पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 11

Pakizah – 11

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 11

अंधेरे कमरे में बिस्तर पर पड़ी पाकीजा की आंख खुली l उसे कुछ याद नही था ना ये पता था कि वो कहा है ! सर दर्द से फटा जा रहा था बाहर से आती गानों की आवाजें , शोर शराबा , कभी खिलखिलाकर हसने की आवाज तो , कभी गंदी गालियों का हुजूम पाकीजा उठी और दरवाजे तक गयी l डरते डरते उसने दरवाजा ख़ोला ओर बाहर आई l


शाम हो चुकी थी चारो तरफ जगमग करती लाईटे , इत्र की खुशबुएँ , कोलाहल
पाकीजा संकरे गलियारे में आगे बढ़ती हुई उस बड़े से कमरे में पहुंची जहां अम्मा जी तख्त पर बैठी रुपयों का हिसाब लगा रही थी l पाकीजा ने देखा वहां खड़ी लडकिया कपड़ो से अपने बदन को छुपा कम बल्कि दिखा ज्यादा रही थी l पाकीजा को वहां देखकर अम्माजी ने उसे अपने पास आने का इशारा किया l डरी सहमी सी पाकीजा उनके पास आई तो उन्होंने कहा – नाम क्या है तेरा ?


“जी पाकीजा”,उसने धीरे से कहा l
“पाकीजा का मतलब पता है तुझे ?”,अम्माजी ने फिर सवाल किया
“जी हां , पाकीजा का मतलब पवित्र”,उसने फिर धीरे से कहा l
“पर यहां तुझे कोई पवित्र रहने नही देगा”,अम्माजी ने कहा और फिर जोर जोर से हसने लगी l अम्माजी को हंसता देखकर बाकी सब लडकिया भी जोर जोर से हसने लगी l


पाकीजा मासूमियत से सबको हंसता देखती रही l ओर फिर अम्माजी से कहा – मुझे घर जाना है
“कोनसे घर ? अब यही तेरा घर है”,अम्माजी ने घूरकर कहा l
पाकीजा ने अम्माजी की बात पर ध्यान नही दिया दरवाजे की तरफ बढ़ी लेकिन दरवाजा बाहर से बंद था l पाकीजा में दरवाजा खोलने की बहुत कोशिश की लेकिन नही ख़ोल पायी ओर वही गिरकर रोने लगी


अम्माजी चुपचाप बैठी सब देख रही थी l पाकीजा रोते हुए उनके पास आई और पैरों में गिरकर कहा,”मुझे मेरे घर जाना है आप कौन लोग है ? मुझे यहां क्यो लाये है ? मेरे अब्बू अम्मी जौनपुर में है मुझे उनके पास जाने दीजिए , खुदा के वास्ते मुझे मेरे घर जाने दीजिए”
अम्माजी ने पाकीजा को बालों से पकड़कर उठाया और कहा ,”यहां से जाना मुश्किल ही नही बल्कि नामुमकिन है l ये तवायफ का कोठा है ओर आज से तू भी यही रहकर धंधा करेगी , समझी !”


पाकीजा ने जब ये सुना तो उसके कान सुन्न रह गए l अपनी अम्मी को उसने एक बार इस जगह के बारे में बात करते सुना था l उसने सुना था कि ये बहुत बुरी जगह होती है यहां जिस्म का सौदा होता है l पाकीजा अंदर तक सिहर गयी l उसने हिम्मत करके कहा,”नही मैं ऐसा कुछ नही करूंगी”


अम्माजी जो कि दिखने में हट्टी कट्टी थी ने एक जोरदार थप्पड़ पाकीजा के गाल पर रसीद किया और फिर से उसके बाल पकड़कर दांत पीसते हुए कहा,”जितनी जल्दी इस बात को मानोगी उतना ही अच्छा है वरना मार मार की खाल उधेड़ दूंगी तेरी”
पाकीजा के होंठ से खून निकलने लगा l अम्माजी ने उसको जमीन पर धक्का दे मारा पाकीजा मुंह के बल नीचे जा गिरी l

उसकी आँखों से आंसू बहने लगे ये कैसा अन्याय था ऊपर वाले का उस दरिंदे के चुंगल से निकलकर भी पाकीजा इस दलदल में फंस गई l अपनी किस्मत को कोसते हुए पाकीजा सुबकने लगी उसने देखा कि अम्माजी कितनी खतरनाक है और यहां से निकलना कितना मुश्किल है l
“सोनाली लेकर जा इसको ओर सबसे पहले इसे इंसान बना ,

कुछ खिला पिला ओर फिर यहां के नियम कायदे सीखा”,अम्माजी ने पास खड़ी सोनाली से कहा
सोनाली ने पाकीजा का हाथ पकड़कर उसे उठाया और अपने साथ ले गयी l पाकीजा कुछ बोलने सुनने के लायक नही थी उसकी आंखों के आगे बस अपने साथ हुआ अन्याय , अत्याचार और धोखा आ रहा था l
सोनाली पाकीजा को लेकर अपने कमरे में आई उसने कमरा अंदर से बंद कर लिया l

पाकीजा को कुर्सी पर बैठने को कहा पाकीजा की आंखों से आंसू लगातार बहते जा रहे थे l
“तू इन लोगो के जाल में कैसे फंसी ?”,सोनाली ने पूछा
पाकीजा चुप रही
“कहा से आई है तू ?”,सोनाली ने फिर पूछा
“उम्र क्या है तेरी ?


“मा बाप घर बार कहा है तेरा ?
“अरे कुछ तो बोल ?”,पाकीजा को चुप देखकर सोनांली ने झुंझलाते हुए कहा l
पाकीजा ऐसे बैठे थी जैसे वो वहा है ही नही वह चुपचाप बैठी जमीन को घूरती रही l
“अच्छा एक काम कर पहले जाकर नहा ले तब तक मैं तेरे लिए खाना लेकर आती हु”,कहते हुए सोनांली ने पाकीजा को उठाया और उसे बाथरूम में छोड़कर आ गयी l


पाकीजा ने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और नल के नीचे खड़े होकर नल चला दी l सर से होता हुआ पानी नीचे गिर रहा था और इसी पानी मे बह रहे थे उसके आंसू l पाकीजा फूटफूटकर रोने लगी l उसकी किस्मत उसे किस नरक में ले आयी पाकीजा का दर्द उसकी आवाज में छलकने लगा l
बाथरूम से बाहर आकर पाकीजा कमरे में वापस आ गयी तब तक सोनांली भी उसके लिए खाना लेकर आ चुकी थी सोनाली ने उसे पहनने को दूसरे कपड़े दिये l

पाकीजा ने कपड़े चेंज किये पर वही पास रखे बिस्तर पर बैठ गयी l सोनाली ने उसे खाना खाने को कहा पर पाकीजा ने उस खाने की तरफ देखा तक नही ओर फिर कुछ देर बाद सोनाली की तरफ देखकर कहा – मुझे मेरे घर जाना है
“यहां से निकलना इतना आसान नही है , तुम खाना खा लो अम्माजी बहुत बुरी है वो तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकती हैं”,सोनांली ने चिंता जताते हुए कहा l


पाकीजा ने मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया कोई उसकी बात सुनने को तैयार नही था l कोई उसका दर्द नही समझ रहा था पाकीजा की आंखों से आंसू बहने लगे l सोनाली खाना रखकर चली गयी पर पाकीजा ने खाने को छुआ तक नही वह घुटनो में सर छुपाए रोती रही और फिर वही लेट गयी l नींद कब आयी उसे पता नही l
सुबह जल्दी ही उसकी आंख खुल गयी उसने देखा सब सो रहे है पाकीजा उठकर गलियारे से बाहर आई और फिर दबे पांव हॉल में आकर दरवाजे पर पहुंची लेकिन गेट बाहर से बंद था

पाकीजा ने बहुत कोशिश की लेकिन दरवाजा नही खुला l अभी वह दरवाजा खोलने की कोशिश कर ही रही थी कि तभी अम्माजी की नजर उस पर पड़ गयी
अम्माजी तेज आवाज में चिल्लाई पाकीजा सहम गई उसकी आँखों मे डर समा गया कोठे की सारी लडकिया हॉल में जमा हो गयी l सोनाली भी आंखे मसलते हुए हॉल में आई और जब उसने दरवाजे पर पाकीजा को देखा तो डर गई वो जानती थी अम्माजी के खिलाफ जाने का अंजाम l


अम्माजी ने पाकीजा को दरवाजे से हटाकर फर्श पर धक्का दिया और फिर जोर से आवाज लगाई – उस्मान !!
अगले ही पल दरवाजा खोलकर उस्मान अंदर आया और कहा – जी अम्माजी
“खाल खींच दे इस हरामजादी की , ओर ऐसा सबक सिखा की जिंदगी में कभी बिना मेरी इजाजत के ये उस दरवाजे की तरफ ना जॉए”,अम्माजी ने गुस्से से तख्त पर बैठते हुए कहा


“लेकिन अम्माजी वो अभी बच्ची है”,सोनाली ने पाकीजा को बचाने की एक नाकाम कोशिश करते हुए कहा
“कोई बीच मे नही आएगा , जिसको ज्यादा हमदर्दी है वो सबक मिलने के बाद दिखाए”,अम्माजी ने बिना सोनाली की तरफ देखे कहा
सारी लडकिया चुपचाप खड़ी रही l उस्मान ने अपनी चमड़े की बेल्ट निकाली ओर पाकीजा पर बरसाना शुरू किया l

दर्द की इंतहा थी लेकिन पाकीजा ने उफ तक नही की वह जमीन पर पड़ी उस बेल्ट की मार को सहती रही लेकिन दर्द उसके चेहरे और आंखों से साफ झलक रहा था l सोनाली से जब देखा नही गया तो उसने आकर उस्मान को रोकते हुए अम्माजी से कहा – बस करो अम्मा , मार जाएगी ये !
“तो फिर समझा दे इसे की मेरी मर्जी के बिना यहां एक पत्ता भी नही हिलता है , अगर इसने ज्यादा होशियारी की तो काटकर गटर में बहा दूंगी”,अम्माजी ने कहा l


“मैं समझा दूंगी इसे “,सोनाली ने पाकीजा को उठाते हुए कहा l
अम्माजी के इशारे पर उस्मान वहां से चला गया l
“चलो लड़कियों सब अंदर जाओ , ओर याद रखना जो भी यहां से जाने का ख्याल भी दिल मे लाया तो उसका इस से भी बुरा हश्र होगा “,अम्माजी ने कहा और अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी l


सोनाली पाकीजा को सहारा देकर अपने कमरे में ले आयी कमरे में आते ही पाकीजा औंधे मुंह गिर पड़ी इतनी मार खाने के बाद होश ही कहा था उसे l
सोनाली ने दरवाजा बंद किया और पाकीजा के कपड़े हटाये तो उसका कलेजा धक से रह गया l पाकीजा
के गोरे बदन पर चमड़े की बेल्ट के निशान बन चुके थे l सोनाली की आंखों में आंसू आ गए l

वह अलमारी से मलहम ले आयी और आकर पाकीजा के पास बैठ गयी उसने उंगली से मलहम निकाल कर जैसे ही पाकीजा की पीठ पर लगाया पाकीजा की दर्दभरी आह निकल गयी l
सोनाली उसका दर्द महसूस कर सकती थी l उसने पाकीजा की पीठ पर मलहम लगाना शुरू किया पाकीजा ने सोनाली का दूसरा हाथ कसकर पकड़ लिया l उसकी आँखों से आंसू बहने लगे l मलहम लगाकर सोनाली ने पाकीजा की पीठ को एक झीने दुपट्टे से ढक दिया ओर उसके बालो को सहलाते हुए कहने लगी


“अम्माजी बहुत बुरी है पाकीजा , उनके चंगुल से छूटना इतना आसान नही है l यहां जो भी लडकिया है उनमें से कुछ अपनी मर्जी से यहां है और कुछ धोखे का शिकार है पर एक बार जो यहा आ गया वो कभी वापस नही जा पाया l उसे कभी जाने ही नही दिया गया l अम्माजी की बात ना मानने वालों की इसी तरह खाल उधेड़ दी जाती है l शुरू शुरू में कुछ समझ नही आता , सब बुरा लगता है , लेकिन धीरे धीरे इस दुनिया की आदत पड़ जाती है l

तुम यहाँ से जाने का ख्याल दिमाग से निकाल दो पाकीजा ये लोग तुम्हे कही नही जाने देंगे और इसकी वजह है तुम्हारा ये रूप”

पाकीजा सो चुकी थी ! सोनाली ने जब देखा तो वहां से उठकर बाहर चली गयी l पाकीजा एक ऐसे दलदल में आ चुकी थी जहां से निकलना मुश्किल ही नही बल्कि नामुमकिन था l

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