Manmarjiyan Season 3 – 94
Manmarjiyan Season 3 – 94

बदले की आग में पागल लवली ने मिश्रा जी को धक्का दे दिया और नीचे आ गिरे। नीचे गिरे मिश्रा जी ने लवली को देखा और कहा,”तुमको हमाये साथ जो करना है करो पर ओह्ह्ह से पहिले इह जान ल्यो कि सच का है ? बृजेश की मौत के पीछे हम नाही मंगेश शुक्ला है”
मिश्रा जी के मुँह से “मंगेश शुक्ला” का नाम सुनकर लवली ठिठका , मंगेश शुक्ला कोई और नहीं बल्कि बिंदिया के पिताजी थे जिनका इस कहानी में अभी तक कही जिक्र नहीं हुआ है। लवली ने मिश्रा जी को देखा और गुस्से से कहा,”झूठ बोल रहे हो तुम , खुद को बचाने के लिए मंगेश चचा का नाम ले रहे हो”
“ए लवली जे की बातो में न आना इह बरगलाय रहा है तुमको”,लल्लन ने लवली की तरफ आकर कहा
पेड़ से बंधे गुप्ता जी और मंगल फूफा ने जब “मंगेश शुक्ला” का नाम सुना तो दोनों ने हैरानी से एक दूसरे को देखा और फूफा ने कहा,”अब जे कौन है ?”
“अरे हमे का पता हम का सबकी बोटर आई दी बनाने बैठे है ? हम खुद नाही जानते शुक्ला को,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने झुंझलाकर कहा
मिश्रा जी ने देखा लवली के मन में जहर भरने वाला कोई और नहीं बल्कि लल्लन है तो उन्होंने लल्लन की तरफ देखकर कहा,”ए लल्लन ! तुम काहे जे का गलत पट्टी पढाय रहे हो अरे का तुम सच नाही जानते ? का तुम नाही जानते बृजेश और हमरा का रिश्ता है ? अरे हम ओह्ह्ह की जान लेना तो दूर ओह्ह का कबो नुक्सान पहुंचाने का भी नाही सोच सकते,,,,,,,,!!”
“का रिश्ता था तुम्हरा हमरे पिताजी के साथ ?”,लवली ने गुस्से से कहा
मिश्रा जी ने लवली की तरफ देखा और कठोरता से कहा,”जिगरी दोस्त थे उह्ह हमाये,,,,,उह्ह दोस्त जिनके लिए जान दे भी सकते थे और किसी की जान ले भी सकते थे। हमायी जिंदगी के इकलौते ऐसे दोस्त जिनसे कभी कुछो छुपाये नाही हम , जिनके साथ बचपन देखा , जवानी देखी लेकिन सिर्फ एक ग़लतफ़हमी की वजह से उह्ह हमेशा के लिए हम से दूर हो गए,,,,,,!!”
“हम कैसे मान ले कि उह्ह्ह आपके दोस्त थे,,,,,,,,इह सब मनगढ़ंत कहानी आप गुड्डू को बचाने के लिए बना रहे है”,लवली ने गुस्से से कहा
“ए लवली ! ए तुम काहे जे की बातों मा आ रहे हो बे , मिश्रा और ओह्ह का लौंडा तुम्हरे सामने है निपटाओ जे दोनों का और बदला ल्यो अपनी बाप की मौत का”,लल्लन ने कहा
“अबे तुम काहे आग लगा रहे हो बे ? कम से कम ओह्ह का सच तो जानने दयो”,गुड्डू चिल्लाया ये देखकर लल्लन उसके पास आया और उसका मुंह पकड़कर कहा,”आग तो तुम सब मिलकर लगाए हो हमाये अच्छे भले काम मा , अब बैठकर भुगतो और ज्यादा बक बक की ना तो तुम्हरे बाप से पहिले तुम्हरा मामला निपटाएंगे समझे”
“ए लवली हम सच कह रहे है। बृजेश , हम , गज्जू और शर्मा एक बख्त मा कानपूर मा चारो अच्छे दोस्त थे और हमरी दोस्ती के बारे में आदर्श बाबू अच्छे से जानते है तुमको विश्वास नाही है तो ओह्ह से पूछ ल्यो”,मिश्रा जी ने उठकर लवली के सामने आकर कहा।
उधर आदर्श फूफा ने सुना तो गुड्डू के पास आकर कहा,”जे तुम्हाये बाप हमे काहे फंसा रहे है बे , हैं , उह्ह चांडाल के सामने हमायी बत्ती काहे बना रहे है ?”
गुड्डू ने फूफा की तरफ देखा और गुस्से से कहा,”क्योकि इह सब भसड़ आपकी वजह से फैली है , आप ही कहे थे ना उह्ह रात दारू पीकर कि जाओ पूछकर आओ तुम्हाये पिताजी कौन है ? तो ल्यो पूछ रहे है हम और जे का नतीजा आपकी आँखों के सामने,,,,,,,,,,हमायी भुआ के पति नहीं होते ना तो अभी पटक के पेल देते आपको समझे”
फूफा ने सुना तो चुपचाप साइड में चले गए और लल्लन ने कहा,”ए तुम लोगो को हम का मारेंगे ?
तुम लोग तो साला खुद आपस मा एक दूसरे को मार दोगे,,,,,,,भक्क साला हम नाही खेल रहे तुम लोगन के साथ,,,,,,,,,,,ए चुंगी ए गाडी से एक ठो ठन्डे पानी की बोतल लेकर आओ रे , साला जे सब का ड्रामा देखकर हमरा दिमाग खराब हो गवा है”
लल्लन लवली की तरफ चला आया और जैसे ही कुछ कहने को हुआ लवली ने उसके सामने हाथ करके कहा,”एक मिनिट लल्लन भैया इह हमाये और इनके बीच का मामला है आप बीच में मत आईये”
लवली की बात लल्लन को अच्छी नहीं लगी लेकिन उसने लवली से कुछ नहीं कहा क्योकि वह नहीं चाहता था लवली की नफरत और गुस्सा मिश्रा जी के लिए कम हो इसलिए अब वह चुपचाप तमाशा देखने के लिए तैयार था।
लवली ने चुंगी की तरफ देखा और कहा,”गुप्ता और शर्मा को हिया लेकर आओ”
चुंगी ने लड़को की तरफ इशारा करके शर्मा जी को लेकर आने को कहा और खुद गुप्ता जी की तरफ बढ़ गया। चुंगी ने गुप्ता जी को खोला और लेकर जाने लगा तो मंगल फूफा ने कहा,”अरे जे का ? खाली इनको खोले हमको भी खोलो भूल गए तबाही का दुसरा नाम “मंगल फूफा” है,,,,,,,,,खोलो हमे”
लवली गुड्डू और मिश्रा जी से भी ज्यादा बाकि लोगो से चिढ़ा हुआ था इसलिए मंगल फूफा की तरफ आया और उसके गालों पर ताबड़तोड़ चाँटे बरसा दिए। डरकर मंगल फूफा पेड़ के तने पर चढ़ गए और बन्दर की तरह अपने दोनों हाथ और दोनों पैर तने के चारो और लपेट लिए और डरे सहमे लवली की तरफ देखने लगे तो लवली ने कहा,”अब अगर एक और बार बीच में बोले ना सीधा खाई मा फेंक देंगे समझे”
लवली चला गया तो मंगल फूफा ने रोते हुए कहा,”साला जब से कानपूर मा आये है हमायी तो गुंडई ही खत्म हो गयी है”
उधर लल्लन के आदमी शर्मा जी को खाई से बाहर निकालकर लाये और उनके साथ ही गोलू भी ऊपर आ गया लेकिन जैसे ही गोलू ऊपर आया शर्मा जी ने उसे पीटना शुरू कर दिया। गोलू भागते हुए मिश्रा जी के पीछे आ छुपा तो शर्मा जी ने मिश्रा जी के सामने आकर गोलू से कहा,”हुआ का छुप रहे हो हमाये सामने आओ , आपकी वजह से मौत का मुँह मा चले गए थे”
“अरे तो का जिंदगीभर हमायी छाती पर मूंग दलोगे ? और खाई मा हमने थोड़े फेंका था किसने कहा था हमाये स्कूटर के सामने आने को”,गोलू ने शर्मा जी से बचने के लिए यहाँ भागते हुए कहा।
शर्मा जी ने पैर से सैंडल निकाली और गोलू के पीछे फेंककर कहा,”मूंग नाही तुम्हायी छाती ही फोड़ देंगे हम”
अब शर्मा जी ने सेंडल तो गोलू को ही मारा था लेकिन जाकर लगा वो सीधा मंगल के मुंह पर साथ ही सेंडल पर लगा गोबर भी शर्मा जी के मुँह पर जा छपा। ये देखकर गोलू मुँह फाड़कर जो हंसा है शर्मा जी का गुस्सा और बढ़ गया , वे जैसे ही गोलू की तरफ बढे लल्लन ने उन्हें धर लिया और दो घुसे उनकी कोल में मारकर कहा,”का बे ? हमको सेंडल काहे मारे बे ?”
“अरे हम तुमको नाही मारे हम तो उह्ह ससुरे गोलू को मार रहे थे”,शर्मा जी की बाँह में जकड़े शर्मा जी ने मिमियाकर कहा
“अच्छा गोलू को मार रहे थे तो तुम्हरा निशाना इत्ता सटीक कैसे लगा बे उह्ह भी हमाये गाल पर,,,,,,,,,,,!!”,लल्लन ने शर्मा जी को कोल में एक घुसा और दे मारा
गोलू को हँसते देखकर लवली उसके पास आया और उसकी गुद्दी पकड़कर उसे हिलाते हुए कहा,”का बे ? उह्ह तुम्हरे ससुर को मार रहा है और तुमहू हिया दाँत फाड़ रहे हो , का लाज शर्म नाही बची है तुम्हाये अंदर ?”
“अरे ससुर नाही एक नंबर का असुर है उह्ह , ओह्ह्ह को बड़ा शौक है हमको ज्ञान देने का अब थोड़ी परसादी ओह्ह का भी खाय दयो”,गोलू ने कहा
लवली ने सुना तो उसका सर घूमने लगा कहा वह मिश्रा जी से बदला लेने आया था और कहा इनके आपस के टंटे नहीं सुलझ रहे थे। सब एक दूसरे से परेशान , सब एक दूसरे को मारने को तैयार,,,,,,,,,,,,!!
“अरे भाई हम सच कह रहे है अरे तुमको काहे मारेंगे हम तुम गज्जू गुप्ता थोड़े हो”,शर्मा जी ने कहा इतने में गुप्ता जी उछल पड़े और लवली को साइड में धक्का देकर शर्मा जी की तरफ आकर कहा,”का बे गज्जू गुप्ता से का मतलब है बे तुम्हरा शर्मा ? तुम का हमको मारना चाहते हो ?”
उधर गुप्ता जी के एक धक्के से लवली गोलू समेत नीचे जमीन पर जा गिरा। नीचे लवली उसकी बांहो में गोलू और दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे है। मिश्रा जी ने मौका देखकर जैसे ही गुड्डू की तरफ जाने की कोशिश की लल्लन के आदमियों ने उन्हें पकड़ लिया लेकिन मिश्रा जी तो ठहरे मिश्रा जी उन्होंने उन्हें मारना पीटना शुरू कर दिया।
“अरे तुमको मार के हम अपने हाथ गंदे काहे करेंगे ? तुम्हरी मौत की वजह तो एक दिन तुम्हरा बेटा ही बन जायेंगा,,,,,,,,,,,ओह्ह के काण्ड सम्हालते सम्हालते देखना एक दिन नर्क सिधार जाओगे”,शर्मा जी ने गुस्से से कहा क्योकि गुप्ता जी से उनकी पुरानी खुन्नस जो थी
“नरक नाही स्वर्ग”,लल्लन ने कहा
“अरे जैसे इनके कर्म है ना सीधा नरक मा ही जाही है जे”,शर्मा जी ने कहा
गुप्ता जी भला इतनी बेइज्जती कैसे बर्दास्त कर लेते उन्होंने लल्लन के हाथ से शर्मा जी को छुड़ाया और लल्लन को साइड में धक्का देकर कहा,”ए मुरगन तुम साइड हो पहिले जे का मेटर क्लोज करे हम”
“अरे तुम हमरा मेटर निपटाओगे तो हमने भी कोनो चूडिया नाही पहिन रखी है गुप्ता”,कहकर शर्मा जी और गुप्ता जी आपस में उलझ पड़े। मिश्रा जी ने देखा तो अपना सर पीट लिया कहा वे इन दोनों से मदद की उम्मीद कर रहे थे और कहा ये दोनों आपस में उलझ पड़े। लल्लन को धक्का लगा तो वह सीधा जाकर गिरा मिश्रा जी की बाँहो में , मिश्रा जी एक तो पहले ही सबसे परेशान थे लल्लन को देखकर उन्होंने उसे खींचकर चाँटा मारा और लल्लन एक थप्पड़ में घूमते हुए जा टकराया पिंजरे से और एक बार फिर गुड्डू ने उसे पकड़ लिया। उधर मिश्रा जी अकेले ही लल्लन के आदमियों से लड़ रहे थे।
नीचे गिरे लवली ने अपने ऊपर गिरे गोलू को आँखों से साइड में हटने का इशारा किया तो जवाब में गोलू ने भी वैसा ही इशारा कर दिया। लवली ने गुस्से से अपनी आँखे बंद की और एक बार फिर गोलू से साइड में हटने का इशारा किया लेकिन गोलू को सीरियस सिचुएशन में भी बकैती करने की आदत दी थी इसलिए उसने लवली के गाल पर ऊँगली घुमाई और कहा,”तुम्हारे ये इशारे मैं सब समझ रहा हूँ , हट नॉटी कही के”
लवली ने सुना तो उसने खींचकर गोलू को एक थप्पड़ मारा और फिर से साइड हटने का इशारा किया तो गोलू को इस बार अच्छे से समझ आ गया। वह गाल से हाथ लगाये साइड हट गया।
लल्लन को गुड्डू से भी दो चार घुसे पड़ चुके थे खुद को छुड़ाने के लिए उसने गुड्डू के हाथ पर जोर से काट लिया तो गुड्डू ने उसे खींचकर लात मारी और लल्लन उछलकर लवली को लेकर एक बार फिर जमीन पर आ गिरा। सब आपस में लड़ रहे थे गुप्ता जी के दोनों हाथो में उनके दोनों चप्पल थे और वे पागलों की तरफ शर्मा जी की तरफ भाग रहे थे। मिश्रा जी लल्लन के आदमियों से अकेले निपट रहे थे वे एक को मारते तो दुसरा आ जाता , दूसरे को घुसा मारते तो पहला उठकर आ जाता। मंगल पेड़ से बंधा था।
लल्लन और लवली आपस में उलझे हुए थे और इन सब में किसी ने ध्यान ही नहीं दिया कि गोलू ने पेंट नहीं पहनी है वह बस चड्डी और उस पर शर्ट पहने भाग रहा था और बहुत ही अजीब लग रहा था। लवली से उलझे लल्लन की नजर गोलू पर पड़ी तो वह उसके पीछे भागने लगे और कहा,”अबे तुझे तो मैं ढूंढ रहा था बे ?”
“काहे अपनी बिटिया ब्याहनी है हमाये साथ ?”,गोलू ने आगे भागते हुए कहा
“बिटिया नाही तुमको साले हम साबुन की टिकिया देंगे , हमको पिशाब वाली दारू पिलाये रहे तुम , तुमको तो हम छोड़ेंगे नहीं”,लल्लन ने गुस्से भरे स्वर में उसके पीछे भागते हुए कहा
“ए कंचन तुमहू कबो गऊ मूत्र पिए हो ?”,गोलू ने भागते हुए कहा
“कंचन नाही हमाओ नाम लल्लन है भूतनी के , अब का नाम के साथ साथ हमाओ जेंडर भी बदल देही हो”,लल्लन ने कहा
“अरे जे बताओ गऊ मूत्र पिए हो कि नाही ?”,गोलू ने पूछा
“बचपन मा अम्मा पिलाय रही एक ठो बार”,लल्लन ने गोलू के पीछे भागते हुए याद करके कहा
“हाँ तो जवानी मा हम पिलाय दिए रहे गऊ मूत्र ना सही गोलू मूत्र समझ ल्यो”,गोलू ने लल्लन का मजाक उड़ाकर कहा और भागते भागते एक बार फिर खाई किनारे आ पहुंचा और जैसे ही पलटा सामने लल्लन खड़ा था।
लल्लन गोलू के पास आया और उसकी कोलर पकड़कर कहा,”का बे हमको गोलू मूत्र पिलाओगे तुम्हायी तो,,,,,,,,,,,!!”
कहकर लल्लन ने जैसे ही गोलू को घुसा मारा गोलू नीचे हो गया और घुसा पड़ा गोलू के पीछे खड़े लवली को और लवली लड़खड़ा कर खाई की तरफ गिरा। लल्लन ने गोलू को साइड में फेंका
और देखा कि लवली खाई में गिर गया है तो वह वहा से भाग गया। गोलू धक्का मारने से सीधा आकर गिरा मंगल फूफा के पास वह उठा और देखा मंगल फूफा बंधे है तो उसे उन पर दया आ गयी और वह उनकी रस्सिया खोलने लगा। गोलू ने मंगल फूफा को आधा ही खोला था कि तभी मंगल फूफा की नजर गोलू की चड्डी पर पड़ी और उन्होंने कहा,”तुमहू का फैशन शो मा आये हो ?”
“का मतलब ?”,गोलू ने कहा
“अबे पेंट कहा है तुम्हायी ?”,फूफा ने कहा तो गोलू ने नीचे देखा और मुस्कुराते हुए फूफा की तरफ देखा लेकिन अगले ही पल उसे अहसास हुआ कि उसने पेंट नहीं पहनी है तो वह पेंट ढूंढने भाग गया।
“अबे कहा जा रहे हो , हमका पूरा तो खोल देते,,,,,,अबे गोलू”,मंगल फूफा चिल्लाते रह गए और गोलू भाग गया।
शर्मा जी के पीछे भागते गुप्ता जी को देखकर मिश्रा जी चिल्लाये,”अबे गुप्ता का कर रहे हो बे शर्मा को छोडो इन से निपटो”
गुप्ता जी को मिश्रा जी की बात तो नहीं सुनी बस आखरी शब्द सुना “निपटो” और उन्होंने हाथ में पकड़ा एक चप्पल शर्मा जी के पीछे फेंका लेकिन शर्मा जी को ना लगकर वो चप्पल जाकर लगा सीधा लगा मिश्रा जी के सर पर और वे गुस्से से चिल्लाये,”अबे गुप्ता का भांग वांग खा लिए हो , तुम लोगो के होते हमको दुश्मन की का कमी है,,,,,,,,,,,!!”
शर्मा जी ने देखा तो गुप्ता जी को हाथ दिखाकर देखकर हसने लगे ,
उन्हें हँसता देखकर गुप्ता जी का गुस्सा और बढ़ गया उन्होंने दूर चप्पल शर्मा जी को फेंककर मारा और इस बार उनका निशाना सही था , चप्पल लगा शर्मा जी के मुँह पर और इस बार गुप्ता जी शर्मा जी को हाथ दिखाकर हँसे। शर्मा जी गुस्से में जैसे ही गुप्ता जी की तरफ जाने लगे सामने से भागते हुआ लल्लन उनसे टकराया और शर्मा जी गुप्ता जी को भूलकर उस से उलझ पड़े।
उधर गोलू को खाई के पास पेंट मिल गयी साथ ही खाई में लटका लवली भी ये देखकर गोलू ने मिश्रा जी को देखा और चिल्लाया,”आनंद चचा ! लबली हिया है साला हमको आपस मा लड़वाकर खुद हिया अकेला झूला झूल रहा है”
लवली ने सुना तो ऊपर खड़े गोलू पर उसे गुस्सा आया और उसने चिल्लाकर कहा,”हाँ तो आओ तुमहू भी झूल ल्यो,,,,,,,अच्छा हुआ तुम्हाये बाप ने तुम्हाये जैसा एक ही नमूना पैदा किया,,,,,,,,,,,,!!”
गोलू ने मुंह बनाया और अपनी पेंट लेकर साइड आया और चलते चलते जल्दबाजी में पहन ली वो भी उलटी , अब ना उसे पेंट की चैन मिले ना हुक , गोलू को याद आया ये पेंट पिछले महीने ही नवरत्न से गुप्ता जी ने सिलवाई थी गोलू के लिए , वह गुस्से से गुप्ता जी के पास आया और कहा
,”पिताजी ! जे कैसी पेंट सिलवाई है आपने उह्ह्ह नवरत्न टेलर से , ना जे मा चैन है ना हुक,,,,,,,,,,उसको सिलाई का एक पैसा नाही देना”
गुप्ता जी ने देखा गोलू ने पेंट उलटी पहनी है तो अफ़सोस भरे में कहा,”का बेटा ? 7 जन्मो की बकैती का एक ही जन्म मा करने की कसम खा लिए हो,,,,,,,,,,अबे पेंट उलटी पहिने हो बे तुमहु”
गोलू ने सुना तो पीछे पलटकर देखा और खिंसिया कर कहा,”अब देख ही लिया है तो बंद भी कर दीजिये ना”
गुप्ता जी ने सुना तो उन्होंने गोलू को घुमाया और पीछे से उसका हुक बंद किया और गुस्से से चैन जैसे ही ऊपर खींची गोलू मारे दर्द के चिल्लाया और कहा,”पिताजी हमाओ रूपा को कच्छों चैन मा आ गवो है”
गुप्ता जी ने हाथ में पकड़ी चैन को देखा और अफ़सोस भरे स्वर में कहा,”सिर्फ रूपा को कच्छों ही नाही गोलू बहुत कुछ चैन मा आ गवो है”
गोलू कुछ समझ पाता इस से पहले गुप्ता जी वहा से भाग गए,,,,,,,,,,,,,और मैं भी भाग रही हूँ क्योकि इसे लिखने के चक्कर में गैस पर रखे पतीले में से दूध भी उफनकर भाग रहा है।”
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संजना किरोड़ीवाल

