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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 38

Pakizah – 38

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 38

शिवेन का इंतजार करती हुयी पाकीजा अपने कमरे की खिड़की से बाहर देख रही थी l उसने अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस किया l शिवेन होगा सोचकर पाकीजा ख़ुशी से जैसे ही पलटी उसकी सांसे रुक गयी l आँखों में डर और खौफ छा गया l पाकीजा झटके से पीछे हटी और घबराई हुयी आवाज में कहा,”कौन है आप लोग ?”
वो तीन लोग थे उनमे से दो लोग सामने पड़े सोफे पर जाकर बैठ गए और तीसरा आदमी पाकीजा के इर्द गिर्द घूमने लगा

पाकीजा का दिल मारे डर के तेजी से धड़कने लगा l पाकीजा हिम्मत करके वहा से जाने लगी तभी सोफे पर बैठे आदमी ने अपना पैर बिच में कर दिया और पाकीजा लड़खड़ा कर जमीं पर आ गिरी l सर जमीन से जा टकराया और नाक से खून बहने लगा l पाकीजा उठने की कोशिश करने लगी तभी उस आदमी ने आकर अपना भारी भरकम पैर पाकीजा के पैर पर रख दिया मारे दर्द के पाकीजा कराहने लगी l तीनो हसने लगे l


पाकीजा ने तीनो के चेहरे की तरफ देखा तो उसकी आँखे आश्चर्य से फ़ैल गयी l जिसने पाकीजा के पैर पर पैर रखा हुआ था पाकीजा को याद आया ये वही आदमी था जिसने उस दिन शिवेन और पाकीजा को अपनी गाड़ी से मदद दी थी पर ये यहां क्यों आया है पाकिजा को समझ नहीं आया ? सोफे पर बैठा एक आदमी अनजान था पर जैसे ही उसकी नजर पड़ी वह हैरान रह गयी दूसरा आदमी कोई और नहीं बल्कि राघव का पिता था l


“अब इसका क्या कारण है ?”,सोफे पर बैठे उस तीसरे आदमी ने मुंह में रखी सिगरेट जलाते हुए कहा l
“तुम्हे हर काम की बड़ी जल्दी रहती है कमिश्नर , पहले इसके यार को तो आ जाने दे फिर देख वो हश्र करूंगा इनका की इस जन्म तो क्या अगले सात जन्म भी प्यार के नाम से इनकी रूह काँप उठेगी”,आदमी ने नफरत से पाकीजा की तरफ देखते हुए कहा l


पाकिजा ने पाटिल के पांव पकड़ते हुए कहा,”हमने आपका क्या बिगाड़ा है , मैं आपके पांव पड़ती हु मुझे जाने दीजिये l “
पाटिल में एक जोर का झटका देकर पाकीजा से अपना पैर छुड़ाया और उसके बालो को पकड़कर उसे उठाते हुए कहने लगा,”ऐसे कैसे छोड़ दू मेरी जान अभी तो तुमसे बहुत हिसाब किताब करना बाकि है l उस लौंडे के प्यार में पड़कर तूने जो मेरा नुकसान किया है उसकी भरपाई तो तुझे करनी ही होगी न”


ये कहते हुए पाटिल ने पाकीजा को कमिश्नर की तरफ धक्का दे दिया l पाकीजा आकर उनके कदमो में गिर पड़ी उसकी आँखो से आंसू बहने लगे उसने कमिश्नर के सामने हाथ जोड़ लिए और रोते हुए कहा,”आप तो मेरी मदद कीजिये , इनसे कहिये मैंने कुछ नहीं किया है l मैं धोखे से अम्माजी के पास पहुंच गयी थी l आप पुलिस वाले है आप समझायेंगे तो ये समझ जायँगे l मैं आपसे भीख मांगती हु मुझे जाने दीजिये शिवेन जी के साथ मैंने नई जिंदगी की शुरुआत की है इसे फिर से नर्क मत बनाइये”


कमिशनर ने कुछ नही कहा बस सिगरेट के कश लगाता रहा l कमिश्नर की तरफ से कोई प्रतिक्रया न पाकर पाकीजा राघव के पापा के पास गयी और रोते हुए कहने लगी ,”आप तो राघव जी के पापा है शिवेन जी को भी जानते है , मैं आपकी बेटी जैसी हु खुदा के वास्ते आप तो मेरी मदद कीजिये l मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हु मुझे बचा लीजिये”


“तू जानती भी है तेरी वजह से हम लोगो का कितना नुकसान हुआ है , उस नुकसान की भरपाई कौन करेगा तेरा बाप”,शर्मा जी (राघव के पापा) ने चीखते हुए कहा l
पाकिजा रोने लगी और शिवेन के बारे में सोचकर घबरा उठी कही ये लोग उसे भी कोई नुकसान ना पहुंचा दे l पाटिल ने आगे बढ़कर पाकीजा की बांह पकड़ी और उसे उठाते हुए कहा,”भरपाई की चिंता तू क्यों करता है शर्मा ये है ना हमारे नुकसान की भरपाई करने के लिए


पाटिल की आँखो में चमक आ गयी वह पाकीजा के गोरे चेहरे को खा जाने वाली नजरो से घूरने लगा l

“आखिर मैंने आप सब का क्या बिगाड़ा है ?”,पाकीजा ने झटके से खुद को पाटिल से दूर किया और चिल्लाते हुए कहा l

“तुमने हमारी बरसो की मेहनत पर पानी फेर दिया l तू जानती भी है तेरी वजह से कितना नुकसान हुआ है मेरा l मैं आराम से अपने गैर क़ानूनी धंधे कर रहा था पर तूने और तेरे उस यार ने मिलकर सब चौपट कर दिया l अम्माजी को जेल भिजवाकर तुम भले उन से बच जाओ लेकिन मुझसे नहीं बचोगी l कितने दिनों से मैं तुम्हे अपना बनाने की राह देख रहा था , ऐश करता तुम्हारे साथ लेकिन तूने उस लड़के की मोह्ब्बत में सब तबाह कर दिया l

मेरे कितने ही करोडो का नुकसान हुआ है जानती भी है तू ? पूरी जिंदगी भी कोठे पर बैठे ना तो मेरे नुकसान की भरपाई नहीं कर पायेगी l ये कमिशनर ये शर्मा सब मेरे आदमी है l तुझे क्या लगा तू ऐसे ही बचकर निकल जाएगी अरे अम्माजी को तो मैं जमानत पर यु छुड़ा लूंगा l वो इंस्पेक्टर जिसने तुम्हारी मदद की उसका तो आज सुबह ही ट्रांसफर हो चुका l

बचा कौन सिर्फ तेरा वो आशिक़ और कुछ देर बाद बेरहमी से मरने वो खुद यही आएगा l कोई तेरी मदद नहीं करेगा इस शहर का कोई बच्चा भी तुझे बचाने नहीं आएगा”,कहते हुए पाटिल ने पाकीजा को निचे जमीं पर धक्का दे दिया और खुद सामने पड़े सोफे पर जाकर बैठ गया l
पाकीजा बेबस और लाचार सी उनके पांवो में गिरी शिवेन के ना लौटने की मन ही मन दुआ करने लगी l

शिवेन अपना जरुरी काम निपटा कर घर के लिए वापस आ रहा था आज शिवेन बहुत खुश था आज वह पाकीजा को बहुत बड़ा सरप्राइज देने वाला था l शिवेन ने पाकीजा के घरवालों का पता लगाया , उसने पाकीजा के अम्मी अब्बू से बात भी की और जल्द ही पाकिजा को घर लाने का वादा भी किया l पाकीजा की अम्मी तो फोन पर ही रो पड़ी शिवेन ने उन्हें शांत करवाया और वह जाने के लिए अगले दिन की टिकट बुक करवा दी l

रास्ते में उसकी नजर फूलो की दुकान पर गयी l शिवेन ने गाड़ी रोकी और उतरकर दुकान में चला गया वहा जाकर उसने दुकानवाले से कमल के फूल देने को कहा l दुकानदार ने शिवेन को फूल थमा दिए l शिवेन ने कीमत अदा की और मुस्कुराता हुआ गाड़ी की तरफ बढ़ गया l फूलो को उसने आहिस्ता से अपनी साइड वाली सीट पर रखा और गाड़ी स्टार्ट कर आगे बढ़ा दी l शिवेन पाकीजा के बारे में सोचने लगा l

पाकीजा को कमल के फूल बहुत पसंद थे l शिवेन गाड़ी चलाते हुए बार बार उन फूलो को देखता और मुस्कुरा उठता l उसने म्यूजिक सिस्टम ऑन किया कोई पंजाबी गाना बजने लगा

तेरे बिन सानु सोनेया कोई होर नईयो लबणा
जो ने दे रूह नु सुकून दे चुके जो नखरा तेरा
वे घूमके वेखेया अमरीका , रूस , मलेशिया
ना किथे वी कोई फर्क सी , हर किसे दी कोई शर्त सी
कोई मंगदा मेरा सी समा , कोई होंदा सूरत ते फ़िदा


कोई मंगदा मेरी सी वफ़ा , कोई मंगदा मेरिया बला
तेरे बिन होर ना किसे , मंगणी मेरिया बला
तेरे बिन होर ना किसे करणी धुप विच छा
तेरे बिन सानु सोनेया कोई होर नईयो लबणा” ( मेरा पसंदीदा रहा है )

गाने के बोल शिवेन के दिल के हालातो से मेल खा रहे थे l वह बस जल्दी से जल्दी पाकीजा के पास पहुंचना चाहता था l
शिवेन घर पहुंचा l शाम हो चुकी थी सूरज डूबने लगा था शिवेन ने गाड़ी को पार्किंग में लगाया l गाड़ी से उतरकर उसने फूलो को लिया और अंदर चला आया l सीढ़ियों से चढ़कर शिवेन अपने कमरे में जाने लगा l ख़ुशी उसके चेहरे से साफ झलक रही थी l

जैसे ही वह कमरे में आया पाकीजा को फर्श पर गिरा देखकर हैरान रह गया वह भागकर पाकीजा के पास गया और उसे उठाया पाकीजा की नाक से खून बहता देखकर शिवेन घबरा गया और कहा,”पाकीजा ……………… ये ये सब कैसे हुआ ? तूम ……. तुम ठीक तो हो ?”
पाकीजा कुछ कह पाती इस से पहले ही पीछे खड़े पाटिल ने डंडे से शिवेन के सर पर वार किया l शिवेन कराह उठा उसने अपना सर पकड़ लिया खून बहने लगा l

शिवेन पीछे पलटा पाटिल को वहा देखकर वह हैरान हो गया अपना सर पकडे पकडे वह पाकीजा को उठाने के लिए जैसे ही झुका दूसरी तरफ खड़े मिनिस्टर ने उसके मुंह पर वार किया शिवेन के मुंह से खून बहने लगा उसका सर चकराने लगा पर उसने पाकीजा का हाथ नहीं छोड़ा l पाकीजा ये सब देखकर स्तब्ध थी l

दर्द में भी शिवेन पाकीजा का हाथ थामे हुए था की तभी तीसरा वार राघव के पापा ने शिवेन के हाथ पर किया और शिवेन झटके के साथ नीचे गिर गया l पाकीजा ने शिवेन को सम्हाला उसका खून बहते देखकर वह रोने लगी l तीनो दरिंदे हसंते हुए पाकीजा को देख रहे थे l
“खुदा के वास्ते इन्हे छोड़ दीजिये , ये मर जायेंगे मैं आप लोगो के आगे हाथ जोड़ती हु शिवेन जी को कुछ मत कीजिये l

मेरा इनके सिवा कोई नहीं है l हम लोग यहाँ से बहुत दूर चले जायेंगे l इनका खून बह रहा है ये मर जायेंगे l आपको खुदा का वास्ता है इन्हे छोड़ दीजिये”,पाकीजा ने रोते हुए कहा
पाटिल आगे आया और पाकीजा के बाल पकड़ते हुए उसे उठाया और कहने लगा,”मेरे खिलाफ जाने वालो का मैं यही हाल करता हु और इस से भी बुरा हाल होगा तेरा l कोठे से बाहर रहकर तू जो तेरी औकात भूल चुकी थी आज तुझे तेरी वो औकात फिर से याद दिलाऊंगा l”


“पाकीजा को छोड़ दे कमीने ! अगर उसे हाथ भी लगाया तो मैं तुझे जिन्दा नहीं छोडूंगा”,शिवेन ने उठते हुए कहा
कमिशनर ने एक और वार शिवेन की पीठ पर किया और शिवेन फिर से गिर पड़ा l पाकीजा शिवेन की तरफ लपकी लेकिन पाटिल उसे घसीटता हुआ शिवेन से कुछ ही दूर ले गया और पाकीजा से कहा ,”आज तुझे बताता हु तेरी असली औकात क्या है ?”


पाटिल पाकिजा पर टूट पड़ा l कपडे उसके जिस्म से अलग कर दिए और शिवेन की आंखो के सामने उसके जिस्म को नोचने लगा l पाकीजा चीखती चिल्लाती रही लेकिन खुद की लुटती आबरू नहीं बचा सकी l शिवेन लहूलुहान था लेकिन अपनी आँखों के सामने पाकीजा की लुटती हुयी इज्जत नहीं देख पाया l उसने जैसे ही उठने की कोशिश की कमिशनर ने उसके मुंह पर एक जोरदार लात जमा दी l

शिवेन औंधे मुंह गिर पड़ा l उसकी आँखों से आंसू बहने लगे वह बार बार पाकीजा को छोड़ देने की गुहार लगाता रहा पर किसी ने उसकी बात नहीं सुनी l शिवेन की आँखों के सामने पाकीजा की इज्जत लुटती रही और वह कुछ भी नहीं कर पाया l
पाटिल आया और कमिश्नर से कहा,”जा कमिशनर तू भी अपनी मर्दानगी दिखा दे जरा”


कमिशनर गंदे तरीके से मुस्कुराया और पाकीजा की तरफ बढ़ गया l बेसुध सी जमींन पर गिरी पाकीजा कुछ नहीं कर पायी बारी बारी तीनो दरिंदे उसकी इज्जत को तार तार करते रहे l शिवेन ने दर्द से तड़पकर अपनी आँखे बंद कर ली पाकीजा के साथ होता ये अन्याय वह नहीं दे पा रहा था l उसका दिल किया धरती फ़टे और वह उसमे समा जाये l उसकी आँखों के आंसू बयान कर रहे थे की वो कितने दर्द में था l अपने सामने होते हुए भी वह पाकीजा को बचा नहीं पाया l


पाकीजा बेसुध पड़ी थी उसने शिवेन की तरफ देखा दोनों की नजरे मिली एक दर्द दोनों की आँखों में उभरा l
पाटिल उन दोनों के साथ आकर सोफे पर बैठ गया और सिगरेट जला ली l सिगरेट का धुआँ शिवेन के मुंह पर छोड़ते हुए कहा ,” पाटिल से पंगा लेने का अंजाम तो तूने देख ही लिया और तेरी आँखों के सामने तेरे प्यार को नंगा कर दिया l ये मेरा पॉवर”

“एक बेबस कमजोर लड़की पर अपनी मर्दानगी दिखाता है साले थू है तुझपे , गन्दी नाली का कीड़ा भी तुझसे कही ज्यादा साफ सुथरा होता है लेकिन तू पीठ पीछे वार करने वाला गिरा हुआ इंसान है !!”,शिवेन ने नफरत से पाटिल की आँखों में देखते हुए कहा l
पाटिल को गुस्सा आया उसने पास पड़ा चाकू शिवेन के पेट में दे मारा शिवेन की सांसे अटक गयी और वह फर्श पर गिर पड़ा और दर्द से तड़पने लगा

“ये तुमने क्या किया पाटिल , इसे मार डाला “,कमिश्नर ने घबराकर कहा
“कमिश्नर तुझे पैसे किसलिए मिलते है ताकि तू ये छोटे मोटे काम देख सके , मुझसे आँख मिलाने वालो का मैं ये ही हाल करता हु”,पाटिल ने गुस्से से कमिशनर को घूरते हुए कहा l
“इस से पहले की कोई यहाँ आ जाये चलो यहां से”,शर्मा जी ने कहा


तीनो तेजी से वहां से निकल गए l
बेसुध पड़ी पाकीजा को जब होश आया तो उसे शिवेन के कराहने की आवाज सुनी पाकीजा ने देखा शिवेन के पेट में चाकू देखा तो घबरा गयी l उसने उठने की कोशिश की लेकिन वापस गिर पड़ी l उसके शरीर में जान ही नहीं थी उसने खुद को सम्हाला और साड़ी को अपने चारो और लपेट कर शिवेन की तरफ रेंगती हुई आयी l


“आपको कुछ नहीं होगा , मैं आपको कुछ नहीं होने दूंगी”,कहते हुए पाकीजा ने शिवेन का हाथ थाम लिया
“मुझे माफ़ कर दो पाकीजा मैं तुम्हे बचा नहीं पाया”,शिवेन न दर्द से तड़पते हुए कहा
“ऐसा मत कहिये ! “,पाकिजा की आँखों से आंसू बहने लगे l
“मैं तुमसे बहुत प्यार करता हु पाकीजा , लेकिन आज मेरा प्यार शर्मिंदा है”, कहते कहते शिवेन की नाक से खून बहने लगा


“शशशशश , कुछ मत कहिये ! मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है बल्कि मेरे अतीत ने आपको इस हालत में ला दिया”,पाकीजा की आँखों से आंसू झर झर बहने लगे l
दोनों दर्द में थे और फिर कुछ पल बाद दोनों बेसुध हो गए l दोनों ने मजबूती से एक दूसरे का हाथ थामा हुआ था l
शिवेन जो कमल के फूल अपने साथ लाया था वो फर्श पर उन दोनों के चारो और बिखरे हुए थे जो की शिवेन के खून के छींटो से लाल हो चूके थे l

इसे इत्तेफाक कहे या शिवेन पाकीजा की अच्छी किस्मत , शिवेन ने जो टिकट्स बनवाये थे वो वह राघव के पास ही भूल आया था l राघव वही देंने के लिए घर आया था l शिवेन और पाकीजा को इस हालत में देखकर वह घबरा गया l शिवेन बेहोश हो चूका था l राघव ने सबसे पहले पाकीजा को सम्हाला और फिर उसकी मदद से शिवेन को निचे लेकर आया शिवेन की सांसे चल रही थी l

पाकीजा बदहवास सी हालत में थी वह कुछ बोल ही नहीं पा रही थी l
राघव हॉस्पिटल पहुंचा हॉस्पिटल पहुंचकर शिवेन को इमर्जेन्सी ले जाया गया l पाकीजा बेंच पर बैठी कांप रही थी l राघव पाकीजा को लेकर लेडीज वार्ड के बाहर लेकर गया और उसे अपनी हालत ठीक करने को कहा l अंदर आकर पाकीजा ने अपने कपड़ो को सही किया और मुंह धोंने लगी l

आईने में खुद को देखा तो घबरा कर रोने लगी l शिवेन की बुरी हालत के लिए वह खुद को जिम्मेदार मानने लगी थी l पाकीजा बाहर आयी और आकर वापस बेंच पर बैठ गयी l मयंक भी आ चूका था वह पाकीजा के पास बैठा उसे हिम्मत बंधा रहा था l रह रह कर पाकीजा का हाथ गले में पहने अपने मंगलसूत्र पर चला जाता l बेचैनी और डर उसकी आँखों से साफ झलक रहा था


अंदर इमरजेंसी में शिवेन जिंदगी और मौत से झुंझ रहा था और फिर उसके दिल ने धड़कना बंद कर दिया l हाथ एक तरफ लुढ़क गया l मशीन बीप बीप की आवाज के साथ रुक गयी l डॉक्टर्स ने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर बाहर आ गए l

डॉक्टर को देखते ही राघव और मयंक दौड़कर उनके पास आये
” आई ऍम सॉरी ! हम उन्हें नहीं बचा पाए”,डॉक्टर ने कहा
मयंक और राघव ने सुना तो उनका कलेजा मुंह को आ गया एक पल के लिए जैसे सब रुक गया हो l
डॉक्टर के शब्द जैसे ही पाकीजा के कानो में पड़े वह बेहोश होकर धड़ाम से निचे गिर पड़ी !!

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Conitnue With Part Pakizah – 39

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