पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 31
Pakizah – 31
Pakizah – 31
“पाकीजा” अम्माजी को सौंपकर पाटिल वहा से चला गया l
पाकीजा बेहोशी की हालत में अम्माजी के बिल्कुल सामने पड़ी थी l गुस्से से भरी अम्माजी पकीजा को खा जाने वाली नजरो से देख रही थी l आज पाकीजा की वजह से उसकी सबके सामने जो बेइज्जती हुई उसका बदला अम्माजी उस से जरूर लेगी l
कोठे से निचे आकर पाटिल ने अम्माजी के आदमियों को इशारा किया l आदमी ने शिवेन को गाड़ी से निचे उतारा l
पाटिल ने शिवेन मुंह पकड़कर देखते हुए कहा ,”इसे इतना मारो की फिर कभी यहाँ आने की हिम्मत न करे l “
इतना कहकर पाटिल गाड़ी में जा बैठा , गाड़ी धुल का गुब्बार उड़ाती हुयी वहा से चली गयी l कुछ देर बाद जैसे ही शिवेन को होश आया उसने देखा वो वापस उसी जगह पहुँच गया जहा से चला था l
सर में एक तेज दर्द उठा , बेहोशी की दवा का असर अब भी उस पर था l शिवेन ने अपना सर पकड़ लिया l उसने अपने चारो तरफ देखा पाकीजा उसे दिखाई नहीं दी वह उठा और जोर से चिल्लाया ,”पाकीजाआ !! “
अम्माजी के आदमी खड़े चुपचाप शिवेन की गतिविधि देख रहे थे l
“उस आदमी ने हमारे साथ धोखा किया , जरूर वो ही हमे यहाँ लेकर आया है , पर……… पर पाकीजा कहा है ? हो ना हो वो ऊपर अम्माजी के पास होगी l
मुझे उसे बचाना होगा “,सोचता हुआ शिवेन जैसे ही सीढ़ियों की तरफ बढ़ा अम्माजी के आदमियों ने उस धक्का देकर निचे गिराते हुए कहा,”अगर जिंदगी से प्यार है तो चुपचाप निकल जा यहाँ से वरना बहुत बुरा हश्र होगा तेरा”
शिवेन ने उन लोगो की बात को नजरअंदाज किया और जैसे ही आगे बढ़ने को हुआ आदमियों ने उसे पीटना शुरू कर दिया l मुंह से नाक से खून का फंवारा फुट पड़ा l शिवेन ने हिम्मत से सबका सामना भी किया लेकिन एक अकेला लड़का उन 5 हट्टे कट्टे आदमियों से कैसे लड़ पाता l
और आखिर में किसी ने पिछे से आकर लोहे की रॉड से उसके सर पर मारा l शिवेन दर्द से कराह उठा और गश खाकर निचे गिर पड़ा l खून से लथपथ शिवेन को उठाकर आदमी जैसे ही गाड़ी में डालने लगे l
पाकीजा सीढ़ियों से दौड़ती हुयी आयी l
शिवेन को खून में सना देखकर पाकीजा का दिल धक से रह गया l वह शिवेन के पास जाने लगी तो अम्माजी के आदमी ने उसे पकड़ लिया l
“छोडो मुझे ! मुझे उनके पास जाने दो l”,पाकीजा ने रोते हुए कहा
“ये अम्माजी के खिलाफ जाने का अंजाम है और पाटिल साहब का हुकुम है”,आदमी ने पाकीजा के हाथ पर अपनी पकड़ मजबुत करते हुए कहा l
“खुदा के वास्ते मुझे छोड़ दीजिये , देखिये ना कितना खून बह रहा है उनका , उन्हें कुछ हो गया तो मैं कभी खुद को माफ़ नहीं कर पाऊँगी l छोड़िये मुझे , मैं आप लोगो के सामने हाथ जोड़ती हु उन्हें जाने दीजिये”,पाकीजा रोते हुए कहने लगी l
“जो कुछ कहना है अम्माजी से जाकर कहो”,आदमी ने पाकीजा को सीढियो की और धकियाते हुए कहा
गिरती पड़ती पाकीजा सीढ़ियों की तरफ भागी l ऊपर जाकर अम्माजी के पेरो में गिर पड़ी और रोते हुए कहने लगी ,”खुदा के वास्ते उसे बचा लीजिये अम्माजी , बहुत खून बह रहा है उसका l आप आप कहेंगी तो वो लोग उसे छोड़ देंगे l शिवेन को बचा लीजिये अम्माजी”
अम्माजी ने पाकीजा के बालो को पकड़ा और उसे उठाते हुए कहा ,”तुझमे बड़ी हिम्मत आ गयी थी जो तू उसके साथ यहाँ से भागने की कोशिश की , बहुत भरोसा था न तुझे उस लड़के पर और उसके प्यार पर देख तेरी वजह से उसका क्या हाल हो रहा है l एक वेश्या होकर प्यार करेगी तू ? “
“उसे बचा लीजिये अम्माजी , मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हु उसे बचा लीजिये”,पाकीजा ने रोते हुए कहा l
“इस से भी बुरा हाल होगा उसका , उसने मेरे कोठे की लड़की को भगाया है l”,अम्माजी ने पाकीजा को दूर धक्का देते हुए कहा
“वो मर जायेगा ! कुछ तो रहम कीजिये , खुदा के वास्ते बचा लीजिये उसे”,पाकीजा ने अम्माजी के पैर पकड़ते हुए कहा
“अब समज आयी तुझे मेरी ताकत , मेरी मर्जी के बिना प्यार तो क्या तूम लोग साँस भी नहीं ले सकती “,कहते हुए अम्माजी ने तख्ते पर पड़ी बेंत उठायी और पाकीजा के पास आकर कहा,”आज तुझे मैं बताती हु एक वैश्या जब किसी से प्यार करती है तो उसका अंजाम क्या होता है”
अम्माजी के हाथ में बेंत देखकर पाकीजा सहम गयी l अम्माजी ने उस बेंत से पाकीजा का शरीर उधेड़ना शुरू किया l हॉल पाकीजा की दर्दभरी चीखो से गूंज उठा पर अम्माजी को उस पर दया नहीं आयी l सोनाली पाकीजा की मदद करने आयी लेकिन अम्माजी के आदेश पर अम्माजी के आदमी ने सोनाली को पकड़कर कमरे में बंद कर दिया
अम्माजी वहशी औरत बनकर पाकीजा को तब तक पीटती रही जब तक पाकीजा बेसुध होकर निचे ना गिर पड़ी l अम्माजी ने बेंत फेंकी और जाकर तख्ते पर बैठी हाफने लगी l
बेंत की मार से पाकीजा का बदन उधड़ चुका था l शरीर पर जगह जगह मार के निशान पड गए थे l उसके मुंह से खून आने लगा फर्श पर गिरी पाकीजा ने दर्द से तड़पते हुए कहा ,”शिव को बचा लीजिये अम्माजी , वो लोग उसे मार डालेंगे”
कहते हुए पाकीजा का सर एक तरफ लुढ़क गया l मार् का दर्द जब सह ना पायी तो बेहोश हो गयी l
“ऐ उठा इसे और बंद कर दे उस कमरे में , आज से इसका दाना पानी सब बंद l जब भूखी प्यासी मरेगी न तो प्यार का बुखार दो दिन में उतर जाएगा”,अम्माजी ने अपने आदमी से कहा
आदमी ने पाकीजा का हाथ पकड़ा और उसे घसीटता हुआ कमरे की तरफ ले गया l
“कान खोलकर सुन लो सब लड़कियों , ये कोठा मेरा है और यहां प्यार मोहब्बत सब वर्जित है अगर किसी ने यहाँ से निकलने की कोशिश भी की तो उसका भी वही हाल होगा जो उस लड़की का हुआ है l धंधे के कायदे कानून अच्छे से जान लो तुम लोग”,अम्माजी ने सिगरेट जलाते हुए कहा l
सारी लड़किया सर झुकाये चुपचाप सब सुनती रही और फिर अपने अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी l
कमरे में बंद सोनाली दरवाजा पिट रही थी l
“जा रे खोल दे कमरा और आने दे सोनाली को बाहर कबसे दरवाजा पिट पिट कर सर में दर्द किया हुआ है”,अम्माजी ने सिगरेट का कश लेते हुए कहा l
सोनाली कमरे से बाहर आयी और अम्माजी से कहने लगी ,”तुझमें जरा सी भी दया रहम है या नही , आज जो तुमने किया वो ठीक नहीं किया अम्माजी “
“सही क्या है और गलत क्या ये सब तू मुझे मत सीखा सोनाली “,अम्माजी ने धुंआ छोड़ते हुए कहा
“वो दोनों एक दूसरे से प्यार करते है अम्माजी , उन्हें जाने दीजिये”,सोनाली ने कहा
“ये मेरे धंधे का उसूल नही है सोनाली , एक वेश्या के प्यार को ये दुनिया नहीं मानती”,अम्माजी ने सिगरेट का बाकि बचा टुकड़ा एशट्रे में बुझाते हुए कहा l
“पाकीजा की कीमत मैं चुकाने को तैयार हु , दिन रात ये जिस्म बेचकर मैं उसकी कीमत अदा करुँगी बस उन्हें जाने दो , वो दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते है वो मर जायेंगे उन्हें इस तरह अलग मत करो”,सोनाली ने गिड़गिड़ाते हुए कहा l
“देख सोनाली तू कोठे की किसी भी लड़की को छोड़न को कहेंगी मैं उसे जाने दूंगी लेकिन पाकीजा को नहीं”,अम्माजी ने थोड़ा नरम होकर कहा
“लेकिन क्यों ?”,सोनाली वजह जानने के लिए बैचैन थी l
“क्योकि पाटिल साहब का हुकुम है , पाकीजा उन्हें भा गयी है और अपनी आने वाली रातें वे पाकीजा के साथ रंगीन करना चाहते है l यहाँ से भागकर पाकीजा पहले ही एक बहुत बड़ी गलती कर चूकी है”,अम्माजी ने सोनाली को सच्चाई बताते हुए कहा l
सोनाली घुटनो के बल गिर पड़ी और बड़बड़ाने लगी ,”आखिर क्या गलती है उस मासूम की जो उसका खुदा उसे इतना दर्द इतनी तकलीफे दे रहा है ? वो नन्ही सी जान कैसे सह पायेगी ये सब ?
सोनाली को बड़बड़ाते देखकर अम्माजी वहा से उठकर बरामदे की तरफ गयी और निचे खड़े अपने आदमियों से शिवेन को ले जाने का इशारा किया l
शिवेन को लेकर गाड़ी वहा से निकल गयी l शहर के बाहर पहुंचकर शिवेन को बाहर फेंका और वहा से चले गए l बहुत समय बाद वहा से एक गाड़ी गुजरी l गाड़ी से एक आदमी उतरा और शिवेन के पास आकर देखा l उसकी सांसे अभी भी चल रही थी पहले तो वह शिवेन को इस हालत में देखकर घबरा गया फिर इंसानियत के नाते उसने शिवेन को उठाया और गाड़ी में डाला l आदमी ने गाड़ी स्टार्ट की और तेजी से आगे बढ़ा दी l मिरर में वह बार बार शिवेन को देख रहा था l
गाड़ी हॉस्पिटल के सामने पहुंची l आदमी ने गार्ड की मदद से शिवेन को हॉस्पिटल के अंदर पहुंचाया l शिवेन को इमरजेंसी वार्ड ले जाया गया जहा उसका इलाज शुरू हुआ l आदमी के हाथो और शर्ट पर खून के धब्बे लग गए l उसने जेब से रुमाल निकाला और हाथ पोछने लगा l कुछ देर बाद डॉक्टर बाहर आया और कहा ,”अच्छा हुआ आप उन्हें सही वक्त पर ले आये वरना थोड़ी सी देर और हो जाती तो वो कोमा में जा सकता था l
उनका ट्रीटमेंट चल रहा है अभी हालत क्रिटिकल है बट मेक स्योर की हम उन्हें बचा लेंगे “
“थैंक्यू डॉक्टर !! मुझे अभी किसी जरुरी काम से निकलना है , जैसे ही उन्हें होश आये आप प्लीज़ उनके घरवालों को इन्फॉर्म कर दीजियेगा”,आदमी ने सहज भाव से कहा
“जी बिल्कुल ! आप इस फॉर्म पर अपना नाम और साइन कर दीजिये प्लीज़”,डॉक्टर ने फाइल आदमी की तरफ बढ़ाकर कहा
आदमी ने फॉर्म पर अपना नाम लिखा और वहा से चला गया l
कुछ घंटो बाद शिवेन को होश आया उसके पुरे शरीर में 13 फ्रेक्चर थे l चेहरे पर चोट के निशान थे l जिस्म पर लगे घाव अभी भी ताजा थे l शिवेन से उसके बारे में जानकारी लेकर डॉक्टर ने उसके घरवालों को उसके हॉस्पिटल में होने की सूचना दी l जैसे ही उनको शिवेन के बारे में पता चला वे जल्दी से हॉस्पिटल पहुंचे l
“ये सब कैसे हुआ ?”, अविनाश जी ने घबराये हुए स्वर में शिवेन से कहा
“देखिये न क्या हालत हो गयी है मेरे बेटे की ? ये सब क्या हो गया ?”,नीलम ने आँखों में आये आंसुओ को पोछते हुए कहा
“मैं ठीक हु माँ”,शिवेन ने मुश्किल से कहा l
“इसलिए मैं कहता था घर से बाहर अकेला मत रह , देखा नतीजा l तू ये बता ये सब किया किसने ?”,अविनाश जी ने शिवेन का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा
“पाकीजा कहा है डेड ?”,शिवेन ने चारो तरफ नजर दौड़ाते हुए कहा l
अविनाश जी ने शिवेन का हाथ छोड़ दिया और कहा ,”इतना सब हो गया और तुझे अभी भी उस लड़की की फ़िक्र है , उस लड़की की वजह से ही तेरी ये हालत हुयी है , उसे उसे तो मैं छोडूंगा नहीं l “
“पाकीजा की इसमें कोई गलती नही है डेड वो तो खुद मुसीबत में है”,शिवेन ने कहा
“बस कीजिये ना आप भी , ये भी कोई वक्त है ये सब बातें करने का”,नीलम ने कहा l
“मैं डॉक्टर से मिलकर आता हु”,कहते हुए अविनाश जी उठे और रूम से बाहर चले गए l
नीलम की आँखों से आंसू बहते देखकर शिवेन ने कहा ,”आप रोईए मत माँ मैं बिल्कुल ठीक हु l
“पता नहीं किसकी नजर लग गयी है तुम्हे ? मुसीबते तुम्हारा पीछा ही नहीं छोड़ती , पहले अपने डेड की वजह से घर छोड़ दिया और अब ये सब , मेरा तो दिल बैठा जा रहा है”,नीलम ने अपने आंसुओ को साड़ी के पल्लू से पोछते हुए कहा l
“मुझे कुछ नहीं होगा , आप परेशान मत होईये”,शिवेन ने कहा
नीलम वही बैठी शिवेन से बातें करती रही लेकिन शिवेन दिल ही दिल में पाकीजा को लेकर परेशान हो रहा था l
“पता नहीं वो किस हाल में होगी ?”,सोचते हुए शिवेन की आँख से आंसू बहकर तकिये पर गिर गया l शिवेन ने आँखे मूंद ली l
शाम को राघव और मयंक हॉस्पिटल पहुंचे l शिवेन को इस हालत में देखकर दोनों को बहुत दुःख हुआ l नीलम उन दोनों को शिवेन के पास छोड़कर बाहर चली गयी l
“ये सब कैसे हो गया ? मुझे लगा तुम और पाकीजा अब तक मुंबई के लिए निकल गए होंगे पर ये सब ? और पाकीजा कहा है ?”,राघव ने चिंतित स्वर में पूछा
शिवेन ने दोनों से बैठने को कहा और सारी बात बता दी l
“यार ये अम्माजी तो बहुत खतरनाक निकली”,मयंक ने कहा
“नहीं मयंक अम्माजी अकेली नहीं है उसके साथ और लोग भी है l “,शिवेन ने सोचते हुए कहा
“जिसने तूम दोनों को लिफ्ट दी वो कौन था ?”,राघव ने पूछा
“मैं उसे नहीं जानता”,शिवेन ने कहा
“हो सकता है वो अम्माजी से मिला हुआ हो और उसी ने तुम दोनों को वहा तक पहुंचाया हो”,मयंक ने सोचते हुए कहा
“ये भी तो हो सकता है अम्माजी के आदमी तुम तक पहुँच गए हो और उस आदमी ने डरकर तुम दोनों को उनके हवाले कर दिया हो”,राघव ने अपना तर्क पेश किया
“होने को कुछ भी हो सकता है l फ़िलहाल मुझे जानना है पाकीजा किस हाल में है ? कहा है ?”,शिवेन ने उदास होकर कहा
“पाकीजा अम्माजी के पास ही होगी और ये तो स्योर है अम्माजी उसे अब बहुत ज्यादा टॉर्चर करने वाली है”,मयंक ने कहा
“मुझे पाकीजा से मिलना है”,शिवेन ने लगभग बेड से उठते हुए कहा
“पागल हो गया है तू ? हालत देख अपनी l”,राघव ने उसे डाटते हुए कहा
शिवेन ने एक नजर खुद को देखा और बेबस सा वापस लेट गया अभी वो चलने फिरने की स्तिथि में भी नहीं था l
“क्या सोचने लगा ?”,राघव को सोच में डूबा देखकर शिवेन ने पूछा
“तुझे हॉस्पिटल कौन लाया ? और इस वक्त वो है कहा ?”,राघव ने हैरानी से कहा
डॉक्टर नर्स के साथ अंदर आये और शिवेन का चेकअप करके ट्रीटमेंट लिखकर फाइल नर्स को दे दी l डॉक्टर जैसे ही जाने लगा शिवेन ने कहा ,”एक्सक्यूज़ मी डॉक्टर ?
“यस !! “,डॉक्टर ने पलटते हुए कहा
“मुझे यहाँ कौन लेकर आया था ? क्या आप बता सकते है ?”,शिवेन ने डॉक्टर की तरफ देखते हुए पूछा l
“एक आदमी आपको यहाँ लेकर आया था l वो बहुत जल्दी में था इसलिए तुरंत ही चला भी गया”,डॉक्टर ने कहा
“उन्होंने अपना कोई नाम , पता कुछ बताया आपको ?”,राघव ने कहा
“हां उन्होंने ट्रीटमेंट फाइल के फॉर्म में शायद अपना नाम लिखा था आप देख लीजिये”,कहकर डॉक्टर वह से चला गया l
राघव ने नर्स से फाइल मांगी और फॉर्म देखने लगा निचे अटेंडर के साइन की जगह उस सख्स का नाम लिखा था जो शिवेन को हॉस्पिटल लेकर आया था
“रूद्र प्रताप सिंह”
राघव ने कहा l राघव , मयंक और शिवेन तीनो एक दूसरे को हैरानी से देखने लगे क्योकि तीनो ही उस नाम के सख्स को नहीं जानते थे l
“पर ये है कौन ?”,मयंक ने उलझन भरे स्वर में कहा l
शिवेन ने दोनों के चेहरे की तरफ देखा और कहा
“वो जरूर कोई फरिश्ता ही होगा l “
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