Sanjana Kirodiwal

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मेरी आख़री मोहब्बत – 24

Meri Aakhari Mohabbat – 24

Meri Aakhari Mohabbat
Meri Aakhari Mohabbat by Sanjana Kirodiwal

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Meri Aakhari Mohabbat – 24

पाखी आकर गाड़ी में बैठ गयी शिव पाखी का ही इन्तजार कर रहा था … पाखी ने कुछ नहीं कहा उसकी आँखों में नमी आ गयी शिव ने प्यार से पाखी के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए पूछा – आप ठीक है

उसकी आँख से छलक कर एक आंसू शिव के हाथ पर आ गिरा … उसने पाखी की तरफ देखा तो पाखी की आंखे आंसुओ से भरी हुयी थी शिव ने उस से आँखों ही आँखों में पूछा पाखी ने कहा

– देखिये न हम जितना अपने अतीत से दूर जाने की कोशिश करते है वो उतना ही हमारे सामने आकर हमारे भरे जख्मो को फिर से हरा कर देता है ,,, हमारा अतीत हमारा कभी पीछा नहीं छोड़ेगा

शिव – आप परेशान मत होईये सब ठीक हो जायेगा … वक्त सब जख्म भर देता है

शिव ने गाड़ी स्टार्ट की और घर की तरफ जाने लगा .. पाखी को अपना रुमाल देते हुए कहा – आपकी आँखों में आंसू अच्छे नहीं लगते है

पाखी ने अपने आंसू पोछे और फिर कहा – समझ नहीं आ रहा आपका शुक्रिया अदा कैसे करू … आपने मेरा बहुत साथ दिया है , आपकी मेहनत की बदौलत ही हम इस मुकाम पर पहुंचे है …

शिव – मैंने कुछ नहीं किया है , ये सब आपकी मेहनत का फल है,,, बैंगलोर कब जा रही है आप ?

पाखी – आज शाम को ,, आकाश जीजू और सपना दी भी हमारे साथ जा रहे है , आप भी चलिए

शिव – जरूर आता पर मुझे कुछ जरुरी काम है ,, इसलिए आपको उनके साथ ही जाना पडेगा

पाखी – ठीक है , पर जब हम आएंगे हम आप सबको पार्टी देंगे

शिव – ठीक है

कुछ ही देर में घर आ गया ,,,पाखी गाड़ी से उतरकर घर चली गयी और शिव भी घर चल गया ,, घर पर आकाश और सपना पहले से मौजूद थे … सपना को देखकर पाखी खुश हो गयी माँ सबके लिए चाय बनाने चली गयी पाखी सपना और आकाश के साथ बैठकर बात करने लगी …

शाम को तीनो बंगलौर के लिए निकल गए पर आज इन सबके बिच भी पाखी को शिव की कमी महसूस हो रही थी .. कुछ तो था उन दोनों के बिच जिसने उन्हें अब तक एक दूसरे से बांध रखा था …

बंगलौर पहुच कर पाखी ने सबसे पहले शिव को फोन किया और उसे अपने पहुंचने की बात बताई .. आकाश सपना और पाखी ने पहले घूमने का प्लान बनाया और शाम को एस.आर. से मिलने का … दिन में सबने खूब शॉपिंग की बाहर खाना खाया … पाखी को महसूस हुआ आकाश बहुत अच्छा इंसान था सपना को उसके साथ खुश देखकर उसे बहुत ख़ुशी हुयी

शाम को पाखी एडवोकेट एस.आर. गुप्ता के ऑफिस पहुंची आलिशान ऑफिस था उनका पाखी आकाश और सपना के साथ अंदर गयी ..

पाखी ने रिसेप्शन पर एस.आर. से मिलने के लिए पूछा .. उसने पाखी से कुछ देर बैठने को कहा

पाखी आकाश और सपना वही सोफे पर बैठे इन्तजार करने लगे कुछ दे इन्तजार करने के बाद रेसप्स्निस्ट ने पाखी से कहा – मैम सर ने आपको अपने केबिन में बुलाया है

पाखी उठकर चली गयी पाखी के जाते ही आकाश ने धीरे से सपना के कान में कहा – अब होगा धमाका

सपना – क्या कह रहे है आप मैं कुछ समझी नहीं

आकाश ने हाथ से उसे रुकने का इशारा किया … पाखी ने केबिन के बाहर नेम प्लेट देखि जिस पर लिखा था “एडवोकेट एस.आर. गुप्ता”

पाखी ने मुस्कुराते हुए केबिन में एंटर करते हुए कहा – क्या हम अंदर आ सकते है

अंदर खड़े उस सख्स ने पाखी को हाथ के इशारे से अंदर आने को कहा

पाखी अंदर आ गयी उसने कमरे में देखा सेकड़ो की तादात में मेडल्स ट्राफ़िया रखी थी … टेबल पर एक नेम प्लेट रखी थी जिस पर सुनहरे अक्षरों में “एस.आर.गुप्ता” पाखी ने देखा वो खिड़की की तरफ मुँह करके खड़े थे

पाखी ने बोलना शुरू किया – हेलो सर !! मैं आपको बहूत मानती हु सर ,, इतनी कम उम्र में आपने वकालत में जो कुछ हासिल किया वो सब प्रेरणा दायक है ,, मैं आपकी बहुत बड़ी आभारी हु की आपने मुझे इस लायाक समझा की मैं आपके साथ काम करू ,,

मैं पूरी कोशिश करुँगी की मैं आपको कभी शिकायत का मौका ना देकर अपना काम पूरी ईमानदारी से करू आपने जो पहला केस मुझे दिया आपको जानकर ख़ुशी होगी की वो आप जित चुके है …

कहकर पाखी उनके जवाब का इन्तजार करने लगी .. पर जैसे ही वो पलटे उन्हें देखकर पाखी का मुंह खुला का खुला रह गया उसकी धड़कने हमेशा से तेज , आँखे जैसे झपकना भूल गयी क्योकि वो इंसान कोई और नहीं शिव ही था

शिव को देखकर पाखी के मुंह से सिर्फ इतना ही निकला

– आप यहाँ ?

शिव – जी हां मैं ही हु एस.आर.गुप्ता “शिव रंजन गुप्ता” – शिव ने मुस्कुराते हुए कहा

पाखी – ले ले लेकिन आप … ये सब … – पाखी ने हकलाते हुये कहा

शिव ने टेबल पर रखा पानी का ग्लास उठाया और पाखी के पास आकर पाखी को देते हुए कहा – रिलेक्स , पानी पीजिये

पाखी ने पानी पिया शिव ने उसे बैठने को कहा और आकाश को फोन करके कहा – तुम दोनों भी अंदर आ जाओ

अगले ही पल आकाश और सपना भी अंदर आ गए … सब बैठ गए शिव ने बोलना शुरू किया

– पाखी मैं आपसे कुछ छुपाना नहीं चाहता था , पर जब पता चला आप एक वकील बनना चाहती है तो मुझे छुपाना पड़ा , उस दिन वो किताब वो भी मेरी ही थी , अदालत मैं सिर्फ इसलिए नहीं आया क्योकि वहा के जज मेरे अच्छे दोस्त है आपने जब अपनी पढ़ाई के बारे में बताया तब मैंने आपकी मदद की ,

अगर सच जानते तो शायद आप मेरी मदद कभी ना लेती, और अगर लेती भी तो आप मुझे खुद से ऊपर समझने लगती और ये मैं नहीं चाहता था , मैं आपको अपने बराबर देखना चाहता था अपने से कम नहीं …

पाखी चुपचाप सब सुने जा रही थी उसने आकाश और सपना की तरफ देखा तो आकाश मुस्कुरा दिया और हाँ में अपनी गर्दन हिला दी

शिव – एस.आर को आप अपना आइडियल मानती है लेकिन मैं आपके साथ हमेशा शिव बनकर रहना चाहता था बस इसलिए ये सब करना पड़ा ,, उम्मीद करता हु आप मुझे माफ़ कर देंगी

पाखी – क्या आप लोग मुझे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ सकते है

शिव आकाश बाहर चले गए सपना को पाखी ने रोक लिया

पाखी ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा – ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ , एक इतना बड़ा इंसान मेरे लिए ये सब क्यों कर रहा है ,, क्यों मेरे साथ खड़ा है अब तक मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा

सपना – पाखी तुझे कुछ दीखता नहीं या फिर देखना नहीं चाहती , क्या तुम्हे शिव की आँखों में अपने लिए कुछ दिखाई नहीं देता ,, क्या उसकी ख़ुशी नहीं दिखाई देती जब वो तुम्हारे साथ होता है … पाखी शिव ने तुमपर कोई अहसान नहीं किया है उसने जो कुछ भी किया है सिर्फ तुम्हे खुश देखने के लिए किया है पाखी

पाखी – मैं जानती हु वो बहुत अच्छे है , लेकिन तुम तो कमसे कम मेरा अतीत जानती हो ना …

सपना – कोनसा अतीत पाखी उस वक्त को गुजरे काफी वक्त हो चूका , वो अतीत था बित चुका ये तुम्हारा आज है और तुम्हारे आज में शिव तुम्हारे साथ है …और कब तक आखिर कब तक तू उस अतीत को अपने दिल से लगाए रखेगी ,,

पाखी – मैं उनकी जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकती , उन्हें तो कोई भी लड़की मिल जाएगी वो मुझे क्यों अपनायेंगे ,, पहले भी मेरी शादी हो चुकी है , पहले भी मेरा दिल टूट चुका है ,पहले भी मैं ये सब देख चुकी हु …. किसी पर फिर से भरोसा नहीं कर सकती मैं … अपनी जिंदगी में किसी को फिर से नहीं ला सकती मैं – पाखी रोने लगती है

सपना से पाखी का रोना नहीं देखा जाता वो उसे गले लगाते हुए कहती है – मुझसे नहीं देखा जाता तुझे इस हाल में , प्लीज़ पाखी एक बार सिर्फ एक बार अपने लिए सोच शिव के लिए सोच ,,, वो तुझे बहुत चाहता है और मेरा दिल कहता है तू भी उसे चाहती है ,, तेरी आँखों मे मैंने उसके लिए फ़िक्र देखि है

परेशान मत हो हम सब तेरे साथ है ,,

पाखी सपना की गोद में अपना सर रख देती है और कहती है – मैं अपने लिए अब और नहीं सोच सकती सपना , शिव मेरा अतीत नहीं जानते मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा मैं आप सब लोगो को केसे समझाऊ

सपना – पाखी अपनी आँखे बंद करो क्या दीखता है तुम्हे

पाखी – शिव

पाखी ने तुरंत अपनी आँखे खोल ली

सपना – तू भी उनसे प्यार करती है पाखी , बस तू दूर भाग रही है इस सच से ,, आज अगर तुमने शिव को ठुकराया तो ये तुम्हारी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती होगी पाखी ,,, सबसे बड़ी गलती

शिव और आकाश को बाहर इंतजार करते जब काफी वक्त हो गया तो शिव अंदर गया उसने देखा पाखी सपना के घुटने पर सर रखे बैठी थी शिव उसके पास गया और प्यार से पाखी के सर पर हाथ रखते हुए कहा – पाखी घर चले …

शिव और सपना पाखी को लेकर बाहर आ गए ,, सभी ऑफिस से बाहर निकल आये शिव ने सबको गाड़ी में बैठने को कहा सब आकर गाड़ी में बैठ गए शिव ने गाड़ी स्टार्ट की और घर की तरफ घुमा दी

रास्ते में आकाश ने पूछा – शिव तूने बंगलौर में घर कब लिया

शिव – अभी एक महीने पहले ,, किसी के खवाबो की दुनिया है उस घर में – शिव ने पाखी की तरफ देखते हुए कहा

पाखी ने शिव की तरफ देखा उसकी आँखों में पाखी को सिर्फ खुद का अक्श नजर आ रहा था

बातो बातो में घर आ गया …. घर बहुत खूबसूरत था सपना शिव आकाश और पाखी ने घर में प्रवेश किया पूरा घर सफ़ेद मार्बल से बना हुआ था शिव जानता था पाखी को सफ़ेद रंग बहुत पसंद है आकाश और सपना घूमकर घर देखने लगे हॉल में सिर्फ शिव और पाखी थे

शिव ने पाखी से कहा – चलो तुम्हे तुम्हारे खवाबो की दुनिया हकीकत में दिखाता हु कहकर शिव उसका हाथ पकडे उसे घर दिखाने लगा सबसे पहले वो उसे घर की दायी तरफ बने बगीचे में लेकर गया

पाखी ने देखा वहा बहुत खूबसूरत पोधे लगे थे कई तरह के फूलो के गमले थे कोने में पत्थरो से बना एक झरना जिसमे पानी बह रहा था और मछलिया तैर रही थी

वो सब देखकर पाखी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी उसने शिव की तरफ देखा तो शिव ने कहा – यहा हर रंग हर किस्म के फुल है सिवाय गुलाब के क्योकी वो तुम्हे पसंद नहीं है …. पाखी का हाथ पकडे पकडे शिव पाखी को घर के दूसरी तरफ लेकर गया वहा बहुत सारे सफ़ेद खरगोश , थे जो उछल कूद कर रहे थे ,,, बहुत सारे पक्षी भी थे

शिव उसे अंदर एक कमरे में लेकर गया जैसे ही उसने कमरे की लाइट ऑन की सामने दिवार पर पाखी और शिव की एक बड़ी सी तस्वीर थी जिसमे शिव ने पाखी को थाम रखा था …

पाखीको याद आया ये तस्वीर उस वक्त की थी जब सपना की शादी के समय शिव ने उस गिरते वक्त थामा था

पाखी – ये तस्वीर

शिव – आकाश ने सेंड की थी

पाखी मुस्कुरा दी उसने घूमकर सारा कमरा देखा वो वैसा ही था जैसा वो सोचा करती थी , हर चीज वैसी ही थी … पाखी ने खिड़की से पर्दा हटाकर देखा सामने घास का बड़ा मैदान था …

पाखी कमरे से बाहर आयी तो शिव उसे ऊपर ले गया .. ऊपर एक बड़ा सा स्टडी रूम था पाखी ने देखा वहा वो सारी किताबे रखी थी जो पाखी पढ़ना चाहती थी ,, कमरे के कोने में एक खूबसूरत सी टेबल थी जिसपर बहुत सारी खाली डायरिया और पेन रखे थे …

शिव – यहाँ वो सब किताबे है जो आपको पसंद है , नोवेल्स , कहानिया सब है …. आप जब चाहे जिस वक्त चाहे इन्हे पढ़ सकती है यहाँ कोई आपको नहीं रोकेगा ,,, और हां आपका जब मन हो आप लिख सकती है वो सब जो आप लिखना चाहती है …

पाखी – आपको ये सब कैसे पता चला

शिव ने ड्रावर से एक डायरी निकालकर पाखी को देते हुए कहा – इस से ,, आप इसे पापा की कोचिंग में भूल गयी थी एक बार चलिए कुछ और भी दिखाना है आपको …

उसके बाद शिव पाखी को लेकर पीछे बरामदे में गया वहा कुछ पिंजरे टंगे थे जिनमे पक्षी थे … उन्हें देखकर पाखी को थोड़ा अजीब लगा उसने शिव से पूछा – आपने इन्हे कैद क्यों कर रखा है

सही मुस्कुराया और पाखी से कहा – आप इन्हे आजाद कर सकती है पर है पिंजरे के निचे एक कागज है जिस पर कुछ लिखा है अगर इन पंछियो के साथ आप वो भी आजाद कर पाए तो मैं आपको नहीं रोकूंगा

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