पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 8

Pakizah – 8

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 8

रूद्र के हाथ में पन्नो में सिमटा पाकीजा की जिंदगी का सच था l वो सच जिसे जानने के लिए रूद्र के साथ साथ सारे पाठक भी बेसब्र थे l रूद्र स्टडी टेबल के पास पड़ी कुर्सी पर आकर बैठा और डायरीनुमा उस किताब को टेबल पर रखा l धड़कते दिल से उसने किताब को खोला l पहले पन्ने को देखते ही आँखे जैसे वही जम गयी l पन्ने पर लिखे अक्षर मोतियों से सुन्दर लग रहे थे , एक एक शब्द को इतना जमाकर लिखा गया था l

यहाँ से शुरू होती है पाकीजा की कहानी -:

उत्तर-प्रदेश , जौनपुर जिले में बना एक छोटा सा गाँव

16 साल की पाकीजा अपने घर की छत पर अपनी बहन सलमा ओर नजमा के साथ धमाचौकड़ी मचा रही है l पुराने से उस घर की जर्जर पड़ी छत जिसपर ढंग से लिपाई पुताई भी ठीक से नही की हुई थी l पाकीजा की अम्मी शबनम नीचे आंगन में बैठी चूल्हे में आग जलाने में व्यस्त थी l

धुंए से उसकी आंखें जलने लगी l लेकिन वह लगातार उसमे आग जलाने की कोशिश करती रही l
“क्या करती है ? धुंआ ही धुंआ कर रखा है”,नाजिर जो कि शबनम का पति और पाकीजा का अब्बू था ने झुंझलाकर कहा
“तो क्या करूँ लकड़ियां गीली है जलने का नाम ही नही रही है ,, केरोसिन भी खत्म हो गया l

तुम जाकर देखो ना राशन की दुकान खुली के नही खुली”,शबनम ने बिना नाजिर की तरफ देखे चूल्हे में आग जलाने की कोशिश करते हुए कहा l
नाजिर उठा और बड़बड़ाता हुआ वहां से उठकर कुछ दूर पड़ी चारपाई पर जाकर लेट गया l


शबनम ने देखा तो गुस्साई ओर छत की तरफ चेहरा करके कहा – पाकीजा दोपहर हो चुकी है नीचे आ ओर बहनों को भी नीचे ले आ !
पाकीजा सलमा ओर नजमा के साथ नीचे चली आयी l तीन बहनों में पाकीजा सबसे बड़ी थी उसके बाद 13 साल की नजमा ओर 10 साल की सलमा थी l


“जी अम्मी , आपको काम था मुझसे कुछ”,पाकीजा ने शबनम के साथ आकर कहा l
“इतनी बड़ी हो गयी हो अभी भी क्या खेलने की उम्र है तुम्हारी ? ये कुछ पैसे लो ओर जाकर राशन की दुकान से सामान ले आओ l”,शबनम ने कुछ मुड़े टुडे नोट पाकीजा की तरफ बढ़ाकर कहा
“अम्मी हम भी जाएंगे”,छोटी सलमा ने कहा l


“तुम यही रुको दीदी के साथ हम जाएंगे “,नजमा ने सलमा को साइड में कड़ते हुए कहा
“झगड़ो मत तुम दोनों ही चलो , आते हुए नुकड़ पर बर्फ का गोला खाएंगे”,पाकीजा ने होंठो पर जीभ फिराते हुए कहा l
गोले का नाम सुनते ही दोनो बहने मारे खुशी के उछलने लगी l


“अच्छा ये लो कुछ रुपये ओर , बहनो को ध्यान से ले जाना और ज्यादा वक्त मत लगाना”,शबनम ने कहा
पाकीजा ने दीवार पर खूंटी से लगा थैला उठाया और दोनो बहनो को साथ लेकर राशन लेने चली गयी l l

पाकीजा थी तो सबसे बड़ी पर बचपना उसमे सबसे ज्यादा था l जितनी शैतानियां करती उतनी ही समझदार भी थी और होती भी क्यों ना बचपन से घर मे गरीबी और दरिद्रता जो देखते आई थी l दुकान बहुत दूर थी कच्चे रस्ते से चलते हुए पक्की सड़क के उस पार पर थी l पाकीजा दोनो बहनों का हाथ पकड़े चली जा रही थी l उस रास्ते पर रिक्शा भी चलते थे पर पाकीजा के पास इतना पैसा नही था कि बहनो को रिक्शा में लेकर जॉए


तीनो आगे बढ़ ही रही थी कि तभी उधर से एक रिक्शा गुजरा जिसे देखते ही सलमा ने कहा – दीदी हम लोग रिक्शा में क्यों नही बैठते कभी ?
“छुटकी ये रिक्शा विक्शा ना सब बेकार की चीजें है , पैदल चलना कितना मजेभरा है , हम कैसे भी कूद सकते है , चल सकते है , पल में भाग सकते है , पल में रुक सकते है l रिक्शा में ये सब थोड़े कर सकते है”,पाकीजा ने सलमा को समझाते हुए कहा


“अरे हा ये तो मैंने सोचा ही नही कभी”,सलमा ने सोचते हुए कहा
“क्योंकि तुम सबसे छोटी हो ना तो अभी तुम्हारा दिमाग भी छोटा ही है”,नजमा ने सलमा के सर पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा
“तो हमारा दिमाग बड़ा कब होगा ?”,सलमा ने मासूमियत से कहा


“जब तुम बड़ी हो जाओगी”,पाकीजा ने कहा
“ओर हम बड़े कब होंगे ?”,सलमा ने फिर से सवाल किया
“तुम न बड़े सवाल करती हो , जल्दी चलो वरना देर होने पर अम्मी चिल्लाएगी”,पाकीजा ने सलमा का हाथ पकड़कर तेजी से आगे बढ़ते हुए कहा l


तीनो राशन की दुकान पर पहुंचे l मोहल्ले का लड़का उस्मान पहले से वहां बैठा था l पाकीजा को उस्मान फूटी आंख नही सुहाता था पर उस्मान तो पाकीजा पर दिलो जान से फिदा था l
“भैया ये सामान जल्दी दे दो “,पाकीजा ने दुकानदार से कहा
दुकानदार पाकीजा के बताए सामान को तोलकर थैले में भरने लगा l

उस्मान ने पास रखे डिब्बे से चॉकलेट निकाली और सलमा की तरफ बढा दी l सलमा क्या जाने पाकीजा ओर उस्मान के बीच का झगड़ा उसने उस्मान से चौकलेट ले ली l पाकीजा ने जब देखा तो सलमा के हाथ से छीनकर चॉकलेट सड़क पर फेंक दी और सामान का थैला लेकर वहां से आगे बढ़ गयी l


उस्मान पीछे पीछे आया और कहा – पाकीजा इतना भाव खाना अच्छा नही है l
“देख उस्मान मैं तेरे से पहले भी बहुत बार के चुकी हूं मेरा पीछा नही कर”,पाकीजा ने उस्मान को उंगली दिखाकर गुस्से से कहा
“तो क्या तू खुद को कही की राजकुमारी समझती है”,उस्मान ने कहा l


“मैं खुद को कुछ भी समझू तू मेरे ना ही देख”,पाकीजा ने इतरा कर कहा
“हाहाहाहा इतना घमंड अच्छा नही है पाकीजा , आना तो तुझे एक दिन मेरे घर ही है , मेरी जोरू बनके”,उस्मान ने पाकीजा घूरकर देखते हुए कहा
“हट ! मैं ओर तेरे घर , सपने में भी ना सोच लेना कभी”,पाकीजा ने आंखे तरेरते हुए कहा


“तो क्या कोई राजकुमार आएगा तेरे लिए”,कटाक्ष करते हुए कहता है
“हमारी दीदी के लिए तो तुमसे भी सुंदर और गाड़ी वाला दूल्हा आएगा”,इस बार छोटी सलमा ने कहा l

कही पाकीजा को कोई इस तरह रास्ते मे खड़ा देख न ले ये सोचकर पाकीजा ने सलमा ओर नजमा को वहाँ से चलने को कहा l उस्मान ने रोकना चाहा तो पाकीजा ने घर पर बोल देने की धमकी देकर उस्मान को वही रोक दिया और आगे बढ़ गयी l
“देखता हूं कैसे करती है तू शादी ?”,कहकर उस्मान वहां से चला गया l

नुकड़ पर आकर पाकीजा ने तीनों के लिए बर्फ का गोला खरीदा l तीनो मजे से खाने लगी कि सलमा का गोला हाथ से छूटकर नीचे गिर गया सलमा रूआंसी होकर नजमा ओर पाकीजा की तरफ देखने लगी नजमा उसे चिढ़ा चिढ़ा कर खाने लगी पाकीजा ने अपना गोला सलमा की तरफ बढ़ा दिया l जेब मे हाथ डाला तो ओर पैसे नही थे l उसने नजमा ओर सलमा से खाने को कहा l

मन तो उसका भी बहुत था खाने का लेकिन पैसे नही थे तो मन को समझा लिया l ये संस्कार उसे बचपन से ही अपनी अम्मी से मिला था l गोला खाकर तीनो घर की तरफ जाने लगी l रास्ते मे गली के बच्चे कांच की गोलियां खेल रहे थे l पाकीजा ने देखा तो खुद को रोक नही पायी उसने थैला नजमा को दिया और खुद वहाँ खेल रहे बच्चों के साथ कंचे खेलने लगी l सलमा ओर नजमा भी थैला छोड़कर वहां आकर खड़ी हो गयी l

काफी देर हो गयी बच्चियां जब घर नही लोटी तो शबनम खुद उठकर उन्हें देखने बाहर गली में आई जब उसने पाकीजा को बच्चों के साथ खेलते देखा तो उसने पास पड़ी नीम की छड़ी उठायी ओर पाकीजा की तरफ लपकी l शबनम को आते देखकर सारे बच्चे इधर उधर भाग गए l शबनम ने छड़ी की मार पाकीजा को लगाई और उसे डांटने लगी l पाकीजा ने आंव देखा ना तांव सर पर पैर रखकर वहां से भागी l


शबनम ने थैला उठाया और घर आ गयी l
घर आकर उसने सबके लिए खाना बनाया l पहले नाजिर को परोसा ओर फिर बाकी बचा सलमा , नजमा ओर पाकीजा के साथ मिलकर खाया l नाजिर दिहाड़ी मजदूर था कोई काम तो बाहर चला जाता वरना सारा दिन घर मे पड़ा रहता l


बहुत तंगहाली में सबका गुजर बसर हो रहा था लेकिन पाकीजा को कोई फर्क नही पड़ता वह हमेशा खुश रहती मुस्कुराहट उसके होंठो से कभी गायब नही होती और उसकी यही मुस्कुराहट उसकी अम्मी को भी हिम्मत देती संघर्ष करने का l दिन गुजरते गए गुजरते दिनों के साथ साथ पाकीजा ओर भी खूबसूरत होने लगी गांव के लड़के उसे देखकर आहे भरते लेकिन पाकीजा किसी की तरफ देखती तक नही l


एक शाम जब पाकीजा बाहर से घूमकर घर आई तो अंदर आते ही ठिठक गयी l आंगन में अब्बू के पास दो लोग ओर बैठे थे l पाकीजा नजर झुकाए भीतर चली गई l अंदर जाने पर शबनम ने उसे बताया कि बाहर बैठा लड़का उस से निकाह करना चाहता है l पाकीजा ने जब सुना तो शर्म के मारे उसके गाल लाल हो गए वह खिड़की से झांककर लड़के का चेहरा देखने की कोशिश करने लगी लेकिन लड़का उसकी तरफ पीठ किये हुए था l


“दीदी क्या अब आप हमारे साथ नही रहोगी ?”,सलमा ने मासूमियत से पूछा l
पाकीजा ने कुछ नही कहा बस मुसकुराती हुई कभी दोनो बहनो को देखती तो कभी खिड़की से बाहर आंगन में बैठे उस लड़के को l

नाजिर को रिश्ता पसन्द आया l लड़के के मा बाप नही थे मुम्बई में रह कर नोकरी करता था साथ आया आदमी उसका मामा था बहुत से लोगो के बीच शादी न करके घर के लोगो के बीच ही निकाह कर पाकीजा को अपने साथ मुम्बई ले जाना चाहता था l पाकीजा ने मुम्बई के बारे में बहुत सुना था वहां बड़ी बड़ी बिल्डिंग है , चौड़ी लंबी सड़के जिनपर गाड़िया दौड़ती है l पाकीजा तो सोचसोचकर ही खुशी से फूली नही समा रही थी l
निकाह का दिन तय हो गया l

एक महीने बाद लड़का जिसका नाम युवान था अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ पाकीजा के घर आया l पाकीजा का युवान के साथ निकाह हुआ और फिर सबको अलविदा कहकर वह अपने राजकुमार के साथ निकल गयी अपनी नई दुनिया की सैर करने l युवान ओर पाकीजा एक गाड़ी में थे l बाकी सारे रिश्तेदार दूरी गाड़ी में जौनपुर तक तो दोनो गाड़िया साथ थी फिर अलग अलग रास्तो पर चली गयी


“वे लोग कहा जा रहे है”,पाकीजा ने युवान से पूछा
“वे सब बाद में आएंगे , अभी हम मुंम्बई जा रहे है अपने घर मे “,युवान ने कहा
पाकीजा बहुत खुश थी कि उसे युवान जैसा प्यारा पति मिला है l लेकिन कुछ उदास भी थी सलमा ओर नजमा के बारे में सोचकर लेकिन अगले ही पल उसने मन ही मन खुद से कहा ,”मुम्बई जाकर वहां अच्छे से घर जमाने के बाद मैं कुछ दिन के लिए वापस जौनपुर चली आजाउंगी ओर सलमा ओर नजमा के लिए ढेर सारे तोहफे ,

कपड़े , मिठाईयां भी लेकर आजाउंगी ओर सबसे पहले सलमा को युवान जी से कहकर इस बड़ी सी गाड़ी में पूरे जौनपुर का चक्कर लगवाऊंगी l हुंह वो रिक्शा तो इस गाड़ी के सामने कुछ भी नही लगेगा l कितना खुश हो जाएगी सलमा “
ख्यालो में खोई पाकीजा को नींद आने लगी उसने अपना सर युवान के कांधे पर टिका दिया और मीठे सपनो में खो गयी l l

एक लंबा सफर तय करके पाकीजा अपने नए शहर मुम्बई पहुची l मुम्बई की चकाचोंध देखकर उसकी आंखें चुंधिया गयी l आज से पहले उसने ऐसी दुनिया कभी नही देखी थी उसे लग रहा था जैसे वह किसी ओर ही दुनिया मे आ गयी हो l
गाड़ी एक संकरी सी गली से होते हुए एक मकान के सामने जाकर रुकी l युवान पाकीजा को लेकर गाड़ी से निचे उतरा और गली की तरफ बानी सीढ़ियों से होते हुए उसे ऊपर ले आया l

कमरे में आकर पाकीजा ने युवान ने कहा ,”ये आप हमें कहा ले आये है , आपने तो कहा था बड़ा सा घर है ये तो एक छोटा सा कमरा है”
“हमारी शादी की खुशी में नए घर मे प्रोग्राम रखा है कल सुबह यहां से सीधा वही चलेंगे l आज रात बस जैसे तैसे निकाल लो “,युवान ने प्यार से पाकीजा के कंधे पर अपना हाथ रखकर कहा l
युवान की छुअन से पाकीजा पिघल गयी l उसने हामी में अपनी गर्दन हिला दी


“तुम तैयार हो जाओ मैं नीचे जाकर ड्राइवर को गाड़ी घर ले जाने को कहकर आता हूं”,युवान ने कहा और वहां से चला गया l जाते जाते वह दरवाजा बाहर से बंद कर गया l
पाकीजा ने अम्मी का दिया नया लाल जोड़ा पहना आज उसकी शादी की पहली रात थी l वह युवान के साथ अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करने वाली थी l उसने खुद को तैयार किया उसने दीवार पर लगे आईने में खुद को निहारा वह बहुत खूबसूरत लग रही थी l


उसने बिस्तर को सही किया बेडशीट को सलीके से बिछाया ओर आकर बैठ गयी सीढ़ियों पर किसी के आने की आहट सुनकर उसने लंबा सा घूंघट निकाल लिया पाकीजा को घूंघट में कुछ दिखाई नही दे रहा था वह सकुचाई सी बैठी रही l दिल की धड़कने सामान्य से तेज चलने लगी l दरवाजा खुला ओर कोई अंदर आया पाकीजा ने नजर झुका ली इस वक्त युवान के सिवा वहां ओर कौन हो सकता था l


वह आकर पाकीजा के सामने बैठ गया पाकीजा ने शर्म के मारे अपनी पलके तक नही उठायी l युवान को अपने सामने सोचकर ही वह खुद में सिमटती जा रही थी l उसका दिल इंजन की भांति धड़ धड़ किये जा रहा था l मुंह से बोल नही फुट रहे थे l
सामने बैठे शक्श ने धीरे से पाकीजा का घूंघट उठाया पाकीजा ने अपनी बड़ी बड़ी पलके उठाकर सामने देखा l
दिल की धड़कने एक पल को जैसे रुक सी गयी l


“आप कौन है ? और ओर युवान जी कहा है ?”,पाकीजा ने घबराई हुई आवाज में कहा ओर पीछे हट गई
सामने युवान नही बल्कि 50-55 का एक अधेड़ उम्र का आदमी था जो की वहसी नजरो से पाकीजा को देख रहा था l
“मैं पूछती हु कौन है आप”,पाकीजा ने फिर से पूछा

आदमी हल्का सा मुस्कुराया ओर कहा

“मैं तुम्हारा एक रात का पति हु”

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