Manmarjiyan Season 3 – 57

Manmarjiyan Season 3 – 57

Manmarjiyan - Season 3
Manmarjiyan – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

लवली के चक्कर में पहले गोलू ने गुड्डू को पीट दिया और फिर उसी लवली के चक्कर में गुड्डू ने गोलू की धुलाई कर दी। शगुन से थप्पड़ खाया सो अलग और भुआ भी गोलू से चिढ गयी। इतना सब होने के बाद भी गोलू में कोई सुधार नहीं था , गुड्डू को शोरूम भेजने से पहले गोलू ने उसके गाल पर काला टीका लगा दिया और ऊपर से कोड वर्ड भी बताया जो की कोड वर्ड कम और पिंकी के पापा के लिए गोलू की खुन्नस ज्यादा थी।

गोलू को बकैती करते देख गुड्डू अपनी बाइक लेकर वहा से चला गया और गोलू सीढ़ियों पर आ बैठा। गोलू ने नीचे पड़े छोटे छोटे कंकड़ों को उठाया और उन्हें उछालते पकड़ते बड़बड़ाने लगा
“जे साला गुड्डू भैया का हमशक्ल तो बहुते चंट चालाक लोमड़ निकला , अगर हमरे जैसा अक्लमंद , बुद्धिमान , होशियार आदमी ओह्ह की बातो मा सकता है तो साला मिश्रा जी घंटा पहिचान पाएंगे ओह्ह का कि उह्ह गुड्डू भैया है कि कोनो हमशक्ल,,,,,,,,,,

जे तो अच्छा हुआ शगुन भाभी को पता चल गवा वरना अब तक तो गुड्डू भैया स्वर्ग सिधार गए होते,,,,,,,,,,,पर गुड्डू भैया के जे हमशक्ल का कुछो करना पडेगा,,,,,,,,,भक्क साला करेंगे तो तब न जब हमको ओह्ह के बारे में कुछो पता होगा , हमको तो ओह्ह का नाम तक नाही पता , कौन है कहा से आया है काहे आया है कुछ भी तो नाही पता,,,,,,,,,,,,,!!”


बड़बड़ाते हुए गोलू ने हाथ में पकड़ा एक कंकड़ हवा में उछाला वह जाकर लगा पीछे आ रही भुआ के सर पर और भुआ ने सर पकड़कर रोते हुए कहा,”हाय रे मार डाला , कौन ससुर का नाती है जोन हमे पत्थर मारे रहे हाय रे , अरे घर से निकालना है तो सीधा कही दयो हमायी जान लेने पर काहे तुले हो सब के सब”
गोलू ने पलटकर देखा तो बचे हुए कंकड़ जल्दी से फेंके और भुआ के पास आकर कहा,”अरे भुआ का हुआ ? कौन पत्थर मार दिया तुमको ?”


“कौन का तुम्ही मारे होंगे , हमायी जान के दुश्मन जो बने हो तुमहू”,भुआ ने गोलू को घूरते हुए कहा
 “ए भुआ का कुछ भी बोलती हो , अरे हमहू तुमको मार सकते है का ?”,गोलू ने भुआ के बगल में बैठते हुए कहा
“भुआजी क्या हुआ आपको , आप ठीक तो है ना ?”,शगुन ने आकर भुआ को देखते हुए कहा तो भुआ ने शगुन का हाथ झटक दिया और कहा,”हाथ ना लगाना हमे जे सब तुम्हायी वजह से हो रहा है दुल्हिन”


भुआ का ये बर्ताव शगुन को बहुत बुरा लगा फिर भी उसने प्यार से कहा,”लेकिन मैंने क्या किया भुआजी ?”
“अरे जब से गुडडुआ से शादी की हो इह घर की मालकिन बनकर बैठ गयी हो , गुडडुआ तो गुडडुआ ओह्ह के पिताजी भी तुम्हाये कहे पर चलते है। अपनी मीठी मीठी बातो से घरवालों को तो अपने बस मा की सो की बाहिर वालो पर भी अपना ऐसा जादू चलाई हो कि ओह्ह सब भी लट्टू बने पीछे पीछे घूमते है तुम्हाये”,शगुन से कडवाहटभरे स्वर में कहते हुए भुआजी ने गोलू की तरफ देखा


गोलू समझ गया कि भुआ बहिरवाला उसे ही कह रही है तो वह उठा और तुनककर कहा,”ए भुआ अपनी जे रेलगाड़ी जैसी जबान को ना थोड़ा ब्रेक लगाओ,,,,,,,,हमहू बाहरवाले है , साला आज तक मिश्रा जी ने नाही कहा जे हमसे और तुमहू कुछ भी कह दे रही हो,,,,,,,,,और शगुन भाभी को का सुना रही हो तुम्हाये और तुम्हाये उह्ह्ह चांडाल फूफा के कारनामे बताएँगे ना तो मुँह छुपाने को ना मिश्राइन की साड़ी का पल्लू मिले है ना ही मिश्रा जी का रुमाल,,,,,,,

साला जब देखो तब मुंह उठा के कुछ भी बोल दो और हमहू सुन ले अरे मजाक है का ? और साला मजाक तो जिंदगी तुम्हाये साथ की है भुआ अम्मा भी गयी , बक्सा भी गवा और फूफा भी वापस लौटेगा कि नाही इह की कोनो गारंटी नाही है”
“का कोमलिया के पिताजी वापस काहे नाही लौटेंगे ? अरे ए गोलूआ कहा भेजे हो ओह्ह का , भैया के साथ बनारस ही गए थे ना कि कही और का टिकट कटा दिए ?”,भुआ ने गोलू की और देखकर कहा


“काश के पिताजी के कहने पर ओह्ह दिन रेलवे का फार्म भर दिए होते तो आज फूफा का ऐसा टिकट काटते कि जिंदगीभर रेल मा ही घूमते रहते,,,,,,,,,,,,अरे तुमहू का अपने चांडाल चंट चुगलखोर लड़ाकू फूफा की साइड ले रही हो ? तुम्हायी सगी अम्मा की बैठक मा कित्ता ड्रामा किये रहए जे नाही देखी ,, अरे साला कैसी बिटिया हो तुमहू भुआ ? तुम्हायी जगह हम होते न तो फाड् देते फूफा को भी और ओह्ह की,,,,,,,,,,,,,,,,खैर जाने दो तुम्हाये सामने का ही कहे,,,,,,!!”,गोलू ने अफ़सोस के साथ कहा


“गोलू जी ! ये क्या बकवास कर रहे है आप ?”,शगुन ने कहा और भुआ के पास आकर कहा,”भुआ जी आप आईये , यहाँ बैठिये दिखाईये मुझे कहा लगी ?”
गोलू की कही आखरी बातो का भुआ पर ऐसा असर हुआ कि भुआ कुछ देर के लिए खामोश हो गयी

शगुन ने उन्हें मिश्रा जी के तख्ते पर बैठाया और सामने से आती कोमल से कहा,”कोमल , माजी के कमरे से फर्स्ट ऐड बॉक्स लेकर आना ज़रा”
“अभी लाते है भाभी,,,,,,,,,,,!!”,कोमल ने कहा और कुछ देर बाद दवा का डिब्बा लेकर शगुन के पास चली आयी। शगुन ने देखा भुआ के ललाट पर हलकी सी लगी थी लेकिन खुन दिखने लगा था उसने रुई पर दवा लेकर चोट को साफ किया और बेंडेज लगाकर कहा,”भगवान का शुक्र है कि ज्यादा नहीं लगी बस हलकी सी खरोच है भुआजी ठीक हो जाएगी,,,,,,,,अगर आपको ज्यादा दर्द हो रहा है तो मैं आपको दवा दे देती हूँ”


कोमल भी भुआ के बगल में आ बैठी , शगुन की बात सुनकर गोलू ने कहा,”देखा ! इह होती है औरत , अभी तुमहू कित्ता कुछ सुनाई शगुन भाभी को और जे एक शब्द ना बोलकर तुम्हायी दवा पट्टी कर दी,,,,,,,,अरे अभी भी बख्त है भुआ , इह जोन आँखों पर  फूफा नाम की पट्टी बांध रखी हो ना उह्ह उतार दयो वरना फूफा खुद तो डूबे है साथ मा जे घर मा तुम्हायी भी छीछा लेदर करवा देइ है,,,,,,,,!!”


गोलू की बाते पहली बार भुआ के दिल को ना लगकर सीधा दिमाग को लग रही थी। शगुन ने देखा गोलू बेचारी भुआ को कुछ ज्यादा ही सुना रहा है तो उसने कहा,”गोलू जी अब बस कीजिये , भुआजी ने जो कहा मुझे बुरा नहीं लगा वैसे भी आप सब की तरह ये भी इस घर की सदस्य है और मुझसे बड़ी भी है तो ये मुझस दो बात कह सकती है,,,,,,!!”


“अरे भाभी हमहू कहा कुछो कह रहे है , उह्ह तो जब आपके बारे मा गलत सुने न तो बर्दास्त नाही हुआ हमसे , अरे कोई इह घर मा हमको बिना गलती थप्पड़ मारे तो हमहू खा लेंगे लेकिन आपके बारे मा कोई गलत बोले तो नाही सुन सकते,,,,,,,अरे सुरु से देखते आ रहे है आपको हमहू नाही जानते का आप कैसी है ?”,गोलू ने बुझे स्वर में कहा
भुआ को अपनी गलती का अहसास हुआ , उन्होंने गोलू का गुस्सा शगुन पर उतारा और गुस्से में उसे गलत बोल दिया।  

भुआ ने शगुन को देखा और कहा,”हमका माफ़ कर देना शगुन हमहू तुमसे कुछो जियादा ही गलत बोल गए,,,,,,,,!!”
“आपको माफ़ी मांगने की जरूरत नहीं है भुआजी , आपको आपकी गलती का अहसास यही काफी है,,,,,मैं आपके लिए चाय लेकर आती हूँ,,,,,,,,गोलू जी आप चाय लेंगे ?”,शगुन ने पूछा


“ले लेंगे थोड़ा जहर हो तो उह्ह भी डाल देना ओह्ह मा , अपनों की जहरीली बातो से तो अच्छा ही स्वाद होगा ओह्ह का,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गोलू ने भुआ की तरफ देखा तो भुआ ने नजरे घुमा ली
“क्या गोलू जी आप भी , मैं चाय लेकर आती हूँ”,शगुन ने कहा और वहा से चली गयी।

भुआ को अपने किये पर शर्मिंदा देखकर गोलू ने सोचा कि लोहा गर्म है हथोड़ा मार देना चाहिए , लेकिन साथ ही उसने देखा कि कोमल भी वहा है तो उसने कहा,”ए कोमलिया तुमहू हिया का कर रही हो ? जाओ हुआ किचन मा जाकर भाभी की मदद करो , हमहू सुने रहे जौनपुर मा कुकिंग क्लास की हो,,,,,,,,!!”
“हाँ तो का आपके लिए किये है ?”,कोमल ने आँखे मटकाते हुए कहा


“पूरा बाप पर गयी हो,,,,,,चलो अब जाओ हमका भुआ से थोड़ा पिराईवेट बात करनी है”,गोलू ने हाथो की उंगलियों को फँसाते हुए कहा
कोमल मुंह बनाकर वहा से चली गयी और भुआ का हाथ आकर पड़ा गोलू के गाल पर और गोलू ने भड़ककर कहा,”अब हमहू का किये ? का बात भी नाही कर सकते ? अरे मना करना है तो मुंह से करो ना जे बात बात मा हमाओ बाप काहे बन जाती हो ?”


“बात करना गलत नाही है पर जे कैसे इशारे है ?”,भुआ ने भी गोलू की तरह हाथो की उंगलियों को फंसाकर कहा तो गोलू को समझ आया कि उसकी बात तो सही थी बस इशारा गलत था। वह कुछ कहता इस से पहले ही भुआ बोल पड़ी,”हमहू कबो सोचे नाही थे गोलू तुमहू इत्ते अश्लील हो , अरे शादी हो गयी तुम्हायी , घर मा इत्ती सुन्दर मेहरारू है और तुमहू हमाये सामने जे गंदे गंदे इशारे कर रहे हो,,,,,,,,चप्पल लेकर सूत देंगे अभी”

“अरे मा कसम भुआ हमहू कोनो गलत इशारा नाही किये , एक तो साला टेंशन इत्ती है कि मुंह से निकले शब्द और इशारो का कोनो मैच ही नाही,,,,,,,,अच्छा छोडो जे सब हमायी बात सुनो,,,,,,,,,हमहू अभी जो कहे ओह्ह्ह सब का बुरा लगा का तुम्हे ?”,गोलू ने कहा


भुआ ने गोलू को घूरकर देखा तो गोलू ने थोड़ा और प्यार भरे स्वर में कहा,”अरे कसम से भुआ उह गुस्से गुस्से मा बोल दिए , बाकि दिल से नाही बोले कुछो भी ,, अरे जितना गुड्डू भैया तुमको अपना मानते है ना ओह्ह से 100-150 ग्राम ज्यादा ही सगी हो तुमहू हमायी,,,,,,,,,,पर साला हमे ना बहुते दुःख होता है जब उह फूफा की वजह हमहू तुमको परेशान देखते है,,,,,,,,याद है आज से पहिले कैसे ठाठ से आती थी तुमहू कानपूर जे घर मा , सब कित्ता प्यार से पेश आते थे ,

आगे पीछे घूमते थे , भुआ भुआ कहते तुम्हाये पीछे घूमते साला टाँगे थक जाती थी पर जबान नाही थकती थी और अब , अब साला जे फूफा के चक्कर मा तुमहू अपने ही भाई भाभी की दुश्मन बन बैठी हो , एक बक्से के लिए तुमहू सबके सामने ओह्ह की छीछा लेदर कर दी , अरे ज़रा सोचो अम्मा के जाने के बाद इह घर मा कौन है जो तुम्हायी जोन हरकतों के बाद तुमको याद करे है।

फूफा का का है उह्ह तो तुमको आगे कर दिए ताकि तुमहू बुरी बन जाओ सबकी नजरो मा और फूफा भले,,,,,,,हम सच कह रहे है भुआ जे फूफा ने ना तुम्हाये कांधे पर रखकर बन्दुक चलाई है,,,,,,!!”
गोलू की बाते भुआ के जहन में उतर गयी और उन्होंने उदास होकर कहा,”तुमहू ठीक कह रहे हो गोलू उनकी बातो मा आकर हमहू भैया भाभी को कित्ता दुःख पहुंचाए , गुड्डू का दिल दुखाये , शगुन को बुरा भला कहा और तुम पर तो हाथ तक उठा दिए,,,,,,,हमसे बहुते बड़ी गलती हो गयी”


कहते कहते भुआ रो पड़ी , गोलू ने उन्हें साइड से गले लगाया , अरे गले क्या उनकी गर्दन दबोचा और मुँह बंद करते हुए कहा,”अरे का जे बात बात पर रोना चालू कर देती हो , आँखे है कि मुंसीपालिटी का नल जब देखो तब चालू ही रहता है,,,,,,,,,अरे चुप हो जाओ देवी,,,,,,,,,,!!”

गोलू की बाते सुनकर भुआ चुप हो गयी लेकिन रोने की वजह से उनकी नाक बहने लगी तो उन्होंने गोलू के शर्ट की बाजु से ही अपनी नाक पोछ ली और कहा,”सच बता रहे है गोलू एक तुम्ही हो जो हमाओ दुःख दर्द समझे हो , पिछले जन्म के कोनो बेटा रहे होंगे तुमहू हमाये जो इह जन्म मा कर्ज उतार रहे हो”
“अच्छा हुआ बेटा कही पति कहती तो सन्यास ले ले लेते हम,,,,,,,!!”,गोलू बड़बड़ाया और नजर जब अपनी बाजू पर डाली तो देखा भुआ अब तक वहा अपने नाक का बहुत सा पानी जमा कर चुकी है।

गोलू ने बुरा सा मुंह बनाया और कहा,”तुमहाओ दुःख तो बहुते चिपचिपो लाग रओ भुआ,,,,,,,,!!”
भुआ ने सुना तो अगली बार अपनी साड़ी के पल्लू से ना पोछ लिया।
गोलू चाय का इंतजार कर ही रहा था कि उसके जहन में फिर गुड्डू के हमशक्ल का ख्याल आया और उसने भुआ की तरफ पलटकर कहा,”ए भुआ तुमहू मिश्रा जी से बड़ी हो ना ?”
“हाँ पुरे दुई साल बड़े है ओह्ह से”,भुआ ने कहा


“फिर तो तुमहू बच्चपन से लेकर जवानी तक मिश्रा जी के साथ रही होगी , हमारा मतलब ओह्ह के बारे मा सब जानत रही होगी”,गोलू ने पूछा
“हाँ पर तुमहू जे काहे पूछ रहे हो ?”,भुआ ने कहा
“हमका एक ठो बात बताओ जवानी मा मिश्रा जी का कोनो मेटर था का किसी के साथ हमाओ मतलब किसी से पिरेम मोहब्बत और बाद मा सादी मिश्राइन से हो गयी हो,,,,,,,,,!!”,गोलू ने पूछा  


“का बकवास कर रहे हो गोलू ? अरे हमाओ भाई तो गाय है गाय , जवानी मा पिरेम तो दूर की बात है कोनो लड़की की तरफ आँख उठाकर नाही देखते थे। अरे ओह्ह का अपने काम से ही फुर्सत नाही थी,,,,,,,,,!”,भुआ जी ने कहा
“तो फिर कोनो यार दोस्त , कोनो खास दोस्त कानपूर के अंदर बाहर कोई तो रहे होंगे , जैसे हम और गुड्डू भैया है”,गोलू ने कहा उसके दिमाग में इस वक्त क्या खिचड़ी पक रही थी ये तो वही जानता था

“यार दोस्त का गोलू जे समझो पूरा कानपूर हमाये भैया से खौफ खाता था , हां जिगरी दोस्त तो भैया , तुम्हाये पिताजी उह्ह्ह का नाम है ओह्ह का हाँ गजजुआ और एक ओह्ह्ह शर्मा जे तीन रहे , अरे जे समझ ल्यो की शाम की चाय तीनो साथ ही पीवत रहे जवानी मा फिर सबका ब्याह हो गवा तो सब अपनी अपनी ग्रहस्थी मा व्यस्त हो गए,,,,,,,,,,पर तुमहू आज अचानक जे सब काहे पूछ रहे हो ?”,भुआ ने कहा


“उह्ह्ह का है ना मिश्रा जी के इत्ते अहसान रहे है हम पर कि हमहू सोच रहे है मिश्रा जी पर एक ठो किताब लिखे”,गोलू ने कहा
“अरे वाह का नाम रखे हो किताब का गोलू ?”,भुआ ने खुश होकर कहा
गोलू ने भुआ को देखा और कहा,”भुआ तुम्हाये पियार मा फूफा घूमे ब्रह्माण्ड और मिश्रा जी के चक्कर में गोलू बन गवा भांड”


“जे कैसो नाम रखो है ?”,भुआ ने मुंह बनाकर कहा
“अरे जे छोडो हमका इह बताओ हमको अगर मिश्रा जी के अंदर की बात जाननी हो तो कौन बताएगा ?”,गोलू ने पूछा
“जे तो दो ही आदमी बता सकते है गज्जू गुप्ता या फिर शर्मा जी”,भुआ ने कहा
“इसकी भैंस का,,,,,,,,साला गज्जू गुप्ता से कुछो पूछने का मतलब है शेर के मुंह मा हाथ डालना,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
“तो फिर शर्मा से पूछ लो”,भुआ ने कहा


शर्मा जो कि पिंकी के पिताजी थे और गोलू के ससुर जिनसे गोलू की बनती नहीं थी और जब से शर्मा जी ने गोलू को पागलखाने भेजा था तब से तो गोलू का पुरे कानपूर में इकलौते दुश्मन शर्मा जी ही थे
भुआ ने जैसे ही शर्मा जी का नाम लिया गोलू के भरे हुए जख्म फिर से ताजा हो गए और उसने उठकर जाते हुए कहा,”शर्मा से पूछे हमायी जुत्ती”

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संजना किरोड़ीवाल  

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