Manmarjiyan Season 3 – 58
Manmarjiyan Season 3 – 58

कानपूर में मिश्रा जी के सबसे खास दोस्त दो ही थे एक गज्जू गुप्ता यानि गोलू के पिताजी और दूसरे शर्मा जी यानि पिंकी के पापा और गोलू के ससुर जी , शर्मा जी और गज्जू गुप्ता दोनों उस चक्की के दो पार्ट थे जिनके बीच गोलू अक्सर पीसता रहता था। सब गड़बड़ चल रहा था और इसी गड़बड़ के बीच गोलू ने एक चीज अच्छी की और वो ये कि भुआ को अपनी साइड कर लिया और फूफा के खिलाफ बीज उनके दिमाग में डाल दिया।
शाम में मिश्रा जी सबके साथ बनारस से आने वाले थे और गोलू चाहता था उनके आने से पहले भुआ फूफा की सच्चाई जान जाए। गज्जू गुप्ता से गोलू मदद ले नहीं सकता था और शर्मा जी से गोलू मदद लेना नहीं चाहता था। वह गुड्डू के घर से निकला और अपने घर की तरफ चल पड़ा।
मिश्रा जी का शोरूम , कानपूर
“4 दिन पिताजी शोरूम मा नाही आये और हिसाब मा इत्ती गड़बड़ ?”,गुड्डू ने मैनेजर से कहा
“गुड्डू बाबा हमेशा से हम ही हिसाब किताब देखते आ रहे थे पर पिछले महीने ही मालिक ने नया अकाउंटेंट रखा शोरूम पर , ओह्ह के काम करने का तरिका हमे तो समझ नाही आया , उसी ने जे सारा हिसाब बनाया है,,,,,,,,,आप एक बार उस से मिल लीजिये”,मैनेजर ने कहा
“उस से तो हम मिल लेंगे और जे इत्ते आर्डर है जे पेंडिंग मा काहे रखे है ? इन्हे भिजवाते काहे नाही ? देखो चचा पिताजी अभी पुरे 2 सप्ताह तक शोरूम नाही आएंगे और हमहू भी नाही आ सकते इहलीये जे सब आपको सम्हालना है,,,,,,,जो आर्डर पेंडिंग है उह भिजवाईये और उनसे कहिये पेमेंट पिताजी के आने के बाद भिजवा दे,,,,,,,समझ रहे है ना”,गुड्डू ने रजिस्टर बंद कर मैनेजर से कहा
“ठीक है बाबा हमहू आज ही सारा पेंडिंग आर्डर भिजवा देते है , आपके लिए कुछो मंगवा दे चाय कॉफी ?”,मैनेजर ने कहा
“हाँ एक कप चाय मंगवा दीजिये तब तक हमहू आगे के आर्डर चेक कर लेते है”,गुड्डू ने कहा और कम्प्यूटर के सामने बैठकर काम करने लगा
लड़का गुड्डू के लिए चाय रखकर चला गया और गुड्डू चाय पीते हुए अपना काम करने लगा
गुड्डू के घर से निकला लवली चौराहे पर चला आया। सुबह से एक कप चाय तक नहीं मिली थी और उस पर लवली को भूख भी लगी थी। गोलू और शगुन के चक्कर में लवली पकड़ा जाता लेकिन बच गया। वह सामने लगे पानी के नल के पास चला आया। हाथ मुंह धोया और वहा से चाय की दुकान की ओर चला आया।
लवली ने एक चाय देने को कहा और खड़े होकर गोलू के बारे में सोचते हुए बड़बड़ाया,”जे साला गोलू की वजह से हमारा बना बनाया काम बिगड़ गया , अगर वो गुड्डू के घर में नहीं होता न तो हम आराम से उस घर में अपने लिए जगह बना लेते और वो शगुन , वो तो हमारी सोच से भी ज्यादा होशियार निकली,,,,,,,ये गोलू और शगुन मिलकर कुछ और गड़बड़ करे उस से पहले हमे गुड्डू को ठिकाने लगाना ही होगा,,,,,,,,,!!”
“का गुड्डू भैया ? आज भौजी ने चाय नाही पिलाई का जो सुबह सुबह हिया चाय पी रहे हो,,,,,,,,,!!”,लड़के ने चाय लवली की तरफ बढाकर कहा
लवली ने देखा दुकान वाला उसे गुड्डू समझ रहा है तो उसने चिढ़ते हुए कहा,”हमहू घर मा चाय पिए या बाहर तुम्हाये बाप का पैसा लग रहा है , चुपचाप जाकर अपनी चाय उबालो हमे नाही”
कहते हुए लवली ने गुस्से से लड़के के हाथ से चाय का गिलास लिया और पीने लगा
गुड्डू जो कि घर से बाहर हमेशा सबसे प्यार से बात करता था , हंसी मजाक करता था लेकिन लड़के ने जब लवली को गुड्डू समझकर मजाक किया तो वह भड़क गया। लड़का हैरान सा दुकान के सामने चला आया और पतीले में करछी घुमाते हुए साथ खड़े लड़के से कहा,”जे आज गुड्डू भैया को का हो गवा ? पहिले तो कबो ऐसा गुस्सा नाही किये थे,,,,,,,,,,!!”
“अरे छोडो भैया हो सकता है परेशान हो , आपको का जरूरत थी सुबह सुबह उनको परेशान करने की,,,,,,,,,,,8 चाय और बनाओ हमहू जे देकर आते है”,लड़के ने गिलास और केतली उठाकर कहा और वहा से चला गया
लवली ने चाय पी और पैसे देने के लिए जैसे ही जेब टटोला उसे याद आया कि उसने गुड्डू के कपडे पहने है और उसके कपडे गुड्डू के घर में है और उन्ही कपड़ो में उसका पर्स और पैसे भी है। लवली लड़के के पास आया और धीमे स्वर में कहा,”वो पर्स हमहू घर पर भूल गए है बाद में दे तो चलेगा ना ?”
“अरे का गुड्डू भैया जे मा इत्ता परेशान होने की का जरूरत है , नहीं भी देंगे तो चलेगा”,लड़के ने मुस्कुराकर कहा
लवली जाने लगा उसे कुछ याद आया और उसने पलटकर लड़के से कहा,”माफ़ करना अभी थोड़ी देर पहिले हमहू तुम पर चिल्ला दिए , थोड़ा परेशान थे तुमहू बुरा नाही मानना”
“अरे गुड्डू भैया पहिले कबो बुरा माने है आपकी किसी बात का ? एक ठो चाय और दे दे ?”,लड़के ने कहा
“अह्ह्ह्ह नहीं शुक्रिया हम चलते है,,,,,,,!!”,लवली ने कहा और वहा से चला गया
लड़का खुश हो गया और खुद में ही बड़बड़ाया,”देखा हमे पता था गुड्डू भैया परेशान होंगे तभी ऐसा कह दिया और कित्ते प्यारे है तुरंत माफ़ी भी मांग लिए,,,,,,,,,,बस तुम्हायी जे आदत ही सबका दिल जीत लेती है।”
चाय पीकर लवली पैदल ही चल पड़ा। कानपूर में वह किसी को जानता नहीं था और गुड्डू के घर जा नहीं सकता था क्योकि वहा गुड्डू गोलू और शगुन पहले से मौजूद थे। लवली परेशान सा वही घूम रहा था। दिन निकल आया था और अब लवली को भूख लगने लगी थी लेकिन बिना पैसे वह खाना खायेगा कैसे ? लवली ये सोच ही रहा था कि तभी किसी ने आकर उसके कंधे पर हाथ रखा और लवली ने घबराकर पीछे देखा।
लवली के कंधे पर जिसने हाथ रखा था वह कोई और नहीं बल्कि गज्जू गुप्ता थे जिन्हे गुड्डू तो अच्छे से जानता था लेकिन लवली नहीं इसलिए अपने कंधे से उनका हाथ झटककर कहा,”का है बे ?”
“का है बे ? अबे सुबह सुबह का भांग खा लिए हो , हमे नाही जानते ?”,गुप्ता जी ने गुस्से से कहा
लवली ने सुना तो थोड़ा सतर्क हो गया और खुद में बड़बड़ाया,”जे हमको गुड्डू समझ रहा है इह का मतलब जे गुड्डू को जानता है”
गुप्ता जी ने लवली को बड़बड़ाते देखा तो उसके पास आये और उसका मुंह सूंघते हुए कहा,”सच सच बताओ कौनसा माल फूंके हो ?”
लवली की तंद्रा टूटी और उसने पीछे हटकर कहा,”जे का बकवास कर रहे है आप , हमहू कोनो माल वाल नाही फूंकते”
“अरे तो फिर अपने आप से का बात कर रहे हो ? और हमका जे बताओ तुम्हायी दादी मरी है , बाप को बनारस भेजकर तुमहू हिया का कर रहे हो ?”,गुप्ता जी ने शकभरे स्वर में पूछा
“हम , हम , हम”,लवली हकलाने लगा क्योकि जिस हिसाब से गुप्ता जी उसे घूर रहे थे कोई भी हकलाने लगे
“हम हम का बे इलेक्शन मा खड़े हुए हो , अरे हिया का कर रहे हो ? चलो अब मिल ही गए हो तो हमाये साथ चलो”,गुप्ता जी ने कहा
“कहा ?”,लवली ने घबराकर कहा
“हमाये घर और कहा ? अरे हमाये पास सामान जियादा है तो घर तक पहुंचाय दयो का है जे उम्र मा इत्ता वजन उठा नाही सकते,,,,,,,,,चलो आओ”,कहते हुए गुप्ता जी लवली की बांह पकड़कर उसे अपने साथ ले गए
बेचारा लवली उन्हें ना भी नहीं बोल पाया , न उसे ये पता था कि ये गोलू के पिताजी है , उनके साथ चलते हुए लवली ने बचने के लिए बहाना बनाते हुए कहा,”अरे हमने सुबह से कुछ खाया भी नहीं है,,,,,,,!!”
“अरे घर चलो मस्त बढ़िया नाश्ता करवाते है तुम को,,,,,,,ल्यो इह पकड़ो”,कहते हुए गुप्ता जी ने सब्जियों और राशन से भरे दो थैले लवली को थमा दिए जो कि भारी तो थे। साथ ही एक बड़ा थैला और एक छोटी थैली खुद उठा ली और लवली से चलने को कहा। मरता क्या ना करता लवली गुप्ता जी के साथ चल पड़ा। दोनों चौराहे से साइड में आये और गुप्ता जी ने कहा,”उह कहा है ?”
“कौन ?”,लवली ने हैरानी से कहा
“अरे तुम्हायी फटफटिया,,,,,,!!”,गुप्ता जी ने कहा
“उह्ह सर्विस पर दी है,,,, हमहू ऑटो रुकवा देते है आपके लिए उसमे सारा सामान चला जाएगा”,लवली ने गुप्ता जी से पीछा छुड़ाने के लिए कहा
“ऑटो से नहीं जाएंगे , 11 नंबर से जायेंगे”,गुप्ता जी ने कहा
“11 नंबर से ?”,लवली ने पूछा
“अरे 11 नंबर मने पैरो से , भगवान् ने जे पैर का सिर्फ दुसरो के कामों में टाँग अड़ाने के लिए थोड़ी दिए है,,,,,,,,,,चलो आओ”,कहकर गुप्ता जी बांयी तरफ बढ़ गए और लवली हैरान परेशान सा दांयी ओर , गुप्ता जी ने देखा तो चिल्लाये,”अबे हुआ कहा जा रहे हो घर का रास्ता भूल गए हो का ?”
लवली ने रोनी सी सूरत बनायीं और पलटकर गुप्ता जी के साथ चल पड़ा।
दो दो थेलो का बोझा उठाते हुए लवली गुप्ता जी के साथ चल रहा था उसे खामोश देखकर गुप्ता जी ने कहा,”अरे गुड्डू ! माना तुम्हायी ददिया गुजर गयी पर इत्ता भी का दुखी होना भाई कि कुछो बोल ही नाही रहे”
लवली ने सुना तो वह समझ गया कि साथ चल रहा आदमी गुड्डू का कोई करीबी है तभी तो वह इतने हक़ से लवली को गुड्डू समझकर अपने साथ ले आया। अब लवली को गुड्डू बनने का नाटक करना था इसलिए कहा,”जे इत्ता राशन और सब्जिया एक साथ काहे ? का पुरे मोहल्ले को खाना आपके घर पर बनता है”
गुप्ता जी ने पलटकर लवली को देखा और कहा,”घर मा मातम का माहौल है पर जे बकैती नाही छूट रही तुम्हायी , अरे जे सब उसके लिए लाये है , उह्ह्ह है ना हमरी मेहरारू का फूफा,,,,,,,,मंगल फूफा , साला नाम मंगल है पर जब भी आता है हमायी अच्छी खासी जिंदगी मा दंगल करके जाता है,,,,,,,,,,उसी के लिए लाये है जे सब , आज शाम मा आने वाले है उह्ह तो घर मा छप्पन भोग बनेगा ना ,,, साला हमे आज तक 4 भोग बना के ना खिलाई गोलुआ की अम्मा”
गुप्ता जी के मुंह से गोलुआ की अम्मा सुनकर लवली को समझ आया कि जिसके साथ वह चल रहा है वह कोई और नहीं बल्कि गोलू के पिताजी गज्जू गुप्ता है उसने खुश होकर कहा,”आप गोलू के पिताजी है ?”
गुप्ता जी एक तो पहले ही मंगल फूफा के आने की बात से परेशान थे जब लवली के मुंह से ये सुना तो कहा,”नाही हमहू गोलू की अम्मा है , साड़ी बिलाउज सूखा नहीं था इहलीये धोती कुर्ता पहिनकर आ गए , अभी घर जाकर चुन्नी डाल लेंगे सर पर,,,,,,,,,,,!!”
लवली ने सुना तो हैरानी से कहा,”हैं ?”
“अबे है का ? लंगोट में हँगते थे न बेटा तब से हमको देखते आ रहे हो का हमको नाही पहिचानते ? कोनो दूसरा बाप भी रखे है का गोलू बाहिर ?”,गुप्ता जी ने झिड़कते हुए कहा
“अरे नाही कैसी बाते कर रहे है आप ? आप चलिए ना”,लवली ने अपनी जान छुड़ाते हुए कहा क्योकि गोलू के पिताजी उसे गोलू से भी ज्यादा बकैत लगे
गुप्ता जी चल पड़े और लवली उनके पीछे पीछे चल पड़ा उनसे कुछ पूछने की हिम्मत लवली में नहीं थी। लवली डरते डरते गोलू के घर आया लेकिन वह जानता था गोलू गुड्डू के घर है। उसने सामान आँगन में रखा और कहा,”ठीक है अब हमहू चलते है”
“चलते है ? कहा चलते है ? अरे बइठो यार चाय नाश्ता मंगवाते है अभी तुम्हाये लिए,,,,,,,बइठो बइठो”,गुप्ता जी ने कहा
गुप्ता जी रसोई की तरफ मुंह करके बोले,”अरी सुनती हो , ए गोलू की अम्मा , गुड्डू आया है ज़रा चाय नाश्ता भिजवाय दयो”
लवली जैसे ही बैठने को हुआ रसोई के अंदर से प्लेट और गुप्ताइन की आवाज एक साथ आयी,”तो हिया काहे आये हो जाओ ना हुआ अपनी फुलवारी के पास , वही जाकर पीओ चाय और खाओ पकवान”
प्लेट आकर सीधा गुप्ता जी के माथे पर लगी , लवली बैठते बैठते रह गया और हैरानी से गुप्ता जी की ओर देखा तो उन्होंने झेंपते हुए कहा,”अरे कुछो नाही लगता है पिलेट हवा से उड़कर आ गयी”
“पर वो किसी फुलवारी के बारे में कह रही है,,,,,,,,,!!”,लवली ने कहा
“जे साले गुडडुआ को पता चला कि हमाओ चक्कर फुलवारी के साथ चल रहो है कि ग़लतफ़हमी गुप्ताइन को है तो जे सालों पुरे कानपूर मा हमायी छीछा लेदर करवाय देगो , नाही नाही नाही जे हम ना होय दे”,खुद में बड़बड़ाते हुए गुप्ता जी लवली के पास आये और उसके कंधो पर अपनी बांह रखकर उसे बाहर लाते हुए कहा,”फुलवारी ?
अरे फूलों की क्यारी कहा होगा , उह्ह का है ना पिछले हफ्ते ही अपने मायके से फूलो वाले पौधे लायी रही तो अब कोई भी आता है न घर मा तो सबको वही बैठने को कहती है देखो,,,,,,,,,,,!!”
गुप्ता जी ने सीढ़ियों के पास बने छोटे से गार्डन की तरफ इशारा करके कहा जहा कुछ पौधे लगे थे। घास फुस और गीली मिटटी देखकर लवली ने कहा,”हम यही बैठ जाते है,,,,,,,!!”
गुप्ता जी कुछ कहते इस से पहिले रसोई से कमरे की ओर जाती गुप्ताइन ने कहा,”ओह्ह्ह तो अपनी वकालत के लिए जे गुडडुआ को लेकर आये हो,,,,,,,पर एक बात हमायी कान खोल के सुन ल्यो गोलुआ के पिताजी आप चाहे गुड्डू को लेकर आओ चाहे पुरे कानपूर को फैसला तो आज होकर रही है ,, इह घर मा या तो हम रहे है या फुलवारी,,,,,,,,,,!!”
“अरे गुड्डू तुम कब आये ?”,अपने कमरे से बाहर आती पिंकी ने लवली को देखकर कहा
“ओह्ह्ह का आये 26 साल हो चुके तुमहू हमाये साथ आओ”,कहते हुए गुप्ताइन पिंकी को अपने साथ ले गयी। लवली बेचारा तो कुछ समझ भी नहीं पा रहा था कि यहाँ हो क्या रहा है ? ना वहा से निकल पा रहा था। गुप्ता जी ने लवली से वही रुकने को कहा और खुद उसके लिए चाय बनाने चले गए। लवली ने भागने का सोचा लेकिन जैसे ही जाने को हुआ गुप्ता जी ने चाय लेकर हाजिर थे। मज़बूरी में लवली को बैठना पड़ा। गुप्ता जी ने ट्रे लवली के सामने रखी तो लवली ने देखा ट्रे में 2 चाय और 4 पार्लेजी बिस्कुट थे।
“वो नाश्ते में फिलहाल यही था , तुमहू चाय ल्यो”,गुप्ता जी ने झेंपते हुए कहा
लवली ने चाय का कप उठाया और जैसे ही एक घूंठ भरा उसका मुंह बन गया। चाय तो बेकार बनी ही थी ऊपर से उसमे शक्कर भी नहीं थी। लवली को मुंह बनाते देखकर गुप्ता जी ने कहा,”का हुआ ?”
लवली ने गुप्ता जी की तरफ देखा और कहा,”शक्कर नहीं है इह मा”
गुप्ता जी ने बिस्कुट उठाकर लवली की तरफ बढाकर कहा,”हहहहए डालना भूल गए होंगे , एक काम करो पहिले इह बिस्कुट खाय ल्यो बाद मा ऊपर से चाय पी ल्यो तो मीठी मीठी लगी है”
लवली ने बेचारगी से गुप्ता जी को देखा उसे समझ आ गया कि गोलू इतना बकैत क्यों है ? जब खेत गुप्ता जी जैसा हो तो फसल तो गोलू जैसी ही होगी ना”
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संजना किरोड़ीवाल

