Manmarjiyan Season 3 – 55
Manmarjiyan Season 3 – 55

लवली की बातों में आकर गोलू ने बेचारे गुड्डू को ही मारपीट कर अम्मा के कमरे में बंद कर दिया और एक बार फिर वह लवली से ही सलाह मांग रहा था कि आगे क्या करना है ?
लवली ने गोलू की तरफ देखा और कहा,”भुआ को पटाओ”
“छी छी कैसी बाते कर रहे हो गुड्डू भैया , का इत्ता गिरा हुआ समझ लिए हो का हमे ? अरे दिमाग से ढीले है लंगोट के नाही,,,,,,,,माना के भुआ से मस्ती मजाक कर लेते है पर जे का मतलब इह नाही कि कही भी बिछ जायेंगे,,,,,,,,,,अरे हाट ! हमहू नाही करेंगे ऐसा कुछो,,,,,,,पिंकिया को पता चला ना तो ऑन द स्पॉट डायवोर्स दे देगी हमे और फूफा को पता चला ना तो उह्ह हमें भट्टी मा भूंझ के दारू के साथ चखना समझ के खा जायेंगे,,,,,,,चाहो तो हमे चार चाँटे मार लो गुड्डू भैया लेकिन भुआ को हमहू नाही पटाये है,,,,,,,,,,का कि भुआ से चक्कर मौत से टक्कर,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने कहा
लवली ने सुना तो अपना खुजाने लगा और फिर गोलू को अपनी चार उंगलिया एक साथ दिखाकर दबी आवाज में गुस्से से कहा,”बचपन मा सर के बल गिर गए थे का गोलू ? मतलब तुमहू सीधी बात का इत्ता उलटा मतलब काहे निकाल लेते हो ? भुआ को पटाओ से हमाये कहने का मतलब है कि भुआ को अपनी साइड करना है और जितनी जल्दी हो जे घर से भगाना है”
लवली की बात सुनकर गोलू के दिमाग की बत्ती जली और उसने कहा,”अरे यार गुड्डू भैया ! साला जे तो हमहू भूल ही गए भुआ को भी तो अपनी साइड करना है,,,,,,,,,अरे जे आपके हमशक्ल के चक्कर मा साला सब भूले जा रहे थे,,,,,,,हाँ हमहू पटायेंगे , भुआ को पटायेंगे , अपनी साइड करेंगे और फिर अपनी स्कूटी पे बैठाके खुद ही स्टेशन छोड़कर आएंगे उह्ह भी टिकट के साथ,,,,,,,,,!!”
“तो फिर हिया का कर रहे हो जाकर देखो भुआ अब कौनसी खिचड़ी पका रही है ?”,लवली ने कहा
“का ? भुआ खिचड़ी पका रही है और हमे बताया तक नहीं,,,,,,,,जे आपकी भुआ ना गुड्डू भैया सच में बहुते सेल्फिश औरत है”,गोलू ने कहा
लवली का मन तो किया जाकर किसी खम्बे पर अपना सर मार ले लेकिन बेचारा क्या ही कर सकता था ? अगर उसे पता होता गुड्डू के घर में ये नमूना भी मिलेगा तो गुड्डू से पहले गोलू को ही ठिकाने लगाता।
लवली को सोच में डूबा देखकर गोलू ने कहा,”गुड्डू भैया ! का लगता है आपको ? खिचड़ी प्लेन बनी होगी कि मसाले वाली , मसाले वाली बन जाए तो मजा आ जाये नई,,,,,,,,,,!!”
“तुमहू चलकर दुइ पिलेट मा खिचड़ी निकालो हमहू हाथ मुंह धोकर आते है”,लवली ने गोलू को वहा से भेजते हुए कहा और खुद कमरे की तरफ चला गया
मसाला खिचड़ी के बारे में सोचते हुए गोलू सीढिया चढ़कर नीचे आया कि उसके दिमाग में ख्याल आया और गोलू बड़बड़ाया,”लयो गुड्डू भैया से जे पूछना तो भूल ही गए कि उह्ह खिचड़ी पापड़ के साथ खाएंगे या मट्ठा के साथ ?” इसी ख्याल के साथ गोलू वापस ऊपर चला गया।
गोलू के साथ मिलकर भुआ ने भी गड़बड़ कर दी और बेचारी इसमें इतना थक गयी कि रसोई की तरफ चली आयी। अंदर आकर देखा सुबह की चाय के अलावा अभी तक कुछ नहीं बना था। भूख से भुआ का पेट कुलबुलाने लगा। भुआ ने देखा शगुन वहा थी नहीं और बाकि रिश्तेदार भी अपने अपने घर जा चुके थे बस एक दो बचे थे और उनसे भुआ भला घर में खाना बनाने को कैसे कहती ?
भुआ अंदर आयी कुकर उठाया और उसमे तेल का तड़का लगाकर कुछ सब्जियों को भूनकर , मिर्च मसाले के साथ धुले हुए दाल चावल डालकर ढक्कन बंद कर दिया और सिटी बजने का इन्तजार करने लगी।
गोलू ऊपर आया और गुड्डू अंदर ही होगा सोचकर वह सीधा कमरे में आया और कहा,”अरे यार गुड्डू भैया ! आपने जे तो बताया ही नहीं कि खिचड़ी के साथ साथ में मट्ठा लोगे या पापड़ ? गुड्डू भैया , ए गुड्डू भैया , अरे अभी तो यही थे कहा चले गए ? गुड्डू भैया,,,,,,,,,,!!”
गोलू ने देखा गुड्डू कमरे में नहीं है , वह जैसे ही जाने के लिए मुड़ा लेकिन नजर एकदम से कबर्ड पर चली गयी जिसके दरवाजे बंद थे लेकिन कपडे आधे बाहर आधे अंदर थे , यानि दोनों दरवाजो के बीच फंसे हुए थे
“जे गुड्डू भैया भी ना , इत्ते बड़े हो गए है अभी तक कपडे नाही रखने आये है इनका अलमारी मा , अरे शगुन भाभी अकेली बेचारी कित्ता काम करी है ?”,कहते हुए गोलू ने जैसे ही कबर्ड के दरवाजे खोले अंदर रखे दूसरे कपडे भी उस पर आ गिरे गोलू ने जैसे ही सामने देखा उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी। उसके सामने कबर्ड में शगुन थी जिसके मुंह पर कपड़ा बंधा था और हाथ पैर भी बंधे थे
“अरे भाभी ! आप हिया का कर रही है ?”,कहते हुए गोलू ने शगुन को बाहर निकाला और उसके हाथ पैर खोले शगुन ने अपने मुंह पर बंधी पटी हटाई और कहा,”गोलू जी जिन्हे हम गुड्डू जी समझ रहे थे वो गुड्डू जी नहीं है वो उनके हमशकल है,,,,,,नीचे गुड्डू जी ही थे और हमने उन्हें हमशक्ल समझ लिया”
“का कह रही हो भाभी ?”,गोलू ने सुना तो उसके पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गयी।
“हाँ गोलू जी मैं सच कह रही हूँ , आपके जाने के बाद जब मैंने नकली गुड्डू जी से कुछ बात की तो उनका बर्ताव मुझे अजीब लगा। मैं जैसे ही कमरे से बाहर जाने लगी तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर रोक लिया,,,,,,,,,,गोलू जी मैं गुड्डू जी की छुअन पहचानती हूँ इसलिए जब उसने मेरा हाथ पकड़ा तो मुझे शक हुआ , मैं चिल्लाती या किसी को मदद के लिए बुलाती इस से पहले उस बदमाश ने मेरे हाथ पैर बांधकर मुझे कबर्ड में बंद कर दिया,,,,,,,,,,,,गोलू जी गुड्डू जी कहा है ?”,शगुन ने घबराहट भरे स्वर में कहा
“गुड्डू भैया तो नीचे अम्मा के कमरे में बंद है,,,,,,,,,,!!”,गोलू ने भी घबराहट भरे स्वर में कहा
“गुड्डू जी को कुछ हो उस से पहले उन्हें वहा से निकालना होगा,,,,,,,,चलिए”,शगुन ने कमरे से बाहर जाते हुए कहा
“हमका माफ़ कर दयो भाभी ! हम गुड्डू भैया को पहिचानने मा इत्ती बड़ी गलती कैसे कर दिए ? पर उह्ह साला बहरूपिया गुड्डू की ऐसी एक्टिंग किया कि हमहू खुद ओह्ह को गुड्डू भैया समझ लिए.,,,,,,,!!”,गोलू ने शगुन के साथ नीचे आते हुए कहा
शगुन ने आकर अम्मा के कमरे का दरवाजा खोला और अंदर आकर लाइट चालू की। गुड्डू बेहोश फर्श पर पड़ा था शगुन भागकर गुड्डू के पास आयी और उसे सम्हालते हुए कहा,”गुड्डू जी , गुड्डू जी , आँखे खोलिये,,,,,,,,,,,,गोलू जी ये कुछ बोल क्यों नहीं रहे ?”
गोलू ने देखा गुड्डू के शरीर में कोई हलचल नहीं हो रही तो वही शगुन के बगल में बैठकर छाती पीटते हुए कहा,”ए गुड्डू भैया,,,,,,,,,,हमका छोड़कर कहा चले गए रे ?”
“गोलू जी क्या कर रहे है आप ? गुड्डू जी,,,,,,,,,,!!”,शगुन ने कहना चाहा लेकिन गोलू ने उसे बोलने का मौका ही नहीं दिया और रोते हुए कहा,”अरे भाभी अब मिश्रा जी को का मुंह दिखाएंगे रे हमहु,,,,,,,,,हमायी वजह से गुड्डू भैया , हमने अपने ही दोस्त की जान ले ली,,,,,,,,,,,ए गुड्डू भैया”
गोलू कुछ सुनने को तैयार नहीं था तो शगुन ने खींचकर बगल में बैठे गोलू को एक चाँटा मारा और कहा,”गोलू जी ! जिन्दा ही ये , मरे नहीं है सिर्फ बेहोश हुए है”
शगुन के थप्पड़ से ही गोलू होश में आ गया। अब तक गोलू सबसे थप्पड़ खा चुका था एक शगुन बची थी उस से भी गोलू ने पंजीरी ले ही ली , वही अब तक गोलू अपने ओवररिएक्ट की वजह से फूफा , यादव जी और गुप्ता जी को तो मार ही चुका था और आज गुड्डू को भी लगभग मार ही दिया था। गोलू को चुप देखकर शगुन ने कहा,”अब देख क्या रहे है कुछ कीजिये”
“भाभी इन्हे खुली हवा मा लेकर चलते है,,,,,,,,,,,आओ हमायी मदद करो”,गोलू ने गुड्डू के हाथो को पकड़कर उसे उठाते हुए कहा
शगुन गुड्डू के एक तरफ आयी और उसकी बांह कंधे पर रखकर उसे सहारा दिया। दूसरी तरफ से गोलू ने गुड्डू को सम्हाल रखा था। दोनों उसे लेकर बाहर आये और मिश्रा जी के तख्ते पर लेटा दिया।
“गोलू जी पानी लेकर आईये,,,,,,,,!!”,शगुन ने परेशानी भरे स्वर में कहा
गोलू पानी लेने चला गया इतने में गुड्डू को थोड़ा थोड़ा होश आ चूका था जैसा ही उसने आँखे खोली शगुन को अपने पास देखकर जल्दी से उठा और कहा,”शगुन शगुन अच्छा हुआ तुमहू हिया हो , अरे यार ओहह गोलुआ भुआ के साथ मिल के हमे अम्मा के कमरा मा बंद कर दिये रहय। ओह से कित्ती बार कहे रहे कि हमहू गुड्डू है पर उह्ह हमरी एक ठो बात सुनने के लिए तैयार नाही थे। तुम तुम बताओ हम तुमको बहरूपिये लग रहे है का ?”
गोलू इतने में पानी लेकर आ चुका था लेकिन गुड्डू को होश में आया देखकर पानी खुद ही पी लिया और गुड्डू और शगुन की बात सुनने लगा।
शगुन ने गुड्डू के चेहरे को अपने हाथो में लेकर कहा,”गुड्डू जी मैं जानती हूँ आप ही असली गुड्डू जी है , वो गोलू जी उनसे गलती हो गयी , दरअसल आप जब यहाँ नीचे थे तब आप जैसा दूसरा इंसान ऊपर था और उसी ने गोलू जी और मुझसे कहा कि वो असली गुड्डू है। इसी गलतफहमी के चलते गोलू जी ने आपको अम्मा के कमरे में बंद कर दिया”
“कमरा मा बंद कर दिया ? अरे शगुन सिर्फ कमरे मा बंद नाहीं किया , उह्ह साला गोलुआ तो हमसे जैसे कोनो दुश्मनी निकाला है , अरे कोई अपने दुश्मन को भी इत्ता नाही मारता होगा जित्ता उह्ह गोलू हमको मारे है और रही सही कसर उह्ह भुआ ने पूरी कर दी हमाये ऊपर बैठ गयी , पता है साक्षात् यमराज के दर्शन करके आये है हमहू,,,,,,,,,,हम ना साला उह गोलू और भुआ को छोड़ेंगे नाही,,,,,,,,,!!”,गुड्डू ने सुबकते हुए कहा
गुड्डू की बाते सुनकर शगुन को बहुत दुःख हुआ उसने बगल में खड़े गोलू को देखा और कहा,”गोलू जी पानी”
“उह्ह पानी तो हमहू पी गए”,गोलू ने मासूमियत से कहा
शगुन ने गोलू को घूरकर देखा तो गोलू ने और भी मासूमियत से कहा,”हमहू पानी लेकर आये तक तक गुड्डू भैया को होश आ चुका था तो पानी हमहू पी लिए,,,,,,,उह्ह्ह हमका थोड़ी प्यास लगी थी”
“काहे हमाओ खून पी के प्यास न मिटी तुम्हरी ?”,गुड्डू ने गोलू को देखकर गुस्से से कहा
“अरे गुड्डू भैया हमहू समझाते है ना”,गोलू ने कहा
गुड्डू तख्ते से उठा और गोलू की तरफ आकर कहा,”का समझाओगे बे ? साले हमहू कहते रहे कि गोलू हमहू गुड्डू है , गुड्डू है पर नाही तब तो बहुते शाहरुख खान बन रहे थे,,,,,,,,,,एएएए किरण,,,,,,,,,हम्म्म्म”
“जे वाला डायलॉग नाही बोले थे गुड्डू भैया,,,,,,,,,!”,गोलू ने कहा
“गोलू मुद्दे से ना भटको तुमहू समझे , तुमहू तो ऐसे हमायी छाती पर चढ़े रहे जैसे हमाये नाम की सुपारी लेकर आये थे किसी से और खुद तो चढ़े सो चढ़े उह डेढ़ सो किलो की भुआ को और धर देइ हमायी छाती पर,,,,,,!! कहते हुए गुड्डू अपने गले की तरफ हाथ करके कहता है,”पता है हिया , हिया तक जान आ गयी थी हमायी उह्ह्ह तो केशव पंडित नही आते ना तो तुम और भुआ दोनों मिलके हमे डायरेक्ट बनारस भेजने का मन बनाय लिए थे,,,,,!!”
“अरे नाही नाही गुड्डू भैया”,गोलू ने खिंसियाकर कहा
“कहा नहीं नहीं बे ? और साले इत्ते थप्पड़ तो हमहू तुमको पूरी जिंदगी मा नाही मारे होंगे जित्ते तुमहू हमे एक दिन मा मार दिए,,,,,,,,साले सांप , सकुनी , बैल , भंड आदमी अपने ही गुड्डू भैया को नाही पहिचाने तुमहू ?”,गुड्डू ने गुस्से से कहा
“अरे तो और का करते हम,,,,,,,,,,,साला सब तरफ से सबने हमायी पूछ पकड़ रखी है। साला जैसे कोई ऑक्टोपस हो हमहू कि सब एक पूछ पकड़ ल्यो हमायी। उधर अम्मा से थप्पड़ खाओ , फिर गुप्ता जी से पीटो , हुआ साला यादववा बेहोश तो उसकी टेंशन , फिर साला ओह्ह की मेहरारू का अपने बाप के साथ चक्कर देखो , हिया आओ तो आपके उह्ह्ह बहरूपिये हमायी बत्ती बनाय दिए ओह्ह के चक्कर मा साला आपको पीट दिए , फिर जे भुआ को अपनी साइड रखने के लिए दिन मा 32 बार इह की तारीफ करो ,,
कही से भी माधुरी दीक्षित लगती है उह्ह,,,,,,,,,,,नहीं पर हमको कहना पड़ता है , कबो देखी है डेढ़ सो किलो की माधुरी दीक्षित ,, साला रातभर ड्रम मा भिगोकर रखो न माधुरी दीक्षित को तब भी ऐसी माधुरी नहीं मिलेगी,,,,,,,,,,माधुरी नहीं बहादुरी है फूफा की जो इनका ब्याहे,,,,,,,,इह घर मा बस पाव भर इज्जत बच्ची थी हमायी एक शगुन भाभी से थप्पड़ नाही खाये थे आज उह भी खा लिए,,,,,,,,,,हमको साला समझ नाही आ रहा आखिर हमायी गलती का है ?”,आखिर में गोलू ने चिल्लाते हुए कहा
गुड्डू शगुन सब चुप हो गए तो गोलू को थोड़ी और हिम्मत मिली वह साँस लेकर जैसे ही पलटा पीछे प्लेट में गोलू के लिए खिचड़ी लिए भुआ खड़ी थी। अब गोलू तो पहले ही भुआ के लिए इतने प्यारे प्यारे शब्द बोल चुका था। भुआ एकटक गोलू को ही देख रही थी तो गोलू ने कहा,”अरे वाह भुआ खिचड़ी , उह्ह भी मसाला खिचड़ी लाओ जल्दी दयो बहुते भूख लगी है।”
भुआ मुस्कुराई और कहा,”अरे नाही गोलू , आज तो हमहू तुमका अपने हाथो से खिलायेगे”
भुआ की बात सुनकर गोलू ने गुड्डू की तरफ गर्दन घुमाई और कहा,”देखा गुड्डू भैया ! इह होता है पियार , आपकी तरह नाही की जरा सी गलती हुई और चढ़ गए हमायी छाती पर,,,,,,हाँ भुआ,,,,!!”
गोलू गुड्डू से कहकर भुआ की तरफ पलटा तो भुआ ने खिचड़ी खिलाने के बजाय गोलू के मुंह पर ही फेंक दी और वहा से चली गयी।
गोलू का मुंह अब प्लेट बन चुका था जिस पर मसाला खिचड़ी नजर आ रही थी। गोलू गुड्डू की तरफ पलटा और गाल पर लगी खिचड़ी उंगलियों पर लेकर खायी और कहा,”नमक थोड़ा कम है”
गोलू का इतना कहना था कि नमक की छोटी डिब्बी आकर लगी उसके टकले पर और डिब्बी का नमक उछलकर गोलू के मुंह पर भी गिर गया तो गोलू ने मायूसी से कहा,”हाँ अब ठीक है”
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संजना किरोड़ीवाल


गोलू मुद्दे से ना भटको तुमहू समझे , तुमहू तो ऐसे हमायी छाती पर चढ़े रहे जैसे हमाये नाम की सुपारी लेकर आये थे किसी से और खुद तो चढ़े सो चढ़े उह डेढ़ सो किलो की भुआ को और धर देइ हमायी छाती पर,,,,,,!! कहते हुए गुड्डू अपने गले की तरफ हाथ करके कहता है,”पता है हिया , हिया तक जान आ गयी थी हमायी उह्ह्ह तो केशव पंडित नही आते ना तो तुम और भुआ दोनों मिलके हमे डायरेक्ट बनारस भेजने का मन बनाय लिए थे,,,,,!!”