Manmarjiyan Season 3 – 90
Manmarjiyan Season 3 – 90

गुड्डू अपने भाई को लल्लन की कैद से छुड़ाने आया था और यहाँ लवली ने उसे ही मार पीट कर अगवा कर लिया और लल्लन से हाथ मिला लिया ताकि मिश्रा जी से बदला ले सके। गुड्डू लवली से मिन्नते करता रहा लेकिन लवली ने उसकी एक नहीं सुनी और लल्लन की तरफ चला आया। बिंदिया ने जब लवली को अपने बदले के लिए गुड्डू को मारते देखा तो कहा,”तुम इतना कैसे गिर सकते हो लवली ? अरे उह्ह्ह कह रहा है कि उह्ह तुम्हरा भाई है फिर तुम अपने ही भाई के साथ ऐसा काहे कर रहे हो ?”
“तुम जे सब में ना पड़ो बिंदिया”,लवली ने कठोरता से कहा और लल्लन की तरफ पलटकर बोला”,गुड्डू तुम्हरे हाथ लग चूका है और हम तुम्हरे पैसे चुका देंगे , अब बिंदिया को हिया से जाने दो”
लल्लन मुस्कुराया और कहा,”तुमको का लगता है लवली , हमको किसी पागल कुत्ते ने काटा है जो हम बिंदिया को जाने देंगे ? अरे इह तो है तुम्हरी दुखती रग जिसको जब चाहे दबाकर हम तुमको कंट्रोल कर सकते है,,,,,,,,अरे इह तो हमरा जैकपॉट है,,,,,,,चलो उह्ह मिश्रा को पैसो के साथ बुलाओ हिया”
“यहाँ नहीं लल्लन भैया ! मिश्रा ओही पहाड़ी पर आयेगा जहा से कूदकर उन्होंने अपनी जान दी थी”,लवली ने गुस्से से कहा
“ठीक है फिर जे सबको वही लेकर चलते है , हमको हमरा पैसा मिल जाएगा तुमको मिश्रा ओह्ह के बाद उह्ह ससुरे के साथ जो करना है करो”,लल्लन ने कहा
लवली ने गुड्डू को एक नजर देखा और हामी में गर्दन हिला दी।
लल्लन ने अपने आदमियों से कहकर गुड्डू , मंगल फूफा और बिंदिया को गाड़ी में डालने को कहा और खुद लवली को साथ लेकर बाहर निकल गया ताकि लवली भाग ना जाये। बाहर एक गाड़ी और एक केम्पर खड़ी थी केम्पर के पीछे जानवरो को बंद करके रखने का बड़ा पिंजरा था। लवली को मिश्रा जी से तो नफरत थी ही साथ ही मिश्रा जी का गुस्सा उसने गुड्डू पर निकाला और लल्लन के आदमियों से कहकर अधमरे गुड्डू को पिंजरे में डाल दिया।
मंगल फूफा ने गुड्डू की ये हालत देखी तो भागकर आगे आया और दरवाजा खोलकर कहा,”हमहू आगे बैठेंगे”
“काहे ? तुम्हाये पिताजी की बारात जा रही है जो आगे बैठोगे , ए जे का भी गुड्डू के साथ पिंजरे मा डालो रे,,,,,,!!”,बगल से गुजरते लल्लन ने कहा
“ए गिरधन भैया ! ए हमका आगे बैठने दयो यार हमका उलटी आवत है”,मंगल फूफा ने कहा
“अबे तुम दोनों का क्या करे हम ? अबे कित्ती बार कहे है हमाओ नाम लल्लन है , अगली बार हमरो नाम भूले ना तो याद रखना ड्रिल मशीन से हमाओ नाम तुम्हायी छाती पर गोद देंगे,,,,,,,,बइठो जहा बैठना हमाओ भेजा गरम नाही करो वरना उह्ह अमंगल करेंगे तुम्हाये साथ किसी को मुंह दिखाने लायक नाही रहोगे , समझे”,कहकर लल्लन आगे बढ़ गया और गाडी में जा बैठा , उसी गाड़ी में बिंदिया , लल्लन के आदमी और चुंगी था। पीछे केम्पर में लल्लन के तीन आदमी और मंगल फूफा आगे और पीछे पिंजरे में बेचारा गुड्डू,,,,,,,,,,,,,,!!
भुआ ने जब फूफा को गुड्डू के हमशक्ल के बारे में बताया तो किसी अनहोनी के डर से वे कमरे से बाहर आये। शगुन को परेशान देखकर फूफा उसके पास आये और कहा,”शगुन ! मिश्रा जी कहा है और तुम इत्ता परेशान काहे हो ?”
शगुन इस गुड्डू और लवली के चक्कर से परेशान हो चुकी थी इसलिए रो पड़ी और कहा,”आप सब जिसे गुड्डू समझ रहे है गुड्डू जी नहीं है उनके हमशक्ल है , पता नहीं गुड्डू जी कहा है ? पापा जी को बताना चाहती थी पर वो भी यहाँ नहीं है,,,,,,,,!!”
शगुन को रोते देखकर पहली बार फूफा जी के मन में दया भावना जागी और उन्होने शगुन के सर पर हाथ रखकर कहा,”ए बिटिया ! ए तुमहू रो नाही गुड्डू को कुछो नाही होगा उह्ह मिल जाएगा , अरे जे सब हमरी वजह से हो रहा है,,,,,,,,तुमहू चिंता नाही करो हम अभी गुड्डू को लेकर आते है,,,,,,,,,!!”
शगुन ने सुना तो हैरानी से फूफा को देखने लगी अब तक फूफा ने इस घर काम कलेश किया था जो अब गुड्डू के हमशक्ल के लिए भी ये खुद को जिम्मेदार बता रहे थे। फूफा बाहर जाने के लिए आगे बढे और दो कदम चलकर रुक गए
वे शगुन के पास आये और धीमे स्वर में कहा,”जब तक मिश्रा जी , गुड्डू और गोलू घर नहीं आते तुम मिश्राइन से जे सब का जिक्र नाही करना , तुमको गुड्डू की कसम है”
फूफा वहा से चले गए लेकिन शगुन को गुड्डू की कसम देकर धर्मसंकट में जरूर डाल दिया। अम्मा को गुजरा आज पांचवा दिन था और 5 दिन में शगुन ने इतनी भसड़ देख ली जितनी शादी के 2 सालो में नहीं देखी थी। उसने अपने आँसू पोछे और वेदी के कमरे में चली आयी उसने पिंकी को फोन लगाया।
“हेलो ! हाँ शगुन कैसे फोन किया ?”,पिंकी ने कहा
“पिंकी ! गोलू जी घर आ गए क्या ? उन्होंने गुड्डू जी के बारे में कुछ बताया कि वे कहा है ?”,शगुन ने घबराहटभरे स्वर में कहा
“गोलू कुछ देर पहले ही घर आया था और मिश्रा अंकल भी आये थे फिर पापाजी , गोलू और मिश्रा अंकल तीनो चले गए लेकिन कहा गए है मुझे नहीं पता,,,,,!!”,पिंकी ने कहा
“मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा ये लोग कर क्या रहे है ?”,शगुन ने उदासी भरे स्वर में कहा
“अरे शगुन ! तुम टेंशन मत लो मेरा गोलू है ना वो सब ठीक कर देगा और गुड्डू की चिंता क्यों कर रही हो तुम वो कही भी हो गोलू उस तक पहुँच जाएगा”,पिंकी ने अपने गोलू महाराज पर कुछ ज्यादा ही विश्वास दिखाकर कहा
शगुन ने सुना तो उसे गोलू की हरकते याद आ गयी और उसने थोड़ा गुस्सा होकर कहा,”ये सब रायता तुम्हारे गोलू ने ही फैलाया है पिंकी एक बार वो घर आये फिर उनकी खबर तो मैं लेती हूँ,,,,,,,,,,!!”
पिंकी कुछ कहती इस से पहले शगुन ने फोन काट दिया।
“हाह ! पता नहीं सब मेरे गोलू के पीछे क्यों पड़े रहते है,,,,,,,,,,,!!”,पिंकी ने मुंह बनाकर कहा और कमरे से बाहर चली गयी। अब पिंकी को क्या पता घर के बाहर उसके गोलू ने क्या क्या काण्ड कर रखे है। जिनके चक्कर में मिश्रा जी , गुप्ता जी , गुड्डू , मंगल फूफा , शर्मा जी और तो और लवली भी भाग रहा था।
मिश्रा जी के घर से निकलकर फुफा सीधा पहुंचे शर्मा जी के घर और बेल बजा जी लेकिन एक बार बेल बजाने पर किसी ने दरवाजा नहीं खोला उन्होंने एक बार और बजायी लेकिन इस बार भी किसी ने दरवाजा नहीं खोला तो फूफा ने हाथ से ही दरवाजे को पीटना शुरू कर दिया।
दरवाजा फिर भी नहीं खुला क्योकि शर्माईन पीछे आँगन में कपडे सूखा रही थी और शर्मा जी बाथरूम में थे। फूफा को लगा दरवाजा अटक गया है इसलिए वे थोड़ा पीछे गए और भागते हुए जैसे ही दरवाजे की तरफ आये शर्मा जी ने दरवाजा खोला।
अब फूफा इतनी स्पीड में थे कि शर्मा जी को लेकर सीधा आकर गिरे आँगन में जहा रखा था पानी का बाल्टी। फूफा का मुँह सीधा बाल्टी के अंदर और फूफा वही पैर पसार कर धरती पर आ टीके , पानी से लथपथ फूफा ने बगल में गिरे शर्मा जी को देखा तो शर्मा जी उठे उनके बालों से पानी टपक रहा था।
“अरे आप तो गीले हो गए शर्मा जी,,,,,,,,,!!”,फूफा ने झेंपते हुए कहा
“जे तुम्हरे खानदान मा सबको बीमारी है का ? या कसम खा लिए हो सब लोग कि किसी के घर सीधे तरीके से नाही जाना”,शर्मा जी ने गुस्से से चिल्लाकर कहा
शर्माईन ने शोर सुना तो भागकर आयी और बेचारी फर्श पर फैले पानी पर फिसल कर आ गिरी। शर्मा जी ने देखा तो अपना सर पीट लिया और उन्हें उठाते हुए कहा कहा,”अरे अब तुम तो देख कर चलो भाग्यवान,,,,,,,,,,,,इह जब से गोलू से पिंकिया का रिश्ता किये है मनहूसियत तो शनि की साढ़ेसाती बनकर पीछे पड़ गयी है”
“अरे जे सब मा बेचारे गोलू की का गलती है ?”,फूफा ने उठकर अपना कुरता निचोड़ते हुए कहा
“बेचारा ? अरे उह्ह बेचारा नहीं एक नंबर का खटारा आदमी है , का का कांड किये है अभी बताएँगे ना छाती फट जाही है आपकी,,,,,,,,और जे सब छोडो इह बताओ कि तुमहू हिया का कर रहे हो ?”,शर्मा जी ने शर्माईन से अंदर जाने का इशारा करके फूफा से कहा
“जे गोलू गुड्डू को बृजेश याद के बारे में कौन बताया रे ? हुआ साला एक ठो गुड्डू नाक मा दम किये रहता है दुइ दुइ गुड्डू को कैसे झेल पाएंगे ?”,फूफा ने थोड़ा गुस्से से कहा तो शर्मा जी घबरा गए
“इह चांडाल को अगर पता चला कि बृजेश ज्यादा के बारे में गुड्डू गोलू को हम बताये है तो जे साला मिश्रा से जाकर हमरी शिकायत कर देगा। पर जे गुड्डू गोलू भी कम नाही है अरे हमने बताया इह बात जाकर इह का बताने की का जरूरत थी,,,,,,,,,!!”,शर्मा जी ने मन ही मन खुद से कहा
“अरे हम तुम से पूछ रहे है,,,,,,,और गुड्डू गोलू कहा है ?”,फूफा ने कहा
“कहा है मतलब ? हमे का पता कहा है ?”,शर्मा जी ने हड़बड़ाकर कहा
“तुम्हरा सरनेम भले ही शर्मा हो पर शर्म बिल्कुल नाही है तुम्हरे अंदर,,,,,,,,,अरे गुड्डू और गोलू तुम्हरे पास जरूर आये होंगे और बृजेश यादव के बारे में ओह्ह को जानकारी भी तुम्ही दिए होंगे,,,,,,,,,,अब तुम खुद से बताय दयो तो अच्छा है वरना हलक मा हाथ डालकर हमहू खुद निकाल लेइ है”,फूफा ने शर्मा जी को धमकाकर कहा
“जैसा साला वैसा जीजा”,शर्माजी बड़बड़ाये और कहा,”का सबूत है कि हमने गुड्डू गोलू को ज्ञान दिया है”
“अरे हमरी राजकुमारी कबो झूठ नाही बोल सकती , ओह्ह हमका बताय रही कि गोलू को तुम्हरे पास जाने का आईडिया ओह्ह ही देही रही,,,,,,,अब तुम बख्त बर्बाद नाही करो फटाफट बताओ यार,,,,,,,गुड्डू और गोलू दोनों किसी बड़ी मुसीबत मा ना फस जाए”,फूफा ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“जे मोटकी राजकुमारी के ढोल जैसे पेट मा आज भी कोनो बात नाही टिकती”,शर्मा जी फिर बड़बड़ाये
“अबे बताओगे कि मुहूर्त निकाले तुम्हाये मुँह पर”,फूफा ने भड़क कर कहा
“हाँ हमने ही बताया था और उह्ह दोनों चंदौली जाने की बात कर रहे थे हम सुने थे दरवाजे के पीछे से”,शर्मा जी ने कहा
“और जे बात तुमहू उह्ह भंड गोलू को बताये रहय , अरे उह्ह आदमी का मुसीबत के साथ चुम्मा चाटी वाला रिश्ता है , चंदौली तो बाद मा पहुंचेंगे पहिले इह तो पता चले कि उह्ह्ह दोनों है कहा ?”,फूफा ने कहा
“चंदौली जा रहे है चंदौली वाली बस पकड़ने बस स्टेण्ड गए होंगे और कहा”,शर्मा जी ने मासूमियत से कहा
“ठीक है फिर चलो”,फूफा ने कहा
“कहा ?”,शर्मा जी ने पूछा
“बस स्टेण्ड और कहा ? अरे हमको स्कूटर चलाना नहीं ना आता है , पैदल जायेंगे तो कल तक पहुंचेंगे , चलो हमरे पास जियादा बख्त नाही है”,फूफा ने शर्मा जी बाँह पकड़कर उन्हें अपने साथ बाहर ले जाते हुए कहा
“अरे कपडे तो बदल लेने दीजिये”,शर्मा जी ने कहा
“बारात मा नाही जा रहे है बस स्टेण्ड जा रहे है और गीले ही तो हुए है हवा से सुख जायेंगे , चलिए स्कूटर स्टार्ट कीजिये”,फूफा ने शर्मा जी को स्कूटर की तरफ धकियाकर कहा
शर्मा जी ने कुर्ते की जेब से स्कूटर की चाबी निकाली और स्कूटर में लगाकर फूफा से कहा,”एक ठो बात बताईये आप तो शर्मा जी और गुड्डू से नफरत करते है ना फिर ओह्ह के लिए परेशान काहे हो रहे है ?”
फूफा शर्मा जी के पीछे आ बैठे और कहा,”अरे हम फुफाओ को लोगो ने बदनाम कर रखा है कि हम फूफा लोग घर मा कलेश करते है , नालायक है नकारा है कोनो काम के नाही है , पर हर फूफा को ना अपने जीवन मा हीरो बनने का एक ठो मौका जरूर मिलता है , हमको इह मौका आज मिला है,,,,,,,,,,,अब चलो सड़क नाप ल्यो , आज हमहू भी फूफा समाज की लाज बचा के रहे है”
गोलू गुड्डू के साथ साइकिल पर सवार होकर जिस रास्ते से गया था उसी रास्ते से बाइक लेकर वापस आ रहा था लेकिन सामने उसे 4 आदमी मिल गए और गोलू को बाइक रोकनी पड़ी। उन चार आदमियों के पीछे से निकलकर आया वो आदमी जिसकी साइकिल लेकर गोलू भागा था। आदमी को देखकर गोलू ने जैसे ही बाइक घुमानी चाही आदमियों ने गोलू को धर लिया और अच्छे से धुलाई कर दी , बेचारे को कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया , कपडे फाड़े सो अलग और शक्ल तो ऐसी बना दी कि एक बार में देख के कोई पहचान ही ना पाए ये गोलू है।
मारपीट कर आदमियों ने गोलू को पत्थर के पास पटका और साइकिल वाले आदमी की तरफ बाइक की चाबी बढ़ाकर कहा,”इह ल्यो तुम्हरी साइकिल के बदले में जे बाइक पकड़ो और आज के बाद कोनो परेशानी हो तो हमे याद कर लेना”
“जी भैया बहुत बहुत शुक्रिया तुम्हरा”,आदमी ने कहा तो चारो आदमी वहा से खेतो की तरफ चले गए। गोलू की एक आँख तो बंद हो चुकी थी दूसरी आँख को जैसे तैसे करके खोला और मरे हुए स्वर में कहा,”ए भैया ! जे लोग कौन थे ?”
“जे हमाये सेठ जी खेत पर काम करने वाले मजदूर के लोग है,,,,,,,,,!!”,आदमी ने बाइक पर बैठते हुए कहा और चाबी लगा दी
“हमका तो यमराज लग रहे थे,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने उसी स्वर में कहा
“भलाई के बदले भलाई मिलती है सुना था पर साइकिल के बदले मोटरसाइकिल मिलती है इह पहली बार देख रहे है,,,,,,,,,,चलते है भैया”,कहकर आदमी गुड्डू की बाइक लेकर वहा से चला गया
गोलू उस पल को कोसने लगा जब वह आदमी की साइकिल लेकर भागा था तभी गुप्ता जी को लेकर मिश्रा जी अपनी स्कूटी से वहा पहुंचे और गोलू को कोई भिखारी समझ कर कहा,”ए भैया ! अभी कोनो लड़का को मोटरसाइकिल से जाते देखे का ?”
“लड़का तो हिया पड़ा है मोटरसाइकिल आगे चली गयी”,गोलू ने कराहकर कहा
“लगता है कोनो पागल भिखारी है , आईये आगे देखते है”,मिश्रा जी ने कहा
अपने लिए पागल भिखारी सुनकर गोलू बोखला गया और उठकर कहा,”अरे हमहू पागल भिखारी दिखते है का आपको ? जे संसार की जित्ती उपाधियाँ है का सब हमको देने की ठान लिए हो तीनो तिकड़मबाज मिल के,,,,,,,,,,,,एक तो इह हमरे बाप जिनको हम रंगबाज दीखते है , दूसरे उह्ह हमरे ससुर शर्मा ओह्ह को हम पागल दिखते है और अब आप आप हमको सीधा सीधा भिखारी बोल रहे है,,,अरे हमरी भी कोनो इज्जत है कहा से लग रहे है हम भिखारी आपको”
“अरे इह ससुरा तो गोलू है मिश्रा जी,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा
“तो जे कपडे फाड़कर का फैशन शो मा हिस्सा लिए हो ? जे का हाल बना रखो है और बाइक कहा है तुम्हरी ?”,मिश्रा जी ने डांटकर पूछा
“उह्ह्ह लम्बी कहानी है बाद मा बताएंगे पहिले अड्डे पर चलते है वरना कही उह्ह भाग ना जाये”,गोलू ने गुप्ता जी के पीछे आकर बैठते हुए कहा जिसे से मिश्रा जी थोड़ा आगे हो गए , बेचारी स्कूटी की हालत खराब लेकिन क्या करे उसे तो इंसानो का बोझ ढोना ही था।
मिश्रा जी ने स्कूटी आगे बढ़ा दी लेकिन स्कूटी कभी दांये जाए कभी बांये जाए क्योकि पीछे बैठे गुप्ता जी और गोलू झगड़ा कर रहे थे जिस से स्कूटी हिल रही तो और मिश्रा जी के लिए बैलेंस बनाना मुश्किल हो रहा था आखिर में उन्होंने चिल्लाकर कहा,”अबे चुप हो जाओ दोनों और गुप्ता तुम साले इह बार ना गुड्डू गोलू अकेले नाही पीटेंगे तुमको भी परशादी देकर रहे है हमहू,,,,,,,,,हमायी छाती छीलना बंद करो तुम दोनों”
गुप्ता जी ने सुना तो खामोश हो गए और गोलू ने मुँह पर ऊँगली रख ली लेकिन वह ज्यादा देर तक अपनी हंसी नहीं रोक पाया और हसने लगा। गुप्ता जी ने उसे घुरा और बेचारे मिश्रा सोच रहे थे कि काश उनके पास एक रामपुरी होता तो या तो इन दोनों के पेट में उतार देते या अपनी छाती में,,,,,,,,,,!!
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संजना किरोड़ीवाल

