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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 30

Pakizah – 30

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 30


शिवेन ने पाकिजा को अम्माजी के पास छोड़ा और जल्दी आने का कहकर राघव ओर मयंक को घर छोड़ने के लिए चला गया l शिवेन चुपचाप किसी सोच में डूबा गाड़ी चला रहा था l राघव ने उसे सोच में डूबा देखकर कहा,” अब तूने आगे का क्या सोचा है कैसे निकालना है पाकिजा को वहा से ?
शिवेन – आज रात पकीजा के पास जाऊंगा ओर कल सुबह उसे वहां से लेकर हमेशा हमेशा के लिए यहां से निकल जाऊंगा l


मयंक – हम लोग भी तेरे साथ चलते है
राघव – हा मयंक ठीक कह रहा हैं हम दोनों भी तुम्हारे साथ चलते है
शिवेन – नही गाइज इन सब मे बहुत खतरा है l मैं तुम दोनों को इस प्रॉब्लम में नही डाल सकता l अम्माजी चुप नहीं बैठेगी ! मैं जब तक पाकिजा को लेकर शहर से बाहर नही निकल जाता तब तक तुम दोनों किसी से कुछ नही कहोगे ओर मुझसे दूर रहोगे l


राघव – ये क्या कह रहा है तू हम लोग तुझे ऐसे अकेले नही जाने देंगे समझा
शिवेन – गाइज समझो ! अम्माजी सिर्फ मुझे जानती है तुम दोनों को नही तुम दोनों मेरे साथ गए तो तुम भी मुसीबत में पड़ जाओगे l यहां रहकर भी तुम मेरी मदद कर सकते हो
मयंक – वो कैसे ?
शिवेन – मुझे यहां की खबर देकर


राघव – पर तेरा इस तरह अकेले जाना मुझे अच्छा नही लग रहा
शिवेन – मुझे कुछ नही होगा l पर पाकिजा के लिए ये सब करना पड़ेगा ।
राघव – तुम दोनों के प्यार को किसी की नजर ना लगे बस
शिवेन – तू बस डेड को सम्हाल लेना l जैसे ही सब ठीक होगा मैं पाकिजा को लेकर आ जाऊंगा
मयंक – वो सब तो ठीक है पर तु जाएगा कहा ?


शिवेन – मुम्बई ! वहां मेरे एक कजिन भाई है आज सुबह मेरी उनसे बात हो गयी थी इस बारे में कुछ दिन वहा रुककर पाकिजा के साथ जौनपुर जाकर उसके घरवालों से मिलूंगा ओर शादी के लिए उसका हाथ मांगूगा l बस तब तक तुम दोनों सम्हाल लेना
राघव – तू चिंता मत कर हम दोनों तेरे साथ है l


शिवेन – thankyou यार
राघव – साले दोस्त को thankyou बोलता है l
शिवेन – दोस्त नही तुम दोनों मेरे भाई हो l

शिवेन ने दोनों को घर छोड़ा और फिर गाड़ी वापस जीबी रोड की तरफ मोड़ दी l
पाकिजा बेसब्री से बस शिवेन के आने का इंतजार कर रही थी l कुछ देर बाद शिवेन आया l पाकिजा ने जैसे ही उसे देखा नजरे झुका ली उसका दिल तेजी से धड़कने लगा l शिवेन उसके पास आया जैसे ही उसने पाकिजा से बात करनी चाही पाकिजा शरमा कर खिड़की की तरफ चली गयी


“क्या हुआ ?”,शिवेन ने कहा
पाकिजा चुप रही उसे आज शिवेन से नजर मिलाते हुए शर्म आ रही थी l शिवेन भी पाकिजा के पास आकर खड़ा हो गया l वह प्यार से पाकिजा को देखने लगा l ओर फिर कहा ,”बस आज की रात पाकिजा उसके बाद हमारी जिंदगी की नई शुरुआत होगी , कल का सूरज तुम्हारी जिंदगी में नई शुरुआत लेकर आएगा”
पाकिजा – मैं आपका ये अहसान कैसे चुका पाऊंगी शिवेन जी


शिवेन – पहली बात तो मैं तुम पर कोई अहसान नही कर रहा l मैं तुमसे प्यार करता हु ओर ये मेरा फर्ज बनता है कि मैं तुम्हारी हिफाजत करू l ओर दूसरी बात ये की आजसे मुझे शिवेन जी बुलाना बंद करो
पाकिजा – तो क्या कहकर बुलाऊ ( मासूमियत से)
शिवेन – तुम मुझे बुलाना शिव
पाकिजा – शिव जी


शिवेन – जी नही सिर्फ शिव
पाकिजा – शिव कौन होते है ?
शिवेन – शिव हमारे भगवान है , लड़कियों को अच्छा पति मिले इसलिए वो शिव की पूजा करती है पर तुम्हे तो खुद शिव ही मिल गए ( हँसने लगता है)
पाकिजा ने सुना तो शिवेन के पैर छूने लगी


शिवेन – अरे अरे ये क्या कर रही हो तुम ?
पाकिजा – मेरे लिए तो आप ही भगवान है आपने मुझे इस लायक समझा ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात है
शिवेन – तुम बहुत भोली हो पाकिजा इंसान को कभी भगवान नही बनाया जाता इंसान में भगवान जितनी सहने की हिम्मत और ताकत नही हैं l तुम्हारी जगह मेरे दिल मे है पैरों में नही ओर मैं तुम्हे खुद से कंधा मिलाते हुए देखना चाहता हु , मजबूत देखना चाहता हु इस तरह कमजोर नही l


पाकिजा की आंखों में आंसू भर आये आज से पहले उस से किसी ने ऐसे बात नही की थी किसी ने भी उसके सम्मान के लिए ये सब नही किया था l
“ओह्ह पाकिजा ! तुम कितनी इमोशनल हो जाती हो”,कहते हुए शिवेन ने उसे सीने से लगा लिया l
शिवेन के सीने से लगी पाकिजा को उसकी धड़कने साफ सुनाई दे रही थी l उसने आंखो में आये आंसू पोछे तो शिवेन ने कहा,”मुझे तुम्हारी आँखों मे ये आंसू बिल्कुल अच्छे नही लगते”


“हम जानते है , पर बीते वक्त ने इतना दर्द दिया है कि ना चाहते हुए भी ये आंखो से बाहर आ ही जाते है”,पाकिजा ने धीरे से कहा
“जो बित गया वो तुम्हारी जिंदगी का कुछ बुरा वक्त था , पर मैं वादा करता हु तुम्हारा आने वाला कल तुम्हारे अतीत के हर घाव को भर देगा l”,शिवेन ने प्यार से पाकिजा का सर सहलाते हुए कहा l


“दिल तो करता है कि ये वक्त यही रुक जाए ओर मैं हमेशा आपसे यू ही लिपटी रहू”,पाकिजा ने अपनी आंखें बंद करते हुए कहा l
“वैसे मेरे पास तुम्हारे लिए एक अच्छी खबर है”,शिवेन ने चहकते हुए कहा
“क्या ? बताईये ना ?”,पाकिजा ने शिवेन से अलग होते हुए कहा
“ममममम क्यों बताउ ?”,शिवेन पाकिजा को छेड़ते हुए बोला


“बताईये ना प्लीज़ ?”,पाकिजा बच्चों की तरह मचलते हुए बोली
“कल सुबह हम जौनपुर जा रहे है तुम्हारे घर ?”,शिवेन ने कहा
जौनपुर का नाम सुनते ही पाकिजा की आंखो में फिर आंसू आ गए
“अम्मी अब्बू की याद आती होगी ना , मिलने का मन करता होगा तुम्हारा”,शिवेन ने प्यार से कहा l


शिवेन की बात सुनते ही पाकिजा फुट फुट कर रोने लगी शिवेन उसके पास आया और चुप कराते हुए कहा,”अरे पगली कही की मैं तुम्हे खुशी की बात बता रहा हु ओर तुम हो कि रो रही हो ‘”
“हम उन्हें बहुत याद करते है , कितने दिनों से हमने उन्हें देखा तक नही है l “,पाकिजा ने सुबकते हुए कहा l
जानता हूं पाकिजा इसलिए तो सबसे पहले हम वही जाएंगे उनके पास”,शिवेन ने प्यार से उसके आंसू पोछते हुये कहा l


शिवेन पाकिजा को लेकर बेड के पास आया और उसे बैठने को कहा l टेबल पर रखे जग से पाकीजा के लिए पानी लाया और उसे पिलाया ग्लास साइड में रखकर शिवेन भी दूसरे किनारे पर बैठ गया उसने पाकिजा को अपने पास आने का इशारा किया पाकिजा शिवेन के पास आई और अपना सर उसके सीने से लगाकर आधा लेट गयी l शिवेन उसके बालो को सहलाता हुआ उस से बात करने लगा l


पाकिजा उसे अपने ओर अपनी बहनों के बचपन के किस्से सुनाने लगी l बातें करते करते पाकिजा को कब नींद आयी उसे पता ही नही चला l
शिवेन ने देखा पाकीजा सो चुकी है तो उसने उसे अपने दोनों हाथों से थाम लिया और सर दीवार से लगाकर सोचने लगा l

“किस्मत एक बार फिर मुझे इन चार दीवारों की कैद में ले आयी l इंसान का वजूद कभी उस से जुदा नही होता है l काश हम किस्मत का लिखा बदल पाते l पर पाकिजा के साथ गलत नही होने दूंगा l नही चाहता इन चार दीवारों की घुटन भरी जिंदगी में फिर कोई शिवेन आये l

बस आज की रात उसके बाद ये घुटन ये कैद ये बेबसी सब खत्म हो जाएगी और शायद मैं उनसे आंखे मिलाकर कह पाऊंगा की मैंने उनका वादा पूरा किया ! मैंने एक जिंदगी इस नरक में तबाह होने से बचा ली l इसी से उनकी आत्मा को शांति मिलेगी”

सोचते सोचते शिवेन की आंख लग गयी l सुबह वह समय से पहले ही जग गया उसने पाकिजा को उठाया और तैयार होने को कहा l पाकिजा ने आज वही नीले रंग का सूट पहना l शिवेन ने पाकिजा का हाथ पकड़ा और विश्वास भरी आंखो से पाकिजा की ओर देखा l शिवेन खिड़की के रास्ते से बाहर निकलकर पाकिजा को लेकर दबे पांव वहां से जाने लगा l


उसने पाकिजा का हाथ मजबूती से पकड़ा l रेलवे स्टेशन यहां से कुछ ही दूरी पर था वहां तक उन्हें पैदल ही जाना पड़ा दोनो छुपते छुपाते आगे बढ़ रहे थे लेकिन अम्माजी को इस बात की भनक लग गयी उन्होंने पाकिजा के कमरे में जाकर देखा दोनो वहां नही थे l
गुस्से से आग बबूला अम्माजी ने अपने गुर्गों को उन दोनों को ढूंढने भेजा l


शिवेन ओर पाकिजा अभी कुछ ही दूर गए थे कि अम्माजी के आदमियो की नजर उन पर पड़ गयी और फिर वे उनके पीछे लग गए l शिवेन ने पाकिजा का हाथ कसकर पकड़ा और भागने लगा l लेकिन अम्माजी के लोग तो जैसे हाथ धोकर उनके ही पीछे पड़ गए l दोनो भागे जा रहै थे आस पास उनकी मदद करने वाला कोई नही था l भागते भागते दोनो एक सुनसान रास्ते पर पहुंच गए l

कुछ समझ नही आ रहा था कहा जाए भागते भागते सूरज निकल आया था l दोनो थक भी गए लेकिन क्या करते उन्हें इन लोगो से बचना भी था l
सुनसान रास्ते के उस पार निचे खाई थी जो कि ज्यादा गहरी ना होकर कुछ दूरी तक थी और सामने घना जंगल था l शिवेन उस तरफ भागने लगा और फिर पाकिजा को सम्हाले हुए नीचे कूद गया l कुछ हल्की सी खरोंचे आई दोनो को l दोनो भागते हुए अंदर चले गए l


अम्माजी के आदमी भी उनका पीछा करते हुए नीचे आये ओर उन्हें ढूंढने लगे लेकिन जंगल घना था l अगर उसके अंदर जाते तो खो जाते l कुछ देर दोनो को तलाश करके वे लोग चले गए l शिवेन ओर पाकिजा झाड़ियों से बाहर निकले l पाकिजा ने देखा शिवेन के हाथ पर चोट लग गयी है और घाव से खून रिस रहा है l पाकिजा ने अपना दुप्पटा फाड़ा ओर शिवेन के हाथ पर बांध दिया l

शिवेन उसका हाथ पकड़े जंगल के रास्ते से दूसरी ओर जाने का रास्ता ढूंढने लगा l बहुत ढूंढने के बाद भी उन्हें कोई रास्ता नही मिला l आखिर में उन्होंने तय किया कि सीधा जाएंगे जहा किस्मत उनहै ले जाना चाहे ले जाये !!
दोनो एक दूसरे का हाथ थामे आगे बढ़ने लगे

उधर अम्माजी पाकिजा के ना मिलने से अपने आदमियो पर बरस पड़ी l उसने आदमियो को दोबारा भेजा और पाकिजा को ढूंढने को कहा l गुससे से भरी अम्माजी ने कोठे की लड़कियों तक को बेरहमी से पिट दिया लेकिन कोई नही जानता था पाकिजा कहा है l

सोनाली जिसे पाकिजा अपनी बड़ी बहन मानती थी उसे भी पाकिजा के बारे में कुछ नही पता था l
अम्माजी गुस्से में फुंफकरती हुई यहां से वहां टहल रही थी l

सुबह से दोपहर होने को आई लेकिन शिवेन को ना कोई रास्ता मिला ना ही सड़क l भूख और प्यास के मारे दोनो का हाल बेहाल था l
दोनो एक जगह बैठकर सुस्ताने लगे l कुछ देर बाद उठकर चलने लगे l कुछ ही दूर चले थे कि शिवेन को सड़क दिखाई देने लगी l

सड़क देखते ही दोनो के पांवो में पहले से भी ज्यादा जान आ गयी दोनो तेजी से सड़क की तरफ बढ़े लेकिन ये कोनसी जगह थी शिवेन नही जानता था ll
“हमसे अब ओर नही चला जायेगा , हमे पानी चाहिए”,पाकिजा ने घुटनो के बल जमीन पर बैठते हुए कहा l
“बस कुछ कदम ओर पाकिजा हो सकता है यहां हमे किसी की मदद मिल जाये “,शिवेन ने पसीना पोछते हुए कहा


“हमसे नही चला जाएगा शिव”,पाकिजा की हिम्मत अब जवाब देने लगी थी l
शिवेन नीचे झुका ओर पाकिजा को अपनी गोद मे उठाया और आगे बढ़ गया l शिवेन के गले मे अपनी बांहे डाले पाकिजा उसके मासूम चेहरे को देखने लगी l शिवेन के चेहरे पर एक शिकन तक नही थी l
कुछ दूर चलने पर पानी की टंकी दिखी l


शिवेन वहां पहुंचा और पाकिजा को गोद से नीचे उतार दिया l दोनो नल की तरफ बढे पाकिजा ने जैसे ही नल खोलकर पानी पीने के लिए हाथ बढ़ाया शिवेन ने उसे रोका और खुद अपने हाथों में पानी भरकर पिलाने लगा l पाकिजा तो बस उसकी आँखों मे खोकर रह गई l पानी गले से नीचे उतरा तो उसकी जान में जान आयी l


पाकिजा को पानी पिलाकर शिवेन खुद पानी पीने लगा और फिर मुंह धोने लगा l मुंह धोकर वह पाकिजा के पास आया l पाकिजा अपने दुप्पटे से उसका मुंह पोछने लगी
दोनो वहां से निकलकर सड़क किनारे आये

“अब हम क्या करेंगे ?”,पाकिजा ने चिंतित होकर कहा
“घबराओ मत यहां से हमे कोई ना कोई मदद जरूर मिल जाएगी”,शिवेन ने कहा l
दोनो वही पास पड़े पत्थर पर बैठकर इंतजार करने लगे l
कुछ देर बाद एक बड़ी सी गाड़ी आती दिखाई दी शिवेन दोड़कर गया और हाथ हिलाकर रुकने का इशारा किया पर गाड़ी दनदनाती हुई वहां से गुजर गई l

ऐसा दो तीन बार हुआ कोई भी गाड़ी उन दोनो की मदद के लिए नही रुकी l थककर शिवेन वापस आ गया l कुछ देर बाद एक ओर गाड़ी आती दिखाई दी इस बार पाकिजा उठकर गयी और गाड़ी रोकने की कोशिश करने लगी l गाड़ी रुकते ही पाकिजा गाड़ी के पास गई और कहा


“प्लीज़ हमारी मदद कीजिये l हमारे पीछे गुंडे पड़े है l हमे कैसे भी करके रेलवे स्टेशन पहुंचना है l हम सुबह से भटकते भटकते यहां आ गए है l खुदा के वास्ते हमारी मदद कीजिये l “

ड्राइवर ने पाकिजा को टालना चाहा लेकिन गाड़ी में पीछे बैठे उस आदमी ने अंदर आने का इशारा किया
“बहुत बहुत शुक्रिया साहब जी'”,कहते हुए पकिजा शिवेन की तरफ गयी और उसे बताया l दोनो गाड़ी में आ बैठे l
गाड़ी के अंदर आमने सामने सीट थी एक तरफ पाकिजा ओर शिवेन ओर सामने वह आदमी बैठा था l

उसने पाकिजा ओर शिवेन से उनकी ऐसी हालत के बारे में पूछा शिवेन ने सारी कहानी उस आदमी को बता दी l शिवेन की बात सुनते हुए उसकी आंखों में एक चमक सी उभर रही थी l
“घबराओ मत मैं तुम दोनों को सही सलामत स्टेशन पहुंचा दूंगा”,आदमी ने कहा
आदमी की बात सुनकर पाकिजा ओर शिवेन एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा उठे l


“thankyou सर thankyou सो मच “, शिवेन ने कहा l
“इसमे thankyou की क्या बात है “, आदमी ने चेहरे पर कुटिल मुस्कान लाते हुए कहा
शिवेन ओर पाकिजा उसकी मुस्कुराहट को नही भांप पाए और एक दूसरे का हाथ थामे बैठे रहे l रास्ते भर उस आदमी की नजर सामने बैठी पाकिजा के जिस्म का मुआयना करती रही l


घंटेभर बाद गाड़ी शहर में थी l आदमी ने ड्राइवर से गाड़ी रोकने को कहा ओर सामने से जूस के ग्लास लाने को कहा
ड्राइवर कुछ ही देर में 2 ग्लास जूस के ले आया l आदमी ने ग्लास शिवेन ओर पाकिजा की तरफ बढ़ा दिए l
“इसकी क्या जरूरत थी सर ?”,शिवेन ने कहा
“तुम दोनों को देखकर लगता है तुम लोगो ने सुबह से कुछ खाया पिया नही है l

स्टेशन पहुंचते पहुंचते अभी एक घंटा लग जायेगा l ये पिलो तुम्हे आराम मिलेगा”,आदमी ने प्यार से कहा l
शिवेन ओर पकिजा ने ग्लास ले लिया और पीने लगे l जूस पीकर उन्होंने ग्लास साइड में रख दिये l आदमी ने ड्राइवर से चलने को कहा l
गाड़ी कभी कुछ ही दूर चली थी कि पाकिजा ओर शिवेन का सर चकराने लगा l

उनकी आँखों के आगे अंधेरा छाने लगा और अगले ही पल दोनो बेसुध होकर गिर पड़े l आदमी ने दोनों के चेहरे पकड़कर देखा और फिर ड्राइवर से कहा
“गाड़ी जीबी रोड की तरफ ले ले “

पाकिजा ओर शिवेन एक बार फिर धोखे का शिकार हो गए l

घंटेभर बाद गाड़ी अम्माजी के कोठे के सामने थीं l आदमी ने चेहरे को नकाब से ढका ताकि कोई उसे पहचान ना सके ओर सीढियो की तरफ बढ़ गया l
अंदर आकर उस आदमी ने अपना नकाब हटाया ओर अम्माजी की तरफ बढा
आदमी को वहां देखते ही अम्माजी ने हैरानी से कहा,”मालिक आप यहां ?


आदमी ने खींचकर एक थप्पड़ अम्माजी के गाल पर रसीद किया और दांत पिसते हुए कहा,”तुझसे एक लड़की तक नही सम्हाली जाती , जानती नही वो हमारे लिए कितनी कीमती है l लाखो की कीमत है उसकी लाखो की”
“मालिक मुझे पता ही नही चला की वो लड़की कब यहां से फरार हो गयी”,अम्माजी ने मिमियाते हुए कहा
आदमी ने अम्माजी के बाल पकड़े ओर अपनी ओर खींचकर कहा,”तू अच्छी तरह जानती है मुझे बहाने सुनना पसंद नही है l

एक लड़की तो तुझसे सम्हाली नही गयी कोठा क्या खाक सम्हालेगी l तू जानती नही है मैं कौन हूं l पाटिल पाटिल हु मैं सारा शहर मुझे अपना भगवान मानता है l लेकिन उन लोगो को नही पता इस भगवान के पीछे एक चेहरा शैतान का भी है जिसने ये दुनिया बनाई है जिसके बारे में कोई नही जानता l “
कहते हुए आदमी ने अम्माजी को धक्का दिया और फिर गुस्से से कहा,

“ये दुनिया मेरी बनाई हुई है , मेरी मर्जी के बिना यहां से एक चींटी तक बाहर नही जा सकती”

Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30 Pakizah – 30

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