वास जी को मुस्कुराते देखकर दीपिका ने कहा,”क्या हुआ ताऊजी ? खाइये ना”
दीपिका की आवाज से विश्वास जी की तंद्रा टूटी वे अतीत से बाहर आये और कहा,”ये तुमने बनाया है ?”
मीनाक्षी तब तक चाय ले आयी तो दीपिका ने दरवाजे पर जाकर उनसे चाय ली और लाकर टेबल पर रखते हुए कहा,”हाँ ताऊजी ये मैंने बनाया है।


 आपको मुंग दाल का चीला और हरी चटनी बहुत पसंद है ना , पहले अवनि दी आपके लिए बनाया करती थी अब से मैं बनाया करुँगी , बना सकती हूँ ना ?”
विश्वास जी ने एक निवाला तोडा और खाया ,  नाश्ता अच्छा बना था लेकिन चटनी में वो स्वाद नहीं था जो अवनि बनाया करती थी। विश्वास जी ने दीपिका को देखा और कहा,”बहुत अच्छा बना है बेटा तुम में और अवनि में मैंने कभी फर्क नहीं किया तुम्हारा जो मन हो तुम बनाना मैं खा लिया करूंगा”


दीपिका ने सुना तो खुश हो गयी वह घुटनो के बल विश्वास जी के सामने टेबल के पास बैठ गयी और उनसे बातें करने लगी। विश्वास जी भी दीपिका में अवनि का प्यार ढूंढने लगे और नाश्ता करने लगे।

वीमेन हॉस्टल , सिरोही
हॉस्टल के कमरे में बैठी अवनि खुश थी। नए शहर में घर ढूंढने की समस्या दूर हो चुकी थी और साथ ही सिद्धार्थ के रूप में उसे एक अच्छा दोस्त भी मिल चुका था। अब अवनि इस शहर में अकेली नहीं थी कोई था जिसे अवनि अपना कह सकती थी। अवनि का मन आज बहुत खुश था सिद्धार्थ का अपनापन और उसकी खुशमिजाजी धीरे धीरे अवनि के दिल में जगह बना रही थी। वह बिस्तर से उठी और स्टडी टेबल के सामने आ बैठी। उसने दराज में रखी एक लाल रंग के कवर वाली डायरी निकाली।

उसे खोलकर अपने सामने रखा और पेन होल्डर में से एक लाल रंग का मार्कर निकालकर डायरी के पहले पन्ने पर बहुत ही सुन्दर अक्षरों में लिखा “पसंदीदा मर्द”
अवनि उसे देखकर मुस्कुराई। उसने मार्कर रखा और पेन होल्डर से एक लाल रंग का पेन निकालकर पन्ना पलटा और लिखने लगी।


“सिद्धार्थ से बार बार मिलना कोई इत्तेफाक तो नहीं ! पहली बार मैं उस से अपने पसंदीदा शहर बनारस में मिली वो भी तब जब वो जिंदगी से परेशान होकर घाट किनारे खड़ा था। एक अजनबी के लिए मेरे मन में परवाह वाले भाव का आना इत्तेफाक तो नहीं था। मैं उस से फिर मिली और इस बार पसंदीदा मंदिर में , उसे देखकर मेरे दिल का धड़कना कोई इत्तेफाक तो नहीं था , बनारस से लौटते हुए लगा जैसे ये सब इत्तेफाक ही है पर इस शहर में एक बार फिर उस टकरा जाना वो भी महादेव के सामने लगा जैसे खुद महादेव ने हमारा मिलना लिखा है।

ये इत्तेफाक नहीं हकीकत थी जो मेरी जिंदगी में दस्तक दे चुकी थी सिद्धार्थ के रूप में,,,,,,,,यकीन नहीं होता कोई इंसान इतना अच्छा भी हो सकता है जो बिना किसी स्वार्थ के एक अनजान की मदद करे वो भी अपना बनकर,,,,,,,,,,,इतनी जल्दी इस रिश्ते को कोई नाम देना जल्दबाजी होगी पर इतना यकीन तो हो चुका है कि उस इंसान का मेरी जिंदगी में आना मेरे महादेव की मर्जी है,,,,,,!!”
उसकी आँखों में अपने लिए भावनाये और उसकी बातो में अपने लिए परवाह उसके लिए मेरी भावनाये मजबूत कर रही है”


अवनि ने इतना ही लिखा की उसका फोन बजा। अवनि उठी और बिस्तर की तरफ चली आयी उसने बिस्तर पर रखा अपना फोन उठाकर देखा तो सहसा ही मुस्कुरा उठी। जिस शख्स के बारे में अवनि अपनी डायरी में लिख रही थी स्क्रीन पर उसी का नाम था और ये फोन सिद्धार्थ का ही था। सिद्धार्थ का नाम देखकर अवनि का दिल हमेशा की तरह धड़क उठा। उसने फोन उठाया और कान से लगाकर कहा,”हेलो”
“हेलो अवनि ! क्या कर रही हो ?”,सिद्धार्थ ने बहुत ही प्यार से पूछा


अवनि ने सुना तो थोड़ी हैरानी हुई क्योकि अभी घंटेभर पहले ही सिद्धार्थ उसे हॉस्टल के बाहर छोड़कर गया था और इतनी जल्दी फोन कर दिया।
“हम एक घंटे पहले ही मिले थे सिद्धार्थ जी”,अवनि ने कहा
“सिर्फ सिद्धार्थ कहकर बुलाओ ना अच्छा लगता है,,,,,,,,,,,!”,सिद्धार्थ ने उसी प्यार से कहा

“हम्म्म , वैसे आपने इस वक्त फ़ोन किया”,अवनि ने कहा सिद्धार्थ की बातों से उसका मन गुदगुदा रहा था जिसे छुपाने की अवनि बस नाकाम कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी बातों से साफ झलक रहा था।
सिद्धार्थ मुस्कुराया और कहा,”हो सकता है ये सुन कर तुम्हे थोड़ा अजीब लगे लेकिन ऐसा लग रहा है जैसे तुम से मिले हफ्तों गुजर चुके है। मैंने कभी सोचा नहीं था मैं किसी से इतनी जल्दी घुल मिल जाऊंगा”


अवनि ने सुना तो मुस्कुराये बिना ना रह सकी और कहा,”अच्छा ! आप फ्लर्ट कर रहे है मेरे साथ ?
“हाहाहाहा अरे नहीं ! मैं ये फ्लर्ट व्लर्ट में यकीन नहीं रखता,,,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने हँसते हुए कहा
“अच्छा तो फिर किस चीज में यकीन रखते है आप ?”,अवनि ने पूछा


सिद्धार्थ कुछ देर चुप रहा और फिर कहने लगा,”अच्छा सुनो ! मैं तुम्हे दो कहानी सुनाता हूँ , एक कहानी जिसमे एक लड़का और एक लड़की एक दूसरे से मिलते है , दो दिन में एक दूसरे को प्रपोज कर देते है , साथ घूमते फिरते है , फिजिकल होते है और उसके बाद दोनों का एक दूसरे से मन भर जाता है और दोनों एक दूसरे को छोड़ देते है।

एक कहानी वो है जिसमे एक लड़का और एक लड़की एक दूसरे से मिलते है , एक दूसरे को समझते है , एक दूसरे पर विश्वास दिखाते है , अपना सुख दुःख , अच्छा बुरा एक दूसरे से बांटते है , साथ साथ आने वाली जिंदगी के सपने देखते है , फिर लड़का एक दिन लड़की को शादी के लिए प्रपोज करता है और शादी के बाद दोनों अपने सपनो को पूरा करते है , एक दूसरे के करीब आते है और हमेशा साथ रहते है। तुम बताओ तुम क्या चुनोगी ?”


सिद्धार्थ की बात सुनकर अवनि कुछ देर खामोश रही और फिर कहा,”हर लड़की दूसरी कहानी ही चाहेगी”
“वही मैं कहना चाहता हूँ अवनि , मैं कभी ऐसा कुछ नहीं करना चाहता जिस से कोई लड़की मेरे साथ असहज महसूस करे। सोचता हूँ जिस से प्यार होगा उसी से शादी करूंगा। शादी से पहले ये फिजिकल रिलेशन , करीब आना ये सब बेकार बाते है,,,,,,अगर किसी से सच में प्यार है तो इन सब के लिए शादी तक इंतजार किया जा सकता है”,सिद्धार्थ ने गंभीर स्वर में कहा


“सब आपकी तरह नहीं सोचते है सिद्धार्थ,,,,,,,!!”,अवनि ने सिद्धार्थ की बातो से प्रभावित होकर कहा
“मैं सब जैसा नहीं हूँ अवनि , मैं कभी ऐसा कुछ नहीं करूंगा जिस से तुम्हे असहज महसूस हो”,सिद्धार्थ ने कहा और अवनि मुस्कुरा उठी टेबल पर रखी उसकी डायरी के पन्ने हवा की वजह से पलट गए और पहले पन्ने पर आ रुके जिस पर लिखा था “पसंदीदा मर्द”

( क्या पृथ्वी करेगा अवनि के बारे में और अधिक जानने की कोशिश ? क्या दीपिका बनेगी विश्वास जी के जख्मो पर मरहम और निभाएगी अवनि का फर्ज ? क्या सिद्धार्थ को होने लगा है अवनि से प्यार ? जानने के लिए पढ़ते रहिये “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )

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संजना किरोड़ीवाल

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