पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 10
Pakizah – 10
Pakizah – 10
पाकीजा की कहानी पढ़ने के बाद रूद्र सारी रात सो नहीं पाया और सारी रात बिस्तर पर करवटे बदलता रहा ! उसका दर्द सारी रात रूद्र की आँखों में घूमता रहा l
लेकिन ये तो पाकीजा के दर्द की शुरुआत थी l
जब दिल नहीं माना तो रूद्र उठकर स्टडी टेबल पर आ बैठा l रात के तीन बज रहे थे रूद्र ने पाकीजा की डायरी उठायी और खोलकर पढ़ने लगा
ट्रेन दिल्ली स्टेशन पर आकर रुकी l पाकिज की आँख खुली खुद को सीट पर पाकर पाकीजा हैरान हो गयी l उसने देखा सामने सीट पर सो रहे लोग नींद से उघ रहे है l पाकीजा को कुछ याद नहीं था l उसने अपने आपको सम्हाला और ट्रेन से निचे उतर गयी l उसने चारो तरफ देखा अजनबी जगह थी l पाकीजा अंदर ही अंदर काफी डरी हुई थी l हिम्मत करके वह आगे बढ़ी और स्टेशन से बाहर आ गयी l
“भाईसाहब ये कोनसी जगह है ?”,पाकीजा ने राह चलते एक आदमी से पूछा
आदमी ने उसे ऊपर से लेकर निचे तक घूरकर देखा और कहा,”भांग खा के आयी हो क्या ? सामने बोर्ड नहीं दिखता दिल्ली है ये मैडम जी”
“दिल्ली ? मैं यहाँ कैसे आई ?”,पाकीजा ने घबराकर कहा l
आदमी ने पाकीजा को पागल समझा और वहा से चला गया l
पाकीजा इधर उधर देखने लगी क्या करे कुछ समझ नहीं आ रहा था पाकीजा वही खड़ी थी की तभी किसी ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखा पाकीजा ने पलटकर देखा तो एक बार फिर उसका दिल धड़क उठा l सामने वही अधेड़ आदमी खड़ा था पाकीजा कुछ कहती इस से पहले ही वह आदमी बोलने लगा
“घबराओ मत मैं अब तुम्हे कुछ नहीं करूंगा l
तुम्हारे पति ने तुम्हे बेचा था इसलिए मैने तुम्हे अपने साथ रखा , अभी मैं वापस सऊदी जा रहा तो तुम मेरे किसी काम की नहीं l इसलिए तुमको तुम्हारे घर वापस छोड़ने जा रहा मैं , तुम मुझे बताओ मैं तुमको वहा तक पहुंचा देगा”
“क्या ? आप सच कह रहे है “,पाकीजा ने ख़ुशी से हड़बड़ाका कहा
“हां मैं झूठ क्यों बोलेगा ? , झूठ बोलता तो तुमको यहाँ क्यों लाता उधर वो लड़का फिर से तुम्हारे साथ कुछ गलत करता”,आदमी ने पाकिजा को भरोसा दिलाने की कोशिश करते हुए कहा l
पाकीजा की आँखों में आंसू भर आये वह अब अपने घर जा सकेगी ये सोचकर खुश थी l उसने अधेड़ की तरफ देखकर कहा,”हमारा घर जौनपुर में है”
“उसके लिए तो पहले up जाना होगा , तुम अंदर चलकर बैठो मैं टिकट लेकर आता हु”,अधेड़ ने कहा l
पाकीजा वापस अंदर जाने लगी अधेड़ वहा से टिकट खिड़की की तरफ चला गया l अंदर आकर पाकीजा खाली पड़ी एक बेंच पर आकर बैठ गयी l अब वह अपने घर वापस चली जाएगी अम्मी अब्बू के पास , नजमा , सलमा के पास , लेकिन अब्बू अम्मी को युवान के धोखे के बारे में नहीं बताएगी वरना वो जीतेजी मर जायेंगे l कितना कुछ सोचना पड़ता है एक लड़की को अपने परिवार के बारे में ! पाकीजा बैठकर ये सब सोच ही रही थी की तभी अधेड़ आदमी अपने हाथ में ट्रेन की टिकट और चाय के दो कप लिए आ रहा है l
“ये लो चाय पीओ ट्रेन 1 घंटे बाद की है”,आदमी ने चाय का कप पाकीजा की तरफ बढ़ाते हुए कहा l
पाकीजा ने आंसुओ से भरी आँखे उठाकर आदमी की तरफ देखा और सोचने लगी ,”ये कैसी दुनिया में आ गयी थी वो जहा जख्म देने वाला ही अब उन पर मरहम लगाने की बात कर रहा था”
पाकीजा को अपनी और देखता पाकर आदमी ने चाय उसके हाथ में थमा दी और खुद दूसरी तरफ जाकर बैठ गया l
पाक़िजा ने चाय का कप अपने होंठो से लगाया दो दिन से पेट में कुछ नहीं गया था l चाय जैसे ही हलक से निचे उतरी पाकीजा को थोड़ा सुकून मिला l चाय पीकर पाकीजा ने कप साइड में रखा और सर पीछे दिवार से लगाकर आँखे मूंद ली l कुछ देर तक तो स्टेशन पर होने वाला शोर , आवाजे पाकीजा के कानो में पड़ती रही और फिर धीरे धीरे सब मध्यम हो गया l
उसी दोपहर 2 बजे -:
“देख मुरली बिल्कुल फ्रेश माल है 2 लाख में मांगता है तो बोल , वैसे भी आज शाम की फ्लाइट से मेरेको सऊदी निकलना है किसी जरुरी काम से”,अधेड़ आदमी ने सिगरेट का कश लगाते हुए कहा l
”वो तो ठीक है पर तू इसको लाया कहा से ? कल को ये कोई लफड़ा करेगी तो कौन जिम्मेदार होगा इसका ? अपने को कोई चिकचिक नहीं चाहिए बाद में”,मुरली ने दिवार के एक कोने में गुटखा थूकते हुए कहा
“कोई प्रॉब्लम नहीं होगा , इसको ख़रीदा है मैंने और अब तुमको बेच रहा है l तुमको चाहिए की नहीं वो बोलो ?”,अधेड़ ने इस बार थोड़ा गर्म होकर कहा
“भड़कता काहे को है , पहले उसका फेस तो दिखा बाद में सौदा करेगा”,मुरली ने कहा
“चलो आओ मेरे साथ”,कहते हुए अधेड़ आगे बढ़ गया गली से होते हुए दोनों आगे जाकर दूसरी संकरी गली में मूड गए जिसके बाहर एक वेन खड़ी थी l अधेड़ ने वेन का दरवाजा खोला और मुरली से देखने को कहा l
मुरली ने आगे बढ़कर देखा सीट पर पाकीजा बेसुध पड़ी थी l मुरली ने पाकीजा को देखा तो बस देखता ही रह गया l इतनी खूबसूरत लड़की मुरली ने आज से पहले कभी नहीं देखी थी l काफी देर तक वह अपलक पाकीजा को देखता रहा l
“ये तो आग लगा देगी बे”,मुरली ने अधेड़ की तरफ पलटकर कहा l
जवाब में अधेड़ मुस्कुराया l मुरली ने जेब से नोटों की गड्डी निकाली और अधेड़
के हाथ में थमा दी l अधेड़ वहा से चला गया l मुरली ने दरवाजा बंद किया और ड्राइवर के साथ वाली सीट पर आ बैठा l ड्राइवर को चलने का बोलकर मुरली ने जेब से पाउच निकाला और मुंह में उड़ेल लिया l
वेन हवा से बातें करती हुयी सड़क पर दौड़े जा रही थी पीछे सीट पर पड़ी पाकीजा बेसुध थी उसे इस बात का अहसास नहीं था की उसके साथ एक बार फिर धोखा हो चूका है l
मुरली सामने लगे शीशे में पाकीजा की खूबसूरती के दर्शन कर ही रहा था
उसका फोन बजने लगा मुरली ने फ़ोन उठाया दूसरी तरफ से आवाज आयी,”कहा है तू ? मुझे यहाँ बुलाकर खुद गायब हो गया ,, मुझे ना आना ही नहीं चाहिए था”
“अरे मेरी जान ! गुस्सा क्यों होती है अभी आ रहा हु ना “,मुरली ने कहा
“नहीं मत आओ मैं ही जा रही हु यहाँ से , तुम्हे पता है कितना झूठ बोलकर मैं तुझसे बाहर मिलने आयी हु और तू गायब है l लगा होगा किसी नई कबूतरी के पीछे”,लड़की अभी भी गुस्से में थी l
“अरे ! बाबा किसी के पीछे नहीं हु मैं , तेरे अलावा और किसके पीछे जाऊंगा मैं सोनाली”,मुरली ने चिकनी चुपड़ी बाते करते हुए कहा
“अगर ऐसा है तो 5 मिनिट मे यहाँ पहुँच वरना मैं जा रही इधर से”,सोनाली ने गुस्से से कहा
“5 मिनिट क्या 2 मिनिट में अभी तेरे पास पहुंचता हु”,कहकर मुरली ने फ़ो काट दिया और ड्राइवर से स्लाइस कॉफी शॉप चलने को कहा
“लेकिन तुमने तो दूसरी जगह चलने को कहा था”,ड्राइवर ने हैरानी से मुरली की तरफ देखकर कहा l
“अबे इसके चक्कर में मेरी वाली छोड़ के चली जाएगी , जल्दी चल डबल पैसे ले लेना”,मुरली ने कहा
ड्राइवर ने गाड़ी दूसरे पते की तरफ मोड़ दी l कुछ देर बाद गाड़ी कॉफी शॉप के सामने थी l
मुरली ने जेब से 100 रूपये का नोट निकाला और ड्राइवर की तरफ बढाकर कहा ,”जब तक मैं वापस आउ इधर ही रहना”
ड्राइवर ने नोट लेकर जेब में डाल लिया और हां में अपना सर हिला दिया l
मुरली गाड़ी से उतरकर अंदर चला गया l अंदर सोनाली उसका ही इंतजार कर रही थी मुरली को देखते ही वह उस पर बरस पड़ी l मुरली ने उसे शांत करवाया दोनों साथ बैठकर कॉफी पीते हुए प्यार भरी बातें करने लगे l
घंटेभर बाद दोनों कॉफी शॉप से बाहर आये l मुरली ने सोनाली से कहा – चल मैं उधर ही जा रहा हु छोड़ देता हु
सोनाली – होटल जाना है
मुरली – फिर से 207
सोनाली – क्या करु ? उसे और कोई चाहिए ही नहीं
मुरली – मुझे ना उस सेठ की नियत कुछ ठीक नहीं लग रही
सोनाली – मुरली , ये ही तो मेरा काम है और इस सेठ को भी मेरे पास तू ही तो लेकर आया था ना (आँखो में देखते हुए)
मुरली – सोनाली तब बात और थी यार , अब तुझे किसी के साथ देखता हु तो बर्दास्त नहीं होता
सोनाली – वो तो दीखता है तेरे चेहरे पर ,, तू मुझे यहाँ से कही दूर क्यों नहीं ले जाता ?
मुरली – जिस दलदल में हम फंसे है सोनाली मुझे नहीं लगता वहा से कभी निकल पाएंगे
सोनाली – तो क्या जिँदगीभर ऐसे ही चलेगा
मुरली – देखते है किस्मत कहा ले जाती है
सोनाली – किस्मत कभी खुद नहीं बदलती मुरली उसे बदलना पड़ता है , खैर वो फिश मार्किट वाले सेठ से बात कर लेना बाद में पेमेंट के टाइम बहुत मचमच करता है वो !
मुरली – हम्म्म्म ! चल होटल छोड़ देता हु तुझे वेन है
सोनाली – वो इधर ही आ रहा है , वैसे तू वेन से कैसे ?
मुरली – नया माल लेकर आया हु , पुरे दो लाख खर्च किये है
सोनाली – जरा मैं भी तो देखु (कहकर वेन की तरफ बढ़ी)
पाकीजा को देखा तो सोनाली उसे बस देखती रह गयी उसने हैरानी से मुरली की तरफ देखकर कहा – यार कितनी खूबसूरत है ये , पर क्या फायदा इसका भी वही हश्र होगा जो अब तक हम सब का हुआ है !!
मुरली – इसको देखकर तो मेरा भी दिल धड़कने लगा कसम से !
सोनाली – मेरे अलावा किसी और को देखा तो जान ले लुंगी तेरी ( मुरली के पेट में कोहनी मारते हुए )
मुरली – अरे मेरी अम्मा मैं कही नहीं जा रहा ! शाम को ठिकाने पर मिलता हु जल्दी आना
सोनाली – ठीक है मेरी जान !
मुरली आकर वेन में बैठा ड्राइवर से चलने को कहा l
धूल का गुब्बार उड़ाती गाड़ी आगे बढ़ गयी …………………………………
जीबी रोड , दिल्ली
दिल्ली शहर की सबसे बदनाम गलिया जहा शाम होते ही जिस्म के ग्राहकों की भीड़ जमा हो जाती है l एक से एक खूबसूरत लड़किया/औरते खुद को सजा संवार कर अपने ग्राहकों को सौंपने के लिए खुद को तैयार रखती है l शराबी , कबाबी , कंवारे , शादीशुदा , अमीर , गरीब , अच्छे और बुरे हर किस्म के मर्द इन गलियों में देखने को मिल जाते है l
दिन में जहा ये शराफत का चोला पहने रहते है शाम ढलते ही शराफत के साथ साथ सब उतारकर फेंक देते है ,आनंद के उन कुछ पलो में ना इनका स्टेटस बिच में आता है ना ही इनका समाज l
वेन आकर रुकी l
मुरली निचे उतरा और पास खड़े अपने कोठे पर काम करने वाले उस्मान को आवाज दी l
उस्मान दौड़कर आया मुरली ने उस से पाकीजा को उठाकर ऊपर लेकर चलने का इशारा किया l उस्मान ने पाकीजा को कंधे पर डाला और उठाकर सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया l मुरली ने वेन वाले को पैसा देकर वहा से चलता किया l मुरली भी उस्मान के पीछे पीछे सीढ़ियों पर आया उसे दरवाजे पर रुकने को कहकर खुद अंदर गया l सामने ही तख़्त पर बैठी 50-55 के उम्र की अम्मा सिगरेट का कश लगा रही थी पास ही बैठी एक लड़की उनके पैर दबा रही थी और बाकि सारी लड़किया वही जमा थी l
कुल 15-16 लड़किया थी अम्मा जी के कोठे पर और सब एक से बढ़कर एक और इन सब में जिसकी सबसे ज्यादा मांग थी वो थी सोनाली l
“पाँय लागु अम्मा जी”,मुरली ने उनके पैर छूते हुए कहा
“वो सब बाद में करना , पहले जे बता तीन दिन से तू था कहा l कही पीकर पड़ा था या अपनी मैंया की मय्यत में गया था”,अम्मा जी ने गुस्से से कहा
मुरली – किसी काम से गया था अम्मा जी
अम्मा जी – तेरा काम है इन सबकी दलाली करना इस से ज्यादा जरुरी काम क्या हो गया तुझे
मुरली – सब्र करो अम्माजी , ऐसा हीरा ढूंढकर लाया हु की देखकर तबियत खुश हो जाएगी आपकी
अम्मा जी – ऐसा क्या मिल गया तुझे ?
मुरली ने दरवाजे की तरफ देखकर जोर से कहा – उस्मान जरा अंदर तो आना
कंधे पर पाकीजा को उठाये उस्मान अंदर आया और उसे लाकर अम्माजी के कदमो में डाल दिया l पाकीजा अभी तक बेहोश थी अम्माजी ने उसके बाल पकड़कर उसे उठाया और उसका गोरा चेहरा देखते हुए कहा – कश्मीर की कली जैसी है ये तो
मुरली के चेहरे पर मुस्कान तेर गयी l अम्माजी ने तकिये के निचे रखी नोटों की गड्डी निकाली और मुरली की तरफ उछाल दी मुरली भी उस और लपका जैसे कोई कुत्ता हड्डी के लिए लपकता है l
सारी लड़किया घुर घुर कर पाकीजा को ही देख रही थी उसके जितना खूबसूरत वहा कोई नहीं था हर एक को उसकी खूबसूरती से जलन हो रही थी अम्माजी ने आँख के इशारे से उस्मान को पाकीजा को अंदर ले जाने का इशारा किया l उस्मान ने पाकीजा को उठाया और अंदर कमरे में लेटाकर बाहर आ गया l मुरली ने उस से चलने का इशारा किया दोनों जैसे ही जाने लगे अम्माजी ने कहा
“मुरली तू रुक , उस्मान तू जा”
“जी अम्मा जी”,कहकर उस्मान वहा से चला गया l
“क्या बात है अम्मा जी”,मुरली ने अम्माजी की तरफ देखकर पूछा l
“जिस लड़की को तू लेकर आया है उसके आगे पीछे कोई है या नहीं”,अम्माजी ने अपनी भोंहे चढ़ाकर कहा l
“नहीं अम्माजी जी कोई नहीं है , उसके पति ने उसे किसी सउदी से आये सेठ को बेच दिया l
सेठ को वापस सऊदी जाना था बस उसी से सौदा करके लाया हु l अब ये कही नहीं जाएगी”,मुरली ने अम्माजी को विश्वास दिलाने वाले अंदाज मे कहा
अम्मा जी सिगरेट हाथ में लिए उठी और मुरली के सामने आकर कहा – अच्छा है ! वैसे भी इस पिंजरे से इंसान तो क्या बल्कि कोई परिंदा भी बाहर नहीं जा सकता”
कहकर अम्माजी ने सिगरेट का धुँआ मुरली के मुंह पर छोड़ा और वहा से चली गयी l
Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10
Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10 Pakizah – 10
Continue With Part Pakizah – 11
Read Previous Part Here पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 9
Follow Me On facebook
Sanjana kirodiwal