Pasandida Aurat – 14
Pasandida Aurat – 14

सिद्धार्थ का ऑफिस , सिरोही
सुबह के 5 बज रहे थे और अपने लेपटॉप के सामने बैठा सिद्धार्थ ऊंघ रहा था। रातभर से वह ऑफिस में ही था और काम कर रहा था। इस बात में कोई शक नहीं था कि सिद्धार्थ एक बहुत ही मेहनती और महत्वकांशी लड़का है जिसके सपने बड़े है और बस इसलिए वह बॉस के कहने पर आधी रात में ऑफिस भी आया और सुबह होते बॉस का दिया प्रोजेक्ट भी कम्प्लीट कर दिया। नाईट शिफ्ट वाला स्टाफ एक एक करके जाने लगा। ऑफिस बॉय सिद्धार्थ के लिए कॉफी ले आया और उसकी टेबल पर रखकर कहा,”गुड मॉर्निंग सिद्धार्थ सर”
“गुड मॉर्निंग”,सिद्धार्थ ने कॉफी लेकर टेबल पर रखते हुए कहा
“सर मानना पडेगा इस पुरे ऑफिस में आप जैसा कोई नहीं अरे 10 घण्टे की जॉब में भी आप यहाँ 14-14 घंटे काम करते है और कभी कभी तो पूरी रात , आप सच में कमाल है सर”,ऑफिस बॉय ने सिद्धार्थ की तारीफ करते हुए कहा
सिद्धार्थ ने आँखों पर लगा चश्मा हटाया और टेबल पर रखकर कॉफी का कप होंठो से लगाकर एक घूंठ भरा और कहा,”मैं इस ऑफिस में मैनेजर हूँ एम्प्लॉय नहीं कम्पनी में अपनी इस पोजीशन को बनाये रखने के लिए मुझे इतनी मेहनत तो करनी ही पड़ेगी ना”,सिद्धार्थ ने कहा
“बिलकुल ठीक कहा सर,,,,,,,,आपके लिए कुछ और लेकर आउ ?”,ऑफिस बॉय ने कहा
“अह्ह्ह्ह नहीं ! मैं बस घर के लिए निकल ही रहा हूँ”,सिद्धार्थ ने कहा
तभी ऑफिस का दरवाजा खोलकर सिद्धार्थ की जूनियर वहा आयी। उसे सुबह सुबह ऑफिस में देखकर सिद्धार्थ ने हैरानी से कहा,”ये दीपाली सुबह सुबह यहाँ क्या कर रही है इसकी शिफ्ट तो दोपहर बाद है ना”
“अरे सर आपको नहीं पता क्या प्रमोशन के लिए सुबह सुबह ऑफिस आना पड़ता है”,ऑफिस बॉय ने अपनी बांयी आँख दबाकर धीमे स्वर में कहा
“हम्म्म ठीक है तुम जाओ”,सिद्धार्थ ने कहा वह लगभग अपनी कॉफी खत्म कर चुका था।
ऑफिस बॉय गुनगुनाते हुए वहा से चला गया। सिद्धार्थ ने कॉफी खत्म की , अपना सामान समेटा और जैसे ही जाने लगा दीपाली ने उसकी टेबल के पास आकर कहा,”गुड मॉर्निंग सर”
“गुड मॉर्निंग,,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने दीपाली की तरफ देखे बिना कहा और वहा से चला गया। दीपाली भी अपनी टेबल की तरफ बढ़ गयी और लेपटॉप खोलकर काम करने लगी। ऑफिस बॉय ने सिद्धार्थ से जो कहा वो कितना सच था ये तो बस दीपाली और ऑफिस का बॉस ही जानता था।
ऑफिस से बाहर आकर सिद्धार्थ ने अपना सामान गाडी में रखा और वहा से निकल गया। सुबह सुबह गाडी चलाना सिद्धार्थ को बहुत ही अखर रहा था पर उसकी मज़बूरी थी ऑफिस घर से 10 किलोमीटर दूर था और वहा तक उसे गाडी चलानी ही थी। गाडी ट्रेफिक में आकर रुकी , सिद्धार्थ ट्रेफिक के क्लियर होने का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद गाडी आगे बढी सिद्धार्थ के बगल में एक अधेड़ उम्र का आदमी अपनी स्कूटी पर था जो कि धीमी गति से अपनी स्कूटी चला रहा था ये देखकर सिद्धार्थ को झुंझलाहट होने लगी।
कुछ देर बाद आदमी की स्कूटी सिद्धार्थ की गाडी से ज़रा सी टकरा गयी , उसने गाडी का शीशा नीचे किया और गुस्से से आदमी पर चिल्लाया,”अबे अंधा है क्या ? इतनी बड़ी गाडी दिखाई नहीं दे रही”
आदमी ने सिद्धार्थ को देखा और कहा,”तुम भी तो थोड़ा सम्हलकर चला सकते हो ना बेटा , देख रहे हो ना आगे कितना ट्रेफिक है”
ये सुनकर सिद्धार्थ का गुस्सा बढ़ गया और उसने कहा,”तो तेरे को ज्यादा जल्दी है जाने की ? एक तो ये बड़ी रोड़ पर ये स्कूटी लेकर आ घुसे हो ऊपर से मुझे ही
ज्ञान दे रहे हो , अब ले ले इसे आगे”
सिद्धार्थ को बदतमीजी करते देखकर आदमी ने कुछ कहा नहीं लेकिन उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि उसे अंदर ही अंदर गुस्सा तो बहुत आ रहा था। आदमी ने स्कूटी आगे बढ़ाई और वहा से निकल गया।
सिद्धार्थ ने भी गाडी आगे बढ़ा दी , सिद्धार्थ में यू तो कई खूबियां थी लेकिन साथ ही कुछ कमिया ऐसी भी थी जो उसकी हर खूबी पर पानी फेरने के लिए काफी थी। इन्ही में एक कमी थी उसका बेसब्र होना , सिद्धार्थ में सहनशक्ति और सब्र बहुत कम था और यही वजह थी कि उसे छोटी छोटी बातो पर भी बहुत ज्यादा गुस्सा आता था।
सिद्धार्थ घर पहुंचा , गाड़ी साइड में लगाई और अंदर चला आया। गिरिजा ने उसे देखा तो उसके लिए चाय चढ़ा दी और सिद्धार्थ अपने कमरे में जाकर सीधा नहाने चला गया। नहाकर उसने कपडे पहने और तैयार होकर बाहर चला आया। रुद्राभिषेक में आये सभी मेहमान जा चुके थे बस वही सिरोही में रहने वाली उसकी भुआ को जगदीश जी ने रोक लिया था। भुआ जी जगदीश जी के साथ हॉल में बैठी थी। सिद्धार्थ भी आकर खाली पड़े सोफे पर बैठ गया और अपना फोन स्क्रॉल करने लगा।
सिद्धार्थ की कुछ आदतें जगदीश जी को भी पसंद नहीं थी इसलिए सिद्धार्थ को वहा बैठे फ़ोन चलाते देखकर उन्होंने कहा,”सिद्धार्थ ! बेटा फोन बाद में चला लेना सब बैठे है अच्छा लगता है क्या ?”
“अब मैं आप लोगो की बातो में क्या इंट्रेस्ट दिखाऊ ? मेरे मतलब की तो यहाँ कोई बात नहीं हो रही”,सिद्धार्थ ने कहा
“अरे तू कहे तो तेरे मतलब की बात कर लेते है,,,,,,देख बेटा कुछ भी बोल पर तेरी ये नौकरी ना मुझे थोड़ी अजीब लगी , मतलब ऐसी क्या नौकरी हुई जिसमे पूरी रात घर से बाहर रहो और सुबह घर आओ। ना खाने की सुध ना सोने की और देख इसी वजह से वजन भी बढ़ने लगा है तेरा”,भुआजी ने कहा
गिरिजा तब तक चाय ले आयी , उन्होंने भुआजी की बात सुनी और सिद्धार्थ की तरफ देखा ,
सिद्धार्थ को खामोश देखकर गिरिजा समझ गयी कि उसे ये अच्छा नहीं लग रहा तो वह वही सिद्धार्थ के बगल में आ बैठी और चाय का कप भुआजी की तरफ बढाकर कहा,”बाहर देशो की नौकरी ऐसी ही होती है दीदी , और सिद्धार्थ कौनसा ये नौकरी जिंदगीभर करने वाला है। शादी के बाद तो ये वैसे भी अपना खुद का कुछ काम शुरू करेगा”
“वो तो ठीक है गिरिजा लेकिन अभी से स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देगा तो आगे जाकर परेशानी होगी”,भुआ जी ने कहा
“भुआ जी ! मेरी जितनी उम्र है उस हिसाब से बहुत सही हूँ मैं जब आपकी उम्र में आऊंगा तब सोचूंगा इस बारे में,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए सिद्धार्थ उठा और अपनी चाय लेकर अपने कमरे में चला गया।
चाय पीकर सिद्धार्थ बिस्तर पर आ लेटा और कुछ देर बाद ही नींद के आगोश में चला गया। दोपहर होते होते सिद्धार्थ उठा और कमरे से बाहर चला आया। मुंह धोया और हॉल में आ बैठा। गिरिजा ने उसके लिए खाना लगा दिया और सिद्धार्थ अपना फोन स्क्रॉल करते करते खाना खाने लगा। सिद्धार्थ के दोस्तो ने बाहर मिलने को कहा सिद्धार्थ उन्हें हाँ कहने ही वाला था कि जगदीश जी ने आकर कहा,”सिद्धार्थ खाना खाकर दीदी को उनके घर छोड़ आना और हाँ तुम्हारी मम्मी को D-Mart जाना है घर का सामान लेने तो उसे भी साथ ले जाना”
सिद्धार्थ हाँ लिखते लिखते रह गया , वह भुआजी को छोड़ने जाना तो नहीं चाहता था लेकिन जगदीश जी की बात भी नहीं टाल सकता था इसलिए हामी में सर हिला दिया। खाना खाकर सिद्धार्थ अपनी मम्मी और भुआजी को साथ लेकर वहा से निकल गया।
आनन्दा निलय अपार्टमेंट , मुंबई
रात में बारिश में भीगने की वजह से सुबह पृथ्वी का छींको से बुरा हाल था। पृथ्वी को भीगने की वजह से जुखाम हो गया था और हल्का बुखार भी था। वह उठा अपना फोन लिया और छींकते हुए फ्लेट से बाहर निकला गया। अपने घर आया और बेल बजा दी। दरवाजा रवि जी ने खोला और पृथ्वी को देखकर कहा,”हाँ भई बॉडीबिल्डर ! कल रात खाना खाने घर क्यों नहीं आये ?”
“दोस्तो के साथ बाहर,,,,,,,,,आह्ह्ह्हहची बाहर गया था तो वहा खा लिया”,पृथ्वी ने कहा और बात पूरी होने से पहले ही छींक दिया
“तुम्हारी तबियत तो ठीक है , लगता है कल रात तुम फिर बारिश में भीगे हो,,,,,,,,,तुम्हारी आई को पता चला तो फिर तुम्हे पता है ना,,,,,,,,!!”, रवि जी ने पृथ्वी के साथ अंदर आते हुए कहा
“क्या पता नहीं चलना चाहिए मुझे ?”,किचन से आती लता ने कहा
“अह्ह्ह्ह कुछ नहीं आई बाबा ऐसे ही मजाक कर रहे है,,,,,,,,मैं नहाने जा रहा हूँ क्यों आप मेरा शर्ट प्रेस कर देंगी प्लीज , आज मेरी मीटिंग , आह्ह्ह्हहची मीटिंग है”,पृथ्वी ने कहा और फिर छींक दिया
लता ने देखा तो उसके पास आयी और उसका ललाट छूकर देखा जो कि हल्का गर्म था , उन्होंने चिन्ताभरे स्वर में कहा,”तुम्हे तो बुखार है”
“बुखार नहीं है आई , वो मैं थोड़ा हॉट हूँ ना बस इसलिए,,,,,,,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने अपने बालों में से उंगलिया घुमाकर कहा
लता ने उसकी बांह पर मारा और कहा,”बेशर्म ! अपनी आई के सामने ऐसी बाते करता है,,,,,,शर्म नहीं आती”
“मजाक कर रहा हूँ , अच्छा आप मेरा शर्ट प्रेस कर दीजिये प्लीज , फिर आज शाम ऑफिस से आने के बाद मैं पक्का आपको पाव भाजी बनाकर खिलाऊंगा”,पृथ्वी ने अपने कमरे की तरफ जाते हुए कहा
लता ने उसका शर्ट प्रेस किया और फिर उसके लिए नाश्ता बनाने किचन में चली आयी। उन्होंने पराठे और चाय बनाई और साथ में पृथ्वी का टिफिन भी पैक कर दिया। पृथ्वी तैयार होकर आया। आज उसने लाइट क्रीम पेंट पर गहरे भूरे रंग का शर्ट पहना था जिसमें वह कुछ ज्यादा ही हेंडसम लग रहा था। पृथ्वी डायनिंग टेबल पर आकर बैठा तब तक रवि जी नाश्ता करके वहा से जा चुके थे और लक्षित भी अपने कॉलेज के लिए निकल गया था।
लता ने पृथ्वी के लिए नाश्ता उसके सामने रखा और उसका टिफिन लाकर बैग में रखते हुए कहा,”लंच याद से खा लेना और मैंने ये दवा भी रखी खाना मत भूलना”
“आई ! मैं अब बड़ा हो गया हूँ आप कब तक ऐसे मेरा ख्याल रखेंगी”,पृथ्वी ने खाते हुए कहा
लता आकर पृथ्वी के सामने बैठी और प्यार से कहा,”जब तक तेरा ख्याल रखने वाली कोई इस घर में नहीं आ जाती उसके बाद मैं रिटायरमेंट ले लुंगी”
पृथ्वी ने सूना तो हसने लगा और एक निवाला तोड़कर लता को खिलाते हुए कहा,”कोई आये ना आये लेकिन मैं आपका ख्याल हमेशा रखूंगा”
पृथ्वी के हाथ से निवाला खाकर लता ना जाने क्यों भावुक हो गयी और कहा,”मैं तो चाहती कोई मुझसे भी ज्यादा तेरा ख्याल रखने वाली तेरी जिंदगी में आये”
“उसको जब आना होगा आएगी , अभी मैं निकलता हूँ वरना मेरी ट्रेन निकल जाएगी , बाय शाम में मिलता हूँ”,कहते हुए पृथ्वी ने प्लेट में रखा आधे पराठे का रोल बनाया और खाते हुए अपना बैग उठाकर वहा से निकल गया।
लता ने टेबल से बर्तन समेटे और किचन की तरफ बढ़ गयी।
स्टेशन पहुँचते पहुँचते पृथ्वी पराठा खत्म कर चुका था। उसने देखा ट्रेन चल पड़ी है तो भागते हुए उसने ट्रेन पकड़ी और अंदर चला आया हमेशा की तरह सीट उसकी किस्मत में नहीं थी। ऑफिस के बजाय पृथ्वी सीधा जोसेफ से मिलने एक रेस्टोरेंट चला आया जहा उसने पृथ्वी के साथ मीटिंग रखी थी। गनीमत था पृथ्वी जोसेफ से पहले पहुँच गया। पृथ्वी ने खुद को व्यवस्तिथ किया और जोसेफ का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद जोसेफ वहा अपनी सेकेरेट्री के साथ आया और पृथ्वी से मिला।
पृथ्वी अपनी जगह से उठा और बहुत ही गर्मजोशी से जोसेफ से हाथ मिलाया और सबसे पहले उस से बीते दिनों के व्यवहार के लिए माफ़ी मांगी ! पृथ्वी का पॉजिटिव ऐटिटूड और सभ्य बर्ताव देखकर जोसेफ ने उसे माफ़ कर दिया और पृथ्वी के सामने आ बैठा।
पृथ्वी ने तीनो के लिए कॉफी आर्डर की और फिर जोसेफ जयदीप के नए प्रोजेक्ट के बारे में समझाने लगा। 30 मिनिट की इस मीटिंग में जोसेफ पृथ्वी से काफी इम्प्रेस हुआ और प्रोजेक्ट साइन करके फाइल उसकी तरफ बढ़ा दी। जोसेफ ने पृथ्वी को देखा और कहा,”अह्ह्ह मिस्टर पृथ्वी उ,,,,,,,,,,,,!!”
जोसेफ पृथ्वी का नाम लेते लेते अटका तो पृथ्वी ने उसे पूरा करते हुए कहा,”पृथ्वी उपाध्याय सर”
“हाँ मिस्टर पृथ्वी उपाध्याय , मुझे आपका प्रोजेक्ट बहुत पसंद आया एंड जयदीप से कहना ये डील पक्की है। प्रोफेशन के साथ साथ आप मुझे पर्सनली भी बहुत ज्यादा पसंद आये। आपकी कॉमनेस , आपका पॉजिटिव ऐटिटूड , आपकी वाइब , आपके बात करने का तरिका , आफ्टरऑल आपका ड्रेसिंग सेन्स भी मुझे बहुत अच्छा लगा। मेरे पास आपके लिए एक ऑफर है मिस्टर पृथ्वी”,जोसेफ ने कहा
“थैंक्यू फॉर कॉम्प्लिमेंट्स सर , आप किस ऑफर की बात कर रहे है ?”,पृथ्वी ने सहजता से पूछा
“मैं चाहता हूँ आप मेरी कम्पनी ज्वाइन कर ले , जयदीप से ज्यादा सैलरी और फैसिलिटी आपको मैं प्रोवाइड करूंगा। आप जैसे होनहार स्टाफ की हमारी कम्पनी में बहुत जरूरत है। जयदीप आपको कितना पे करता होगा , 30 हजार – 40 हजार , मैं आपको 70 थाउसंड पर मंथ पे करूंगा इसके साथ ही कम्पनी की तरफ से एक पर्सनल गाडी भी,,,,,,,,,क्या ख्याल है ?”,जोसेफ ने एक बहुत ही शानदार ऑफर पृथ्वी के सामने रखा
पृथ्वी हल्का सा मुस्कुराया और कहा,”थैंक्यू सर ! लेकिन मैं आपका ये ऑफर एक्सेप्ट नहीं कर सकता , जो हुनर मैंने अपने बॉस से सीखा है उसे मैं उनके खिलाफ इस्तेमाल नहीं कर सकता,,,,,,,,,आई होप यू अंडरस्टैंड”
जोसेफ ने सुना तो हैरानी से पृथ्वी को देखने लगा। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि पृथ्वी ने इतना अच्छा ऑफर एक झटके में ठुकरा दिया है उसकी जगह कोई और होता तो तुरंत हाँ कह देता।
जोसेफ ने पृथ्वी की तरफ देखा और कहा,”I think तुम्हे एक बार और सोच लेना चाहिए”
“मैं अपने फैसलों को लेकर बहुत क्लियर हूँ सर मुझे दो बार सोचने की जरूरत नहीं पड़ती , मैं अब चलता हूँ thankyou for this deal,,Have a good day sir”,पृथ्वी ने कहा और जैसे ही जाने लगा उसने देखा जोसेफ अभी भी किसी उलझन में है तो उसने कहा,”मैं आपके लिए एक कॉफी और आर्डर कर देता है”
कहकर पृथ्वी ने पलटकर वेटर से कहा,”hey ! one hot coffee for sir and one cold coffee for her because she looks so hot today.
पृथ्वी ने जोसेफ की सेकेरेट्री को एक बहुत ही बोल्ड कॉम्प्लिमेंट दिया और वहा से चला गया। पृथ्वी ने तो पलटकर नहीं देखा लेकिन लड़की तब तक उसे जाते हुए देखती रही जब तक वह आँखों से ओझल नहीं हो गया।
सुख विलास , सेक्टर 14 , उदयपुर
सुबह सुबह अवनि अपने कमरे में सो रही थी , रातभर जागने के बाद बहुत मुश्किल से उसे नींद आयी थी और उस पर भी नितिन ने आकर उसे जगा दिया। अवनि उठी और दरवाजा खोला तो नितिन ने कहा,”अवनि दीदी ! ताऊजी ने आपको अपने कमरे में बुलाया है”
अवनि ने जब सुना कि उसके पापा ने उसे बुलाया है तो वह मुस्कुरा उठी। आज पुरे एक हफ्ते बाद विश्वास जी ने उसे खुद बात करने के लिए बुलाया था।
“तू चल मैं आती हूँ”,अवनि ने ख़ुशी भरे स्वर में कहा और कमरे के अंदर चली आयी। उसने बिस्तर पर पड़ा अपना दुपट्टा उठाया और गले में डाल लिया। बाल खुले थे लेकिन इतना वक्त किसके पास था कि उन्हें बाँध ले उसने बालों को इकट्ठा किया और समेटकर नीचे चली आयी। अवनि ख़ुशी से जल्दी जल्दी चलकर विश्वास जी के कमरे में आयी। विश्वास जी दिवार पर लगी अपनी पत्नी की बड़ी सी तस्वीर की तरफ मुंह करके खड़े थे।
जैसे ही अवनि कमरे में आयी उसकी परछाई तस्वीर पर दिखी और अगले ही पल अवनि ने काँपती आवाज में कहा,”पापा ! पापा आपने मुझे बुलाया , वो नितिन ने मुझसे जाकर कहा कि आप मुझे बुला रहे है,,,,,,,,,!!”
विश्वास जी पलटे और कहा,”हाँ मैंने ही तुम्हे बुलाया था”
अवनि ख़ामोशी से विश्वास जी की तरफ देखने लगी और उनके आगे बोलने का इंतजार करने लगी।
विश्वास जी ने अवनि की तरफ देखा और कहा,”अवनि जो कुछ भी उसके बारे में मैंने कल रात बहुत सोचा और फैसला किया कि मुझे तुम्हे माफ़ कर देना चाहिए ,, जो हुआ उसे भूलकर तुम्हे भी अपनी जिंदगी में अब आगे बढ़ना चाहिए।”
अवनि ने सुना तो उसकी आँखों में ख़ुशी के आँसू झिलमिलाने लगे , यही तो वह चाहती थी विश्वास जी की माफ़ी और इतने दिनों बाद उसे वह मिल गयी। अवनि बहुत कुछ कहना चाहती थी लेकिन उसका गला रुंध गया वह कुछ बोल नहीं पायी।
अवनि को खामोश पाकर विश्वास जी अपनी आराम कुर्सी पर आ बैठे और कहा,”आज शाम नीलेश और उसके घरवाले तुम से मिलने आ रहे है , मैंने तुम्हारा रिश्ता नीलेश से तय कर दिया है”
अवनि ने जैसे ही सुना उस पर जैसे कोई पहाड़ गिरा , उसने हैरानी से विश्वास जी की तरफ देखा और कहा,”ये आप क्या कह रहे है पापा ? आप मुझे खड्डे से निकालकर कुए में फेंकने की बात कर रहे है”
“अवनि मैं इस बारे में तुम्हारी कोई दलील नहीं चाहता , अगर तुम्हे इस घर से और इस घर में रहने वाले लोगो से रिश्ता रखना है तो तुम्हे नीलेश से शादी करनी ही होगी वरना,,,,,,,,,,,,!!”,विश्वास जी कहते कहते रुक गए
“वरना तुम अपने रहने का इंतजाम कही और कर लो”,विश्वास जी ने कहा और आराम कुर्सी से उठकर बाहर चले गए
क्या अवनि करेगी नीलेश से शादी या चुनेगी दुसरा रास्ता ? आखिर क्या है सिद्धार्थ की पर्सनालिटी अच्छी या बुरी या फिर सायको ? क्या जोसेफ का ऑफर ठुकरा कर पछतायेगा पृथ्वी ? जानने के लिए पढ़ते रहे “पसंदीदा औरत”
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संजना किरोड़ीवाल
Bahot bura hua bechari avni k sath so sad