Sanjana Kirodiwal

Story with Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

हाँ ये मोहब्बत है – 14

Haan Ye Mohabbat Hai – 14

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

एक लंबा सफर करने के बाद शाम 6 बजे अक्षत ने गाड़ी एक रेस्टोरेंट के बाहर रोकी। सभी नीचे उतरे और रेस्टोरेंट में आकर बैठ गए। अक्षत ने वेटर को तीन कप चाय और कुछ नाश्ते का आर्डर दिया। सभी चाय नाश्ता करने लगे। अक्षत ने बिल पे किया और सब उठकर जाने लगे तो काव्या ने कहा,”मामू मुझे चिप्स चाहिए”
“ठीक है तू चलकर ममा के साथ गाड़ी में बैठो मैं लाता हूँ”,अक्षत ने कहा तो सोमित भी उसके साथ चल पड़ा। अक्षत ने काव्या के लिए एक चिप्स का पैकेट खरीदा और पैसे देकर गाड़ी की और चल पड़ा चलते हुए जीजू ने कहा,”आशु दिल्ली जाकर मैं करूंगा क्या ? मेरे पास तो कोई जॉब भी नहीं है”
चलते चलते अक्षत रुका , सोमित की बात सुनकर उसके दिमाग में एक बात तुरंत कौंधी और उसने चिप्स का पैकेट उन्हें देकर कहा,”जीजू आप चलो मैं अभी आता हूँ”
“तू कहा जा रहा है ?”,सोमित ने पूछा
“वो बहुत दिन हो गए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सिगरेट”,अक्षत ने बात अधूरी छोड़ दी
“अच्छा तो ये बात है रुको अभी मीरा को फोन करता हूँ”,जीजू ने जैसे ही कहा अक्षत ने उनका हाथ पकड़कर रोकते हुए कहा,”क्या यार जीजू मीरा की वजह से ही तो सब छोड़ा है , प्लीज आज आज मैं घर जाके माफ़ी मांग लूंगा उस से पक्का”
“अच्छा ठीक है जल्दी आना”,कहकर सोमित चले गए अक्षत वापस दुकान पर आया , सिगरेट तो बहाना था लेकिन सोमित के सामने बोल चुका था इसलिए खरीदकर जला ली। अक्षत ने फोन निकाला और किसी से बात करने लगा। अक्षत ने एक दो कश सिगरेट के लगाए और उसे बुझाकर डस्टबिन में फेंक दिया। दिनभर में 8-10 सिंगरेट पि जाने वाले अक्षत को आज एक सिगरेट पीने में भी दिक्कत हो रही थी। उसने फोन काटकर जेब में रखा और माउथ फ्रेशनर खाकर गाड़ी की और चला आया। देखा जीजू पहले से ही ड्राइवर सीट पर बैठे हुए थे। अक्षत आकर उनकी बगल में बैठ गया। जीजू ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी , अक्षत ने म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया और एक गाना चला दिया – मेरे सपनो की रानी कब आएगी तू ?”
गाने के साथ साथ अक्षत खुद भी गुनगुनाने लगा तो तनु ने कहा,”आशु शर्म नहीं आती शादी के बाद ऐसे गाने सुन रहा है , अब कोनसी रानी बाकि रह गयी तेरी”
“दी मोहब्बत कभी पुरानी नहीं होती है , है ना जीजू”,अक्षत ने कहा
“हां बात तो सही है इसकी तनु”,जीजू ने भी अक्षत की साइड लेते हुए कहा
“जीजू तो खुद इंतजार में है की कोई आये”,अक्षत ने जीजू को फंसाते हुए कहा
“हैं ? सच में सोमित ?”,तनु ने सोमित को घूरते हुए कहा
“अरे नहीं नहीं मजाक कर रहा है ये,,,,,,,,,,,,,,,,,(फिर अक्षत की और देखकर) क्या साले साहब मरवाओगे क्या ?”,जीजू ने कहा
“जीजू ने एक दिन बताया था मुझे की इनकी पहली और आखरी मोहब्बत आप ही है”,अक्षत ने तनु की और पलटकर कहा तो तनु मुस्कुरा उठी लेकिन अगले ही पल अक्षत ने दबे स्वर में जीजू से कहा,”बाकि दूसरी तीसरी को इन्होने अलग से मेंटेन कर रखा है नई”
“चुप हो जा हाथ जोड़ता हूँ तेरे”,जीजू ने भी धीमे स्वर में कहा तब तक तनु काव्या के साथ बिजी हो गयी। अक्षत ने अपना सर सीट से लगा लिया और सोच में पड़ गया। सोमित के परिवार को इंदौर ले जाने का उसके पर घरवालों का क्या रिएक्शन होगा इस से भी अनजान था। वह बस ये जानता था की इस वक्त सोमित और उसकी फैमिली का ख्याल रखना उसी की जिम्मेदारी थी !
रात के खाने के बाद गाड़ी एक बार फिर अक्षत ड्राइव करने लगा। तनु और काव्या पीछे सो रहे थे और जीजू को भी थकान की वजह से नींद आ गयी। अक्षत ख़ामोशी से गाडी चलाता रहा। उसने एक कान में ब्लूटूथ लगा लिया और उस पर अपने पसंदीदा गाने चला लिए , मीरा का ख्याल और आने वाली जिंदगी के हसींन सपने खुली आँखों से देखते हुए अक्षत ड्राइव करता रहा। सुबह के 5 बजे सभी इंदौर पहुंचे , तनु और काव्या सो रही थी जीजू जाग चुके थे वे गाड़ी से बाहर आये। बाहर ठण्ड थी अक्षत दो कप चाय ले आया। दोनों ने चाय पी और वापस गाड़ी में आ बैठे। अक्षत ने गाड़ी घर की और जाने वाले रास्ते की और बढ़ा दी। यहाँ से घर आधे घंटे की दूरी पर था। जैसे जैसे गाड़ी आगे बढ़ रही थी सोमित का दिल बैठा जा रहा था , घरवालो से क्या कहेगा की क्यों छोड़ आया सब कुछ ? उन्हें परेशानी में देखकर अक्षत समझ गया की जीजू के मन में क्या चल रहा है ? लेकिन उस वक्त वह खामोश रहा। आधे घंटे बाद गाड़ी घर के सामने पहुंची अक्षत ने हॉर्न बजाया तो रघु दौड़कर आया और दरवाजा खोल दिया। अक्षत गाड़ी लेकर अंदर चला आया। सोमित और अक्षत नीचे उतरे अक्षत ने तनु को उठाया काव्या नींद में थी इसलिए अक्षत ने उसे गोद में उठा लिया और लेकर अंदर चला आया। सभी सो रहे थे अभी कोई उठा नहीं था शिवाय मीरा के , अक्षत ने मीरा को सब बता दिया था अक्षत अंदर आया देखा मीरा हॉल में है तो काव्या को उसकी और बढाकर कहा,”मीरा काव्या को नीचे रूम में सुला दो”
“हम्म्म”,कहकर मीरा ने काव्या को लिया और वहा से चली गयी। अक्षत ने तनु और जीजू को बैठने को कहा और खुद भी आकर बैठ गया। घरवालों को कैसे बताएगा ये सब अक्षत सोच ही रहा था की तभी राधा वहा चली आयी उन्हें देखते ही सोमित अपनी जगह से उठा और जैसे ही कुछ कहने को हुआ राधा उनके पास आयी और उनका हाथ थामते हुए कहा,”मुझे सब पता है और मैं बहुत खुश हूँ की आपने हमे और इस घर को अपना समझा और यहाँ चले आये”
तनु और सोमित ने सूना तो हैरानी से अक्षत की और देखा और फिर राधा की और। अक्षत खुद हैरान था की राधा को ये सब किसने बताया ? तनु की आँखो मे आंसू आ गए तो राधा ने उसे गले लगाते हुए कहा,”तनु नहीं बिल्कुल नहीं ऐसे हालातो में कमजोर नहीं पढ़ना है बेटा , हम सब है ना तुम्हारे साथ और ये घर भी तुम्हारा ही है ,,,,,,,,हम्म्म चुप हो जाओ”
तनु ने अपने आंसू पोछे और कहा,”कुछ समझ नहीं आ रहा है मौसी ये सब कैसे हो गया ?”
“परेशान मत हो हम सब है ना यहाँ”,राधा ने प्यार से तनु के चेहरे को अपने हाथो में लेकर कहा
“आशु सोमित जी और अपनी दी को अंदर लेकर जा मैं इनके लिए चाय भिजवाती हूँ”,राधा ने कहा तब तक मीरा भी काव्या को सुलाकर वापस चली आयी।
अक्षत सोमित और तनु के साथ कमरे की और बढ़ गया। मीरा राधा के साथ किचन में चली आयी और चाय बनाने लगी।
“सोमित जी कितने परेशान है अच्छा हुआ आशु उन्हें अपने साथ ले आया”,राधा ने कहा
“माँ आप चिंता मत कीजिये सब ठीक हो जाएगा , बस पापा जीजाजी और दी को यहाँ रहने की इजाजत दे दे”,मीरा ने कहा
“उनसे मैं बात कर लुंगी मीरा आखिर सोमित और तनु भी तो हमारे ही बच्चे है , तुम उनके लिए चाय लेकर जाओ मैं उनसे बात करती हूँ”,कहते हुए राधा वहा से चली गयी। मीरा चाय लेकर कमरे में चली आयी। उसने सोमित और तनु को चाय दी और फिर एक कप अक्षत की तरफ बढ़ा दिया। अक्षत ने कप टेबल पर रखा और मीरा को लेकर साइड में आया,”मीरा माँ को ये सब कैसे पता ? कही तुमने उन्हें सब,,,,,,,,,,,,,,!!”
“अक्षत जी हमने सिर्फ माँ को बताया है वो भी सिर्फ ये की किसी वजह से सोमित जीजू को अपनी जॉब छोड़नी पड़ी और दिल्ली में रह पाना मुश्किल था इसलिए आप उन्हें यहाँ ले आये”,मीरा ने कहा
“ये तुमने ठीक किया घर में किसी को पता नहीं चलना चाहिए दिल्ली में क्या हुआ ?”,अक्षत ने मीरा की आँखो मे देखते हुए कहा तो मीरा ने पलके झपकाकर सहमति दे दी। मीरा सोमित और तनु के पास चली आयी। अक्षत भी आकर चाय पीने लगा और मीरा से कहा,”अरे वाह आज मुझे भी मीठी चाय मिली है”
“जीजू आप टेंशन मत लीजिये सब ठीक हो जाएगा”,मीरा ने बड़े प्यार से सोमित की और देखकर कहा तो सोमित ने मुस्कुराते हुए मीरा के सर पर हाथ रख दिया। मीरा में हमेशा वो अपनी बेटी को देखते थे और मीरा को भी उसका सर पर हाथ रखना बहुत अच्छा लगता था।
“जीजू दी अब आप दोनों अपने घर में है और आपको टेंशन लेने की बिल्कुल जरूरत नहीं है जैसे पहले रहते थे वैसे ही हॅसते मुस्कुराते हुए अब रहना है”,अक्षत ने कहा तो मीरा ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा,”हां दी अक्षत जी सही कह रहे है ऐसे टेंशन में रहेंगे आप लोग तो बाकि घरवालों को शक हो जाएगा , प्लीज आप दोनों ऐसे अच्छे नहीं लगते है”
“ह्म्म्मम्म इस लड़के ने तुम्हे भी अपने जैसा बना लिया है ना ?”,तनु दी ने कहा तो मीरा अक्षत की और देखने लगी और फिर कहा,”हम दोनों एक ही है दी हमारी सोच भला अलग कैसे हो सकती है”
“मीरा दी और जीजू दिल्ली से आये है तुम्हे नहीं लगता इन्हे आराम करने देना चाहिए”,अक्षत ने कहा
“अरे हां हम तो भूल ही गए थे , दी जीजू आप आराम कीजिये”,मीरा ने उठते हुए कहा और फिर कमरे से बाहर चली गयी , अक्षत ने तनु और दी को बेफिक्र रहने को कहा और फिर खुद भी दरवाजा बंद कर बाहर चला आया। दादू और दादी उठ चुके थे और दोनों सैर के लिए जा रहे थे जब अक्षत पर नजर पड़ी तो दादू ने कहा,”आशु तू कब आया ?”
“अभी थोड़ी देर पहले ही आया हूँ दादू”,अक्षत ने कहा
“अच्छा चलो फिर सैर पर चलते है”,दादू ने कहा
“बच्चा अभी अभी तो आया है , तू जा बेटा जाकर आराम कर”,दादी माँ ने कहा तो अक्षत ऊपर अपने कमरे में चला गया। अक्षत कमरे में आया देखा मीरा खिड़की से परदे हटा रही है अक्षत उसके पीछे आया और खिड़की के परदे वापस लगा दिया। मीरा ने देखा तो भँवे उचकाकर इशारा किया। अक्षत ने उसे अपनी और किया और कहा,”मैं तुमसे दो हफ्ते दूर रहा”
“तो ?”,मीरा ने हैरानी से कहा
“दो हफ्ते मतलब 14 दिन”,अक्षत ने कहा
“हां तो ?”,मीरा को कुछ समझ नहीं आया की अक्षत क्या कहना चाहता था
“14 दिन मतलब 14 सुबह और 14 शाम , उस हिसाब से हो गए 28 किस , चलो जल्दी करो”,अक्षत ने एकदम से अपना गाल मीरा के सामने करके कहा।
“अक्षत जी क्या है ये सुबह सुबह ?”,मीरा ने अक्षत को पीछे धकियाते हुए कहा और जाने लगी
“ठीक है जिस दिन कोई और करेगी ना तब पता,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने बात पूरी ही नहीं की के मीरा ने आकर उसके होंठो पर अपना हाथ रख दिया और कहा,”ऐसी बाते की ना तो,,,,,,,,,,,,,,!!”
अक्षत ने देखा मीरा की आँखों में उसे लेकर बेचैनी साफ नजर आ रही थी। अक्षत ने कुछ नहीं कहा बस अपना गाल आगे कर दिया। मीरा ने उसके गाल पर किस किया तो अक्षत ने दूसरा गाल आगे कर दिया। एक एक करके उसने 28 बार अपने दोनों गालों को मीरा के आगे किया , 15 तक पहुंचते पहुंचते मीरा भी अक्षत की इस हरकत पर मुस्कुराने लगी। जब 28 किस पुरे हो गए तो अक्षत ने मीरा को अपने सीने से लगाकर एक ठंडी आह भरते हुए कहा,”आह्ह पुरे दो हफ्ते बाद तुम्हे गले लगा रहा हूँ , तुम्हारा होना क्या है ये तुमसे दूर रहने पर पता चलता है बस अब कही नहीं जाना तुम्हे छोड़कर”
“हम्म्म पक्का ना ?”,मीरा ने अक्षत की और देखकर कहा
“हम्म्म पक्का”,अक्षत ने प्यार से मीरा के चेहरे को अपने हाथो में लेकर कहा और फिर उसके माथे को चूम लिया। उस छुअन से मीरा की पलके कुछ पलों के लिए बंद हो गयी। मीरा ने अपनी आँखे खोली तो पाया अक्षत एकटक बस उसे ही देखे जा रहा है। मीरा ने इस बार अक्षत के कहे बिना ही उसके गाल पर किस किया और जाने लगी तो अक्षत ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कहा,”मीरा थोड़ी देर बैठो ना तुमसे कुछ बात करनी है”
मीरा बिस्तर पर आ बैठी अक्षत भी उसके बगल में आ बैठा और उसका हाथ अपने हाथो में लेकर कहने लगा,”थैंक्यू सो मच तुम नहीं होती तो मैं इस प्रॉब्लम को हेण्डल नहीं कर पाता मीरा , जीजू के साथ जो हुआ वो मुझसे बिल्कुल बर्दास्त नहीं हुआ और मैं उन्हें अपने साथ ले आया हमेशा के लिए,,,,,,,,,,,,,,,,,मैंने ठीक किया ना मीरा ?” कहते हुए अक्षत ने मीरा की और देखा तो मीरा ने कहा,”आप कभी कुछ गलत नहीं कर सकते अक्षत जी , हमे आप पर पूरा विश्वास है”
“एक बात और बतानी थी तुम्हे”,अक्षत ने कहा
“जी बताईये”,मीरा ने उतने ही प्यार से कहा।
“वो मैंने सिगरेट पी”,अक्षत ने धीरे से कहा मीरा कुछ देर खामोश रही और फिर कहा,”अक्षत जी ऐसी छोटी छोटी बातो के लिए आपको हमारी परमिशन की जरूरत नहीं है , आपका जो दिल करे आप कर सकते है बस इतना ध्यान रखे की उस से आपको या आपकी वजह से दुसरो को कोई नुकसान ना हो”
“हम्म्म्म सॉरी”,अक्षत ने कहा तो मीरा मुस्कुरा दी और कहा,”वैसे आप जैसे सडु इंसान से सॉरी सुनने में मजा आता है हमे”
“अच्छा ?”,अक्षत ने मीरा को घूरते हुए कहा
“हम्म्म”,मीरा ने शरारत से अपनी गर्दन हिलायी और वहा से भाग गयी। अक्षत भी मुस्कुरा उठा , उसकी नजर सामने दिवार पर बनाये अपने प्रोजेक्ट पर चली गयी जिस के बीचो बीच शीशे से बना अमायरा चमचमा रहा था। अक्षत उसके पास आया और उसे अपने हाथ से छूकर कहा,”आपका सपना पूरा हो गया डेड”

Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14 Haan Ye Mohabbat Hai – 14

क्रमश – Haan Ye Mohabbat Hai – 15

Read More – हाँ ये मोहब्बत है – 13

Follow Me On – facebook | instagram | youtube

Buy This Book Here – archanapublication

संजना किरोड़ीवाल

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

10 Comments

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!