Manmarjiyan Season 3 – 82

Manmarjiyan Season 3 – 82

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

मिश्रा जी का घर , कानपूर
लवली की बात सुनकर शगुन नीचे चली आयी। लवली ने जो कुछ कहा वह सब शगुन के मन में चल रहा था साथ ही उसे गुड्डू की परवाह भी हो रही थी। परेशान सी शगुन नीचे आयी , मिश्रा जी की नजर शगुन पर पड़ी लेकिन उन्होंने शगुन से कुछ कहा। शगुन के जाने के बाद मिश्रा जी मन ही मन खुद से कहने लगे,”हमने कभी सोचा नहीं था इतने वर्षो बाद हमारा अतीत हमारे सामने इस तरह से आएगा।

बृजेश इह दुनिया मा नाही रहा पर जाते जाते वह हम सबकी जिंदगी मा जहर घोलना नहीं भुला , हम जानते है आज जिसने सबके बीच हमारा हाथ थामा उह्ह्ह गुड्डू नहीं है , क्योकि हमरा गुड्डू हमरे खिलाफ चला जायेगा लेकिन गोलुआ के लिए कबो इतना बुरा नहीं कहेगा , जो गुड्डू गोलू के लिए हमसे मार खा सकता है , जो उसकी हर गलती में उसके साथ खड़ा रहता है , जो गोलुआ के गलत होने पर भी कबो उसका साथ नहीं छोड़ता उह्ह गुडडू गोलुआ के लिए कबो जे सब नाही कहेगा।

हमे पता लगाना होगा गुड्डू कि शक्ल मा जो इह घर मा आया है उह्ह कौन है ? लेकिन ओह्ह्ह से पहिले हमे गोलू का पता लगाना होगा,,,,,,,,कही उह्ह किसी बड़ी परेशानी मा ना फंस जाए और गुड्डू भी जरूर उसी के साथ ही होगा , क्योकि हमे पूरा यकीन है जहा गुड्डू वहा गोलू होगा , मिश्राइन और घर में ये बताकर हम सबको परेशान नहीं कर सकते हमे खुद ही इस सच का पता लगाना होगा”
मन ही मन फैसला करके मिश्रा जी अंदर चले गए आगे वो क्या करने वाले थे ये बस वही जानते थे।

आदर्श फूफा ने मिश्रा जी और उनके घरवालों को इन दिनों यू तो बहुत परेशान किया था लेकिन आज जब गुड्डू ने मिश्रा जी का हाथ थामा तो आदर्श फूफा का गुस्सा भी गुड्डू पर फूट पड़ा। वे कमरे में आये और भुआ से कहा,”जे साला गुड्डू पगला वगला गवा है का ? ओह्ह की इत्ती हिम्मत उह्ह सबके सामने तुम्हरे भाई का हाथ पकड़ लिए और उह्ह एक ठो शब्द नाही कहे ओह्ह्ह से,,,,,,,,,,अरे बाप है उसके खींच के देते दुई कंटाप , कुछ भी कहो राजकुमारी हमको ना आज गुड्डू का जे बर्ताव बिल्कुल अच्छा नाही लगा , अरे हमरा तो दिल कर रहा है अभी जाये और अच्छे से गुड्डू को सबक सीखा दे,,,,,,,!!”


अपने पति को मिश्रा जी की परवाह जताते देख भुआ हैरान थी
भुआ ने हैरानी से फूफा को देखा और कहा,”का आपको सच में हमाये भाई की परवाह हो रही है ?”
फूफा ने भुआ को घुरा और कहा,”तुम का हमको इत्ता गिरा हुआ समझ ली हो ? पहिले तो हमको जे बताओ तुम्हरे दिमाग मा इत्ता कचरा कौन भरे है ?

कही इह सब पाठ उह्ह गोलू तो तुमको नाही पढ़ाये है , उह्ह साला डस्टबिन जैसा आदमी ही तुम्हरे दिमाग मा जे कचरा भर सकता है राजकुमारी,,,,,,,ओह्ह को तो एक दिन ऐसा सुतेंगे ना हम कि जिंदगीभर याद रखे है उह्ह्ह”
फूफा को गोलू के लिए गलत बोलते देखकर भुआ ने फूफा को देखा और कहा,”गोलुआ के लिए एक ठो गलत शब्द नाही सुनेंगे हम , समझे”


“काहे ? गोद ले ली हो ओह्ह्ह का ? एक बात कान खोलकर सुन ल्यो राजकुमारी गोलू जैसे लबडझंटुस को हमहू कबो तुम्हरे आस पास नाही भटकने देंगे हम , और गोलूआ को छोडो पहिले जाकर हम गुड्डूआ की खबर ले , मिश्रा जी चुप रहे हम नाही रहेंगे”,फूफा ने कहा
भुआ फूफा को रोकती इस से पहले वे वहा से चले गए। भुआ बिस्तर पर आ बैठी उन्हें तो खुद समझ में नहीं आ रहा था।

फूफा गुड्डू को ढूंढते हुए ऊपर आये , गुड्डू के रूप में लवली उन्हें कमरे के बाहर ही मिल गया।
“मिश्रा के बहाने ही सही आज गुड्डू से बदला लेने का अच्छा मौका है”,फूफा मन ही मन बड़बड़ाये और लवली की तरफ बढ़ गए।

उन्होंने लवली के सामने आकर गुस्से से कहा,”गुड्डू ! इत्ते बड़े कब से हो गए तुम जो आज सबके सामने अपने पिताजी का हाथ पकड़ लिए , अरे उह्ह तो मिश्रा था हम होते ना हाथ उखाड़ के फेंक देते उसी पल,,,,,,,,,,,,खुद को का समझते हो बे तुम ? तुम्हरा उह लंडूरा सा दोस्त तुम्हरे लिए कित्ता सेक्सीफाइज करता है”
“सेक्रिफाइज”,लवली ने फूफा की गलती सुधारकर कहा


“हाँ हाँ वही जो तुम कहे , उह्ह्ह कित्ता करता है तुम्हरे लिए और तुमहू उसके लिए इत्ती कड़वी बात कहे , चिढ़ते तो हमहू भी है ओह्ह से पर इत्ता भी नाही कि ओह्ह्ह के मर जाने की बात करे,,,,,,,,कैसे इंसान हो बे तुम ? ना बाप बेटे के रिश्ते की शर्म रखी ना ही दोस्ती का फर्ज , तुम्हे तो हम”,कहते हुए फूफा ने गुस्से से जैसे ही लवली पर हाथ उठाया लवली ने उनके हाथ को भी हवा में ही रोक लिया

मोड़कर उन्हें अपनी तरफ खींचा और पीछे से अपना हाथ उनकी गर्दन पर कसकर कहा,”का बे ? तुमहू इत्ती देर से बके जा रहे हो और हम चुपचाप सुन रहे है। अबे रिश्ते मा फूफा लगते हो तो का हमायी छाती पर चढ़ोगे ?  
लवली की मजबूत बांह में फूफा की गर्दन की गर्दन फंसी थी जिस से उनके गले से आवाज भी नहीं निकल रही थी।

लवली पर आज पक्का कोई भूत सवार था वह फूफा को कोने में लेकर आया और जमकर उनकी धुलाई कर दी और कहा,”आइंदा हमरे और मिश्रा के मामले मा पड़े ना तो तुम्हरी फोटू पर हार चढ़ा के उह फोटू तुम्हरी सास के बगल मा रख देंगे फिर साथ में दोनों अपनी तेहरवी मनाना , का समझे ?”
फूफा की धुलाई करके लवली वहा से चला गया। बेचारा फूफा आया था गुड्डू पर हाथ साफ करने और लवली ने उसे ही परशादी दे दी। मार खाने के बाद फूफा उठा और कोने से निकलकर बाहर आया। बिखरे बाल , नाक लाल , घुसा पड़ने से एक आँख पूरी काली , कुर्ता भी जगह जगह से फटकर लटक रहा था ,


गाल पर भी चोट के निशान और बेचारे फूफा आड़े टेढ़े लड़खड़ाते हुए सीढ़ियों की तरफ बढ़ गए। वे अभी भी लवली को गुड्डू समझ रहे थे और उसका ये नया रूप देखकर हैरान परेशान भी थे।  

टूट फुटकर फूफा नीचे आये तो तख्ते पर बैठ मिश्रा जी को देखकर उनके पास चले आये और उखड़ी सांसो के साथ कहा,”जे , जे ससुरा गुडडुआ पगला गवा है , हमको ऐसे धोया जैसे गाड़ी साफ करने का कपड़ा हो , ऐसी मार तो हमहू कबो अपने जीवन मा नाही खाये है,,,,,,,हमहू तो ओह्ह को समझाने गए थे कि कितना भी गुस्सा आये बाप का हाथ नाही पकड़ते पर उह्ह तो हम पर ही हाथ साफ कर दिए,,,,,,हमरी जौनपुर की टिकट बनवा दीजिये हमको अपने गाँव जाना है,,,,,,,,,,हमको हिया नाही रहना”


मिश्रा जी ने फूफा को एक नजर देखा और कहा,”आप जिसे गुड्डू समझ रहे है उह्ह गुड्डू नाही है,,,,,,,,,,,!!”
“का ? उह्ह गुड्डू नाही है तो इत्ता पीटा , गुड्डू होता तो हमको कित्ता पीटता,,,,,,,एक ठो काम कीजिये हमरे साथ साथ आपकी भी टिकट बनवा लीजिये,,,,,,,हिया रहना अब हमको खतरे से खाली नाही लग रहा है। हमहू जाकर अपना सामान पैक करते है,,,,,,,,!!”,बड़बड़ाते हुए फूफा फिर वही लड़खड़ाते हुए अपने कमरे की तरफ बढ़ गए।


“लगता है मार खाकर पगला गए है , जे गुड्डू के हमशक्ल का कुछो करना पडेगा घर के लोगो पर ऐसे हाथ साफ कर रहा है जैसे कोनो पुरानी दुश्मनी हो सबसे , वैसे अच्छा भी किया जे साले आदर्श्वा को हमहू तो मार नाही सकते थे किसी और के हाथो सही परशादी तो मिली,,,,,,,,,पर जे की फील्डिंग भी हमे जल्दी ही सेट करनी होगी”,मिश्रा जी बड़बड़ाये  

मिश्राइन मिश्रा जी के लिए चाय लेकर आँगन में आ रही थी जब उन्होंने आदर्श फूफा को लड़खड़ाते देखा तो मिश्रा जी से आकर दबी आवाज में कहा,”जे आदर्श बाबू का दिन मा भी पीने लगे है , देखे नाही कैसे भांड बनके आये है। इह घर की इज्जत मिटटी मा मिलाने की कसम खा लिए है सब”
मिश्रा जी ने चुपचाप चाय ली अब भला वे मिश्राइन सच क्या ही बताते ?

गोलू की कलाकारी ने उसे और गुड्डू को साधन के रूप में एक साइकिल दिलवा दी। गुड्डू साइकिल चला रहा था और गोलू उसके पीछे बैठा था। गुड्डू पहले गोलू से चिढ़ा हुआ था लेकिन साइकिल मिलने और लल्लन से बहुत दूर निकल आने के बाद उसकी चिढ भी खत्म हो गयी और उसने अपने पीछे बैठे गोलू से कहा,”यार गोलू ! शहर मा कित्ती भी गुंडई कर लो , रंगबाजी कर लो , दिनभर बाइक पर धुँआ उड़ाते घूम लो पर साला जे गांव की सड़को पर साइकिल चलाने का अपना अलग ही मजा है नई”


“अरे कसम से गुड्डू भैया दिल की बात कह दिए आप तो , बचपन में गज्जू गुप्ता लेकर जाते थे हमे अपनी साइकिल के आगे वाले डंडे पर बैठाकर अपने साथ घुमाने , का मजा आता था”,गोलू ने भी पुराने दिनों को याद करके कहा
“याद है एक बार तुम छुपकर अपने पिताजी की साइकिल ले आये थे और ओह्ह से हमने पुरे कानपूर की गलिया नाप दी थी,,,,,,!!”,गुड्डू ने खुश होकर कहा


“फिर तो जे भी याद होगा उह्ह ही साइकिल के फटे टॉयर से पिताजी हमको तब तक सूतते रहे जब तक हमाओ कच्छा ना फट गओ”,गोलू ने मुंह बनाकर कहा
गुड्डू हसने लगा और कहा,”यार गोलू ! तुम्हाये पिताजी तुमको बचपन से ही मारते कूटते आ रहे है ऐसा काहे ?”
“पता नहीं साला का खुन्नस है उनको हमसे , जब मन हुआ बख्त बेवक्त सूत दिया”,गोलू ने कहा
“हां तो तुम्हरी हरकते भी तो मार खाने वाली ही है , पहिले तुम थोड़ा शांत थे जब से तुम्हरी शादी हुई है तुमहू साले जियादा बदमाश हो गए हो”,गुड्डू ने कहा


गोलू ने सुना तो एक मुक्का गुड्डू की पीठ पर मारा और कहा,”हमाये बाप की साइड लेनी है ना तो अभी उतर जाओ साइकिल से और पैदल आ जाना कानपूर”
“अरे यार  तुमहू जे बात बात पर इमोशनल काहे हो जाते हो ?”,गुड्डू ने कहा और फिर दोनों दुनिया जहा की पंचायती करते हुए आगे बढ़ गए।
दोनों ये भी भूल गए कि किस मुसीबत से निकलकर आये थे और आगे जाकर किस मुसीबत से सामना करना है।  

जैसे तैसे करके दोनों कानपूर पहुंचे। सुबह सुबह चौक पर नाश्ते के ठेले लगे थे उन्हें देखते ही गोलू की भूख जग गयी और उसने कहा,”ए गुड्डू भैया ! घर जाकर मिश्रा जी पर बम फोड़ने से पहिले कुछो खाय लेते है , बहुते जोर की भूख लगी है यार कसम से”
“भूख तो हमे भी लगी है गोलू पर पैसा कहा है ? हमरा पर्स और फ़ोन दोनों घर पर है”,गुड्डू ने अपनी मज़बूरी बताई।


“पैसा , पैसा क्या है गुड्डू भैया , पैसा हाथ का मैल है”,गोलू ने कहा
गुड्डू उसे घूरने लगा और कहा,”अच्छा ! तो जाओ और जाकर दुइ पिलेट नाश्ता ले आओ , वैसे भी सबसे जियादा मैले तुम्ही दिख रहे हो हिया”
“जे कॉम्प्लिमेंट है कि मुंह पर बेइज्जती ?”,गोलू ने भँव चढ़ाकर पूछा
“अबे तुम जाओ यार और जल्दी आना,,,,,,,हुआ घर मा पता नाही का हालात होंगे”,गुड्डू ने गोलू को धकियाकर कहा


गोलू एक पोहे वाले के पास चला आया। ठेलेवाले ने गोलू को ऊपर से नीचे तक देखा और मुंह बनाकर अपना काम करने लगा। उसकी गलती नहीं है पिछली शाम के बाद हुई घटनाओ से आप ये अंदाजा लगा सकते है कि इस वक्त गोलू कैसा दिख रहा होगा ? गोलू वही खड़ा रहा तो ठेलेवाले ने कहा,”का है बे ? आगे बढ़ो,,,,,,,,,अभी तो बोहनी भी नाही हुई है और तुमहू मांगने चले आये”
“अबे हम का तुम्हे भिखारी लगते है , हम है पिंकेश गुप्ता मिश्रा वेडिंग प्लानर में 50 परसेंट के मालिक,,,,,,,,,,!”,गोलू ने अकड़कर कहा जबकि अपने हुलिए का उसे होश नहीं था।


“अच्छा तुमहू मिश्रा वेडिंग प्लानर में 50 परसेंट के मालिक हो , तो फिर हमहू भी कानपूर के सबसे बड़े बिजनेसमेंन , आपसे मिलकर अच्छा लगा पिकेश गुप्ता अब भाग जाओ यहाँ से”,ठेले वाले ने पोहे की एक प्लेट बनाते हुए कहा , उसे गोलू कोई पागल लगा।
“मतलब तुम हमका पोहा नाही दोगे ?”,गोलू ने पूछा
“नाही देंगे,,,,,,,,!”,ठेलेवाले ने पोहा प्लेट में सजाते हुए कहा
“सोच ल्यो,,,,,,हमहू बहुते गंदे इंसान है”,गोलू ने कहा


“उह्ह तो दिख ही रहे हो , हफ्ते मा एक आध बार नहा लिया करो पानी से गल नाही जाओगे”,ठेलेवाले ने गोलू का मजाक उड़ाते हुए कहा  
“पक्का नाही दोगे ?”,गोलू ने पूछा
“नहीं,,,,,,,,!!”,ठेलेवाले ने कहा
“ठीक है फिर इह ल्यो,,,,,,,,!!”,कहकर गोलू ने प्लेट में थोड़ा सा थूक दिया। ग्राहक जिसके लिए पोहा बन रहा था उसने देखा तो गुस्सा होकर वहा से चला गया  


ठेलेवाले ने गोलू की ये हरकत देखकर कहा,”अबे कित्ते सुगले आदमी हो बे तुम खाने मा काहे थूक दिये ?”
“हमरा थूका कोनो और तो खायेगा नाही , अब तो दोगे ना ?”,गोलू ने कहा
“कचरा मा फेंक देंगे पर तुमको नाही देंगे”,कहकर ठेलेवाले ने जैसे ही पोहे से भरी प्लेट कचरे की बाल्टी की तरफ फेंका लेकिन प्लेट बाल्टी में गिरती उस से पहले गोलू ने लपक कर प्लेट अपने हाथ में कैच कर ली और खुश होकर कहा,”देखा मेरा कैच ! अरे गुड्डू भैया से पूछना आज तक मोहल्ले के क्रिकेट का एक ठो कैच नाही छोड़े है।”


गोलू को बकैती करते देखकर ठेलेवाले को गुस्सा आ गया वह झुका और अपनी चप्पल निकाली , लेकिन तब तक गोलू आगे बढ़ गया। ठेलेवाले ने हाथ में पकड़ी चप्पल गोलू के पीछे फेंकी और कहा,”साले भाग जाओ यहाँ से दोबारा दिखे ना तुम्हरी आँख मा निम्बू निचोड़ देंगे”

गोलू को ये चप्पल वप्पल से अब कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता था वह प्लेट लेकर गुड्डू के पास पहुंचा और कहा,”गुड्डू भैया इह ल्यो जल्दी से सुलटाय ल्यो और चलो मिश्रा जी के पास”
“का बात है गोलू तुम्हरे हाथ के मैल ने तो सच मा कमाल कर दिया”,गुड्डू ने चम्मच भरकर पोहा खाते हुए कहा
गोलू में इतना सब्र कहा कि वह चम्मच का इंतजार करे उसने हाथ से ही एक बड़ा निवाला उठाया और मुंह में भरकर कहा,”मैल नाही गुड्डू भैया इह तो थूक का कमाल है”


“थूक का कमाल ?”,कहकर गुड्डू ने एक चम्मच पोहा और मुंह में रख लिया
“अरे उह्ह्ह हमको पिलेट नाही दे रहा था तो हमने पिलेट मा जरा सा थूक दिया और ले आये”,गोलू ने बेपरवाही से कहा
गुड्डू ने जैसे ही सुना उसके मुंह में भरा पोहा बाहर उछला और उसने कहा,”अबे तुम पागल वागल हो का गोलू ? थूक वाला पोहा खिला दिए हमे”
“तो हो गवा ? कित्ती बार हमरी जूठी चाय भी तो पी है आपने”,गोलू ने कहा


“अबे यार गोलू तुमहू कित्ते सुगले हो यार ,,,,,,,,,,,,तुम्ही खाओ अपने जे थूक वाले पोहे,,,,,,,,हमे साला सोच के ही उलटी आ रही है”,गुड्डू ने रोते हुए कहा
गुड्डू गोलू को गरियाते रहा और गोलू पोहा खाता रहा। खाली प्लेट फेंककर गोलू गुड्डू के पास आया और कहा,”अब बताओ कहा चलना है ?”
“सबसे पहिले घर चलो और चार बाल्टी पानी से नहाओ तुम,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने गुस्से से कहा


घर का नाम सुनते ही गोलू का दिमाग चला और उसने कहा,”गुड्डू भैया ! हमारी बात सुनिए , इह बख्त घर मा लवली होगा और कल से मिश्रा जी या कोई घरवाले आपको ढूंढने की कोशिश भी नाही किया,,,,,,जे का मतलब उह सब लबली को गुड्डू मान चुके है। अब अगर हम सीधा घर गए और लबली के बारे में बताया तो साला जैसे उह्ह लस्सन आपको लबली समझ लिया मिश्रा जी भी कही धोखा ना खा जाये”
“लस्सन कौन ?”,गुड्डू ने कहा


“अरे यार उह्ह जो कल से हमाये पीछे पड़ा है ना , उह्ह्ह पुंगी का बॉस”,गोलू एक बार फिर लल्लन और चुंगी का नाम भूल गया
“पुंगी नाही चुंगी और लल्लन नाम है ओह्ह के बॉस का”,गुड्डू ने दांत पीसकर कहा
“अरे हाँ वही , आप का हिया हमायी गिरामर ठीक करने बैठे है,,,,,,,,अब सुनो हमायी बात हमाये पास ना एक ठो मस्त पिलान है”,गोलू ने बहुत ही सस्पेंस के साथ कहा


 “तुम्हरे पिलान के चक्कर मा कही हम लोग फिर से ना पेले जाए गोलू”,गुड्डू ने कहा
“माँ कसम गुड्डू भैया ! कतई नेगेटिव इंसान हो रे हो,,,,,,,,अरे पहिले हमरा पिलान तो सुन लो”,गोलू ने बिगड़कर कहा
गुड्डू ख़ामोशी से गोलू को देखने लगा क्योकि उसके पिलान में उसे दूर दूर तक सिर्फ चरस ही नजर आ रही थी 

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संजना किरोड़ीवाल

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