Pasandida Aurat – 15

Pasandida Aurat – 15

Pasandida Aurat
Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

सुख विलास , सेक्टर 14 , उदयपुर

मयंक और मीनाक्षी की बातो में आकर विश्वास जी ने अवनि का रिश्ता नीलेश से तय कर दिया और शाम में उन्हें घर भी बुला लिया। विश्वास जी ने पिछली गलती के लिए तो अवनि को माफ़ कर दिया लेकिन उस माफ़ी के बदले वे चाहते थे अवनि नीलेश से शादी कर ले और ये फरमान सुनाकर वे कमरे से बाहर निकल गए। अवनि ने सुना तो उसके पैरों के नीचे से जमीन निकल गयी और वह अवाक् सी कमरे में खड़ी रह गयी। उसके अपने ही पापा उसके साथ इतना अन्याय कैसे कर सकते थे ?

अवनि ने अपने अपने आँसू पोछे और विश्वास जी के पीछे कमरे से बाहर चली आयी। विश्वास जी हॉल में खड़े मयंक से कुछ बात कर रहे थे तभी ने विश्वास जी से कहा,”मैं नीलेश से शादी नहीं करुँगी पापा”
विश्वास जी ने सुना तो अवनि की तरफ पलटे उनके चेहरे पर कठोर भाव थे और वे बस अवनि को घूरे जा रहे थे। मयंक ने जब सुना तो अवनि की तरफ देखकर बोला,”क्यों ? क्या कमी है नीलेश में ?”


अवनि ने जलती आँखों से मयंक को देखा और कहा,”क्या कमी है ये आप मुझसे पूछ रहे है मयंक चाचा ? क्या आप नहीं जानते आपका साला नीलेश कितना बद्तमीज और बिगड़ैल लड़का है,,,,,,,लड़कियों की इज्जत नहीं करता , एक नंबर का आवारा है , मैं उस से शादी नहीं करुँगी”


अवनि को जवाब देते देखकर मयंक का खून खौल गया लेकिन विश्वास जी को वहा देखकर वह बस गुस्से से अवनि को घूरकर रह गया लेकिन मीनाक्षी खुद को नहीं रोक पायी और कहा,”अच्छा मेरा भाई आवारा है तो तुम क्या हो ? एक तो मेरा भाई सब जानते हुए भी तुम से शादी करने को तैयार है और तुम अपने ही चाचा को सुना रही हो , अरे कभी सोचा है कौन करेगा तुम से शादी ?”


अवनि आज चुप रहने वाली नहीं थी इसलिए वह मीनाक्षी के सामने आयी और कहा,”मुझे आप लोगो का ये अहसान नहीं चाहिए ,, मैं जिंदगीभर अकेले रह लुंगी पर नीलेश से शादी नहीं करुँगी,,,,,,,समझी आप”
कहकर अवनि विश्वास जी की तरफ पलटी और उनके पास आकर कहा,”पापा आप मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे है?
पापा आप जानते है मैंने कुछ गलत नहीं किया है , आज तक मैंने आपकी हर बात मानी है पापा , आपने जो स्कूल पसंद किया मैंने उसमे पढाई की , आपने जो कॉलेज चुना उसमे डिग्री ली ,

मेरी किताबो से लेकर मेरे कपडे तक आपने चुने और मैंने कभी कोई आपत्ति नहीं जताई , मैंने अपनी जिंदगी कभी अपनी पसंद से नहीं जी पापा जो आपने कहा वो किया यहाँ तक के आपने शादी के लिए जो लड़का चुना  वो भी मैंने स्वीकार कर लिया फिर चाहे मुझे मुकुल से प्यार हो या ना हो लेकिन आपकी ख़ुशी और सम्मान के लिए मैंने उसे भी हाँ कह दी। मैंने सब स्वीकार किया पापा लेकिन सेंकडो लोगो के बीच मैं आपका अपमान स्वीकार नहीं कर पायी और मैंने शादी तोड़ दी

मैंने सब आपका सम्मान बचाने के लिए ही किया पापा फिर आप क्यों मेरी शादी नीलेश से करना चाहते है ? वो अच्छा इंसान नहीं है पापा,,,,,,,,,,,,,!!”
“अगर नीलेश से शादी नहीं करोगी तो फिर क्या करोगी अवनि ? जिंदगीभर इस घर में ऐसे ही रहोगी , तुम्हे देखकर तुम्हारी छोटी बहनो पर इसका क्या असर पडेगा कभी सोचा है तुमने ? लोग इस घर में रिश्ता करने से पहले सवाल करेंगे कि घर की बड़ी बेटी की अभी तक शादी क्यों नहीं की ? है जवाब तुम्हारे पास इस बात का ?”,विश्वास जी ने गुस्से से भरकर कहा


अवनि ने सुना तो उसे सहसा ही अपनी नौकरी का ख्याल आया और उसने कहा,”पापा , पापा मैं नौकरी करुँगी ,, पापा मेरा बैंक क्लर्क में सेलेक्शन हो गया है। मैं मैं सरकारी नौकरी में हूँ पापा,,,,,,,,,और आप चिंता मत कीजिये जब सब ठीक हो जाएगा तो मैं मैं किसी अच्छे लड़के से शादी भी कर लुंगी पापा बस आप  नीलेश से मेरा रिश्ता तय मत कीजिये”
अवनि के मुंह से नौकरी की बात सुनकर सिर्फ कौशल को ख़ुशी हुई वह अवनि के पास आया और कहा,”अवनि बेटा मुबारक हो , तुम्हारी नौकरी लग गयी और तुम अब बता रही हो ,, खूब खुश रहो बेटा”


कहकर कौशल अपने भाई की तरफ पलटा और कहा,”भाईसाहब ! भाईसाहब अवनि के लिए जल्दबाजी में कोई फैसला मत लीजिये , एक बार ठन्डे दिमाग से सोचिये अवनि के पास अब नौकरी है , अरे उसके लिए अच्छे से अच्छे रिश्ते मिल जायेंगे फिर आप क्यों उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी शादी करना चाहते है। देखिये भाईसाहब जो चुका उसे बदला नहीं जा सकता और यकीन मानिये धीरे धीरे सब उस घटना को भूल भी जायेंगे।”

कौशल की बात सुनकर विश्वास जी ने उनकी तरफ देखा और कहा,”घटना भूली जा सकती है कौशल हादसे नहीं , अवनि ने जो किया है उसका जिक्र इस घर में हमेशा होगा हर बार होगा उसे कोई भूल नहीं पायेगा। अवनि का पिता होने ने नाते मैं उसका रिश्ता कही भी कर सकता हूँ इसमें मुझे तुम्हारी सलाह की जरूरत नहीं है। अगर अवनि की जगह तुम्हारी बेटी होती और मेरी जगह तुम होते तो शायद तुम मेरा दर्द समझते”


विश्वास जी की बात सुनकर कौशल फ़टी आँखों से उन्हें देखने लगा , अपने भाई का इतना कठोर रूप वह पहली बार देख रहा था। कौशल पीछे हट गया उन्होंने अवनि के सर पर हाथ रखा। उनकी आँखों में आँसू भरे थे और दिल में अवनि के लिए हमदर्दी , उन्होंने नम आँखों से अवनि को देखा और ना में सर हिलाकर वहा से चले गए क्योकि वे अवनि के साथ होते अन्याय को देखना नहीं चाहते थे।


अपने पापा की बाते सुनकर आज पहली बार अवनि को उनसे नफरत हो रही थी उसने विश्वास जी के सामने आकर तकलीफभरे स्वर में कहा,”आप इतने कठोर कैसे हो सकते है पापा ? अपनी झूठी इज्जत और सम्मान के लिए आप मुझे दलदल में क्यों फेकना चाहते है इस से अच्छा तो आप मुझे बचपन में ही  देकर या गला घोट कर मार देते कम से कम आपका ये रूप तो देखने को नहीं मिलता। आप कितने पत्थर दिल है पापा आपको समाज के ताने , झूठी शानो-शौकत नजर आ रही है लेकिन अपनी ही बेटी के आँसू नजर नहीं आते ,

उसका दर्द , उसकी तकलीफे नजर नहीं आती,,,,,,आपकी इसी कठोरता ने तो मुझसे मेरा बचपन छीन लिया और आपकी इसी कठोरता की वजह से मेरी माँ ने अपनी जान दे दी,,,,,,,,,,,!!”
“अवनि,,,,,,,,,,!!”,विश्वास जी गुस्से से चिल्लाये और एक थप्पड़ अवनि के गाल पर रसीद कर दिया।
अवनि अवाक् सी विश्वास जी को देखने लगी वे गुस्से में काँप रहे थे और उनकी आँखे लाल हो चुकी थी। मयंक ख़ामोशी से सब देख रहा था। सीमा ने देखा तो अपना हाथ अपने मुंह पर रख लिया तो वह मीनाक्षी धीरे से मुस्कुराई।  

घर में शोर शराबा सुनकर दीपिका , सलोनी , कार्तिक और नवीन भी हॉल में चले आये जबकि अंशु सो रही थी। उन सबको वहा देखकर मयंक ने कहा,”तुम चारो यहाँ क्या कर रहे हो ? अपने कमरो में जाओ”
“कोई कही नहीं जाएगा,,,,,,,!!”,अवनि ने गुस्से से ऊँचे स्वर में कहा तो सभी उसे देखने लगे
अवनि ने मयंक को एक नजर देखा और उसी गुस्से से बोली,”आखिर ये लोग भी तो जाने इस घर के बड़ो की हकीकत , इन्हे भी तो पता चले इस घर के बड़ो के चेहरो के पीछे छुपे असली चेहरे,,,,,,,,,,,,!!”
“अवनि अपने कमरे में जाओ”,विश्वास जी ने कहा


“कही नहीं जाउंगी मैं , अब तक हमेशा मैंने आपकी हर बात मानी है पापा लेकिन आज मैं आपकी कोई बात नहीं मानूंगी , अरे एक शादी तोड़ने की आप सबने  मुझे ऐसी सजा दी है जो कोई अपने दुश्मन को भी नहीं देता। सिर्फ शादी ही तो टूटी थी ऐसा क्या पाप कर दिया मैंने जो आप सब मुझे इतनी तकलीफ दे रहे है ? मैं कोई भेड़ बकरी नहीं हूँ जिसे आप सब किसी भी खूंटे से बांध दे। मेरी वजह से आपको बाहर जाने में शर्म आती है ना पापा , लोगो से बात करने में उनसे नजरे मिलाने से आपको तकलीफ होती है ,

और आप मयंक चाचा आप मेरी वजह से शर्मिन्दा है , और आप दोनों चाचियाँ आपको लगता है मेरे इस घर में रहने से आपके बच्चे बिगड़ जायेंगे , मुझ जैसे हो जायेंगे तो आज के बाद ऐसा नहीं होगा। मैं ये घर छोड़कर जा रही हूँ,,,,,,,,,,,!!”

अवनि की बात सुनकर विश्वास जी बुझी आँखों से उसे देखने लगे। उन्होंने अवनि से घर से जाने को इसलिए कहा था ताकि अवनि ये सुनकर उनकी बात मान ले लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ उलटा उन्होंने गुस्से में आकर अवनि पर हाथ उठा दिया जिस से अवनि और ज्यादा आहत हो गयी और उसने घर छोड़ने का  फैसला कर लिया।
“तुम्हारा दिमाग ख़राब हो गया है , ये घर छोड़कर कहा जाओगी तुम ?”,मयंक ने अवनि को फटकार लगाकर कहा
“कही भी जाउंगी लेकिन आप लोगो के पास वापस नहीं आउंगी”,अवनि ने मयंक की आँखो में झांककर कहा


कार्तिक ने सुना तो बेचैनी से दीपिका की तरफ देखा , दीपिका भी अवनि को इस हाल में देखकर दुखी थी लेकिन सलोनी को इस कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ा वह फूंक मारते हुए अपने नाखुनो पर लगी नेल पोलिश फूंक मारकर सुखा रही थी। नितिन को हालाँकि थोड़ा थोड़ा समझ आ रहा था पर वह बेचारा उन सब के बीच क्या ही बोले ?
“अवनि ये क्या कह रही हो तुम ? इस घर से ऐसे चली जाओगी तो क्या इज्जत रह जाएगी हमारी ?”,सीमा ने अवनि के पास आकर कहा


अवनि ने सीमा की तरफ देखा और कहा,”शादी के मंडप से उठकर आप सबकी इज्जत तो मैंने पहले ही मिटटी में मिला दी है चाची , अब आप इज्जत की परवाह क्यों कर रही है ? मेरा इस घर से चले जाना ही बेहतर होगा कम से कम आप और इस घर के लोग सर उठाकर इज्जत से जी तो सकेंगे”
अवनि ने कहा और वहा से सीढ़ियों की तरफ बढ़ गयी। किसी ने उसे नहीं रोका ना ही किसी में उसे रोकने की हिम्मत थी।  

मौर्या Pvt. Ltd कम्पनी , नवी मुंबई
जोसेफ से मीटिंग के बाद पृथ्वी ऑफिस चला आया। मीटिंग की वजह से वह आज भी ऑफिस लेट ही पहुंचा था। पृथ्वी अंदर आया तो सब उसे देखते ही रह गए बाकि दिनों के बजाय आज वह कुछ ज्यादा ही हेंडसम लग रहा था। पृथ्वी ने किसी पर ध्यान नहीं दिया और अपने केबिन में आया और अपना बैग अपनी डेस्क पर रखा और उसमे से एक फाइल निकालकर जैसे ही जाने लगा उसकी जूनियर कशिश ने कहा,”पृथ्वी सर”
पृथ्वी पलटा और कहा,”हाँ,,,,,,,,,!!”


“आज आप बहुत अच्छे लग रहे है,,,,,,,,!!”,कशिश ने पृथ्वी की तरफ देखते हुए कहा
“थैंक्यू,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने कहा और जैसे ही जाने लगा कशिश ने मायूसी भरे स्वर में कहा,”सिर्फ थैंक्यू ?”
पृथ्वी चलते चलते ठिठका और कशिश की तरफ देखकर कहा,”तो आप क्या चाहती है मिस , आज शाम डेट पर चले ?”
कशिश ने सुना तो अपनी कुर्सी से नीचे गिरते गिरते बची और कहा,”हाँ हाँ,,,,,,,,,क्या आप सच कह रहे है सर ?”
पृथ्वी कशिश की तरफ आया और उसकी बांह पर झूलती टॉप की डोरी को उठाकर कशिश के कंधे पर रखा और कहा,”बिल्कुल नहीं ! काम पर ध्यान दो,,,,!!”


कहकर पृथ्वी जाने के लिए बढ़ गया और कशिश अवाक् सी उसे देखने लगी। पृथ्वी को कुछ याद आया वह फिर रुका और पलटकर कहा,”और अपने कपड़ो पर भी,,,,,,,,,,!!”
पृथ्वी ने केबिन का दरवाजा खोला और फाइल घुमाते हुए बाहर निकल गया।
 कशिश के बगल में बैठी दूसरी जूनियर तान्या ने सुना तो दबी सी हंसी हंसने लगी और उसे देखकर अंकित और मनीष भी , कशिश ने सबको हँसते देखा तो रोआँसा होकर कहा,शट अप गाईज,,,,,,,!!”


“कशिश ! तुम्हारे एफर्ट सही है लेकिन गलत जगह गलत बन्दे पर ट्राय कर रही हो,,,,,,,,पृथ्वी ऐसी बातों पर फिसलने वाला लड़का नहीं है”,अंकित ने कहा जो पृथ्वी की की तरह बाकि तीनो का सीनियर था लेकिन सबके साथ फ्रेंडली था।
“लेकिन क्यों ? कोई इतना सख्त कैसे हो सकता है ?”,कशिश ने कहा


“अरे कशिश सर हमेशा से ही सख्त है , उन्हें आज तक अपने बॉस नहीं समझ पाए तुम क्या ही समझोगी ? काम पर ध्यान दो और हां अपने कपड़ो पर भी,,,,,,,!!”,तान्या ने कहा तो एक बार फिर सब हंस पड़े और कशिश ने मुंह बनाकर अपने टॉप को देखा तो उसे समझ आया कि पृथ्वी ने उसे ऐसा क्यों कहा ? अपने केबिन से निकलकर पृथ्वी जयदीप के केबिन में चला आया। जयदीप खिड़की के पास खड़ा प्लेट में ब्रेड के कुछ टुकड़े तोड़कर डाल रहा था। जिन पक्षियों को पृथ्वी ने पिंजरे से आजाद किया था जयदीप उनके लिए ब्रेड तोड़कर डाल रहा था ताकि वो आये और खा सके।


जयदीप पलटा और देखा पृथ्वी खड़ा है तो वह उसके पास आया और कहा,”अरे सर ! आपने ऑफिस आने की तकलीफ क्यों की ? मुझसे कहा होता मैंने ऑफिस लेकर आपके घर आ जाता वैसे भी आप इसे ऑफिस थोड़े समझते है ये तो आपके लिए पार्क है जहा जब मन किया चले आये,,,,,,,,,,टाइम देखा है तुमने ? पूरा डेढ़ घंटा लेट हो तुम , तुम्हारी वजह से कितनी इम्पोर्टेन्ट मीटिंग मैंने होल्ड पर रखी है क्योकि इस कम्पनी के महान इम्प्लॉय मिस्टर “पृथ्वी उपाध्याय” आएंगे तभी तो मीटिंग होगी,,,,,,,,,,,क्योकि कम्पनी के सारे डाटा तो उनके पास है”


पृथ्वी ख़ामोशी से जयदीप को देख रहा था और उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे ये देखकर तो जयदीप और चिढ गया और कहा,”अब बताओगे तुम आज फिर से लेट क्यों हो ?”
पृथ्वी ने कुछ नहीं कहा बस हाथ में पकड़ी फाइल जयदीप की तरफ बढ़ा दी। जयदीप ने फाइल ली और खोलकर जल्दी जल्दी उसके पन्ने पलटकर देखा और उसे देखने के बाद


सहसा ही उसके होंठो पर मुस्कराहट तैर गयी। उसने पृथ्वी की तरफ देखा और कहा,”क्या बात है ? बहुत बढ़िया , तो फाइनली तुमने जोसेफ से मिलकर ये डील पक्की कर ही ली,,मैं जानता ही था पृथ्वी की ये सिर्फ तुम ही कर सकते हो। तुम सच में कमाल हो,,,,,,टेल मी इसके बदले में मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ ?”
“कुछ ख़ास नहीं बस मेरी सैलरी बढ़ा दीजिये”,पृथ्वी ने अपनी गर्दन जयदीप की तरफ घुमाकर कहा
“बिल्कुल लेकिन उसके लिए,,,,,,,,,,,!!”,जयदीप ने इतना ही कहा कि पृथ्वी दरवाजे की तरफ बढ़ गया और कहा,”35 ही ठीक है”


पृथ्वी ने जयदीप की पूरी बात ही नहीं सुनी और जयदीप उसके जाने के बाद पीछे से बड़बड़ाया,”अह्ह्ह्ह अजीब लड़का है , मैं कह रहा था उसके लिए तुम्हे आज शाम मेरे साथ गणपति जी लेने मार्किट जाना होगा और रास्ते में हम तुम्हारी सेलेरी की बात भी कर लेंगे”

(घर छोड़ने का फैसला अवनि को लेकर जाएगा उसकी सही मंजिल पर या भटक जाएगी वो ? क्या कशिश या उसके आस पास की लड़किया जीत पायेगी पृथ्वी का दिल ? क्या जयदीप और पृथ्वी के बीच कभी बन पायेगा दोस्ती वाला रिश्ता ? जानने के लिए पढ़ते रहिये “पसंदीदा औरत”)

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संजना किरोड़ीवाल 

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