Manmarjiyan Season 3 – 77

Manmarjiyan Season 3 – 77

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

मिश्रा जी का घर , कानपूर
गुड्डू के कमरे में लवली के सामने बैठी मिश्राइन अपने हाथ से लवली को निवाले खिलाये जा रही थी और लवली भी उतने ही प्यार से खा रहा था। आज कितने सालों बाद लवली को माँ के हाथो खाने को मिला और वह मिश्राइन से मिली इस ममता को हमेशा के लिए अपनी जिंदगी में चाहता था।
“बस हमारा पेट भर गया,,,,,,,,,!!”,लवली ने कहा


“अरे इत्ता सा खाकर तुम्हरा पेट भी भर गवा , दुइ निवाले और बचे है ल्यो खाओ और खत्म करो”,मिश्राइन ने एक और निवाला लवली को खिला दिया। लवली को खाना खिलाकर मिश्राइन उठी और थाली लेकर जैसे ही जाने को हुई लवली ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें रोक लिया और कहा,”अम्मा ! थोड़ी देर हमाये पास और बइठो ना”
“का रे गुड्डू , का हुआ ?”,मिश्राइन ने प्यार से कहा
“कुछ नहीं अम्मा ! बस ऐसे ही थोड़ी देर बइठो ना हमाये पास,,,,,,!!”,लवली ने प्यार से कहा


“ठीक है हमहू हाथ धोकर आते है “,मिश्राइन ने कहा और थाली लेकर कमरे से बाहर चली आयी। उन्होंने थाली रखी और कमरे के बाहर बने वाशबेसिन में हाथ धोकर अपनी साड़ी के पल्लू से पोछते हुए अंदर चली आयी। मिश्राइन को वापस आया देखकर लवली खुश हो गया। मिश्राइन ने ड्रेसिंग के पास रखी तेल की शीशी उठाई और सोफे पर बैठते हुए कहा,”आओ यहाँ बइठो थोड़ा कडु तेल मल दे तुम्हाये सर मा “


“इह से का होगा ?”,लवली ने उठकर मिश्राइन की तरफ आते हुए कहा और उनके पैरों के पास नीचे जमींन पर आ बैठा।
मिश्राइन ने अपनी हथेली पर तेल लिया और लवली के सर पर लगाकर उंगलियों से मसाज करते हुए कहा,”इह तुम्हरे नए बालों के लिए बहते सही है और रात मा नींद भी अच्छी आही है,,,,,,,,,!!”
“बाल तो हमाये पहिले भी बहुते अच्छे थे , उह्ह तो हमे कटवाने पड़े”,लवली ने आँखे मूंदे हुए कहा
“कटवाने नहीं अपनी बूढ़ा को दिए हो , और बालो का का है जे तो दुइ चार हफ़्ता मा वापस आ जाही है,,,,,,!”,मिश्राइन ने लवली का सर दबाते हुए कहा


लवली को बहुत अच्छा लग रहा था। मिश्राइन का प्यार मिश्रा जी की मार पर मरहम जैसा था। लवली ने मन ही मन तय कर लिया कि अब वह इस घर से कभी नहीं जाएगा बल्कि यही रहकर माँ का प्यार हासिल करेगा और रहा मिश्रा जी से बदला तो लवली उसे तो बिल्कुल नहीं भूलने वाला था। मिश्राइन के हाथो की मसाज से लवली को नींद आने लगी। मिश्राइन ने देखा तो लवली से जाकर बिस्तर पर सोने को कहा। लवली बिस्तर पर आकर लेट गया और कुछ ही देर में गहरी नींद में सो गया। मिश्राइन ने कमरे की लाइट बंद की और कमरे का दरवाजा बंद कर नीचे चली आयी।

नीचे आकर मिश्राइन थाली लेकर किचन की तरफ जाने लगी तो देखा मिश्रा जी आँगन में ही तख्ते पर बैठे है। मिश्राइन ने सामने से आती कोमल को आवाज देकर बुलाया और कहा,”ए कोमलिया ! इह लेकर जाओ ज़रा”
कोमल थाली लेकर वहा से चली गयी , मिश्राइन ने एक बार फिर हाथ धोये और मिश्रा जी की तरफ चली आयी। मिश्रा जी को किसी गहरी सोच में डूबे देखकर मिश्राइन ने कहा,”का बात है आप इत्ता परेशान काहे है ?”
मिश्राइन की आवाज से मिश्रा जी की तंद्रा टूटी , उन्होंने मिश्राइन को देखा और बुझे स्वर में कहा,”गुड्डू को खाना खिला दिया ?”


“हाँ थोड़ा दाल-भात और दुइ चपाती खिलाये रहय , ए गुड्डू के पिताजी बुरा ना माने तो आपसे एक ठो बात कहे”,मिश्राइन ने कहा
“हम्म्म , कहो”,मिश्रा जी ने कहा
“गुड्डू अब बड़ा हो गवा है बच्चा नाही रहा , शादी हो गयी है ओह्ह्ह की और कल को बाप भी बन जायेंगे,,,,,,ऐसे सबके सामने ओह्ह पर हाथ उठाना सही नहीं है , जवान बेटा पर बाप इस तरह हाथ उठाये अच्छा नही ना लगता है।

हमहू मानते है गुड्डू और गोलू ने केशव पंडित जी के साथ बदतमीजी जरूर की होगी पर जे के लिए उह्ह दोनों को सबके सामने मारना अच्छा नही लगता,,,,!!”,मिश्राइन ने मिश्रा जी के सामने गुड्डू और गोलू की शिफारिश करते हुए कहा  
“तो तुमहू का चाहती हो हम उन दोनों को बंद कमरा मा पीटे ?”,मिश्रा जी ने ताने भरे स्वर में कहा
“नहीं जी ऐसा थोड़े ना कहे रहे हम”,मिश्राइन ने कहा


“देखो मिश्राइन ऐसा है कि जिन दो नालायको की तुमहू साइड ले रही हो उह दोनों अपने अब तक के जीवन मा बस गलतिया ही किये है , लेकिन अब उनको सुधरना पडेगा वरना किसी दिन ऐसी मुसीबत मा फसेंगे कि ओह्ह के बाप भी बाहिर नाही निकाल पाए है”,मिश्रा जी ने कठोरता से कहा
मिश्राइन समझ गयी कि इस वक्त मिश्रा जी से कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा इसलिए चुपचाप वहा से चली गयी और मिश्रा जी वही बैठे गुड्डू और गोलू के बारे में सोचने लगे जबकि लवली का ख्याल तो उनके दिमाग से कोसो दूर था।

लल्लन का अड्डा , कानपूर
गुड्डू और गोलू फिर पकडे गए और बेचारो की जो पिटाई हुई है उसके बाद तो गुड्डू और गोलू फिर से भागने से पहले चार बार सोचेंगे। सोफे पर बैठा लल्लन सामने जमीन पर पड़े गुड्डू और गोलू को घूर रहा था। गुड्डू तो फिर भी ठीक से बैठा था लेकिन गोलू अपने दोनों पैर पसारे बैठा था उसका एक पैर उत्तर तो दुसरा दक्षिण में जा रहा था , चेहरे पर कालिख पहले से पुती थी अब जगह जगह धूल मिटटी भी लग चुकी थी। गोलू बड़ी बड़ी आँखों से जमीन को देख रहा था।


“तुम दोनों का खुद को बहुते होशियार समझते हो ? तुमको लगता है हमहू इत्ती आसानी से तुम लोगन को हिया से जाने देंगे,,,,”,लल्लन ने गुस्से से भरकर कहा
गोलू ने सुना तो लल्लन की तरफ देखकर गुस्से से कहा,”तो का हमाये साथ घर घर खेलोगे ? अबे कित्ती बार कहे जे गुड्डू भैया है हम गोलू है , हमे जाने दो पर नाही,,,,,,,,,,,!!”


“अभी थोड़ी देर पहिले तुम्ही कहे रहे कि तुम्हरे बगल मा बैठा आदमी लबली है अब तुम कह रहे हो जे तुम्हाये गुड्डू भैया है,,,,,,,,,,,साले तुमको का हमहू चू#या दिखते है कि तुमहू जो कहोगे हम मान लेंगे,,,,,,,जियादा बोले ना तो बहुते वलगर मौत मारेंगे समझे”,लल्लन ने गुस्से से भरकर कहा
“उह्ह कैसे ?”,गोलू ने पूछा
“तुम्हाये कच्छे मा बम फोड़ देंगे , कहो तो डेमो दे,,,,,,!!”,लल्लन ने गोलू को घूरकर कहा


गोलू ने सुना तो घबराकर पीछे खिसका और गुड्डू में जा घुसा , गुड्डू ने उसे धक्का दिया और कहा झल्लाकर कहा,”अबे का गोद मा चढ़ोगे हमायी ?”
गोलू ने पलटकर गुड्डू को देखा और कहा,”हमहू का किये ?”
“सब तुम्हरा ही किया धरा है गोलू , अच्छा खासा भाग रहे थे हिया से पर तुमको हर बार आखरी बख्त मा कुछो न कुछो ड्रामा करना ही होता है। साले यहाँ आकर हमको बचाने के बजाय तुमहू हमे ही पिटवा रहे हो,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने लल्लन का गुस्सा गोलू पर उतारकर कहा


“वाह वाह वाह गुड्डू भैया , सब हमायी गलती है। वहा साला आपके लिए मिश्रा जी मार खाये , यहाँ आपको बचाने के चक्कर में इह श्रवण से मार खाये और आप हमे ही गलत बोल रहे है”,गोलू ने बिफरकर कहा और एक बार फिर लल्लन को गलत नाम से पुकारा
लल्लन ने सुना तो अपने बाल नोच लिए और पास खड़े चुंगी से कहा,”अबे ए चुंगी ! अबे जे के लिए कोनो मास्टर रखवाओ रे नहीं तो इह साला पुरे कानपूर के लोगो का नाम ले लेगा पर हमाओ नाम सही से ना ले पाए है”

गोलू की बात सुनकर गुड्डू और ज्यादा गुस्सा हो गया और कहा,”तुमहू मार हमारी वजह से नाही अपनी जे जबान की वजह से खाय रहे हो समझे , अगर तुमहू चुप्पी साध ल्यो ना तो तुम्हाये जीवन की आधी समस्या हो जाएगी पर नाही तुमहू तो बिना सुर ताल के 24 घंटे बजते रहते हो”
मंगल ने सुना तो जल्दी से उठकर गुड्डू के पास आया और कहा,”जे बात बहुते सही कही तुमने लबली , इह साले की जबान न बहुते चलती है तबही ना ढोल बने बैठे है,,,,,,,,,,,!!”


गुड्डू ने सुना तो झल्लाकर लल्लन पर चिल्लाते हुए कहा,”हमाओ नाम गुड्डू है लबली नाही”
अब कोई लल्लन के सामने चिल्लाकर बोले ऐसा भला कैसे हो सकता है ? लल्लन ने गुड्डू को थप्पड़ मारा और कहा,”तो चिल्ला काहे रहे हो बे ? जे बात आराम से भी बोल सकते हो”
देखो ऐसे हालत में हसना तो नहीं चाहिए और दोस्त पर तो बिल्कुल भी नहीं हँसना चाहिए लेकिन गुड्डू को थप्पड़ पड़ने पर गोलू की हंसी निकल गयी।

उसने मुंह पर हाथ रखकर अपनी हंसी रोकने की कोशिश भी लेकिन नहीं रोक पाया। गुड्डू ने देखा तो चिढ गया और उसके बाद हिम्मत ना होते हुए भी गोलू पर टूट पड़ा। दो घुसे गुड्डू ने गोलू को मारे तो गोलू को भी गुस्सा आ गया और उसने भी गुड्डू पर हाथ साफ़ कर लिया।
“अबे जे का कर रहे हो तुम लोग ? अबे यार चुंगी अलग करो इन दोनों को साला दिमाग खराब करके रखे है”,लल्लन चिल्लाया


चुंगी और लल्लन के आदमियों ने मिलकर गुड्डू और गोलू को एक दूसरे से दूर किया और दोनों को एक दूसरे से दूर पटक दिया।
“आपको लगता है ना जे सब परेशानियों की वजह हमायी जबान है ?”,गोलू ने गुड्डू को देखकर गुस्से से पूछा
“हाँ और जे ही सच है”,गुड्डू ने भी उतने ही गुस्से से कहा
“तो ठीक है अब से हमहू एक ठो शब्द नाही बोलेंगे , चुप रहेंगे फिर हमसे ना कहना कुछो ,, ए ढक्कन भैया,,,,,,,,जे ही है लबली जिनको आप ढूंढ रहे थे”,गोलू ने गुस्से से कहा


लल्लन गोलू के ये नामो से परेशान हो चुका था इसलिए अपना सर पकड़कर सोफे पर आ बैठा और कहा,”ए , ए दारू लाओ रे , साला जे आदमी हमको पागल करके छोड़ेगा”
“गोलू तुम्हरा दिमाग खराब हो गवा है का ? साले हमे लबली काहे बता रहे हो ?”,गुड्डू ने कहा  

गोलू ने गुड्डू की तरफ देखा और अपने होंठो पर ऊँगली रखकर बैठ गया। लड़का लल्लन के लिए चिल्ड बियर की बोतल ले आया और साथ में तली हुई मूंगफली  के दाने भी जो नमक मिर्च से लबा लब थे। उसने दोनों लाकर टेबल पर रख दिया। लल्लन ने ढक्कन खोला और बियर बोतल में डालने लगा। उधर गोलू गुड्डू की बात का जवाब नहीं दे रहा था और गुड्डू कुछ ना कुछ बोले जा रहा था। गुड्डू मुंह पर ऊँगली रखे मुंह घुमाकर बैठ गया तो गुड्डू ने पास पड़ी चप्पल उठायी और गोलू को फेंककर मारी

चप्पल सीधा आकर गोलू के मुंह पर लगी लेकिन गोलू अब भी कुछ नहीं बोला और बड़े ही स्टाइल से चप्पल को साइड में फेंका। अब देखो गड़बड़ हमेशा गोलू की जबान ही नहीं बल्कि उसकी हरकतें भी कर दिया करती थी।
उसका फेंका चप्पल जाकर लगा सीधा लल्लन के हाथ पर और बियर की बोतल और हाथ में पकड़ा गिलास टेबल पर आ गिरे और बोतल टूट गयी। गिलास चखने की प्लेट में गिरा और उसमे रखी मिर्च उछलकर लल्लन की दोनों आँखों में ,, मारे दर्द के लल्लन जोर जोर से चिल्लाने लगा तो उसके लड़के घबरा गए ,

पांचो लड़के लल्लन के इर्द गिर्द हो गए और लल्लन बेचारा अपनी आँखे मसलते हुए दर्द से चिल्ला रहा था।
गुड्डू को कुछ समझ नहीं आया लेकिन गोलू का दिमाग फिर चला और वह उठकर चुंगी की तरफ आया। अब चूँकि गोलू ने ना बोलने की कसम खा ली थी तो वह चुंगी के पास आकर पानी का इशारा करने लगा ताकि लल्लन का मुंह धुलवाया जा सके लेकिन चुंगी ने उसका मतलब कुछ और ही समझा और एक चाँटा फिर आ पड़ा गोलू के गाल पर और चुंगी ने कहा,”साले ! यहाँ लल्लन भैया दर्द से चिल्ला रहे है और तुमको दारु चाहिए”


अब आप समझ ही गए होंगे कि गोलू ने जो इशारा किया था वो कैसा रहा होगा ? गोलू पैर पटकते हुए वापस अपनी जगह चला आया।
“अबे पानी लेकर आओ कोई हमायी आँख मा मिर्चा चली गयी है,,,,,,,,,,,!!”,लल्लन चिल्लाया जलन के मारे वह अपनी आँखे अब भी नहीं खोल पा रहा था।
लल्लन की बात सुनकर चुंगी वही रुका और बाकी सब पानी लेने भागे , गुड्डू ने देखा लल्लन की आँखे बंद है और चुंगी का ध्यान भी उन पर नहीं है तो वह धीरे से खिसककर गोलू के पास आया और उसे भाग चलने को कहा।


गोलू ने खा जाने वाली नजरो से गुड्डू को देखा तो गुड्डू ने कहा,”अबे जे गुस्सा बहिर चलकर दिखा लेना अभी सही मौका है भागने का चलो यहाँ से,,,,,,,,,!!”
गोलू ने गुड्डू की बात का जवाब नहीं दिया उलटा जिस कोनो में मूतकर आया था उधर गया और वहा पड़ी बाल्टी उठाकर लल्लन की तरफ आया और कहा,”लल्लन भैया जे लो पानी , आँखे खोलो”
लल्लन आँखे ही तो नहीं खोल पा रहा था , उसने चिल्लाकर कहा,”अबे ए चुंगी इह पानी फेंको हमाये मुंह पर,,,,,,,,,,!!”


चुंगी ने गोलू के हाथ से बाल्टी ली और उसमे भरा पानी,,,,,,,,,,,,,,अहा पानी नहीं था वो गोलू महाराज की मेहनत थी , लल्लन के मुंह पर फेंक दिया लेकिन उसकी आँखे खुलने के बजाय और जलने लगी।
“अबे इह कैसा पानी बहुते बास मार रहा है,,,,,,,,,,!!”,चुंगी ने अपनी नाक बंद करके कहा तो गोलू ने उसके हाथ से बाल्टी लेकर उसके सर पर उलटी करके उसे घुमाकर गुड्डू से कहा,”गुड्डू भैया भागो हिया से,,,,,,,,,,,!!”

गुड्डू वहा से भागा पीछे गोलू भी आया लेकिन गोलू का दिमाग अब जरूरत से ज्यादा तेज चलने लगा था इसलिए जाते जाते वह बिजली के मीटर से लाइट का सॉकेट भी निकालकर ले गया। कमरे में और बाहर घुप अन्धेरा लेकिन तब तक गुड्डू और गोलू वहा से निकल चुके थे। अंदर चुंगी ने जैसे तैसे करके बाल्टी निकालकर फेंकी तो लल्लन के चिल्लाने की आवाज आयी लेकिन अँधेरे में चुंगी को कुछ दिखाई नहीं दिया।


लल्लन की चीख सुनकर लड़के अंदर आये लेकिन अँधेरे में कोई किसी को दिखाई ना दे एक लड़के ने दिमाग लगाया और अपने फोन की लाइट ऑन करके चुंगी की तरफ आकर,”का हुआ लल्लन भैया काहे चिल्लाये ?”
“अरे होना का है , उह दोनों फिर भाग गए,,,,,,,!!”,कहते हुए चुंगी ने लड़के के हाथ से फोन लेकर जैसे ही घुमाया फोन की रौशनी नीचे जमीन पर पैर पसारे बैठे लल्लन पर पड़ी जिसके ललाट पर बड़ा सा गुमड़ निकल आया था।

चुंगी को अगले ही पल अहसास हुआ कि उसने जो बाल्टी अपने सर से निकालकर फेंकी थी वो सामने खड़े लल्लन को लगी थी , घबराकर चुंगी ने फोन लड़के को थमाया और वहा से भाग गया। लड़के को कुछ समझ नहीं आया उसने जब फोन की रौशनी नीचे बैठे लल्लन की तरफ घुमाई तो गुमड़ देखकर वह भी भाग गया। पाँचो लड़के बाहर आये और गुड्डू गोलू को ढूंढने लगे लेकिन उस अँधेरे में गुड्डू गोलू उन्हें कैसे मिलते वे दोनों तो वहा से कब का भाग गए थे ?

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संजना किरोड़ीवाल

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