Manmarjiyan Season 3 – 64
Manmarjiyan Season 3 – 64

इस बात में कोई शक नहीं था कि गोलू एक नंबर का बकैत इंसान है , गुप्ता जी ने उसे केसर लाने को कहा ताकि खीर में डाल सके लेकिन गोलू को जब केसर नहीं मिला तो वह “विमल पान मसाला” उठा लाया। अब गलती गोलू की भी नहीं है उसने जो सुना उस पर विश्वास कर लिया और एक थप्पड़ गुप्ता जी से और दो थप्पड़ गुप्ताइन से खाकर साइड में चला आया। लवली ने जब देखा तो गोलू के पास आया और कहा,”इतनी बकैती काहे करते हो बे ? केसर नहीं मिला तो नहीं लाना था विमल काहे उठा लाये ? साले मुसीबत तुम्हाये पास नहीं आती तुम खुद सज धज के मुसीबत के पास जाते हो”
गुप्ता जी ने सुना तो गोलू के टकले पर चपत मारकर कहा,”का बे ? खीर मा पान मसाला कब से डलने लगा ? एक तो उह्ह तुम्हायी अम्मा पहिले से हम पर भड़की हुई है और साले तुमहू ऐसी टुच्ची हरकते करके और इह आग को और भड़काय रहे हो,,,,,,,कान खोल कर सुन ल्यो गोलुआ अगर अब कुछो गड़बड़ किये ना तो इसी आग पे तुम्हारा पिछवाड़ा सुलगाय देंगे,,,,,,,समझे , पान मसाला खाएंगे”
कहकर गुप्ता जी ने गोलू के टकले पर एक चपत और मारी और वहा से चले गए। गोलू झुंझला गया और गुप्ता जी का गाला दबाने उनके पीछे जाने को हुआ तो लवली ने उसे पकड़ लिया और कहा,”अबे गोलू , अबे का कर रहे हो ? बाप है तुम्हाये”
“बाप नाही गुड्डू भैया सांप है जो जब देखो तब हमे डंसते रहते है , अम्मा कसम आन दयो मंगल फूफा को ऐसी बत्ती लगाएंगे पिताजी को साला आज रॉकेट नाही न बना दिए ना तो हमाओ नाम भी पिंकेश नाही”,गोलू ने गुस्से से बिलबिलाते हुए कहा
“अब जे पिंकेश कौन है ?”,लवली ने पूछ
गोलू लवली की तरफ पलटा और कहा,”गुड्डू भैया दिल तो कर रहा है पिताजी को रॉकेट बनाने के साथ साथ मंगल फूफा से कहकर आपको भी एक छोटा मोटा सुटली बम बनवा ही दे,,,,,,,,,,!!”
“मतलब ?”,लवली ने पूछा
“मतलब , मतलब का मतलब साला आप हमे नाही जानते , पिंकेश को नाही जानते , दिन मा पचास बार गोलू गोलू करते हो लेकिन हमारा एक नाम याद नाही रख सकते,,,,,हमको तो लगता है गुड्डू भैया आपने ना हमाये बाप से हाथ मिला लिया है तभी कितना मजे से हमायी धुलाई देख रहे है,,,,,,!!”,गोलू ने पहले गुस्से से चिल्लाकर कहा और फिर सोचते हुए बहुत गंभीर स्वर में कहा
“का बकवास कर रहे हो गोलू ? हम तुम्हाये दोस्त है तुम्हाये बाप के नाही,,,,,,,,,,और हमे जे समझ नहीं आ रहा हम अपना सब काम धंधा छोड़कर हिया का कर रहे है ?”,लवली ने उलझन भरे स्वर में कहा
“वाह गुड्डू भैया हमहू आपकी मोहब्बत मा हमाओ पूरा गुप्ता घिस दिए और आप कह रहे है आप हिया का कर रहे है ? आप हिया हमायी बर्बादी का तमाशा देखने आये है , आप हिया पिताजी की रंगबाजी देखने आये है का करने आये है ?”,गोलू ने उखड़े स्वर में कहा
लवली बुरा फंस गया , गोलू जैसे इंसान से वह पहली बार मिल रहा था उस पर उसके घरवाले उस से भी ज्यादा अजीब , हताश होकर लवली वही सीढ़ियों पर आ बैठा। गोलू ने देखा तो कहा,”अब का हो गवा मुंह काहे उतरा है आपका ?”
“अरे सुबह से खाना पेट मा नहीं जाएगा तो मुंह तो उतरेगा ना”,लवली ने मुंह बनाकर कहा
“अच्छा हुआ चौक पर जो छोले कुलचे खाये उह्ह का था ?”,गोलू ने कहा
“तुमने खाने कहा दिए ? एक कुलचा खाये थे कि इत्ते में तुमहू टपक पड़े और तब से बस भाग ही रहे है तुम्हाये साथ,,,,,,,!!”,लवली ने गोलू को घूरकर कहा
लवली की बात सुनकर गोलू का गुस्सा गायब हो गया और उसने सामान्य होकर कहा,”अरे तो ऐसे कहो न गुड्डू भैया कि भूख लगी है कुछो खाना है ? रुको हमहू अभी खाना ले आते है , आओ अंदर आओ”
“नहीं गोलू हम अंदर नहीं आएंगे तुम यही ले आओ अंदर तुम्हायी अम्मा है”,लवली ने कहा
“ठीक है हमहू लेकर आते है,,,,,,,,,आप जाना नाही”,कहकर गोलू अंदर चला गया। लवली के पास यही मौका था गोलू और उसके घरवालों से पीछा छुड़ाकर यहाँ से भागने का।
गुड्डू ने गर्दन घुमाकर देखा गोलू रसोई में जा चूका था। लवली उठा और दबे पाँव गेट की तरफ बढ़ गया। गोलू का ध्यान रखते हुए वह पीछे देखते हुए आगे बढ़ रहा था कि तभी सामने से आते किसी से टकरा गया। लवली ने सामने देखा तो दो बड़े बड़े हट्टे कट्टे आदमी खड़े थे जिनका कद और शरीर और कद लवली से भी बड़ा था। लवली ने सर उठाकर देखा तो उनकी खतरनाक चेहरे देखकर लवली घबराकर पीछे हटा। दोनों आदमी गुस्से से लवली को देखने लगे तो लवली ने हिम्मत करके कहा,”कौन हो बे तुम लोग और हमारा रास्ता रोक के काहे खड़े हो ? हटो हमे जाने दो”
“बॉस के आर्डर के बिना यहाँ से कोई बाहर नहीं जा सकता है”,एक आदमी ने कहा
“कौन है बे तुम्हारा बॉस ? और उसको का दिक्कत है हमाये जाने से हमहू तो जे घर के है भी नाही”,लवली ने खीजते हुए कहा
दोनों आदमी दांयी बांयी तरफ हटे और उनके पीछे खड़ा साढ़े 4 फुट का बड़ी तोंद वाला एक आदमी आगे आया। सफ़ेद कुर्ते पाजामे में वह और भी अजीब लग रहा था उस पर गले में झूलती सोने चाँदी की मोटी मोटी चैने , छोटे छोटे हाथो की मोटी मोटी उंगलियों में सोने की रत्नजड़ित अँगूठिया , आँखों पर चश्मा , पैरो में बेमेल जूते जो कि उसे हंसी का पात्र बना रहे थे। लवली ने उसे देखा और एकदम से हंस पड़ा।
उसे हँसते देखकर दोनो आदमी ने हैरानी से एक दूसरे को देखा लेकिन लवली की हंसी नहीं रुकी वह हँसते हँसते सीढ़ियों पर गिर गया और पेट पकड़कर हसने लगा। आदमी ने अपना चश्मा उतारा और लवली को देखा तो लवली ने अपनी हंसी रोककर पूछा,”ये है तुम्हारा बॉस ?”
“हाँ,,,,,!!”,दोनों आदमियों ने एक साथ कहा तो लवली फिर हसने लगा। आदमी लवली की तरफ आया और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”बऊआ ! बाप से मजाक नाही करते,,,,,,!!”
लवली ने सुना तो अपने कंधे से बौने आदमी का हाथ हटाया और कहा,”हमाये ना एक है ही बाप है और उह्ह्ह वहा है भगवान् के पास और जीते जी हमहू ओह्ह्ह से कबो मजाक नाही किये और साले तुमहू तो खुद एक मजाक हो तुम से का मजाक करेंगे उह्ह्ह तो बस तुमको देख के हमायी हंसी निकल गयी”
बौने आदमी ने जब अपनी बेइज्जती होते देखी तो जेब से कट्टा निकाला और लवली पर तानकर कहा,”लगता है बेटा हमका बहुते हलके मा ले रहे हो”
गोलू इतने में लवली के लिए खाना लेकर आ चुका था उसने जब किसी अनजान आदमी को गुड्डू पर कट्टा ताने देखा तो थाली टेबल पर रखी और लवली के बगल में आकर कहा,”तो का तुमको भारी मा ले ? अभी तोलने बैठे ना तो इत्ता ही 20-22 किलो वजन निकले है तुमहाओ , इत्ता तो हम और गुड्डू भैया हफ्तेभर मा आटा खा जाते है”
“अब तू कौन है बे ?”,आदमी ने बहुत ही अकड़ के साथ पूछा
गोलू ने देखा उसके ही घर में खड़े होकर एक अनजान आदमी उस से तू तड़ाके से बात कर रहा है तो वह आगे आया और एक चांटा आदमी को मारकर कहा,”हमहू है गोलू गुप्ता उर्फ़ पिंकेश गुप्ता,,,,,,,कहो तो अंग्रेजी में समझाए My name is Golu Gupta and I am from Kanpur Uttar Pradesh”
“ए तेरी तो बॉस पे हाथ उठाता है,,,,,,,!!”,कहते हुए आदमियों ने जैसे ही गोलू की तरफ आना चाहा बौने आदमी ने हाथ उठाकर उन्हें आने से रोक दिया और गोलू से कहा,”पहली बार है जब किसी ने गज्जू गुप्ता के घर में हम पर हाथ उठाया है”
उसकी बात सुनकर गोलू चिढ गया और दूसरा थप्पड़ आदमी के गाल पर रसीद कर दिया। गोलू के दूसरे थप्पड़ से आदमी और गुस्सा हो गया और कहा,”दूसरी बार है जब किसी ने गज्जू गुप्ता के घर में हम पर हाथ उठाया है”
कुछ देर पहले गुप्ता जी से थप्पड़ खाकर गोलू उनसे पहले ही गुस्सा था और ये आदमी के मुंह
बार बार गज्जू गुप्ता सुनकर गोलू का गुस्सा और बढ़ गया , अपने बाप को तो गोलू पीट नहीं सकता था लेकिन सामने खड़ा आदमी तो उसका बाप भी नहीं था फिर उसे थप्पड़ मारने में गोलू भला पीछे क्यों रहता उसने तीसरा थप्पड़ फिर मारा और इस बार फिर आदमी ने वही बात कही,”तीसरी बार है जब किसी ने गज्जू गुप्ता के घर में हम पर हाथ उठाया है”
अब तो गोलू के गुस्से का पारा सातवे आसमान पर आ पहुंचा वह उसके आदमी को तड़ातड़ चांटे बरसाए और उसके दोनों कानों को पकड़कर गुस्से से कहा,”बार बार गज्जू गुप्ता गज्जू गुप्ता क्यों बोल रहा है बे ? तेरी बहन ब्याही है उसने ? मामा लगता है तू मेरा , साले एक ठो बार और उसका नाम लिया न तेरी टाँगे काट के पोस्ट बॉक्स बना दूंगा तुझे फिर लोग तेरे मुंह में चिट्ठियां डालकर जायेंगे,,,,,,,,का का घूर का रहे हो बे ? जे आँखे बचपन मा अपनी अम्मा को दिखाए होते ना तो दूध मा कॉम्प्लान घोल के देती और हाइट बढ़ती तुम्हायी,,,,,,,,,!!”
“गोलू गोलू छोडो इन्हे का कर रहे हो ?”,लवली ने गोलू को आदमी से दूर करके कहा , आदमी बड़ी बड़ी आँखों से चेहरे पर डर लिए गोलू को देख रहा था।
“अरे गुड्डू भैया आप नाही जानते इन लोगो को , कानपुर के भांड है चंदा मांगने आयें होंगे,,,,,और जे बच्चो वाले कट्टे से किसे डरा रहे थे हमाये गुड्डू भैया को,,,,,,अरे बचपन मा ऐसे कट्टो में तिकड़ी फंसाकर बहुत दिवाली मनाई है हमने समझे,,,,,,,,,!!”,गोलू ने आदमी से कट्टा छीनकर मजे मजे में हवा में फायर कर दिया।
कट्टा असली था और उसकी गोली भी जाकर लगी उपर लालटेन को और उसके चिथड़े उड़ गए।
गोलू को काटो तो खून नहीं , उसका दिल धड़कने लगा , उसके हाथ काँपने लगे और कट्टा नीचे गिर गया , वह मुंह फाड़कर रोया और लवली से चिपकते हुए कहा,”हाहा गुड्डू भैया , अरे हमहू असली कट्टा चला दिए भैया , अभी दुइ मिनिट माँ हमहू भगवान् को प्यारे हो जाते , अरे जे लोग कोई भांड वांड नाही है भैया , ना ही जे चन्दा मांगने आये है,,,,,,,,अम्मा”
“गोलू हम कह तो रहे थे कि ओवरएक्टिंग मत करो लेकिन तुम्हाये अंदर ना जाने कौनसा कीड़ा है ?”,लवली ने अपनी दाँत पीसते हुए कहा क्योकि गोलू के कारण अब वह भी फंस चुका था।
आदमी ने गोलू के हाथ से कट्टा छीना और कहा,”का बे ? नौटंकी मा हिस्सा लिए हो दोनो , हमे नाही पहिचानते कहो तो डेमो दे,,,,,,,,!!”
कहते हुए आदमी ने एक दो गोली नीचे चला दी तो गोलू उछलकर लवली की गोद में चढ़ गया और बुरी तरह चिपककर कहा,”ए गुड्डू भैया जे चांडाल से हमका बचाय लयो , अरे हमहू गोली की मार से मरना नाही चाहते रे , अरे का इज्जत रह जायेगी मोहल्ले मा हमायी की गोलू गोली खा के निकल लिए”
गोली चलने की आवाज सुनकर गुप्ता जी , गुप्ताइन और पिंकी भागकर बाहर आये। बाहर का नजारा देखकर गुप्ता जी हैरान परेशान लेकिन जब उन्होंने गोलू को गुड्डू की गोद में चढ़े देखा तो कहा,”लयो हमहू पहिले ही कहे रहे कि जे गोलुआ का गुडडुआ के साथ कुछो तो चल रहा है ऐसे चिपके है दोनो एक दूसरे से जैसे लोहे से चुम्बक चिपकता है”
“पिताजी लोहा बोल रहे है आपको,,,,,,,,,!!”,गोलू ने लवली से कहा
“तुम्हे भी तो चुम्बक कह रहे है,,,,,!!”लवली ने दाँत पीसते हुए कहा और गोलू को नीचे पटक दिया।
“फूफा,,,,,,,,,,,अच्छा हुआ तुमहू हिया चले आये , देख रहे हो ना जे बाप बेटा मिल के का का कांड कर रहे है,,,,,,,,एक बाप है जोन बुढ़ापे मा इश्क लड़ाये है और एक बेटा है जोन इश्क़ लड़ाते लड़ाते आदमी और औरत मा फर्क भूल गवा है , हमका इंसाफ चाही फूफा हमका इंसाफ चाही”,गुप्ताईन ने रोते हुए बौने आदमी की तरफ जाते हुए कहा।
लवली ने जब सुना गोलू की अम्मा के मुंह से फूफा सुना तो उसे समझते देर नहीं लगी कि सामने खड़ा आदमी मंगल फूफा है , उसने अपना सर पीट लिया उसे थोड़ी देर पहले गोलू ने जो बकवास की थी वो याद आ गयी।
गोलू अपनी कमर पर हाथ लगाकर उठा और कहा,”अरे अम्मा जे कोई जज साहिब है जो इनसे इंसाफ मांग रही हो तुमहू ? उह्ह भी जे आदमी से अरे जियादा से जियादा कित्ता इन्साफ कर देगा इह साढ़े चार फुट”
गुप्ताइन ने सुना तो पलटकर गुस्से से गोलू को देखा और कहा,”अरे नालायक जे हमाये मंगल फूफा है , जज साहिब भी इह का सामने हाथ जोड़ते है,,,,,,,आकर प्रणाम करो फूफा को,,,,,,,!!”
मनमर्जियाँ का तीसरा सीजन लिखते हुए मुझे समझ आया की सीरियस सिचुएशन मे हसने की आदत गोलू को विरासत में मुझसे मिली है। गोलू ने जैसे ही सुना की सामने खड़ा बौना आदमी मंगल फूफा है तो उसने अपना मुंह बंद रखने की नाकाम कोशिश की और फिर हसने लगा। वह हंसा और हँसता ही चला गया और हँसते हँसते कहा,”जे जे मंगल फूफा है , जे है आपके मंगल फूफा,,,,,,इनका बाकि का डेढ़ फुट कहा है ?”
गोलू को हसंते देखकर लवली को भी हंसी आने लगी लेकिन उसने अपने मुंह पर हाथ रख लिया। हँसते हँसते गोलू गुप्ता जी के पास आया और कहा,”का पिताजी ? बिल्डअप दिया सलमान खान का सामने ले आये राजपाल यादव,,,,,,मंगल फूफा,,,,,,,अरे इसकी फू फा तो पहले से निकली हुई है आप और हम का निकालेंगे,,,,,,!!”
“अबे चुप हो जाओ अकल के दुश्मन,,,,,,,,,,काहे अपने साथ साथ हमायी भी कब्र खोदने में लगे हो ?”,गुप्ता जी ने दबी आवाज में कहा
गोली की आवाज सुनकर यादव जी की पत्नी फुलवारी भागते हुए अंदर आयी और घबराहट भरे स्वर में कहा,”का हुआ ? का हुआ ? हमहू गोली की आवाज सुने रहे,,,,,,,,!!”
लेकिन फुलवारी आगे बढ़ पाती इस से पहले ही वह उलझकर लड़खड़ाई और जैसे ही गिरने को हुई मंगल फूफा ने उन्हें अपनी बांहो में थाम लिया और दोनों की नजरे एक दूसरे से जा टकराई अब देखो कोई बाँहो में गिरे और गोलू का फोन ना बजे ऐसा भला हो सकता है क्या ?
बिल्कुल हो सकता है क्योकि स्क्रिप्ट मैंने लिखी है। मंगल फूफा की बांहो में फुलवारी एकटक मंगल फूफा को देखे जा रही थी कि गोलू का फोन बजा
“चुरा के दिल मेरा ,गोरिया चली
चुरा के दिल मेरा , गोरिया चली”
लवली ने गोलू की तरफ देखा तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया , रिंगटोन में इस गाने का होना इतना अजीब नहीं था जितना गोलू को इस गाने पर अक्षय कुमार वाला स्टेप करते देखकर हुई
“उड़ा के निंदिया कहाँ तू चली”
“गोरिया का तो पता नाही पर जे गोलू की बुद्धि घास चरने जरूर चली गयी है”,लवली ने अफ़सोस के साथ कहा और अपने सामने फैली भसड़ को देखने लगा
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संजना किरोड़ीवाल


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