Manmarjiyan Season 3 – 86

Manmarjiyan Season 3 – 86

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गुड्डू और गोलू बस स्टेण्ड पहुंचे और वहा से चंदौली की बस पता की जो की आधे घंटे बाद की थी। दोनों वही चाय की दुकान पर आ बैठे और आगे क्या कैसे करना है के बारे में बात करने लगे तभी लल्लन गुड्डू और गोलू को ढूंढते ढूंढते अपने आदमियों के साथ वहा आ पहुंचा। गुड्डू ने तो नहीं देखा लेकिन गोलू की नजर उन पर पड़ गयी। उसने बगल से गुजरते आदमी के गले से गमछा साफ किया और जल्दी से अपने मुंह के चारो और लपेट लिया। गुड्डू ने हैरानी गोलू की तरफ देखा और कहा,”का हुआ ? मुंह काहे छुपाये हो ?”


“सामने देखो गुड्डू भैया आप भी अपना मुंह न छुपा लो तो हमाओ नाम बदल देना”,गोलू ने गमछे का सिरा होंठो के बीच दबाकर दबी आवाज में कहा
गोलू ने सामने खड़े लल्लन को देखा तो उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी और वह उठकर गोलू की तरफ मुंह करके खड़ा हो गया और लल्लन की तरफ पीठ कर ली। गोलू का मुंह ढका था और गुड्डू ने कपडे बदल लिए थे इसलिए लल्लन उन्हें पहचान नहीं पाया था और आकर सीधा गुड्डू के कंधे पर हाथ रखा और कहा,”ए भैया ! जे तुमहू किसी गुड्डू गोलू को जानते हो का ?”


गुड्डू ने हाथ से अपना मुंह छुपाये ना में गर्दन हिला दी , गोलू भी उठ खड़ा हुआ। लल्लन ने दोनों को देखा और गुड्डू से कहा,”अबे कुछ पूछ रहे है तुमसे , मुंह काहे छुपाया है ?”
गुड्डू ने आँखों ही आँखों में गोलू से लल्लन को वहा से भगाने का इशारा किया अब गोलू को ऐसी सिचुएशन में हमेशा अजीबोगरीब बात ही याद आती है तो उसने कहा,”उह्ह आपने सुना होगा पिछले हफ्ते कानपूर मा एक ठो सत्तर साल की बुढ़िया 30 साल के लौंडे के साथ भाग गयी थी”


“हाँ सुने तो थे,,,,,,,!!”,लल्लन से पहले चुंगी ने कहा तो लल्लन ने पलटकर उसे देखा और चुंगी इधर उधर देखने लगा
“हाँ तो ?”,लल्लन ने गोलू से कहा
“तो भैया कानपूर मा किसी को मुंह दिखाने के लायक नाही रहे का है कि उह्ह्ह जे कि दादी रही,,,,,,”,गोलू ने गमछा मुंह में दबाये कहा
गुड्डू ने जैसे ही सुना अपना पैर जोर से गोलू के पैर पर मारा तो गोलू मारे दर्द के चिल्लाया और रोने लगा उसे रोते देखकर लल्लन उलझन में पड़ गया और कहा,”अबे दादी इसकी भागी है तो तुम काहे रो रहे हो ? और तुमने काहे गमछे से छुपाया है ?”


“हमायी दादी को भगाने वाले जे ही तो है,,,,,,,,,तो मारे शर्म के मुँह छुपा रहे है”,इस बार गुड्डू ने दाँत पीसकर कहा
“का गजब का शहर है इह सत्तर साल की बुढ़िया 30 साल के लौंडो के साथ भाग रही है,,,,,,,,,,,,,ए सुनो तुम दोनों हमका इह बताओ किसी गुड्डू गोलू को जानते हो का तुम लोग ? “,लल्लन ने पूछा
“अरे हम किसी गुड्डू गोलू को नाही जानते काहे हमे परेशान कर रहे है ? जाईये ना अपना काम कीजिये”,गुड्डू ने झुंझलाकर कहा


“लल्लन भैया हमको नाही लगता इनको कुछो पता होगा,,,,,,,,,इह बेचारा तो पहिले ही अपनी दादी के भाग जाने पर शर्मिन्दा है,,,,,,,,,!!”,चुंगी ने कहा
अपनी दादी के बारे ने गुड्डू और ज्यादा गलत नहीं सुन पाया तो पलटा और चुंगी की गुद्दी पकड़कर उसे दो तीन घुसे जड़कर कहा,”शर्मिन्दा होगी तुम्हायी अम्मा तुम्हे पैदा करने के बाद साले हमायी बूढ़ा के बारे में एक ठो शब्द और बोले ना तो यही पटक के पेल देंगे,,,,,,,,,,,!!”


गुड्डू को अपने सामने देखकर लल्लन चिल्लाया,”अबे जे तो लवली है पकड़ो बे इसको भागने ना पाए”
गोलू ने जैसे ही सुना रोना बंद किया और मुंह पर लपेटा गमछा निकालकर लल्लन के गले में डालकर उसे पीछे खींचकर कहा,”का बे छप्पन ? हर बार का गलत आमदी को ही पकड़ोगे अबे कबो तो सही आदमी पर हाथ डालो,,,,,,,,,,,,!!!”


“अबे जे गोलुआ भी यही है , पकड़ो इन दोनों को”,लल्लन चिल्लाया लेकिन तब तक गोलू ने गमछा गर्दन से लेकर उसकी आँखों तक पर लपेट दिया और उसे गोल गोल घुमा दिया। लल्लन घूमकर पास बेंच पर बैठे आदमी की गोद में जा गिरा और गोलू चुंगी की तरफ लपका जिसने एक लड़के के साथ गुड्डू को पकड़ रखा था। गोलू ने चुंगी को दूर करना चाहा तो नहीं कर पाया और आखिर में उसने चुंगी के कान को काट लिया बेचारा चुंगी चिल्लाते हुए गुड्डू को छोड़ साइड हुआ और अपना कान सम्हालने लगा। दूसरे लड़के को गुड्डू ने घुसा मारा और गोलू को लेकर वहा से भाग गया।


लल्लन उठा और अपने चेहरे पर लिपटे गमछे को हटाया और कहा,”अबे पकड़ो उन्हें भागने ना पाए”
लल्लन और उसके आदमी गोलू और गुड्डू के पीछे भागने लगे। आगे गुड्डू उसके पीछे गोलू और उन दोनों के पीछे लल्लन और उसके आदमी कानपूर की सड़को पर ऐसे भाग रहे थे जैसे खुले सांड।

भागते हुए गोलू गुड्डू के बगल में आया और पीछे आते लल्लन को देखकर कहा,”अरे यार गुड्डू भैया ! जे साला लल्लन तो यमराज बनकर हमारे पीछे पड़ गया है , जे लवली ने भी ना बहुते सही आदमी से दुश्मनी मोल ली है लगता है।”
“भागता कहा है साले रुक , आज तोह का नाही छोड़ेंगे,,,,,,,,ए पकड़ो सालो को आज बचकर भागने ना पाए”,लल्लन गोलू के पीछे भागते हुए गुस्से से चिल्लाया


सड़क से हटकर गोलू और गुड्डू गली में घुसे और भागने लगे , उन्होंने ना अपने सामने आने वालो को देखा ना ही अगल बगल वालो को बस भागे जा रहे थे और इसी चक्कर में रास्तेभर ना जाने कितने ही लोगो का नुकसान भी किया।
“गोलू तुम यहाँ से जाओ हम वहा से जाते है इह से जे लोग कन्फ्यूज हो जायेंगे और ओह्ह के सीधा हमे बस स्टेण्ड मिलना,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने रुककर गोलू से कहा तो गोलू गुड्डू के आइडिआ से इतना खुश हुआ कि आकर उसके चेहरे को अपने हाथो में थामा और गाल पर एक जबरदस्त चुम्मा लेकर कहा,”कबो कबो आपका दिमाग ना इरोपिलेन के जइसन चलता है , एकदम तेज”


“अबे गोलू ! जे बख्त चुम्मा चाटी का नाही है भागो यहाँ से और गलती से भी लल्लन या उसके आदमियों के हाथ मत आ जाना वरना तुमको हम तो का भगवान भी नाही बचा पाएंगे”,गुड्डू ने गोलू को दूसरी गली की तरफ धकियाते हुए कहा तो गोलू पलटा और इमोशनल होकर कहा,”गुड्डू भैया ! अपना ख्याल रखना”
“मर नहीं रहे है गोलू , पर तुम्हरे साथ रहे ना तो पक्का मर जायेंगे,,,,,,,,अब भागो”,गुड्डू ने कहा और भाग गया तभी लल्लन और उसके आदमी भी वहा पहुँच गए , उन्हें गुड्डू तो दिखा नहीं और गोलू दिखा तो गुड्डू को छोड़कर सब गोलू के पीछे भागने लगे।

गोलू ने देखा सब उसके पीछे आ रहे है तो वह भागते हुए चिल्लाया,”अबे हमाये पीछे काहे आ रहे हो तुमको तो लबली चाहिए ना ओह्ह के पीछे जाओ”
“अबे फसाद की जड़ तो तुम्ही हो , तुमको पकड़ लिया ना तो लबली भी तुम्हरे पीछे पीछे दुम हिलाते आ ही जाएगा,,,,,,,,,ए छोड़ना नाही इसको”, लल्लन भी गोलू के पीछे भागते हुए चिल्लाया।


“लगता है आज मिश्रा जी की अम्मा से भेंट होकर रहेगी हमारी”,गोलू भागते हुए बड़बड़ाया और फिर ऐसा भागा कि उसे होश ही नहीं रहा किस गली में जाना है वह बस जिधर रास्ता मिला उधर भागते गया और लल्लन अपने आदमियों के साथ उसके पीछे

लवली बाइक ठीक करवाकर जैसे ही बाइक पर बैठा आदमी ने आकर पीछे से रुमाल उसके नाक पर रखा और दूसरे ने लवली के आगे बैठकर बाइक सम्हालकर कहा,”ठीक से पकड़कर बैठना”
बेहोशी की दवा सूंघते ही लवली बेहोश हो गया और उसका सर आदमी की पीठ से आ लगा। दोनों उसे लेकर गुप्ता जी के घर पहुंचे और आँगन में लाकर पटका। मंगल फूफा बाहर आये और गुड्डू को देखकर गुस्से से कहा,”अबे किस ले आये हो ? हमने गोलू को ढूंढकर लाने को कहा था उसके दोस्त को नाही”


“अरे बॉस गोलू कहा है इसको पता होगा ?”,आदमी ने कहा
“ये तुम्हे कैसे पता ?”,मंगल ने पूछा
“क्योकि ये और गोलू पक्के दोस्त है”,दूसरे आदमी ने कहा
“अब जे तुमको कैसे पता ?”,मंगल ने फिर पूछा
“जे तो इन दोनों को पता होगा ना”,पहले आदमी ने कहा
“किन दोनों को ?”,मंगल ने दाँत पीसते हुए कहा


“अरे गुड्डू और गोलू को,,,,,,,,,,!!”,दूसरे आदमी ने झुंझलाकर कहा तो मंगल ने अपने बाल नोच लिए और चिल्लाकर कहा,”गधो , नालायको , उल्लू के पट्ठो , गोलू कहा है ये जानने के लिए अब मैं इसके होश में आने का इंतजार करू ? तुम लोगो से एक काम ढंग से नहीं होता है , मुझे गोलू चाहिए गोलू को लेकर आओ समझे तुम लोग और अगर इस बार गोलू को लिए बिना वापस आये तो मैं तुम्हारी टाँगे काटकर तुम्हे भी साढ़े चार फुट का कर दूंगा समझे”


दोनों आदमियों ने सुना और उलटे पांव वापस भाग गए। गुड्डू के रूप में लवली और गुड्डू की बाइक गुप्ता जी के घर के आँगन में थे। लवली को बेहोश देख मंगल फूफा अपना सर खुजाने लगे तभी गुप्ता जी वहा आये और गुड्डू को वहा पड़ा देखकर कहा,”अब इसको का हुआ ?”
“पता नहीं हम तो अभी अभी आये है,,,,,,,,आपके रिश्तेदार है आप सम्हालिए”,कहकर मंगल फूफा वहा से चले गए। गुप्ता जी लवली के पास आये उसे बेहोश देखकर उन्हें लगा ये गुड्डू है तो घबरा गए और मिश्रा जी को फोन लगा दिया।

मिश्रा जी ने पूरी बात सुनी और मुस्कुरा उठे। उन्हें खामोश देखकर गुप्ता जी ने कहा,”आप कहे तो गुड्डू को घर ले आउ या यही अंदर लेटा दू”
“इनमे से कुछो नाही करना है गुप्ता , ओह्ह्ह का होश मा लाओ और फिर बत्ती बनाय दयो ओह्ह की,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने कहा


“जे आप का कह रहे है ? गुड्डू आपका बेटा,,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने हैरानी से कहा
“हमरा बेटा है तबही तो आपसे कह रहे है , सुबह का कहे रहे गोलू के लिए बस उह्ह याद रख के तबियत से सूत दो तब तक हम आते है”,मिश्रा जी ने कहा और फोन काट दिया

मिश्रा जी की बात सुनकर गुप्ता जी ने फ़ोन जेब में रखा और बेहोश पड़े गुड्डू यानि लवली को देखकर बड़बड़ाये,”जे मिश्रवा को का हो गवा है अपने ही सपूत को लठ पड़वाने की बातें कर रहे है। एक तो जे गोलू पता नहीं कहा गायब हो गवा है ओह्ह्ह की चिंता अलग है और जे गुड्डू हिया बेहोश पड़ा है , हमहू तो गुड्डू को मार नाही सकते एक ठो काम करते है मंगल से कहकर जे मेटर सुलटवाते है”


गुप्ता जी पलटे और मंगल को आवाज दी,”मंगल , अबे ओह्ह्ह मंगलवा”
“का है ? काहे हमाये नाम का राग अलाप रहे है ?”,आँखों पर चश्मा लगाए मंगल ने गुप्ता जी के पास आकर कहा
“जे ससुरा ऐसे तो हमायी बात सुनेगा नाही , इह का बोतल मा उतारे का पड़ी”,गुप्ता जी ने मन ही मन खुद से कहा
“का हुआ ? बोलेंगे कुछो कि जाए हम , हमरे पास इत्ता बख्त नाही है”,मंगल फूफा ने अकड़कर कहा
गुप्ता जी ने उन्हें घूरकर देखा और कहा,”सुबह से शाम तक यादववा के घर की तरफ झाँकने के अलावा काम ही का है तो का ?”


“ए ए देखो तुमहू ना अब पर्सनल हो रहे हो , हमहू भी काम धंधे वाले आदमी है। उह्ह तो आजकल किसी के प्रेम मा थोड़े बावरे हो गए है पर जे की वजह से हमको फालतू नाही समझ लेना , मंगल फूफा नाम है हमाओ समझे , कानपूर का,,,,,,,,,,,,,!!”,मंगल फूफा ने इतना ही कहा कि गुप्ता जी ने उनकी गुद्दी पकड़कर गुड्डू की तरफ लाते हुए कहा ,”हाँ हाँ मालूम है मालूम है पुरे कानपूर मा नाम चली है तुमहाओ पर हमहू हिया तुमको तुम्हरे फायदे के लिए ही बुलाये है ,

जोन तितली के चक्कर मा तुमहू हो ना ओह्ह के चक्कर मा मोहल्ले के और कई भँवरे भी है जिनमे सबसे आगे है जे गुड्डू मिश्रा गोलू के लंगोटिए यार,,,,,,,,,तो हमहू का कह रहे थे कि,,,,,,,!!”
“का कह रहे थे ?”,मंगल फूफा ने गुप्ता जी की बात भी पूरी नहीं होने दी और बीच में टोक दिया
“हाँ तो अभी कहेंगे ना,,,,,,,,,कह रहे है जल्दी है आपको ?”,गुप्ता जी ने घूरकर कहा
“हाँ तो कहिये,,,,,,,!!”,मंगल ने भी चिढ़कर कहा


“हाँ तो कहेंगे ना , डरते है का आपसे ?”,गुप्ता जी ने कहा तो मंगल फूफा ख़ामोशी से उन्हें देखने लगे
“हम जे कह रहे कि एक ठो बार मोहल्ला के एक ठो भंवरा को अगर तुमहू सबक सिखाय दयो तो बाकि भँवरे अपने आप साइड हो जाही है और तुमहाओ रास्तो साफ़,,,,,,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने धीमे स्वर में कहा
“का सच कह रहे है ? ए गुप्ता जी कसम खाइये मजाक तो नहीं ना कर रहे है हमरे साथ ?”,मंगल फूफा ने खुश होकर कहा


“अरे मजाक तो भगवान ने किया है तुम्हरे साथ आशिक़ वाला दिल देके डाकू बनाय दिए तुमका , पर हम जानते है बाहिर से भले तुम डाकू हो पर अंदर से आशिक़ हो उह्ह भी सच्चे वाले,,,,,,,,,,,नई”,गुप्ता जी ने आखिर कार मंगल फूफा को अपनी मीठी मीठी बातो के जाल में फंसा ही लिया  
मंगल फूफा ने सुना तो ख़ुशी से फूल गया और मचलकर कहा,”अरे ऐसा नाही कहो , गुदगुदी सी होय रही है हमाये अंदर,,,,,,,,,,,,अच्छा इह बताओ सबक सिखाने के लिए भंवरा मिलेगा कहा ?”


“ल्यो बगल मा छोरा और कानपूर मा ढिंढोरा , अरे जे है तो तुम्हरे लिए ही तो मंगवाए है एकदम फ्रेश उह का है न सब भंवरो में सबसे सुन्दर और मजबूत है गुड्डू , अब तुम इह का मारे हो तो बाकि सब मा तुम्हरा खौफ फ़ैल जाही है और फुलवारी तो तुम पर वारी वारी जाही है,,,,,,,,,का समझे ?”,गुप्ता जी ने कहा
मंगल फूफा में जोश आ गया और उन्होंने अपने फूलो वाले शर्ट की बाजू चढ़ाकर अपनी बाँहो पर मारकर कहा,”बस हमहू समझ गए , दुइ पियार करने वालो के बीच पुल बनाने वाले ठेकेदार आप ही है।

आप अंदर जाईये का है कि हमहू बहुते खूंखार किस्म के आदमी है हमरा मार पीट आप देख नाही पाएंगे , आप मस्त अंदर  शिकंजी पीजिये हमहू जे भँवरे का भिनभिनाना रोक कर आते है”
“उह्ह तो देखकर ही लग रहा है कित्ते खूंखार हो तुम”,कहकर गुप्ता जी अंदर चले गए और मंगल फूफा लवली के चारो और चक्कर काटते हुए डायलॉगबाजी करने लगा,”का रहे गोलुआ के दोस्त ? तुमको का लगा हमरी नाक के नीचे से फुलवारी को ले जाओगे , बेटा मंगल नाम है हमाओ अब देख कैसे दंगल करते है हम तुम्हायी जिंदगी मा , ए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अम्मा”


मंगल फूफा जैसे ही लवली को मारने को हुआ उसके आकर एक जोर का धक्का लगा और वह उछलकर घर के छज्जे पर , ये धक्का मारने वाला कोई और नहीं बल्कि गोलू था , दरअसल लल्लन से बचने के लिए गोलू भागते भागते अपने ही घर में चला आया और लवली के पैर में उलझकर मंगल से टकराया और बेचारा मंगल ऊपर हवा में , गोलू सम्हला और घबराहट में उसने भी लवली को गुड्डू समझ लिया और उसे बेहोश देखकर उसकी छाती पर जोर से हाथ मारकर रोया,”ए गुड्डू भैया”


छाती पर अचानक मार पड़ने से लवली को साँस आयी और होश आया उसने गोलू को देखा तो खींचकर एक थप्पड़ मारा और कहा,”मरे नहीं है हम”
गोलू ने देखा गुड्डू को होश आ गया है तो वह उसके गले लगा और कहा,”अरे गुड्डू भैया आप ठीक हो हमको लगा आप,,,,,,,,,,लेकिन आप हिया कैसे पहुंचे  स्टेण्ड मिलने वाले थे ?”
“लल्लन भैया ! वो रहा गोलू”,चुंगी ने गुप्ता जी के घर के सामने आकर कहा


“खड़े खड़े देख का रहे हो पकड़ो उसे”,लल्लन ने कहा और चुंगी और लड़के गोलू की तरफ बढे तभी छज्जे से लुढ़क कर चुंगी के सामने आ गिरा और कहा,”गोलू को हाथ लगाने से पहिले हमसे बात करो”
“अब तू कौन है बे ?”,लल्लन ने कहा
मंगल ने अपने दोनों हाथो को आपस में रगड़ा और कनपटी से लगाकर पीछे ले जाते हुए कहा,”तबाही का दूसरा नाम मंगल फूफा है”


“ए चुंगी ! जे तबाही का भी धर ल्यो,,,,,,,!!”,लल्लन ने हथेली में खैनी रगड़कर कहा तो एक लड़के ने मंगल फूफा को पकड़ लिया। ये सब ड्रामा देखकर लवली चुपचाप खिसकने को हुआ। खैनी मुँह में रखते हुए लल्लन की नजर जैसे ही लवली पर पड़ी उसने चिल्लाकर कहा,”अबे चुंगी गोलू को छोड़ लवली को पकड़”
चुंगी और लड़को ने लवली को धर लिया और उसे और मंगल फूफा को वहा लेकर आगे बढ़ गए।  

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संजना किरोड़ीवाल  

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