Manmarjiyan Season 3 – 91
Manmarjiyan Season 3 – 91

लल्लन लवली-गुड्डू और बाकि सबको लेकर लवली की बताई जगह के लिए निकल गया। गोलू के कहने पर मिश्रा जी और गुप्ता जी गुड्डू और लवली को ढूंढने लल्लन के अड्डे की तरफ चल पड़े। फूफा को जब गुड्डू के हमशक्ल के बारे में पता चला तो वे शर्मा जी को साथ लेकर गोलू गुड्डू को चंदौली जाने से रोकने के लिए निकल पड़े ताकि मिश्रा जी के सामने हीरो बन सके। कुल मिलाकर एक लवली की वजह से सब यहाँ से वहा भाग रहे थे। पिछले 5 दिन से इन सबकी जिंदगी में जो भसड़ मची हुई थी वो आज तक कभी नहीं मची।
अकेला गोलू इन 5 दिनों अब तक सबसे मार खा चुका था। घरवाले तो घरवाले बाहरवाले भी गोलू पर हाथ साफ़ करने का मौका नहीं छोड़ रहे थे। इतने लोगो में अगर किसी को गोलू पर अब भी विश्वास था तो वो थी उसकी “पिंकिया” जिसे अपने गोलू में कोई कमी नजर नहीं आती थी।
आदर्श फूफा को अपने पीछे बैठाये शर्मा जी अपना स्कूटर सड़क पर दौड़ाये जा रहे थे। पीछे बैठे फूफा ने देखा शर्मा जी स्कूटर धीरे धीरे चला रहे है तो उनके कंधे पर अपना हाथ मारकर कहा,”अरे का धीरे धीरे चला रहे है इह से तेज तो साइकिल चलती है , जल्दी चलिए ना”
“स्कूटर है पिलेन नाही है , और इत्ती जल्दी है तो खुद चलाय ल्यो”,शर्मा जी ने चिढ़कर कहा
“हमहू चलाये ना तो गुड्डू के पास नाही सीधा यमराज के पास पहुंचेंगे”,गुप्ता जी ने कहा तभी उनकी नजर केम्पर पर पड़ी जिसके पीछे पड़े पिंजरे में उन्हें गुड्डू दिखा और उन्होंने ताबड़तोड़ शर्मा जी का कंधा थपथपाते हुए कहा,”ए शर्मा , शर्मा , शर्मा , शर्मा , शर्मा , अबे स्कूटर उधर लो बे , उह्ह रहा गुड्डू”
शर्मा जी ने एकदम से ब्रेक मारी और स्कूटर सामने खड़े रिक्शा को जा लगा।
रिक्शा का तो कुछ नहीं बिगड़ा लेकिन शर्मा जी के स्कूटर आ आगे का हिस्सा टूटकर झूल गया ऊपर से रिक्शा वाले ने आकर शर्मा जी की कोलर पकड़ ली तो फूफा ने छुड़ाते हुए कहा,”अरे का कर रहे हो भाई , अरे इनकी घरवाली बीमार है ओह्ह का देखने अस्पताल जा रहे है ,, बहुते टेंशन मा है बेचारे इहलीये देखे नाही जाही दयो यार”
शर्मा जी ने सुना तो घूरकर फूफा को देखा और दबी आवाज में कहा,”हमायी छीछा लेदर करवाने में कोनो कमी नाही छोड़ना”
रिक्शा वाले ने शर्मा जी कोलर छोड़ दी और कहा,”ऐसा है तो पहिले बोलना था , चचा आराम से जाओ कुछो नाही होगा चाची को,,,,,,,!!”
“काहे तुम्हाये दादा हमाये बाप लगते है जो रिश्ता जोड़ रहे हो हमाये साथ,,,,,,,,,!!”,शर्मा जी ने रिक्शा वाले को घुड़क कर कहा
“अरे भाई तुम जाओ ना कहे परेशान कर रहे हो इनका , ए शर्मा तुम चलो यार गुड्डू हाथ से निकल जाएगा”,फूफा ने कहा तो शर्मा जी ने बंद पड़े स्कूटर को फिर से चालू किया और उस तरफ बढ़ा दिया जिस तरफ केम्पर गया था। कुछ ही देर बाद शर्मा जी का स्कूटर केम्पर के पीछे था। फूफा ने गुड्डू को पिंजरे में पड़े देखा तो कहा,”कही जे गोलू गुड्डू को बेचने तो नाही निकला है ?”
“पिछले कुछ दिनों से जैसी उसकी हरकते है बेचने निकल भी सकता है”,शर्मा जी ने कहा
“अरे नहीं नहीं गुड्डू ससुरे को कौन खरीदेगा ? एक तो बौड़म ऊपर से बैल बुद्धि,,,,,,,,,हमको तो दाल मा कुछो काला लगता है शर्मा”,फूफा ने हैरानी भरे स्वर में कहा
“हमको तो पूरी दाल ही काली नजर आ रही है और जो दाल गोलू गुड्डू पकाये ओह्ह तो काली होनी ही होनी है”,शर्मा जी ने कहा
“अरे तुमहू का दाल भात पकाने की बात कर रहे यार शर्मा , हमरी बात पर फोकस नाही है तुमहाओ , अरे हम जे कह रहे गुड्डू इह हालत मा है जे का मतलब उह्ह कोनो बड़ी मुसीबत मा है। जे केम्पर का पीछा करते है”,फूफा ने कहा
“स्कूटर मा इत्ता पिट्रोल नाही है”,शर्मा जी ने उखड़े स्वर में कहा जिन्हे केम्पर का पीछा करने में जरा भी दिलचस्पी नहीं थी।
“गोलुआ भी का चिन्दी खानदान मा शादी किये रहा,,,,,,,,,,,,अरे हम दे देंगे पैट्रोल का पइसा , टंकी फुल करवा देंगे तुम चलो तो सही”,फूफा ने कहा तो शर्मा जी केम्पर के पीछे चल पड़े।
लड़ते झगड़ते गोलू , मिश्रा जी और गुप्ता जी आख़िरकार लल्लन के अड्डे के बाहर आ ही पहुंचे। जैसे ही स्कूटी रुकी गोलू सबसे पहले नीचे कूदा। मिश्रा जी और गुप्ता जी भी नीचे उतरे और जैसे ही बंद दरवाजे की तरफ बढे गोलू ने दोनों को रोक दिया और कहा,”एक मिनिट,,,,,,,,,,ऐसे अंदर नाही जायेंगे”
“तो का करे बैंड बाजा मंगवाए तुम्हाये लिए या भोपू बजाये ?”,गुप्ता जी ने गोलू को घूरकर कहा
“अमा यार पिताजी ! आप और मिश्रा जी ठहरे कानपूर के सबसे बड़े आदमी ऐसे नार्मल एंट्री लेंगे तो उह्ह्ह कल्लन पर का ही असर पड़ेगा। अरे चचा की एक ठो धमाकेदार एंट्री तो बनती है ना,,,,,,,,,ताकि मिश्रा जी को हिया देखकर उह्ह्ह बब्बन का मूत निकल जाए”,गोलू ने एक्साइटेड होकर कहा
“हमको एक ठो बात बताओ अंदर कित्ते आदमी है , का है कि जोन हिसाब से तुमहू नाम पर नाम लिए जा रहे हो ना उह्ह हिसाब से तो अब तक पचास साठ आदमी हो चुके है ?”,गुप्ता जी ने पूछा
“अरे पिताजी 50-60 आदमी काहे होंगे ? मेन आदमी एक ही है गिरधन”,गोलू ने कहा
“गोलू तुमहू कबो किडनी पर घुसा खाये हो ?”,इस बार मिश्रा जी ने कहा
“नाही उह्ह्ह तो नाही खाये हाँ किडनी से थोड़ा ऊपर कोल मा जरूर खाये है,,,,,,,,,,,काहे का हुआ ?”,गोलू ने मासूमियत से पूछा
“बकैती करने के लिए तुमको जे ही समय मिला , अरे चलकर देखो गुड्डू अंदर है कि नाही हिया खड़े खड़े पंचायती कर रहे है,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने डाँटकर कहा तो गोलू अगले ही पल आगे बढ़ गया
उसने दरवाजे पर एक लात मारी तो दरवाजा भड़भड़ाकर नीचे जा गिरा। गोलू को साइड कर मिश्रा जी और गुप्ता जी अंदर आये पर अंदर तो कोई नहीं था। ना गुड्डू वहा था , ना लवली और ना ही उन्हें पकड़ने वाला लल्लन ,, गोलू ख़ुशी ख़ुशी अंदर आया लेकिन अगले ही पल उसकी ख़ुशी गायब हो गयी और चेहरे पर परेशानी के भाव झिलमिला उठे गुड्डू वहा नहीं था
ये देखकर वह जैसे ही मिश्रा जी की तरफ पलटा मिश्रा जी ने उसकी कोलर को दोनों हाथो से पकड़ा और गुस्से से कहा,”तुम का हमाये साथ खेला खेल रहे हो गोलू ? गुड्डू हिया नाही है अब बताओ तुम्हायी कब्र हिया खोदे या हुआ श्मशान मा तुम्हाये लिए चिता सजाये”
“अरे चचा सुबह गुड्डू भैया और हम यही से भागे थे ,, और लवली के आदमी भी हमरे पीछे पड़े थे”,गोलू ने मिमियाते हुए कहा
“अच्छा तो फिर उह्ह गवा कहा ?”,मिश्रा जी ने गुस्से से कहा
गोलू मिश्रा जी की बात का जवाब देता इस से पहले उनका फोन बजा। फोन बज रहा था और मिश्रा जी गोलू की कोलर पकडे उसे घूरे जा रहे थे। गोलू ने मिश्रा जी की जेब की तरफ इशारा किया और कहा,”पहिले फोन उठा लीजिये , हमका तो बाद मा मार लेना हम कौनसा कही जा रहे है ?”
मिश्रा जी ने गोलू को छोड़ा और जेब से फोन निकालकर देखा स्क्रीन पर नया नंबर देखकर मिश्रा जी ने फोन उठाया और कान से लगाकर कहा,”हेलो , कौन बात कर रहा है ?”
“तुम्हरी बर्बादी बोल रहे है मिश्रा , इत्ती जल्दी भूल गए हमे,,,,,,,,!!”,गुड्डू जैसी आवाज मिश्रा जी के कानो में पड़ी लेकिन मिश्रा जी समझ गए ये गुड्डू नहीं लवली था।
“का चाहते हो तुम ?”,मिश्रा जी ने कठोरता से कहा
“का बात है मिश्रा ? तुमहू तो एकदम से मुद्दे पर आ गए , तो हमहू इह चाहते है कि जितनी जल्दी हो सके रामनगर वाली पहाड़ी पर चले आओ। का है कि हमने सुना है हिया से गिरने वाले कबो वापस नाही आते और गुड्डू हमरी आँखों के सामने है,,,,,,,,,,,,!!”,लवली ने कहा
मिश्रा जी ने सुना तो उनका दिल जोरो से धड़कने लगा वे घबरा गए और कहा,”ए लवली ! ए देखो हमायी बात सुनो , गुड्डू को कुछो नाही करना उसने तुम्हरा कुछो नाही बिगाड़ा है , तुम तुम सच नाही जानते लवली,,,,,,,,सच कुछ और है”
मिश्रा जी को घबराया देखकर गोलू ने उनके हाथ से फोन लिया और कान से लगाकर गंभीरता से कहा,”सुन बे लबली ! अगर गुड्डू भैया को एक खरोंच भी आयी ना साले भूल जायेंगे तुम गुड्डू भैया के बड़े भाई हो और उह्ह हाल करेंगे तुम्हरा बेटा जिंदगी भर याद रखोगे”
मिश्रा जी ने फोन वापस लिया और कहा,”का कर रहे हो गोलू ? ओह्ह्ह का धमका कर काहे आग मा घी डालने का काम कर रहे हो ?”
मिश्रा जी ने फोन कान से लगाया और कहा,”हेलो ! हेलो लवली जे गोलू की बात पर ध्यान ना देना , तुम बताओ कहा आना है हम अभी आते है,,,,,,,,!!”
“रामनगर वाली पहाड़ी , तुम तो आओगे ही साथ मा जे गुड्डू भैया के प्यारे गोलू भांड को भी अपने साथ लेते आना का है कि इह से भी पुराना हिसाब बराबर करना है और अगर पुलिस को खबर की या कोनो होशियारी की तो याद रखना जिंदगीभर गुड्डू की शक्ल नाही देख पाओगे”,लवली ने धमकीभरे स्वर में कहा
“हम्म्म्म”,मिश्रा जी ने हताश होकर कहा और लवली ने फोन काट दिया
मिश्रा जी को हामी भरते देखकर गोलू ने गुस्से से कहा,”अरे कमाल करते हो यार मिश्रा जी ओह्ह्ह पगलेट को बताये काहे नाही कि गुड्डू ओह्ह्ह का सगा भाई है ? और ओह्ह की इत्ती हिम्मत आपको धमका रहा है , अभी जाता हूँ और कान के नीचे लगाकर आता हूँ”
“जे लवली तो बहुते शातिर निकला मिश्रा जी , अब का होगा ?”,गुप्ता जी ने कहा
“अरे होना का है पिताजी ? हमरा तो दिल कर रहा है हमरे सामने हो तो पकड़ के पेल दे ससुरे को ,, अरे गुड्डू भैया इतने अच्छे है और उह्ह चांडाल ओह्ह का उलटा , पता नहीं दोनों भाई कैसे हो गए ?”,गोलू ने चिढ़े हुए स्वर में कहा
“शांत हो जाओ गोलू ! लवली अभी बदले की आग मा जल रहा है और उह्ह आग को भड़काने वाला कोई तो है जिसने इह सब का फायदा उठाया है”,मिश्रा जी ने शांत स्वर में कहा
“अरे और कौन हो सकता है उह्ह है ना लगन , ओहि साले ने लवली को आपके और गुड्डू भैया के खिलाफ भड़काया है। एक बार उह्ह हमरे हाथ लग जाए बस”,गोलू ने कहा
गुप्ता जी गोलू के मुंह से नए नए नाम सुनकर झुंझला चुके थे इसलिए उसके सामने आये और हाथ जोड़कर कहा,”ए भाई ! ए हमहू ना तुम्हरे सामने हाथ जोड़ते है , या तो तुमहू कोनो डिक्शनरी खरीद लेओ या उह आदमी का नाम पता कर लेओ , अरे अब तक पुरे कानपूर के मर्दो के नाम खत्म हो चुके है भाई पर तुम्हाये उह्ह बब्बन , छग्गन , गिरधन , बटन , लग्गन नाही मिले है”
“गुप्ता तुम गोलू को लेकर घर जाओ हम गुड्डू को लेकर आते है,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने कहा
“आप अकेले काहे जायेंगे ? अरे हम भी जायेंगे आपके साथ गुड्डू भैया हमरे भी कुछो लगते है कि नाही”,गोलू ने कहा
“नहीं गोलू तुम घर जाओ , इह सब की वजह से तुमहू पहिले ही बहुत तकलीफ झेल चुके , गुड्डू को हम ले आएंगे और सही सलामत लाएंगे,,,,,,,तुम गुप्ता जी के साथ घर जाओ”,मिश्रा जी ने गंभीर स्वर में कहा
“हमरी तकलीफ की वजह हमहू खुद थे आप और गुड्डू भैया नाही , इहलीये हम भी आपके साथ गुड्डू भैया को लेने जायेंगे”,गोलू ने जिद करके कहा
“गोलू हम कह रहे है ना घर जाओ”,मिश्रा जी ने थोड़ा गुस्से से कहा
“अरे तो का हमेशा आपकी बात सुनेंगे , हमरा अपना दिमाग नहीं है। उह्ह्ह ससुरा लवली इह जानने के बाद भी कि गुड्डू भैया ओह्ह के छोटे भाई है ओह को नुक्सान पहुंचाने की बात कर रहा है और आप कह रहे है आप उसे समझा बुझा के गुड्डू भैया को घर ले आएँगे। अरे उह्ह है लातों के भूत बातो से नाही मानेंगे”,गोलू ने गुस्से से कहा
“गोलू हमने कहा ना तुम वहा नहीं जाओगे”,मिश्रा जी ने भी गुस्से से थोड़ा ऊँची आवाज में कहा
“हम जायेंगे जायेंगे जायेंगे , हमहू भी देखते है कौन रोकता है हमे ?”,गोलू ने भी जिद करते हुए ऊँची आवाज में कहा
गोलू को जिद करते देखकर मिश्रा जी ने खींचकर एक थप्पड़ उसके गाल पर रसीद कर दिया। थप्पड़ बहुत तेज पड़ा था और आज दर्द का अहसास गोलू से पहले गुप्ता जी को हुआ जब थप्पड़ के साथ उनकी आह निकली , क्योकि आज से पहले गोलू को थप्पड़ उसकी रंगबाजी , बकैती और शरारतो के लिए पड़े थे पर आज मिश्रा जी ने उसे बिना गलती के थप्पड़ मारा था
इसी के साथ गोलू की आँखों में आँसू भर आये और उसने रोते हुए कहा,”आप चाहे तो दुई थप्पड़ और मार लीजिये चचा लेकिन हमहू जायेंगे , अरे ऐसे कैसे अकेले चले जाने दे आपको ,, बेटा कहे थे ना आप हमको तो बेटे का फर्ज भी निभाने दो,,,,,,,,,!!”
मिश्रा जी ने सुना तो उनकी आँखों में आँसू भर आये , गोलू उनकी आँखों में आये आँसुओ को देख ना ले सोचकर वे आँखे मसलते हुए पलट गए ये देखकर गोलू उनके पास आया और कहने लगा,”चचा , ए चचा ! आप रो रहे है का ?
अरे हमहू तो है ही बद्तमीज जो मुँह मा बक दिए , हमरी कोनो बात का बुरा लगा तो हमको माफ़ कर दो चचा ,, लेकिन गुड्डू भैया को बचा लीजिये इह सब जो हो रहा है उह्ह मा गुड्डू भैया की कोनो गलती नाही है,,,,,,,,,,हमरी गलती की वजह से इह सब भसड़ फैली है हमहू वादा करते है हम सब सही कर देंगे,,,,,,,,,,बस हमरी वजह से आप दिल छोटा मत कीजिये”
मिश्रा जी गोलू की तरफ पलटे और उसे गले लगाकर कहा,”हमका माफ़ कर दे रे गोलू , हमने तुमको थप्पड़ मारा”
मिश्रा जी को रोते देखकर गोलू भी रो पड़ा और गुप्ता जी की आँखों में भी आँसू भर आये,,,,,,,,,,,,!!”
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संजना किरोड़ीवाल


अरे हमहू तो है ही बद्तमीज जो मुँह मा बक दिए , हमरी कोनो बात का बुरा लगा तो हमको माफ़ कर दो चचा ,, लेकिन गुड्डू भैया को बचा लीजिये इह सब जो हो रहा है उह्ह मा गुड्डू भैया की कोनो गलती नाही है,,,,,,,,,,हमरी गलती की वजह से इह सब भसड़ फैली है हमहू वादा करते है हम सब सही कर देंगे,,,,,,,,,,बस हमरी वजह से आप दिल छोटा मत कीजिये”
मिश्रा जी गोलू की तरफ पलटे और उसे गले लगाकर कहा,”हमका माफ़ कर दे रे गोलू , हमने तुमको थप्पड़ मारा”
मिश्रा जी को रोते देखकर गोलू भी रो पड़ा और गुप्ता जी की आँखों में भी आँसू भर आये,,,,,,,,,,,,!!”
अरे हमहू तो है ही बद्तमीज जो मुँह मा बक दिए , हमरी कोनो बात का बुरा लगा तो हमको माफ़ कर दो चचा ,, लेकिन गुड्डू भैया को बचा लीजिये इह सब जो हो रहा है उह्ह मा गुड्डू भैया की कोनो गलती नाही है,,,,,,,,,,हमरी गलती की वजह से इह सब भसड़ फैली है हमहू वादा करते है हम सब सही कर देंगे,,,,,,,,,,बस हमरी वजह से आप दिल छोटा मत कीजिये”
मिश्रा जी गोलू की तरफ पलटे और उसे गले लगाकर कहा,”हमका माफ़ कर दे रे गोलू , हमने तुमको थप्पड़ मारा”
मिश्रा जी को रोते देखकर गोलू भी रो पड़ा और गुप्ता जी की आँखों में भी आँसू भर आये,,,,,,,,,,,,!!”