Manmarjiyan Season 3 – 80

Manmarjiyan Season 3 – 80

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गुप्ता जी के मुंह से फूफा को उठवाने की बात पर ही मिश्रा जी को गोलू के किये कांड की याद आ गयी और उन्होंने चिढ़कर कहा,”अबे यार तुम ना अब जे गोलू की तरह बात नाही करो , जे बताओ सुबह सुबह हिया का कर रहे हो ?”
“अरे बताया ना गोलू को लेने आये है”,गुप्ता जी ने कहा
“तो हम का उसको ठेला पे बेचने निकले है जो लेने आये हो , अरे बता रहे है कल शाम के बाद हमने उसको नाही देखा”,मिश्रा जी ने चिढ़कर कहा


“ठेला पे बेचने निकले भी ना तो भी कोई ओह्ह का एक धेला नाही देगा इत्ता नालायक है उह्ह लड़का , पर कल से उह्ह घर नाही गया है अब सिक्का और बेटा चाहे खोटा हो पर अपना हो तो टेंशन होती है न”,गुप्ता जी ने कहा
फूफा दोनों को बहस करते देख रहे थे और उन्हें देखकर फूफा समझ गए गुड्डू और गोलू पक्के दोस्त क्यों है ? क्योकि इस वक्त मिश्रा जी और गुप्ता जी भी वैसे ही लग रहे थे जैसे बहस करते हुए गुड्डू और गोलू लगते थे।


फूफा दोनों के पास आया और कहा,”अरे पर गोलू तो हिया नाही है , कल हम ही उसको मारकर घर से बाहिर भगाये थे”
गुप्ता जी ने जैसे ही सुना कि फूफा ने गोलू को मारा है तो उन्होंने फूफा की गुद्दी पकड़ ली और कहा,”का बे आदर्श्वा ! साले तुम्हायी इत्ती हिम्मत हमरे गोलू को मारोगे ? अबे मिश्रा हाथ उठा सकता है इसका मतलब जे नाही इह घर मा सबको लायसेंस मिल गवा गोलुआ को मारने का,,,,,,,,,तुमको तो हम छोड़ेंगे नाही”


इतना कहकर गुप्ता जी ने सुबह सुबह फूफा को दो चार घुसे जमा ही दिए। मिश्रा जी भी वैसे कम नहीं है फूफा को छुड़ाने के बहाने खुद भी गुप्ता जी के साथ मिलकर फूफा को दो चार घुसे मार दिए वो तो सही वक्त पर भुआ और मिश्राइन वहा आ गयी तो मिश्रा जी को गुप्ता जी से उन्हें छुड़ाना पड़ा।


“अरे अरे का कर रहे हो मार डालोगे का इन्हे,,,,,,,,,,,भाईसाहब जे सब का है ? जे आपके दोस्त इन्हे काहे मार रहे है ?”,भुआ ने फूफा को अपनी तरफ करके कहा तो गुप्ता जी भड़क गए और कहा,”अरे तो का थाली लेकर आरती उतारे इनकी , कित्ती चौड़ मा हमाये सामने आकर कह रहे है कि गोलू को मारकर भगाये है , अरे आज तक मिश्रा जी कबो ना भगाये ओह्ह का इह घर से साले तुम कौन होते हो ?”


फूफा बेचारे को सुबह सुबह पड़ चुकी थी इसलिए उसने अब चुप रहना ही सही समझा। मिश्रा जी ने गुप्ता जी को शांत किया और कहा,”गोलू घर नाही गया ना रुको अभी गुड्डू को बुलाकर पूछते है उसे पता होगा,,,,,,,,,,,,,,,गुड्डू ,,,,,,,,,,,,,गुड्डू”
लवली नहाकर बाहर आया ही था मिश्रा जी की आवाज कानों में पड़ते ही जल्दी से शर्ट पहना और बटन बंद करते हुए नीचे आया।

नीचे लवली ने सबको आँगन में जमा देखा तो अंदर ही अंदर थोड़ा घबरा भी गया लेकिन अपनी घबराहट को चेहरे पर आने नहीं दिया और मिश्रा जी के पास आकर कहा,”जी पिताजी”
“गोलू कल रात से घर नाही गया है , तुमको पता है उह्ह कहा है ?”,मिश्रा जी ने पूछा
“हमे का पतो , हम गोलू के पीछे पीछे नाही घूमते”,लवली ने रूखे स्वर में कहा


“जे का कह रहे हो गुड्डू ? अरे गोलू तुम्हरे अलावा और किसी के साथ नहीं रहता है , कल यहाँ से उह्ह कही गया भी है तो तुमको तो पता होगा ना,,,,,,देखो बेटा कल शाम से उह्ह घर नाही आया है और हिया भी ना है , ऐसा आज से पहिले उसने कबो नाही किया , घर पर ओह्ह की अम्मा परेशान हो रही है , उह्ह्ह कहा जा रहा है तुमको कुछो तो बताया होगा न”,गुप्ता जी ने रोआँसा होकर कहा

“हमने आपका और गोलू का ठेका नाही ले रखा है , हमे नाही पता उह्ह कहा गया है ? वैसे भी जैसे ओह्ह की हरकते है पक्का जाकर किसी नदी नाले मा गिर गवा होगा , अच्छा है आपकी टेंशन खत्म हुई”,लवली ने नफरत भरे स्वर में कहा
मिश्रा जी ने सुना तो गुप्ता जी से ज्यादा उन्हें गुस्सा आया उन्होंने पलटकर लवली पर हाथ उठाते हुए कहा,”गुड्डू,,,,,,,,,,!!!”


लेकिन मिश्रा जी का हाथ हवा में ही रह गया और सब हैरानी से गुड्डू को देखने लगे क्योकि मिश्रा जी का हाथ हवा में उसने ही रोक रखा था और उनकी आँखों में आँखे डालकर देख रहा था। मिश्रा जी ख़ामोशी और आँखों में गुस्से के भाव लिए लवली को देख रहे थे आज से पहले कभी गुड्डू ने इस तरह उनका हाथ पकड़ना तो दूर उनकी आँखों में नहीं झांका था। शगुन ने देखा तो घबरा गयी लेकिन बड़ो के सामने क्या बोले ?

फूफा ने देखा तो मुस्कुराये , भुआ के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये तो वही कोमल और वेदी एक साथ खड़ी हैरानी से लवली को देखने लगी। गुप्ता जी को भी लवली की ये हरकत नागवार गुजरी जिसे वे गुड्डू समझ रहे थे। मिश्राइन ने जब देखा तो लवली की तरफ आयी और उसका हाथ नीचे करके उसे अपनी तरफ किया और खींचकर एक थप्पड़ उसके गाल पर मारकर कहा,”तुम्हायी जे हिम्मत कि तुमहू अपने पिताजी का हाथ पकड़ो,,,,,,लाज शरम भुला दिए हो का गुड्डू , माफ़ी मांगो इनसे, हमहू कहते है माफ़ी मांगो,,,,!!”


मिश्राइन के हाथ से पड़े थप्पड़ का लवली को कोई दुःख नहीं था लेकिन मिश्रा जी के लिए उसका गुस्सा उसकी आँखों से अभी भी झलक रहा था और मिश्रा जी एकटक उसे देख रहे थे। लवली भी बिना डरे मिश्रा जी से आँखे मिलकर खड़ा था। मिश्राइन ने तो लवली की बाँह पर मारते हुए कहा,”आँखे नीची कर गुड्डू , हमाये सामने तुमहू अपने पिताजी को आँखे दिखा रहे हो इतनी हिम्मत आ गयी तुम मा , हम कहते है आँखे नीची करो”
पर मजाल है लवली ने आँखे नीची की हो वह वैसे ही मिश्रा जी को घुरता रहा और फिर वहा से चला गया।


“गुड्डू , गुड्डू , गुड्डू”,मिश्राइन चिल्लाई लेकिन लवली ने नहीं सुना और वहा से चला गया। मिश्रा जी ने मिश्राइन की तरफ देखा और कहा,”जाने दो मिश्राइन,,,,,,,,अभी उस से बात करने का कोनो फायदा नाही है”
“लेकिन उसने आपका हाथ,,,,,,,,उह्ह्ह नालायक की इत्ती हिम्मत की उह्ह आपका हाथ पकडे,,,,,,,सही कहते थे आप हमाये लाड प्यार ने ओह्ह का इत्ता सर चढ़ाय लिया कि ओह्ह छोटा बड़ा भी नाही देख पाए। सब हमायी गलती है”,मिश्राइन ने आँखों में आँसू भरकर कहा


“खुद को दोष काहे देती हो मिश्राइन ? शगुन इनका अंदर लेकर जाओ,,,,,,,वेदी कोमल बिटिया तुम लोगन भी अंदर जाओ”,मिश्रा जी ने बुझे स्वर में कहा
भुआ पहले ही वहा से जा चुकी थी मिश्रा जी गुप्ता जी के सामने आये और कहा,”माफ़ करना यार गुप्ता , अभी गुड्डू ने गोलू को लेकर जो भी कहा ओह्ह का दिल पे नाही लेना,,,,,,,,लगता है दोनों मा झड़प हुई है जे वजह से ऐसा कह दिए रहय वरना गुड्डू गोलू के बारे में इत्ता बुरा नहीं बोल सकता”


“पगला गए हो का मिश्रा जी ? अरे इह दोनों की दोस्ती के बारे में का हम नहीं जानते का ? आप अपने घर का माहौल देखिये हमहू बाहिर पता करवाते है , हो सकता है गुड्डू के अलावा भी कोनो दोस्त हो ओह्ह का कानपूर मा और वहा चले जाये”,गुप्ता जी ने कहा
“गोलू का पता चल जाये तो हमे फोन करना”,मिश्रा जी ने कहा
“हाँ ! अभी हम  निकलते है”,कहकर गुप्ता जी वहा से चले गए और बाहर आकर गोलू को ढूंढने निकल पड़े।

श्मशान भूमि , कानपूर
शमशान घाट के बोर्ड के पास गुड्डू और गोलू बेसुध पड़े थे। गुड्डू तो बेहोश होकर पड़ा था और उसके बाद उसे होश आया ही नहीं तो वही गोलू डर के मारे गुड्डू के बगल में लेट गया और उसे नींद आ गयी। सुबह सुबह गोलू को गरम गरम पानी अपने मुंह पर महसूस हुआ , साथ ही वह पानी मुंह तक आया तो गोलू की नींद टूटी और वह भड़बड़ाकर उठा देखा एक काला कुत्ता टाँग उठाकर उस पर पेशाब कर रहा था।

गोलू ने एक लात कुत्ते को मारी तो वह आऊं आऊं करता वहा से चला गया। गोलू ने अपने कपडे झाड़े और कहा,”साला ! जे गुड्डू भैया के चक्कर मा का का दिन देखना पड़ रहा है , कुत्ता हमाये मुंह को संडास समझ लिए है बताओ ,, सुबह सुबह आदमीं नींद से उठता है तो गरम गरम चाय देनी चाहिए हिया साला गरम गरम पिशा,,,,,,,,,,,,छी छी छी छी घर जाकर चार बाल्टी से नहाना पडेगा”


बड़बड़ाते हुए गोलू ने देखा गुड्डू अभी तक सो रहा है तो उसको हिलाया और गुड्डू घबराकर उठा जैसे कोई बुरा सपना देख रहा हो। गुड्डू ने इधर उधर देखा और बगल में बैठे गोलू को देखकर राहत की साँस ली। गुड्डू को बौखलाया देखकर गोलू ने अपनी दो उंगलिया दिखाकर कहा,”जे कितना है ?”
एक तो गोलू की वजह से गुड्डू को रातभर शमशान घाट में सोना पड़ा था और ऊपर से गोलू सुबह सुबह उस से बकैती कर रहा था।

गुड्डू ने गोलू को एक थप्पड़ मारा और कहा,”बेहोश हुए थे अंधे नाही हुए है,,,,,,,,,,,,,,जे कितना है पूछ रहे है”
“यार गुड्डू भैया हम नहीं खेल रहे यार , एक तो सारी रात हिया आपके बगल मा लेटकर मच्छरों से कटवाए है और आप सुबह सुबह हमे ही पेल दे रहे हो”,गोलू ने चिढ़कर कहा
“हमाये बगल मा काहे लेटे थे हम का तुम्हायी मेहरारू है ? साले कही से पानी लाकर हमे होश मा भी तो ला सकते थे ना,,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने गोलू का कान पकड़कर उसे आगे पीछे करके झूला झुलाते हुए कहा


“अरे भैया ! जे बात तो हमाये दिमाग मा ही नाही आयी”,गोलू ने हैरानी से कहा
“हाँ तो अपने दिमाग को बचाकर रखोगे तब ना ढंग की बात तुम्हाये दिमाग मा आएगी,,,,,,,,,,सारा तो दिनभर बकैती करने मा खर्च कर देते हो”,गुड्डू ने कहा
 गुड्डू उठा और गोलू को लेकर वहा से बाहर चला आया। सुबह का वक्त ऐसे में गुड्डू और गोलू के अलावा वहा कोई था भी नहीं जिस से गुड्डू और गोलू पूछ सके कि ये कौनसी जगह है और यहाँ से उन्हें किस तरफ जाना है ?

गोलू ने इधर उधर देखा तभी उसकी नजर कुछ ही दूर बनी चाय की एक छोटी सी दूकान पर पड़ी और उसने खुश होकर कहा,”गुड्डू भैया ! चाय की दूकान”
“हिया हमहू इत्ती बड़ी परेशानी मा फंस गए है और तुमको चाय की पड़ी है , वही उबलती चाय तुम्हाये नाक मा डाल देंगे समझे”,गुड्डू ने गुस्से से कहा


गोलू ने गुड्डू को चाय की तरफ घुमाया और कहा,”अरे हम कह रहे है चाय की दूकान , वहा कोई न कोई तो मिल ही जाएगा रास्ता बताने वाला”
गुड्डू ने सुना तो गोलू की तरफ देखकर कहा,”हम्म्म बात तो सही है तुम्हायी,,,,,,चलो वही चलकर पूछते है”

गुड्डू गोलू को साथ लेकर चाय की दुकान की तरफ बढ़ गया। दोनों दुकान पर आये और गुड्डू ने दुकानवाले से उस जगह के बारे में पूछा तो पता चला इस वक्त वे कानपूर से 14 किलोमीटर दूर एक गांव में है जहा से मेन रोड एक किलोमीटर आगे जाकर है। गुड्डू ने सुना तो हैरानी से गोलू को देखा तो गोलू ने कहा,”अरे काहे चिन्ता कर रहे है भैया एक किलोमीटर ही तो पैदल चलना है चल लेंगे , फिर वहा से कोनो लिफ्ट ले लेंगे किसी से इतना तो जानते ही है कानपूर वाले हमे,,,,,,,,,!!”


“अच्छा ! जरा इनसे पूछो जे तुम्हे जानते है का ?”,गुड्डू ने कहा
गोलू दुकानवाले के पास आया और कहा,”ए चाचा ! तुमहू पिंकेश गुप्ता को जानते हो ? उह्ह जिसका कानपूर मा बहुते बड़ा बेडिंग प्लानर का बिजनस है”
दुकानवाले ने गोलू को देखा , फटेहाल गोलू पहले तो चाचा को कोई भिखारी लगा फिर देखा पता पूछने वाला लड़का भी साथ खड़ा है तो उसने मुँह में रखा गुटखा चबाते हुए कहा,”कौन है जे चूतिया जोन अपना नाम पिंकेश रखे है”


गुड्डू ने सुना तो दबी सी हंसी हसने लगा लेकिन गोलू चिढ गया और कहा,”ओह्ह्ह गाली किसको दे रहे हो बे ? हम है पिंकेश , पिंकेश गुप्ता”
चाचा से रहा नहीं गया उन्होंने गुटखा साइड में थूका और कहा,”शक्ल से तुमहू भिखारी दिखते हो और बता रहे हो खुद को बिजनेस मेन , का कबाड़ चुगने का बिजनस है तुम्हरा ?”
“गुड्डू भैया इह का समझाय ल्यो वरना हमाये हाथो कुछो गलत हो जाएगा”,गोलू गुस्से से लाल पीला होकर बोला

“चाचा जाने दो ना जे का मजाक करने की आदत है,,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने दुकानवाले से रिक्वेस्ट करके कहा तो दुकानवाला वापस अपने काम में लग गया। गुड्डू गोलू की तरफ पलटा और कहा,”हर जगह अपना पर्चा नहीं छापना होता गोलू , हमे लोग कानपूर मा जानते है कानपूर के बाहिर नाही”
गोलू गुड्डू की बात समझ गया और कहा,”ए गुड्डू भैया ! अब जब यहाँ तक आ ही गए है तो एक ठो कप चाय ले लेते है”


गुड्डू ने दोनों के लिए चाय बोल दी , दुकानवाला करछी में चमचा घुमाने लगा। गोलू बड़े प्यार से चाय बनती देख रहा था बस गनीमत था उसकी लार बाहर नहीं टपकी , पास ही पानी टंकी थी तो गोलू ने वहा जाकर हाथ मुंह धोये और वापस दुकानवाले एक सामने चला आया तभी उसकी नजर दुकान में रखे बिस्किट और चिप्स के पैकेट पर पड़ी। दुकानवाले ने दो गिलासों में चाय छानी और गोलू की तरफ बढ़ा दी। गोलू चाय लेकर गुड्डू के पास आया और एक गिलास उसकी तरफ बढाकर कहा,”गुड्डू भैया ! अब चाय ले ली है तो एक ठो बिस्कुट भी ले लेते है का है की खाली चाय थोड़ी अच्छी नाही लगती,,,,,,,!!”


गुड्डू ने सुना तो गोलू की तरफ देखा और कहा,”खाली बिस्कुट से का होगा , दुइ चार पैकेट चिप्स कुरकुरे नमकीन भी ले लेते , गद्दा लगवाय दे तुम्हरे लिए हिया आराम करके फिर चलेंगे , हमे का जल्दी है नहीं”
गोलू ने सुना तो चुपचाप चाय पीने लगा। गुड्डू ने जेब टटोली तो 20 का एक नोट मिला जो कि चाय के पैसे चुकाने के लिए काफी थे लेकिन गोलू का उतरा हुआ मुंह देखकर गुड्डू ने कहा,”ल्यो मरो ! लेइ ल्यो बिस्कुट और ठूस ल्यो,,,,,,,,,,,!!”


गोलू ने अपने दाँत दिखाए और दुकानवाले के पास आकर 14 रूपये चाय के चुकाए और 5 रूपये का पारले बिस्किट खखरीद लिया और वही गिलास रखकर पैकेट फाड़ने लगा तो दूकान वाले ने बचा एक रुपया गोलू की तरफ बढ़ाया
“जे हमायी तरफ से टिप रख ल्यो”,गोलू ने बिस्कुट निकालकर कहा
“इत्ती बड़ी टिप हमहू कहा रखे है मालिक,,,,,,,,,जे तुम्ही रखो”,कहकर दुकानवाले ने सिक्का गोलू के शर्ट की जेब में डाल दिया


गोलू ने पहला बिस्कुट डुबोया और चाय में भीगा बिस्किट खाने के लिए जैसे ही बाहर निकाला वह आधा टूटकर चाय में गिर गया। गोलू ने दुसरा बिस्किट निकाला और इस डूबने से पहले ही बाहर निकाल लिया और जैसे ही खाने लगा किसी ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखा तो गोलू ने बिना देखे ही कहा,”गुड्डू भैया ! हम पहिले ही कह रहे है आपको खाना है तो अपना दूसरा बिस्कुट लेइ ल्यो हमहू अपने में से ना देही”


गुड्डू ने तो कोई जवाब नहीं दिया लेकिन गोलू जैसे ही बिस्कुट खाने के लिए मुंह खोला फिर किसी ने उसका कंधा थपथपाया , गोलू बिस्कुट हाथ में पकडे गुस्से से पलटा लेकिन सामने खड़े लल्लन को देखकर उसके शब्द मुंह में ही रह गए जिन्हे गोलू ने बहुत मुश्किल से निगला।
“ल ल ल ल लल्लन भैया आप”,गोलू ने मुश्किल से कहा और इसी के साथ हाथ में पकडा बिस्कुट आधा टूटकर नीचे जा गिरा।


गोलू के मुंह से पहली बार अपना नाम सही सुनकर लल्लन ख़ुशी से भरकर पलटा और अपने लड़को से कहा,”ए , ऐ सुना तुम लोगो ने इसने हमको लल्लन कहकर बुलाया , इसने आज हमारा नाम गलत नाही लिया”
लड़को के सामने अपनी ख़ुशी जाहिर करके लल्लन जैसे ही पलटा देखा गोलू गायब , उसने पलटकर चुंगी से कहा,”अबे वो कहा गया ?”


“उह्ह तो भाग गया”,चुंगी ने मासूमियत से कहा
लल्लन ने जब सुना कि गुड्डू और गोलू फिर से भाग गए है तो वह चुंगी के पास आया उसके दोनों कानो को मुट्ठी में पकड़ा और दाँत पीसते हुए कहा,”अगर उह्ह दोनों भाग गए है तो तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो , जाकर पकड़ो उन्हें”
लल्लन का आर्डर सुनते ही सारे लड़के गुड्डू और गोलू को पकड़ने फिर भागे और लल्लन चायवाले के पास आया और चाय लेकर गोलू के खरीदे हुए बिस्कुट में से एक उठाकर चाय में डुबोकर खाने लगा।

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संजना किरोड़ीवाल 

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