Manmarjiyan Season 3 – 70

Manmarjiyan Season 3 – 70

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गोलू को आँखे मसलते देखकर मसलते गुप्ताइन को लगा कि गुप्ता जी इस दुनिया में नहीं रहे तो वह गोलू के सामने आकर छाती पीटते हुए रोने लगी। गोलू ने मुश्किल से अपनी अधखुली आँखों से गुप्ताइन को देखा और कहा,”अरे का कर रही हो अम्मा ?”
“अगले हफ्ते कानपूर मा इलेक्शन होने वाले है बोटर आई डी बना रहे है , दिखाई नाही देता रो रहे है ए गुप्ता जी , ए हमका अकेला छोड़ के काहे चले गए रे,,,,,!”,गुप्ताइन ने पहले गुस्से से कहा और फिर राग अलाप दिया
गोलू की एक तो आँख नहीं खुल रही थी ऊपर से उसकी अम्मा ने यहाँ नया तमाशा शुरू कर दिया।

उसकी एक आँख मुश्किल से खुली और वह पानी की तरफ भागा , सामने ही एक औरत बोतल भर रही थी गोलू को जल्दी थी इसलिये उसने अपनी गर्दन से औरत को साइड में होने का इशारा किया औरत ने जैसे ही गोलू को देखा तो खींचकर एक चाँटा उसके गाल पर मारकर कहा,”दिन दहाड़े  औरतन को छेड़ते शर्म नाही आती”
औरत आधी भरी बोतल लेकर वहा से चली गयी गोलू अपना हाथ गाल से लगाए बड़बड़ाया,”हमने कब छेड़ा ? हमने तो खाली साइड होने को बोला था”  


यकीन मानिये गोलू की इस बार कोई गलती नहीं थी , लेकिन अब अगर गोलू एक आँख बंद करके किसी औरत को साइड होने को कहेगा तो पिटेगा ही ना,,,,,,!! खैर गोलू ने मुंह धोया तब जाकर उसकी आँखे खुली और जलन कम हुई। गोलू भागकर वापस आया तो देखा देखा गुप्ताइन अस्पताल की सीढ़ियों पर बैठी गुप्ता जी के चले जाने का मातम मना रही है और उसमे साथ देने का काम किया मंगल फूफा ने वे मिश्राइन के बगल में बैठकर उन्हें चुप करवाने के बजाय ऐसी ऐसी बाते बोल रहे थे कि गुप्ताइन और फूट फूट कर रोये।


गुप्ताइन की वजह से बाहर भीड़ जमा हो गयी औरते रोते हुए उन्हें सांत्वना दे रही थी और आदमी कब हुआ कैसे हुआ पूछ पूछ कर गोलू का सर खा रहे थे  

बेचारा एक दो बार गुप्ताइन को रोकने गया भी लेकिन उन्होंने धक्का देकर गोलू को ही साइड गिरा दिया और रोती रही। गुड्डू , शर्मा जी और शर्माईन भी चले आये। गुप्ता जी को होश आ चुका था उन्होंने खुद को अस्पताल के बिस्तर पर देखा तो जल्दी से नीचे उतरे और बाहर आये। बाहर भीड़ देखकर गुप्ता जी और परेशान हो गए वे भीड़ को साइड कर आगे आये तो देखा गुप्ताइन छाती पीट पीट कर रो रही थी।


“अरे का हो गवा काहे गला फाड़ फाड़ के रोय रही हो ?”,गुप्ता जी ने कहा
“एक तो हमाये घरवाले गुजर गए ऊपर से जे मनहूस हमका रोने भी नाही दे रहे,,,,,,,,!!”,गुप्ताइन ने कहा
गुप्ता जी ने सुना तो पहले तो उनको समझ नहीं आया और अगले ही पल वे बड़बड़ाये और गुप्ताइन को झंझोड़कर कहा,”तुम्हाये घरवाले , अरे तुम्हाये घरवाले तो हम है , हम कहा मरे हम तो ज़िंदा है”
गुप्ताइन ने देखा तो रोना बंद कर उठी और गुप्ता जी के सामने आकर कहा,”आप जिन्दा है”


“किसने कहा हम मर गए है ?”,गुप्ता जी ने गुस्से से पूछा
“गोलू,,,,,,,,,,!!”,गुप्ताइन ने इतना ही कहा कि गुप्ता जी ने अपने पाँव में पहनी चप्पल निकाली और गोलू के मुंह पर फेंककर कहा,”हमको मारकर हमायी पिरोपर्टी हथियाना चाहते हो , एक ठो फूटी कौड़ी नाही देंगे तुमको समझे”
चप्पल खाकर गोलू उछल पड़ा और गुप्ता जी की तरफ आकर कहा,”अरे हमने कब कहा अम्मा से कि आप नाही रहे उह्ह तो अम्मा को आदत है बार बार अपनी चुडिया तोड़ने की,,,,,,!!”


“तुम्ही तो यहाँ खड़े होकर रो रहे थे”,गुप्ताइन ने कहा
“अरे रो नाही रहे थे , अंदर बैठकर संतरा छील रहे थे ओह्ह का रस आँख मा लग गवा तो आँख नाही खुल रही थी हमायी,,,,,,,,,ए गोलू के पिताजी चिल्लाने से पहिले पता तो कर ल्यो कि हुआ का है ?”,गोलू ने झल्लाकर कहा
गुड्डू ने भीड़ को वहा से भेजा और गोलू की तरफ आकर गुप्ताइन से कहा,”का रे चाची ? इंडियन आइडल मा हिस्सा ली हो का जब देखो तब कही भी गोलू के पिताजी नाम का राग अलापना शुरू कर देती हो,,,,,,,,,,,!!”


चिढ़ी हुई गुप्ताइन ने गुड्डू को एक चाँटा मारा और कहा,”तुमहू चुप रहो गुड्डू तुम्हायी संगत मा रहकर ही हमाये गोलू का सत्यानाश हुआ है,,,,,,,,,!!”
गोलू ने देखा तो गुड्डू को भी थप्पड़ पड़ चुका है तो उसने गुड्डू का मजाक उड़ाते हुए कहा,”आ गवा स्वाद , मिल गयी परसादी”


“परसादी तो ओह्ह ही दिन मिल गई थी जे दिन तुमको अपना दोस्त बनाये थे,,,,,,,,साला एक तो तुम्हायी मदद करो ऊपर से थप्पड़ भी खाओ , भाड़ मा जाओ गोलू आज के बाद सकल नाही दिखाना हमे अपनी”,कहकर गुड्डू वहा से चला गया
“अरे गुड्डू भैया ! अरे इह तो बताते जाओ कहा जा रहे हो ?”,गोलू चिल्लाया
“स्टेशन जा रहे है पिताजी को लेने,,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने पलटकर कहा और वहा से चला गया


“अरे रुको हम भी आते है,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गोलू आगे बढ़ा लेकिन अगले ही पल उसने महसूस किया कि उसके पैर तो उठे लेकिन वह आगे नहीं बढ़ पाया
बढ़ता भी कैसे गुप्ता जी ने उसकी गुद्दी जो पकड़ रखी थी , उन्होंने गोलू को पीछे खींचा और कहा,”का ओह्ह के पीछे जाओगे ? का जब देखो तब गुड्डू भैया गुड्डू भैया फेरे पड़वा दे तुम्हाये गुड्डू भैया के साथ,,,,,,,,चुपचाप अंदर जाकर जोन रायता फैलाये हो ना ओह्ह का समेटो वरना तुम्हायी बूंदी बिखेर देंगे समझे”


“मतलब ?”,गोलू ने असमझ की स्तिथि में कहा तो गुप्ता जी फिर भड़क गए और कहा,”अबे बिल भरो जाकर अस्पताल का”
गोलू ने सुना तो गिरते पड़ते अंदर भागा। शर्मा जी शर्माईन को लेकर गुप्ता जी के बगल से निकले और बड़बड़ाये,”जब खेत ही ऐसा है तो फसल से का ही उम्मीद करे”
“का का का कहे ? ए शर्मवा लाज शर्म रखो थोड़ा तुम्हाये दामाद के बाप है,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा


शर्मा जी पलटे और कहा,”हमायी तरफ से मामला साफ है , हमे जे सब मा ना ही घसीटो तुम गुप्ता , बाप बेटा मिल के एक ठो नाटक कम्पनी खोल लेओ का है कि ड्रामे ही नाही ख़त्म होय रहे तुम लोगन के,,,हमरा बख्त खराब हुआ ऊपर से साला संतरे के 55 रुपिया खराब किये सो अलग”
“हाँ हाँ कानपूर मा कलेकटर लगे हो न तुमहू जो बख्त खराब हो गवा और तुम्हरे 55 रूपये भिजवा देंगे घर सुनाने की जरूरत नाही है”,गुप्ता जी ने भी चिल्लाकर कहा लेकिन शर्मा जी तब तक वहा से जा चुके थे।  

“अरे जाय दयो गजेंद्र गुस्सा थूक दयो”,सामने खड़े मंगल फूफा ने कहा
“कहा थूके , तुम्हाये मुंह पे ?”,गुप्ता जी ने गुस्से से कहा
“ए गोलू के पिताजी ! कह दे रहे है फूफा के साथ कोनो बदतमीजी बर्दास्त नाही करेंगे , समझे”,गुप्ताइन ने अकड़कर कहा


“जे तुम्हाये फूफा की वजह से ही ना हमहू आज अस्पताल पहुँच गए , कल को परलोक भी सिधार जाएंगे,,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने दाँत पीसते हुए कहा
“इह मा हमाये फूफा की का गलती है जे सब ना उह्ह फुलवारी की वजह से हुआ है”,गुप्ताइन ने कहा  
“फुलवारी बेचारी ने का किया ? ओह्ह का नाम काहे ले रही हो ?”,मंगल फूफा ने प्यार से कहा
गुप्ता जी ने सुना तो बांयी भँव चढ़ाकर मंगल को देखा और कहा,”तुम्हाये सिस्टम मा कुछो गड़बड़ी लग रही है हमका”


“इन्हे छोड़िये हमायी सुनिए”,गुप्ताइन ने कहा
गुप्ता जी ने गुप्ताइन के सामने अपने दोनों हाथ जोड़े और कहा,”देवी हमहू तुम्हरे आगे हाथ जोड़ते है , जो सुनना-सुनाना है घर चलकर सुनाय दयो हिया और छीछा लेदर नाही करो हमायी”
“पिताजी भर दिया बिल”,इतने में गोलू ने आकर कहा


“बहुते बड़ा काम कर दिया , शुक्ला जी का बंगला हमरे नाम कर दिया , जे फूफा की वजह से हमको फालतू मा बिल भरना पड़ा है,,,,,,,,अब और कोई कांड हो जे से पहिले घर चलो सब”,गुप्ता जी ने कहा
अस्पताल से बाहर आकर गोलू ने एक रिश्ता रुकवाया। पीछे गुप्ता जी , गुप्ताइन , फूफा और पिंकी आ बैठे , गोलू आगे ड्राइवर के बगल में आ बैठा और सभी घर के लिए निकल गए वो भी बिना कोई नया कांड किये लेकिन बेचारे गोलू को तो खबर भी नहीं थी कि असली कांड तो कानपूर रेलवे स्टेशन पर हो चुका है।

कानपूर रेलवे स्टेशन
“हमहू जे पूछ रहे है कि घर मा खाना नाही मिलता तुम्हे जो हिया स्टेशन पर आलू पेटिस खा रहे हो , पता नहीं ताज़ा है भी के नाही बस ठुसे जा रहे है पेट नहीं ना  
खराब हो जाएगा , बुद्धि बँट रही थी तब तो फैशन की लाइन मा सबसे आगे लगे रहे,,,,,,,,,घर चलोगे कि सोने के लिए बिस्तर भी साथ मा यही लाये हो ?”,मिश्रा
जी ने लवली को गुड्डू समझकर लताड़ते हुए कहा


लवली नहीं जानता था कि गुड्डू मिश्रा जी को क्या कहकर बुलाता था इसलिए उसने लड़खड़ाती जबान में कहा,”जी जी पापाजी”
“का बेटा ? हमहू दुई दिन के लिए बनारस का गए तुमहू तो अपनी भाषा ही बदल लिए , पिताजी से सीधा पापाजी,,,,,,लगता है बाटा का स्वाद भूल गए हो,,,,,,,,!!”,मिश्रा जी ने लवली को घूरकर कहा
लवली ने तुरंत अपनी जबान सम्हाल ली और कहा,”अरे हाँ पिताजी हम तो बस मजाक कर रहे थे”


“काहे हमहू रिश्ते मा तुम्हायी साली लगते है जोन हमरे साथ मजाक कर रहे हो , बेटा बाप है तुम्हाये बाप से मजाक नाही करते , वरना बाप किसी दिन मजाक करने पर आये ना तो सर के साथ साथ मुँह भी छील देंगे समझे,,,,,,,, पानी की बोतल का पैसा देओ और घर चलो,,,,,,,,रंगबाजी करेंगे”,मिश्रा जी ने कहा और लवली को अपने साथ लेकर स्टेशन से बाहर चले आये।

कहा बेचारा लवली इन सब से बचने के लिए चंदौली जा रहा था और कहा उसकी किस्मत उसे एक बार फिर मिश्रा जी के सामने ले आयी। बाहर आकर लवली को और तीन नए चेहरे देखने को मिले जिन्हे लवली नहीं जानता था इसलिए उसने अंदाजा लगाया कि मिश्रा जी की उम्र की जो महिला थी वो गुड्डू की अम्मा हो सकती है , छोटी लड़की शायद गुड्डू की बहन लेकिन मिश्रा जी की उम्र का जो आदमी था उसके लिए लवली अंदाजा नहीं लगा पाया और कहा,”जे कौन है ?”


“खुद ही पूछ लयो”,कहकर मिश्रा जी मिश्राइन और वेदी के साथ रिक्शा की तरफ बढ़ गए और मिश्राइन से कहा,”ट्रेन का सफर हमहू करके आये है दिमाग जे ससुरा गुडडुआ का घूम रहो , आदर्श बाबू के लिए पूछ रहे जे कौन है ? अरे जे ही तो है हमायी सारे फसाद की जड़,,,,,,,,!!”
फूफा लवली के पास आये और कहा,”का गुड्डू ? अभी तक नाराज हो का हमसे , अरे जो भी हुआ उह्ह सब भूल जाओ वैसे भी बनारस मा ऐसो प्रसाद मिली है हमे कि हमायी सारी गलतफहमी दूर हो गयी है”

बेचारा लवली उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था सामने खड़ा अजीब दिखने वाला ये आदमी उस से क्या कह रहा है ? क्यों कह रहा है ? उसने फूफा को देखा और कहा,”आप भी घर चलेंगे ?”
“ल्यो कर ल्यो बात , अरे घर नाही जायेंगे तो कहा जायेंगे हमायी राजकुमारी भी तो वही है,,,,,,,,,हमका पूरा यकीन है हमायी याद मा सुखाकर दुबला गयी होंगी , चलो जल्दी चलो”,फूफा ने रिक्शा की तरफ जाते हुए कहा


फूफा की बात सुनकर लवली को धीरे धीरे समझ आया कि सामने खड़ा आदमी कोई और नहीं बल्कि गुड्डू का फूफा है जो पिछले कुछ दिनों से उनके घर में है  
लवली ने मुस्कुराते हुए आसमान की तरफ देखा जैसे भगवान का शुक्रिया अदा कर रहा हो। लवली की किस्मत उसे एक बार फिर मिश्रा जी के घर लेकर जा रही थी और लवली एक बार फिर तैयार था। वह ड्राइवर के बगल में आकर बैठा और रिक्शा वहा से निकल गया।

अस्पताल से सीधा गुड्डू रेलवे स्टेशन आया। बनारस से कानपूर आने वाली ट्रेन आकर वापस जा भी चुकी थी। गुड्डू ने यहाँ वहा देखा लेकिन मिश्रा जी और घरवाले कही दिखाई नहीं दिए। गुड्डू ने फोन निकालने के लिए जैसे ही जेब में हाथ डाला उसका फोन जेब में नहीं था। गुड्डू को याद आया उसका फोन धक्का मुक्की के टाइम गोलू के घर में गिर गया था। गुड्डू घर जाने के लिए मुड़ गया और दरवाजे की तरफ जाने लगा।

कुछ ही दूर खड़े तीन चार लोगो में से एक की नजर गुड्डू पर पड़ी और उसने साथ वालों से कहा,”लल्लन भैया उह्ह रहा लवली”
“अबे खड़े खड़े देख का रहे हो पकड़ो उसे”,लल्लन ने हाथ में पकड़ा चाय का कप फेंककर कहा गुड्डू की तरफ भागा

मैंने कहा था ना असली कांड तो कानपूर रेलवे स्टेशन पर ही होगा।

Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70

Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70Manmarjiyan Season 3 – 70

संजना किरोड़ीवाल

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

शर्मा जी पलटे और कहा,”हमायी तरफ से मामला साफ है , हमे जे सब मा ना ही घसीटो तुम गुप्ता , बाप बेटा मिल के एक ठो नाटक कम्पनी खोल लेओ का है कि ड्रामे ही नाही ख़त्म होय रहे तुम लोगन के,,,हमरा बख्त खराब हुआ ऊपर से साला संतरे के 55 रुपिया खराब किये सो अलग”
“हाँ हाँ कानपूर मा कलेकटर लगे हो न तुमहू जो बख्त खराब हो गवा और तुम्हरे 55 रूपये भिजवा देंगे घर सुनाने की जरूरत नाही है”,गुप्ता जी ने भी चिल्लाकर कहा लेकिन शर्मा जी तब तक वहा से जा चुके थे।  

शर्मा जी पलटे और कहा,”हमायी तरफ से मामला साफ है , हमे जे सब मा ना ही घसीटो तुम गुप्ता , बाप बेटा मिल के एक ठो नाटक कम्पनी खोल लेओ का है कि ड्रामे ही नाही ख़त्म होय रहे तुम लोगन के,,,हमरा बख्त खराब हुआ ऊपर से साला संतरे के 55 रुपिया खराब किये सो अलग”
“हाँ हाँ कानपूर मा कलेकटर लगे हो न तुमहू जो बख्त खराब हो गवा और तुम्हरे 55 रूपये भिजवा देंगे घर सुनाने की जरूरत नाही है”,गुप्ता जी ने भी चिल्लाकर कहा लेकिन शर्मा जी तब तक वहा से जा चुके थे।  

शर्मा जी पलटे और कहा,”हमायी तरफ से मामला साफ है , हमे जे सब मा ना ही घसीटो तुम गुप्ता , बाप बेटा मिल के एक ठो नाटक कम्पनी खोल लेओ का है कि ड्रामे ही नाही ख़त्म होय रहे तुम लोगन के,,,हमरा बख्त खराब हुआ ऊपर से साला संतरे के 55 रुपिया खराब किये सो अलग”
“हाँ हाँ कानपूर मा कलेकटर लगे हो न तुमहू जो बख्त खराब हो गवा और तुम्हरे 55 रूपये भिजवा देंगे घर सुनाने की जरूरत नाही है”,गुप्ता जी ने भी चिल्लाकर कहा लेकिन शर्मा जी तब तक वहा से जा चुके थे।  

शर्मा जी पलटे और कहा,”हमायी तरफ से मामला साफ है , हमे जे सब मा ना ही घसीटो तुम गुप्ता , बाप बेटा मिल के एक ठो नाटक कम्पनी खोल लेओ का है कि ड्रामे ही नाही ख़त्म होय रहे तुम लोगन के,,,हमरा बख्त खराब हुआ ऊपर से साला संतरे के 55 रुपिया खराब किये सो अलग”
“हाँ हाँ कानपूर मा कलेकटर लगे हो न तुमहू जो बख्त खराब हो गवा और तुम्हरे 55 रूपये भिजवा देंगे घर सुनाने की जरूरत नाही है”,गुप्ता जी ने भी चिल्लाकर कहा लेकिन शर्मा जी तब तक वहा से जा चुके थे।  

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!