Pasandida Aurat – 21

Pasandida Aurat – 21

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

गर्ल्स हॉस्टल , सिरोही
सुरभि और अवनि बाते करने में इतना खो गयी कि उन्हें वक्त का पता ही नहीं चला और रात के खाने का वक्त हो गया। अवनि सुरभि को साथ लेकर केंटीन में खाना खाने चली आयी। केंटीन में हॉस्टल की और लड़किया भी बैठकर खाना खा रही थी। अवनि भी सुरभि के साथ चली आयी। सुरभि ने एक ही प्लेट में खाना लेने को कहा तो अवनि खाने की तरफ आयी और प्लेट में खाना परोसने लगी। अधपके चावल , पानी जैसी दाल जिसमे तड़का ढूंढना पड़े , आज लौकी चने की सब्जी बनी थी , उसके साथ चपाती , अचार जो कितना पुराना था अंदाजा लगाना भी मुश्किल था और सलाद,,,,,,,,,!!


सुरभि अजीब नजरो से बस सब देखे जा रही थी और अवनि थोड़ा थोड़ा करके सब प्लेट में परोस रही थी , उसने अचार नहीं लिया और प्लेट लेकर टेबल पर रखते हुए सुरभि से बैठने का इशारा किया। सुरभि उसके सामने आ बैठी और रोटी उठाकर देखी उसमे से अभी सूखा आटा झटक रहा था। सख्त इतनी कि चबाने के लिए खाने वाले को दुगनी मेहनत करनी पड़े। उसने दाल में चम्मच घुमाया और चावल को उंगलियों से मसलकर देखा वो सच में अधपके थे। उसने अवनि की तरफ देखा और मायूसी से कहा,”अवनि ! तुम रोज ये खाना खाती हो ?”


“हाँ ! आज चावल थोड़े कम पके है वरना सही पकते है और रोटी आज थोड़ी सख्त हो गयी हम देर से आये ना वरना तो गर्मागर्म और मुलायम होती है”,अवनि ने अपने हालात सुरभि से छुपाकर कहा
“अच्छा ! और दाल में आज पानी थोड़ा ज्यादा हो गया होगा और लौकी चना तो आज बना है वरना तो रोज यहाँ पनीर और सोया चाप बनता है,,,,,!!”,सुरभि ने अवनि को घूरकर गुस्से से लेकिन धीमे स्वर में कहा
अवनि ख़ामोशी से सुरभि को देखने लगी तो सुरभि उठी और प्लेट लेकर खाने की तरफ बढ़ गयी। उसने प्लेट वहा रखी और अवनि के पास आकर कहा,”चलो उठो,,,,,,,,,!!”


“लेकिन हम लोग कहा जा रहे है ?”,अवनि ने कहा
“चलो बताती हूँ”,सुरभि ने अवनि का हाथ पकड़कर उसे साथ ले जाते हुए कहा। दोनों हॉस्टल के रिसेप्शन पर चली आयी और सुरभि ने कहा,”हॉस्टल का गेट कब बंद होता है ?”
“10:30 बंद हो जाता है”,वार्डन ने कहा
“अभी 8 बज रहे है हमारे पास काफी टाइम है , हमे किसी जरुरी काम से बाहर जाना है तो हम लोग जा सकते है न ?”,सुरभि ने कहा


“हाँ लेकिन 10:30 से तक वापस आ जाना वरना गेट बंद हो जाएगा”,वार्डन ने रजिस्टर में कुछ लिखते हुए कहा
“हाँ ठीक है , चलो अवनि”,सुरभि ने कहा और अवनि का हाथ पकड़कर आगे बढ़ गयी
हॉस्टल से बाहर आकर सुरभि ने एक ऑटो रोका और अवनि के साथ उसमे आ बैठी तो अवनि ने कहा,”सुरभि बताओ तो सही हम लोग जा कहा रहे है ?”
“बताती हूँ”,अवनि से कहकर सुरभि ने ऑटोवाले की तरफ देखा और कहा,”भैया यहाँ आस पास कही जहा बढ़िया खाना मिले ऑटो वहा ले लीजिये”


अवनि ने सुना तो हैरानी से कहा,”तुम खाना खाने के लिए बाहर आयी हो ?”
“जी हाँ ! मैं वो मरीजों वाला खाना नहीं खा सकती और तुम्हे भी नहीं खाना चाहिए,,,,,,,,,!!”,सुरभि ने कहा तो अवनि बस ख़ामोशी से उसे देखने लगी
ऑटो वाला दोनों को लेकर सिरोही के फ़ूड मार्किट पहुंचा जहा रात में बहुत ही प्यारा मार्किट लगता था। ताजा फल सब्जियों से लेकर वहा खाने के कई स्टॉल लगे थे जहा लजीज और स्वादिष्ट खाना मिल रहा था।

अवनि और सुरभि ऑटो से नीचे चली आयी। सुरभि ने ऑटोवाले को पैसे दिए और अवनि को साथ लेकर सामने एक फ़ूड स्टाल पर चली आयी। अवनि ने देखा तो मुस्कुरा दी क्योकि सुरभि उसे पावभाजी वाले स्टॉल पर लेकर आयी थी और पावभाजी दोनों को बहुत ज्यादा पसंद थी। उदयपुर में दोनों जब भी घूमने जाती थी तो पावभाजी तो जरूर खाती थी। वहा स्टेंडिंग टेबल लगे थे जहा खाने की प्लेट रखी जा सके और खड़े होकर आराम से खाया जा सके। सुरभि दो प्लेट पाव भाजी लेकर आयी और टेबल पर रखकर कहा,”शुरू करे ?”


“बिल्कुल,,,,,,,,!!”,अवनि ने मुस्कुरा कर कहा
जब से सुरभि आयी थी तब से मुस्कुराहट अवनि के होंठो से हटने का नाम नहीं ले रही थी। आज कितने दिनों बाद वह सच में खुश थी। पावभाजी बहुत ही टेस्टी थी खाते खाते सुरभि ने कहा,”अवनि तुम्हारी शादी जिस से भी हो उसे कुछ बनाना आये या ना आये पावभाजी बनानी तो जरूर आनी चाहिए फिर मैं जब भी तुम दोनों मिलने आउंगी तो उस से कहूँगी कि वो मुझे पावभाजी बनाकर खिलाये”


“तो तुम चाहती हो मैं किसी पावभाजी बनाने वाले से शादी करू ?”,अवनि ने कहा
“नहीं बाबा ! इस दुनिया मे कोई तो ऐसा होगा ना अवनि जिसे अपनी वाइफ या गर्लफ्रेंड के लिए खाना बनाना पसंद हो,,,,,,,,जो प्यार से बनाये भी और अपने हाथो से खिलाये भी,,,,,,लड़के बताते नहीं है लेकिन उनके भी ऐसे छोटे छोटे ड्रीम्स होते है”,सुरभि ने खाते हुए कहा
शादी के नाम से ही अवनि के चेहरे पर उदासी तैर गयी और उसने बुझे स्वर में कहा,”मुझे शादी नहीं करनी सुरभि , मुझे नहीं लगता मेरे लिए इस दुनिया में दुनिया कोई बना है”


“हम सब के लिए कोई न कोई बना है अवनि बस जरूरत है सही वक्त पर उस से टकराने की और देखना तुम बहुत ऐसे ही एक इंसान से टकराओगी जो तुम्हे इस दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करेगा,,,,,,,,!!”,सुरभि ने विश्वास के साथ कहा और तभी आसमान में बिजली कड़की तो उसने खुश होकर कहा,”देखा तुम्हारे महादेव ने भी सिग्नल दे दिया बस तुम कभी अपने दिल के दरवाजे बंद मत करना , वो आएगा और बहुत जल्द आएगा”


अवनि ने सुना तो आसमान की तरफ देखने लगी और मन ही मन कहा,”महादेव ! अगर कोई मेरे लिए सच में बना है तो मैं चाहूंगी वो मुझे आपके दर पर मिले”
सुरभि और अवनि ने पावभाजी खाई और फिर पैदल घूमने निकल पड़ी , दोनों ने और भी नया खाना ट्राय किया और पैदल ही हॉस्टल के लिए चल पड़ी।

शिव मंदिर , मुंबई  
सोसायटी से बाहर कुछ ही दूर बने शिव मंदिर के बाहर खड़ी लता ने पृथ्वी से कहा,”पृथ्वी ! तुम भी अंदर चलो ना”
“आई आप जाईये मैं यही रूककर आपका इंतजार कर लूंगा”,पृथ्वी ने कहा
लता ने उसे देखा और बुझे स्वर में कहा,”पृथ्वी ! कभी कभी तो लगता है तुम कही सच में नास्तिक ना बन जाओ,,,,,,,,!!”
“आई ! मैं नास्तिक नहीं हूँ , मैं बस आप लोगो की तरह घंटो उनके सामने खड़े होकर ये दे दो वो दे दो नहीं कर सकता,,,,,!!”,पृथ्वी ने कहा


“अच्छा ! तुम से किसने कहा मंदिर में सब लोग भगवान् से मांगने ही जाते है,,,,,,,,,,तुम मंदिर उनका धन्यवाद करने भी जा सकते हो,,,,,,!!”,लता ने कहा
“उसके लिए मुझे मंदिर जाने की जरूरत नहीं है वो मैं यहाँ खड़े होकर भी कर सकता हूँ”,पृथ्वी ने आसमान की तरफ देखकर कहा  
लता ने पृथ्वी के सर पर एक चपत लगायी और मंदिर की तरफ जाते हुए कहा,”काश की तुम्हारी जिंदगी में ऐसी लड़की आये जो तुम्हे ईश्वर में विश्वास दिलाये और तुम्हे मंदिर ले जाए”


“वो दिन कभी नहीं आएगा आई”,पृथ्वी ने ऊँची आवाज में कहा लेकिन लता तब तक जा चुकी थी। पृथ्वी जैसे ही साइड में जाने के लिए पलटा एक छोटे लड़के ने आकर उसकी पेंट पकड़ी और खींचा तो पृथ्वी ने उसे देखकर कहा,”क्या हुआ ?”
“भूख लगी है , कुछ खिला दो”,लड़के ने मासूमियत से कहा
पृथ्वी ने मंदिर की तरफ देखा और झुककर लड़के से कहा,”वडा-पाव खाओगे ?”
लड़के ने हामी में गर्दन हिला दी तो पृथ्वी ने उसके नन्हे कंधो पर अपना हाथ रखा और उसे अपने साथ लेकर ठेले की तरफ बढ़ते हुए कहा,”भूख तो मुझे भी लगी है , चलो फिर खाते है”


लड़के ने सुना तो पृथ्वी को देखकर मुस्कुराया और आगे बढ़ गया। पृथ्वी ने ठेलेवाले से दो वडापाव लगाने को कहा। उसने एक नार्मल और दूसरा स्पाइसी बनाने को कहा और दोनों प्लेट लेकर लड़के के पास चला आया। उसने एक प्लेट लड़के को दी और दूसरी खुद लेकर वही पास बने डिवाइडर पर आ बैठा। दोनों खाने लगे , लड़के को खाते देखकर पृथ्वी की निगाहें उस पर टिक गयी लड़का इस वक्त बहुत ही मासूम लग रहा था पृथ्वी ने उसका सर सहला दिया तो लड़का उसे देखकर मुस्कुरा उठा।

दोनों ने वडापाव खाया और फिर सड़क किनारे चले आये और पृथ्वी चहलक़दमी करते हुए लड़के से बाते करने लगा। लड़का भी पृथ्वी के साथ बाते करते हुए उसके साथ साथ घूमने लगा और बहुत थोड़ी देर में दोनों अच्छे दोस्त बन गए। लता बाहर आयी तो पृथ्वी के साथ लड़के को देखकर कहा,”पृथ्वी क्या कर रहे हो यहाँ आओ चलते है,,!!”
पृथ्वी ने लड़के की तरफ देखकर हाथ हिलाया और वहा से चला गया।

रात के 10 बज रहे थे। अवनि और सुरभि दोनों पैदल ही चलकर हॉस्टल की तरफ जा रही थी। हॉस्टल सामने ही कुछ दूरी पर था इसलिए अवनि और सुरभि धीरे धीरे चल रही थी। ठंड का मौसम था और दोनों ने गर्म कपडे पहने हुए थे। सुरभि ने अपने हाथो को जैकेट की जेब में डाल रखा था और अवनि अपनी बांहो को समेटे चल रही थी। ठंडी हवा के झोंके उन दोनों के गालो को सहलाकर जा रहे थे।


“अवनि तुम हॉस्टल में रहने के बजाय अपने लिए फ्लैट या घर क्यों नहीं देखती ? अपना घर होगा तो तुम अपने हिसाब से रह पाओगी , खाना भी खुद बना लिया करोगी”,चलते चलते सुरभि ने कहा
अवनि ने सुना तो सुरभि की तरफ देखा और कहा,”ये इतना आसान भी नहीं है सुरभि , अनजान शहर में घर ढूंढना , शिफ्ट होना बहुत मुश्किल है”


“अवनि इतना मुश्किल भी नहीं है , तुम जिस बैंक में काम करती हो वहा के स्टाफ से पता करना , वैसे भी तुम्हारे पास गोवेर्मेंट जॉब है तो तुम्हे लोन भी आसानी से मिल जाएगा,,,,,,,खुद का घर होना बहुत जरुरी है अवनि , वैसे भी इस हॉस्टल का खाना खाकर तुम पक्का बीमार हो जाओगी”,सुरभि ने हॉस्टल के खाने को याद करके कहा
“ठीक है , बनारस से वापस आने के बाद मैं इस बारे में सोचूंगी”,अवनि ने कहा


“ये की ना तुमने समझदारो वाली बात , वैसे भी अगले साल अगर मेरे पेपर क्लियर नहीं हुए तो मैं जॉब के लिए यहाँ आ जाउंगी फिर तुम अकेली भी नहीं रहोगी”,सुरभि ने कहा
अवनि ने सुना तो उसका चेहरा ख़ुशी से खिल उठा।
दोनों बाते करते करते हॉस्टल चली आयी।

अगले दिन अवनि अपने बैंक चली गयी और सुरभि अकेले ही शॉपिंग करने निकल गयी। दोपहर तक सुरभि वापस लौट आयी हॉस्टल का खाना ना खाकर उसने खाना बाहर ही खाया और सफर के लिए भी कुछ सूखा नाश्ता खरीद लिया। हॉस्टल आकर सुरभि ने सब सामान पैक किया और अवनि के आने का इंतजार करने लगी। अवनि भी आज बैंक से जल्दी चली आयी और अगले चार दिन उसकी छुट्टी थी इसलिए आते ही उसने अपने साथ लाया जूस सुरभि को दिया और खुद कपडे बदलने चली गयी।

वापस आकर अवनि ने कबर्ड से अपने कपडे और सामान निकाला और पैक करने लगी क्योकि अगली सुबह उन्हें जोधपुर के लिए निकलना था। पैकिंग करते करते रात हो गयी और आज अवनि के कहने पर सुरभि ने हॉस्टल का खाना खाया ताकि दोनों जल्दी सोने जा सके और सुबह जल्दी उठकर स्टेशन निकल जाए।
अगली सुबह सुरभि और अवनि जल्दी उठी , तैयार हुई और अपने बैग्स लेकर हॉस्टल से निकल गयी। बाहर आते ही उन्हें ऑटो मिल गया दोनों ने अपना सामान रखा और अंदर आ बैठी और स्टेशन के लिए निकल गयी।

पनवेल स्टेशन
प्लेटफॉर्म पर ट्रेन के सामने अपनी पीठ पर बैग टाँगे खड़ा पृथ्वी गुस्से से मुकुल को घूर रहा था। उसके हाथ में जो टिकट थे वो गोआ के लिए नहीं बल्कि “बनारस” के लिए थे। उसके सामने अपने सूटकेस पर बैठा मुकुल नाख़ून कुतरते हुए उसे देख रहा था। पृथ्वी का दिल तो कर रहा था यही सबके सामने मुकुल को नीचे गिराए और अच्छे से उसकी धुलाई कर दे। पृथ्वी को खामोश देखकर मुकुल ने हिम्मत करके कहा,”पृथ्वी वो मैं,,,,,,,,,,,!!”
“शांत, अगदी शांत, तुझे मन चरायला गेले आहे का? ( चुप , बिल्कुल चुप , तेरा दिमाग क्या घास चरने चला गया है ?)”,पृथ्वी ने गुस्से से कहा


पृथ्वी को गुस्से में देखकर मुकुल ने चुप रहना ही बेहतर समझा ,
उसे चुप देखकर पृथ्वी का गुस्सा और बढ़ गया और उसने कहा,”मी हे काम तुमच्यावर सोपवायला नको होते , जर मला माहित असतं की तू असं काही करशील तर मी ते स्वतः केलं असतं। म्हणूनच मी इतका वेळ वाट पाहिली। की तू मला बनारसला घेऊन जा। अरे, तिथे काय आहे ? ,  लोक मेल्यानंतर तिथे जातात। ( मुझे तुम्हे ये काम सौंपना ही नहीं चाहिए था , पता होता तू कुछ ऐसा करेगा तो मैं खुद टिकट कर लेता , इतने टाइम से मैं इसलिए इंतजार कर रहा था कि तू मुझे बनारस लेकर जाए , अरे ऐसा क्या है वहा ? लोग वहा मरने के बाद जाते है )


“लोक जिवंत असताना तिथे जाऊ शकतात.” ( लोग जीते जी भी वहा जा सकते है )”,नकुल ने पृथ्वी की तरफ देखकर कहा जिस से पृथ्वी और गुस्सा हो गया और नकुल की तरफ कदम बढ़ाकर गुस्से से कहा,”मी तुझे तोंड फोडीन ( मैं तुम्हारा मुंह तोड़ दूंगा )”
नकुल उठा और कहा,”ए तुझे गुस्सा मराठी में आता है क्या ? तुमने मुझे लोकेशन देखने को कहा और नवम्बर में अच्छी लोकेशन मुझे बनारस लगी तो मैंने उसे डन कर दिया। गोआ , मनाली , कश्मीर तो हम कितनी बार जा चुके है सोचा इस बार कुछ नया ट्राय करते है”


पृथ्वी ने नकुल को देखा और कहा,”नया ? ये नया है ? पूरी दुनिया में ये सबसे पुराना शहर है और तुम इसे नया कह रहे हो , हाह ! कितनी मुश्किल से मैंने अपने उस खड़ूस बॉस से छुट्टी ली थी और तुमने इन्हे बर्बाद कर दिया,,,,,,,,,मैं नहीं जा रहा इस ट्रिप पर अब तुम अकेले जाओगे समझे”
“हाँ तो ठीक है मत जाओ मैं किसी और को ये टिकट ब्लेक में बेच दूंगा , वैसे भी बनारस हर कोई नहीं जाता तुमने वो नहीं सुना “करम जिसे पुकारे , वो पहुंचे गंगा किनारे” तो मिस्टर पृथ्वी उपाध्याय करम ऐसे करो कि काशी खुद तुम्हे बुलाये”,नकुल ने मुंह बनाकर कर कहा


पृथ्वी ने एक मुक्का नकुल की पीठ पर मारा और कहा टिकट उसके हाथ में थमाकर कहा,”एक तो मेरी ट्रिप बर्बाद की ऊपर से बकवास कर रहे हो,,,,,,,,,,नहीं जाऊंगा मैं समझे”
नकुल बेचारा अपनी पीठ सीधी करता तब तक पृथ्वी ने अपना सूटकेस लिया और जाने के लिए बढ़ गया।

अब नकुल तो ठहरा नकुल उसने हाथ में पकड़ी टिकट से खुद को हवा करते हुए ऊँची आवाज में कहा,”हां हां जाओ जाओ , घर जाकर फिर वही 10 से 7 बोरिंग ऑफिस , लोकल ट्रेन के धक्के और हाँ घर में जो शादी की बाते चल रही है शाम में ऑफिस से आकर वो भी तो सुननी है न तुम्हे,,,,,,,,,जाओ मैं अकेला ही जाऊंगा और तुम्हारे बिना वहा मजे करूंगा”


पृथ्वी को ट्रिप पर ना जाने से ज्यादा दुःख घर में चल रही शादी की बातो का था वह रुका और पलटा , उसने रोनी सूरत बनायी और मुकुल के पास वापस चला आया। मुकुल ख़ामोशी से उसे ही देख रहा था क्योकि वह जानता था पृथ्वी उसके साथ जाएगा।
“क्या ये टिकट चेंज नहीं हो सकता ?”,पृथ्वी ने रोआँसा होकर मायूसी भरे स्वर में कहा
“नहीं,,,,,,,,,,,,,!!”,मुकुल ने टका सा जवाब दिया
“तो केंसल करके तत्काल में दूसरी लोकेशन का टिकट ले लेते है”,पृथ्वी ने कहा
“हम्म्म ठीक है तो तुम मुझे 16 हजार दे दो मैं अभी कर देता हूँ”,नकुल ने सधे हुए स्वर में कहा


“16 हजार किस बात के ?”,पृथ्वी ने हैरानी से पूछा
“10000 हमारे आने जाने की 2nd AC टिकट्स और 4500 वहा जो होटल बुकिंग के एडवांस में दिया वो ,,,,,,,!!”,नकुल ने हिसाब किताब बताया
“और बाकि के 500 ?”,पृथ्वी ने पूछा
“वो मेरा दिमाग गर्म करने के लिए , चिल्ड बियर पीकर उसे ठंडा करने के लिए,,,,,,,,,!!”,नकुल ने इस बार गुस्से से कहा


पृथ्वी ने सुना तो और रोआँसा हो गया और कहा,”बहुत सही फंसाया है तूने मुझे इस बार,,,,,,,,,,!!”
नकुल पृथ्वी के पास आया और कहा,”पृथ्वी चल ना यार ट्रस्ट मी तुझे अच्छा लगेगा वहा,,,,,,वैसे भी तुझे हीलिंग की जरूरत है और बनारस से अच्छी जगह इस पूरी दुनिया में कही नहीं है , ट्रस्ट मी”
पृथ्वी ने सुना तो अपना होंठ दबाकर नकुल को देखने लगा क्योकि उसकी बात मानने के अलावा पृथ्वी के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था।

( नए शहर ने अपना घर खरीदने के लिए क्या अवनि लेगी कौशल की मदद ? क्या सिद्धार्थ और सुरभि फिर से टकराएंगे बनारस में ? क्या पृथ्वी को पसंद आएगा दुनिया का सबसे पुराना शहर ? जानने के लिए पढ़ते रहिये “पसंदीदा औरत” )

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संजना किरोड़ीवाल

Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal
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