Manmarjiyan Season 3 – 88
Manmarjiyan Season 3 – 88

मिश्रा जी ने जैसे ही कहा कि लवली गुड्डू का बड़ा भाई है तो ये सुनकर गुप्ता जी अवाक रह गए और गोलू तो बेहोश ही हो गया। गुड्डू और लवली आपस में जुड़वा भाई है ये राज तो गोलू जान चुका था लेकिन दोनों के असली पिताजी कौन थे आनंद मिश्रा या फिर बृजेश यादव क्योकि लवली का पूरा नाम लवली यादव था और गुड्डू का अर्पित मिश्रा और ये गुत्थी अब सिर्फ एक ही इंसान सुलझा सकता था और वो थे मिश्रा जी,,,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी से गोलू को होश में लाने का कहकर मिश्रा जी गुड्डू को रोकने बस स्टेण्ड के लिए निकल गए।
गुप्ता जी ने गोलू को थपथपाया लेकिन गोलू तो ऐसे बेहोश हुआ जैसे मर गया हो,,,,,,,गुप्ता जी को जब कुछ नहीं सुझा तो पानी की बाल्टी भर लाये और गोलू पर उड़ेल दी। पानी गिरने से गोलू हड़बड़ाकर उठा और बौखला कर इधर उधर देखा और फिर खुद को गीला देखकर कहा,”पिताजी जे का किया ? पानी काहे डाल दिए हमाये ऊपर अरे हमाओ रूपा को कच्छों भीग जाही है”
“तुमहू रूपा का कच्छा काहे पहिने हो बे ?”,गुप्ता जी ने हैरानी से कहा
“अरे रूप कम्पनी की बात कर रहे है यार पिताजी,,,,,,,,,मिश्रा जी कहा गए ?”,गोलू ने उठकर खुद को झाड़ते हुए पूछा
“उह्ह्ह गुड्डू को लेने बस स्टेण्ड गए है”,गुप्ता जी ने कहा
“अरे मिश्रा जी को अकेले काहे भेज दिए गुड्डू भैया को लेने ?”,गोलू चिल्लाया
“मतलब ?”,गुप्ता जी ने कहा
“अरे मतलब इह कि गुड्डू भैया पर चल रही है शनि की साढ़ेसाती और जहा गुड्डू भैया होते है वहा मुसीबत अपने आप आ जाती है,,,,,,,,एक ठो काम कीजिये आप दी चार आदमी लोग को लेकर शमशान वाले रास्ते पहुंचिए हमहू जाकर गुड्डू भैया और मिश्रा जी को लेकर आते है,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा और गुड्डू की बाइक की तरफ बढ़ गया।
“श्मशान वाले रास्ते काहे ? का जीते जी चिता पर लेटने का विचार कर लिए हो ?”,गुप्ता जी ने गोलू की तरफ आकर कहा
गोलू ये सब से इतना बौखलाया हुआ था कि जल्दी जल्दी में बाइक के पिछले हिस्से की तरफ मुंह करके बैठा और हैंडल पकड़ने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया चिल्लाकर कहा,”अरे यार पिताजी ! अब जे बाइक का हैंडल कहा गवा ? साला जब भी कही जल्दी मा जाना होता है हमरे साथ जे ही होता है”
गुप्ता जी ने गोलू की गुद्दी में एक चपत लगाई और कहा,”बुद्धि का इस्तेमाल नहीं करोगे तो जे ही होगा न”
गोलू ने पलटकर देखा तो उसे समझ आया कि वह बाइक पर उलटा बैठा है। गोलू गुप्ता जी को देखकर झेंपते हुए सीधा बैठ गया तो गुप्ता जी उसके पीछे आ बैठे और कहा,”तुम्हरे उह ढक्कन और ओह्ह के आदमियों के लिए हमहू अकेले काफी है , पाहिले चलकर मिश्रा जी और गुड्डू को देखते है”
गोलू ने सुना तो भाव-विभोर होकर गुप्ता जी को देखा और कहा,”माँ कसम पिताजी आज पहली बार आपको दिल से पिताजी कहने का दिल कर रहा है”
“तो पहिले का पडोसी को अपना बाप कहते थे ?”,गुप्ता जी ने फिर गोलू के सर पर चपत मारकर कहा , गोलू ने चुपचाप वहा से आगे बढ़ने में ही अपनी भलाई समझी और बाइक स्टार्ट कर वहा से निकल गया।
मिश्रा जी का घर , कानपूर
लवली से मार खाकर भुआ और फूफा दोनों चुपचाप अपने कमरे में बैठे बाते कर रहे थे तभी शगुन किसी काम से वहा आयी लेकिन जब उसने भुआ और फूफा को इस हाल में देखा तो उनके पास आयी और घबराकर कहा,”अरे भुआ जी-फूफा जी ये क्या हुआ आप लोगो को , किसने मारा आपको ?”
“अरे और कौन मार सकता है शगुन , उह्ह है ना तुम्हारा पति गुड्डू उसी ने हमरी जे हालत की है,,,,,,,,अरे हमे तो मारा सो मारा राजकुमारी को भी नाही बक्शे , देखो कैसे मुँह सुजा दिया है बेचारी का ऐसो लग रहो जैसे मुंह मा कोनो पान दबा के बैठी है”,आदर्श फूफा ने कहा
शगुन ने जैसे ही सुना उसे याद आया कि ऊपर गुड्डू की जगह जो है वो गुड्डू नहीं बल्कि लवली है और लवली ने ही भुआ और फूफा का ये हाल किया है वह कुछ कहती इस से पहले भुआ ने दबी आवाज में फूफा से कहा,”ए कोमलिया के पिताजी ! अरे गुड्डू का नाम काहे ले रहे है ? उह्ह गुड्डू थोड़े है उह्ह तो ओह्ह का हमशक्ल है,,,,,,,,,,,!!”
शगुन को कुछ कुछ सुना तो उसने कहा,”भुआजी आप किसके हमशक्ल के बारे में बात कर रही है ?”
“शगुन पेट से है जे समय मा इह का जे सब बताकर टेंशन नाही देंगे,,,,,,जे सब मा इह बेचारी की का गलती,,,,,,,,!!”,भुआ मन ही मन बड़बड़ाई और कहा,”अरे नाही नाही शगुन कुछो नाही हम तो कुछो नाही कह रहे , इह गुड्डू के फूफा तो जब देखो तब बेचारे गुड्डू के पीछे पड़े रहते है , उह्ह काहे हम लोगन को मारेगा ? अरे इह तो बाहर भैया और गुप्ता जी से बहस करके आये है और हम , हम ज़रा आँगन मा फिसल गए थे तो मुंह के बल आ गिरे और चोट गयी हमका,,,,,,,तुम्हे हमाओ एक ठो काम कर देइ हो ?”
“जी भुआजी कहिये ना”,शगुन ने सहजता से कहा
“इनके लिए एक ठो कप चाय और हमरे लिए एक गरम पानी का पतीला भिजवा दोगी ? थोड़ा सेक लेते है मुंह का वरना कही टेढ़ा ना हो जाए”,भुआ जी ने कहा
“हाँ हाँ भुआजी मैं अभी ले आती हूँ”,कहकर शगुन कमरे से बाहर निकल गयी।
कमरे से बाहर आकर शगुन बडबडबाते हुए किचन की तरफ जाने लगी,”ये सब क्या हो रहा है ? गुड्डू जी घर में नहीं है , गोलू जी भी लापता है और गुड्डू जी की जगह उसके हमशकल ने इस घर में जगह ले ली है और पापाजी खामोश है और अब तो वो हमशक्ल घरवालों को नुकसान भी पहुँचाने लगा,,,,,,,,नहीं मुझे ऐसे चुप नहीं रहना चाहिए , मैं अभी जाकर पापाजी से सब सच बता देती हूँ और उस हमशकल से पूछती हूँ आखिर मेरे गुड्डू जी कहा है ?”
बड़बड़ाते हुए शगुन सामने से आती मिश्राइन से टकरा गयी तो उन्होंने कहा,”अरे बिटिया आराम से , का हुआ इत्ती परेशानी मा कहा जा रही हो ?”
“अह्ह्ह कुछ नहीं माजी वो बस भुआजी और फूफाजी के लिए चाय बनाने जा रही थी”,शगुन ने कहा
“तुम्हारी तबियत हमे ठीक नहीं लग रही तुम अपने कमरा मा जाकर आराम करो हम वेदिया से कह देते है जाओ”,मिश्राइन ने शगुन के गाल को छूकर प्यार से कहा तो शगुन की आँखों में आंसू भर आये लेकिन उसने कुछ कहा नहीं और जाने लगी तो मिश्राइन ने कहा,”शगुन !”
“जी माजी”,शगुन ने पलटकर कहा
“कोनो और बात तो नहीं है ना बिटिया ?”,मिश्राइन ने पूछा
“माजी को कैसे बताऊ कि इस घर में जिसे सब गुड्डू जी समझ रहे है वो कोई और है”,शगुन ने मन ही मन खुद से कहा और फिर ना में गर्दन हिला दी। मिश्राइन मुस्कुराई और शगुन से जाने का इशारा किया और खुद रसोई की तरफ चली गयी।
शगुन अपने कमरे में ना जाकर मिश्रा जी से बात करने उनके कमरे की तरफ आयी लेकिन मिश्रा जी वहा नहीं थी , उन्हें ढूंढते हुए शगुन आँगन में आयी तो सामने वेदी मिल गयी और शगुन ने उस से पूछा,”वेदी ! पापाजी कही नजर नहीं आ रहे , तुम्हे उन्हें कही देखा ?”
“पिताजी तो शोरूम गए है भाभी , अभी थोड़ी देर पहिले ही हमाये सामने शोरूम से फोन आये रहा ओह्ह के पास तो पिताजी तुरंत निकल गए”,वेदी ने कहा और वहा से चली गयी।
“हे भगवान् ! गुड्डू जी और पापा जी सही सलामत हो और गोलू जी को भी सलामत रखना”,शगुन ने हाथ जोड़कर ऊपर देखते हुए कहा सहसा ही उसके चेहरे के भाव बदल गए और उसे लवली की याद आयी क्योकि इस घर का जो माहौल बिगड़ा था उसकी असली वजह तो लवली ही था। शगुन गुस्से से सीढ़ियों की तरफ बढ़ी और ऊपर चली आयी लेकिन लवली कमरे में नहीं था। शगुन ने सब जगह ढूंढा लेकिन लवली उसे कही नहीं मिला , उसे ढूंढते हुए वह ऊपर छत पर भी आयी लेकिन लवली वहा भी नहीं था। शगुन और ज्यादा परेशान हो गयी गुड्डू तो पहले से गायब था और अब लवली भी घर में नहीं था।
लल्लन और उसके आदमी लवली और मंगल फूफा को उठाकर लल्लन के अड्डे पर ले आये। लवली को कुर्सी पर बैठाया और रस्सियों से बांध दिया तो वही बेचारे मंगल फूफा को मार पीट कर अधमरा किया और उस के दोनों हाथो को बांधकर उसे हवा में लटका दिया। बेचारा मंगल कहा अपनी डाकूगिरि दिखाने गुप्ता जी के घर आया था और फुलवारी के प्यार में पड़ गया और अब लल्लन के हाथ लग गया।
लल्लन सोफे पर आ बैठा तो लवली ने कहा,”अरे हम कोई लवली नहीं गुड्डू है,,,,हमे कहे पकड़ा है तुम लोगो ने ?”
लवली की बात सुनकर मंगल फूफा ने मरे हुए स्वर में कहा,”इह बेचारा सही कह रहा है , अरे जे तो गोलू का दोस्त गुड्डू है,,,,,,,,,,ए गिरधन भैया ए तुमहू ना गलत आदमी को पकड़ लाये हो”
लल्लन ने जब अपना नाम गिरधन सुना तो गुस्से से उठा और मंगल फूफा के पास आकर उसके दोनों कान पकड़कर उसे हिलाकर कहा,”अबे हमाओ नाम गिरधन नाही लल्लन है लल्लन चकिया वाला समझे”
“तो इह मा हमको झूला झुलाने की का जरूरत है ? हम भी कोई ऐरे गैरे आदमी नाही है , मंगल फूफा नाम है हमाओ , कानपूर के बच्चे बच्चे को पता है हम कौन है समझे”,मंगल फूफा ने कहा
“लल्लन भैया अगर इह फूफा है तो फिर जे की कोनो भुआ भी होगी”,चुंगी ने लल्लन के पास आकर कहा तो सभी हसने लगी। लवली को गुड्डू बनने का नाटक करना था ताकि लवली उसे गुड्डू समझकर छोड़ दे इसलिए उसने कहा,”अरे जे भुआ फूफा छोडो और हमका जाही दयो हमहू लबली नहीं है यार,,,,,,,!!”
लल्लन ने सुना तो लवली की तरफ आया और कहा,”जे का फैसला हम अबही कर देते है,,,,,,,,,,,ए लोँडिआ को लाओ रे”
लल्लन ने चिल्लाकर कहा तो उसके दो लड़के जिनको उसने पिछली शाम चकिया भेजा था लवली के घर उन्हें लवली के घर से सामान के साथ “बिंदिया” भी मिल गयी और वे उसे भी अपने साथ ले आये। लड़के बिंदिया को लेकर जैसे ही वहा आये लवली का दिल धड़क उठा। बिंदिया लवली को बचपन से चाहती थी ये बात पूरा गाँव जानता था और लवली के दिल में भी बिंदिया को लेकर भावनाये थी लेकिन मिश्रा जी से बदला लेने के चलते उसने हमेशा बिंदिया को खुद से दूर रखा।
लेकिन बिंदिया को अचानक यहाँ देखकर लवली मन ही मन उसके लिए घबरा गया लेकीन कहा कुछ नहीं। लल्लन ने अपने पेंट से बेल्ट निकाला और हाथ पर लपेटकर लवली से कहा,”अगर तुम लवली नहीं गुड्डू हो तो फिर तुम इह लड़की का भी नाही जानते होंगे ?”
कहते हुए उसने खींचकर एक बेल्ट बिंदिया पर चला दिया और वो इतनी जोर से था कि बिंदिया की चीख़ निकल गयी और बिंदिया को दर्द में देखकर लवली ने अपने दाँत भींच लिए वह बंधा हुआ था और इस वक्त मजबूर था।
अगर वह बता देता कि वह लवली है तो लल्लन उसे यही मार देता और मिश्रा जी से उसका बदला अधूरा रह जाता लेकिन लल्लन उस से दो कदम आगे निकला उसने लवली की कमजोरी को ही उसके सामने लाकर खड़ा कर दिया। एक बेल्ट पड़ने पर जब लवली कुछ नहीं बोला तो लल्लन ने गुस्से में आकर बिंदिया पर ताबड़तोड़ बेल्ट बरसाना शुरू कर दिया। दर्द के मारे बिंदिया चीखने लगी तो लवली से देखा नहीं गया और वह चिल्लाया,”हम ही लवली है , उसे छोड़ दो जो करना है हमाये साथ करो,,,,,,,,,,,,!!”
मंगल फूफा ने सुना तो हैरानी से लवली को देखने लगा , उसे तो चक्कर आने लगा था वह समझ ही नहीं पा रहा था कौन लवली है और कौन गुड्डू ? लल्लन से बचने के लिए उसने बेहोशी का नाटक किया और अपनी आँखे बंद कर ली। लल्लन को लवली चाहिए था इसलिए उसने मंगल फूफा पर ध्यान नहीं दिया और लवली के पास आकर उसका मुँह पकड़कर कहा,”तुमको का लगा कि तुम हमायी आँख मा धूल झांकोगे और हमको पता नाही चलेगा,,,,,,,,कौनसे बख्त पर तुम्हरी कौनसी नस दबानी है जे हमको अच्छे से पता है लबली,,,,,,,,,,!!”
“लल्लन , हम तुम्हरे पैसे लौटा देंगे बिंदिया को जाने दो , इह सब मा ओह्ह की कोनो गलती नाही है ओह्ह का जाय दयो”,लवली ने नीचे गिरी बिंदिया को देखकर कहा तो लल्लन ने पलटकर बिंदिया को देखा और लवली की तरफ पलटकर बोला,”पहले पैसा ओह्ह्ह के बाद लौंडिया को छोडूंगा”
लवली समझ गया कि इस वक्त लल्लन उसकी कोई बात नहीं मानेगा तो उसने कुछ नहीं कहा बस लल्लन को घूरने लगा। लल्लन वापस सोफे पर आ बैठा और सिगरेट जलाकर मुँह में रख ली।
चुंगी जो कि बहुत देर से लवली को देखे जा रहा वह लल्लन के पास आया और कहा,”लल्लन भैया ! जे लबली और इह से पहिले जोन लड़के को हम लोग पकडे थे जे दोनों आपको सेम सेम नाही लग रहे”
“जो पहिले हिया था उह भी लबली ही था और इह जो तुम्हरे सामने बैठा है इह भी लबली ही है,,,,,,,,,जे गुड्डू नाम का भौकाल तो जे ने हमको धोखा देने के लिए बनाया था पर हमरे चंगुल से कोनो इतनी आसानी से नाही निकल सकता,,,,,,,,,!!”,लल्लन ने कहा
मंगल फूफा जो कि बेहोश होने का नाटक कर रहा था उसने अपनी आँखे खोली और कहा ,”अरे नाही गुड्डू और लबली दो अलग लोग है”
लवली की वजह से लल्लन का माथा पहले से गर्म था उसने जब मंगल को बीच में बोलते देखा तो कहा,”हमको इह बताओ उह गोलू तुम्हरा का लगता है ?”
“अरे उह्ह्ह तो हमरा ख़ास रिश्तेदार है”,मंगल फूफा ने मुस्कुरा कर कहा
“तबही बीच मा बोलने की आदत है तुम्हरी भी,,,,,,,ए चुंगी जे की फील्डिंग सेट कर दयो,,,,,,,,,,और ध्यान रहे जान से नाही मारना है”,लल्लन ने कहा और वहा से उठकर चला गया। मंगल फूफा ने सुना तो बेचारा रो पड़ा लेकिन उसके रोने का असर किस पर पड़ने वाला था चुंगी और उसके आदमियों में मिलकर उन्हें ऐसे धोया जैसे निरमा साबुन से कपड़ा धोया जाता है और धरती पर पटक दिया। मंगल फूफा जैसे ही जमीन पर गिरे उन्होंने मरे हुए स्वर में कहा,”अबे साले गोलू ! अबे तुम तो शनि की साढ़ेसाती से भी जियादा खतनाक हो बे , जबसे मिले हो पिटते ही जा रहे है,,,,,,,,!!”
मंगल फूफा में अब इतनी जान नहीं बची थी कि गोलू को थोड़ा और कोस पाते इसलिए वही निढाल होकर गिर पड़े।
बिंदिया ने देखा लवली अकेला ही है तो वह जैसे तैसे खिसककर उसके पास आयी और रोते हुए कहा,”तुम ठीक तो हो ना लवली ? जे लोगो ने तुमको काहे पकड़ा है ? तुम तुम शहर आकर कोनो गलत काम तो नाही किये ना ? बहुत दुःख रहा है लवली जे आदमी बहुते बुरा है”
लवली ने बिंदिया के बदन पर पड़े बेल्ट की मार के निशान देखे तो उसकी आँखों में आँसू भर आये। बिंदिया ने अपना सर उसके घुटनो पर टिका दिया और सिसकने लगी लवली की आँखे से टपककर आँसू की एक बून्द बिंदिया की बांह पर आ गिरी।
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संजना किरोड़ीवाल