Manmarjiyan Season 3 – 92
Manmarjiyan Season 3 – 92

लवली ने मिश्रा जी को रामनगर पहाड़ी पर आने को कहा , मिश्रा जी अपने वजह से गोलू और गुप्ता जी को किसी मुसीबत में नहीं डालना चाहते थे लेकिन गोलू ठहरा गुड्डू भक्त वह भला गुड्डू को मुसीबत में छोड़कर कैसे जा सकता था ? वह भी मिश्रा जी से साथ चल पड़ा। बाहर आकर मिश्रा जी ने स्कूटी स्टार्ट की गुप्ता जी गोलू उनके पीछे आ बैठे और तीनो वहा से निकल गए। दूसरी तरफ शर्मा जी और आदर्श फूफा केम्पर के पीछे लग गए।
लल्लन सबको लेकर रामनगर पहाड़ी पहुंचा और जैसे ही केम्पर रुका शर्मा जी का स्कूटर जाकर लगा केम्पर के पिछले हिस्से पर धाड़ और फूफा हवा में उछलकर सीधा गिरे गुड्डू के साथ पिंजरे में , गुड्डू को तब तक होश आ चुका था वह आदर्श फूफा को देखकर हैरान हुआ और कहा,”आप हिया का कर रहे है ?”
“अरे हमरी छोडो तुम जे पिंजरा मा का कर रहे हो ? का सर्कस मा हिस्सा लिए हो और तुम्हरा उह्ह भंड दोस्त कहा है ?”,फूफा ने पूछा
“इह बहुते लम्बी कहानी है फूफा , आपके उह्ह एक सवाल ने आज देखो हमे कहा पहुंचा दिया है,,,,,,,,,,,अरे अब तो बताय दयो हमाये असली बाप कौन है ?”,गुड्डू ने रोआँसा होकर कहा। मार खाने की वजह से बेचारे का होंठ सूज गया था , आँखों के नीचे काले गड्डे पड़ चुके थे और गालों पर चोट के निशान थे।
गुड्डू को इस हाल में देखकर पहली बार फूफा को उस पर दया आयी और उन्होंने कहा,”अरे हमका का पता था गुड्डू गुस्से में कही हमरी एक ठो बात का इह अंजाम होगा,,,,,,,,,तुम्हरे असली बाप,,,,,,,,!!”
फूफा अपनी बात पूरी करता उस से पहले लल्लन के आदमी केम्पर के पीछे आ पहुंचे और उनमे से एक चिल्लाया,”चुंगी भैया”
केम्पर की आगे वाली सीट पर बैठे मंगल फूफा ने सुना तो बगल में बैठे चुंगी से कहा,”लगता है कोनो तुमको आवाज दिया मुंगी भैया”
“अबे मुंगी नाही चुंगी,,,,,,,,,,और तुम का हिया तसरीफ टिका के बैठे हो उतरो नीचे,,,,,,,,!!”,चुंगी ने मंगल फूफा को केम्पर से बाहर धकियाते हुए कहा और उतरकर पीछे चला आया
शर्मा जी तो पहले ही जाकर पास की झाड़ी में छुप गए और सब चुपचाप देखने लगे। चुंगी ने जब गुड्डू के साथ एक और आदमी को पिंजरे में देखा तो कहा,”जे दुसरा आदमी कौन है ?”
“हम है आदर्श शर्मा , फ्रॉम जौनपुर”,आदर्श फुफा उठे और हाथ जोड़कर कहा
गुड्डू ने उनका कुरता पकड़कर उन्हें नीचे बैठाया और गुस्से से दबी आवाज में कहा,”इंट्रोडक्शन नहीं पूछे है इह लोग आपका , जहा देखो वहा शुरू हो जाते है। अरे गुंडे लोग है इह सब,,,,,,,,!!”
फूफा ने सुना तो उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी और बेचारगी से सामने खड़े लोगो को देखने लगे। गुड्डू को फूफा से बात करते देखकर चुंगी समझ गया कि जरूर ये गुड्डू की पहचान का ही है तो उसने गुड्डू और फूफा दोनों को पिंजरे समेत नीचे उतारकर लाने को कहा।
रामनगर की पहाड़ी का वो नजारा देखने लायक था। खाई के किनारे लल्लन और लवली खड़े थे। बिंदिया को लल्लन ने हाथ मुंह बांधकर गाड़ी में ही छोड़ दिया ताकि वह भागने ना पाए लवली फिलहाल मजबूर था उसके पास लल्लन की बात मानने के अलावा दूसरा कोई रास्ता भी नहीं था इसलिए खामोश था। मंगल फूफा को उन्होंने पास ही के एक पेड़ से बांध दिया वह बेचारा चिल्लाता रहा लेकिन उसकी सुनने वाला यहाँ कौन था।
गुड्डू और फूफा पिंजरे में बंद बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं। लल्लन के 6 लड़के तो उसके साथ आये ही थे बाकि 10-12 आदमी उसने शहर से बुला लिए वो सब भी वहा चले आये और मिश्रा का इंतजार करने लगे
गुड्डू ने लवली और लल्लन को समझाने की बहुत कोशिश की और अब वह हार मान चुका था। वह उसी पिंजरे में एक जगह बैठ गया और फूफा उसके सामने यहाँ से वहा चहलकदमी करने लगे। वे कभी गुड्डू को देखते तो कभी सामने खड़े लवली को , फूफा को देखकर गुड्डू ने चिढ़े हुए स्वर में कहा,”अरे बस करो फूफा , का जबसे हिया से हुआ चक्कर लगा रहे है साला आपको देख देख के हमको चक्कर आने लगा रुक जाओ यार”
फूफा ने सुना तो रुक गए और गुड्डू के ठीक सामने दूसरी तरफ बैठ गए। गुड्डू तो शुरू से ही फूफा से चिढ़ा रहता था इसलिए उसे फूफा से बात करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी वह बस अब मिश्रा जी के आने का इंतजार कर रहा था।
फूफा को देखकर लल्लन ने लवली से कहा,”जे साला कौन है ?”
“मिश्रा का साला और गुड्डू का फूफा है , अरे बहुते बद्तमीज आदमी है आज सुबह ही हमसे परशादी ली थी और फिर से यहाँ चले आये”,लवली ने कहा
“साला जिधर देखो उधर फूफा है , एक नमूना उह्ह रहा वहा पेड़ से बंधा है , जे मिश्रा ने का फूफा लोगो के लिए अकेडमी खोल ली है ?”,लल्लन ने चिढ़े हुए स्वर में कहा।
“हमाओ तो दिमाग खराब हो रखो जे सब के चक्कर मा , तीन दिन हुए है कानपूर आये पर जे सब के साथ ऐसो लग रहो जैसे 30 साल हो गए हो उस पर उह्ह साला गोलू उसने जो हर तरफ भसड़ फैलाई है मत पूछो , उह्ह ससुरे के चक्कर में कित्ती बार मार खा चुके है,,,,,,,,,,!”,लवली ने गोलू को याद कर गुस्से भरे स्वर में कहा
“कौन वो नाटका ? अरे उह्ह साले को तो हमहू खुद ढूंढ रहे है , एक बार मिल जाए बस उह्ह हमका”,लल्लन ने गुस्से से भरकर कहा क्योकि गोलू ने उसके साथ जो किया था वो तो कोई अपने दुशमन के साथ भी ना करे।
अब गोलू का नाम आये और फूफा कुछ ना बोले ऐसा भला हो सकता है क्या ? आदर्श फूफा ने जैसे ही सुना उठकर पिंजरे की जाली के पास आये और कहा,”अबे तुम सब लोग बेचारे गोलू के पीछे काहे पड़े हो बे ?”
फूफा की बात सुनकर लल्लन और लवली ने उसे देखा दोनों कुछ कहते इस से पहले मंगल फूफा चिल्लाये,”जे सारे भसड़ की फ़साद उह्ह तुम्हरा गोलू ही है ,, उह्ह साले के चक्कर मा हम हिया पेड़ को गले लगाये हुए है वरना अब तक फुलवारी की बाँहो में होते”
आदर्श फूफा ने सुना तो कहा,”फुलवारी कौन ?”
“अरे उह्ह यादववा की पत्नी”,मंगल फूफा ने कहा
“यादव उह्ह जिसकी मंडी मा दूकान है ?”,आदर्श फूफा ने मंगल की बात में दिलचस्पी दिखाते हुए कहा
“अरे नाही ! दूध वाला जो गुप्ता जी के घर के सामने रहता है”,मंगल फूफा ने कहा
“अच्छा उह्ह फुलवारी , अरे उह्ह तो का गजब दिखती है यार,,,,,,,,,,!!”,आदर्श फूफा ने आँखों में चमक भरकर कहा
“अरे हमाओ तो पहली नजर मा दिल , किडनी , गुर्दा सब ले गयी का बताये अभी भी उसका नाम ले रहे है ना तो ऐसे झुरझुरी सी होय रही है”,मंगल फूफा ने खुश होकर कहा
गुड्डू ने देखा दोनों फूफा फुलवारी के चक्कर मा बोराय गए है तो उसने कहा,”का रे फूफा परायी औरत के बारे मा जे सब बात करते शर्म नाही आती”
“अबे कौन है जे फुलवारी जे के पिरेम मा भँवरे बने हो दोनों”,लल्लन ने दोनों फुफाओ की बात सुनकर उनकी तरफ आते हुए कहा
“अबे ओह्ह्ह अधजली अगरबत्ती के बचे हुए टुकड़े , फुलवारी के मामले मा हमको कॉम्पिटिशन नाही चाहिए”,आदर्श फूफा ने कहा
“काम्पटीशन ? अबे ओह्ह्ह गुड्डू के फूफा तुम कब से कॉम्पटीशन मा आ गए बे ? फुलवारी सिर्फ हमायी है तुम साला अपनी जे तोंद लेकर कही और का रस्ता नाप ल्यो समझे”,मंगल फूफा ने कहा
“काहे तुम्हरे नाम की मोहर लगी है ओह्ह्ह पे , अरे तुमसे पहिले हमरा आना जाना है ओह्ह्ह गली मा”,आदर्श फूफा ने कहा
“ए जबान खींच लेंगे तुम्हायी अगर हमरी फूल के बारे में कुछो कहे तो समझे”,मंगल फूफा ने गुस्से से कहा
लवली ये सब ड्रामा देखकर परेशान हो रहा था लेकिन समझाए किसे , दोनों फूफा तो लड़ रहे ही थे कि लल्लन भी बीच में कूद पड़ा और कहा,”अबे जे का बवाल है बे ? एक तितली के पीछे दो भँवरे और है कौन इह फुलवारी ?”
“फुलवारी हमायी जान है जान और हम है ओह्ह के होने वाले वर समझे”,मंगल फूफा ने कहा
“तो सीधा बोलो ना “जानवर” हो , उह्ह तो शक्ल से ही लगे थे तुम हमको”,आदर्श फूफा ने कहा
“ए गुड्डू के फूफा हमरे सब्र का इम्तिहान नाही ल्यो , वरना ऐसा कंटाप मारेंगे जिंदगी भर बौराये फ़िरोगो समझे”,मंगल फूफा चिल्लाये
“तुम्हरे पास सीढ़ी है ?”,आदर्श फूफा ने पूछा
“काहे ?”,मंगल ने कहा
“का है कि जित्ती तुम्हायी हाइट है हम तक पहुँच नाही पाओगे तुम ?”,आदर्श फूफा ने कहा तो लल्लन हसने लगा और नीचे आ गिरा
“ए जियादा ना बोलो तुम वरना जबान खींच लेंगे तुम्हरी,,,,,!!”,मंगल फूफा ने गुस्से से लाल पीला होकर कहा
“सीढ़ी तो ओह्ह के लिए भी लगी है”,कहकर आदर्श फूफा खुद भी हसने लगे और लल्लन ने जब सुना तो हँसते हँसते लोट पोट हो गया।
लवली ने देखा तो उसके पास आया और उसे पकड़कर कहा,”का कर रहे हो लल्लन भैया ? अरे हम हिया मिश्रा से बदला लेने आये है और आप इनके साथ खीखीखीखी कर रहे है। गुंडे है आप भूल गए का ?”
लल्लन को याद आया तो उसकी हंसी एकदम से गायब हुई और खड़े होकर दोनों फुफाओ से बोला,”ए छोटा रिचार्ज , बड़ा रिचार्ज , फिलहाल के लिए फुलवारी का रखो साइड मा और हमरी बात सुनो , उह्ह साला गोलू तो हमका भी चाहिए एक बार उह्ह्ह मिल जाये बस साले ने बहुत भगाया है हमे। हमका मिला न हाथ पांव काटकर कानपूर के चौक मा टुंडा बनाकर बैठा देंगे साले को , फिर देखते है साला भीख भी कैसे मांगता है ?”
गुड्डू खुद भले गोलू को कितना भी मार ले , गरिया ले , उसकी बेइज्जती कर ले पर किसी और के मुंह से गोलू के खिलाफ एक गलत शब्द नहीं सुन पाता था और यहाँ तो लल्लन गोलू के साथ इतनी हिंसा करने की बात कर रहा था। गुड्डू को गुस्सा आया वह उठा और कहा,”अबे ए लल्लन हमरे साथ जो करना है करो पर हमरे दोस्त गोलू के बारे में एक ठो गलत शब्द भी कहे ना तो तुम्हरे लिए अच्छा नाही होगा इह याद रखना”
“का रे ! तुमको नाही पता उह्ह्ह का किए है साले हमरे शराब की बोतल मा पिशाब किये रहय उह्ह और हमको पिला दी”,लल्लन ने गुस्से से उबलकर कहा
“काहे पानी या सोडा नाही था का ?”,आदर्श फूफा ने कहा
“ए तुम्हरा ना कपार खोल देंगे हम बताय रहे है , का पुरे खानदान को बीच मा बोलने की बीमारी है का ?”,लल्लन ने चिढ़कर कहा
“लेकिन गोलू ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ? और ऐसा तो का कर दिया उसने ?”,गुड्डू ने भी गुस्से से कहा तभी झाड़ियों के पीछे से निकलकर शर्मा जी आये और गुस्से से कहा,”का कर दिया ? अरे सबकी अच्छी खासी जिंदगी मा चरस बो दी है उह्ह तुम्हरे गोलू ने , का है कि उड़ता तीर लेने की आदत जो ठहरी ओह्ह्ह की ,, बर्बादी के सौ रास्ते हो तो तुम्हरा उह्ह दोस्त 100 के 100 रास्ते पर चलकर दिखायेगा। अगर कान के मामले मा कोनो वर्ल्ड रिकॉर्ड होता न तो अब तक गोलू बना चुका होता ,
हमायी बुद्धि घास चरने चली गयी थी जो मिश्रा की बातो मा आकर पिंकिया का रिश्ता ओह्ह के साथ कर दिए,,,,,,साला हिया साँस लेते है
हुआ ओह्ह्ह फिर कोनो नवा कांड कर देता है,,,,,,,,,,,अरे तंग आ गए है ओह्ह्ह से , पागल कर दिया है उसने और उसके बाप ने हमको,,,,,,,,,किसी दिन या तो खुद मर जायेंगे या उह्ह दोनों बाप बेटा को निपटाए देंगे”
“अब जे कौन है बे ?”,लल्लन ने हताश होकर लवली से पूछा
“बातों से तो गोलू के ससुर लग रहे है”,लवली ने कहा
शर्मा कुछ और कहते इस से पहले एक बिना ब्रेक की स्कूटी तेजी से उन सबकी तरफ आयी और आकर सीधा किक मारी शर्मा जी के पिछवाड़े पर वे हवा में उछलकर नीचे गिरे। स्कूटी मिश्रा जी की थी , चलाकर गोलू ला रहा था और यहाँ तक आते आते उसके ब्रेक हो गए फ़ैल। गोलू के पीछे थे मिश्रा जी और उनके पीछे गुप्ता जी जो की हवा में उछले और सीधा लल्लन की गोद में , स्कूटी अब भी नहीं रुकी और जाकर सीधा लगी उस पेड़ को जिस पर मंगल फूफा बंधे थे और बाल बाल बच गए क्योकि स्कूटी का टायर उनकी दोनों टांगो के बीच था।
“अबे गोलू ! अबे का कानपूर मा किसी से सुपारी ले लिए हो हमाये नाम की ?”,मंगल फूफा ने कहा
“अरे तो आप का हिया पेड़ के साथ टाइटेनिक वाला पोज बनाकर खड़े है,,,,,,,!!”,गोलू ने झल्लाकर कहा और स्कूटी से कूदकर लल्लन की तरफ गया लेकिन गुप्ता जी को लल्लन की गोद में देखकर गोलू हक्का बक्का रह गया , आँखे बड़ी , मुँह खुला और गोलू वही जम गया , गुप्ता जी लल्लन की आँखों में देखे जा रहे , लल्लन गुप्ता जी की आँखों में तभी किसी का फोन बजा
“देखा है पहली बार , साजन की आँखों में प्यार
अब जाके आया मेरे , बैचैन दिल को करार”
गुप्ता जी ने सुना तो गोलू की तरफ घूरकर देखा और कहा,”अबे गोलू ! अभी रिंगटोन चेंज नाही की तुमने ?”
गोलू ने भी घूरकर गुप्ता जी को देखा और कहा,”हमाओ नाही आपको फोन बज रहो है”
“हाह ! लगता है पूरा खानदान पागल है”,लवली ने कहा और अपना सर पकड़कर वही बैठ गया
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संजना किरोड़ीवाल


“बातों से तो गोलू के ससुर लग रहे है”,लवली ने कहा
शर्मा कुछ और कहते इस से पहले एक बिना ब्रेक की स्कूटी तेजी से उन सबकी तरफ आयी और आकर सीधा किक मारी शर्मा जी के पिछवाड़े पर वे हवा में उछलकर नीचे गिरे। स्कूटी मिश्रा जी की थी , चलाकर गोलू ला रहा था और यहाँ तक आते आते उसके ब्रेक हो गए फ़ैल। गोलू के पीछे थे मिश्रा जी और उनके पीछे गुप्ता जी जो की हवा में उछले और सीधा लल्लन की गोद में , स्कूटी अब भी नहीं रुकी और जाकर सीधा लगी उस पेड़ को जिस पर मंगल फूफा बंधे थे और बाल बाल बच गए क्योकि स्कूटी का टायर उनकी दोनों टांगो के बीच था।
“बातों से तो गोलू के ससुर लग रहे है”,लवली ने कहा
शर्मा कुछ और कहते इस से पहले एक बिना ब्रेक की स्कूटी तेजी से उन सबकी तरफ आयी और आकर सीधा किक मारी शर्मा जी के पिछवाड़े पर वे हवा में उछलकर नीचे गिरे। स्कूटी मिश्रा जी की थी , चलाकर गोलू ला रहा था और यहाँ तक आते आते उसके ब्रेक हो गए फ़ैल। गोलू के पीछे थे मिश्रा जी और उनके पीछे गुप्ता जी जो की हवा में उछले और सीधा लल्लन की गोद में , स्कूटी अब भी नहीं रुकी और जाकर सीधा लगी उस पेड़ को जिस पर मंगल फूफा बंधे थे और बाल बाल बच गए क्योकि स्कूटी का टायर उनकी दोनों टांगो के बीच था।
“बातों से तो गोलू के ससुर लग रहे है”,लवली ने कहा
शर्मा कुछ और कहते इस से पहले एक बिना ब्रेक की स्कूटी तेजी से उन सबकी तरफ आयी और आकर सीधा किक मारी शर्मा जी के पिछवाड़े पर वे हवा में उछलकर नीचे गिरे। स्कूटी मिश्रा जी की थी , चलाकर गोलू ला रहा था और यहाँ तक आते आते उसके ब्रेक हो गए फ़ैल। गोलू के पीछे थे मिश्रा जी और उनके पीछे गुप्ता जी जो की हवा में उछले और सीधा लल्लन की गोद में , स्कूटी अब भी नहीं रुकी और जाकर सीधा लगी उस पेड़ को जिस पर मंगल फूफा बंधे थे और बाल बाल बच गए क्योकि स्कूटी का टायर उनकी दोनों टांगो के बीच था।