पाकिजा – एक नापाक जिंदगी 37
Pakizah – 37
Pakizah – 37
“ये तुम दोनों के लिए मेरी तरफ से शादी का तोहफा है” , राघव ने मुस्कुराकर शिवेन से कहा l
“तू होश के तो है , ये मैं कैसे रख सकता हु यार”,शिवेन ने हैरान होकर कहा l
राघव – क्यों नही रख सकता ?
शिवेन – यार पहले से इतने अहसान है तेरे मुझपर ओर अब ये सब
राघव – तू भाई है मेरा ओर भाईयो पर कोई अहसान नही किया जाता है
शिवेन – जानता हूं लेकिन मैं ये घर नही ले सकता यार इट्स टू एक्सपेंसिव
राघव – सुन ये घर डेड का है l डेड इसे बेचना चाहते थे लेकिन दिल्ली से आउट साइड होने की वजह से कोई इसे खरीदना नहीं चाहता है l
शिवेन – इसलिए तूने ये मुझे गिफ्ट कर दिया
राघव – शिव !! अच्छा ठीक है गिफ्ट मत ले पर रेंट पर तो ले सकता है ना
शिवेन – हम्ममम्म ये ठीक है l रेंट में क्या चाहिए तुझे
राघव – भाभी के हाथ की एक कप चाय
शिवेन – बहुत चालू है तू
राघव – संगत का असर है भैया
“अरे तुम दोनों का भरत मिलाप खत्म हो गया हो तो अंदर चले , बेचारी हमारी भाभी जान खड़े खड़े परेशान हो गयी हैं”,मयंक ने कहा
शिवेन पाकिजा को साथ लेकर आगे बढ़ गया l दरवाजे पर आते ही राघव ने दोनों को रुकने को कहा और खुद मयंक के साथ अंदर चला गया l कुछ देर बाद दोनों के हाथ मे कुछ सामान था l मयंक के हाथ मे चावलों से भरा एक कलश था और राघव के हाथ मे बड़ा सा थाल जिसमे लाल रंग घुला हुआ था l
मयंक ने कलश को दरवाजे के बीचों बीच रखा और अंदर से पूजा की थाली ले आया उसने शिवेन ओर पाकिजा के माथे पर कुमकुम लगाया और आरती उतारने लगा l पाकिजा ने इस से पहले ऐसा कुछ नही देखा था वह अपनी बड़ी बड़ी पलको को झपकाते हुए आरती की थाली को देख रही थी l
“भाभी , अब अपना दाहिना पैर आगे बढ़ाए ओर कलश के चावलों को बाहर गिराइए”,मयंक ने कहा
पाकिजा ने धीरे से अपना दाहिना पैर आगे बढ़ाया ओर शिवेन के साथ घर के अंदर आ गयी l
राघव ने थाल नीचे रखा और पाकिजा से अपने पैर रँगने को कहा
“ये किसलिए ?”,पाकिजा ने हैरानी से राघव की ओर देखते हुए पूछा l
“आप इस घर की लक्ष्मी हैं और आपके कदम बहुत शुभ है इसलिए “,राघव ने मुस्कुराकर कहा
पाकिजा की आंखों में नमी तैर गयी तो राघव ने कहा ,”अरे ! ये क्या भाभी ?”
“मुझ जैसी लड़की आप लोग इतना सम्मान दे रहे हैं , हम इन सबके लायक नही है “,पाकिजा ने आँखों के किनारे आये आंसुओ को पोछते हुए कहा
“भाभी आप बहुत अच्छी है , आज से आप अपनी नई जिंदगी शुरू करेगी l अपने अतीत को भूल जाईए वो सब भूल जाइए l शिवेन आपको इतनी खुशी देगा कि आप अपना हर गम भूल जाएगी”,राघव ने प्यार से पाकिजा के चेहरे को अपने हाथों में लेकर कहा l
पाकिजा मुस्कुरा उठी l राघव सबको लेकर अंदर आया l पाकिजा ओर शिवेन ने देखा तो बस देखते रह गए l घर को बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया हुआ था l पाकिजा को घर बहूत पसन्द आया l
“ये सब तुम लोगो ने किया ना ?”,शिवेन ने राघव ओर मयंक की तरफ देखकर कहा l
“जी हां , इतने प्यारे कपल के लिए इतना तो बनता है”,मयंक ने कहा
“घर बहुत अच्छा है राघव जी”,पाकिजा ने कहा
“thankyou भाभी , आज से ये आपका है l आप शिवेन ओर आप दोनों दुनिया “,राघव ने कहा
चारो हॉल में बैठकर बाते करने लगे l शिवेन ओर पाकिजा ने राघव ओर मयंक को भी वही रोक लिया l रात में पाकिजा सबके लिए खाना बनाने किचन में चली गयी l राघव ने घर मे पहले से सारे इंतजाम कर रखे थे l पाकिजा के जाते ही शिवेन भी उठकर जाने लगा तो राघव ने उसे वापस बैठाते हुए कहा ,”तुम कहा चले ?
शिवेन – समझा कर ना यार अब तो जाने दे
मयंक – क्या बात है दूरी बर्दास्त नही हो रही
राघव – मैं सब समझ रहा हू , थोड़ा सब्र रखो
शिवेन – सालो तुम दोनों ना दोस्त नही सबसे बड़े दुश्मन हो मेरे , जिस दिन तुम दोनों की शादी होगी उस दिन बताऊंगा
राघव – तब की तब देखेंगे l
मयंक – भाई मेरा तो दूर दूर तक ठिकाना नही है , भाभी से पूछना उनकी कोई सहेली पड़ोसन हो तो मुझ गरीब का भी घर बस जाएगा
शिवेन – पहले मेरा घर तो बसने दो कमीनो 3 दिन हो गए हमारी शादी को अभी तक ठीक से बात भी नही की मैंने उस से ! ना जाने किस जन्म का बदला ले रहे हो तुम दोनो मुझसे “
राघव – अच्छा ठीक है जाने देंगे पर एक शर्त पर
शिवेन – वो क्या ?
राघव – जल्दी से जल्दी हमे चाचू बोलने वाला इस घर मे चाहिए
शिवेन – भक्क कमीने कुछ भी बोलता है
मयंक – भक्क क्या बे ! तुम्हे नही माननी तो हम भाभी से जाकर पूछते है
शिवेन – पगला गए हो क्या ? कुछ भी
राघव – शिवेन मजाक कर रहा है वो , बहुत सताया है हम दोनों ने जा तू
शिवेन – थैंक्स
शिवेन उठकर किचन की तरफ बढ़ गया l
जैसे ही किचन में आया दरवाजे पर आकर ठहर गया उसकी नजर पाकिजा के चेहरे पर ठहर सी गयी l पाकिजा के हाथ आटे में सने हुए थे उसके बालो की लटी बार बार उड़कर गाल पर आ रही थी पाकिजा ने हटाने की कोशिश की तो कुछ आटा उसके गाल पर लग गया l शिवेन अंदर आया और कहा,”क्या बना रही हो ?
“आलू पूरी ओर मीठी भात”,पाकिजा ने आटा गूंधते हुए कहा l
आटा गूंथकर पाकिजा शिवेन की तरफ पलटी ओर कहा,’आप यहा कुछ चाहिये था आपको ?”
शिवेन कहना तो बहुत कुछ चाहता था लेकिन पाकिजा को देखते ही सब भुल जाता था l उसने अपनी उंगली से पाकिजा के गाल की तरफ इशारा किया l पाकिजा ने गाल छुआ तो महसूस किया कि वहां गलती से आटा लग गया है l
पजीजा साड़ी के पल्लू को उठाकर मुंह पोछने लगी तो शिवेन ने रोक दिया और आगे बढ़कर अपनी उंगलियों से पाकिजा के गाल को साफ करने लगा l
शर्म से पाकिजा वहां से जाने के लिए मुड़ी तो शिवेन ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया l पाकिजा का दिल ट्रेन के इंजन की भांति धड़कने लगा l
पाकिजा ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की तो शिवेन ने उसे अपनी ओर खींच लिया और उसकी आंखो में झांकने लगा l l
“छोड़िये हमे , कोई आ जायेगा”,पाकिजा ने घबराहट भरे शब्दो मे कहा
पर शिवेन ने उसकी बात को अनसुना कर दिया और उसे अपने ओर करीब ले आया दोनो एक दूसरे की आंखो में डूबकर देख रहै थे l
“भाभी वो मैं ये कह रहा था कि क्या मुझे एक गला……………….!!!'”,मयंक ने किचन में आते हुए कहा लेकिन शिवेन पाकिजा को देखकर आगे के शब्द उसके गले मे ही रह गए l
मयंक को वहा देखकर शिवेन ने पाकिजा को छोड़ दिया और फ्रीज़ से पानी लेने का दिखावा करने लगा l
“लगता है मैं गलत समय पर आ गया “,कहकर मयंक जाने लगा तो पाकिजा ने कहा,”मयंक जी पानी !
मयंक ने देखा पाकिजा पानी का ग्लास लिए उसके सामने खड़ी है l मयंक ने मुस्कुराकर पाकिजा के हाथ से पानी का गिलास लिया और शिवेन की तरफ़ देखकर शरारत से कहा,”भाई पानी पीना है तुमको ?
“नही तु पी”,शिवेन ने कहा और मन ही मन मयंक को गाली देने लगा l उसके ओर पाकिजा के रोमांस में वो कबाब में हड्डी बनकर जो आया था l
“शिवेन चले !”,मयंक ने फिर शरारत से कहा l
बेचारा शिवेन क्या करता एक नजर पाकिजा को देखा और मयंक के साथ किचन से बाहर निकल गया l
किचन से बाहर आते ही शिवेन मयंक को मारने के लिए उसके पीछे दौड़ने लगा l
पाकिजा ने खाना डायनिंग टेबल पर लगा दिया l सभी आकर कुर्सियो पर बैठ गए l शिवेन ने पाकिजा को अपने पास बैठने का इशारा किया l पाकिजा शिवेन के पास पड़ी कुर्सी पर आ बैठी l उसने अपने लिए प्लेट में खाना परोसा l शिवेन ने टेबल के नीचे से उसका हाथ पकड़ लिया पाकिजा ने उसकी तरफ देखा तो मासूम बनते हुए ,”पाकिजा खाना खाओ”
बेचारी पाकिजा कैसे खाती जिस हाथ से खाना खाती है वो तो शिवेन के हाथ मे था l पाकिजा ने अपना हाथ जितना छुड़ाने की कोशिश की शिवेन ने उतना ही कस लिया l
“भाभी क्या हुआ खाइये ना ? “,इस बार पाकिजा को चुपचाप बैठा देखकर राघव ने कहा
“कैसे खाएगी ? भाई ने हाथ पकड़ा हुआ है ?”,मयंक ने खाना खाते हुए कहा l
शिवेन ने सुना तो झेप गया और पाकिजा का हाथ छोड़ दिया l सभी बातें करते हुए खाना खाने लगे l
खाना खाने के बाद पाकिजा ऊपर कमरे में चली गयी l शिवेन को राघव ओर मयंक ने कुछ देर के लिए नीचे ही रोक लिया l
पाकिजा ने कमरे का दरवाजा खोला जैसे ही अंदर आयी चोंक गयी l पूरा कमरा फूलो से सजाया हुआ था l चारो ओर रोशनी वाली लडीया लगी हुई थी l पाकिजा धीरे धीरे अंदर आयी l दीवार पर लगे बड़े से शीशे के सामने रंगीन सुगंधित मोमबतिया जल रही थी l बड़े से बेड पर गहरे लाल रंग की बेडशीट बिछी हुई थी l जिस पर सफेद फूलो से बड़ा सा दिल बनाया हुआ था l बेड के चारो ओर फूलो की लड़िया लगी हुई थी l कमरे के बीचों बीच टेबल पर एक बडे से बर्तन में कमल के फूल पानी मे तैर रहे थे l
ये सब देखकर पाकिजा का दिल जोरो से धड़कने लगा l उसे वह शाम याद आ गयी जब शादी के बाद वह सेज पर बैठी युवान का इंतजार कर रही थी l वो पल याद आते ही पाकिजा का जिस्म कांप उठा l हाथ पैर थरथराने लगे l पाकिजा को न जाने क्यों उस कमरे में घुटन सी होने लगी l वह खिड़की की तरफ गयी और खिड़की खोल दी बाहर से आती ठंडी हवा ने उसकी कंपकपी को ओर बढ़ा दिया l
पाकिजा आसमान में चमकते उस आधे चाँद को देखने लगी और बीती जिंदगी के बारे में सोचने लगी l कैसे उन जानवरो ने उसके जिस्म को नोचा था तो क्या अब फिर से उसे शिवेन के सामने खुद को सौपना होगा ?
पाकिजा सोच में डूबी हुई थी कि तभी किसी ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखा पाकिजा घबराकर तेजी से पीछे पलटी l
“मैं हु पाकिजा “,शिवेन ने पाकिजा का डरा हुआ चेहरा देखकर कहा l
पाकिजा वहां से हटकर दूसरी ओर चली गयी शिवेन जो उसके दिल की हर बात समझ लेता था आज पाकिजा के भावों से अनजान था l वह पाकिजा के पीछे आया और जेब से सोने की चैन निकालकर पाकिजा के गले मे पहनाते हुए कहा ,”ये मेरी तरफ से तुम्हारे लिए शादी का तोहफा l
कहते हुए शिवेन ने पाकिजा की गर्दन को अपने होंठो से छू लिया l
पाकिजा बर्फ सी जम गई उसने कोई प्रतिक्रिया नही दी शिवेन ने जैसे ही उसे अपने आगोश में भरना चाहा पाकिजा ने शिवेन को धक्का देते हुए खुद से अलग कर दिया l
पाकिजा का ये रूप देखकर शिवेन भी हैरान था उसने धीरे से कहा,”पाकिजा क्या हुआ ? सब ठीक तो है !
”नही ! कुछ ठीक नही है शिवेन जी”,पाकिजा ने कहा
”मुझसे कुछ गलती हुई क्या पाकिजा ?”,शिवेन ने हैरानी से पूछा
“आपसे कोई गलती नही हुई है शिवेन जी पर आप जो चाहते है वो नही हो सकता , ये सजावट ये फूल ये रोशनी ये सब किसलिए है”,पाकीज़ा ने दुखी स्वर में कहा
“ये सब हमारी नई जिंदगी शुरू करने के लिए था पाकिजा , ओर मुझे तो पता भी नही था राघव ओर मयंक ने ये सब…………………..!!”,कहते कहते शिवेन रुक गया l
पाकिजा की आंख से आंसू बहने लगे उसने टेबल पर रखी सभी चीजों को हाथ से निचे गिरा दिया l फूलो की लड़ो को खींचकर तोड़ने लगी l बेड पर रखी सभी चीजों को फेंक दिया और कहा,”मुझे नही चाहिए ऐसी नई जिंदगी जो मुझे मेरा अतीत याद दिलाये l ये सब नही चाहिए मुझे “,कहते हुए पाकिजा घुटनो के बल गिरकर रोने लगी l
शिवेन पाकिजा का दर्द संमझ सकता था l
पाकिजा के भावनाओ को जाने बिना ही उसने उसके करीब आने की कोशिश की ये उस से गलती हुई थी l वह पाकिजा के पास आया और उसे उठाकर बेड पर बैठाया l पाकिजा के गालो पर आए आंसुओ को पोछा ओर कहा,”बस इतनी सी बात ! पाकिजा तुम्हारी खुशी से बढ़कर कुछ भी नही है ,, आज की रात क्या तुम्हारी खुशी के लिए ऐसी कई राते निकाल सकता हु “
“मैं आपको वो प्यार नही दे सकती शिवेन जी जो एक मर्द एक औरत से चाहता है , वो सब कुछ मेरे अतीत का हिस्सा है और मैं अपना अतीत नही भूला सकती”,कहते हुए पाकीजा फिर से रोने लगी
शिवेन ने प्यार से पाकिजा के चेहरे को अपने हाथों में थामा ओर कहा ,”पाकिजा मेरा प्यार इन सब चीजों का मोहताज नही है l तुम चाहोगी तो मैं जिंदगीभर तुम्हे टच भी नही करूँगा l तुम मेरे सामने हो मैं इसी में खुश हूं “,कहते हुए शिवेन ने पाकिजा के माथे पर किस किया ओर वहां से उठ खड़ा हुआ l
शिवेन कमरे में लगी सभी रोशनियां , फूलो की लड़िया एक एक कार उतारने लगा और उतारकर एक कोने में रख दी l बेड को साफ किया और पाकिजा से कहा,”इस वक्त कमरे से बाहर जाऊंगा तो राघव ओर मयंक को बुरा लगेगा , आज आज मैं यही सो जाता हूं कल से दूसरे रूम में रहने लगूंगा l तुम बेड के उस तरफ सो जाओ मैं इस तरफ सो जाता हूं l डोंट वरी तुम मुझ पर भरोसा कर सकती हो , तुम्हारी मर्जी के बीना मैं आज के बाद तुम्हे नही छुउंगा l
शिवेन तकिया लेकर बेड के एक कोने पर सो गया l
लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थीं पाकिजा भी दूसरी तरफ लेट गयी पर नींद उसे भी नही आई l
अगली सुबह राघव ओर मयंक जल्दी वापस घर के लिए निकल गए l राघव शिवेन के लिए अपनी गाड़ी छोड़ गया ताकि जरूरत पड़ने पर काम आ सके l
पाकिजा को शिवेन के साथ किये बर्ताव पर बहुत दुख था लेकिन अपने मन की स्तिथि वह ख़ुद भी नही जान पा रही थी l उधर शिवेन ने अपने अरमानो पर पत्थर रख लिया l लेकिन पाकिजा के प्रति उसकी परवाह ओर उसका प्यार कम नही हुआ l वह पाकिजा की पहले की तरह ही परवाह करता , उसका खयाल रखता , सभी छोटी छोटी जरूरते पूरी करता था l
बस पाकिजा के करीब नही जाता l कभी गलती से हाथ पाकिजा को छूने के लिए उठ भी जाता तो शिवेन वापस पीछे ले लेता l
दोनो के बीच शब्दो की जगह खामोशियो ने ले ली पर दोनो एक दूसरे की खामोशी को भी संमझ लेते l पाकिजा भी शिवेन से उतना ही प्यार करती थी जितना शिवेन पाकीजा से बस वह शिवेन को संमझ नही पा रही थी l
एक सुबह शिवेन ने कहा,”पाकिजा मैं किसी जरूरी काम से बाहर जा रहा हु , तुम्हे किसी चीज की जरूरत हो तो बता देना”
“ध्यान से जाइयेगा ओर शाम होने से पहले आ जाना बाकी हमे कुछ नही चाहिए”,पाकिजा ने धीरे से कहा l
शिवेन पाकिजा को अपना ख्याल रखने को बोलकर वहा से निकल गया l
शिवेन के जाने के बाद पाकिजा को घर सुना सुना लगने लगा l उसे शिवेन की याद आने लगी दोपहर तक उसने खुद को काम में उलझाए रखा लेकिन जैसे ही वह आकर बैठी शिवेन की यादों ने उसे फिर से घेर लिया और ना चाहते हुए भी उसकी आंखो से आंसू छलक पड़े l
“क्या हुआ ? शिवेन की याद आ रही है”,एक जानी पहचानी आवाज पाकिजा के कानो में पड़ी l
पाकिजा ने गर्दन उठाकर देखा सामने हूबहू उसके जैसी एक लड़की बैठी थी जो सूरज की रोशनी से भी तेज चमक रही थी उसके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी और चेहरे पर एक आकर्षण l पाकिजा घबराई हुई सी देखने लगी तो उसने कहा
“घबराओ मत मैं तुम्हारा अक्स ही हु !”
“हम संमझ ही नही पा रहे कि हम क्या करे ?”,कहते हुए पाकिजा आंसू बहाने लगी
“पाकिजा ! तुम आज भी अपने अतीत से जुडी हो और यही वजह है कि तुम अपने आज को अपना नही पा रही हो l शिवेन बहुत अच्छा लड़का है और सबसे बड़ी बात तो ये की वो तुमसे बेपन्हा मोहब्बत करता है l उसने हमेशा तुम्हारी मदद की , तुम्हारे लिए इतना सब किया l खुद से , अपनो से , इस दुनिया से लडा सिर्फ तुम्हारे लिए l बदले में उसने तुमसे थोड़ा सा प्यार मांग लिया तो क्या गलत किया l
उसने कभी तुम्हारे जिस्म से प्यार नही किया करता तो बहुत पहले तुम्हे पा चुका होता l पर नही उसने कभी ऐसा कोई काम नंही किया जिस से तुम्हारा दिल दुखे ओर देखो आज भी सिर्फ तुम्हारी खुशी के लिए वो तुमसे दूर है ”,अकस ने पाकिजा को सच दिखाने की कोशिश की
“मैं उनसे बहुत प्यार करती हूं”,पकीजा ने आंसू बहाते हुए कहा
“अगर ऐसा है तो फिर शिवेन को उसके पति होने का हक दो ! अपने पत्नी होने के फर्ज निभाओ l अतीत को भुलाकर अपनी नई जिंदगी शुरू करो l शिवेन को प्यार दो और इतना प्यार दो की वो हमेशा हमेशा के लिए तुम्हारा होकर रह जाये l मैं जानती हूं तुम ऐसा जरूर करोगी , तुम कर सकती हो क्योंकि तुम कमजोर नही हो”,कहकर अक्स अपनी ही रोशनी में कही धुमिल हो गया l
पाकिजा ने पहली बार अपने मन की सुनी उसने घड़ी में वक्त देखा दोपहर के 3 बज रहे थे l पाकिजा उठी और तैयारी में जुट गई उसने पूरे घर को सजाया l शिवेन की पसन्द के पर्दे , गलीचे , लगाए l गुलदस्तों में शिवेन की पसन्द के फुलो को सजाया l
अपने ओर शिवेन के कमरे को एक बार फिर वैसे ही सजाया जैसे उस रात था l
वही खुशबूदार रंगीन मोमबतिया , वही चद्दर , वही रोशनियां सब पहले जैसा ही किया l सब करते करते शाम के 6 बज चुके थे शिवेन आने वाला था पाकिजा ने खुद को आईने में देखा वह बहुत फीकी नजर आ रही थी l
उसने अलमारी से गहरे लाल रंग की साड़ी निकाली , गहने ढेर सारी चूड़ियां निकाली और पहन ली आंखो में गहरा काजल लगाया , होंठो पर लाली , ललाट पर एक छोटी सी बिंदी लगाई , मांग में सिंदूर लगाया l
वालो को सुलझाकर उसने खुला ही छोड़ दिया l शिवेन को पकीजा के बाल खुले ही पसन्द थे l पाकिजा ने एक नजर खुद को देखा l वह बहुत प्यारी लग रही थी l
आज पाकिजा की नजर बार बार घड़ी पर चली जाती घड़ी की सुइयां बहुत धीरे चलती दिख रही थी l
पाकिजा बेसब्री से शिवेन के आने का इंतजार कर रहीं थीं कुछ देर बाद वह दीवार पर लगी शिवेन की तस्वीर के सामने जाकर खड़ी हो गयी और प्यार से उसे निहारते हुए कहने लगी,”जल्दी आ जाईये शिवेन जी आपकी पाकिजा आपकी राह देख रही है”
पाकिजा ने इतना ही कहा कि तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा l पकीजा मुस्कुराते हुए पलटी लेकिन जैसे ही उसकी नजर पीछे खड़े उस सख्स पर पड़ी
“चेहरे पर खुशी की जगह डर और ख़ौफ़ ने ले ली”
Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37Pakizah – 37
Continue With Part – Pakizah – 38
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Sanjana Kirodiwal
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