Pasandida Aurat – 18

Pasandida Aurat – 18

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

सुख विलास , उदयपुर
सुबह सुबह अवनि अपने सूटकेस और पीठ पर टंगे बैग के साथ घर के हॉल में खड़ी थी। विश्वास जी को छोड़कर सभी घरवाले वहा मौजूद थे। अवनि ने पुरे घर को नम आँखों से देखा तो बचपन से लेकर अब तक बिताया वक्त उसकी आँखों के सामने किसी फिल्म की तरह चलने लगा। मयंक ने जब अवनि को सामान के साथ देखा तो कठोर स्वर में कहा,”तो आखिर तुमने इस घर से जाने का फैसला कर ही लिया है , पर याद रखो अवनि एक बार इस घर से जाने के बाद दोबारा इस घर में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है,,,,,,,इस घर के दरवाजे तुम्हारे लिए हमेशा के बंद हो जायेंगे”


अवनि ने सुना तो मयंक की तरफ देखा और कहा,”इस घर में रहते हुए भी आप सबने मेरे साथ परायों जैसा ही बर्ताव किया है मयंक चाचा , इस घर में रहने वाले लोगो के दिल के दरवाजे तो मेरे लिए कब के बंद हो चुके थे अब घर के दरवाजे भी बंद हो जायेंगे तो क्या बुरा है ? घर छोड़ने का फैसला मेरे लिए इतना आसान नहीं था लेकिन यहाँ रहकर अब आप सबकी नफरत का शिकार और नहीं बन सकती”


अवनि की बात सुनकर मयंक चुप हो गया। मीनाक्षी तो मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि अवनि हमेशा के लिए इस घर से चली जाए तो वही सीमा ने कहा,”अवनि ! अरे घर छोड़कर कहा जाओगी ? अकेली लड़की का घर से बाहर रहना कितना मुश्किल होता है इस बात का अहसास नहीं है तुम्हे , अरे तुम अकेले कैसे रहोगी ?”
“आपको मेरी चिंता करने की जरूरत नहीं है चाची मैं रह लुंगी लेकिन यहां रहकर दीपिका और सलोनी के लिए मुसीबत नहीं बनूँगी”,अवनि ने दुखी स्वर में कहा


दीपिका ने सुना तो अवनि के पास आकर उसका हाथ थामकर कहा,”मत जाईये ना दीदी , ये घर आपका भी है आप भी इस घर की सदस्य है फिर इन सबकी बातो से आहत होकर आप क्यों जा रही है ? इन सबको आपसे शिकायते है तो क्या हुआ दी मैं तो आपसे प्यार करती हूँ न,,,,,,,,,,,प्लीज अवनि दीदी मत जाईये”
दीपिका को अपनी परवाह करते देखकर अवनि ने प्यार से उसके गाल को छुआ और कहा,”मैं भी तुम से बहुत प्यार करती हूँ दीपिका लेकिन मैं अपनी ख़ुशी के लिए तुम सबकी जिंदगी में परेशानी नहीं ला सकती , मेरा यहाँ से चले जाना ही बेहतर होगा”


दीपिका ने सुना तो उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। आज उसे अपनी माँ और अपने चाचा चाची पर बहुत गुस्सा आ रहा था और अवनि के लिए बुरा लग रहा था। कार्तिक को अवनि से हमदर्दी थी इसलिए वह आया और कहा,”ठीक है अवनि दी ! अगर आपका यही फैसला है तो फिर मैं भी आपके साथ चलता हूँ , मैं अपनी आगे की पढाई वही से कर लूंगा और आपका ख्याल भी रख लूंगा”


अवनि ने ना में गर्दन हिलायी और बुझे स्वर में कहा,”मेरा साथ देकर तुम इन सब से दुश्मनी क्यों करना चाहते हो कार्तिक ? मेरी चिंता मत करो मैं अपना ख्याल रख लुंगी लेकिन मेरे लिए तुम इन सबकी नफरत अपने हिस्से मत लो”
कार्तिक ने सुना तो उदासी उसके चेहरे से झलकने लगी वही सीढ़ियों पर खड़ी सलोनी ये सब देखकर बोर हो रही थी इसलिए अपने हेडफोन कानो पर लगाए और ऊपर चली गयी। सलोनी को अवनि से ना तो हमदर्दी थी ना ही कोई लगाव , उसे जब अवनि से अपना काम निकलवाना होता था तो वह उसके साथ बहुत प्यार से बात करती थी वरना उसे अवनि से कोई मतलब नहीं था।


नितिन और अंशु भी वही थे अवनि को दुखी देखकर वे दोनों भी दुखी हो गए और ख़ामोशी से उसे देखने लगे। अवनि घुटनो के बल बैठी और दोनों को अपने पास आने का इशारा किया। दोनों ने पहले अपने मम्मी-पापा को देखा और फिर अवनि की तरफ दौड़े चले आये। अवनि भले बच्चो में सबसे बड़ी थी लेकिन वह हमेशा सब के साथ अच्छे से पेश आती थी और अंशु नितिन से तो वह कुछ ज्यादा ही प्यार करती थी। अंशु और नितिन आकर अवनि के गले लगे और नितिन ने रोते हुए कहा,”मत जाओ दीदी , आप चले जाओगे तो हमे यहाँ बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा,,,,,,,,,,,,!!”


अवनि ने सुना तो नितिन के आँसू पोछे और कहा,”मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ , बस मेरी कुछ मजबूरिया है इसलिए मैं यहाँ नहीं रह सकती”
“मत जाओ अवनि दीदी , मैं आपसे पेन भी नहीं चाहिए बस आप मत जाओ”,अंशु ने सुबकते हुए कहा
अंशु और नितिन को अवनि से चिपके देखकर मीनाक्षी गुस्से में उनकी तरफ आयी और दोनों की बांह पकड़कर खींचते हुए उन्हें वहा से ले गयी।  


अवनि के लिए इस से ज्यादा तकलीफदेह भला और क्या हो सकता था ? उसने फिर भी अपने आँसुओ को अपनी आँखों में रोककर रखा और अपना बैग और  सूटकेस हॉल में ही छोड़कर विश्वास जी के कमरे की तरफ बढ़ गयी। अवनि कमरे में आयी तो देखा विश्वास उसकी तरफ पीठ करके खड़े है। अवनि कुछ देर खामोश रही और फिर कहने लगी,”मैं जा रही हूँ पापा , आप बाहर नहीं आये तो मैं ही आपको बताने यहाँ चली आयी। मैं जानती हूँ आ मुझसे बहुत नाराज है और मेरे इस फैसले के बाद आप शायद जिंदगीभर मुझे माफ़ ना करे।

मुकुल को मेरे लिए आपसे पसंद किया और आपकी ख़ुशी के लिए मैंने शादी के लिए हाँ कह दिया लेकिन अगर वही इंसान सबके सामने मेरे पापा को बेइज्जत करेगा तो मैं उस से रिश्ता तोड़ने से पहले दो बार नहीं सोचूंगी। नीलेश कैसा लड़का है ये
आप भी जानते है पापा लेकिन अपनी जिद और गुस्से की वजह से आप मुझे फिर से नर्क में डालना चाहते है , अगर आपके सम्मान के लिए मैं मुकुल से शादी तोड़ सकती हु तो अपने आत्मसम्मान के लिए मैं आपके फैसले के खिलाफ भी जा सकती हूँ पापा।

मैं ये घर छोड़कर सिर्फ इसलिए जा रही हूँ ताकि आपकी झूठी शान और इस घर में रहनेवालो का घमंड बना रहे। आपकी ये दवाईया मैंने यहाँ रखी है और इस डायरी में लिख दिया कब कौनसी दवा लेनी है , डॉक्टर ने कहा है आपकी शुगर रिपोर्ट नार्मल है बस अब आप अपने खाने पर ध्यान देना , इस घर से अपनी किताबो , अपने कपड़ो , अपने जरुरी सामान के साथ बस मान की तस्वीर लेकर जा रही हूँ,,,,,,,,आप सोचेंगे सिर्फ माँ की तस्वीर क्यों ?

आपकी तस्वीर रखूंगी तो जब जब उसे देखूंगी मुझे आपका मारा गया थप्पड़ याद आएगा पापा और मुझे आपसे नफरत होने लगेगी , मैं आपसे नफरत नहीं करना चाहती पापा क्योकि मैं जानती हूँ एक दिन आप मुझे माफ़ कर देंगे। एक दिन इस घर और आपके दिल के दरवाजे मेरे लिए वापस खुल जायेंगे,,,,,,,,,,और आप बिल्कुल फ़िक्र मत करना मैं अपना ख्याल रखूंगी , ऐसा कोई काम नहीं करुँगी जिस से आपके सम्मान को ठेस पहुंचे,,,,,,,,,,,चलती हूँ पापा , अपना ख्याल रखना और हो सके तो मुझे माफ़ कर देना”


कहते हुए अवनि की आँखों में भरे आँसू बह गए विश्वास जी उन आंसुओ को देख ना ले सोचकर अवनि वहा से चली गयी। अपनी पत्नी की तस्वीर के सामने खड़े विश्वास जी ने अपनी आँखे मूँद ली और उनकी आँखों में भरे आँसू गालों पर लुढ़क आये। अवनि के जाने का दुःख उन्हें भी उतना ही था बस वे अवनि को जाने से रोक नहीं पाए। विश्वास जी के दिल में क्या था ये तो बस वही जानते थे लेकिन उनके आँसुओ से इतना समझा जा सकता था कि अवनि के साथ उन्होंने अन्याय किया जिसका अफ़सोस उन्हें अब जिंदगीभर करना था।  

अवनि ने अपने बैग लिए और घर से बाहर निकल गयी , जाते जाते उसने पलटकर नहीं देखा क्योकि वह अब फिर से इस दुनिया में लौटना नहीं चाहती थी ना ही कमजोर पड़ना चाहती थी। सड़क किनारे आकर अवनि ने ऑटो रुकवाया और उसमे आ बैठी। ऑटो स्टेशन के लिए निकल गया और उसे जाते देखकर मीनाक्षी ने चैन की साँस लेकर कहा,”अह्ह्ह्ह बला टली”

The Roof Top होटल , उदयपुर
सुबह 3 बजे सिद्धार्थ ऑफिस की मीटिंग से होटल आया था और आते ही सो गया। सुबह 9 बजे उसकी ट्रेन थी और वह 8 बजे तक सोता रहा और फोन बजने से उसकी नींद खुली। सिद्धार्थ ने आँखे मसलते हुए फोन देखा स्क्रीन पर बॉस का नंबर देखकर सिद्धार्थ ने फोन उठाया और कान से लगाकर कुछ देर बात की और रात वाली प्रेजेंटेशन के बारे में बताया। बॉस सिद्धार्थ से बहुत खुश थे और जल्दी ही उसके प्रमोशन की बात कहकर फोन काट दिया।
सिद्धार्थ उठ बैठा उसने फोन साइड में रखा और अंगड़ाई लेते हुए मुस्कुराया क्योकि सिद्धार्थ की आज की सुबह इतनी अच्छी जो थी।

उसने टाइम देखा तो अहसास हुआ कि उसे जल्दी से निकलना होगा वरना उसकी ट्रेन छूट जाएगी। सिद्धार्थ ने जल्दी जल्दी अपना सामान पैक किया , नहाया और तैयार होकर कमरे से बाहर चला आया। उसने देखा उसके पास बस आधा घंटा है और स्टेशन पहुँचने में उसे 15 मिनिट तो लग ही जायेंगे। होटल मैनेजर ने सिद्धार्थ को ब्रेकफास्ट ऑफर किया लेकिन सिद्धार्थ ने मना कर दिया और चेक आउट करके वहा से निकल गया। बाहर आकर सिद्धार्थ ने कैब बुक की और स्टेशन निकल गया। कुछ देर बाद कैब ट्रेफिक में आकर रुकी और ट्रेफिक के क्लियर होने का इंतजार करने लगी।

सिद्धार्थ बार बार अपनी घड़ी देख रहा था कही ट्रेन मिस ना हो जाए हालाँकि इसके एक घंटे बाद भी सिरोही के लिए दूसरी ट्रेन थी पर सिद्धार्थ इसी से जाना चाहता था। सिद्धार्थ ने खिड़की के बाहर देखा तो उसके चेहरे के भाव बदल गए कैब के बगल में स्कूटी पर वही लड़की बैठी थी जिस से बीती रात सिद्धार्थ की बहस हुई थी। उसे देखते ही सिद्धार्थ का मूड ऑफ हो गया और उसने ड्राइवर से कहा,”कितना टाइम लगेगा ?”
“बस सर दो मिनिट और,,,,,,,,,,!!”,ड्राइवर ने कहा


सिद्धार्थ वाली साइड का शीशा नीचे था उसने ड्राइवर से झुंझलाकर कहा,”ये सिटीज में सुबह सुबह लोग अपनी गाड़िया , स्कूटी लेकर निकलते ही क्यों है ?”
बाहर खड़ी सुरभि को सुन गया और जैसे ही उसने अपनी में खड़ी गाडी में सिद्धार्थ को बैठे देखा तो उसकी भँवे तन गयी और उसे भी रात वाला किस्सा याद आ गया  
उसने सिद्धार्थ की तरफ देखा और ऊँची आवाज में कहा,”अरे भैया उदयपुर वालो , ये बाहर शहर के राजा महाराजाओ से कहो कि सड़क पर चलने वालो से इन्हे इतनी ही परेशानी है तो हवाई जहाज से सफर करे , आये बड़े रईस की औलाद”


सिद्धार्थ के कानो में जैसे ही सुरभि की आवाज पड़ी उसने उसकी तरफ देखा और गुस्से से कहा,”तुम्हारी इस खटारा स्कूटी से तो लाख गुना अच्छी गाडी में बैठा हूँ मैं इसलिए तुम तो मेरे सामने रईसी की बात करो ही मत”
“लगता है रात वाला डोज कम पड़ गया”,सुरभि ने भी सिद्धार्थ को घूरकर कहा
“ड्राइवर चलो यहा से मुझे इस लड़की की शक्ल भी नहीं देखनी”,सिद्धार्थ ने कहा
“मेरा आज का दिन तो वैसे भी खराब जाने वाला है मैंने सुबह सुबह तुम्हारी शक्ल जो देख ली है”,सुरभि ने सिद्धार्थ को देखकर कहा और अपनी स्कूटी लेकर आगे बढ़ गयी क्योकि ट्रेफिक क्लियर हो चुका था।

ड्राइवर ने गाडी आगे बढ़ा दी तो सिद्धार्थ चिढ़े हुए स्वर में बड़बड़ाया,”हाह ! इतनी बद्तमीज लड़की मैंने आज तक नहीं देखी , आई हॉप ये मेरे सामने फिर ना आए”
सिद्धार्थ स्टेशन पहुंचा , टिकट चेक की और प्लेटफॉर्म पर चला आया। ट्रेन सामने ही खड़ी थी और उसके चलने में अभी 15 मिनिट का समय था। सिद्धार्थ को भूख का अहसास हुआ तो वह वही प्लेटफॉर्म पर बने दूकान पर आया और अपने लिए एक केन और सेंडविच ले लिया। सिद्धार्थ वही खड़े होकर अपना सेंडविच खाने लगा।

वह स्लीपर कोच के सामने खड़ा था और इसी ट्रेन के सामने खड़ी अवनि सुरभि के आने का इंतजार कर रही थी। अवनि ने देखा सुरभि अभी तक नहीं आयी है तो वह मायूस हो गयी तभी सुरभि ने पीछे से आकर उसे गले लगाकर कहा,”सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी , मैं थोड़ा लेट हो गयी वो मैंने बताया था ना कल रात दिल्ली से मामाजी आये थे तो बस सुबह उन्ही के लिए चाय नाश्ते में देर हो गयी”
“कोई बात नहीं तुम आयी मुझे अच्छा लगा”,अवनि ने सुरभि को आगे करके कहा


“अरे मैं कैसे नहीं आती , मेरा बस चलता तो मैं तुझे छोड़ने सीधा सिरोही तक चली जाती लेकिन मम्मी की तबियत खराब है ना तो घर में रहना भी जरुरी है,,,,,,,,अच्छा ये सब छोडो तुमने सब जरुरी सामान रखा ना ? अपने डाक्यूमेंट्स , अपना लेपटॉप , अपनी अधूरी किताबे और,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते कहते सुरभि रुक गयी और शरारत से अवनि को देखने लगी
“और ?”,अवनि ने पूछा


“और अपने वो ढेर सारे खाली रंगीन खत और लिफाफे जिन्हे तुम किसी के लिए लिखना चाहती थी,,,,,उन्हें रखना बिल्कुल मत भूलना क्या पता नये शहर में तुम्हे कोई ऐसा मिल जाए जिसे खत पढ़ना पसंद हो”,सुरभि ने शरारत से कहा
अवनि ने सुना तो फीका सा मुस्कुरा दी और कहा,”नए शहर जाकर सबसे पहला खत तुम्हे ही लिखूंगी”
“ना बाबा ना मुझसे कोर्स की किताबे नहीं पढ़ी जाती तुम्हारा खत कौन पढ़ेगा ? तुम मुझे व्हाट्सप्प ही कर देना या फिर सीधा कॉल”,सुरभि ने कहा


अवनि ने सुना तो मुस्कुराने लगी और स्टेशन के एंट्री की तरफ देखने लगी।
“क्या हुआ ! कोई आने वाला है क्या ?”,सुरभि ने पूछा तो अवनि ने ना में गर्दन हिला दी।
“अच्छा ये खाना पकड़ो रास्ते में खा लेना मुझे पता है घर से कुछ खाकर नहीं आयी होगी , और ये इसमें मम्मी ने तुम्हारे लिए कुछ मिठाई और घर पर बनी मठरी , नमकीन रखी है , और पानी का बोतल वो तो मैं लाना ही भूल गयी एक काम कर तू अंदर चलकर बैठ मैं अभी पानी लेकर आयी,,,,,,,,,,,!!”,कहते  हुए सुरभि ने हाथ में पकड़ा बैग अवनि को दिया और वहा से चली गयी।

अवनि अपने बैग और सामान लेकर ट्रेन में चढ़ गयी उसकी सीट साइड लोअर थी उसने अपना सामान रखा और वहा आ बैठी। अवनि खिड़की से बाहर देखते हुए सुरभि के आने का इंतजार करने लगी की ट्रेन ने हॉर्न दे दिया।

सिद्धार्थ के हाथ में सेंडविच का दूसरा हिस्सा था और उसे खाते हुए उसने जैसे ही सामने देखा उसकी नजर खिड़की के पास बैठी अवनि के चेहरे पर पड़ी। वक्त कुछ पल के लिए जैसे थम सा गया हो , सिद्धार्थ का दिल धड़कने लगा वह मुस्कुरा उठा और खोया हुआ सा अवनि को देखने लगा। सोशल मीडिआ पर जिस लड़की को देखकर सिद्धार्थ दीवाना हुआ था वह लड़की आज उसके सामने थी। सिद्धार्थ ने हाथ में पकड़े सेंडविच के टुकड़े को नीचे रख प्लेट को साइड में रखा और अवनि की तरफ बढ़ गया।

उसके और अवनि के बीच 20 कदमो का फासला था। वह बदहवास सा अवनि की तरफ बढ़ते जा रहा था , उसकी आँखों में एक चमक थी और होंठो पर मुस्कुराहट , उसके कानो में कोई प्यारा सा संगीत बज रहा था और आस पास की हर गतिविधि धुंधली नजर आ रही थी जबकि अवनि उदासी भरी आँखों से बाहर देख रही थी। सिद्धार्थ की नजरे कभी अवनि की काजल से सनी आँखों पर ठहर जाती तो कभी उसके सुर्ख गुलाबी होंठो पर , कभी उसकी नजरे ललाट पर लगी बिंदी पर पड़ती तो कभी हवा में उड़ते बालों की लटो पर,,,,,,,,,,,,,,!!

( क्या विश्वास जी को होगा पछतावा अवनि के साथ किये अन्याय का ? अवनि के घर छोड़कर जाने से आखिर मीनाक्षी और मयंक क्यों है इतने खुश ? क्या सिद्धार्थ और अवनि की होगी ये पहली मुलाकात ? जानने के लिए पढ़ते रहे “पसंदीदा औरत” )

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संजना किरोड़ीवाल

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