Pasandida Aurat – 26

Pasandida Aurat – 26

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

शाम का समय , अस्सी घाट
अवनि और सुरभि शाम में गंगा आरती देखने अस्सी घाट चली आयी। सुरभि ने जींस कुरता और गर्म जैकेट पहना था वही अवनि ने हलके गुलाबी रंग का फूल बाजू का अनारकली सूट पहना था , गले में दुपट्टा था और  पीठ से लेकर हाथो पर शॉल डाली हुई थी। अवनि ने बालो को गूंथकर चोटी बनाई हुयी थी और ललाट पर छोटी बिंदी के अलावा चेहरे पर कोई मेकअप नहीं था लेकिन सादगी में भी कोई इतना प्यारा लग सकता है ये अवनि को देखकर कहा जा सकता था। गंगा आरती अभी शुरू नहीं हुई थी लेकिन अस्सी की सीढीयो पर काफी भीड़ थी।

अवनि और सुरभि भी वही सीढ़ियों पर आ बैठी और गंगा आरती होने का इन्तजार करने लगी। कुछ देर बाद गंगा आरती शुरू हुई और अवनि उसमे खो गयी।
अस्सी घाट की दूसरी आरती में सीढ़ियों पर सिद्धार्थ बैठा था। खामोश बैठे सिद्धार्थ के चेहरे पर मायूसी और उदासी के भाव थे। “काशी विश्वनाथ ” दर्शन के बाद तो उसकी उदासी और बढ़ चुकी थी , समर्पण के नाम पर उसे बस अपनी की गलतिया याद आ रही थी और इस अहसास को वह यही छोड़कर जाना चाहता था
आरती देखते हुए उसे उसने अपना फोन निकाला और गिरिजा को फोन मिला दिया ताकि उन्हें भी गंगा आरती के दर्शन करवा सके।

वही हमारे पृथ्वी बाबू और नकुल महाराज अभी तक सो रहे थे। पृथ्वी का फोन बजा तो उसकी आँख खुली उसने देखा शाम के 7 बज रहे थे। पृथ्वी ने फोन उठाया फोन लता का था उन्होंने पृथ्वी से बात की और बातो बातो में जब उन्हें पता चला कि पृथ्वी इस बार बनारस गया है तो उन्हें अपने कानो पर यकीन नहीं हुआ और उन्होंने कहा,”क्या तुम सच कह रहे हो पृथ्वी ?”
“हाँ आई ! ये नकुल ने मुझे फंसा दिया”,पृथ्वी ने कहा


“अरे बहुत अच्छा किया उसने , उसे मेरी तरफ से थैंक्यू कहना और कहना जब वो वापस आएगा तो मैं उसके लिए पूरनपोली बनाउंगी,,,,,,,वह तुम्हे काशी लेकर गया है अह्ह्ह्हह इस से खूबसूरत बात और क्या हो सकती है ?”,लता ने खुश होकर कहा
” हम्म्म्म बोल दूंगा”,पृथ्वी ने सोये हुए नकुल को देखकर कहा
“अच्छा तुम वहा तक गए ही हो तो फिर आते हुए अपनी दादी से भी मिलते आना”,लता ने कहा  
“दादी अगले महीने मुंबई ही आ रही है आई तो मैं उनसे वही मिल लूंगा , वैसे भी नकुल ने वापसी की टिकट पहले ही करवा दी”,पृथ्वी ने कहा


“ठीक है कोई बात नहीं,,,,,,,,,,वैसे कहा हो तुम ?”,लता ने पूछा
“अभी तो होटल रूम में हूँ आई सोकर उठा हूँ”,पृथ्वी ने बिस्तर से नीचे उतरकर खिड़की की तरफ आकर कहा
“पृथ्वी तुम वहा सोने गए हो और अभी तक तुम होटल रूम में क्यों हो ? अरे इस वक्त वहा बहुत सुन्दर गंगा आरती होती है तुम लोगो को वहा जाना चाहिए”,लता ने कहा
“हम्म्म ठीक है , अभी मैं रखता हूँ”,पृथ्वी ने कहा और फ़ोन काट दिया।


वह बाथरूम में आया मुंह धोया और बाहर आकर कपडे बदल लिए क्योकि आज दिनभर इस कुर्ते पाजामे में वह काफी परेशान हो चुका था। उसने जींस पहनी , ब्लैक टीशर्ट पहना और अपना सफ़ेद जैकेट पहन लिया। शीशे के सामने आकर उसने बाल बनाये और नकुल को उठाते हुए कहा,”5 मिनिट में तैयार होकर नीचे आ जा वरना मैं तुझे छोड़कर अकेला ही चला जाऊंगा”
“कहा ?”,नकुल उठा और उबासी लेकर कहा  


“गंगा आरती देखने”,पृथ्वी ने कहा
नकुल ने सुना तो हैरानी से उसका मुंह खुला का खुला रह गया वह पृथ्वी को देखने लगा और कहा,”ये चमत्कार कैसे हुआ ?”
“कोई चमत्कार नहीं है आई ने कहा है”,कहते हुए पृथ्वी कमरे से बाहर निकल गया और नकुल ने अपना मुँह तकिये में छुपा लिया लेकिन अगले ही पल उसे  पृथ्वी के दिए 5 मिनिट याद आये और वह उठकर बाथरूम की तरफ भागा। नकुल ने जल्दी जल्दी जींस हुड्डी पहना और बालों को हाथो से सेट करते हुए कमरे  निकल गया।

 नकुल नीचे आया तो देखा पृथ्वी होटल के बाहर खड़ा आते जाते लोगो को देख रहा है। नकुल उसके पास आया और कहा,”ए तुमने मुझे उठाया क्यों नहीं ? देखा लेट हो गए ना अभी तक तो गंगा आरती हो भी गयी होगी”
“तुमने एक बात नोटिस की ?”,पृथ्वी ने सामने से गुजरती भीड़ को देखकर कहा
“क्या ?”,नकुल ने पूछा


“इस शहर में किसी के चेहरे पर शिकन नहीं है , हर किसी के चेहरे पर या तो ख़ुशी है , या हंसी , या फिर सुकून ,, किसी के चेहरे पर शिकायत , गुस्से या उदासी के भाव नहीं है,,,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने खोये हुए स्वर में कहा
“लगता है धीरे धीरे ये शहर तुम्हे समझ आ रहा था”,नकुल ने मुस्कुरा कर कहा
“मतलब ?”,पृथ्वी ने पूछा तो नकुल ने उसकी बांह पकड़कर आगे बढ़ते हुए कहा,”अहा ! कुछ नहीं चल आ चलते है”

नकुल पृथ्वी को लेकर अस्सी घाट चला आया। गंगा आरती अभी चल रही थी और इसे अब पृथ्वी की किस्मत कहे या इत्तेफाक वह नकुल के साथ सीढ़ियों पर आया और ठीक अवनि के बगल में खड़ा हो गया। पृथ्वी का दिल एक बार फिर धड़कने लगा , वही जाना पहचाना अहसास उसे फिर हो रहा था लेकिन उसकी नजरें गंगा आरती करते पुजारियों पर थी। पृथ्वी के बगल में खड़ी अवनि ने पहले ही उस गंगा आरती में खोयी हुयी थी उसने अपने बगल में खड़े पृथ्वी को नहीं देखा लेकिन मन ही मन वह एक बेचैनी से घिरी जा रही थी ऐसा क्यों था अवनि नहीं जानती थी।

गंगा आरती समाप्त हुई और सभी आरती लेने आगे बढ़ गए। नकुल पृथ्वी की बाँह पकड़कर उसे वहा से ले गया। पूजा स्थान पर रखे आरती के बड़े से बर्तन में आरती की लपटें चमचमा रही थी। नकुल ने आरती ली और पृथ्वी से आरती लेकर साइड में आने को कहा।
पृथ्वी उसके सामने चला आया दूसरी तरफ अवनि थी और बनारस आने के बाद पहली बार दोनों आमने सामने थे। पृथ्वी ने दोनों हाथो से आरती ली और आँखों से छूकर जैसे ही अपने हाथो को सर के ऊपर से निकाला आरती की लपटों में उस पार सामने खड़ी अवनि का चेहरा उसे दिखाई दिया।

उसकी धड़कने यकायक सामान्य हो गयी। दोनों हाथ जोड़े , आँखे मूंदे अवनि के सुर्ख लाल होंठ कुछ बुदबुदा रहे थे। पृथ्वी ने एकटक उसे देखता ही रह गया , इस शहर में आने के बाद सैंकड़ो लड़किया उसके सामने से गुजरी होगी लेकिन पहली बार उसकी नज़रे यहाँ आकर ठहरी। अवनि को देखकर पृथ्वी के हाथ सर से नीचे आकर आपस में जुड़े और पृथ्वी ने आँखे मूँद ली। जैसे ही पृथ्वी ने आँखे मुंदी अवनि ने अपनी आँखे खोली उसकी नजर आरती की लपटों के उस पार खड़े पृथ्वी पर पड़ी।

आँखे मूंदे , हाथ जोड़े पृथ्वी इस वक्त बहुत ही शांत और मासूम नजर आ रहा था। आरती की लपटों से चमकता उसका सांवला रंग उसे और भी आकर्षक बना रहा था। अवनि उसे एकटक देखते रही उसने महसूस किया उसकी बेचैनी जैसे एकदम से गायब हो चुकी है और उसकी जगह एक अनजाने सुकून ने ले ली है। उसने अपलक पृथ्वी को देखते हुए दोनों हाथो से आरती ली और आँखों सर से लगाकर जैसे ही सामने देखा पृथ्वी वहा नहीं था। अवनि ने इधर उधर देखा लेकिन पृथ्वी उसे दोबारा नजर नहीं आया।    

“क्या हो गया था तुझे ? तू वहा ऐसे खड़ा था जैसे जम गया हो,,,,,,,,,,तू ठीक तो है ना ?”,पृथ्वी के साथ चलते हुए नकुल ने पूछा
“हाँ मैं ठीक हूँ”,पृथ्वी ने अपनी बेचैनी छुपाते हुए कहा जबकि उसके जहन में अभी भी वो लड़की चल रही थी जिसे उसने कुछ देर पहले देखा था। उसे देखते ही उसकी धड़कनो का सामान्य हो जाना पृथ्वी के लिए अभी भी एक रहस्य बना हुआ था।
“चल आ वहा बैठते है”,नकुल पृथ्वी को लेकर घाट की सीढ़ियों पर बने चबूतरे की तरफ ले आया।

दोनों वहा आ बैठे , दिन के बजाय पृथ्वी को जगह रात में ज्यादा अच्छी लग रही थी। पृथ्वी ने अपने पैरो को लटका लिया और सामने बहते गंगा के पानी को देखने लगा जिस पर कई बड़ी नावे , क्रूज और छोटी नावे तैर रही थी ठंडी हवाएं चल रही थी और नदी किनारे ठंड ज्यादा थी लेकिन पृथ्वी उन नजारो को देखने में इतना खोया हुआ था कि उसे इस बात का अहसास ही नहीं था वह बस उस खामोशी को महसूस कर रहा था और मंद मंद मुस्कुरा रहा था।

कुछ देर बाद नकुल हाथ में दो कुल्हड़ लिए उसके पास आया और उसके बगल में बैठकर एक कुल्हड़ उसकी तरफ बढाकर कहा,”बहुत ठंड है यार ! क्या पता इस से थोड़ा आराम मिले ?”
“थैंक्स,,,,,,!!”,पृथ्वी ने चाय ली और पीने लगा
“ये लोग जो एक दूसरे का हाथ थामे यहाँ घूम रहे है इन्हे देखकर मैं सोच रहा हूँ अगली बार रिया को अपने साथ लेकर यहाँ आउ,,,,,,,यहाँ जो सुकून है वो मुंबई में नहीं है,,,,,,यहाँ देखो रात का वक्त है , इतना क्राउड है लेकिन फिर भी एक शांति है तुम बताओ तुम्हे क्या लगता है ?”,नकुल ने अपनी चाय पीते हुए कहा


पृथ्वी किसी और ही सोच में डूबा था ना जाने क्यों वहा बैठकर उसके जहन में रुषाली के साथ बिताया वक्त आने लगा , एकतरफा ही सही रुषाली के लिए पृथ्वी ने अपना वक्त और भावनाये दोनों खर्च की थी। उसे खोया देखकर नकुल ने कहा,”पृथ्वी , पृथ्वी , क्या हुआ ?”
“अह्ह्ह तुम कुछ कह रहे थे ?”,पृथ्वी ने नकुल की तरफ देखकर कहा
“हाँ मैं कह रहा था क्या मैं तुम्हे एक गाना सुनाऊ ?”,नकुल ने कहा
“हाहाहाहा तुम और गाना,,,,,,!!”,पृथ्वी ने हँसते हुए कहा


 “आई ऍम सीरियस , एक्चुली ये रात , ये मौसम ,ये नदी का किनारा देखकर मेरा गाना गाने का दिल कर रहा है”,नकुल ने गंभीरता से कहा
“अच्छा ठीक है बस कोशिश करना मेरा कानो से खून ना आये”,पृथ्वी ने खाली कुल्हड़ साइड में रखकर कहा
“हाह ! अभी तुम मेरे टेलेंट से वाकिफ नहीं हो , सुनो”,नकुल ने खाली कुल्हड़ साइड में रखा और गाने लगा
“ये रातें , ये मौसम , नदी का किनारा , ये चंचल हवा,,,,,,,,,,,,!!”


नकुल ने इतना बुरा गाया कि पृथ्वी के साथ साथ पीछे सीढ़ियों पर बैठे लड़को में से एक चिल्लाया,”ए भाई ! मत गा तेरे बस का नहीं है,,,,,,,,!!”
लड़के की बात सुनकर उसके साथ बैठे लड़के और आस पास बैठे लोग हसने लगे। पृथ्वी ने पलटकर देखा तो पाया कुछ लड़के लड़कियों का एक ग्रुप बैठा था उनमे से दो लड़को के पास गिटार था। पृथ्वी ने गर्दन घुमा ली और नकुल की तरफ देखा तो नकुल ने कहा,”मैंने इतना बुरा गाया क्या ?”


“सच कहू तो बहुत बुरा”,पृथ्वी ने हताश होकर कहा  
“अरे किशोर कुमार साहब आगे तो सुनाईये”,पीछे बैठे लड़को में से एक की आवाज पृथ्वी और नकुल के कानो में पड़ी तो सब हसने लगे। पृथ्वी के सामने कोई उसके दोस्त का मजाक उड़ाए ये भला पृथ्वी को कहा मंजूर था। वह उठा और चबूतरे से नीचे कूदकर लड़को की तरफ चला आया। पृथ्वी कही उन लोगो से बहस ना कर ले सोचकर नकुल भी उसके पीछे वहा चला आया तो सामने बैठे लड़को में से एक ने कहा,”लो किशोर कुमार साहब को गाने को कहा तो उनके साथ रफ़ी साहब भी चले आये”


“Can I ?”,पृथ्वी ने लड़के से कहा जिसने गिटार गोद में रखी हुई थी और काफी देर से बस उसके तार छेड़ रहा था लेकिन हर धुन गलत,,,,,,,,,,,,!!”
लड़के ने अपने दोस्तों की तरफ देखा तो सबने गिटार पृथ्वी को देने का इशारा कर दिया साथ ही सबने इधर उधर खिसककर पृथ्वी को बैठने के लिए जगह भी दे दी। पृथ्वी ने गिटार लिया और खाली जगह आ बैठा , नकुल भी उसके ठीक नीचे वाली सीढ़ी पर आ बैठा। पृथ्वी गिटार पर कोई धुन छेड़ी और गाने लगा

“सुंदर सुंदर वो हसीना बड़ी , सुन्दर सुन्दर मैं तो खोने लगा
उसके नशे में बिन पिए बहका
सुंदर सुंदर वो हसीना बड़ी , सुन्दर सुन्दर मैं तो खोने लगा
उसके नशे में बिन पिए बहका
एक दिन उसे भुला दूंगा मैं , उसके निशा मिटा दूंगा मैं
चाहूंगा ना मैं उस पत्थर को , जा उसे बता दे

कुछ ही दूर अवनि के साथ खड़ी सुरभि ने देखा वहा कोने में सीढ़ियों पर कुछ लोग बैठे है और कोई बहुत ही अच्छा गा रहा है तो उसने अवनि से कहा,”ए अवनि देख ना वहा कोई गाना गा रहा है चल ना चलकर सुनते है”
गाने के बोल सुनकर अवनि ने कहा,”मुझे तो वो कोई दिल टुटा आशिक़ लगता है , तुम ही जाओ मैं तुम्हे वहा उस नाव पर मिलूंगी”


“ठीक है मैं अभी आयी”,कहकर सुरभि वहा से चली गयी और उस तरफ चली आयी जिस तरफ गाना गा रहा था जैसे ही सुरभि ने पृथ्वी को देखा उसे सुबह वाली घटना याद आ गयी लेकिन पृथ्वी को गाते देखकर वह काफी हैरान भी थी और इम्प्रेस भी , नकुल की नजर जब सुरभि पर पड़ी तो उस बेचारे को भी सुबह वाली घटना याद आयी और वह अपना मुँह छुपाते हुए बड़बड़ाया,”ये यहाँ क्या कर रही है ?”
पृथ्वी ने गाना जारी रखा


ओह्ह्ह्हो सच कह रहा है दीवाना , दिल दिल ना किसी से लगाना
झूठे है यार के वादे सारे , झूठी है प्यार की कसमे
मैंने हर लम्हा जिसे चाहा , जिसे पूजा , उसी ने यारो मेरा दिल तोडा तोडा
तनहा तन्हा छोड़ा,,,,,,,,,,,लललला लाई”

पृथ्वी जितना गंभीर दिखता था उस से कई ज्यादा प्यारा उसने गाना गाया था और ये देखकर सब हैरान थे और उसकी तारीफ कर रहे थे। पृथ्वी ने गिटार लड़के को दिया और नकुल का कंधा थपथपा कर उसे चलने को कहा और आगे बढ़ गया तो लड़के ने कहा,”लगता है भाई का दिल टुटा है”
पृथ्वी पलटा और धीरे से मुस्कुरा कर कहा,”हम लड़को का दिल टूटने के लिए ही बना है”
पृथ्वी का जवाब सुनकर लड़कियों का मुँह उतर गया और लड़को ने एक साथ हूटिंग किया तो पृथ्वी नकुल को साथ लेकर चला गया।

सुरभि ने सुना तो पृथ्वी को एकटक देखने लगी , सुबह पृथ्वी उसे जितना खड़ूस और अकड़ू लगा था अब उतना ही प्यारा लग रहा था। धीरे धीरे पृथ्वी उसे पसंद आ रहा था और उसके दिमाग में कुछ तो खिचड़ी पक रही थी    
सुरभि अवनि के पास चली आयी देखा किनारे खड़ी खाली नाव में अवनि बैठी है और घाट की तरफ उसकी पीठ है और वह खोयी हुई सी गंगा के उस पार देख रही है। सुरभि नाव में आयी और अवनि के साइड वाली सीट पर बैठते हुए कहा,”तुम वहा क्यों नहीं आयी ? हाह ! वो लड़का कितना अच्छा गा रहा था , तुम्हे आना चाहिए था”


“मुझे ऐसे गाने सुनने की आदत नहीं है जिनमे आपको अपने ही प्यार को कोसना पड़े”,अवनि ने खोये हुए स्वर में कहा
“मतलब ?”,सुरभि ने पूछा
“मतलब ये कि उसने जो गाया वो बस उसके अंदर दबा एक गुस्सा था , सच्चा संगीत तो वो है जो तुम्हारे मन को सुकून दे और जिसमे सिर्फ प्रेम हो प्रेम का उपहास नहीं”,अवनि ने सुरभि की तरफ देखकर कहा
“अच्छा तो फिर तुम सुना दो,,,,,,,,,,,,!!”,सुरभि ने कहा


“मैं ? यहाँ सबके बीच”,अवनि ने हैरानी भरे स्वर में कहा
“हाँ और क्या तुम्हे संगीत की ज्यादा नॉलेज है तो फिर तुम ही सुना दो कुछ ऐसा जो सच में मन को सुकून दे”,सुरभि ने कहा
अवनि ने गाना शुरू किया


सागर किनारे , दिल ये पुकारे , तू जो नहीं तो मेरा कोई नहीं है
ओह्ह “सागर किनारे , दिल ये पुकारे , तू जो नहीं तो मेरा कोई नहीं है”

उसी नाव से कुछ दूर सीढ़ियों के पास चलते पृथ्वी के कानो में जब ये आवाज पड़ी तो उसने उस ओर देखने लगा , अवनि की पीठ उसकी तरफ थी इसलिए पृथ्वी देख नहीं पाया और नकुल के साथ आगे बढ़ गया।

( क्या पृथ्वी के दिल में अब भी है रुषाली के लिए प्यार ? क्या सुरभि को पसंद आने लगा है पृथ्वी का अंदाज ? क्या फिर टकराएंगे पृथ्वी और अवनि ? जानने के लिए पढ़ते रहे “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )

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संजना किरोड़ीवाल 

Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal
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