Manmarjiyan Season 3 – 69

Manmarjiyan Season 3 – 69

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

गोलू के घर से निकलकर लवली छुपते छुपाते सड़क किनारे चला आया। उसकी हालत बहुत खराब थी मार पड़ी सो पड़ी कपडे भी ख़राब हो चुके थे और जगह जगह मिटटी लग चुकी थी। गोलू की वजह से लवली का सारा प्लान फ़ैल हो चुका था। गुड्डू की जगह लेना तो दूर लवली अभी ठीक से मिश्रा जी का घर भी नहीं देख पाया था। लवली का पर्स और कपडे गुड्डू के घर थे और उन्हें वहा से लेना बहुत जरुरी थी इसलिए लवली गोलू के घर से एक बार फिर मिश्रा जी के घर की तरफ चल पड़ा।

घर के सामने आकर लवली ने पहले गहरी साँस ली और फिर जैसे ही अंदर जाने को हुआ सामने से आती भुआ पर उसकी नजर पड़ी और लवली दिवार के पास छुप गया। भुआ सीढ़ियों पर ही बैठ गयी और फोन पर किसी से बतियाने लगी , लवली के लिए अंदर जाना मुश्किल हो गया।
“गुड्डू यहाँ आये उस से पहले हमे अपना सामान उसके कमरे से लेना होगा वरना हम फंस जायेंगे”,लवली बड़बड़ाया तभी उसके कानो में एक आवाज पड़ी,”अरे गुड्डू हिया का कर रहे हो ?”


लवली ने सामने देखा तो एक औरत थी जो  हो सकता है इसी मोहल्ले की हो और गुड्डू को जानती हो इसलिए लवली ने भी जवाब में कह दिया,”बस घर ही जा रहे है चाची”
“चाची ? अरे भाभी कहो गुड्डू हम तुम्हायी चाची कब से हो गए ? लगता है मसखरी करने की आदत गयी नहीं तुम्हायी,,,,,,,,अच्छा चाची बनारस से आ गयी का ?”,औरत ने पूछा
“कौन चाची ?”,लवली ने कहा


“अरे तुम्हायी अम्मा , मिश्राइन चाची की बात कर रहे है , बनारस गयी थी ना ददिया की अस्थिया विसर्जन करने आयी के नाही ?”,औरत ने पूछा
“नहीं अभी नाही , हमहू स्टेशन ही जा रहे है थोड़ी मा उनको लेने”,लवली ने कहा
“ठीक है फिर सुबह आकर मिलते है उनसे”,कहकर औरत आगे बढ़ गयी


लवली ने चैन की साँस ली और बड़बड़ाया,”जे गुड्डू इंसान है कि का है पूरा मोहल्ला मा जान पहिचान कर रही है,,,,,,,कभी चाची कभी भाभी,,,,,!!”
लवली ने दिवार से झांककर देखा भुआ अभी भी सीढ़ी पर बैठी थी इसलिए लवली साइड वाली दिवार चढ़कर , बालकनी में लटक गया और ऊपर चढ़ने लगा लेकिन लवली की किस्मत भी कुछ कम खराब नहीं थी

अब तक उसे किसी ने नहीं देखा था लेकिन लवली जैसे ही बालकनी से चढ़कर ऊपर आया सामने वाले घर की बालकनी में खड़े सोनू भैया ने उसे देख लिया और कहा,”का हो गुड्डू ? घर आने का जे नया तरिका ढूंढे हो , अरे भैया जब मिश्रा जी इत्ता बड़ा गेट बनवाये रहे है , जीना बनवाय रहे तो फिर जे बालकनी मा लटक कर काहे ऊपर चढ़ रहे हो ?”


लवली ने सुना तो पलटा और कहा,”काहे ? तुमको कोनो परेशानी है , हमहू जीना से आये चाहते बालकनी से लटक कर , दरवाजे से आये चाहे खिड़की से , सीधे चल के आये चाहे उलटे हमाओ घर हमायी मर्जी हम जैसे चाहे आये”
सोनू भैया ने सुना तो मुंह खुला का खुला रह गया , आज गुड्डू उस कुछ बदला बदला नजर आया और थोड़ा चिढ़ा हुआ भी इसलिए उन्होंने थोड़ा प्यार से कहा,”अरे भई गुड्डू का हुआ इत्ता परेशान काहे हो ? अच्छा अच्छा मिश्रा जी नहीं है घर मा तो सब अकेले सम्हालना पड़ रहा है इहलीये”


लवली को वहा रुकने और सोनू भैया के सवालो का जवाब देने में कोई दिलचस्पी नहीं थी इसलिए वह सीधा गुड्डू के कमरे की तरफ चला गया।
“जे गुड्डू को का हुआ है इतना अजीब बर्ताव काहे कर रहा है लगता है फिर से कोनो काण्ड करके आया है , पता लगाना पडेगा”,सोनू भैया ने कहा और अंदर चले गए

लवली गुड्डू के कमरे में आया और जल्दी जल्दी अपना पर्स ढूंढने लगा। बिस्तर से लेकर ड्रेसिंग तक सब देख लिया लेकिन पर्स नहीं मिला तो लवली परेशान हो गया। वह बिस्तर पर आ बैठा और परेशान होकर जैसे ही गर्दन घुमाई उसे अपना पर्स नीचे कोने में गिरा दिखा। लवली ने उसे उठाया और उसमे रखे अपने आई डी और पैसे देखे सब सही सलामत था। लवली ने पर्स जेब में रखा तो उसे जेब में नोटों की गड्डी मिली जो उसे मिश्रा जी के शोरूम में मिली थी। लवली ने जेब से उसे निकाला और देखने लगा।

लवली ने कबर्ड खोला और ना जाने क्यों पर उन पैसो को उसमे रख दिया। साथ ही लवली ने कबर्ड से गुड्डू के कपडे निकाले और बदलकर अपना हुलिया सुधारा , मार खाकर लवली का पूरा बदन टूट रहा था बस गनीमत था उसके चेहरे पर कोई चोट नहीं लगी थी।  लवली ने अपना पर्स और फोन जेब में रखा और कमरे से बाहर निकल गया। गुड्डू या मिश्रा जी के आने से पहले उसे यहाँ से निकलना था। नीचे आकर लवली जैसे ही जाने लगा शगुन की नजर पड़ी और उसने कहा,”गुड्डू जी”


शगुन की आवाज सुनकर लवली का दिल धड़क उठा उसे रुकना पड़ा , वह पलटा और अपनी सच्चाई छुपाने की पूरी कोशिश की , शगुन लवली के पास आयी और कहा,”आप कब आये और आप फिर कही जा रहे है ?”
शगुन एक बार फिर लवली को पहचान नहीं पायी , शगुन की बात सुनकर लवली को औरत की कही बात याद आयी “अच्छा चाची बनारस से आ गयी का ?”

लवली का दिमाग चला और उसने कहा,”हमहू गोलू के हिया गए थे किसी काम से अभी आये है और अब वापस जा रहे है , उह्ह अम्मा पिताजी आ रहे है ना बनारस से वापस तो उन्हें लेने,,,,,,,,,देखो तुमसे बात करने के चक्कर में लेट भी हो गए ट्रेन स्टेशन पर आ गयी होगी,,,,,,,,हम चलते है”


“गुड्डू जी , गुड्डू जी,,,,,,,,,अरे”,शगुन कहते ही रह गयी और लवली वहा से चला गया। शगुन को आँगन में अकेले बोलते देख भुआ उसके पास चली आयी और कहा,”अरे शगुन का हुआ बिटिया हिया काहे खड़ी हो ? और उह्ह गुड्डू घर वापस आया के नाही ?”
“अभी आये थे और अभी वापस भी चले गए भुआजी”,शगुन ने खोये हुए स्वर में कहा


“जे का अभी आया और अभी वापस भी चला गवा , जे लड़का कबो ना सुधरे है ,, अच्छा हमहू रात के खाने मा तुम्हाये लिए खिचड़ी बनाय दे , बाकि सबका खाना तो कोमलिया कहे रही कि उह्ह खुद ही बनाये रही अपने हाथ से तो सोचा तुम्हाये लिए हम बना दे”,भुआ जी कहा
“भुआजी ! ये खिचड़ी खाना जरुरी है क्या ? मुझे फीका फीका खाना अच्छा नहीं लगता”,शगुन ने हिचकिचाते हुए कहा हालाँकि उसकी तबियत को देखते हुए डॉक्टर ने उसे फ़िलहाल हल्का और कम मिर्च मसाले वाला खाना खाने की हिदायत दी थी।


शगुन की बात सुनकर भुआ जी उसका गाल छूकर प्यार से कहा,”अरे तुमहू काहे परेशान होती हो शगुन हम ऐसी चटपटी खिचड़ी बनाएंगे ना कि तुमहू अपनी उंगलिया चाटती रह जाओगी”
शगुन ने सुना तो मुस्कुरा उठी , आज दोपहर बाद से ही उसे भुआजी से इतना प्यार जो मिल रहा था शगुन ने ख़ुशी ख़ुशी हामी में सर हिला दिया और फिर घर की सभी लाइट्स जलाने लगी।

 गुड्डू के घर से निकलकर लवली सीधा बस स्टेण्ड पहुंचा लेकिन तब तक चंदौली की बस निकल चुकी थी। दूसरी बस एक घंटे बाद आने वाली थी इसलिए लवली वही एक चाय की दुकान के बाहर पड़ी बेंच पर आ बैठा और एक कप चाय देने को कहा। लड़का लवली को चाय देकर चला गया। लवली चाय पीते हुए मन ही मन खुद से कहने लगा,”हमने सोचा था यहाँ आकर आसानी से गुड्डू की जगह ले लेंगे , इतना अच्छा मौका भी था जब मिश्रा भी घर में नहीं था लेकिन उस गोलू की वजह से सब गड़बड़ हो गया ,

वो इंसान नहीं इंसान की शक्ल में जीती जागती मुसीबत है हमारे लिए गुड्डू से पहले हमे गोलू को रास्ते से हटाना होगा लेकिन उस से पहले हमे कुछ दिन के लिए  गुड्डू और गोलू की नजरो से दूर होना होगा ताकि उनको लगे कि हम उन से डरकर भाग गए है और वे दोनों


 पहले की तरह बेफिक्र हो जाए , फिलहाल घर वापस जाने के अलावा हमारे पास कोई दुसरा रास्ता नहीं है,,,,,,,,,,मंजिल हमारे सामने है लेकिन अभी हमे बहुत लंबा सफर तय करना है,,,,,,,,!!”
चाय कब खत्म हुई लवली को पता ही नहीं चला , उसने जैसे ही अगला घूंठ भरा पाया की चाय खत्म हो चुकी है। लवली उठा चाय के पैसे चुकाए और वहा से रेलवे स्टेशन के लिए निकल गया क्योकि चंदौली के लिए आखरी ट्रेन आधे घंटे बाद थी और लवली को अब यहाँ से जितनी जल्दी हो निकलना था।

लवली स्टेशन पहुंचा वहा से चंदौली के लिए टिकट ली और प्लेटफॉर्म पर चला आया और ट्रेन का इंतजार करने लगा। भूख लगने पर लवली केंटीन की तरफ आया और एक आलू पेटिस देने को कहा और लेकर खाने लगा। लवली जिस प्लेटफॉर्म पर खड़ा था कुछ देर पहले ही वहा बनारस से ट्रेन आकर रुकी थी जिसमे से मिश्रा जी अपने परिवार के साथ नीचे उतरे थे।

मिश्रा जी ने नजरे घुमाकर चारो तरफ देखा लेकिन ना उन्हें गुड्डू नजर आया ना ही गोलू , मिश्रा जी ने मिश्राइन की तरफ देखा और कहा,”देख लिया मिश्राइन हमहू आज दोपहर मा ही फोन करके गुड्डू को याद दिलाये रहे थे कि शाम मा स्टेशन आ जाये पर उह नाही आये,,,,,घर मा पड़े पलंग तोड़ रहे होंगे और का ?”
“हो सकता है कोनो काम हो गवा हो गुड्डू को , घर ही तो जाना है चलिए बाहिर ऑटो मिल जायेगा”,मिश्राइन ने कहा


“आप लोग चलिए हम ज़रा पानी का बोतल लेकर आते है , बहुते प्यास लगी है और बोतल मा पानी भी नाही है”,मिश्रा जी ने उसी केंटीन की तरफ बढ़ते हुए कहा
जहा लवली आलू पेटिस खा रहा था।
“ए भैया ! ज़रा इक ठो बोतल पानी देना ज़रा”,मिश्रा जी ने केंटीन वाले से कहा
लवली अभी तक मिश्रा जी से मिला नहीं था इसलिए वह मिश्रा जी की आवाज भला क्या ही पहचानता ?

वह मस्त अपनी आलू पेटिस निपटाने में लगा था। मिश्रा जी ने पानी की बोतल ली और जैसे ही जाने के लिए पलटे वहा खड़े लवली को देखकर ठिठके और हैरानी से कहा,”का बेटा गुड्डू ? हमहू हुआ तुम्हरा इतंजार कर रहे है और तुमहू हिया खड़े होकर आलू पेटिस खा रहे हो,,,,,,,,,!”


मिश्रा जी बात सुनकर लवली ने उनकी तरफ देखा और उसका दिल धड़क उठा तभी मिश्रा जी ने गुस्से से कहा,”घर मा खाना नाही मिलता तुमको”
बेचारा लवली इतना डर गया कि उसके हाथ में पकड़ा आधा आलू पेटिस नीचे जा गिरा और मिश्रा जी उसे खा जाने वाली नजरो से देखने लगे  

गुड्डू और गोलू दोनों बाहर बैठकर गुप्ता जी के होश में आने का इंतजार करने लगे तभी शर्मा जी और शर्माईन वहा आ पहुंचे। उन्हें देखकर गुड्डू जितना हैरान हुआ गोलू उतना ही चिढ गया लेकिन कहा कुछ नहीं।
“अब कैसी तबियत है गुप्ता जी ? हमने सुना उनको हार्ट अटैक आया है”,शर्मा जी ने कहा
गोलू ने जैसे ही बोलना चाहा गुड्डू ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर उसे रोक दिया और कहा,”अभी ठीक है डॉक्टर ने कहा है थोड़ी देर में होश आ जाएगा , उसके बाद घर ले जा सकते है उन्हें”


“लेकिन जे सब हुआ कैसे समधी जी तो बिल्कुल स्वस्थ थे फिर जे हार्ट अटैक,,,,,,!!”,शर्माइन ने कहा
“अब दुनिया भर का बोझा अपने मन मा रखेंगे तो हार्ट अटैक तो आएगा ही ना मम्मी जी,,,,,,,,वैसे आप लोगो को खबर किसने दी ?”,गोलू ने अपनी खुन्नस को दबाकर कहा
“हमारे पास पिंकी का फोन आया था उसने ही बताया कि आपके पिताजी अस्पताल में है , हम इनके साथ फल सब्जी लेने मार्किट आये हुए थे पता चला तो हम तुरंत मिलने चले आये”,शर्माईन ने कहा


“हम बता रहे है गुड्डू भैया जे पिंकिया ना वाई फाई से भी तेज है , तुरंत बात यहाँ से वहा”,गोलू ने गुड्डू के कान में फुसफुसाते हुए कहा    
“आप कैसे है गोलू जी ?”,शर्मा जी ने पूछा
गोलू ने गुस्से से शर्मा जी को देखा और कहा,”हमहू ठीक है आपके आशीर्वाद से पागलखाने तक का दर्शन तो कर ही लिए थे थोड़ी और मेहरबानी रहती तो अब तक वही बैठकर चायपत्ती और चीनी को एक दूसरे से अलग कर रहे होते”


“लगता है ओह्ह दिन की वजह से कुछो जियादा ही नाराज है”,शर्मा जी ने कहा
“ए पिंकिया के पापा हमहू कह देते है हमाये मुंह ना लगिये”,गोलू का गुस्सा आखिर फूट पड़ा
“आप का हमायी घरवाली हो जो आपके मुंह लगेंगे ? हम यहाँ अपने समधी से मिलने आये है आपसे बहस करने नाही,,,,,,,,,!!”,शर्मा जी ने कहा
“तो हुआ एमरजेंसी मा जाकर मरो हिया हमायी छाती पर काहे चढ़ रहे हो ? पता नहीं कौनसी मनहूस घडी मा हमहू आपको अपना ससुर बनाये रहय”,गोलू ने भड़ककर कहा  


“क्या आप भी , घर के दामाद से कोनो इस तरह से पेश आता है का ?”,शर्माईन ने शर्मा जी को झिड़कते हुए कहा
“दामाद नाही जे उह्ह अवसाद है जो जिंदगीभर के लिए हमाये माथा पर बैठ गए”,कहते हुए शर्मा जी आगे बढ़ गए और शर्माईन भी उनके पीछे चल पड़ी।
“माँ कसम गुड्डू भैया अगर पिंकिया से ब्याह नहीं ना किये होते ना तो जे आदमी का खून करके कब का जेल चले जाते और हुआ बैठकर अपनी आत्मकथा लिख रहे होते”,गोलू ने चिढ़कर कहा


“अच्छा , और का नाम रखते अपनी आत्मकथा का ?”,गुड्डू ने पूछा
“किस्मत का मारा , गोलू बना हत्यारा,,,,,,!!”,गोलू ने कहा तो गुड्डू हसने लगा और पास पड़े थैले में से संतरा निकाला और गोलू की तरफ बढाकर कहा,”ल्यो संतरा खाओ”
“जे कहा से आया ?”,गोलु ने संतरा लेकर कहा
“तुम्हायी सास लेकर आयी है गुप्ता जी के लिए,,,,,,,,लगता है गुप्ता जी की कुछो जियादा ही परवाह है तुम्हायी सास को,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा


“अरे धीरे बोलो गुड्डू भैया , उह्ह चांडाल ने सुन लिया ना हमाये साथ साथ पिताजी को भी ले लेंगे लपेटे मा”,गोलू ने एमर्जेन्सी की तरफ झांककर कहा
“ठीक है तुमहू यही बैठो हम जरा बाथरूम जाकर आते है”,गुड्डू ने कहा और वहा से चला गया
गोलू वही बैठकर संतरा छिलने लगा , छीलते छीलते संतरे के छिलके का रस गोलू की आँखों में चला गया उसने संतरा साइड में रखा और आँखे मसलते हुए उठा दूसरी आँख में भी उसने अपनी गलती से ही लगा लिया और अब दोनों आँखे मसलते हए पानी ढूंढने लगा ,

गोलू आँखे मसलते हुए बाहर आया तभी पिंकी और मंगल  फूफा के साथ सामने से आती गुप्ताइन की नजर गोलू पर पड़ी। गोलू को आँखे मसलते देखकर गुप्ताइन ने वही समझा जो आप समझ रहे है वह गोलू के पास आयी और मुंह फाड़कर कहा,”ए गोलू के पिताजी,,,,,,,,,,,,,,!!!!”

Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69

Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69Manmarjiyan Season 3 – 69

संजना किरोड़ीवाल 

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

“अच्छा , और का नाम रखते अपनी आत्मकथा का ?”,गुड्डू ने पूछा
“किस्मत का मारा , गोलू बना हत्यारा,,,,,,!!”,गोलू ने कहा तो गुड्डू हसने लगा और पास पड़े थैले में से संतरा निकाला और गोलू की तरफ बढाकर कहा,”ल्यो संतरा खाओ”
“जे कहा से आया ?”,गोलु ने संतरा लेकर कहा
“तुम्हायी सास लेकर आयी है गुप्ता जी के लिए,,,,,,,,लगता है गुप्ता जी की कुछो जियादा ही परवाह है तुम्हायी सास को,,,,,!!”,गुड्डू ने कहा

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!