Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 24

Pakizah – 24

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 24

पाकिजा की बात सुनकर शिवेन खामोश हो गया और पाकिजा को देखने लगा l पाकिजा की आंखों में आंसू निकल भर आये उसने शिवेन की तरफ देखा और कहा ,”चुप क्यों खड़े है ? आईये कर लीजिये अपने मंसूबे पूरे ! दिखा दीजिये की आप एक मर्द है और एक मर्द के सामने एक औरत की ना का कोई महत्व नही होता “
पाकिजा का एक एक शब्द शिवेन के सीने में तीर की तरह चुभता जा रहा था पर वह खामोशी से सब सुनता रहा

शिवेन को चुप देखकर पाकिजा ने कहा ,”क्या हुआ ? क्या इस जिस्म को देखकर आपके अंदर का जानवर नही जागा ! आपने कीमत अदा की है लेकिन क्या कभी सोचा कि जिसे आप कुछ वक्त के लिए खरीद रहे है वो क्या चाहती है ? पर आप क्यों सोचेंगे ? अगर सोचते तो यहां तक नही आते इन बदनाम गलियों में आने का सिर्फ एक ही मकसद होता है l इन मांस के लोथड़ों को नोचना ओर अपनी मर्दानगी साबित करना !”


पाकिजा ये सब इस लिए कह गयी क्योंकि शिवेन को अपने ग्राहक के रूप में देखकर वह हैरान थी l पर शिवेन अब भी चुप था
“आईये ना ! दिखा लीजिये आप भी अपनी मर्दानगी कर लीजिए अपना शौक पूरा”,पाकिजा ने थोड़ा ऊंची आवाज में कहा l
शिवेन जैसे नींद से जागा वह चलकर धीरे से पाकिजा के पास आया और निचे जमीन पर गिरा पाकिजा के दुपट्टा उठाया l

उसने दुपट्टा पाकिजा के सर पर रखते हुए उसके बदन को ढांक दिया l पाकिजा शिवेन का ये रूप देखकर स्तब्ध थी l उस्की आंख से बहकर आंसू गाल पर लुढ़क आया शिवेन ने अपनी उंगली से उसके आंसू पोछे ओर कहा ,”मैं यहां इन सबके लिए नही आया हु !


पाकिजा शिवेन की आंखों में देखने लगी तो शिवेन ने उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर कहा,”हर मर्द एक जैसा नही होता llमैं यहा तुमसे मिलने आया हु , तुम्हारी कहानी जानने आया हु , तुम यहाँ क्यो हो ये पता लगाने आया हु
“आपको ये सब जानने में दिलचस्पी क्यों है ?”,पाकिजा ने शिवेन के हाथों को झटककर कहा l

“नही पता पर कुछ तो है जो हम दोनों को जोड़े हुए है जबसे तुमसे मिला हु खुद को भूल गया हूं l तुम पास होती हो तो लगता है जैसे सब अच्छा है सही है पर जब तुम्हे यहां देखा तो बर्दास्त नही हुआ l”,शिवेन ने कहा

“ये सब कहने वाले आप कौन होते है क्या रिश्ता है हमारा ?”,पाकिजा ने गुस्से से कहा ओर जाने लगी

शिवेन ने पाकिजा का हाथ पकड़कर उसे रोक लिया ओर कहा ,”क्या इसके लिए किसी रिश्ते का होना जरूरी है l जो मैं तुम्हारे लिए महसूस करता हु क्या उस भावना को कोई नाम देना जरूरी है
पाकिजा खामोश हो गयी शिवेन उसका हाथ पकड़कर उसे बिस्तर तक ले आया और कहा,”बैठो !
पाकिजा शिवेन को घूरने लगी तो शिवेन ने आवाज को थोड़ा सख्त करके कहा,”मैंने कहा , बैठो l


शिवेन को गुस्से में देखकर पाकीजा चुपचाप पलँग पर बैठ गयी l
शिवेन पाकिजा के बिल्कुल सामने नीचे जमीन पर बैठ गया l
“आप नीचे इस तरह…………!!”,पाकिजा ने कहना चाहा तो शिवेन ने उसे रोक दिया
“यहां नीचे बैठूंगा तो इत्मीनान से तुम्हे देख पाऊंगा ना , अच्छा अब जो मैं पुछु उसका सही सही जवाब देना”,शिवेन ने कहा


पाकिजा ने हा में गर्दन हिला दी l
शिवेन – तुम्हारा नाम क्या है ?
पाकिजा – जी पाकिजा
शिवेन – कहा से हो ? मेरा मतलब घर कहा है तुम्हारा ?
पाकिजा – जौनपुर , उतर-प्रदेश


शिवेन – यहां तक कैसे पहुंची ?
पाकिजा – वो एक बड़ी कहानी है !
शिवेन – डोंट वेरी हमारे पास पूरी रात पड़ी है तुम आराम से सुनाओ
पाकिजा – आप बहुत जिद्दी है
शिवेन – जानता हूं ,


पाकिजा – दिख रहा है वो तो
शिवेन – यहां तक कैसे पहुंची वो बताओ तुम बाकी बाते बाद में
पाकिजा ने शुरू से लेकर अब तक कि अपनी सारी कहानी शिवेन को सुना डाली l जब पाकिजा अपने सफर के बारे में बता रही थी तो कितने भी भाव शिवेन के चेहरे पर आए और गए l उसकी आँखों मे गुस्सा उतर आया लेकिन खुद को काबू में रखा और पाकिजा के चेहरे की तरफ देखते हुए सब सुनता रहा l

बाहर से भले वह शांत था पर अंदर ही अंदर उसका खून खोलता जा रहा था l युवान , अधेड़ आदमी , अम्मा जी इन सबके लिए शिवेन का दिल नफरत से भर गया l पर पाकिजा का मासूम चेहरा उसके दिल मे उतरता गया l खुद को पाकिजा के दर्द से जुड़ा हुआ महसूस करने लगा था l


सच बताकर पाकिजा चुप हो गयी शिवेन जो अब तक पाकिजा को देख रहा था अब दूसरी तरफ देखने लगा उसकी आँखों मे आंसू आ गए जिन्हें वह पाकिजा से छुपाने की नाकाम कोशिश कर रहा था l शिवेन ने आंखों के किनारे आये अपने आंसुओ को रोका और पाकिजा की तरफ देखकर कहा,”इतना सब कुछ अकेले सहती रही तुम ?


पाकिजा – अपना कहने के लिये यहां कोई नही है
शिवेन – किसी से मदद नही मांगी तुमने ?
पाकिजा – मदद के नाम पर यहां कोई नही आता सबको बस ये जिस्म………..!!

पाकिजा कहते कहते रुक गयी l

शिवेन नीचे देखने लगा और कुछ देर बाद कहा,”तुम्हारे घरवाले उन्होंने कभी तुम्हे ढूंढने की कोशिश नही की ?

“अम्मी अब्बू को तो पता भी नही है कि मैं किस हाल में हु”,पाकिजा ने उदास होकर कहा
शिवेन – उनसे मिलने का मन नही किया ?
पाकिजा – यहां से निकलना आसान नही है , अम्माजी इंसान नही जानवर है जानवर उनकी मर्जी के बिना सांस लेना भी मुश्किल है


शिवेन – लेकिन उस दिन तुम मुझे उस होटल में मिली थी , तब तुमने किसी से मदद क्यों नही मांगी ?
पाकिजा – वहां सोनाली बाजी मुझे किसी कस्टमर के पास लेकर गयी थी , ओर अम्माजी के आदमी हर वक्त साथ रहते है l
शिवेन – सोनाली ?
पाकिजा – यही रहती हैं हमारे साथ हम प्यार से उन्हें बाजी बुलाते है


शिवेन – मैं जानता हूं जो कुछ अब तक तुम्हारे साथ हुआ है उसके बाद तुम्हारा किसी पर भरिसा करना जायज नही होगा पर मैं तुम्हे यहां से बाहर निकालना चाहता हु l
पाकिजा – ऐसे ख्वाब मत दिखाईये जो पूरे ना हो सके
शिवेन – ये कोई ख्वाब नही हकीकत है जो बहुत जल्द पूरी होगी l बहुत सह लिया तुमने अब तुम्हे यहां से निकालने की जिम्मेदारी मेरी है


पाकिजा – ओर ये सब किस हक से कर रहे है आप ?
शिवेन – एक इंसान होने के हक से ।
पाकिजा – इंसानियत अब जिंदा नही है
शिवेन – पर मुझमे अभी भी बाकी है


पाकिजा – लेकिन मैं आप पर भरोसा क्यू करू , आप भला मेरी मदद बिना किसी स्वार्थ के क्यों करेंगे ?शिवेन अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ और पाकिजा के एकदम सामने आकर कहा,”क्योंकि मैं तुमसे………….!!”
कहते कहते शिवेन रुक गया और फिर कहा,”क्योंकि मैं तुम्हे इस नरक में नही देख सकता l
“अब यही मेरी दुनिया है”,पाकिजा ने कहा


“ऐसा तुम सोचती हो पाकिजा मेरी नजर से देखो तुम इस जगह के लायक नही हो , मैं तुम्हे यहां से निकाल कर रहूंगा l”,शिवेन ने गुस्से से कहा
पाकिजा अपनी जगह से उठ खड़ी हुई और कहा,”ऐसी बाते मत कीजिये जिनका कोई अस्तित्व ही नही है”
“तुम लड़कियों की ना यही प्रॉब्लम होती है तुम्हे सीधे सीधे कोई बात समझ ही नही आती है l

युवान जैसे घटिया इंसान पर भरोसा कर सकती हो पर मुझपर नंही , यहां मैं खुद तुम्हारी मदद करना चाह रहा हु तो तुम अस्तित्व की बाते कर रही हो”,शिवेन ने चिल्लाकर कहा l
“किसी की बातों पर भरोसा करने का मतलब है अपने हाथों अपना दिल तोड़ना l ये बातें कब झूठी निकल आये कौन जानता है”,कहते हुए पाकिजा जैसे ही वहां से दूसरी तरफ जाने लगी

शिवेन ने उसका हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचकर बांहो में जकड़ते हुए कहा,” देखो मेरी इन आँखों मे क्या तुम्हें ये सब झूठ लगता है , इंसान धोखा दे सकता है लेकिन उसकी आंखें नही उसकी आँखों मे हमेशा सच दिखता है बशर्ते कोई देखने वाला हो”
शिवेन की मजबूत बांह में कैद पाकिजा उसकी आँखों मे झांकने लगी l शिवेन की आंखे साफ थी पाकिजा को उनमे कोई झूठ या छल नजर नही आ रहा था पर वो कहते है ना दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पिता है l

पाकिजा उसकी मजबूत कैद से निकलने के लिए कसमकसने लगी उसकी आँखों मे नमी तैर गयी शिवेन ने देखा तो उसे अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने तेजी से पाकिजा को छोड़ते हुए कहा
,”i am so sorry , मुझे तुम्हे इस तरह नही छूना चाहिए था l मुझसे गलती हो गयी वो गुस्से में मैंने i am sorry “
कहते हुए शिवेन दूसरी तरफ देखने लगा l


पाकिजा स्तब्ध थी पहली बार कोई मर्द उसे छूने के बाद उस से इस तरह माफी मांग रहा था l आज से पहले ना तो किसी ने उसकी भावनाओं की कद्र की थी ना ही उसके इनकार को तवज्जोह दी बस सब अपना अपना उल्लू सीधा कर जाते रहे पर आज पहली बार किसी ने उसे उसकी इजाज़त के बिना छूने की माफी मांगी थी l
शिवेन कुछ देर बाद पकीजा की तरफ पलटा ओर फिर कहा,”पाकिजा इस वक्त मैं तुम्हे नही समझा सकता

कि मेरे दिल में तुम्हारे लिए क्या फीलिंग्स है पर इतना जरूर कह सकता हु की मैं यहां सिर्फ तुम्हारे लिए आया हु , तुम्हारी मदद करने के लिए आया हु l मैं तुम्हे यहां से बाहर निकालना चाहता हु पर इसके लिये तुम्हारा मुझपर भरोसा करना बहुत जरूरी है l क्योंकि तुम्हारे भरोसे के बिना मैं अकेला कुछ नही कर पाऊंगा ,, दोगी ना मेरा साथ !”

शिवेन की बात सुनकर पाकिजा सोच में डूब गई और फिर चुपचाप जमीन को देखने लगी l पाकिजा को चुप देखकर शिवेन ने धीरे से कहा,” तुम्हारी चुप्पी बता रही है की तुम्हे अब भी मेरी बातों पर यकीन नही हो रहा हैं l तो फिर मैं चलता हूं

कहकर शिव जैसे ही दरवाजे की तरफ बढा पाकिजा ने कहा,”सुनिए ! रात बहुत हो चुकी हैं , इतनी रात को आप कहा जाएंगे ?
पाकिजा की बातो में अपने लिए फिक्र देखकर शिवेन रुक गया ओर वापस आकर बिस्तर पर बैठ गया l पाकिजा कुछ ही दूरी पर खड़ी थी l
“एक ग्लास पानी मिलेगा ?”,शिवेन ने कहा


पाकिजा ने टेबल पर रखें जग से पानी ग्लास में उड़ेला ओर लाकर शिवेन को दिया l शिवेन एक सांस में सारा पानी पी गया और कहा ,” थेंक्स !!
पाकिजा वापस जाने लगी तो शिवेन ने प्यार से कहा,”पाकिजा यहां बैठो !
शिवेन के इस प्रस्ताव पर पाकिजा का दिल तेजी से धड़कने लगा l उसने ग्लास साइड में रखा और बिस्तर के दुसरे किनारे पर बैठ गई अपने पांवो को उसने अंदर तक समेट लिया l


“मैंने अपनी बातों से तुम्हे बहुत परेशान किया चलो कुछ अच्छी बातें करते है'”,शिवेन ने कहा
शिवेन के मुंह से ये बात सुनकर पकीजा के दिल को थोड़ी राहत मिली l
“चलो शुरुआत मैं करता हु”,कहकर शिवेन पाकिजा को अपने बचपन से लेकर अब तक का हर किस्सा सुनाने लगा l शिवेन जितने धयान से कुछ कहता पाकिजा उतने ही ध्यान से सब सुनती जाती जब पाकिजा की बारी आई तो शिवेन प्यार से उसे देखता हुआ

उसकी बात सुनने लगा पर अगले ही पल नींद ने उसे अपने आगोश में ले लिया l शिवेन को वही बैठे नींद आ गयी ओर वह वही बेड पर सो गया पास बैठी पाकिजा ने देखा सोते हुए शिवेन का चेहरा बिल्कुल मासूम लग रहा था l पाकिजा ने महसूस किया शिवेन बाकी लोगो जैसा नही था बल्कि सबसे अलग था l अपना चेहरा अपने घुटनों पर टिकाए वह प्यार से शिवेन के चेहरे को निहारने लगी l

सारी रात पाकिजा ने जागकर काट दी या यूं कहें शिवेन को देखते हुए गुजार दी l सुबह 5 बजे पाकिजा को याद आया ये वक्त कस्टमर्स के वापस जाने का होता है
वह उठी और शिवेन को देखा वह अभी तक सो रहा था l पाकिजा ने धीरे से उसे आवाज भी दी लेकिन शिवेन गहरी नींद में था l

पाकिजा को समझ नही आ रहा था कि अब उसे कैसे उठाये l वह कमरे में इधर उधर घूमने लगी तभी ऊसकी नजर टेबल पर रखे पानी के जग की तरफ गयी पाकिजा उसे उठा लायी ओर खुदा का नाम लेकर शिवेन पर उड़ेल दिया l
शिवेन हड़बड़ा कर उठ गया l
“माफ कीजियेगा इतना जगाने के बाद भी जब आप नही उठे तो मुझे ऐसा करना पड़ा”,पाकिजा ने धीरे से कहा l


शिवेन मुस्कुरा उठा और वहां से उठकर बिस्तर से नीचे उतरा तो पाकिजा ने तोलिया शिवेन की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”सर पोछ लीजिये वरना ठंड लग जायेगी'”
शिवेन बाहर से सख्ती दिखा रहा था लेकिन अंदर ही अंदर बहुत खुश था पाकिजा उसकी इतनी परवाह जो कर रही थी l

ओर दूसरी खास वजह थी आज की सुबह जो पाकिजा के साथ शुरू हुई थी सर पोछकर शिवेन ने तोलिया वापस पाकिजा की तरफ बढा दिया सहसा ही दोनो की उंगलियां एक दूसरे को छू कर गुजरी l
एक खूबसूरत अहसास जिसे दोनो ने ही महसूस किया था l दोनो एक दूसरे की आंखों में खुद को देखने लगे l कुछ देर बाद पकीजा को अलविदा कहकर शिवेन जाने लगा

दरवाजा खोलकर वही रुक गया और पलटकर पाकिजा से कहा ,”आज के बाद कोई तुम्हे बेआबरू नही करेगा”
“आपका नाम जान सकती हूं ?”,पाकिजा ने कहा
“शिवेन “,शिवेन ने कहा और फिर वहां से चला गया l

“शिवेन”,पाकिजा ने धीरे से उसका नाम बुदबुदाया ओर फिर शिवेन के बारे में सोचने लगी l

उसकी अंधेरो से भरी जिंदगी में वह एक रोशनी की किरण था ll

PakizahPakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24 – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24

Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24Pakizah – 24

Continue With Part Pakizah – 25

Read Previous Part Here – पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 23

Follow Me On facebook

Sanjana Kirodiwal

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!