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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 40

Pakizah – 40

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 40

रूद्र ने जैसे ही शिवेन का नाम देखा चौंक गया l सारी बातें साफ साफ नजरो के सामने घूमने लगी l अब उसे समझ आने लगा की क्यों पाकीजा को पहली बार देखते ही उसे एक जाना पहचाना अहसास हुआ ? जब जब वह पाकीजा के सामने होता था उसका दिल तेजी से धड़कने लगता था l अब समझ आ रहा था की क्यों पाकीजा के छूने से उसे लगा जैसे ऐसा पहले भी हुआ है ll

रूद्र हमेशा से सख्त था फिर पाकीजा के लिए उसका दिल इतना कैसे पिघल गया ? ये उसे अब समझ आ रहा था l भले वो जिस्म रूद्र का था प्र उसके सीने में जो दिल था वो शिवेन का था और वो फीलिंगस भी ll भावना को वह पसंद करता था जिसने किसी और के लिए रूद्र के प्यार को ठुकरा दिया था कुछ दिन बाद उसी भावना से उसकी सगाई होने वाली थी लेकिन रूद्र के दिल में उसे लेकर कोई फीलिंग्स नहीं थी और होती भी कैसे दिल तो शिवेन का था l


रूद्र ने सारी कड़ियों को मिलाना शुरू किया
मिनिस्टर से मिलने उसका दिल्ली जाना और उसी दिन शिवेन की जान बचाना + एक महीने बाद भावना की शादी मे शामिल होना और उसके साथ दुर्घटना होना + रूद्र का इलाज जिस हॉस्पिटल में हुआ उसी में शिवेन को लाना + शिवेन की मौत और रूद्र को एक नयी जिंदगी मिलना + रूद्र को acp की पोस्ट मिलना और किसी खास मकसद से उसका दिल्ली आना +

पाकीजा की फाइल का मिलना + पाकीजा के केस को लेकर कमिशनर का घबराना और फाइल गायब करने की कोशिश करना + रूद्र का ससपेंड होना l
“इन सबसे तो यही पता चलता है की जिस मकसद से मैं यहाँ आया था वो और पाकीजा का अतीत एक दूसरे से जुड़े हुए है l अनजाने में ही सही पाकीजा की इस किताब ने मेरी बहुत बड़ी समस्या दूर कर दी l सबके राज खुलने वाले है , पर पाकीजा के साथ इतना गलत क्यों हुआ”,सोचते सोचते रूद्र की आँखों से आंसू निकल आये l


वह नहीं समझ पाया ये आंसू पाकीजा का दर्द देखकर थे या फिर अपने सीने में धड़कते शिवेन की दिल की अंाह , रूद्र अपना चेहरा अपने हाथो में छुपाकर रो पड़ा l सारा दर्द सारी पीड़ा आंसुओ में बह गयी l खिड़की से आती धुप आकर जब चेहरे को चुभने लगी तो रूद्र उठा और बाथरूम की तरफ बढ़ गया l नहाने के बाद उसे थोड़ा सुकून मिला l कमरे में आकर कबर्ड से कपडे निकालने लगा l आज रूद्र ने बिना वक्त लगे लगाए नीले शर्ट को निकाला और पहन लिया l


चाय नाश्ते के बाद वह आकर कमरे में लेट गया l दिमाग में सिर्फ पाकीजा चल रही थी l कुछ सवालों के जवाब जानने अभी बाकि थे जो उस किताब से ही मिल सकते थे रूद्र उठा और किताब लेकर वापस कमरे में आ गया l किताब के बस 2 आखरी पन्ने बचे थे l रूद्र ने किताब खोली और उसे आगे पढ़ना शुरू किया

शिवेन के क़त्ल के इल्जाम में पाकीजा जेल में थी l उधर पाटिल ने एक साल के लिए असलम खान का ट्रांसफर करवा दिया और नए अफसर से मिलकर अम्माजी की जमानत करवा दी l शिवेन की डेड बॉडी उसके घरवालों को सौंप दी l अंतिम संस्कार के समय शमशान के बाहर पुलिस की जीप आकर रुकी l नया इंस्पेक्टर उतरा और उसके साथ पीछे से कुछ पुलिस वाले उतरे l हाथो में हथकडिया पहने पाकिजा जीप से उतरी l


पुलिस वालो के साथ चलकर पाकीजा शिवेन की चिता के पास आई और उसका आखरी दर्शन किया l चेहरे पर कोई भाव नहीं थे l आँखों में खालीपन पसरा था l पाकीजा कुछ दूर जाकर खड़ी हो गयी और शिवेन की चिता की और देखती रही मयंक और राघव ने पाकीजा से बात करने की कोशिश की लेकिन उसने उन दोनों की बात का कोई जवाब नहीं दिया l राघव और मयंक के अलावा वहा मौजूद हर सख्स पाकीजा को नफरत और गुस्से से देख रहा था l शिवेन की चिता को मुखाग्नि दी गयी l

जलती हुई चिता की लपटे आसमान छूने लगी l सूरज ढलने लगा पाकीजा के दिल का दर्द आँखों में उमड़ आया और एक आंसू बहकर निचे जा गिरा l उसने शिवेन को खो दिया और साथ ही खो दी अपने जीने की वजह l आंसूओ से भरी आँखों से पाकीजा ने सामने देखा तो सामने शिवेन खड़ा था l बेसुध सी पाकीजा उसे देखने लगी वह बहूत कुछ कहना चाहती थी लेकिन बोल ही नहीं पायी


“मैं कही नहीं गया हु पाकीजा हमेशा तुम्हारे साथ हु l जब भी मेरी याद आये तो अपने दिल पर हाथ रखकर मुझे याद कर लेना मुझे अपने सामने पाओगी l”,सामने खड़े शिवेन ने कहा
पाकीजा ने अपना हाथ बढ़ाकर उसे छूना चाहा तो वह हवा में कही धूमिल हो गया l पाकीजा ने अपने चारो तरफ देखा शिवेन कही नहीं था l अगले ही पल उसकी नजर सामने जलती चिता पर गयी l पाकीजा एक बार फिर उदासी से भर उठी l

इंस्पेक्टर के इशारा करने पर महिला कॉन्स्टेबल पाकीजा को लेकर जीप की तरफ बढ़ गयी l
थाने आकर इंस्पेक्टर ने पाटिल के कहँने पर पाकीजा के खिलाफ शिवेन के क़त्ल की झूठी चार्जशीट तैयार की l झूठे गवाह और सबुत भी तैयार कर लिए l दो दिन बाद पाकीजा को अदालत में पेश करना था l सलाखों के पीछे बैठी पाकीजा खामोश थी कोई नहीं जानता था की आखिर उसके दिमाग में क्या चल रहा है l

राघव और मयंक ने पाकिजा को जेल से रिहा कराने की बहुत कोशिश की लेकिन नहीं बचा पाए l उन्होंने शिवेन के मम्मी पापा से भी मदद मांगी लेकिन उन्होंने मना कर दिया l दोनों पाकीजा से मिलने थाने भी आये लेकिन उन्हें किसी ने पाकीजा से मिलने तक नहीं दिया l

दो दिन बाद -:

कोर्ट रूम भीड़ से खचाखच भरा हुआ था l पाकीजा कटघरे में खड़ी है ना उसके चेहरे पर कोई भाव है ना ही माथे पर कोई शिकन l बांयी तरफ बैठा पाकिजा का वकील फाइल के पन्ने पलट रहा है l कोर्ट रूम की आगे की लाईनो में पाटिल , कमिशनर और शर्मा जी बैठे बेशर्मो की तरह हंस रहे है l पाकीजा के खिलाफ खडा वकील कार्यवाही से ही पहले केस जितने की बाते कर रहा था l राघव और मयंक भी वहा मौजूद थे l


कुछ देर बाद जज साहब आये और कार्यवाही शुरू हुई l सबके सामने पाकीजा पर कीचड़ उछाला गया l शिवेन का क़त्ल पाकीजा ने किया है ये साबित करने के लिए वकील ने कितने ही झूठे सबूत और गवाह पेश किये l पाकीजा गर्दन झुकाये सब सुनती रही l मयंक और राघव ने आकर पाकिजा के पक्ष में अपना अपना बयान भी दिया लेकिन कोई सबूत न होने के कारण उनके बयानों का कोई खास आकर्षण नहीं रहा l सारी बातें सुनने के बाद जज साहब ने कहा


“पाकीजा तुम्हे अपने पक्ष में कुछ कहना है ?”
पाकीजा ने अपनी गर्दन उठायी और जज साहब की और देखकर कहने लगी ,”मेरे कहने से पहले से यहाँ मौजूद लोगो ने मुझे गुनहगार समझ लिया l अपने आपको बेगुनाह साबित करने के लिए मेरे पास कोई सबूत नहीं है जज साहब l शिवेन जी मेरे पति थे और एक पत्नी कभी अपने पति को मारने का ख्याल भी अपने दिल में नहीं ला सकती

शिवेन जी को मैंने नही मारा साहब जी उन तीनो ने मारा है”,पाकिजा ने भीड़ में बैठे पाटिल , कमिशनर और शर्मा जी की और ऊँगली करके कहा l
“ये सब झूठ है मिलॉड ! ये लड़की अपना गुनाह छुपाने के लिए सरीफ लोगो पर इल्जाम लगा रही है l “,वकील बिच में बोल पड़ा


“हम झूठ नहीं कह रहे जज साहब , उस रात इन तीनो ने पहले मेरे साथ जबरदस्ती की और फिर फिर मेरी आँखों के सामने शिवेन जी को मार डाला “,कहते कहते पाकीजा का गला रुंध गया और आँखों से आंसू बहने लगे
पाकीजा की बात सुनकर वहा मौजूद वकील हसने लगा l उसे हसंता देखकर जज ने कहा,”मिस्टर मोहन आप हंस क्यों रहे है ?”


“हंसु नहीं तो और क्या करू जजसाहब ये लड़की कह रही है की इसका बलात्कार हुआ है , मैं यहाँ मौजूद सभी लोगो को बता दू की ये लड़की एक वेश्या है जो कुछ रुपयों के बदले अपने जिस्म का सौदा करती है l शिवेन को भी इसने पहले अपने प्यार के जाल में फंसाया और फिर उस से शादी कर ली लेकिन शिवेन के माँ बाप ने उन्हें घर से निकाल दिया और पाकीजा के सारे प्लान पर पानी फिर गया l

राघव ने इन दोनों को रहने के लिए घर दिया लेकिन ये वहा भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आयी ये l वैसे भी जिस लड़की को एक से ज्यादा मर्दो के साथ राते गुजारने की आदत हो वह एक मर्द के साथ पूरी जिंदगी कैसे एडजस्ट कर पायेगी l इसी बात पर पाकीजा और शिवेन की बहस हुई और इसने बेरहमी से शिवेन का क़त्ल कर दिया”,वकील ने बात को गंभीर बनाते हुए कहां
“ये झूठ बोल रहे है , हमारे साथ गलत हुआ है और इन्होने किया है”,चीख पड़ी पाकीजा


वकील पाकीजा के पास आया और कहा,”वैश्याओ के बलात्कार नहीं होते है पाकीजा जी”
वकील की कही इस बात से कोर्ट रूम में सन्नाटा छा गया पाकीजा की आँखों में आंसू भर आये l उसने जज साहब की तरफ देखा और न्याय की भीख माँगने लगी पर पाकीजा के पास कोई सबूत नहीं था l

आखिर में वकील ने टेबल पर रखी एक फाइल उठायी और उसे लेकर जज साहब की तरफ बढ़ाते हुए कहा ,”इसमें पाकीजा की मेडिकल रिपोर्ट है जिसमे साफ साफ लिखा है की बीते कुछ महीनो में उनका ना जाने कितने ही गैर मर्दो से नाजायज सम्बन्ध रह चूका है l”
वकील की ये बात सुनकर पाकीजा का दिल किया की वह इसी वक्त खुद को खत्म कर दे l

जो इलजाम उस पर लगाए गए थे वो बेबुनियाद थे लेकिन पाकीजा खुद को सही साबित नहीं कर पायी l वह तब तक लड़ती रही जब तक लड़ पाई , उसके बाद उसकी हिम्मत जवाब दे गयी l वह खामोश खड़ी सब सुनती रही l जो वकील उसका केस लड़ रहा था उसने भी उसे बचाने की कोशिश तक नही की करता भी क्यों ? पाटिल और उसके आदमीयो ने पहले ही उसे खरीद लिया था l


एक घंटे की बहस के बाद जज ने अपना फैसला सुनाया l

“तमाम गवाहों और सुबूतों को मध्य नजर रखते हुए अदालत में ये साबित होता है की पाकीजा ने ही शिवेन का क़त्ल किया है और पाटिल व उसके आदमी बेगुनाह है लिहाजा ये अदालत पाकीजा को उम्रकैद की सजा सुनाती है”

“ये गलत है जज साहब ! मेरा गुनाह सिर्फ ये है की मैं एक औरत हु और एक औरत को हमेशा अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है l आपका फैसला मंजूर है वैसे भी अब जीने की कोई वजह नहीं रही l अम्माजी सही कहती थी ये बाहर की दुनिया हम लोगो के लिए नहीं बनी है l क्योकि यहाँ सच के लिए कोई जगह नहीं है , यहाँ किसी के जज्बातो की कदर नहीं है , यहाँ प्यार की कोई अहमियत नहीं है l

न्याय के लिए कोई जगह नहीं है”,कहते कहते पाकीजा कटघरे में बैठकर रोने लगी l
अदालत की कार्यवाही पुरी हुयी सभी चले गए l कॉन्स्टेबल ने पाक़िजा को हथकड़ी पहनाई और अदालत से बाहर ले जाने लगी l दरवाजे पर मयंक और राघव मिल गए
“पाकीजा ये सब………………..आई ऍम सॉरी !!”,कहते कहते राघव की आँखे भर आयी l


“मुझपर एक अहसान करेंगे आप दोनों आज के बाद आप हमे भूल जायेंगे , मुझसे को रिश्ता नहीं रखेंगे”,पाकीजा ने उदासी से कहा
“भाभी ये आप ………………!!”,मयंक ने कहा
“हम पहले से इतना बदनाम है मयंक जी हम नहीं चाहते हमारी नापाक जिंदगी के छींटे आप दोनों के दामन में लगे l आप दोनों बहुत अच्छे इंसान है हम कभी नहीं चाहेंगे हमारी वजह से आपको कोई परेशांनी हो l

आज के बाद आप भूल जायेंगे की कोई पाकीजा थी l हमसे मिलने की कोशिश भी मत करना”,पाकीजा ने अपने दिल पर पत्थर रखते हुए कहा
“ऐसा कुछ नही होगा भाभी , हम आपको कुछ नहीं होने देंगे l मैंने शिवेन से वादा किया था”,राघव ने दर्द भरे लहजे में कहा l
“मर चुके शिवेन जी और आजसे उनके साथ उनकी पाकीजा भी मर चुकी है”,पाकीजा ने कहा


“ऐसा मत कहिये”,मयंक ने कहा
“आपको हमारी कसम है आज के बाद आप हमसे मिलने नहीं आएंगे”,पाकीजा ने कहा और अपनी आँखे बंद कर ली आँखों में भर आये आंसुओ को वह रोक नहीं पायी l
कॉन्स्टेबल पाकीजा को लेकर आगे बढ़ गयी l
एक पाक साफ लड़की की जिंदगी इतनी नापाक भी हो सकती है किसी ने सोचा नहीं था

“पाकीजा – एक नापाक जिंदगी”

किताब के आखरी पन्ने पर लिखी लाइन पढ़कर रूद्र की आँखों में आंसू आ गए l उसने किताब बंद की और साइड में रख दी आँखों के किनारे आये आंसुओ को पोछा और वही लेट गया l रूद्र ने अपनी आँखे मूंद ली l पाकीजा का दर्द महसूस करने लगा था वह उसने अपना हाथ अपने दिल पर रख लिया l

दिल सामान्य था लेकिन पाकीजा का उदास चेहरा , उसकी आंसू , उसकी चीखे , उसका दर्द रूद्र की आँखों के सामने घूमने लगा l
रूद्र झटके से उठा और कमरे से बाहर निकल आया l टेबल पर रखी चाबी उठायी और बाइक स्टार्ट करके घर से बाहर निकल गया l

सेंट्रल जेल -:

सुखी घास के मैदान में पड़ी बेंच पर बैठी पाकीजा उदासी से सामने दाना चुगते हुए उन कबूतरों को देख रही थी l रूद्र अब यहाँ नहीं आता था l दूर कही से उड़ता हु पुराने अख़बार का टुकड़ा पाकीजा के पास आ गिरा पाकीजा ने उसे उठाया और देखा वही रूद्र के ससपेंड होने की खबर छपी थी l पाकीजा ने कागज को समेटकर साइड में रख दिया और सोचने लगी ,”आखिर वो भी नहीं समझ सके की मैं क्या चाहती हु l

कहना आसान होता है निभाना उतना ही मुश्किल l एक इतना बड़ा अफसर भला मेरी मदद क्यों करेगा l पर काश वो एक बार यहाँ आते उन्हें देखकर न जाने को शिवेन जी याद आते है l काश वो आते तो उनसे पूछती की क्यों इतने दिनों में एक बार भी उन्होंने वापस आकर नहीं देखा l पर वो क्यों आएंगे ? “


“आने की बहुत कोशिश की लेकिन तुम्हारे अतीत में इतना खोया की बाहर निकलते निकलते समय लग गया”,पाकीजा के बगल में बैठे रूद्र ने कहा
पाकिजा ने जैसे ही रूद्र की आवाज सुनी अपनी बांयी तरफ देखा उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ l जिस इंसान के बारे में वह अभी सोच रही थी वह अब बिलकुल उसकी बगल में बैठा है l पाकीजा कुछ पल के लिए रूद्र के चेहरे को देखती रही रूद्र सामने देख रहा था l


“चाय !!…………………”,रूद्र ने सामने देखते हुए हाथ में पकड़ा कप पाकीजा की और बढ़ा दिया l
पाकीजा ने कांपते हाथो से चाय का कप पकड़ा उसे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था की रूद्र उसके पास बैठा है उसने अविश्वास जताते हुए कहा ,”क्या आप सच में यहाँ ?
“कहा था ना जब भी दिल से याद करोगी मैं आ जाऊंगा”,अनजाने में रूद्र ने शिवेन की कही बात दोहरा दी l
पाकीजा आँखे फाडे रूद्र को देखने लगी ये शब्द तो शिवेन ने कहे थे l

पाकिजा बेचैनी से रूद्र के चेहरे को देखने लगी उसे ध्यान नहीं रहा और हाथ में पकड़ा चाय का कप रूद्र के हाथ पर उलट गया l
“आउच !!,”रूद्र की हलकी सी चीख निकल गयी l
पाकीजा ने घबराकर रूद्र का हाथ पकड़ा और अपने दुपट्टे से पोछते हुए कहा,”माफ़ कर दीजिये गलती से गिर गया”


रूद्र खमोशी से पाकिजा के चेहरे पर आयी बेचैनी को देखने लगा l उसकी बड़ी बड़ी गहरी काली आँखों में रूद्र खो सा गया
“माफ़ कर दीजिये , मेरी वजह से आपको दर्द मिला “,पाकीजा ने रूद्र का हाथ छोड़कर कहा
“तुम्हारे दर्द के सामने ये दर्द कुछ भी नहीं है पाकीजा”,रूद्र ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा
रूद्र का यु उसकी आँखों मे देखना पाकीजा को अंदर तक बैचैन कर गया l

ऐसे शिवेन देखा करता था जब पाकीजा उसके सामने होती थी आज इतने दिनों बाद पाकीजा वही नजर महसूस कर रही थी l उसका दिल तेजी से धड़कने लगा आँखो में आंसू भर आये l रूद्र के सामने कमजोर न पड जाऊ ये सोचकर पाकीजा उठी और जाने लगी l
“ऐसे कब तक भागोगी , जो सामने है उसे कब तक झूठलाओगी”,रूद्र ने कहा


“हमारी नमाज का वक्त हो गया है , हमे जाना होगा”,पाकीजा ने बात टालने के लिए कहा
“ठीक है ! पर दुआओ में याद रखना”,रूद्र ने कहा

“दुआ करेंगे आप कल फिर आये !!”,पाकीजा ने मन ही मन कहा और आगे बढ़ गयी

“पाकीजा ?”,रूद्र ने आवाज दी l पाकिजा पलटी

“मैं कल जरूर आउगा”,कहते हुए रूद्र मुस्कुरा उठा l

एक बार फिर पाकीजा हैरानी से रूद्र को देखने लगी l रूद्र उसके मन की बात कैसे जान सकता है सिर्फ शिवेन था जो उसके कहने से पहले ही सब समझ जाया करता था पर आज रूद्र ?

पहली बार पाकीजा को किसी में शिवेन का अक्स नजर आया था और वो था “रूद्र “

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Continue With Part Pakizah – 41

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