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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 44

Pakizah – 44

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 44

इतनी रात को रुद्र के कमरे में आने से पाकिजा डर गई l उसका डरना लाजमी था अतीत के जख्म इतने गहरे थे कि अब तक ना भरे थे और अब रुद्र से कोई नया धोखा पाकिजा नही चाहती थी l
रुद्र जैसे ही करीब आया पाकिजा ने अपनी आंखें कसकर बंद कर ली l रुद्र ने पाकिजा को देखा ओर फिर जमीन पर गिरी चद्दर उठायी ओर पाकिजा को ओढा दी l रुद्र वापस जाने के लिए पलट गया और बोर्ड के पास आकर लाइट बंद कर दी l

रुद्र कमरे से बाहर आया और स्टडी टेबल पर पड़ी अपनी डायरी में कुछ लिखने लगा l रुद्र बाहर सोफे पर आकर लेट गया और नींद के आगोश में चला गया l l
पाकिजा ने आंखे खोली रुद्र वहां नही था वह झटके से उठकर बैठ गयी उसने चारो तरफ देखा लेकिन रुद्र कमरे में नही था पाकिजा कमरे से बाहर आई और देखा रुद्र सोफे पर सो रहा है वह वापस कमरे में लौट आयी l उसे खुद पर गुस्सा आने लगा आखिर वह रुद्र के लिए इतना गलत कैसे सोच सकती है l


“ये मुझसे क्या हो गया मेरे खुदा ? मैने उनपर शक किया , उन्हें इतना गलत संमझ लिया l मुझे माफ़ कर दीजिये सर मुझे मुझे आपके बारे में इतना गलत नही सोचना चाहिए था l मैं आपकी अच्छाईयों को कैसे भूल सकती हूं l आपने मेरे लिए जो कुछ भी किया वो सब आपका बड़प्पन था लेकिन मैंने आपकी अच्छाईयों को गलत संमझा आपको गलत समझा हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजिए “

पाकिजा बिस्तर पर आकर सीधी लेट गयी नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी l
“कल सुबह उठते ही मैं उनसे माफी मांग लुंगी”,सोचते हुए पाकिजा करवट लेकर सोने की कोशिश करने लगी l सामने टेबल पर पड़ी रुद्र की तस्वीर पर गयी जिसमे वह मुस्कुरा रहा था l पाकिजा लेटे लेटे उस तस्वीर को देखने लगी l कुछ देर बाद उसे नींद आ गयी l

सुबह पाकिजा रुद्र से पहले ही उठ गई l कमरे से बाहर आई तो नजर स्टडी टेबल पर पड़ी रुद्र की खुली पड़ी डायरी पर गयी l पाकिजा टेबल के पास गई और डायरी उठाकर देखा उसमे लिखा था

“पाकिजा के साथ कुछ गलत नही करना है”

पाकिजा ने जैसे ही पढ़ा उसकी आंख से आंसू निकलकर डायरी के पन्ने पर आ गिरा l पाकिजा ने डायरी वापस टेबल पर रख दी l उसे शिवेन की याद आ गयी शिवेन भी हर रोज जाने से पहले उसके लिए ये सब लिखा करता था l पाकिजा ने आंसू पोछे उसे बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी l नहाकर वह किचन की तरफ बढ़ गयी l फ्रीज़ से दूध निकाला और चाय बनाने लगी l चाय बनाकर पाकिजा बाहर ले आयी रुद्र आराम से सोफे पर सो रहा था l

पाकिजा ने चाय टेबल पर रखी और वही खड़ी हो गयी l उसने धीरे से एक दो बार सर कहा लेकिन रुद्र नींद में था उसने नही सुना पकीजा परेशान से इधर उधर देखने लगी l रुद्र ने करवट ली और जैसे ही उसका सर साइड में गिरने वाला था पाकिजा ने आगे बढ़कर उसके सर को थाम लिया और तकिया सही कर दिया l
पाकिजा ने धीरे से फिर से कहा,”सर ?

रुद्र हड़बड़ाकर नींद से उठा l
“ओह्ह पाकिजा ! गुड़ मॉर्निंग “,रुद्र ने झेंपते हुए स्वर में कहा l
“आपकी चाय”,कहते हुए पाकिजा ने चाय का कप रुद्र की ओर बढ़ा दिया l
“तुम्हे चाय बनानी आती है ?”,रुद्र ने हैरानी से पाकिजा की ओर देखकर पूछा l


“हा हम बना लेते है”,पाकिजा ने धीरे से कहा ओर जाने लगी
“पाकिजा ?”,रुद्र ने कहा
पाकिजा पलटी ओर कहा ,”जी
“i am sorry , कल रात मैं देर से आया ओर मैंने शराब भी पी रखी थी”,रुद्र ने नजर झुककर कहा
“माफी मत मांगिये , कल रात हमने जाना कि आप बहुत अच्छे इंसान है और आप पर भरोसा करके मैने कुछ गलत नही किया “,पाकिजा ने सहजता से कहा


रुद्र ने नजर उठायी ओर पाकिजा की तरफ देखा उसकी आंखो में रुद्र को अपने लिए सम्मान नजर आ रहा था l रुद्र चुपचाप चाय पीने लगा l
पाकिजा वहां से निकलकर बाथरूम की तरफ गयी और धुले हुए कपड़ो की बाल्टी लेकर बालकनी की तरफ चली गयी l
बालकनी में आकर वह कपड़े सुखाने लगी सबसे आखिर में उसने अपना दुपट्टा उठाया और जैसे ही झटका सामने रुद्र आ गया दुपट्टे से पानी के छीटे सीधा उसके ऊपर आ गिरे ओर वह बुरी तरह भीग गया


“माफ कर दीजिये”,कहते हुए पाकिजा रुद्र की तरफ बढ़ी ओर अपना दुप्पटा लेकर रुद्र का चेहरा पोछने लगी l रुद्र बस प्यार से पाकिजा को देखे जा रहा था पाकिजा उसकी आँखों मे बसती चली गयी ll
पाकिजा खाली बाल्टी उठाकर वहां से चली गयी l पाकिजा अंदर आकर रुद्र का बिखरा सामान समेटने लगी l रुद्र दरवाजे पर हाथ बांधे खड़ा पाकिजा को देखने लगा l

पाकिजा बिस्तर पर रखे कपड़े तह करके रुद्र की अलमारी में रखती जा रही थी उसके बाल बार बार चेहरे पर आते और वह सहजता से उन्हें कान के पीछे कर लेती l रुद्र का दिल किया जाकर उसके बालो को अपनी उंगली से हटा दे लेकिन खुद को रोक लिया पाकिजा के करीब जाने से कही वह उसे गलत न समझ ले सोचकर रुद्र वही खड़ा रह गया l


पाकिजा को इतनी तलीनता से काम करते देख रुद्र मन ही मन कह उठा,”बस जिंदगी भर अब तुम यू ही मेरे सामने रहो और मैं तुम्हे देखता रहा”
“आपने कुछ कहा सर “,पाकिजा ने पलटकर कहा
“न नही कुछ नही “,रुद्र झेंप गया और वहां से चला गया l

शाम को रुद्र के पापा का फोन आ गया उन्होंने रुद्र से अगले दिन आने को कहा l
रुद्र कमरे में आया पाकिजा खिड़की के पास खड़ी थी रुद्र ने दरवाजा खटखटाया तो पाकिजा पलटी ओर रुद्र को देखकर उसे अंदर आने को कहा l रुद्र अंदर आकर बैठ गया और कहा,”पापा ने कल मेरठ बुलाया है “
“आपको जाना चाहिए “,पाकिजा ने कहा


“हम्म्म्म लेकिन तुम्हे अकेला छोड़कर कैसे जा सकता हु , क्यों ना तुम भी मेरे साथ घर चलो”,रुद्र ने पकीजा की तरफ देखकर कहा
“मैं आपके घर कैसे जा सकती हूं ?”,पाकिजा ने हैरानीसे से कहा
“जैसे मैं जा रहा हु , पापा ने कल ही बुलाया है l तुम भी साथ चलो वह जगह तुम्हारे लिए सबसे सुरक्षित जगह है l”,रुद्र ने कहा


“लेकिन मैं……………!!’,पाकिजा कहते कहते रुक गयी
“पाकिजा मैं समझ सकता हु पर तुम्हे इस तरह अकेला भी नही छोड़ सकता l जब तक तुम्हे सही सलामत घर न पहुंचा दु तुम मेरी जिम्मेदारी हो”,रुद्र ने कहा l
“लेकिन आपके घरवाले ? उनसे क्या कहेंगे आप ?”,पाकिजा ने कहा
“उसकी चिंता मत करो , मैं सब सम्हाल लूंगा”,रुद्र ने कहा l


“ठीक है सर जैसा आप कहे”,पाकिजा ने कहा
“पाकिजा मुझे सर बुलाना बन्द करो”,रुद्र ने कहा
“आज के बाद नही कहेंगे”,पाकिजा ने धीरे से कहा

“ठीक है तुम अपना बैग पैक कर लो कल सुबह जल्दी निकलना होगा”,रुद्र ने कहा और कमरे से बाहर निकल गया l

अगली सुबह रुद्र बाहर खड़ा पाकिजा का इंतजार कर रहा था l पाकिजा जैसे ही बाहर आई रुद्र को नजर उस पर थम सी गयी सफेद सूट में वह बहुत खूबसूरत लग रही थी उसके लंबे बालों की उसने गूंथकर चोटी बना रखी थी l आज रुद्र ने भी सफेद रंग की शर्ट पहनी हुई थी l पाकिजा आयी रुद्र ने उसे गाड़ी में बैठने को कहा l


खुद आकर ड्राइविंग सीट पर बैठा ओर गाड़ी स्टार्ट कर आगे बढ़ा दी l पाकिजा खामोशी से खिड़की से बाहर पीछे छूटते दिल्ली को देखती रही वो दिल्ली जिसने पाकिजा को एक बहुत दर्दनाक अतीत तोहफे में दिया था l
पाकिजा ने सर सीट से लगा लिया l पाकिजा को खामोश देखकर रुद्र ने म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया l गाना चलने लगा

“तू बिन बिताए मुझे ले चल कही
जहा तू मुस्कुराए मेरी मंजिल वही “

गाना रुद्र के हालात से मिलता जुलता था l

रास्तेभर रुद्र ओर पाकिजा खमोश रहे l ओर घर पहुंचे l रुद्र ने पाकिजा को अंदर आने को कहा और डोरबेल बजा दी l
कुछ देर बाद दरवाजा काव्या ने खोला रुद्र को सामने देखकर वह खुशी से उसके गले आ लगी और फिर पाकिजा की तरफ देखकर आंखो ही आँखों मे पूछा रुद्र ने पलके झुका दी काव्या ने आगे कुछ नही कहा l रुद्र पाकिजा को लेकर अंदर आ गया हॉल में भावना और रुद्र के मम्मी पापा मौजूद थे l


भावना ने जैसे ही रुद्र को देखा वह मुस्कुराती हुई उसके पास आई और गले लगते हुए कहा,”वेल कम बैक रुद्र !!”
रुद्र को न जाने क्यों भावना का इस तरह गले लगना अच्छा नही लगा उसने बूझे मन से भावना को खुद से दूर किया और आगे बढ़कर सबके पैर छुए l
सभी रुद्र को देखकर बहुत खुश थे लेकिन सबकी सवालिया नजर पाकिजा पर थी रुद्र ने सबकी नजरों को भांपते हुए कहा ,”पापा ये पाकीज़ा है , मेरी दोस्त up से है अकेले घर नही जा सकती थी इसलिए मैं इसे घर ले आया l”


“ये तुमने अच्छा किया बेटा , दो दिन बाद तुम्हारी सगाई है तब तक ये भी यही रहेगी उसके बाद मैं खुद इन्हें घर तक पहुंचने का इंतजाम कर दूंगा”,रुद्र के पापा ने कहा l
पाकिजा ने रुद्र की सगाई का नाम सुना तो उसे अजीब सा महसूस होने लगा l वो बुझी आंखों से रुद्र की तरफ देखने लगी l
भावना ने पाकिजा को देखा गोरा रंग , तीखे नैन नक्श , लंबे घने बाल , सांचे में ढली काया सब परफेक्ट था पाकिजा में l

भावना को मन ही मन पाकिजा से जलन होने लगी उसके सामने वह खुद को एवरेज समझने लगी l
रुद्र ने काव्या से पाकिजा को अंदर ले जाने को कहा तो भावना ने बीच मे आकर कहा,”मैं ले जाती हूं

भावना पाकिजा को लेकर ऊपर कमरे की तरफ बढ़ गयी l कमरे में आकर पाकिजा ने अपना बैग साइड में रखा ओर कमरे को देखने लगी l
“हाय मैं भावना और तुम ?”,भावना ने पाकिजा के सामने अपना दांया हाथ आगे बढ़ाकर कहा

“जी हमारा नाम पाकिजा है”,पाकिजा ने उस से हाथ मिलाया l

“ये तुम्हारा कमरा है तुम यहाँ आराम से रहो इस कमरे को , घर को , यहां के लोगो को सबको अपना ही समझो सिवाय रुद्र के”,कहते हुए अचानक भावना के चेहरे के भाव बदल गए l
पाकिजा ख़ामोशी से भावना की तरफ देखने लगी तो भावना ने कहा ,”कब , कहा , किसको दोस्त बनाना है , किस से रिश्ता रखना है , कीस पर भरोसा करना है ये रुद्र नही जानता l तुम दोस्त हो दोस्त बनकर रहो उसके करीब जाने की ज्यादा कोशिश मत करना l”

पाकिजा को भावना का बेहवे बहुत अजीब लगा लेकिन फिर भी वह खामोश रही ओर भावना की ओर देखती रही पाकिजा को चुप देखकर भावना झल्ला गयी ओर कहा ,”एक अनजान लड़की को अपने घर भला कोई इस तरह लाता है वो भी अपनी सगाई से दो दिन पहले l ओर तुम उसने कहा तो तुम चली भी आई l “

“आप ये सब मुझसे क्यों कहा रही है ?”,इस बार पाकिजा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा

“क्योंकि दो दिन बाद रुद्र की सगाई है l मेरे साथ “,भावना ने पाकिजा की आंखो में देखते हुए कहा l

“आप ?”,पाकिजा ने हैरानी से भावना को देखते हुए कहा

भावना की आंखों में जलन और गुस्से के भाव आ गए उसने कहा ,

“मैं रुद्र की होने वाली पत्नी हु”

Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45 Pakizah – 45

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